ये सोच कर की बिल्लू वाहा झाड़ियों में मेरे साथ क्या करेगा, मेरी साँसे भड़क उठी.
मैं आखरी बार अपने कामदेव में खो जाना चाहती थी.
बिल्लू इस कदर मुझ पर हावी हो चुका था कि मुझे एक पल को भी ये ख्याल नही आया कि ये सब ठीक नही है.
मुझे बस यही ख्याल आ रहा था कि, ये सब आखरी बार करना है तो क्यो ना खुल कर करूँ.
पर फिर भी मेरे लिए खुद चल कर बिल्लू के लिए घर के पीछे जाना आसान नही था.
पर मदहोशी मुझ पर इस कदर हावी थी कि मेरे कदम कब दरवाजे की और बढ़ गये मुझे पता ही नही चला.
मैने घर को लॉक कर दिया और चुपचाप आस पास देख कर घर के पीछे आ गयी.
मुझे यकीन था कि मुझे किसी ने नही देखा.
मैं अपनी बंद खिड़की के बिल्कुल सामने खड़ी थी.
बिल्लू अभी तक नही आया था, मुझे लग रहा था कि कहीं मैं जल्दी तो नही आ गयी.
अचानक मुझे किसी के कदमो की आहत शुनाई दी.
मैं घबरा कर एक तरफ झाड़ियों में छुप गयी.
ये बिल्लू ही था.
उसे देख कर मैं दबे पाँव रख कर बाहर आ गयी.
मुझे देख कर वो खिल उठा.
वो मुस्कुराते हुवे बोला, मुझे यकीन तो था कि तू आएगी ज़रूर, पर मुझसे पहले यहा पहुँच जाएगी मैने सोचा भी नही था.
मैने शरम से आँखे झुका ली.
मैने कहा, मैं तो ठीक 10 मिनूट बाद आई हूँ, तुमने ही तो कहा था कि मैं 10 मिनूट में आ रहा हूँ.
वो हंसते हुवे बोला, चल ठीक है मैं तो यू ही मज़ाक कर रहा था.
वो मेरे पास आ गया और मेरे बहुत करीब खड़ा हो गया.
मेरी आँखे शरम से अभी भी झुकी हुई थी, जैसे ही वो मेरे करीब आया मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा.
अचानक मेरी नज़र उसकी पॅंट में उभरे हुवे भाग पर गयी. ये देख कर मैने आँखे बंद कर ली.
वो बोला, तू जब शरमाती है तो और भी ज़्यादा सुन्दर लगती है. काश मैं तेरा पति होता तो तुझे हर पल आँखो के सामने बिठाए रखता.
मैने कुछ नही कहा.
बिल्लू ने मेरा हाथ पकड़ा और उसे उसकी पॅंट के उभरे हुवे भाग पर रख दिया, और बोला, लेइसे खुल कर महसूष कर आज.
मेरी साँसे और ज़्यादा फुलती जा रही थी.
मैं उशके लिंग को पॅंट के उपर से ही महसूष करने लगी.
बिल्लू हल्की हल्की सिसकियाँ भरने लगा.
वो बोला, मेरी ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल लो, और आछे से महसूष करो.
मैने हकलाते हुवे कहा, तुम खुद निकाल लो ना.
वो बोला, कम से कम आखरी बार तो खुल कर प्यार कर लो मुझ से.
मैने थोड़ा गुस्से में कहा, मैं क्या करूँ मुझे झीजक होती है, तुम समझते क्यो नही, हर काम तुम मुझ से ही क्यो करवाते हो.
वो बोला, ठीक है, ठीक है, मैं तो यू ही कह रहा था. लो मैं खुद निकाल कर दे देता हूँ.
बिल्लू ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.
हमेशा की तरह मैं मदहोश हो कर उसे एक टक देखने लगी.
अचानक मुझे अपने बेडरूम में बिल्लू के साथ बिताए पल याद आ गये. मैं उन पॅलो में खो गयी जब मेरी आँखो के सामने झूलता ये लिंग मेरी योनि में बहुत गहराई तक जा कर उसे अंदर से ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहा था.
अचानक मेरा ध्यान बिल्लू की आवाज़ से टूट गया.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
वो बोला, क्या हुवा खेलो ना इस बेचारे से.
मैने हंसते हुवे उशके लिंग को थाम लिया और उसे आछे से दबा दबा कर महसूष करने लगी.
वो बोला, इस लंड के नीचे लटकते आँड को भी तो सहला दो, वो भी तेरे प्यार के प्यासे है.
आज तक कभी संजय ने अपने टेस्टेस को छूने के लिए नही कहा था, हां मैं खुद उन्हे वाहा कभी कभी छू लेती थी. मुझे समझ नही आ रहा था कि वाहा बिल्लू को क्या अछा लगता है.
मैने बिल्लू के टेस्टेस को हाथ में थाम लिया और उन्हे हल्का हल्का सहलाने लगी.
बिल्लू ने पूछा, क्या मेरे गन्ने को मूह में लेकर चूसोगी.
मैने कहा, नही मुझे ये सब अछा नही लगता.
वो बोला, कोई बात नही, मैने तो बस यू ही पूछ
लिया, जो तुम्हे अछा नही लगता वो मेरे लिए भी बेकार है. पर एक बात कहूँ.
मैने कहा, हाँ कहो.
वो बोला, मुझे तुम्हारी चूत चूसने में बहुत मज़ा आता है, ये कह कर वो मेरे आगे बैठ गया.
मैने शरम से आँखे झुका ली.
वो बोला, अब शरमाने से कुछ नही बनेगा, जल्दी नाडा खोलो और लंड अंदर लेने से पहले थोड़ा सा चूस्वा लो, अंदर लेने में आसानी होगी.
मैने पूछा, तुम्हे वाहा मूह लगा कर क्या मिलता है.
वो बोला, प्यार में क्या मिलता है ?
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, ये तेरी चूत और मेरे मूह के बीच की बात है तुम नही समझोगी, चल खोल अब.
मैने अपना नाडा खोल दिया और सलवार नीचे गिरा दी. मैं पॅंटी पहन कर नही आई थी, इश्लीए अब बिल्लू के सामने मेरी नंगी योनि थी.
बिल्लू ने मेरी योनि पर मूह टीका दिया और वाहा एक बहुत गहरी किस की.
मेरे तन बदन में बीजली की लहर दौड़ गयी. मुझे उसके होंटो की छुवन बहुत गहराई तक महसूष हो रही थी.
मैं समझ नही पा रही थी कि सेक्स का ये रूप बिल्लू ने कहा से सीखा. उस वक्त वो मेरे लिए कामदेव से कम नही था.
बिल्लू अचानक उठ गया और मेरा हाथ पकड़ कर मेरे किचन की खिड़की के बिल्कुल सामने ले आया.
मैने पूछा, क्या हुवा.
वो बोला, कुछ नही, आज सब कुछ इस बंद खिड़की के सामने करेंगे, इसी खिड़की से तो हमारा रिस्ता शुरू हुवा था, इसी खिड़की के सामने आज ये रिस्ता ख़तम करेंगे.
वो बोला, अब झुक जाओ.
मैने पूछा, अब क्या करोगे.
वो बोला, तेरी चूत अलग स्टाइल से चूसूंगा.
मैं बिल्लू के आगे झुक गयी, मेरा मूह खिड़की की तरफ था.
बिल्लू ने पीछे से मेरे नितंबो को थाम लिया और नीचे बैठ कर पीछे से मेरी योनि को चाटने लगा.
ये मेरे लिए बिल्कुल ही नया अहसाश था.
उसने अपनी पूरी जीभ मेरी योनि में घुस्सा दी और अपनी जीभ से मेरी योनि को अंदर से रगड़ने लगा.
मैं और ज़्यादा बहकति चली गयी.
मेरी योनि अंदर से पूरी तरह गीली हो गयी थी.
अचानक बिल्लू खड़ा हो गया.
मैने हंसते हुवे उशके लिंग को थाम लिया और उसे आछे से दबा दबा कर महसूष करने लगी.
वो बोला, इस लंड के नीचे लटकते आँड को भी तो सहला दो, वो भी तेरे प्यार के प्यासे है.
आज तक कभी संजय ने अपने टेस्टेस को छूने के लिए नही कहा था, हां मैं खुद उन्हे वाहा कभी कभी छू लेती थी. मुझे समझ नही आ रहा था कि वाहा बिल्लू को क्या अछा लगता है.
मैने बिल्लू के टेस्टेस को हाथ में थाम लिया और उन्हे हल्का हल्का सहलाने लगी.
बिल्लू ने पूछा, क्या मेरे गन्ने को मूह में लेकर चूसोगी.
मैने कहा, नही मुझे ये सब अछा नही लगता.
वो बोला, कोई बात नही, मैने तो बस यू ही पूछ
लिया, जो तुम्हे अछा नही लगता वो मेरे लिए भी बेकार है. पर एक बात कहूँ.
मैने कहा, हाँ कहो.
वो बोला, मुझे तुम्हारी चूत चूसने में बहुत मज़ा आता है, ये कह कर वो मेरे आगे बैठ गया.
मैने शरम से आँखे झुका ली.
वो बोला, अब शरमाने से कुछ नही बनेगा, जल्दी नाडा खोलो और लंड अंदर लेने से पहले थोड़ा सा चूस्वा लो, अंदर लेने में आसानी होगी.
मैने पूछा, तुम्हे वाहा मूह लगा कर क्या मिलता है.
वो बोला, प्यार में क्या मिलता है ?
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, ये तेरी चूत और मेरे मूह के बीच की बात है तुम नही समझोगी, चल खोल अब.
मैने अपना नाडा खोल दिया और सलवार नीचे गिरा दी. मैं पॅंटी पहन कर नही आई थी, इश्लीए अब बिल्लू के सामने मेरी नंगी योनि थी.
बिल्लू ने मेरी योनि पर मूह टीका दिया और वाहा एक बहुत गहरी किस की.
मेरे तन बदन में बीजली की लहर दौड़ गयी. मुझे उसके होंटो की छुवन बहुत गहराई तक महसूष हो रही थी.
मैं समझ नही पा रही थी कि सेक्स का ये रूप बिल्लू ने कहा से सीखा. उस वक्त वो मेरे लिए कामदेव से कम नही था.
बिल्लू अचानक उठ गया और मेरा हाथ पकड़ कर मेरे किचन की खिड़की के बिल्कुल सामने ले आया.
मैने पूछा, क्या हुवा.
वो बोला, कुछ नही, आज सब कुछ इस बंद खिड़की के सामने करेंगे, इसी खिड़की से तो हमारा रिस्ता शुरू हुवा था, इसी खिड़की के सामने आज ये रिस्ता ख़तम करेंगे.
वो बोला, अब झुक जाओ.
मैने पूछा, अब क्या करोगे.
वो बोला, तेरी चूत अलग स्टाइल से चूसूंगा.
मैं बिल्लू के आगे झुक गयी, मेरा मूह खिड़की की तरफ था.
बिल्लू ने पीछे से मेरे नितंबो को थाम लिया और नीचे बैठ कर पीछे से मेरी योनि को चाटने लगा.
ये मेरे लिए बिल्कुल ही नया अहसाश था.
उसने अपनी पूरी जीभ मेरी योनि में घुस्सा दी और अपनी जीभ से मेरी योनि को अंदर से रगड़ने लगा.
मैं और ज़्यादा बहकति चली गयी.
मेरी योनि अंदर से पूरी तरह गीली हो गयी थी.
अचानक बिल्लू खड़ा हो गया.
Re: छोटी सी भूल
अचानक बिल्लू खड़ा हो गया.
मैने बेचन हो कर पूछा क्या हुवा ?
वो बोला, अब मेरे लंड की बारी है, कब से तड़प रहा है तेरे अंदर घुस्सने के लिए.
उसने पूछा, तुम तैयार हो ना ?
मैने कहा, मुझे नही पता.
वो बोला, तेरी चूत रस टपका रही है, मुझे तो लगता है कि तू अब मरवाने के लिए तैयार है. डाल दूं क्या अंदर ?
मैने झीज़कते हुवे कहा, डाल दो.
मैं अब बिल्लू को अपने अंदर महसूष करने के लिए बेचन हो रही थी और बिल्लू बेकार की बाते कर के मुझे तडपा रहा था.
वो बोला, पर तू ये तो बता कि तू तैयार तो है ना, वरना तुझे इतना मोटा लेने में दर्द होगा..
मैने थोडा गुस्से में कहा प्लीज़ डाल दो मैं तैयार हूँ, ये खेल बंद करो.
वो बोला, पर इस खेल में मज़ा बहुत आता है, ले संभाल अब मैं तेरे होल में घुस्सा रहा हूँ.
ये कह कर बिल्लू ने एक झटके में अपना पूरा लिंग मेरी योनि में धकैल दिया.
मैं दर्द से छील्ला उठी
आबीयेयायीयियीयैआइयैआइयैआइयैयि
यैयीयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैयीयीयियी
प्लीज़ निकाल लो दर्द हो रहा है.
वो बेशर्मी से बोला, अभी तो कह रही थी डाल दो और अब कह रही हो निकाल लो, आख़िर तुम चाहती क्या हो.
मैने गुस्से में पूछा, तुमने एक दम पूरा अंदर क्यो डाल दिया.
वो हंसते हुवे बोला, ये सेक्स का एक और खेल है. पूरा एक साथ घुस्साने में बहुत मज़ा आता है, तुझे भी दर्द के बावजूद मज़ा ही आएगा.
वो सच कह रहा था, उसकी ये एंट्री मेरी योनि में हलचल पैदा कर रही थी.
दर्द के साथ साथ मुझे अब मेरी योनि में अजीब सा अहसाश हो रहा था, जो मुझे बहुत अछा लग रहा था.
बिल्लू मेरे अंदर डाले हुवे खड़ा रहा.
मैं बेचन हुई जा रही थी.
मैं उशके लिंग को अपने अंदर रगडे खाते हुवे महसूष करना चाहती थी. पर ना जाने क्यो बिल्लू आराम से खड़ा था. मेरी साँसे फुलती जा रही थी.
मैने कहा, कोई आ जाएगा जल्दी करो.
वो बोला, क्या करूँ बताओ तो सही मुझे तो ऐसे ही अछा लग रहा है.
मैने गुस्से में कहा, तुम बहुत बदमाश हो.
वो बोला, वो तो मैं हूँ.
मैने कहा, देखो मैं ज़्यादा देर तक झुकी नही रह सकती प्लीज़ जल्दी करो.
वो बोला, पर बताओ तो क्या करूँ
मैने गुस्से में कहा तुम बाहर निकाल लो, मुझे कुछ नही करना.
वो बोला, यार तुम तो बुरा मान गयी मैं तो बस एरॉटिक गेम खेल रहा था.
मैने कहा, तो हो गया खेल, चलो मारो अब.
वो बेशर्मी से बोला, ये हुई ना बात, ये खेल में तेरे लिए ही तो खेलता हूँ, अब तक तो तुझे आदत हो जानी चाहिए थी, तुझे ये खेल जींदगी भर याद आएगा.
मैने पूछा, क्या तुम सच में ये सहर छोड़ कर जा रहे हो.
वो बोला, सहर ही नही शायद ये भी हो सकता है कि मैं कल का सूरज ही ना देंखु.
ये सुन कर मैं चोंक गयी. मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर बिल्लू ये क्या कह रहा है और क्यो कह रहा है ?
मैने पूछा, ये क्या मज़ाक कर रहे हो ?
वो बोला, ये मज़ाक नही सच है.
ये कह कर बिल्लू ने अपना पूरा लिंग बाहर निकाल लिया और एक झटके में फिर से मेरे अंदर घुस्सा दिया.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि ये बिल्लू हर वक्त एक खेल खेलता रहता है.
फिर बिल्लू ने अचानक बिना रुके मेरी योनि को रगड़ना शुरू कर दिया.
जिस पल का मैं इंतेज़ार कर रही थी उसके अचानक आने से मैं थोड़ा सकपका गयी और मेरे कदम थोड़ा लड़खड़ा गये.
पर बिल्लू ने मुझे मेरे नितंबो पर से मजबूती से थाम रखा था जिसके कारण मैं संभाल गयी.
बिल्लू काफ़ी देर तक लगातार मेरी योनि में धक्के लगता रहा और मैं उशके हर धक्के के साथ हवा में आगे पीछे झूलती रही.
मैने बेचन हो कर पूछा क्या हुवा ?
वो बोला, अब मेरे लंड की बारी है, कब से तड़प रहा है तेरे अंदर घुस्सने के लिए.
उसने पूछा, तुम तैयार हो ना ?
मैने कहा, मुझे नही पता.
वो बोला, तेरी चूत रस टपका रही है, मुझे तो लगता है कि तू अब मरवाने के लिए तैयार है. डाल दूं क्या अंदर ?
मैने झीज़कते हुवे कहा, डाल दो.
मैं अब बिल्लू को अपने अंदर महसूष करने के लिए बेचन हो रही थी और बिल्लू बेकार की बाते कर के मुझे तडपा रहा था.
वो बोला, पर तू ये तो बता कि तू तैयार तो है ना, वरना तुझे इतना मोटा लेने में दर्द होगा..
मैने थोडा गुस्से में कहा प्लीज़ डाल दो मैं तैयार हूँ, ये खेल बंद करो.
वो बोला, पर इस खेल में मज़ा बहुत आता है, ले संभाल अब मैं तेरे होल में घुस्सा रहा हूँ.
ये कह कर बिल्लू ने एक झटके में अपना पूरा लिंग मेरी योनि में धकैल दिया.
मैं दर्द से छील्ला उठी
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प्लीज़ निकाल लो दर्द हो रहा है.
वो बेशर्मी से बोला, अभी तो कह रही थी डाल दो और अब कह रही हो निकाल लो, आख़िर तुम चाहती क्या हो.
मैने गुस्से में पूछा, तुमने एक दम पूरा अंदर क्यो डाल दिया.
वो हंसते हुवे बोला, ये सेक्स का एक और खेल है. पूरा एक साथ घुस्साने में बहुत मज़ा आता है, तुझे भी दर्द के बावजूद मज़ा ही आएगा.
वो सच कह रहा था, उसकी ये एंट्री मेरी योनि में हलचल पैदा कर रही थी.
दर्द के साथ साथ मुझे अब मेरी योनि में अजीब सा अहसाश हो रहा था, जो मुझे बहुत अछा लग रहा था.
बिल्लू मेरे अंदर डाले हुवे खड़ा रहा.
मैं बेचन हुई जा रही थी.
मैं उशके लिंग को अपने अंदर रगडे खाते हुवे महसूष करना चाहती थी. पर ना जाने क्यो बिल्लू आराम से खड़ा था. मेरी साँसे फुलती जा रही थी.
मैने कहा, कोई आ जाएगा जल्दी करो.
वो बोला, क्या करूँ बताओ तो सही मुझे तो ऐसे ही अछा लग रहा है.
मैने गुस्से में कहा, तुम बहुत बदमाश हो.
वो बोला, वो तो मैं हूँ.
मैने कहा, देखो मैं ज़्यादा देर तक झुकी नही रह सकती प्लीज़ जल्दी करो.
वो बोला, पर बताओ तो क्या करूँ
मैने गुस्से में कहा तुम बाहर निकाल लो, मुझे कुछ नही करना.
वो बोला, यार तुम तो बुरा मान गयी मैं तो बस एरॉटिक गेम खेल रहा था.
मैने कहा, तो हो गया खेल, चलो मारो अब.
वो बेशर्मी से बोला, ये हुई ना बात, ये खेल में तेरे लिए ही तो खेलता हूँ, अब तक तो तुझे आदत हो जानी चाहिए थी, तुझे ये खेल जींदगी भर याद आएगा.
मैने पूछा, क्या तुम सच में ये सहर छोड़ कर जा रहे हो.
वो बोला, सहर ही नही शायद ये भी हो सकता है कि मैं कल का सूरज ही ना देंखु.
ये सुन कर मैं चोंक गयी. मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर बिल्लू ये क्या कह रहा है और क्यो कह रहा है ?
मैने पूछा, ये क्या मज़ाक कर रहे हो ?
वो बोला, ये मज़ाक नही सच है.
ये कह कर बिल्लू ने अपना पूरा लिंग बाहर निकाल लिया और एक झटके में फिर से मेरे अंदर घुस्सा दिया.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि ये बिल्लू हर वक्त एक खेल खेलता रहता है.
फिर बिल्लू ने अचानक बिना रुके मेरी योनि को रगड़ना शुरू कर दिया.
जिस पल का मैं इंतेज़ार कर रही थी उसके अचानक आने से मैं थोड़ा सकपका गयी और मेरे कदम थोड़ा लड़खड़ा गये.
पर बिल्लू ने मुझे मेरे नितंबो पर से मजबूती से थाम रखा था जिसके कारण मैं संभाल गयी.
बिल्लू काफ़ी देर तक लगातार मेरी योनि में धक्के लगता रहा और मैं उशके हर धक्के के साथ हवा में आगे पीछे झूलती रही.