Hindi Sex Stories By raj sharma

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raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:53

शीला आंटी और उनकी दो बेटियाँ-2

गतान्क से आगे............. ......

मुझे अपना सारा शरीर तड़पता हुआ लगा और शीला आंटी ने मुझे इतना कसकर दबाया कि मेरे मुंह से भी आह और सिसकी निकल गई. अचानक ही शीला आंटी का शरीर बिन पानी की मछली की तरह कांपने लगा था. हम दोनों ने एक दूजे को बहुत कसकर दबा दिया और बेतहाशा एक दूजे के होठों को जोर जोर से चूसने लगे. कुछ ही सेकण्ड के बाद जैसे सब कुछ शांत हो गया. हम दोनों के शरीर बेजान हो गए. हम दोनों के शरीर के निचले हिस्से पूरी तरह से हिलाने डुलने बंद हो गए थे लेकिन शीला आंटी अब भी मेरे होठों को चुसे जा रही थी. हम दोनों के पुरे शरीर पर ढेर सारा पसीना आ गया था. शीला आंटी और मेरी छातीयों के बीच पसीना इतना अधिक हो गया था कि गीलेपन का अहसास बहुत आसानी से हो रहा था और हमारी छातीयाँ बार बार आपस में रगड़कर फिसल रही थी. लगभग दो मिनट के बाद शीला आंटी के होंठ भी हिलने बंद हो गए, अब भी लेकिन हम दोनों ने पाने अपने होंठ एक दूसरे से सटा रखे थे. काफी देर तक युहीं लेते रहने के बाद जब थोड़ी ताकत हमारे जिस्मों में लौटी तो मैंने अपने गुप्तांग कू शीला आंटी के गुप्तांग से बाहर निकाला. हम दोनों ने ही देखा कि कंडोम में बहुत सारा लिक्विड भर चुका था और वो पूरी तरह से लटक गया था. हम दोनों एक दूसरे को देखकर एक संतुष्ट हंसी हंसने लगे. शीला आंटी ने कहा " तुम्हें मजा आया." मैं बोला " बहुत ही ज्यादा मजा आया है. अब अगली बार कब करेंगे फिर से ?" शीला आंटी ने मुझे एक बाद फिर चिपटा लिया और मेरे होठों को एक बार फिर चूसा और बोली " मुझे भी आज बरसों बाद ऐसा मजा आया है. जब भी मौका मिलेगा हम पूरा फायदा उठाएंगे." हमने देखा कि रात के दस बज चुके थे. हम दोनों जब मिले थे तब केवल छः बजे थे. यानी कि हमने लगभग चार घंटे तक सम्भोग का मजा लूटा था. शीला आंटी ने कहा " उन दोनों के आने का वक्त हो गया है. जाओ अपने कमरे में जाओ." सीके बाद शीला आंटी ने मुझे कंडोम का पूरा पैकेट देते हुए कहा " इसे तुम अपने पास ही रखो. फिर काम आयेगा." मैं अपने कमरे में आ गया. सारी रात मैं शीला आंटी के सपनों में ही खोया रहा.

अगले दिन सवेरे फिर वो ही हुआ अंजना मेरे कमरे में तेजी से दौडती हुई आई. मैं पलंग पर ही लेता हुआ था क्योंकि मेरा सारा शरीर टूट रहा था और मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी. अंजना ने जब मुझे लेते देखा तो तो वो अचानक से मेरे ऊपर लेट गई और मेरे होठों को चूसने लगी. तभी कुछ आहट हुई और वो जिस तेजी से आई थी उसी तरह से बाहर दौड़कर चली गई.

शाम को जब मैं घर लौटा तो शीला आंटी नहीं थी. घर पर ताला लगा हुआ था. मेरे पास दूसरी चाबी नहीं थी. कुछ ही देर में मुझे मंजुला आती दिखी. उसने आते ही कहा " मां; अपनी किसी सहेली के जन्मदिन कि पार्टी में गई हुई है. सवेरे वो जल्दी जल्दी में तुम्हें बताना भूल गई थी. मुझे बता रखा था इसलिए मैं जल्दी आ गई हूँ." हम दोनों घर में दाखिल हो गए. ना जाने मुझे ऐसा क्यूँ लगने लगा कि आज मंजुला और मेरा मिलन भी हो जाएगा. मैं अपने कमरे में आ गया. मैंने जल्दी जल्दी अपने कपडे बदले और हाफ पैंट तथा बनियान पहनकर मंजुला के कमरे कि तरफ चला आया. उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने देखा वो कपडे बदल रही थी. उसने नीचे तो शोर्ट पहन ली थी लेकिन ऊपर पहनने के लिए आलमारी में कुछ ढूंढ रही थी. वो उस बक्त केवल अपनी ब्रा में थी. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. मैं बिलकुल नहीं घबराया और बड़े ही आताम्विश्वास के साथ कमरे में घुस गया. मैं उसके पीछे जाकर उसके बहुत करीब खड़ा हो गया. उसकी पीठ का खुला हिस्सा मेरे सामने था. उसके जिस्म से भीनी सी महक आ रही थी. मैंने धीरे अपना मुंह उसके कान के पास ले जाकर उसके कानों में फुसफुसाया " अब कुछ मत पहनो तुम युहीं बहुत अच्छी लग रही हो." मंजुला ने डरते हुए पलट कर देखा तो मैं सामने खड़ा था. वो एक थडी सांस के साथ मुस्कुराई और बोली " तुमने तो मुझे डरा ही दिया था. क्यूँ नहीं पहनूं कुछ और ? " मैंने कहा " बस युहीं." मंजुला ने शरारत भरी आवाज में कहा " इस युहीं का मतलब?" मैंने अपनी बाहें उसके गले में डाल दी और बोला " अब और समझाऊं क्या?" मंजुला ने अपना चेहरा अब मेरे चेहरे के बहुत करीब कर लिया था. मैंने उसके रसीले होठों को बहुत ही करीब से देखा. उनमें से रस तो जैसे छलक रहा था. उसकी साँसें अब तेज चलने लगी. मैंने बहुत धीरे से अपने होठों को उसके होठों से सिर्फ छूने दिया. आगे का काम मंजुला ने कर दिया. उसने तुरंत मेरे होंठ अपने होठों के बीच में दबा दिए और उन्हें बहुत जोर से चूस लिया. मैंने भी वापस जोर लगाकर उसके होठों का सारा रस एक साथ हो चूस लिया. मंजुला अब कुछ बेकाबू होने लगी थी. मुझे इसी का इंतज़ार था. मेरी नज़र शुरू से उसके रसीले होठों पर थी इसलिए मैंने उसके होठों को चुसना लगातार जारी रखा. इसके बाद जब मंजुला थोड़ी ढीली पड़ने लगी तो मैंने उसे पलंग पर गिरा दिया. हम दोनों अब पलंग पर लोट रहे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे. काफी देर तक यह सिलसिला चलता रहा. मंजुला ने मेरे कान में कहा " क्या तुम और आगे बढ़ना चाहोगे?" मैं कुछ कहत उसके पहले ही उसने मेरे हाथ खींचे और अपनी अंडरवेअर को मेरे हाथ में थमाया. मैं समझ गया लेकिन तभी दरवाजे कि घंटी बज गई. हम दोनों ही घबरा गए. मंजुला बाथरूम में दौड़ गई. मैंने तुरन्त अपने कपडे पहने और दरवाजा खोल दिया. शीला आंटी लौट आई थी. हम दोनों एक दूजे को देखकर मुस्कुराए. मंजुला काफी देर तक बाहर नहीं आई. मैं थोडा घबराया लेकिन तभी वो कपडे बदलकर बाहर आई और शीला आंटी से यह कहते हुए कि वो अपनी किसी सहेली के यहाँ जाकर आ रही है और बाहर निकल गई.

raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:54

अब मेरा हौसला बहुत बढ़ चुका था. इससे पहले कि शीला आंटी अपने कमरे की तरफ बढ़ती मैंने उनके पीछे दौड़कर उन्हें अपनी बाहों में भर लिया. शीला आंटी चौंक गई और बोली " तो अब तुम इतनी हिम्मत जुटा चुके हो?" मैंने उनके गले को चूमते हुए कहा " ये सब आप ही ने मुझे सिखाया है." अब शीला आंटी ने मेरा गला चूम लिया. हम दोनों ही यह जानते थे की अंजना कभी भी आ सकती है इसलिए हमने अपने कपडे उसी तरह रहने दिए और एक दूसरे के जिस्म के अलग अलग हिस्सों को चूमने लगे. तभी दरवाजे की घंटी बजी. अब अंजना के आने की आवाज भी सुनाई दी. शीला तुरंत अपने कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया. मैंने दरवाजा खोला. अंजना मुझे देखते ही हंसी और बोली " तुम मां के साथ थे क्या?" मैंने मन करते हुए कहा " नहीं; वे तो अभी अभी ही लौटी है और अपने कमरे में गई है." अंजना ने शीला के कमरे का दरवाजा बंद देखा और मुझे अपनी बाहों में भरते हुए कहा " तो चलो अपने कमरे में. जब तक मां बाहर नहीं आ जाती हम ...." मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया. हम एक साथ पलंग पर गिर पड़े और चूमने चाटने का दौर शुरू हो गया. मैं अपने आप को आज बहुत ही खुश-किस्मत समझ रहा था. मैंने आज केवल आधे घंटे के अन्दर अन्दर ही शीला आंटी , मंजुला और अंजना के होठो का रस पिया था. आज तक शायद कोई ऐसा नहीं कर सका होगा. मैं ये सोच रहा था और उधर अंजना मेरे होठों और गालों को चूमे जा रही थी. तभी शीला आंटी के कमरे के खुलने की आवाज आई. अंजना अपने कमरे में दौड़ कर चली गई. शीला ने देखा की अंजना ने अपने कमरे में प्रवेश कर लिया है तो उसने मेरी तरफ एक मुस्कराहट फेंक दी. मैं भी मुस्कुरा दिया. अब मैं अपने कमरे में लौट आया था.

रात को जब मैं सोने लगा तो मुझे डर सा लगने लगा. इसका कारन यह था की अंजना और मंजुला दोनों ही कभी भी एक साथ आ सकते हैं. अगर ऐसा हो गया तो सारी पोल खुल जायेगी. दोनों बहनों में झगडा भी हो सकता है. मेरे दिल काँप उठा. फिर यह ख़याल भी आया कि कभी शीला आंटी भी आ सकती है. अब हर आहट पर मैं डरने लगा. पहली रात को कोई नहीं आ पाया.

अगले दिन सवेरे शीला आंटी के पति लौट आये. मैं एकदम से उदास हो गया. जब तक मैं कॉलेज गया तब तक शीला आंटी को मैं एक बार भी मुस्कुराते हुए नहीं देख सका था. वो भी कुछ उदास लग रही थी.

शाम को मैं कॉलेज से लौटा तो चाचा घर पर ही थे और शीला आंटी के साथ बैठे चाय पी रहे थे. अब तो मुझसे रहा नहीं गया. अब मैं शीला आंटी को कैसे अकेले में मिलूं यही सोचने लगा. लेकिन कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. सारा दिन युहीं बीत गया. चाचा के घर होने के कारण अंजना और मंजुला भी मुझसे नहीं मिल पाई. यह पहला दिन था जब मैंने किसी एक को भी ना तो अपने सीने से लगा पाया था और ना ही चूम सका था. मेरा शरीर बेजान हो चला था. मैं झुंझलाते हुए अपने कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि शीला आंटी के कमरे कि लाईट बंद हो चुकी है तो मैं ड्राइंग रूम में आ गया. अंजना और मंजुला के कमरे के बाहर मैं खड़ा हो गया और उनके कमरे के भीतर झाँकने कि कोशिश करें लगा. मैंने देखा कि दोनों ही शायद अपने कॉल्लेग का कोई होम वर्क कर रही थी. मैं अब हर तरह से हार कर लौट आया और चद्दर ओढ़ कर सो गया.

मैं गहरी नींद में था. अचानक मेरी आँख खुल गई. कोई मेरे बिस्तर पर बैठ कर मेरी चद्दर खींच कर मेरी चद्दर में घुस रहा था. मैं खुश हो गया. मैंने सोचा कोई भी हो पूरा दिन तड़पा हूँ. अचानक मेरी कानों में अंजना कि आवाज आई " सो रहे हो! चलो उठो जल्दी! मैं हूँ अंजू." मैंने तुरंत अंजू कि तरफ अपना मुंह किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया. अंजू ने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया.

मैंने और अंजू ने अपने कपडे उतार दिए और हम दोनों अब केवल अपने अंडर गारमेंट्स में ही रह गए थे. हम दोनों ने के दूजे को चूमना शुरू किया और जल्दी ही हमने एक दूजे के लगभग सारे जिस्म को गीला कर दिया था. अंजना अब मदहोश हो चली थी. मैंने उसे पलंग पर सीधा लिटाया और उसकी ब्रा खोल दी. मैंने अपने कमरे कि लाईट जला दी. अब अंजू का जिस्म लाईट में दमकने लगा. अंजू को भी अपने दमकते जिस्म को देखकर बहुत ख़ुशी हो रही थी. उसने अपनी गठीली टांगों और रसीली जाँघों को बार बार अपने हाथों से मसलना शुरू किया. मैंने उसकी जांघें चूम चूमकर लाल और गीली कर दी. मैं और अंजू अब पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे. अंजू मुझे पागलों कि तरह चूम रही थी. मैंने अपनी आलमारी से शीला आंटी का दिया हुआ कंडोम का पैकेट निकाला और अंजू कि तरफ फेंक दिया., अंजू ने उसे देखा और बोली " तो तुम हर वक्त तैयार रहते हो?" मैंने कहा " तुम्हें देखते ही मैं तैयार हो जता हूँ." अंजू ने एक शर्त भरी नजर मुझ पर डाली और बोली " इसमें एक कंडोम कम है. क्या तुम ने ....." मैंने अंजू के गालों को चूमा और कहा " तुम अपनी बात कहो." अंजू ने मेरे होठों पर अपनी ऊंगलीयाँ फेरते हुए कहा " अब पूछकर वक्त बर्बाद मत करो." इतना कहकर अंजू ने मेरा अंडर वेअर उतार दिया और मैंने उसका. मैंने कंडोम को अपने गुप्तांह पर चढ़ाया और अंजू ने अपनी टांगें फैला दी. मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने गुप्तांग को अंजू के जननांग के अन्दर धकेलने लगा. शीला आंटी के जननांग के अन्दर मेर अगुप्तांग बहुत जल्दी चला गया था जबकि अंजू के अन्दर जाने में काफी परेशानी हो रही थी और अंजू को दर्द भी होने लगा. हम दोनों डर गए. मैं कुछ देर के लिए रुक गया लेकिन अंजू ने जिद की कि मैं बिलकुल ना रुकूँ. मैंने थोडा रुक रुक कर धकेलना जारी रखा. लगभग तीन-चार मिनट कि मेहनत औए दर्द के बाद मैं कामयाब हो गया. अंजू का जिस्म पसीने में पूरी तरह भीग गया था. लेकिन उसके होठों पर सफलता और आनद कि मुस्कान थी. मैंने अंजू के होठों पर अपने होंठ रख दिए. हमने एक दूजे के होठों को आपस में बहुत देर तक चूसा. मैंने मेरे गुप्तांग को अंजू के जननांग के अन्दर धीरे धीरे धकेलना और निकलना जारी रखा. अब हम दोनों का मजा अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था. तभी अचानक अंजू ने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया औए मेरे होठों को अपने होठों से लगभग भींच लिया. मैंने देखा कि अंजू के शरीर में बहुत तेज हलचल होने लगी थी. मैंने ही अंजू को अब उतने ही जोर से पकड़ा और अपनी जीभ से उसकी जीभ सटा दी. हम दोनों अब पूरी तरह से एक दूसरे में सिमट चुके थे. अचानक अंजू बेकाबू हो उठी. मैंने भी अपने गुप्तांग को अब उसके जननांग में दूर तलक पुरे जोर से धकेल दिया. कुछ ही पलों के बाद मेरे गुप्तांग से रस की धारा निकल पडी और अंजू के मुंह से एक जोर की सिसकी निकल गई. हम दोनों अब पूरी तरह से थक कर चूर हो गए थे. हम इसी तरह से कुछ देर तक लेटे रहे. आखिर में मैंने अंजू के होठों को चूमा औए अंजू ने मेरे होठों को चूमा.. अंजू और मैंने अपने अपने कपडे पहने औए अंजू अपने कमरे में चली गई.

raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:54

अब मैं मंजुला के साथ सम्भोग का इंतज़ार करने लगा. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि अगले दिन ही मुझे ये मौका मिल जाएगा. मुझे कॉलेज नहीं जाना था क्यूंकि मेरे गाइड आज आनेवाले नहीं थे. मैं घर पर ही था. चाचा अपने काम पर चले गए. अंजना और मंजुला दोनों कॉलेज चली गई. इनके जाते ही शीला आंटी मेरे कमरे में आ गई. मैं भी उन्ही का इंतज़ार कर रहा था. शीला आंटी ने आते ही मुझे चूमना शुरू कर दिया. मैं छुट्टी के मूड में था इसलिए एक अलग तरह का जोश था. मेरे और शीला आंटी के पास करीब पूरा दिन था. हम शुरू ही हुए थे कि शीला आंटी को कोई काम याद आ गया और वो मुझे छोड़कर पड़ोस में चली गई. तब तक मैं भी बाज़ार कुछ खरीदने चल अगया. जब मैं लौट कर आया तो शीला आंटी बाथरूम में थी और नहा रही थी. दरवाजा खुलने कि आवाज से उन्होंने मुझे आवाज लगाईं. मैंने कह दिया कि मैं ही हूँ. शीला आंटी ने फिर आवाज लगाई और मुझे अपना तौलिया लाने के लिए कहा. मैं उनका तौलिया लेकर उन्हें देने लगा तो शीला आंटी ने मुझे बाथरूम में खींच लिया. शीला आंटी पूरी तरह से भीगी हुई थी और उनके सारे बदन पर पानी की बूंदें चमक रही थी. मैं उन्हें देखता ही रह गया. शीला आंटी ने मेरे कपडे खोलने शुरू किये. मैंने भी मदद की. अब हम दोनों ही निर्वस्त्र थे. शीला आंटी ने शोवर चला दिया. मैं और शीला आंटी पानी की बौछारों में नहाने लगे. मैंने फिर शीला आंटी को अपनी तरफ खींच लिया. शीला आंटी ने तुरंत मेरे गीले बदन को अपने गरम गरम होठों से चूमना शुरू कर दिया. शीला उन्ती के बदन से बह रहा पानी मुझे किसी अमृत से कम नहीं लग रहा था. मैं उन्हें जगह जगह चूमने लगा. शीला आंटी ने हँसते हुए कहा " तुम पागल तो नहीं हो गए." मैंने कहा " पागल ही समझ लें." शीला ने अचानक मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए. उनके गरम होंठ ने मेरे बदन में ज्वाला जगा दी. बाथरूम काफी बड़ा था. उसमे बात टब भी लगा हुआ था. उसमे पानी भरा हुआ था. मैं शीला आंटी को लेकर उस टब में उतार गया. हम दोनों उसमे बैठ गए. हम दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाना शुरू किया. शीला आंटी के चिकने जिस्म पर मेरे हाथ फिसलने लगे. शीला आंटी को बहुत मजा आने लगा था. अब हम पानी से भरे हुए टब में दोनों लिपट कर लेट गए. हम दोनों के एक दूजे को चूमना शुरू कर दिया. आपस में होठों को भी खूब चूसा. अचानक शीला आंटी ने मेरे गुप्तांग को अपने हाथ में लिया और अपनी जाँघों के बीच में फंसा लिया. मैंने धीरे धीरे उसे हिलाने लगा. हम दोनों को यह बहुत ही अच्छा लगा. बहुत देर तक यह सब चलता रहा फिर अचानक ही मेरे गुप्तांग से रस की धारा बाहर आ गई और मैंने शीला आंटी को जोर से दबा दिया. उन्होंने भी मुझे होठों से चूम लिया. पुरे दो घंटों तक हम दोनों साथ साथ युहीं खेलते रहे.

मंजुला कॉलेज से थोडा जल्दी आ गई थी. शीला आंटी बाहर गई थी और अंजना कॉलेज से सीधे उन्हें किसी दूकान पर मिलने वाली थी. मेरा रास्ता साफ़ था. मंजुला के आते ही मैं तियार हो गया. उसे देखते ही मैं मुस्कुराया. वो भी मुस्कुरा दी. मैं उसके करीब गया. उसका हाथ पकड़ा. उसने कहा " क्या कर रहे हो?" मैं बोला " जो काम कल अधुरा रह गया था वो अज कर डालते हैं." मंजुला बोली " तो चलो देर किस बात की." मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया.

मैंने मंजुला के सारे कपडे उतार दिए, उसने मेरे उतार दिए. हम दोनों बिस्तर में थे और बुरी कदर एक दूसरे को चूम रहे थे. बहुत जल्दी ही मैंने मंजुला को तैयार रहने को कहा क्यूंकि वक्त कम था. शीला आंटी और अंजू कभी भी आ सकती थी. मैंने तुरंत कंडोम लगाया और मंजुला के जननांग में धकेल दिया. उसे अंजना की तरह से दर्द हुआ लेकिन उसने भी रुकने के लिए नहीं कहा और बोली " मां आ जायेगी. तुम रुको मत." मैंने थोडा ज्यादा जोर लगाया और तुरंत मैंने उसके बहुत भीतर तक गुप्तांग को पहुंचा दिया. मजुला के चेहरे पर एक ख़ुशी और संतोष की लहर दौड़ गई. हम चरम सीमा पर आ गए और मैंने अब रस छोड़ दिया. मंजुला ने अपने रस भरे होंठ मेरे होंठों पर रखते हुए कहा " अब जल्दी से तुम भी रस पीओ और मुझे भी पिला दो. " हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत ही जोर से चूमा. हम दोनों में अब बिलकुल ताकत नहीं बची थी. मंजुला कुछ देर बाद अपने कमरे में चली गई. मैं ये सोच सोचकर मन ही मन खुश हो रहा था कि कितना कुछ हो गया है अब तक. विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैंने एक मां और उसकी दोनों बेटियों के साथ संभोग सम्बन्ध बना लिए हैं.

ये सिलसिला अब तक जारी है. हाँ यह जरुरु है कि मुझे बहुत चौकन्ना रहना पड़ता है कि कहीं किसी को एक दूसरे पर शक ना हो जाए.

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