"में काम कर रहा था.." राज ने अपनी सफाई मे कहा, "में ज़्यादा से
ज़्यादा पैसा कमाना चाहता हूँ जिससे हमे कोई परेशानी ना हो..
लेकिन जब में यहाँ पहुँचा तो तुम कहीं जा रही थी... वो इंसान
कौन था जिससे तुम बड़े प्यार से मिल रही थी..? क्या तुम्हारा उसके
साथ कोई रिश्ता है?"
रोमा को सब समझ मे आ गया.. वो पत्तों की चरमराहट.. राज उसका
पीछा कर रहा था... रोमा को आत्म गिलानी होने लगी... "में इस
विषय पर कोई बात नही करना चाहती."
"लेकिन में बात करना चाहता हूँ," राज ने ज़ोर से कहा...लेकिन रोमा
थी कि कुछ सुनने को तैयार ही नही थी.... उसने लाइट बंद कर दी
और बिस्तर पर लेट गयी.
आख़िर राज ने भी हार मान ली.. "ठीक है आज से में रिया के साथ
सोना शुरू कर देता हूँ."
"हां तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा." रोमा ने जवाब दिया.
कमरे की दीवार के उस ओर रिया दोनो को झगड़ते सुनती रही.. उसे
समझ मे नही आ रहा था कि दोनो के झगड़े पर वो खुश होवे या
फिर अपना दुख प्रगट करे.... लेकिन कितने समय से वो इसी दिन का
इंतेज़ार तो कर रही थी.... लेकिन वो खुश थी कि आख़िर राज हमेशा
के लिए उसके कमरे मे शिफ्ट हो रहा था.. वो बिस्तर मे चादर ओढ़
कर लेट गयी..
"मुझे दुख है राज.. तुम दोनो को इस तरह नही झगड़ना चाहिए
था.." रिया ने धीरे से झूठ कहा.
"मेरी समझ मे नही आ रहा है कि उसे हो क्या गया है.." राज ने
झल्लते हुए कहा.. "में पैसा कमाने के लिए इतनी मेहनत कर रहा
हूँ.. और वो है की ये बात समझने को ही तैयार नही है... उसे
ऐसा लगता है कि पैसे जैसे झाड़ पर उगते हों."
राज उसके बगल मे चादर ओढ़ लेट गया.. धीरे उसके हाथ रिया की
चुचियों को सहलाने लगे... उसने धीरे से उसकी गर्दन को चूम
लिया... रिया के निप्ले तन गये.. राज ने उसके निपल को उंगली और
अंगूठे मे दबा भींच लिया.
रिया थोड़ा सा नीचे की ओर खिसकी और उसके अर्ध खड़े लंड को अपने
मुँह ले चूसने लगी... लंड मे जान आने लगी..और वो खड़ा होने
लगा. ... सही मे रिया राज को ये साबित करना चाहती थी कि राज ने
यहाँ आकर अछा ही किया था... उससे ज़्यादा कौन उसे खुश कर सकता
था..... किसी मर्द को खुश करने के लिए इससे बड़ी क्या चीज़ थी..
वो सेक्स का हर खेल उसके साथ खेल कर उसे खुश कर देना चाहती
थी.
जय ने राज को कुछ पार्ट टाइम काम दिया जिसे उसने हंसते हंसते
स्वीकार कर लिया... राज और रोमा ने उस रात के झगड़े के बाद एक
दूसरे से बात नही की थी... दोनो अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक्त घर के
बाहर रहकर बीताते थे... जिससे की एक दूसरे का सामना ना करना
पड़े. राज के समझ मे नही आ रहा था की वो इस झगड़े को कैसे
ख़तम करे... वो रिया को भी तो दुखी नही कर सकता था... लेकिन
उसे हर रात रिया के सोना अच्छा नही लग रहा था जब कि उसकी प्यारी
बेहन बगल के ही कमरे मे अकेली सो रही हो..
दो भाई दो बहन compleet
Re: दो भाई दो बहन
जहाँ तक चुदाई की बात है तो राज और रिया के बीच बहोत ही अछी
चल रही थी.. तकरीबन हर रात रिया उस पर छा जाती... पर राज
का दिल मे दर्द भर उठा था.. जो सपने उसने रोमा के साथ यहाँ आने
से पहले देखे थे.. वो सब उसे चूर चूर होते दिखाई पड़ रहे
थे.. आख़िर ये सब ऐसे कितने दिन चलेगा.. एक दिन तो आख़िर किसी
ना किसी को पहल कर बात करनी ही पड़ेगी.. अगर आगे का जीवन
गुज़ारना है तो फ़ैसला तो करना ही पड़ेगा... आख़िर उसने फ़ैसला किया
कि वो रोमा से बड़ा है.. तो एक बड़ा भाई होने के नाते वो सब कुछ
भूल रोमा से बात करेगा.
* * * * *
आज राज काम पर से जल्दी छुट्टी ले वो घर की ओर चला पड़ा.. वो
रोमा से पहले घर पहुँच जाना चाहता था.. रिया का कहीं नामो
निशान नही था ये उसके लिए अछी बात थी... वो अकेले मे अपनी बेहन
से बात करना चाहता था... रिया के सामने शायद वो दोनो आपस मे
इतना खुल कर बात ना कर पाते... क्यों कि जो कुछ भी हुआ उसका रिया
भी एक हिस्सा थी.
घर आकर जैसे ही वो सोफे पर बैठा तो उसकी नज़र साइड टेबल पर
पड़ी तस्वीर पर पड़ी.. वो रोमा की स्कूल की ग्रॅजुयेशन की तस्वीर
थी... कितनी सुंदर लग रही थी वो... उसका चेहरा खुशी से खिला
हुआ था.. उसकी आँखों मे चमक थी..होठों पर मुस्कान थी.. और
आज भी वो वैसे ही मुस्कुराती रहती है.. लेकिन वो जानता था कि इस
मुस्कुराहट के पीछे कितनी पीड़ा कितनी मेहनत छुपी हुई थी..
बचपन से ही रोमा ने अपने भविश्य को लेकर कुछ सपने देखे थे
और वो आज भी उन सपनो को पूरा करना चाहती थी.. चाहे किसी भी
कीमत पर.
थोड़ी देर बाद कंधे पर अपना कीताबों वाला बॅग लटकाए रोमा अपने
मकान पर आई... उसने छोटी डेनिम वाली स्कर्ट और शर्ट पहन रखी
थी... फ्लॅट का दरवाज़ा खुला देख वो चौंक पड़ी... राज को सोफे पर
बैठा देख वो हैरत मे थी.. वो इतनी जल्दी कभी भी घर नही
आता था.. उसने अपनी बॅग वहीं टेबल के पास ज़मीन पर रख दी और
उसे देखने लगी.
राज ने महसूस किया कि रोमा उसका कुछ कहना का इंतेज़ार कर रही
है.. तो उसने कहा, "हमे बात करनी चाहिए रोमा."
रोमा उसकी बात सुनकर बेचैन हो गयी उसकी दिल की धड़कन बढ़
गयी.. ये आज राज को क्या हो गया है.. क्या वो रिया को और ज़्यादा
चाहने लग गया है और यहाँ से जाना चाहता है... बेचैनी मे वो
अपने नीचले होठों को दाँतों से चबाने लगी... उसकी आँखों मे फिर
आँसू आ गये.
"क्या तुम मुझसे रिया के बारे मे बात करना चाहते हो? रोमा ने अपने
दिल के जज्बातों को दबाते हुए कहा, उसे लग रहा था कि आज उसकी
जिंदगी बिखर रही है.. "मुझे नही पता राज में ऐसा कर पाउन्गि
की नही.. कुछ समझ मे नही आ रहा."
रोमा रोए जा रही थी और उसका पूरा बदन कांप रहा था.. राज सोफे
पर से उठा और उसने उसे कस कर अपनी बाहों मे पकड़ लिया.
"में तुमसे रिया के बारे मे नही हम दोनो के बारे मे बात करना
चाहता हूँ, में तुमसे इतना प्यार करता हूँ कि में तुम्हे बता नही
सकता... हां कुछ देर के लिए में भटक जाता हूँ.. लेकिन ये सही
है कि में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ."
"में जानती हूँ और समझती हूँ... मुझे माफ़ करना लेकिन में क्या
करूँ में भी तुम्हे बहोत प्यार करती हूँ... लेकिन जब भी तुम्हे
रिया के साथ देखती हूँ तो मुझसे रहा नही जाता... लगता है कि
में कुछ कर बैठू."
"और जब तुम उस टूटर के साथ..." राज ने कहा.. "खैर छोड़ो जो हो
गया सो हो गया.. मुझे खुशी है की तुम कॉलेज मे इतना अछा कर
रही हो.. रोमा हमे अपना वो समय वापस लाना होगा जो हमारे बीच
था... वो ही प्यार वो ही रिश्ता.. समझ रही हो ना में क्या कह
रहा हूँ."
"हां राज हां... में भी यही चाहती हूँ." रोमा ने एक राहत की
सांस लेते हुए कहा, "में तुमसे ये बात कहने से डर रही थी...
मुझे लगने लगा था कि अब हमारे बीच वो सब लौट के नही आ सकता
है.. तुम और रिया इतने करीब होते जा रहे थे कि....."
"में समझ सकता हूँ.. लेकिन पीछले दिनो तुम भी तो घर से बाहर
रहती थी.. "राज ने कहा, "क्या तुम हमारे बीच की इस दूरी को
मिटाने मे मेरा साथ दोगि?'
"हां दूँगी.. तुम जो कहोगे में करूँगी." रोमा ने जवाब दिया.
दोनो के खुले मुँह एक दूसरे को चूमने लगे.. जीब आपस मे मिल
खिलवाड़ करने लगी... रोमा का बदन मे खुशी की लहर जाग उठी
थी... उसकी चुचियों कठोर हो गयी थी और चूत मे हलचल मचने
लगी थी.
"श राज आज जितनी मिठास तुम्हारे होंठो मे पहले कभी नही थी.."
रोमा ने उसके कान मे फुसफुसाते हुए कहा.
"हां मेने कीताबों मे पढ़ा है कि दूरी प्यार बढ़ाती है...
शायद उसी वजह से हो." राज ने उसके होठों को चूसते हुए कहा.
"तो फिर तुम तैयार हो ना.. अपने वादे से मुकर तो नही जाओगे?' रोमा
ने पूछा.
"हां.. में जानता हूँ क़ि ये बात सुनकर रिया पर क्या गुज़रेगी..
लेकिन उससे कहना तो पड़ेगा ही ना." राज ने जवाद दिया.
"तुम्हे पता है कि पीछले कुछ हफ्ते मेने कैसे गुज़ारे हैं?" रोमा
ने अपने गालों पर से आँसुओं को पौन्छ्ते हुए कहा.
"में जानता हूँ रोमा प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो."
"एक वक्त के लिए तो में तुमसे नफ़रत करने लगी थी."
चल रही थी.. तकरीबन हर रात रिया उस पर छा जाती... पर राज
का दिल मे दर्द भर उठा था.. जो सपने उसने रोमा के साथ यहाँ आने
से पहले देखे थे.. वो सब उसे चूर चूर होते दिखाई पड़ रहे
थे.. आख़िर ये सब ऐसे कितने दिन चलेगा.. एक दिन तो आख़िर किसी
ना किसी को पहल कर बात करनी ही पड़ेगी.. अगर आगे का जीवन
गुज़ारना है तो फ़ैसला तो करना ही पड़ेगा... आख़िर उसने फ़ैसला किया
कि वो रोमा से बड़ा है.. तो एक बड़ा भाई होने के नाते वो सब कुछ
भूल रोमा से बात करेगा.
* * * * *
आज राज काम पर से जल्दी छुट्टी ले वो घर की ओर चला पड़ा.. वो
रोमा से पहले घर पहुँच जाना चाहता था.. रिया का कहीं नामो
निशान नही था ये उसके लिए अछी बात थी... वो अकेले मे अपनी बेहन
से बात करना चाहता था... रिया के सामने शायद वो दोनो आपस मे
इतना खुल कर बात ना कर पाते... क्यों कि जो कुछ भी हुआ उसका रिया
भी एक हिस्सा थी.
घर आकर जैसे ही वो सोफे पर बैठा तो उसकी नज़र साइड टेबल पर
पड़ी तस्वीर पर पड़ी.. वो रोमा की स्कूल की ग्रॅजुयेशन की तस्वीर
थी... कितनी सुंदर लग रही थी वो... उसका चेहरा खुशी से खिला
हुआ था.. उसकी आँखों मे चमक थी..होठों पर मुस्कान थी.. और
आज भी वो वैसे ही मुस्कुराती रहती है.. लेकिन वो जानता था कि इस
मुस्कुराहट के पीछे कितनी पीड़ा कितनी मेहनत छुपी हुई थी..
बचपन से ही रोमा ने अपने भविश्य को लेकर कुछ सपने देखे थे
और वो आज भी उन सपनो को पूरा करना चाहती थी.. चाहे किसी भी
कीमत पर.
थोड़ी देर बाद कंधे पर अपना कीताबों वाला बॅग लटकाए रोमा अपने
मकान पर आई... उसने छोटी डेनिम वाली स्कर्ट और शर्ट पहन रखी
थी... फ्लॅट का दरवाज़ा खुला देख वो चौंक पड़ी... राज को सोफे पर
बैठा देख वो हैरत मे थी.. वो इतनी जल्दी कभी भी घर नही
आता था.. उसने अपनी बॅग वहीं टेबल के पास ज़मीन पर रख दी और
उसे देखने लगी.
राज ने महसूस किया कि रोमा उसका कुछ कहना का इंतेज़ार कर रही
है.. तो उसने कहा, "हमे बात करनी चाहिए रोमा."
रोमा उसकी बात सुनकर बेचैन हो गयी उसकी दिल की धड़कन बढ़
गयी.. ये आज राज को क्या हो गया है.. क्या वो रिया को और ज़्यादा
चाहने लग गया है और यहाँ से जाना चाहता है... बेचैनी मे वो
अपने नीचले होठों को दाँतों से चबाने लगी... उसकी आँखों मे फिर
आँसू आ गये.
"क्या तुम मुझसे रिया के बारे मे बात करना चाहते हो? रोमा ने अपने
दिल के जज्बातों को दबाते हुए कहा, उसे लग रहा था कि आज उसकी
जिंदगी बिखर रही है.. "मुझे नही पता राज में ऐसा कर पाउन्गि
की नही.. कुछ समझ मे नही आ रहा."
रोमा रोए जा रही थी और उसका पूरा बदन कांप रहा था.. राज सोफे
पर से उठा और उसने उसे कस कर अपनी बाहों मे पकड़ लिया.
"में तुमसे रिया के बारे मे नही हम दोनो के बारे मे बात करना
चाहता हूँ, में तुमसे इतना प्यार करता हूँ कि में तुम्हे बता नही
सकता... हां कुछ देर के लिए में भटक जाता हूँ.. लेकिन ये सही
है कि में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ."
"में जानती हूँ और समझती हूँ... मुझे माफ़ करना लेकिन में क्या
करूँ में भी तुम्हे बहोत प्यार करती हूँ... लेकिन जब भी तुम्हे
रिया के साथ देखती हूँ तो मुझसे रहा नही जाता... लगता है कि
में कुछ कर बैठू."
"और जब तुम उस टूटर के साथ..." राज ने कहा.. "खैर छोड़ो जो हो
गया सो हो गया.. मुझे खुशी है की तुम कॉलेज मे इतना अछा कर
रही हो.. रोमा हमे अपना वो समय वापस लाना होगा जो हमारे बीच
था... वो ही प्यार वो ही रिश्ता.. समझ रही हो ना में क्या कह
रहा हूँ."
"हां राज हां... में भी यही चाहती हूँ." रोमा ने एक राहत की
सांस लेते हुए कहा, "में तुमसे ये बात कहने से डर रही थी...
मुझे लगने लगा था कि अब हमारे बीच वो सब लौट के नही आ सकता
है.. तुम और रिया इतने करीब होते जा रहे थे कि....."
"में समझ सकता हूँ.. लेकिन पीछले दिनो तुम भी तो घर से बाहर
रहती थी.. "राज ने कहा, "क्या तुम हमारे बीच की इस दूरी को
मिटाने मे मेरा साथ दोगि?'
"हां दूँगी.. तुम जो कहोगे में करूँगी." रोमा ने जवाब दिया.
दोनो के खुले मुँह एक दूसरे को चूमने लगे.. जीब आपस मे मिल
खिलवाड़ करने लगी... रोमा का बदन मे खुशी की लहर जाग उठी
थी... उसकी चुचियों कठोर हो गयी थी और चूत मे हलचल मचने
लगी थी.
"श राज आज जितनी मिठास तुम्हारे होंठो मे पहले कभी नही थी.."
रोमा ने उसके कान मे फुसफुसाते हुए कहा.
"हां मेने कीताबों मे पढ़ा है कि दूरी प्यार बढ़ाती है...
शायद उसी वजह से हो." राज ने उसके होठों को चूसते हुए कहा.
"तो फिर तुम तैयार हो ना.. अपने वादे से मुकर तो नही जाओगे?' रोमा
ने पूछा.
"हां.. में जानता हूँ क़ि ये बात सुनकर रिया पर क्या गुज़रेगी..
लेकिन उससे कहना तो पड़ेगा ही ना." राज ने जवाद दिया.
"तुम्हे पता है कि पीछले कुछ हफ्ते मेने कैसे गुज़ारे हैं?" रोमा
ने अपने गालों पर से आँसुओं को पौन्छ्ते हुए कहा.
"में जानता हूँ रोमा प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो."
"एक वक्त के लिए तो में तुमसे नफ़रत करने लगी थी."
Re: दो भाई दो बहन
"में समझ सकता हूँ.. लेकिन सही मे तुम्हे दूसरे मर्द की बाहों मे
देख मेरा दिल भी बहोत रोया था .." राज ने उसे बाहों मे भरते हुए
बोला.. "तब मुझे लगा कि हमारे बीच जो हो रहा है वो अछा नही
हो रहा .. हमे मिलकर बात करनी चाहिए."
"क्या करती में.. तुम मेरे पास थे नही कहाँ जाती में.. लेकिन अब
वो सब ख़त्म हो चुका है.." रोमा ने कहा.
"हां.. अब सब कुछ ठीक हो चुका है... है ना?"
"ठीक होने मे थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन में संभाल लूँगी." रोमा ने
जवाब दिया.
* * * * * * * * *
राज और रोमा बड़ी सँभाल कर रिया की ओर बढ़े.
राज ने रिया से बात शुरू की और उसे समझाने लगा..... रिया पर तो
जैसे गमो का पहाड़ टूट पड़ा....आँखों से आँसू तो जैसे रुकने का
नाम ही नही ले रहे थे.. उसे तो लगा था कि झगड़े के बाद रोमा
राज को छोड़ देगी... लेकिन जैसा उसने सोचा था वैसा नही हुआ.
लेकिन नसीब से कौन लड़ सकता है.. अपने मुक़द्दर के इस फ़ैसले को
आख़िर कर रिया ने मान लिया. और जिंदगी के साथ समझौता कर लिया.
रोमा को अपने जखम भरने मे मे कई रातें लग गयी... जखम तो और
भी कई तो लेकिन उन्हे राज ने अपने प्यार से भरना शुरू कर दिया...
अब वो पहले से ज़्यादा लायक हो गया था.. हर तरह से रोमा का
ख़याल रखने लगा था.... उसके व्यवहार को देख रोमा को महसूस होने
लगा था कि अब राज को उससे कोई नही छीन सकता.
हक़ीकत का सामना कर रिया अपने आप को राज से दूर रखने की कोशिश
करने लगी... बड़ी जब भी राज और रोमा को साथ देखती तो बड़ी
मुश्किल से वो अपने दिल को संभालती..... फ्लॅट मे जहाँ पहले तीनो
मिलकर हँसी मज़ाक किया करते थे .. साथ साथ कहला करते थे वहीं
अब वातावरण ने एक गंभीर रूप लिया था.. तीनो जानते थे कि वक़्त के
साथ शायद फिर से पहले जैसा महॉल पैदा हो जाएगा.....
फिर धीरे धीरे महॉल बदलता गया... रोमा के व्यवहार मे भी
परिवर्तन आ गया था.. अब वो शॉपिंग पर जाने लगी..हँसी मज़ाक
करने लगी.... और एक दिन तो उसने दोनो को चौंका ही दिया.... उसने
खुद अपने हाथों से खाना बना दोनो को दावत दी.
तीनो खाना ख़तम कर वाइन पी रहे थे...रोमा ने देखा कि एक बोवल
मे अभी भी पिसे हुए आलू की सब्ज़ी बची हुई थी... .. पता नही
रोमा के क्या मन मे आया कि उसने बोवल को उठा उसमे बची हुई सब्ज़ी
राज की ओर उछाल दी.... सब्ज़ी मे आलू के टुकड़े किसी गोली की तरह
निकले और राज और रिया के चेहरे पर गिर पड़े... उन दोनो के चेहरे
की प्रतिक्रिया देख रोमा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.
रिया राज को देख रही थी... "तुम्हे नही लगता कि ये फिर से शैतान
हो रही है."
राज ने अपनी नज़रें उस केक पर डाली जो वो बाज़ार से लेकर आया
था , "क्या तुम भी वही सोच रही हो जो में सोच रहा हूँ."
"पहले तो नही सोच रही थी लेकिन जब तुम केक की ओर देखने लगे
तो में समझ गयी." रिया ने जवाब दिया.
"तुम लोग क्या सोच रहे हो.... ओह नही ये नही हो सकता." रोमा चिल्ला
पड़ी.
राज उठा और उसने टेबल पर पड़ा केक उठा लिया... रिया रोमा को
देकने लगी.. "अगर तुम शैतानी कर सकती हो तो हम भी कर सकते
है."
रोमा ज़ोर से 'नहीं....' चीखते हुए भागी वहाँ से और उसके पीछे
रिया फिर हाथों मे केक लिए राज भागा.
"प्लीज़ ऐसा मत करो ना.. " रोमा हंसते हुए चिल्ला कर बोली...
लेकिन रिया ने उसकी शर्ट को उतार दिया... जब तक राज कमरे मे आया
उसकी दोनो चुचियाँ नंगी हो गयी थी.
रोमा ने राज की तरफ देखा, "तुम तो हिम्मत भी मत करना."
रोमा ने देखा की राज मुस्कुरा रहा था.. तभी उसने वो केक रोमा की
चुचियों पर ज़ोर से फैंक कर मारा.... केक जोरों से रोमा की
चुचियों से टकराया और उसकी चुचियाँ केक पर लगी क्रीम से भर
गयी... रिया ने अपनी भी शर्ट उतार दी और रोमा की चुचियों से
रगड़ने लगी.. राज ने भी अपनी शर्ट उतार दी... और दोनो के साथ
मिल गया... तीनो ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे के शरीर को केक से मलने
लगे.
"तुम दोनो से कितना प्यार करता हूँ में." राज ने दोनो की चुचियों
को मसल्ते हुए कहा.
"में भी बहोत प्यार करती हूँ दोनो से" रिया ने कहा.
"मुझे भी तुम दोनो बहोत पसंद हो." रोमा ने खुशी भरे स्वर मे
कहा.
"मुझे तो लगता है कि आज हम तीनो..... " रिया ने आँख मारते हुए
कहा.
"नही कुछ भी नही..... कुछ करने से पहले तुम दोनो को ये केक
खाना पड़ेगा." रोमा ने कहा.
क्रमशः..................
देख मेरा दिल भी बहोत रोया था .." राज ने उसे बाहों मे भरते हुए
बोला.. "तब मुझे लगा कि हमारे बीच जो हो रहा है वो अछा नही
हो रहा .. हमे मिलकर बात करनी चाहिए."
"क्या करती में.. तुम मेरे पास थे नही कहाँ जाती में.. लेकिन अब
वो सब ख़त्म हो चुका है.." रोमा ने कहा.
"हां.. अब सब कुछ ठीक हो चुका है... है ना?"
"ठीक होने मे थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन में संभाल लूँगी." रोमा ने
जवाब दिया.
* * * * * * * * *
राज और रोमा बड़ी सँभाल कर रिया की ओर बढ़े.
राज ने रिया से बात शुरू की और उसे समझाने लगा..... रिया पर तो
जैसे गमो का पहाड़ टूट पड़ा....आँखों से आँसू तो जैसे रुकने का
नाम ही नही ले रहे थे.. उसे तो लगा था कि झगड़े के बाद रोमा
राज को छोड़ देगी... लेकिन जैसा उसने सोचा था वैसा नही हुआ.
लेकिन नसीब से कौन लड़ सकता है.. अपने मुक़द्दर के इस फ़ैसले को
आख़िर कर रिया ने मान लिया. और जिंदगी के साथ समझौता कर लिया.
रोमा को अपने जखम भरने मे मे कई रातें लग गयी... जखम तो और
भी कई तो लेकिन उन्हे राज ने अपने प्यार से भरना शुरू कर दिया...
अब वो पहले से ज़्यादा लायक हो गया था.. हर तरह से रोमा का
ख़याल रखने लगा था.... उसके व्यवहार को देख रोमा को महसूस होने
लगा था कि अब राज को उससे कोई नही छीन सकता.
हक़ीकत का सामना कर रिया अपने आप को राज से दूर रखने की कोशिश
करने लगी... बड़ी जब भी राज और रोमा को साथ देखती तो बड़ी
मुश्किल से वो अपने दिल को संभालती..... फ्लॅट मे जहाँ पहले तीनो
मिलकर हँसी मज़ाक किया करते थे .. साथ साथ कहला करते थे वहीं
अब वातावरण ने एक गंभीर रूप लिया था.. तीनो जानते थे कि वक़्त के
साथ शायद फिर से पहले जैसा महॉल पैदा हो जाएगा.....
फिर धीरे धीरे महॉल बदलता गया... रोमा के व्यवहार मे भी
परिवर्तन आ गया था.. अब वो शॉपिंग पर जाने लगी..हँसी मज़ाक
करने लगी.... और एक दिन तो उसने दोनो को चौंका ही दिया.... उसने
खुद अपने हाथों से खाना बना दोनो को दावत दी.
तीनो खाना ख़तम कर वाइन पी रहे थे...रोमा ने देखा कि एक बोवल
मे अभी भी पिसे हुए आलू की सब्ज़ी बची हुई थी... .. पता नही
रोमा के क्या मन मे आया कि उसने बोवल को उठा उसमे बची हुई सब्ज़ी
राज की ओर उछाल दी.... सब्ज़ी मे आलू के टुकड़े किसी गोली की तरह
निकले और राज और रिया के चेहरे पर गिर पड़े... उन दोनो के चेहरे
की प्रतिक्रिया देख रोमा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.
रिया राज को देख रही थी... "तुम्हे नही लगता कि ये फिर से शैतान
हो रही है."
राज ने अपनी नज़रें उस केक पर डाली जो वो बाज़ार से लेकर आया
था , "क्या तुम भी वही सोच रही हो जो में सोच रहा हूँ."
"पहले तो नही सोच रही थी लेकिन जब तुम केक की ओर देखने लगे
तो में समझ गयी." रिया ने जवाब दिया.
"तुम लोग क्या सोच रहे हो.... ओह नही ये नही हो सकता." रोमा चिल्ला
पड़ी.
राज उठा और उसने टेबल पर पड़ा केक उठा लिया... रिया रोमा को
देकने लगी.. "अगर तुम शैतानी कर सकती हो तो हम भी कर सकते
है."
रोमा ज़ोर से 'नहीं....' चीखते हुए भागी वहाँ से और उसके पीछे
रिया फिर हाथों मे केक लिए राज भागा.
"प्लीज़ ऐसा मत करो ना.. " रोमा हंसते हुए चिल्ला कर बोली...
लेकिन रिया ने उसकी शर्ट को उतार दिया... जब तक राज कमरे मे आया
उसकी दोनो चुचियाँ नंगी हो गयी थी.
रोमा ने राज की तरफ देखा, "तुम तो हिम्मत भी मत करना."
रोमा ने देखा की राज मुस्कुरा रहा था.. तभी उसने वो केक रोमा की
चुचियों पर ज़ोर से फैंक कर मारा.... केक जोरों से रोमा की
चुचियों से टकराया और उसकी चुचियाँ केक पर लगी क्रीम से भर
गयी... रिया ने अपनी भी शर्ट उतार दी और रोमा की चुचियों से
रगड़ने लगी.. राज ने भी अपनी शर्ट उतार दी... और दोनो के साथ
मिल गया... तीनो ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे के शरीर को केक से मलने
लगे.
"तुम दोनो से कितना प्यार करता हूँ में." राज ने दोनो की चुचियों
को मसल्ते हुए कहा.
"में भी बहोत प्यार करती हूँ दोनो से" रिया ने कहा.
"मुझे भी तुम दोनो बहोत पसंद हो." रोमा ने खुशी भरे स्वर मे
कहा.
"मुझे तो लगता है कि आज हम तीनो..... " रिया ने आँख मारते हुए
कहा.
"नही कुछ भी नही..... कुछ करने से पहले तुम दोनो को ये केक
खाना पड़ेगा." रोमा ने कहा.
क्रमशः..................