मैं और मौसा मौसी compleet
Re: मैं और मौसा मौसी
मौसी लीना की चूत से मुंह निकाल कर चिल्लाई "अरे सुनते हो, ये क्या तमाशा है? तुमको शोभा देता है क्या? यहां हम सास बहू इतने मजे कर रहे हैं और उधर तुम्हारा भतीजा सूखा सूखा बैठा है. जरा उसकी मदद करो. तुम लोग भी आपस में कुछ करो, हमसे जरा सीखो"
मौसाजी मेरे पास सरके और मेरा लंड हाथ में ले लिया. "एकदम मस्त है तेरा लौड़ा अनिल. लीना को मजा आता होगा. गांड भी मारते हो क्या उसकी?"
"बस कभी कभी मौसाजी, वैसे बड़ी जालिम है, हाथ भी नहीं लगाने देती.... हां .... अच्छा लग रहा है मौसाजी ... मस्त कर रहे हैं आप" मैं ऊपर नीचे होकर मौसाजी की मुठ्ठी में लंड को पेलते हुए बोला.
"अच्छा लगा ना? फ़िर थोड़ा और मस्त कर देता हूं तुझे, देख" कहकर मौसाजी झुके और मेरा सुपाड़ा मुंह में लेकर चूसने लगे. मैं ऊपर नीचे होने लगा "आह ... ओह... मौसाजी ..... क्या बात है .... ऐसा तो लीना भी नहीं चूसती"
मौसी बोलीं "अब देखो कितना खुश है अनिल. यही तो मैं तुमसे कह रही थी कि अनिल का खयाल रखो. अनिल बेटे, तेरे मौसाजी बड़े शौकीन हैं इस चीज के"
लीना मौसी की चूत में से मुंह उठा कर चिल्लायी "अनिल ... मौसाजी तुमको इतना सुख दे रहे हैं और तुम वैसे ही बैठे हो. जरा उनकी भी सेवा करो."
मैं बोला "हां मौसाजी, बात तो ठीक है. मुझे भी मौका दीजिये"
मौसाजी लेटते हुए बोले "ठीक है अनिल, यहां मेरे बाजू में आ जाओ"
मैं मौसाजी के बाजू में उलटा लेट गया और उनका आधा खड़ा लंड हथेली में लेकर सहलाने लगा. फ़िर जीभ से उसको ऊपर से नीचे तक चाटने लगा. मौसाजी बोले "आह ... बहुत अच्छे अनिल ... ऐसा ही कर" और फ़िर मेरा लंड पूरा निगल कर चूसने लगे. मैंने भी उनका लंड मुंह में ले लिया और जीभ रगड़ रगड़ कर चूसने लगा. मौसाजी ने मेरे चूतड़ पकड़े और सहलाने लगे. फ़िर मेरा गुदा रगड़ने लगे. मैंने उनके चूतड़ दबाये, बड़े मुलायम और चिकने चूतड़ थे. फ़िर गांड में उंगली डाल दी, आराम से अंदर चली गयी, मैंन सोचा बहुत अच्छे मौसाजी, मरवा मरवा कर अच्छी खुलवा ली है आपने अपनी गांड.
मौसाजी और कस के मेरा लंड चूसने लगे और मेरी गांड में अपनी उंगली डाल दी. हम दोनों एक दूसरे की गांड में उंगली करते हुए लंड चूसने लगे.
"मौसी देखो क्या प्यार दुलार चल रहा है मौसा भतीजे में" लीना बोली.
"चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूं कि यहां सास बहू में जब संभोग चल रहा है तो ये लोग क्यों ऐसे बैठे हैं. अब देखना कैसे लंड खड़े होते हैं दोनों के" मौसी लीना के मम्मे दबाते हुए बोलीं.
"मौसी, चलो मजा आ गया, मैं तो अब और चुदवाऊंगी" लीना बोली. मौसी बोलीं "मैं तो बस चूत चुसवाऊंगी बहू, वो भी तुझसे. तू बहुत प्यार से चूसती है"
"आ जाओ, कौन आता है मेरी चूत चोदने?" लीना बोली तो मौसाजी तपाक से उठ बैठे. "मैं आता हूं लीना रानी, तू गांड तो मारने नहीं देगी आज, फ़िर तेरी चूत ही सही, बड़ी मस्त टाइट है"
लीना नीचे लेट गयी. मौसी उसके मुंह पर बैठ कर अपनी बुर चुसवाने लगीं. मौसाजी लीना पर चढ़ बैठे और चोदने लगे. काफ़ी जोश में थे, मेरे लंड चूसने से उनको मजा आ गया था और लंड में काफ़ी जान आ गयी थी. चोदते चोदते वे आभा मौसी से चूमा चाटी कर लेते या झुक कर उनके मम्मे चूसने लगते, मौसी लगातार आगे पीछे होकर अपनी बुर लीना के मुंह पर घिस रही थीं.
"अब मैं क्या करूं? किसको चोदूं? वैसे मेरा भी मन हो रहा है किसीकी गांड मारने का, लीना तो मारने नहीं देगी. मौसी आप जरा ऐसी सरक लें तो ..." मैंने कहा. मौसी तपाक से बोलीं "आज नहीं बेटे, ये तेरे मौसाजी रोज मारते हैं मेरी, आज नहीं मरवाऊंगी, आज मेरी गांड को आराम कर लेने दो"
मौसाजी मुड़ कर बोले "अनिल, अगर सच में गांड मारने का मूड है तेरा तो तू मेरी मार ले"
"मौसाजी, आप को चलेगा? मुझे अजब सा लगता है कि आप की गांड मारूं" मैंने पूछा.
"चलेगा क्या दौड़ेगा! इतना मस्त लंड है तेरा, मेरी तो गांड कब से कुलबुला रही है लेने को. लीना कह ना अनिल से कि मेरी मार ले, तेरा कहना नहीं टालेगा" मौसाजी ने लीना से गुहार की.
लीना कमर उचका उचका कर चुदवाते हुए बोली "अरे मान जाओ ना, तुम भी तो शौकीन हो गांड के. और मौसाजी की भी कम नहीं है, मस्त है. देखा ना कैसी गोरी गोल मटोल गांड है"
Re: मैं और मौसा मौसी
"मैं कहां मना कर रहा हूं? मेरा तो खुद मन हो रहा है" मैंने कहा "मैं तो इसलिये कह रहा था कि तुम लोगों को अटपटा न लगे. वैसे मौसाजी की गांड है मतवाली, मस्त गुदाज चूतड़ हैं. मारने में मजा आयेगा" कहकर मैंने वहां पड़ी तेल की शीशी खोल कर तेल लेकर मौसाजी के छेद में लगाया और उनपर चढ़ गया. "लीना रानी, जरा खोल मौसाजी की गांड, फ़िर डालूंगा अंदर"
"ये लो" कहकर लीना ने मौसाजी के चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये और मैंने सुपाड़ा उनके छल्ले के पार कर दिया.
"आह ... मजा आ गया ... क्या खड़ा है तेरा अनिल ... लोहे की सलाख जैसा ... तेरे सुपाड़े ने तो चौड़ी कर दी मेरी अच्छे से" मौसाजी बोले.
"अभी तो कुछ नहीं हुआ मौसाजी, अब देखो" कहकर मैंने लंड पूरा पेल दिया. सट से वो उनकी गांड में उतर गया.
"हां ... ओह ..... क्या माल है तेरा अनिल ..... आज तसल्ली मिलेगी मेरी गांड को ..... बहुत तकलीफ़ देती है साली .... अब मार अनिल ... जम के मार" कहते हुए उन्होंने गांड सिकोड़ कर लंड को पकड़ लिया और कमर हिला कर मरवाने की कोशिश करने लगे.
"आप तो लीना को चोदो मौसाजी, फ़िकर मत करो, मैं पूरी मार दूंगा आप की. आप लीना का खयाल रखो, कस के कूटो उसकी बुर को, उसको मजा आना चाहिये. आपको मजा मैं दूंगा. वैसे बहुत अच्छा लग रहा है आप की गांड मार कर, वाकई बड़ी गरम है आप की गांड" कहकर मैं उनकी पीठ पर लेट गया और उनको पकड़कर घचाघच गांड मारने लगा. मौसाजी ने भी लीना को चोदना शुरू कर दिया.
मौसी थोड़ा उठ कर मौसाजी की ओर पीठ करके फ़िर से लीना के मुंह पर बैठ गयीं और झुक कर लीना के मुंह पर चूत रगड़ कर अपने चूतड़ हिलाते हुए बोलीं "लो, अब तुम भी मुंह मार लो, तुमको अच्छी लगती है ना मेरी गांड, फ़िर चूसो, उसको मना नहीं करूंगी मैं"
kramashah.................
Re: मैं और मौसा मौसी
मैं और मौसा मौसी--4
gataank se aage........................
मौसाजी ने मौसी की गांड को मुंह लगा दिया. हम सब अब उछल उछल कर घचाघच चुदाई करने लगे. मैं धक्के लगाता हुआ बोला "वाह मौसाजी .... इतनी मस्त गांड बहुत दिनों में नहीं मारी .... आप तो छुपे रुस्तम निकले ..... अब तो रोज मारूंगा कम से कम एक बार ..... नहीं तो मन नहीं भरेगा"
"अर तू जितनी चाहे उतनी मार .... तुझे जब चाहिये मैं दूंगा अपनी .... और अगर तू शौकीन है इस बात का ... तो बहुत मजा आयेगा तुझे हमारे यहां.... बस देखता जा .... मां कसम क्या गांड मारता है तू, मजा आ गया.... अब और मार ... जोर से मार .... घंटा भर चोद मेरी गांड ...." मौसाजी हांफ़ते हुए बोले.
"नहीं मौसाजी ... मैं नहीं मार पाऊंगा ... इतनी देर.... याने इतनी प्यारी गांड है आपकी .... मैं तो झड़ने वाला ...... ओह ... आह ...आह" कहता हुआ मैं जल्दी ही झड़ गया. मौसाजी झड़े नहीं थे, वे हचक हचक कर चोदते रहे. लीना दो बार झड़ गयी थी. बोली "मौसाजी, अब रुको, लंड बाहर निकालो"
"क्यों मेरी जान, मजा नहीं आया, मुझे ठीक से चोदने तो दे, बड़ा मजा आ रहा है"
"अरे अनिल ने इतनी ठुकाई की आपकी, उसको तो थोड़ा इनाम दो, अपना लंड चुसवा दो उसको, आप की गांड का स्वाद तो ले चुका है, अब आपकी मलाई खिला दो" लीना बोली.
मौसाजी झट से उठे और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर अपना लंड मेरे मुंह में डालने लगे. लीना उठ कर उनके पीछे आयी और बोली "जरा लेटो मौसाजी, ठीक से चुसवाओ अनिल को, और अपनी गांड मेरी ओर करो"
"तू क्या करेगी रे उसका? खेलेगी" मौसाजी ने पूछा और फ़िर मेरे मुंह में लंड डाल दिया. लंड तन कर खड़ा था और रसीले गन्ने जैसा लग रहा था. मैं चूसने लगा.
"नहीं मौसाजी, चूसूंगी, आप जैसी गांड तो औरतों को भी नसीब नहीं होती. अब जरा अपने चूतड खोल कर रखो और मुझे जीभ डालने दो." लीना उनके पीछे लेटते हुए बोली.
मैंने मौसाजी की कमर पकड़कर लंड पूरा मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मौसाजी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर मेरे मुंह को चोदने लगे. जब लीना ने डांट लगायी तो हिलना बंद करके उन्होंने अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये और बोले "लो चूस लो बहू, तेरे को भी माल चखा दूं, वैसे माल भी मस्त होगा, तेरे मर्द का ही है"
लीना मुंह लगा कर मौसाजी की गांड चूसने लगी. मैं भी सोचने लगा कि कुछ बात तो है मौसाजी की गांड में जो औरतें भी चाटने को मचल उठती हैं. आज राधा भी कितना मन लगाकर चूस रही थी. तब तक मौसी भी मैदान में आ गयीं और झट से लीना की बुर से मुंह लगा दिया. मैं सरक कर किसी तरह मौसी की बुर तक पहुंच गया और उन्होंने टांगें उठाकर मेरा सिर अपनी जांघों में दबा लिया.
आखिर फ़िर से एक बार झड़कर और एक दूसरे के गुप्तांगों से रस पीकर हम लोग लुढ़क गये. नींद लगते लगते मौसी बोलीं "बड़े प्यारे बच्चे हैं ... सुना तुमने ... कल जरा ठीक से व्यवस्था करो बहू के लिये ... मेरे यहां से प्यासी वापस न जाये ... मैं अनिल को देख लूंगी राधा के साथ ... समझे ?"
"हां भाग्यवान, समझ गया ... अब सोने दे ... कल सब ठीक कर दूंगा" मौसाजी बोले और खर्राटे भरने लगे.
दूसरे दिन सब देरी से उठे. मैं तो बारा बजे उठा. नहाया धोया. राधा ने खाना तैयार रखा था. हमसब ने खाया. रघू और रज्जू भी आये थे, खाना खाकर बाहर बैठे थे.
मौसी बोलीं. "चलो अब, आज खेत वाले घर में चलते हैं. आज बहू को ये लोग खेत घुमायेंगे"
"ये लोग याने कौन मौसी?" मैंने पूछा.
मौसी मेरी ओर देखकर बोलीं. "तेरे मौसाजी, रज्जू और रघू. ये अकेले जाने वाले थे, मैंने रोक दिया. मैंने कहा कि राधा और मैं भी चलेंगे, तेरे साथ पीछे पीछे"
"तो मौसी मैं तैयार होकर आती हूं" लीना बोली और अंदर चलने लगी.
"अरे रुक, ऐसे ही ठीक है, खेत में कौन देखता है तुझे" मौसी बोलती रह गयीं पर लीना कमरे में चली गयी. मैं भी पीछे पीछे हो लिया. लीना कपड़े बदल रही थी. उसके काली वाली लेस की ब्रा और पैंटी पहनी और फ़िर एकदम तंग स्लीवलेस ब्लाउज़ और साड़ी. क्या चुदैल लग रही थी. मुझे आंख मार कर हंस दी. ’आज दिखाती हूं इन तीनों को, सुनो, कुछ भी हो जाये, तुम बीच में न पड़ना"
"अरे रानी, तेरा ये रूप देखेंगे तो तीनों तुझे रेप कर डालेंगे" मैंने उसकी चूंची दबा कर कहा.
"यही तो मैं चाहती हूं, आज रेप कराने का, जम के चुदने का मूड है, तुम फ़िकर मत करो, इनको तो मैं ऐसे निचोड़ूंगी कि चल भी नहीं पायेंगे" लीना बोली. आइने में देख कर उसने बाल ठीक किये और ऊंची ऐड़ी के सैंडल पहन लिये. बाहर आकर बोली "चलो मौसी"
"अरे तू खेत में जा रही है या सिनेमा देखने? खेत में क्या चल पायेगी ये सैंडल पहनकर" मौसी बोली.
"मैं तो शिकार पे जा रही हूं मौसी, तीन तीन खरगोश मारने हैं, और ये सैंडल वाली चाल से ही तो खरगोश खुद आयेंगे अपना शिकार करवाने" और मौसी से लिपट कर हंसने लगी.
मौसी बोली "क्या बदमाश छोकरी है, अनिल, बहुत चुदैल और छिनाल है तेरी बहू" और लीना को प्यार से चूम लिया.
gataank se aage........................
मौसाजी ने मौसी की गांड को मुंह लगा दिया. हम सब अब उछल उछल कर घचाघच चुदाई करने लगे. मैं धक्के लगाता हुआ बोला "वाह मौसाजी .... इतनी मस्त गांड बहुत दिनों में नहीं मारी .... आप तो छुपे रुस्तम निकले ..... अब तो रोज मारूंगा कम से कम एक बार ..... नहीं तो मन नहीं भरेगा"
"अर तू जितनी चाहे उतनी मार .... तुझे जब चाहिये मैं दूंगा अपनी .... और अगर तू शौकीन है इस बात का ... तो बहुत मजा आयेगा तुझे हमारे यहां.... बस देखता जा .... मां कसम क्या गांड मारता है तू, मजा आ गया.... अब और मार ... जोर से मार .... घंटा भर चोद मेरी गांड ...." मौसाजी हांफ़ते हुए बोले.
"नहीं मौसाजी ... मैं नहीं मार पाऊंगा ... इतनी देर.... याने इतनी प्यारी गांड है आपकी .... मैं तो झड़ने वाला ...... ओह ... आह ...आह" कहता हुआ मैं जल्दी ही झड़ गया. मौसाजी झड़े नहीं थे, वे हचक हचक कर चोदते रहे. लीना दो बार झड़ गयी थी. बोली "मौसाजी, अब रुको, लंड बाहर निकालो"
"क्यों मेरी जान, मजा नहीं आया, मुझे ठीक से चोदने तो दे, बड़ा मजा आ रहा है"
"अरे अनिल ने इतनी ठुकाई की आपकी, उसको तो थोड़ा इनाम दो, अपना लंड चुसवा दो उसको, आप की गांड का स्वाद तो ले चुका है, अब आपकी मलाई खिला दो" लीना बोली.
मौसाजी झट से उठे और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर अपना लंड मेरे मुंह में डालने लगे. लीना उठ कर उनके पीछे आयी और बोली "जरा लेटो मौसाजी, ठीक से चुसवाओ अनिल को, और अपनी गांड मेरी ओर करो"
"तू क्या करेगी रे उसका? खेलेगी" मौसाजी ने पूछा और फ़िर मेरे मुंह में लंड डाल दिया. लंड तन कर खड़ा था और रसीले गन्ने जैसा लग रहा था. मैं चूसने लगा.
"नहीं मौसाजी, चूसूंगी, आप जैसी गांड तो औरतों को भी नसीब नहीं होती. अब जरा अपने चूतड खोल कर रखो और मुझे जीभ डालने दो." लीना उनके पीछे लेटते हुए बोली.
मैंने मौसाजी की कमर पकड़कर लंड पूरा मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मौसाजी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर मेरे मुंह को चोदने लगे. जब लीना ने डांट लगायी तो हिलना बंद करके उन्होंने अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये और बोले "लो चूस लो बहू, तेरे को भी माल चखा दूं, वैसे माल भी मस्त होगा, तेरे मर्द का ही है"
लीना मुंह लगा कर मौसाजी की गांड चूसने लगी. मैं भी सोचने लगा कि कुछ बात तो है मौसाजी की गांड में जो औरतें भी चाटने को मचल उठती हैं. आज राधा भी कितना मन लगाकर चूस रही थी. तब तक मौसी भी मैदान में आ गयीं और झट से लीना की बुर से मुंह लगा दिया. मैं सरक कर किसी तरह मौसी की बुर तक पहुंच गया और उन्होंने टांगें उठाकर मेरा सिर अपनी जांघों में दबा लिया.
आखिर फ़िर से एक बार झड़कर और एक दूसरे के गुप्तांगों से रस पीकर हम लोग लुढ़क गये. नींद लगते लगते मौसी बोलीं "बड़े प्यारे बच्चे हैं ... सुना तुमने ... कल जरा ठीक से व्यवस्था करो बहू के लिये ... मेरे यहां से प्यासी वापस न जाये ... मैं अनिल को देख लूंगी राधा के साथ ... समझे ?"
"हां भाग्यवान, समझ गया ... अब सोने दे ... कल सब ठीक कर दूंगा" मौसाजी बोले और खर्राटे भरने लगे.
दूसरे दिन सब देरी से उठे. मैं तो बारा बजे उठा. नहाया धोया. राधा ने खाना तैयार रखा था. हमसब ने खाया. रघू और रज्जू भी आये थे, खाना खाकर बाहर बैठे थे.
मौसी बोलीं. "चलो अब, आज खेत वाले घर में चलते हैं. आज बहू को ये लोग खेत घुमायेंगे"
"ये लोग याने कौन मौसी?" मैंने पूछा.
मौसी मेरी ओर देखकर बोलीं. "तेरे मौसाजी, रज्जू और रघू. ये अकेले जाने वाले थे, मैंने रोक दिया. मैंने कहा कि राधा और मैं भी चलेंगे, तेरे साथ पीछे पीछे"
"तो मौसी मैं तैयार होकर आती हूं" लीना बोली और अंदर चलने लगी.
"अरे रुक, ऐसे ही ठीक है, खेत में कौन देखता है तुझे" मौसी बोलती रह गयीं पर लीना कमरे में चली गयी. मैं भी पीछे पीछे हो लिया. लीना कपड़े बदल रही थी. उसके काली वाली लेस की ब्रा और पैंटी पहनी और फ़िर एकदम तंग स्लीवलेस ब्लाउज़ और साड़ी. क्या चुदैल लग रही थी. मुझे आंख मार कर हंस दी. ’आज दिखाती हूं इन तीनों को, सुनो, कुछ भी हो जाये, तुम बीच में न पड़ना"
"अरे रानी, तेरा ये रूप देखेंगे तो तीनों तुझे रेप कर डालेंगे" मैंने उसकी चूंची दबा कर कहा.
"यही तो मैं चाहती हूं, आज रेप कराने का, जम के चुदने का मूड है, तुम फ़िकर मत करो, इनको तो मैं ऐसे निचोड़ूंगी कि चल भी नहीं पायेंगे" लीना बोली. आइने में देख कर उसने बाल ठीक किये और ऊंची ऐड़ी के सैंडल पहन लिये. बाहर आकर बोली "चलो मौसी"
"अरे तू खेत में जा रही है या सिनेमा देखने? खेत में क्या चल पायेगी ये सैंडल पहनकर" मौसी बोली.
"मैं तो शिकार पे जा रही हूं मौसी, तीन तीन खरगोश मारने हैं, और ये सैंडल वाली चाल से ही तो खरगोश खुद आयेंगे अपना शिकार करवाने" और मौसी से लिपट कर हंसने लगी.
मौसी बोली "क्या बदमाश छोकरी है, अनिल, बहुत चुदैल और छिनाल है तेरी बहू" और लीना को प्यार से चूम लिया.