हिन्दी में मस्त कहानियाँ
Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ
गंगा लेट गये. एक ओर में बैठी दूसरी ओर माधवी. परेश बगल में खड़ा देखने लगा.
एक हाथ में लॉडा पकड़ कर मेने कहा :ये है दंडी, ये है मत्था. यूँ तो मत्था टोपी से ढका रहता है. चूत में घुसते वक्त टोपी उपर चढ़ जाती है और नंगा मत्था चूत की दीवारों साथ घिस पाता है. ये जगह जहाँ टोपी मत्थे से चिपकी हुई है उस को फ्रेनम बोलते हैं. लड़की की क्लाइटॉरिस की तरह फ्रेनम भी बहुत सेन्सिटिव है. ये है लंड का मुँह जहाँ से पिसाब और वीर्य निकल पाता है.
लंड की टोपी उपर नीचे कर के में आगे बोली : मूठ मारते वक्त टोपी से काम लेते हैं. लंड मुँह में भी लिया जाता है. देख, ऐसे.....
मेने लंड का मत्था मुँह में लिया और चूसा. तुरंत वो अकड़ ने लगा.
माधवी : में पकडू ?
गंगाधर : ज़रूर पकडो. दिल चाहे तो मुँह में भी ले सकती हो.
आधा तना हुआ लंड माधवी ने हाथ में लिया कि वो पूरा तन गया. उस की अकड़ाई देख माधवी को हसी आ गयी. वो बोली : मेरे हाथ में गुदगुदी होती है.
मेने लंड मुँह से निकाला और कहा : मुँह में ले, मज़ा आएगा.
सर झुका कर डरते डरते माधवी ने लंड मुँह में लिया. मेने कहा : कुच्छ करना नहीं, जीभ और ताल्लू के बीच मत्था दबाए रक्ख. जब वो ठुमक लगाए तब चूसना शुरू कर देना.
माधवी स्थिर हो गयी.
परेश ये सब देख रहा था और मूठ मार रहा था. वो बोला : भाभी, में माधो की चुचियाँ पकडू ? मुझे बहुत अच्छि लगती है.
गंगाधर : हलके हाथ से पकड़ और धीरे से सहला, दाबना मत. स्तन अभी कच्चे हैं, दबाने से दर्द होगा.
माधवी गंगा का लंड मुँह में लिए आगे झुकी थी. परेश उस के पिछे खड़ा हो गया. हथेलिओं में दोनो स्तन भर के सहलाने लगा. वो बोला : भाभी, माधो के स्तन कड़े हैं और निपल्स भी छ्होटी छ्होटी है. तेरे स्तन इन से बड़े हैं और निपल्स भी बड़ी हैं.
में बगल में खड़ी थी. मेरा एक हाथ परेश का लंड पकड़े मूठ मार रहा था. दूसरा हाथ माधवी की क्लाइटॉरिस से खेल रहा था. क्लाइटॉरिस के स्पंदन से मुझे पता चला कि माधवी बहुत उत्तेजित हो गयी थी और दूसरे ऑर्गॅज़म के लिए तैयार थी अचानक मुँह से लन्ड़ निकाल कर वो खड़ी हो गयी. अपने हाथ से भोस रगड़ती हुई बोली : बड़े भैया, चोद डालो मुझे, वारना में मर जाउन्गि.
गंगा : पगली, तू अभी कम उमर की है.
माधवी : देखिए, में सोलह साल की हूँ लेकिन मेरी चूत पूरी विकसित है और लंड लेने के काबिल है. भाभी, तुम ने पहली बार चुदवाया तब तुम भी सोलह साल की ही थी ना ?
गंगा : फिर भी, तू मेरी छ्होटी बहन है
माधवी : सही, लेकिन आप चाहते हैं कि में किसी ऑर के पास जाउ और चुदवाउ ?
गंगा : बेटे, चाहे कुच्छ कहो, तेरे माई बाप क्या कहेंगे हमें ?
माधवी ने गुस्से में पाँव पतके और बोली : अच्च्छा, तो में चलती हूँ घर को. परेश, चल. घर जा के तू मुझे चोद लेना.
गंगा : अरी पगली, ज़रा सोच विचार कर आगे चल.
मुँह लटकाए वो बोली : भाभी ने परेश को चोदने दिया क्यूँ कि वो लड़का है. मेरा क्या कसूर ? मुझ से अब रहा नहीं जाता. परेश ना बोलेगा तो किसी नौकर से चुदवा लूँगी.
माधवी रोने लगी. मेने उसे शांत किया और कहा : घर जाने की ज़रूरत नहीं है इतनी रात को. तेरे भैया तुम्हे ज़रूर चोदेन्गे
इतने में फिर से दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई. फटा फट ताश खेलते हों ऐसा महॉल बना दिया. मेने जा कर दरवाजा खोला. सामने चाची खड़ी थी. अंदर आ कर उस ने दरवाजा बंद किया और बोली : सब ठीक तो है ना ?
में : वो आ गये हैं. उन दोनो ने काफ़ी कुच्छ देख लिया है. एक मुसीबत है लेकिन.
चाची : क्या मुसीबत है ?
में : परेश से तो वो...वो...करवा लिया, समझ गयी ना ? अब माधवी भी माँग रही है.
चाची : तो परेशानी किस बात की है ? तुझे तो मालूम होगा कि गंगाधर झिल्ली तोड़ने में कैसा है.
में : उन की हुशियारी की बात ही ना करें. कौन जाने कहाँ से सीख आए है तकनीक.
चाची : बस तो में चलती हूँ. गंगाधर से कहना कि सब्र से काम ले.
चाची चली गयी. में अंदर आई तो देखा कि माधवी गंगा से लिपटी हुई लेटी थी. उस की एक जाँघ सीधी थी, दूसरी गंगा के पेट पर पड़ी थी. उस की भोस गंगा के लंड साथ सटी हुई थी. उन के मुँह फ्रेंच किस मे जुड़ गये थे. गंगा का हाथ माधवी की पीठ और नितंब सहला रहा था. कुर्सी में बैठा परेश देख रहा था और मूठ मार रहा था. अब निश्चित था कि क्या होनेवाला था. मेने इशारे से गंगा को आगे बढ़ने का संकेत दे दिया. में परेश के पास गयी. उस को उठा कर में कुर्सी में बैठ गयी और उस को गोद में ऐसे बिठाया कि हम गंगा और माधवी को देख सके. परेश का लंड मेने जंघें चौड़ी कर चूत में ले लिया.
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उधर चित लेटे हुए गंगा पर माधवी सवार हो गयी थी, जैसे घोड़े पर. गंगा का लंड सीधा पेट पर पड़ा था. चौड़ी की हुई जांघों के बीच माधवी की भोस लंड के साथ सॅट गयी थी. चूत में पैठे बिना लंड भोस की दरार में फिट बैठ गया था. अपने नितंब आगे पिछे कर के माधवी अपनी भोस लंड से घिस रही थी. माधवी के हर धक्के पर उस की क्लाइटॉरिस लंड से रगड़ी जा रही थी और लंड की टोपी चढ़ उतर होती रहती थी. भोस और लंड काम रस से तर-ब-तर हो गये थे. वो गंगा के सीने पर बाहें टिका कर आगे झुकी हुई थी और आँखें बंद किए सिसकारियाँ ले रही थी. गंगा उस के स्तन सहला रहे थे और कड़ी निपल्स को मसल रहे थे.
थोड़ी देर में वो थक गयी. गंगा के सीने पर गिर पड़ी. अपनी बाहों में उसे जाकड़ कर गंगा पलटे और उपर आ गये. माधवी ने जांघें चौड़ी कर अपने पाँव गंगा की कमर से लिपटाए, बाहें गले से लिपताई. भोस की दरार में सीधा लंड रख कर गंगा धक्के देने लगे, चूत में लंड डाले बिना. माधवी की क्लाइटॉरिस अच्छि तरह रगड़ी गयी तब वो छटपटाने लगी.
गंगा बोले : माधवी बिटिया, ये आखरी घड़ी है. अभी भी समय है. ना कहे तो उतर जाउ.
माधवी बोली नहीं. गंगा को जोरों से जाकड़ लिया. वो समझ गये. गंगा अब बैठ गये. टोपी उतार कर लंड का मत्था धक दिया. एक हाथ से भोस के होठ चौड़े किए और दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर चूत के मुँह पर रख दिया. एक हलका दबाव दिया तो मत्था सरकता हुआ चूत में घुसा और योनि पटल तक जा कर रुक गया. गंगा रुके. लंड पकड़ कर गोल गोल घुमाया, हो सके इतना अंदर बाहर किया. चूत का मुँह ज़रा खुला और लंड का मत्था आसानी से अंदर आने जाने लगा. अब लंड को चूत के मुँह में फसा कर गंगा ने लंड छ्चोड़ दिया और वो माधवी उपर लेट गये. उस ने महावी का मुँह फ्रेंच किस से सील कर दिया, दोनो हाथ से नितंब पकड़े और कमर का एक झटका ऐसा मारा कि झिल्ली तोड़ आधा लंड चूत में घुस गया. दर्द से माधवी छ्टपटाई और उस के मुँह से चीख निकल पड़ी जो गंगा ने अपने मुँह मे झेल ली. गंगा रुक गये.
गंगा को देख परेश भी धक्का लगा ने लगा. हम कुर्सी में थे इसी लिए आधा लंड ही चूत में जा सकता था. परेश को हटा कर में फर्श पर आ गयी और जांघें फैला कर उसे फिर मेरे उपर ले लिया. तेज रफ़्तार से परेश मुझे चोदने लगा.
उधर माधवी शांत हुई तब गंगा ने पुछा : कैसा है अब दर्द? माधवी ने गंगा के कान में कुच्छ कहा जो में सुन नहीं पाई. गंगा ने लेकिन अपनी कमर से उस के पाँव च्छुड़ाए और इतने उपर उठा लिए कि घुटनें कान तक जा पहुँचे. माधवी के नितंब अधर हुए. गंगा की चौड़ी जांघें बीच से माधवी की भोस और उस में फसा हुआ गंगा का लंड साफ दिखने लगे. आधा लंड अब तक बाहर था जो गंगा धीरे धीरे चूत में पेल ने लगे. थोड़ा अंदर थोड़ा बाहर ऐसे करते करते दो चार इंच ज़्यादा अंदर घुस पाया लेकिन पूरा नहीं. अब गंगा ने वो तकनीक आज़माई जो मेरे साथ सुहाग रात को आज़माई थी.
उस ने होल से लंड बाहर खींचा स..र..र..र..र कर के. अकेला मत्था जब अंदर रह गया तब वो रुके. लंड ने ठुमका लगाया तो मत्थे ने ऑर मोटा हो कर चूत का मुँह ज़्यादा चौड़ा कर रक्खा. माधवी को ज़रा दर्द हुआ और उस के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. इस बार गंगा रुके नहीं. स..र.र..र..र..र.र कर के उस ने लंड फिर से चूत में डाला. आखरी दो इंच तो बाकी ही रह गया, जा ना सका. बाद में गंगा ने बताया कि माधवी की चूत पूरा लंड ले सके इतनी गहरी नहीं थी. उस को ज़्यादा दर्द ना लग जाय इसीलिए सावधानी से चोदना ज़रूरी था. ये तो अच्छा हुआ कि माधवी की पहली चुदाई गंगा ने की, वरना चाची की दहशत हक़ीकत में बदल जाती.
यहाँ परेश और में झाड़ चुके थे, परेश का लंड नर्म होता चला था. गंगा हलके, धीर्रे और गहरे धक्के से माधवी को चोदने लगे. माधवी के नितंब डोल ने लगे थे. लंड चूत की पक्फ पुच्च आवाज़ के साथ माधवी की सिसकारियाँ और गंगा की आहें गूँज रही थी.
परेश : भाभी, देख, भोस के होठ कैसे लंड से चिपक गये हैं ? बड़े भैया का लंड मोटा है ना ?
में : देवर्जी, तुम्हारा भी कुच्छ कम नहीं है.
गंगा के धक्के अब अनियमित होते चले थे. स..र..र..र.र की आवाज़ के कभी कभी घच्छ से लंड घुसेड देते थे. लगता था कि गंगा झड़ने के नज़दीक आ गये थे. माधवी लेकिन इतनी तैयार नहीं थी. उस ने खुद रास्ता निकाल लिया. अपने ही हाथ से क्लाइटॉरिस रगड़ डाली और छ्टपटाती हुई झड़ी . गंगा स्थिर थे लेकिन माधवी के चूतड़ ऐसे हिलाते थे कि लंड चूत में आया जाया करता था. माधवी का ऑर्गॅज़म शांत हुआ इस के बाद तेज रफ़्तार से धक्के मार कर गंगा झड़े और उतरे. करवट बदल कर माधवी सो गई. सफाई के बाद हम सब सो गये.
दूसरे दिन जागे तब परेश ने एक ओर चुदाई मागी मूह से. गंगा ने भी अनुरोध किया. में क्या करती ? दस मिनिट की मस्त चुदाई हो गई. परेश की खुशी छुपाए नही छुपति थी . शर्म की मारी माधवी किसी से नज़र मिला नहीं पाती थी. फिर भी गंगा ने उसे बुलाया तो उस के पास चली गयी. गले में बाहें डाल गोद में बैठ गयी. गंगा ने चूम कर पुछा : कैसा है दर्द ? नींद आई बराबर ?
शरमा कर उस ने अपना मुँह छुपा दिया गंगा के सीने में. कान में कुच्छ बोली.
गंगा : ना, अभी नहीं. दो दिन तक कुच्छ नहीं. चूत का घाव ठीक हो जाय इस के बाद.
लेकिन माधवी जैसी हठीली लड़की कहाँ किसी का सुनती है ? वो गंगा का मुँह चूमती रही और लंड टटोलती रही. गंगा भी रहे जवान आदमी, क्या करे बेचारा ? उठा कर वो माधवी को अंदर ले गये और आधे घंटे तक चोदा.
उस रात के बाद वो भाई बहन अक्सर हमारे घर आते रहे और चुदाई का मज़ा लेते रहे. जब स्कूल खुले तब उन्हें शहर में जाना पड़ा. मैं और गंगाधर इंतेज़ार कर रहे हैं कि कब वाकेशन पड़े और वो दोनो घर आए. आख़िर नये नये लंड से चुदवाने में और नयी नयी चूत को चोदने में कोई अनोखा आनंद आता है. है ना ? तो दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
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डॉक्टर रश्मि
दोस्तो कोई भी घटना कभी भी सोची समझी नही होसकती और ना ही मनचाई.. खास कर के सेक्स तो बिल्कुल भी नही... क्योंकि सभी किसी ना किसी से फॅंटसी सेक्स करते है लड़के सोचते है को वो कैटरीना कैफ़ या प्रियंका चोपड़ा को चोदेन्गे या लड़की सोचे कि वो सलमान या अक्षय कुमार से चुदवा ले तो यह फॅंटसी तक तो ठीक है पर हक़ीकत नही... और रियल लाइफ मे भी चुदाई के लिए बहुत आसानी से कोई मिलता भी नही .. यहा तक कि वाइफ भी बिना मनुहार के अपनी चूत चुदवाने को तय्यार नही होती......
दोस्तो मैं हू देव.. आपका अपना देवमूकुंद जिसने आपको पहले अपने कुछ अनुभव पढ़ने के लिए स्टोरी के रूप मे दिए.... अब मेरी उमर 40 टच कर रही है लेकिन आक्टिव सेक्स लाइफ अभी भी जी रहा हू.. मैं अपनी वाइफ और जो भी मिल जाती ही उससे बड़ी ही उम्दा चुदाई कर लेता हू.. मैं सागर का रहने वाला हू.. यह स्टोरी है जब मेरी शादी हुई हुई थी ... मेरी एक फ्रेंड है गिनॅकलजिस्ट डॉक्टर रश्मि(नेम चेंज्ड) की उसी की क्लिनिक मे चुदाई की....
हुआ कुछ यूँ की मेरी शादी लोकल मे ही हुई है.. और मेरी वाइफ एक टीचर की फॅमिली से है तो आप समझ सकते है कि वो कितनी फॉर्वर्ड होगी... मैने अपनी वाइफ को पहली बार अपनी ही शादी मे जैमला के स्टेज पर ही देखा था ध्यान से.... खैर मेरे लंड की साइज़ ज़्यादा लंबी होने से उसकी सील तो टूट गयी और जबरदस्त सुहाग रात तो क्या दिन, सुबहा, शाम सब कुछ बहुत मस्त हुई.... लेकिन मेरे लंड की ठोकरो से मेरी वाइफ जिसने पहले कभी लंड का नाम भी ना सुना हो इस हल्लाबी लंडको अपनी चूत मे घुस्वाकर लंगड़ाकर चलती थी.. पहले कुछ दिन तो वो ठीक से लंगड़ा कर भी ना चल सकी...चूँकि वो नई नई थी तो चुदवाने को भी मना ना कर सकती थी सारे दर्द सहते हुए भी चुपचाप चुदवाती रहती थी मेरे से लेकिन फिर रोती थी और उसकी चूत रोज सूज जाती और उससे रोज थोडा बहुत खून टपकता था....
हम दोनो ने एक दिन बाहर एक शाम साथ गुजारने का फ़ैसला किया उस दिन मैने उससे पूछा की घर मे तो तुम शरमाती हो मेरे से बात करने मे और कमरे मे तुमको देखकर सिर्फ़ तुमको नंगा करके चोद्ते रहने को दिल चाहता है... यहा बताओ तुम खुल कर क्यों नही चुदवाती .. बड़ी मुस्किल से उसने बताया की आपका वो (लंड) बहुत बड़ा है इससे मेरी वो(चूत) मे घाव हो जाता है मुझे यूरिनेशन मे भी दिक्कत होती है.... तभी मैने निर्णय किया की इसको अपनी ज्ञानिक फ्रेंड डॉक्टर.रश्मि के पास ले चलता हू.. मैने उसे फोन किया वो क्लिनिक पर ही थी.. उसने मुझे टाइम दे दिया... और कहा डिन्नर साथ मे ही करेंगे...
हम फिक्स्ड टाइम पर उसकी क्लिनिक पर पहुचे ड्र.रश्मि वैसे तो मेरे से उमर मे बड़ी थी उस समय उनकी उमर 35-38 की रही होगी और मेरी 28 की थी... लेकिन मैं वॉलंटियियर्ली ब्लड डोनेट करता था और मज़लूम की मदद करता था इसलिए मेरी उससे दोस्ती थी वो मेरे से काफ़ी इंप्रेस्ड थी... उसने अपने सभी पाटेंट्स निबटा लिए थे सबसे आखरी मे हमे बुलाया....
मैने उसको समस्या बताई तो ड्र. रश्मि कहने लगी" यार देव एक बात कहु बुरा मत मानना यार"
मैने कहा " हा कहिए आप तो डॉक्टर है"
" यार तुमने इस बेचारी को बड़ी ही बेरेहमी से प्यार किया होगा इसलिए इसकी हालत खराब हो गई"
वहाँ खड़ी उसने मेरी वाइफ को कहा तुम अंदर चलो चेकप कॅबिन मे अपने कपड़े उतारो और टेबल पर लेट जाओ.. मैं आती हू...
फिर वो अपने ग्लव्स वागियरह लेकर पहुचि... उसने कुछ देर तक चेकुप किया फिर मेरी वाइफ की कन्सेंट लेकर मुझे भी अंदर बुला लिया.....
रश्मि मेरे से बोली" देखो देव इस मासूम सी चीज़ (चूत) की तुमने कैसी धज्जियाँ उड़ा दी"
यह तो बहुत प्यार करने की चीज़ है तुमने इसे किस तरीके से हॅंडल किया कि इसकी वेगीना मे घाव ही घाव है अंदर तक.. और मेरी पत्नी से कहा तुम बहुत खुसकिस्मत हो कि तुमको ऐसा पति मिला नही तो औरते तरसती है ऐसे प्यार के लिए...
मेरी वाइफ ने कहा " डॉक्टर एक तो इनका बहुत बड़ा और मोटा है ऊपेर से यह 1-2 घंटे के पहले मेरी उसमे से नही निकालते" मेरा पूरा बदन टूटता है...
मेरी वाइफ की चिकनी चूत जिस पर मैने डिज़ाइन दार झांते बना रखी थी देख कर मेरा लंड तो तुरंत तन गया था और यह शायद रश्मि ने देख लिए था तो उसने अपनी गांद कॅबिन मे कम जगह होने के कारण मेरे लंड से रगडी थी...
"अछा चलो अब जो हो गया सो हो गया मैं सब ठीक कर दूँगी.. चलो देव तुम अब बाहर वेट करो" रश्मि ने उसे दिलासा और मुझे बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा...
कुछ देर बाद वो अकेली ही मेरी वाइफ के कपड़े लिए हुए आई और बोली उसे अभी 1-1.30 घंटे लेटने के लिए कहा है क्रीम लगाई है अंदर तक और कहा है कि तुमको चेक करना है.... रश्मि मेरे से बोली
रश्मि उस दिन येल्लो सलवार सूट पहने हुई थी जिस्मै से उसके 38 साइज़ के बूब्स झलक रहे थे और वो कॅबिन से बिना चुन्नी के निकली थी... वो बैठत हुए मेरे सामने झुकी अपनी दूधों की घाटी दिखाते हुए ... और मुझे प्रैज़्क्रिपशन लिखने लगी...
"मुझे भी चेक करोगी क्या.....' मैने पूछा
"हा करना ही पड़ेगा" रश्मि बोली और मुझे अपनी सीट के पीछे बने दरवाजे की ओर इशारा किया कि तुम वाहा चलो....
मैं उठा तो वाहा चला गया....
वो कमरा डॉक्टर्स रेस्टरूम रूम था जिस्मै सोफा और बेड फ्रिड्ज टीवी से सज़ा हुआ था भीने भीने रोज़ सेंट की स्मेल आ रही थी.... मेरा लंड तो वाइफ की चूत और रश्मि के बूब्स की घाटी देखकर वैसे ही तना हुआ था फिर इस महॉल ने और उसे जगा दिया था....
थोड़ी देर बाद रश्मि रूम मे दाखिल हुई... उसने डोर बोल्ट किया...
कहने लगी "पेंट खोलो..."
मैने कहा "मुझे शर्म आती है"
"धात पगले डॉक्टर से कैसे शर्म"
उसने मुझे पलंग पर लिटा दिया और मेरा पॅंट खोलने लगी....
दोस्तो कोई भी घटना कभी भी सोची समझी नही होसकती और ना ही मनचाई.. खास कर के सेक्स तो बिल्कुल भी नही... क्योंकि सभी किसी ना किसी से फॅंटसी सेक्स करते है लड़के सोचते है को वो कैटरीना कैफ़ या प्रियंका चोपड़ा को चोदेन्गे या लड़की सोचे कि वो सलमान या अक्षय कुमार से चुदवा ले तो यह फॅंटसी तक तो ठीक है पर हक़ीकत नही... और रियल लाइफ मे भी चुदाई के लिए बहुत आसानी से कोई मिलता भी नही .. यहा तक कि वाइफ भी बिना मनुहार के अपनी चूत चुदवाने को तय्यार नही होती......
दोस्तो मैं हू देव.. आपका अपना देवमूकुंद जिसने आपको पहले अपने कुछ अनुभव पढ़ने के लिए स्टोरी के रूप मे दिए.... अब मेरी उमर 40 टच कर रही है लेकिन आक्टिव सेक्स लाइफ अभी भी जी रहा हू.. मैं अपनी वाइफ और जो भी मिल जाती ही उससे बड़ी ही उम्दा चुदाई कर लेता हू.. मैं सागर का रहने वाला हू.. यह स्टोरी है जब मेरी शादी हुई हुई थी ... मेरी एक फ्रेंड है गिनॅकलजिस्ट डॉक्टर रश्मि(नेम चेंज्ड) की उसी की क्लिनिक मे चुदाई की....
हुआ कुछ यूँ की मेरी शादी लोकल मे ही हुई है.. और मेरी वाइफ एक टीचर की फॅमिली से है तो आप समझ सकते है कि वो कितनी फॉर्वर्ड होगी... मैने अपनी वाइफ को पहली बार अपनी ही शादी मे जैमला के स्टेज पर ही देखा था ध्यान से.... खैर मेरे लंड की साइज़ ज़्यादा लंबी होने से उसकी सील तो टूट गयी और जबरदस्त सुहाग रात तो क्या दिन, सुबहा, शाम सब कुछ बहुत मस्त हुई.... लेकिन मेरे लंड की ठोकरो से मेरी वाइफ जिसने पहले कभी लंड का नाम भी ना सुना हो इस हल्लाबी लंडको अपनी चूत मे घुस्वाकर लंगड़ाकर चलती थी.. पहले कुछ दिन तो वो ठीक से लंगड़ा कर भी ना चल सकी...चूँकि वो नई नई थी तो चुदवाने को भी मना ना कर सकती थी सारे दर्द सहते हुए भी चुपचाप चुदवाती रहती थी मेरे से लेकिन फिर रोती थी और उसकी चूत रोज सूज जाती और उससे रोज थोडा बहुत खून टपकता था....
हम दोनो ने एक दिन बाहर एक शाम साथ गुजारने का फ़ैसला किया उस दिन मैने उससे पूछा की घर मे तो तुम शरमाती हो मेरे से बात करने मे और कमरे मे तुमको देखकर सिर्फ़ तुमको नंगा करके चोद्ते रहने को दिल चाहता है... यहा बताओ तुम खुल कर क्यों नही चुदवाती .. बड़ी मुस्किल से उसने बताया की आपका वो (लंड) बहुत बड़ा है इससे मेरी वो(चूत) मे घाव हो जाता है मुझे यूरिनेशन मे भी दिक्कत होती है.... तभी मैने निर्णय किया की इसको अपनी ज्ञानिक फ्रेंड डॉक्टर.रश्मि के पास ले चलता हू.. मैने उसे फोन किया वो क्लिनिक पर ही थी.. उसने मुझे टाइम दे दिया... और कहा डिन्नर साथ मे ही करेंगे...
हम फिक्स्ड टाइम पर उसकी क्लिनिक पर पहुचे ड्र.रश्मि वैसे तो मेरे से उमर मे बड़ी थी उस समय उनकी उमर 35-38 की रही होगी और मेरी 28 की थी... लेकिन मैं वॉलंटियियर्ली ब्लड डोनेट करता था और मज़लूम की मदद करता था इसलिए मेरी उससे दोस्ती थी वो मेरे से काफ़ी इंप्रेस्ड थी... उसने अपने सभी पाटेंट्स निबटा लिए थे सबसे आखरी मे हमे बुलाया....
मैने उसको समस्या बताई तो ड्र. रश्मि कहने लगी" यार देव एक बात कहु बुरा मत मानना यार"
मैने कहा " हा कहिए आप तो डॉक्टर है"
" यार तुमने इस बेचारी को बड़ी ही बेरेहमी से प्यार किया होगा इसलिए इसकी हालत खराब हो गई"
वहाँ खड़ी उसने मेरी वाइफ को कहा तुम अंदर चलो चेकप कॅबिन मे अपने कपड़े उतारो और टेबल पर लेट जाओ.. मैं आती हू...
फिर वो अपने ग्लव्स वागियरह लेकर पहुचि... उसने कुछ देर तक चेकुप किया फिर मेरी वाइफ की कन्सेंट लेकर मुझे भी अंदर बुला लिया.....
रश्मि मेरे से बोली" देखो देव इस मासूम सी चीज़ (चूत) की तुमने कैसी धज्जियाँ उड़ा दी"
यह तो बहुत प्यार करने की चीज़ है तुमने इसे किस तरीके से हॅंडल किया कि इसकी वेगीना मे घाव ही घाव है अंदर तक.. और मेरी पत्नी से कहा तुम बहुत खुसकिस्मत हो कि तुमको ऐसा पति मिला नही तो औरते तरसती है ऐसे प्यार के लिए...
मेरी वाइफ ने कहा " डॉक्टर एक तो इनका बहुत बड़ा और मोटा है ऊपेर से यह 1-2 घंटे के पहले मेरी उसमे से नही निकालते" मेरा पूरा बदन टूटता है...
मेरी वाइफ की चिकनी चूत जिस पर मैने डिज़ाइन दार झांते बना रखी थी देख कर मेरा लंड तो तुरंत तन गया था और यह शायद रश्मि ने देख लिए था तो उसने अपनी गांद कॅबिन मे कम जगह होने के कारण मेरे लंड से रगडी थी...
"अछा चलो अब जो हो गया सो हो गया मैं सब ठीक कर दूँगी.. चलो देव तुम अब बाहर वेट करो" रश्मि ने उसे दिलासा और मुझे बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा...
कुछ देर बाद वो अकेली ही मेरी वाइफ के कपड़े लिए हुए आई और बोली उसे अभी 1-1.30 घंटे लेटने के लिए कहा है क्रीम लगाई है अंदर तक और कहा है कि तुमको चेक करना है.... रश्मि मेरे से बोली
रश्मि उस दिन येल्लो सलवार सूट पहने हुई थी जिस्मै से उसके 38 साइज़ के बूब्स झलक रहे थे और वो कॅबिन से बिना चुन्नी के निकली थी... वो बैठत हुए मेरे सामने झुकी अपनी दूधों की घाटी दिखाते हुए ... और मुझे प्रैज़्क्रिपशन लिखने लगी...
"मुझे भी चेक करोगी क्या.....' मैने पूछा
"हा करना ही पड़ेगा" रश्मि बोली और मुझे अपनी सीट के पीछे बने दरवाजे की ओर इशारा किया कि तुम वाहा चलो....
मैं उठा तो वाहा चला गया....
वो कमरा डॉक्टर्स रेस्टरूम रूम था जिस्मै सोफा और बेड फ्रिड्ज टीवी से सज़ा हुआ था भीने भीने रोज़ सेंट की स्मेल आ रही थी.... मेरा लंड तो वाइफ की चूत और रश्मि के बूब्स की घाटी देखकर वैसे ही तना हुआ था फिर इस महॉल ने और उसे जगा दिया था....
थोड़ी देर बाद रश्मि रूम मे दाखिल हुई... उसने डोर बोल्ट किया...
कहने लगी "पेंट खोलो..."
मैने कहा "मुझे शर्म आती है"
"धात पगले डॉक्टर से कैसे शर्म"
उसने मुझे पलंग पर लिटा दिया और मेरा पॅंट खोलने लगी....