घनश्यामलंड Ghanshyam Land
Re: घनश्यामलंड Ghanshyam Land
सुषमा ने ऊपर नीचे हो कर अपने आप को चुदवाना शुरू किया। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि ऐसा आसन उसने पहली बार ग्रहण किया था। कुछ देर के बाद ललित ने बिना लंड बाहर निकाले सुषमा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसको जोर जोर से चोदने लगा। हालाँकि ललित आज सुषमा की गांड मारने के इरादे से आया था पर काम और क्रोध पर किसका जोर चलता है !!
ललित २-३ मिनटों में ही बेहाल हो गया और उसकी पिचकारी सुषमा की चूत में चूत गई। ललित की यही एक कमजोरी थी कि पहली बार उसका काम बहुत जल्दी तमाम हो जाता था। पर दूसरी और तीसरी बार जब वह सम्भोग करता था तो काफी देर तक डटा रह सकता था।
उसने लंड बाहर निकाला और सुषमा को माथे पर पुच्ची करके बाथरूम चला गया। अपना लंड धो कर वह वापस आ गया। सुषमा जब कुछ देर के लिए बाथरूम गई तो ललित ने एक गोली खा ली। शाम के ६ बज रहे थे। अभी भी उसके पास करीब २ घंटे थे। जब सुषमा वापस आई तो ललित ने उससे पूछा कि वह कितनी देर और रुक सकती है।
सुषमा ने भी अपने पति से देर से आने की बात कह दी थी सो उसे भी कोई जल्दी नहीं थी। तो ललित ने सोचा की शायद आज ही उसकी बरसों की मनोकामना पूरी हो जायेगी। उसने सुषमा से पूछा वह उस से कितना प्यार करती है।
सुषमा ने कहा- इम्तिहान ले कर देख लो !!
ललित ने कहा- कितना दर्द सह सकती हो?
सुषमा ने कहा- जब औरत बच्चे को जन्म दे सकती है तो बाकी दर्द की क्या बात !!
यह सुन कर ललित खुश हो गया और सुषमा को बिस्तर पर उल्टा लेटने के लिए बोला। सुषमा एक अच्छी लड़की की तरह झट से उलटा लेट गई। ललित ने उसके पेट के नीचे एक मोटा तकिया लगा दिया जिस से उसकी गांड ऊपर की ओर और उठ गई।
ललित ने अपने बैग से तेल की शीशी, जेली का ट्यूब, छोटा तौलिया और “घनश्यामलंड” को निकाला और पास की मेज़ पर रख दिया। सुषमा का मुँह तकिये में छुपा था और शायद उसकी आँखें बंद थीं। वह जानती थी कि क्या होने वाला है और वह ललित की खातिर कोई भी दर्द सहने के लिए तैयार थी।
ललित ने नारियल के तेल से सुषमा के चूतड़ों की मालिश शुरू की। सुषमा की मांस पेशियाँ जो कसी हुईं थीं उन्हें धीरे धीरे ढीला किया और उसके बदन से टेंशन दूर करने लगा। उसके हाथ कई बार उसकी चूत के इर्द गिर्द और उसके अन्दर भी आने जाने लगे थे। सुषमा को आराम भी मिल रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
इस तरह मालिश करते करते ललित ने सुषमा की गांड के छेद के आस पास भी ऊँगली घुमाना शुरू किया और अच्छी तरह तेल से गांड को गीला कर दिया। अब उसने अपनी तर्जनी ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश की। ऊँगली गांड में थोड़ी सी घुस गई तो सुषमा थोड़ी सी हिल गई।
ललित ने पूछा- कैसा लग रहा है?
तो सुषमा ने कहा- अच्छा !
उसने कहा की अब वह ऊँगली पूरी अन्दर करने की कोशिश करेगा और सुषमा को इस तरह जोर लगाना चाहिए जैसे वह शौच के वक़्त लगाती है। इससे गांड का छेद अपने आप ढीला और बड़ा हो जायेगा। सुषमा ने वैसा ही किया और ललित की एक ऊँगली उसकी गांड में पूरी चली गई।
ललित ने कोई और हरकत नहीं की और ऊँगली को कुछ देर अन्दर ही रहने दिया। फिर उसने सुषमा से पूछा- कैसा लग रहा है?
सुषमा ने कहा- ठीक है।
तो ललित ने धीरे से अपनी ऊँगली बाहर निकाल ली।
अब उसने अपनी ऊँगली पर जेली अच्छी तरह से लगा ली और सुषमा की गांड के बाहर और करीब आधा इंच अन्दर तक अच्छी तरह से जेली मल दी। अब उसने सुषमा से कहा कि जब वह ऊँगली अन्दर की तरफ डालने की कोशिश करे उसी वक़्त सुषमा को शौच वाला जोर लगाना चाहिए। जब दोनों ने ऐसा किया तो ऊँगली बिना ज्यादा मुश्किल के अन्दर चली गई।
ललित ने ऊँगली अन्दर ही अन्दर घुमाई और बाहर निकल ली। अब उसने अपनी दो उँगलियों पर जेली लगाई और वही क्रिया दोहराई। दो उँगलियों के अन्दर जाने में सुषमा को थोड़ी तकलीफ हुई पर ज्यादा दर्द नहीं हुआ।
ललित हर कदम पर सुषमा से उसके दर्द के बारे में पूछता रहता था। उसने इसीलिए अपनी उँगलियों के नाखून काट कर फाइल कर लिए थे वरना सुषमा को अन्दर से कट लग सकता था…
ललित २-३ मिनटों में ही बेहाल हो गया और उसकी पिचकारी सुषमा की चूत में चूत गई। ललित की यही एक कमजोरी थी कि पहली बार उसका काम बहुत जल्दी तमाम हो जाता था। पर दूसरी और तीसरी बार जब वह सम्भोग करता था तो काफी देर तक डटा रह सकता था।
उसने लंड बाहर निकाला और सुषमा को माथे पर पुच्ची करके बाथरूम चला गया। अपना लंड धो कर वह वापस आ गया। सुषमा जब कुछ देर के लिए बाथरूम गई तो ललित ने एक गोली खा ली। शाम के ६ बज रहे थे। अभी भी उसके पास करीब २ घंटे थे। जब सुषमा वापस आई तो ललित ने उससे पूछा कि वह कितनी देर और रुक सकती है।
सुषमा ने भी अपने पति से देर से आने की बात कह दी थी सो उसे भी कोई जल्दी नहीं थी। तो ललित ने सोचा की शायद आज ही उसकी बरसों की मनोकामना पूरी हो जायेगी। उसने सुषमा से पूछा वह उस से कितना प्यार करती है।
सुषमा ने कहा- इम्तिहान ले कर देख लो !!
ललित ने कहा- कितना दर्द सह सकती हो?
सुषमा ने कहा- जब औरत बच्चे को जन्म दे सकती है तो बाकी दर्द की क्या बात !!
यह सुन कर ललित खुश हो गया और सुषमा को बिस्तर पर उल्टा लेटने के लिए बोला। सुषमा एक अच्छी लड़की की तरह झट से उलटा लेट गई। ललित ने उसके पेट के नीचे एक मोटा तकिया लगा दिया जिस से उसकी गांड ऊपर की ओर और उठ गई।
ललित ने अपने बैग से तेल की शीशी, जेली का ट्यूब, छोटा तौलिया और “घनश्यामलंड” को निकाला और पास की मेज़ पर रख दिया। सुषमा का मुँह तकिये में छुपा था और शायद उसकी आँखें बंद थीं। वह जानती थी कि क्या होने वाला है और वह ललित की खातिर कोई भी दर्द सहने के लिए तैयार थी।
ललित ने नारियल के तेल से सुषमा के चूतड़ों की मालिश शुरू की। सुषमा की मांस पेशियाँ जो कसी हुईं थीं उन्हें धीरे धीरे ढीला किया और उसके बदन से टेंशन दूर करने लगा। उसके हाथ कई बार उसकी चूत के इर्द गिर्द और उसके अन्दर भी आने जाने लगे थे। सुषमा को आराम भी मिल रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
इस तरह मालिश करते करते ललित ने सुषमा की गांड के छेद के आस पास भी ऊँगली घुमाना शुरू किया और अच्छी तरह तेल से गांड को गीला कर दिया। अब उसने अपनी तर्जनी ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश की। ऊँगली गांड में थोड़ी सी घुस गई तो सुषमा थोड़ी सी हिल गई।
ललित ने पूछा- कैसा लग रहा है?
तो सुषमा ने कहा- अच्छा !
उसने कहा की अब वह ऊँगली पूरी अन्दर करने की कोशिश करेगा और सुषमा को इस तरह जोर लगाना चाहिए जैसे वह शौच के वक़्त लगाती है। इससे गांड का छेद अपने आप ढीला और बड़ा हो जायेगा। सुषमा ने वैसा ही किया और ललित की एक ऊँगली उसकी गांड में पूरी चली गई।
ललित ने कोई और हरकत नहीं की और ऊँगली को कुछ देर अन्दर ही रहने दिया। फिर उसने सुषमा से पूछा- कैसा लग रहा है?
सुषमा ने कहा- ठीक है।
तो ललित ने धीरे से अपनी ऊँगली बाहर निकाल ली।
अब उसने अपनी ऊँगली पर जेली अच्छी तरह से लगा ली और सुषमा की गांड के बाहर और करीब आधा इंच अन्दर तक अच्छी तरह से जेली मल दी। अब उसने सुषमा से कहा कि जब वह ऊँगली अन्दर की तरफ डालने की कोशिश करे उसी वक़्त सुषमा को शौच वाला जोर लगाना चाहिए। जब दोनों ने ऐसा किया तो ऊँगली बिना ज्यादा मुश्किल के अन्दर चली गई।
ललित ने ऊँगली अन्दर ही अन्दर घुमाई और बाहर निकल ली। अब उसने अपनी दो उँगलियों पर जेली लगाई और वही क्रिया दोहराई। दो उँगलियों के अन्दर जाने में सुषमा को थोड़ी तकलीफ हुई पर ज्यादा दर्द नहीं हुआ।
ललित हर कदम पर सुषमा से उसके दर्द के बारे में पूछता रहता था। उसने इसीलिए अपनी उँगलियों के नाखून काट कर फाइल कर लिए थे वरना सुषमा को अन्दर से कट लग सकता था…
Re: घनश्यामलंड Ghanshyam Land
एक दो बार जब दो उँगलियों से गांड में प्रवेश की क्रिया ठीक से होने लगी तो उसने दो उँगलियों को गांड के अन्दर घुमाना शुरू किया जिस से गांड का छेद और ढीला हो सके।
इसके बाद उसने “घनश्यामलंड” को निकाला और उसके अगले ४-५ इंच को अच्छी तरह जेली से लेप दिया। सुषमा की गांड के छेद के इर्द गिर्द और अन्दर भी अच्छे से जेली लगा दी। अब ललित ने सुषमा की टांगें थोड़ी और चौड़ी कर दी और घनश्यामलंड को उसकी गांड के छेद पर रख दिया। दूसरे हाथ से वह उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। घनश्यामलंड का स्पर्श सुषमा को ठंडा लगा और उसकी गांड यकायक टाइट हो गई।
उसने पलट कर देखा तो घनश्यामलंड को देख कर आश्चर्यचकित रह गई। उसने ऐसा यन्त्र पहले नहीं देखा था। ललित ने बताया कि इसे उसने खुद ही बनाया है और इसको इस्तेमाल करके वह सुषमा के दर्द को कम करेगा। उसने यह भी बताया कि इस यन्त्र का नाम “घनश्यामलंड” है। नाम सुन कर सुषमा को हंसी आ गई।
ललित ने आश्वासन के तौर पर उसकी पीठ थपथपाई और फिर से उलटे लेट जाने को कहा। उसने सुषमा को याद दिलाया की किस तरह (शौच की तरह) उसे अपनी गांड ढीली करनी है जिस से घनश्यामलंड गांड में जा सके। सुषमा ने सिर हिला कर सहयोग करने का इशारा किया।
अब ललित ने कहा कि तीन की गिनती पर वह घनश्यामलंड को अन्दर करेगा। सुषमा तैयार हो गई पर अनजाने में फिर उसकी गांड टाइट हो गई। ललित ने उसे घबराने से मना किया और उसकी चूत, पीठ तथा चूतड़ों पर प्यार से हाथ सहलाने लगा।
उसने कहा- जल्दबाजी की कोई ज़रुरत नहीं है। अगर तुम तैयार नहीं हो तो किसी और दिन करेंगे।
सुषमा ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है और मैं तैयार हूँ !
ललित ने कहा “ओ के, अब मैं तीन गिनूंगा तुम तीन पर अपनी गांड ढीली करना”।
सुषमा ने चूतड़ हिला कर हाँ का इशारा किया। ललित ने एक, दो, तीन कहते हुए तीन पर घनश्यामलंड को गांड के छेद में डालने के लिए जोर लगाया। पर सुषमा की कुंवारी गांड घनश्यामलंड की चौड़ाई के लिए तैयार नहीं थी सो घनश्यामलंड अपने निशाने से फिसल गया और जेली के कारण बाहर आ गया। ललित की हंसी चूत गई और सुषमा भी मुस्करा कर पलट गई।
ललित ने कहा- कोई बात नहीं, एक बार फिर कोशिश करते हैं।
उसने घनश्यामलंड के सुपारे पर थोड़ी और जेली लगाई और एक-दो-तीन कह कर फिर से कोशिश की। इस बार घनश्यामलंड करीब आधा इंच अन्दर चला गया। सुषमा के मुँह से एक हलकी सी आवाज़ निकली।
ललित ने एकदम घनश्यामलंड को बाहर निकाल कर सुषमा से पूछा कि कैसा लगा? दर्द बहुत हुआ क्या?
सुषमा ने पलट कर उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी की और कहा- तुम मेरा इतना ध्यान रख रहे हो तो मुझे दर्द कैसे हो सकता है !! अब मेरे बारे में सोचना बंद करो और घनश्यामलंडजी को अन्दर डालो।
यह सुनकर ललित का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और घनश्यामलंड पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार घनश्यामलंड अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और सुषमा ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी। ललित ने घनश्यामलंड को अन्दर ही रहने दिया और सुषमा की पीठ सहलाने लगा। उसने सुषमा को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है।
थोड़ी देर बाद ललित ने सुषमा को बताया कि अब वह घनश्यामलंड को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे घनश्यामलंड को बाहर खींच लिया। उसने सुषमा से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो सुषमा ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया।
ललित ने सुषमा को आगाह किया कि इस बार वह घनश्यामलंड को और अन्दर करेगा और अगर सुषमा को तकलीफ नहीं हुई तो घनश्यामलंड से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। सुषमा ने कहा वह तैयार है।
पर ललित ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर घनश्यामलंड को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। सुषमा थोड़ा कसमसाई क्योंकि घनश्यामलंडजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे। ललित ने सुषमा को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि सुषमा को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि घनश्यामलंड अन्दर जा रहा है।
यह कह कर उसने घनश्यामलंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। हर बार जब घनश्यामलंड को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे घनश्यामलंड धीरे धीरे अब करीब ६ इंच तक अन्दर पहुँच गया था। सुषमा को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था। ललित ने सुषमा की परीक्षा लेने के लिए अचानक घनश्यामलंड को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। सुषमा चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर घनश्यामलंड को अपने अन्दर ले लिया। ललित सुषमा की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने सुषमा की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी।
इसके बाद उसने “घनश्यामलंड” को निकाला और उसके अगले ४-५ इंच को अच्छी तरह जेली से लेप दिया। सुषमा की गांड के छेद के इर्द गिर्द और अन्दर भी अच्छे से जेली लगा दी। अब ललित ने सुषमा की टांगें थोड़ी और चौड़ी कर दी और घनश्यामलंड को उसकी गांड के छेद पर रख दिया। दूसरे हाथ से वह उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। घनश्यामलंड का स्पर्श सुषमा को ठंडा लगा और उसकी गांड यकायक टाइट हो गई।
उसने पलट कर देखा तो घनश्यामलंड को देख कर आश्चर्यचकित रह गई। उसने ऐसा यन्त्र पहले नहीं देखा था। ललित ने बताया कि इसे उसने खुद ही बनाया है और इसको इस्तेमाल करके वह सुषमा के दर्द को कम करेगा। उसने यह भी बताया कि इस यन्त्र का नाम “घनश्यामलंड” है। नाम सुन कर सुषमा को हंसी आ गई।
ललित ने आश्वासन के तौर पर उसकी पीठ थपथपाई और फिर से उलटे लेट जाने को कहा। उसने सुषमा को याद दिलाया की किस तरह (शौच की तरह) उसे अपनी गांड ढीली करनी है जिस से घनश्यामलंड गांड में जा सके। सुषमा ने सिर हिला कर सहयोग करने का इशारा किया।
अब ललित ने कहा कि तीन की गिनती पर वह घनश्यामलंड को अन्दर करेगा। सुषमा तैयार हो गई पर अनजाने में फिर उसकी गांड टाइट हो गई। ललित ने उसे घबराने से मना किया और उसकी चूत, पीठ तथा चूतड़ों पर प्यार से हाथ सहलाने लगा।
उसने कहा- जल्दबाजी की कोई ज़रुरत नहीं है। अगर तुम तैयार नहीं हो तो किसी और दिन करेंगे।
सुषमा ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है और मैं तैयार हूँ !
ललित ने कहा “ओ के, अब मैं तीन गिनूंगा तुम तीन पर अपनी गांड ढीली करना”।
सुषमा ने चूतड़ हिला कर हाँ का इशारा किया। ललित ने एक, दो, तीन कहते हुए तीन पर घनश्यामलंड को गांड के छेद में डालने के लिए जोर लगाया। पर सुषमा की कुंवारी गांड घनश्यामलंड की चौड़ाई के लिए तैयार नहीं थी सो घनश्यामलंड अपने निशाने से फिसल गया और जेली के कारण बाहर आ गया। ललित की हंसी चूत गई और सुषमा भी मुस्करा कर पलट गई।
ललित ने कहा- कोई बात नहीं, एक बार फिर कोशिश करते हैं।
उसने घनश्यामलंड के सुपारे पर थोड़ी और जेली लगाई और एक-दो-तीन कह कर फिर से कोशिश की। इस बार घनश्यामलंड करीब आधा इंच अन्दर चला गया। सुषमा के मुँह से एक हलकी सी आवाज़ निकली।
ललित ने एकदम घनश्यामलंड को बाहर निकाल कर सुषमा से पूछा कि कैसा लगा? दर्द बहुत हुआ क्या?
सुषमा ने पलट कर उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी की और कहा- तुम मेरा इतना ध्यान रख रहे हो तो मुझे दर्द कैसे हो सकता है !! अब मेरे बारे में सोचना बंद करो और घनश्यामलंडजी को अन्दर डालो।
यह सुनकर ललित का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और घनश्यामलंड पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार घनश्यामलंड अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और सुषमा ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी। ललित ने घनश्यामलंड को अन्दर ही रहने दिया और सुषमा की पीठ सहलाने लगा। उसने सुषमा को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है।
थोड़ी देर बाद ललित ने सुषमा को बताया कि अब वह घनश्यामलंड को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे घनश्यामलंड को बाहर खींच लिया। उसने सुषमा से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो सुषमा ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया।
ललित ने सुषमा को आगाह किया कि इस बार वह घनश्यामलंड को और अन्दर करेगा और अगर सुषमा को तकलीफ नहीं हुई तो घनश्यामलंड से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। सुषमा ने कहा वह तैयार है।
पर ललित ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर घनश्यामलंड को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। सुषमा थोड़ा कसमसाई क्योंकि घनश्यामलंडजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे। ललित ने सुषमा को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि सुषमा को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि घनश्यामलंड अन्दर जा रहा है।
यह कह कर उसने घनश्यामलंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। हर बार जब घनश्यामलंड को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे घनश्यामलंड धीरे धीरे अब करीब ६ इंच तक अन्दर पहुँच गया था। सुषमा को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था। ललित ने सुषमा की परीक्षा लेने के लिए अचानक घनश्यामलंड को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। सुषमा चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर घनश्यामलंड को अपने अन्दर ले लिया। ललित सुषमा की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने सुषमा की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी।
Re: घनश्यामलंड Ghanshyam Land
अब वह घनश्यामलंड से उसकी गांड चोद रहा था और अपनी उँगलियों से उसकी चूत के मटर को सहला रहा था जिससे सुषमा उत्तेजित हो रही थी और अपने बदन को ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर बाद ललित ने घनश्यामलंड को धीरे से बाहर निकाला और सुषमा को पलटने को कहा। उसने सुषमा के पेट और मम्मों को पुच्चियाँ करते हुआ कहा कि उसके हिसाब से वह गांड मरवाने के लिए तैयार है।
सुषमा ने कहा- हाँ, मैं तैयार हूँ पर ललित के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह जनाब तो तैयार नहीं हैं, लाओ इन्हें मैं तैयार करूँ।
शाम के सात बज रहे थे। अभी एक घंटा और बचा था। सुषमा की उत्सुकता देख कर उसका मन भी गांड मारने के लिए डोल उठा। उसके लंड पर सुषमा की जीभ घूम रही थी और उसके हाथ ललित के अण्डों को टटोल रहे थे। साथ ही साथ गोली का असर भी हो रहा था।
थोड़ी ही देर में ललित का लंड ज़ंग के लिए तैयार हो गया। पहली बार गांड में घुसने की उम्मीद में वह कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया था। सुषमा ने उसके सुपारे को चुम्बन दिया और ललित के इशारे पर पहले की तरह उलटी लेट गई। ललित ने उसके कूल्हे थोड़े और ऊपर की ओर उठाये और टांगें और खोल दी। सुषमा का सिर उसने तकिये पर रखने को कहा और छाती को बिस्तर पर सटा दिया। अब उसने सुषमा की गांड की अन्दर बाहर जेली लगा दी और अपने लंड पर भी उसका लेप कर दिया। ललित ने पीछे से आ कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और सुषमा को पूछा कि क्या
सुषमा तो तैयार ही थी। ललित ने धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने के लिए ज़ोर लगाया पर कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर सुपारे को छेद की सीध में रखते हुए ज़ोर लगाया तो लंड झक से फिसल गया और चूत की तरफ चला गया। ललित ने एक बार कोशिश की पर जब लंड फिर भी नहीं घुसा तो उसने फिर से घनश्यामलंड का सहारा लिया। घनश्यामलंड को जेली लगा कर फिर से कोशिश की तो घनश्यामलंड आराम से अन्दर चला गया। घनश्यामलंड से उसकी गांड को ढीला करने के बाद एक और बार ललित ने अपने लंड से कोशिश की।
पर उसका लंड घनश्यामलंड से थोड़ा बड़ा था और वह सुषमा को दर्द नहीं पहुँचाना चाहता था शायद इसीलिए वह ठीक से ज़ोर नहीं लगा रहा था। सुषमा ने मुड़ कर ललित की तरफ देखा और कहा- मेरी चिंता मत करो। मुझे अभी तक दर्द नहीं हुआ है। तुम थोड़ा और ज़ोर लगाओ और मैं भी मदद करूंगी।
ललित को और हिम्मत मिली और इस बार उसने थोड़ा और ज़ोर लगाया। उधर सुषमा ने भी अपनी गांड को ढीला करते हुए पीछे की तरफ ज़ोर लगाया। अचानक ललित का लंड करीब एक इंच अन्दर चला गया। पर इस बार सुषमा की चीख निकल गई। इतनी तैयारी करने के बाद भी ललित के लंड के प्रवेश ने सुषमा को हिला दिया।
ललित को चिंता हुई तो सुषमा ने कहा- अब मत रुकना।
ललित ने लंड का जो हिस्सा बाहर था उस पर और जेली लगाई और लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर एक और ज़ोर लगाया।
सुषमा ने भी पीछे के तरफ ज़ोर लगाया और ललित का लंड लगभग पूरी तरह अन्दर चला गया। सुषमा थोड़ा सा हिली पर फिर संभल गई। ललित से ज़्यादा सुषमा के कारण उन्हें यह सफलता मिली थी।
अब ललित को अचानक अपनी सफलता का अहसास हुआ। उसका लंड इतनी टाइट सुरंग में होगा उसको अंदाजा नहीं था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। ख़ुशी के कारण उसका लंड शायद और भी फूल रहा था जिस से उसकी टाइट गांड और भी टाइट लग रही थी।
थोड़ी देर इस तरह रुकने के बाद उसने अपने लंड को हरकत देनी शुरू की। उसका लंड तो चूत का आदि था जिसमें अन्दर बाहर करना आसान होता है। गांड की और बात है। इस टाइट गुफा में जब उसने लंड बाहर करने की कोशिश की तो ऐसा लगा मानो सुषमा की गांड लंड को अपने से बाहर जाने ही नहीं देना चाहती। फिर भी ललित ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जितना बाहर निकला उस हिस्से पर जेली और लगा ली। अब धीरे धीरे उसने अन्दर बाहर करना शुरू किया। बाहर करते वक़्त थोड़ा तेज़ और अन्दर करते वक़्त धीरे-धीरे की रफ्तार रखने लगा।
उसने सुषमा से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो सुषमा ने बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की। उसे वाकई बहुत मज़ा आ रहा था। उसने ललित को और ज़ोर से चोदने के लिए कहा। ललित ने अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड लगभग पूरा अन्दर बाहर होने लगा।…………….
ललित की तेज़ गति के कारण एक बार उसका लंड पूरा ही बाहर आ गया। अब वह इतनी आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था जितना चूत में चला जाता है। उसने फिर से गांड में और लंड पर जेली लगाई और फिर पूरी सावधानी से लंड को अन्दर डाला। एक बार फिर सुषमा की आह निकली पर लंड अन्दर जा चुका था। ललित ने फिर से चोदना शुरू किया। उसके लंड को गांड की कसावट बहुत अच्छी लग रही थी और उसे सुषमा के पिछले शरीर का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था।
सुषमा ने कहा- हाँ, मैं तैयार हूँ पर ललित के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह जनाब तो तैयार नहीं हैं, लाओ इन्हें मैं तैयार करूँ।
शाम के सात बज रहे थे। अभी एक घंटा और बचा था। सुषमा की उत्सुकता देख कर उसका मन भी गांड मारने के लिए डोल उठा। उसके लंड पर सुषमा की जीभ घूम रही थी और उसके हाथ ललित के अण्डों को टटोल रहे थे। साथ ही साथ गोली का असर भी हो रहा था।
थोड़ी ही देर में ललित का लंड ज़ंग के लिए तैयार हो गया। पहली बार गांड में घुसने की उम्मीद में वह कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया था। सुषमा ने उसके सुपारे को चुम्बन दिया और ललित के इशारे पर पहले की तरह उलटी लेट गई। ललित ने उसके कूल्हे थोड़े और ऊपर की ओर उठाये और टांगें और खोल दी। सुषमा का सिर उसने तकिये पर रखने को कहा और छाती को बिस्तर पर सटा दिया। अब उसने सुषमा की गांड की अन्दर बाहर जेली लगा दी और अपने लंड पर भी उसका लेप कर दिया। ललित ने पीछे से आ कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और सुषमा को पूछा कि क्या
सुषमा तो तैयार ही थी। ललित ने धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने के लिए ज़ोर लगाया पर कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर सुपारे को छेद की सीध में रखते हुए ज़ोर लगाया तो लंड झक से फिसल गया और चूत की तरफ चला गया। ललित ने एक बार कोशिश की पर जब लंड फिर भी नहीं घुसा तो उसने फिर से घनश्यामलंड का सहारा लिया। घनश्यामलंड को जेली लगा कर फिर से कोशिश की तो घनश्यामलंड आराम से अन्दर चला गया। घनश्यामलंड से उसकी गांड को ढीला करने के बाद एक और बार ललित ने अपने लंड से कोशिश की।
पर उसका लंड घनश्यामलंड से थोड़ा बड़ा था और वह सुषमा को दर्द नहीं पहुँचाना चाहता था शायद इसीलिए वह ठीक से ज़ोर नहीं लगा रहा था। सुषमा ने मुड़ कर ललित की तरफ देखा और कहा- मेरी चिंता मत करो। मुझे अभी तक दर्द नहीं हुआ है। तुम थोड़ा और ज़ोर लगाओ और मैं भी मदद करूंगी।
ललित को और हिम्मत मिली और इस बार उसने थोड़ा और ज़ोर लगाया। उधर सुषमा ने भी अपनी गांड को ढीला करते हुए पीछे की तरफ ज़ोर लगाया। अचानक ललित का लंड करीब एक इंच अन्दर चला गया। पर इस बार सुषमा की चीख निकल गई। इतनी तैयारी करने के बाद भी ललित के लंड के प्रवेश ने सुषमा को हिला दिया।
ललित को चिंता हुई तो सुषमा ने कहा- अब मत रुकना।
ललित ने लंड का जो हिस्सा बाहर था उस पर और जेली लगाई और लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर एक और ज़ोर लगाया।
सुषमा ने भी पीछे के तरफ ज़ोर लगाया और ललित का लंड लगभग पूरी तरह अन्दर चला गया। सुषमा थोड़ा सा हिली पर फिर संभल गई। ललित से ज़्यादा सुषमा के कारण उन्हें यह सफलता मिली थी।
अब ललित को अचानक अपनी सफलता का अहसास हुआ। उसका लंड इतनी टाइट सुरंग में होगा उसको अंदाजा नहीं था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। ख़ुशी के कारण उसका लंड शायद और भी फूल रहा था जिस से उसकी टाइट गांड और भी टाइट लग रही थी।
थोड़ी देर इस तरह रुकने के बाद उसने अपने लंड को हरकत देनी शुरू की। उसका लंड तो चूत का आदि था जिसमें अन्दर बाहर करना आसान होता है। गांड की और बात है। इस टाइट गुफा में जब उसने लंड बाहर करने की कोशिश की तो ऐसा लगा मानो सुषमा की गांड लंड को अपने से बाहर जाने ही नहीं देना चाहती। फिर भी ललित ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जितना बाहर निकला उस हिस्से पर जेली और लगा ली। अब धीरे धीरे उसने अन्दर बाहर करना शुरू किया। बाहर करते वक़्त थोड़ा तेज़ और अन्दर करते वक़्त धीरे-धीरे की रफ्तार रखने लगा।
उसने सुषमा से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो सुषमा ने बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की। उसे वाकई बहुत मज़ा आ रहा था। उसने ललित को और ज़ोर से चोदने के लिए कहा। ललित ने अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड लगभग पूरा अन्दर बाहर होने लगा।…………….
ललित की तेज़ गति के कारण एक बार उसका लंड पूरा ही बाहर आ गया। अब वह इतनी आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था जितना चूत में चला जाता है। उसने फिर से गांड में और लंड पर जेली लगाई और फिर पूरी सावधानी से लंड को अन्दर डाला। एक बार फिर सुषमा की आह निकली पर लंड अन्दर जा चुका था। ललित ने फिर से चोदना शुरू किया। उसके लंड को गांड की कसावट बहुत अच्छी लग रही थी और उसे सुषमा के पिछले शरीर का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था।