Wo koun thi ??? वो कौन थी ??? compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 09:10

दोस्तो मेरे साथ फिर दूसरा हादसा हुआ उसकी कहानी कुछ इस तरह है उसे भी आप सुनो

-------------------

बस मैं


-------------------

साइन्स ग्रॅजुयेशन कर ने के बाद मैं ने एक लॅडीस का फॅन्सी स्टोर्स खोल लिया था जिसका समान लाने के लिए मुझे कभी हैदराबाद तो कभी बॉम्बे तो कभी मद्रास जाना पड़ता था. लॅडीस का फॅन्सी स्टोर होने की वजह से मेरे दुकान पे आछे शरीफ घर की लड़कियो से ले के प्रॉस्टिट्यूट्स तक सब आते थे. जिन से बात करते करते मुझे लॅडीस के सोचने के ढंग का पता चल गया था. मैं उनसे बात करके उनकी तबीयत के बारे मे समझ जाता था और मुझे अछी तरह से पता चल जाता था के लॅडीस के दिल मे क्या होता है और वो क्या चाहती हैं. कौनसी लड़की प्राउडी है तो कौनसी लड़की अपनी तारीफ सुन के खुश होती है और किस लड़की को अपने चुचियाँ दिखाने का शौक होता है वाघहैरा वाघहैरा यही साइकॉलजी मेरे काम आई.

उन्न दिनो मैं हैदराबाद से मेरे शहेर को जाने वाली बस रात 10:30 बजे को निकलती थी जो अर्ली मॉर्निंग मेरे शहेर को पहुँचती थी. मैं परचेसिंग ख़तम हो जानेके बाद यूष्यूयली इसी बस से निकलता था ता के सुबह सुबह वापस आ जाऊं और अपनी दुकान को अटेंड कर सकूँ.

यह घटना एक ऐसे ही सफ़र की है. मैं अपना काम ख़तम कर के रात 10:30 बजे वाली बस मे बैठ गया लैकिन वो तकरीबन एक घंटा लेट निकली 11:30 को बस स्टॅंड से निकली और शहेर क्रॉस करने करने तक ऑलमोस्ट रात के 12 बज गये थे. मोस्ट्ली पॅसेंजर्स तो बस स्टॅंड पे ही टिकेट खरीद चुके थे तो कंडक्टर सिर्फ़ रुटीन चेक कर के अपनी सीट पे बैठ गया और शहेर से बाहर बस निकलते ही बस की लाइट्स बंद कर दी गई. बाहर तो बोहोत ही अंधेरा था. शाएद चंद्रमा आज आसमान से नाराज़ थे इसी लिए नही पधारे थे. बाहर का मौसम बोहोत अछा था हल्की सी ठंडी हवा चल रही थी. बस के ऑलमोस्ट सारे ग्लास विंडोस बंद थे. किसी किसी पॅसेंजर ने थोड़ी थोड़ी विंडो खोली हुई थी तो उससी से ठंडी हवा आ रही थी.

लग्षुरी और एक्सप्रेस बस मे जनरली एक रो मे 2 और 2 सीट्स एक एक तरफ से होती है टोटल 4 सीट्स होती हैं और मैं जनरली बस मे विंडो सीट को प्रिफर नही करता आइल ( विंडो वाली नही बलके पॅसेज वाली सीट ) वाली सीट को प्रिफर करता हू ता के पैर लंबे कर के आराम से सफ़र कर सकु. मुझे ऐसे ही सीट बस के तकरीबन पीछे वाले हिस्से मे मिल गई थी और मैं सारा दिन काम कर के थक चुक्का था और जल्दी ही सो गया.

पता नही रात का क्या टाइम हुआ था मेरी आँख खुली तो देखा के बस किसी स्टॉप पे रुकी है और पॅसेंजर्स बस मे चढ़ रहे हैं खिड़की से बाहर देखा तो

पता चला पॅसेंजर्स और उनके लगेज को देखा तो ऐसे लगा जैसे शाएद कोई मॅरेज पार्टी वाले इस बस मे चढ़ रहे हैं और फिर एक ही मिनिट मे फिर से सो गया.

बस फिर से चलने लगी तो जो पॅसेंजर्स उस स्टॉप से चढ़े थे वो अपनी अपनी जगह बना रहे थे और अपना अपना लगेज बस के अंदर ही अड्जस्ट कर रहे थे. यूँ तो वो बस नाम की ही एक्सप्रेस थी कंडक्टर और ड्राइवर्स एक्सट्रा पैसे बना ने के चक्कर मे बस को जहा कोई पॅसेंजर किसी भी छोटे से स्टॉप पे खड़ा दिखाई देता उसको पिक कर लेते और बस ओवरफ्लो होने तक भरते ही रहते.

बस खचा खच भर चुकी थी. मेरे बाज़ू वाली सीट पे कोई मोटा पॅसेंजर ऑलरेडी बैठा हुआ था जिस से मेरी सीट मुझे छोटी पड़ रही थी. उस बस स्टॅंड पे कौन उतरा और कौन चढ़ा मुझे नही मालूम. देखा तो पता चला के मेरी सीट और दूसरी वाली डबल सीट के बीच मे एक लोहे का ट्रंक रखा हुआ है. मैं अपना पैर उस ट्रंक के ऊपेर रख दिया और अपनी सीट से थोड़ा और ट्रंक के तरफ हट गया ता के जो मेरी सीट मेरे मोटे को-पॅसेंजर ने ले ली है थोड़ा सा हॅट के ठीक से बैठ जाउ. ट्रंक बड़ा था और ऑलमोस्ट सीट की ही हाइट का था तो पैर रखने मे आराम मिल रहा था. उस ट्रंक पे कोई दूसरी तरफ मूह कर के बैठा था. अब पोज़िशन ऐसे थी के मैं आराम से ऑलमोस्ट हाफ ट्रंक पे और हाफ अपने छोटी सी सीट पे था. ऐसे बैठने से पॅसेज के दूसरी तरफ का बैठा हुआ पॅसेंजर मेरे करीब हो गया था जैसे ऑलमोस्ट साथ साथ ही बैठा हो. मैं बोहोत देर से सो रहा था और इसी अड्जस्टमेंट मे मेरी नींद चली गई और मैं जाग गया. देखा तो अंदाज़ा हुआ के दूसरी तरफ बैठी हुई कोई फीमेल है अब पता नही के औरत है या लड़की खैर कोई फीमेल बाज़ू मे बैठी हो और राजशर्मा खामोशी से देखता रहे और उसका लंड ना अकड़ जाए ऐसे तो मुमकिन नही है ना तो बस लंड मे मीठी मीठी सरसराहट महसूस होने लगी.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 09:11

मुझे अपनी दुकान के लॅडीस के साथ के साइकोलॉजिकल एक्सपीरियेन्सस याद आने लगे और मैं सोचने लगा के अब क्या करना चाहिए. टाइम देखा तो पता चला के रात का डेढ़ बज चुक्का है और पता नही वो लोग कितनी देर बस के इंतेज़ार मे स्टॉप पे ठंड मे खड़े रहे होंगे और कितना थक चुके होंगे इसी लिए वो सब लोग अपना समान बस मे अड्जस्ट कर के गहरी नींद सो रहे थे. उनके खर्रातो की गूँज बस मे सुनाई दे रही थिया गग्ग्घहर्र्ररर ग्ग्गहररर. मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा के चलो अंधेरे का और नींद का लाभ प्राप्त करना ही चाहिए. पहले तो मुझे यह देखना था के उस फीमेल का क्या मूड है और अगर मैं कुछ करू तो उसका क्या रिक्षन होगा सोचते सोचते मुझे एक आइडिया स्ट्राइक कर गया.

मैं अपनी दाहने ओर थोड़ा और खिसक के उस महिला के करीब हो गया और अपना हाथ उसकी सीट के पीछे लगे हुए लोहे के रोड पे रख दिया. उस के बाज़ू मे कोई दूसरी औरत जो कुछ मोटी भी थी सो रही थी इसी लिए मेरे बाज़ू वाली फीमेल मेरे कुछ और करीब आ गई थी. उसकी सीट के पीछे वाले आइरन पाइप पे ऐसे हाथ रखा के मेरे फिंगर्स के टिप्स उसके नेक से टच हो रहे थे. उसने कोई विरोध नही किया. हिम्मत जुटाई और अपनी फिंगर्स थोड़ी और नीचे स्लिप की ऐसे के मेरी उंगलियाँ उसके नेक को अछी तरह से टच कर रही थी उसने कोई विरोध नही किया तो थोड़ी देर तक ऐसे ही रखने के बाद कुछ और नीचे स्लिप कर के फिंगर्स को उसके ब्लाउस के करीब बूब्स के उपर पोर्षन तक ले गया फिर भी उसने कोई विरोध नही किया. अभी तक मैं कोई निर्णय नही ले सका था के वो सच मे सो रही है और उसको मेरे फिंगर्स का टच महसूस ही नही हो रहा है या वो जाग रही है और वेट कर रही है के मैं कुछ और करूँगा और मेरे फिंगर्स को अपने बदन पे लगा हुआ महसूस कर के एंजाय कर रही है.

कुछ देर तक हाथ को ऐसे ही बस की सीट के लोहे के पीपे से गिराते हुए उसके बूब्स के पास तक फिंगर्स ले गया और थोड़ी देर वेट किया .. उसने कोई विरोध नही किया अब थोड़ा सा और नीचे कर के उसके बूब्स पे टच करने लगा और धीरे धीरे उसके निपल को एक फिंगर से आगे पीछे करने लगा .. उसने फिर भी कोई विरोध नही किया .. वाउ अब तो मैं समझ गया के उसको मज़ा आ रहा है और मैं कुछ और भी कर सकता हू.

अब अपने हाथ को थोड़ा सा वापस ऊपेर खेच के उसके ब्लाउस के ऊपेर से अपना हाथ ब्लाउस के अंदर स्लिप किया और वेट किया के क्या रिक्षन होता है. उसने फिर भी कोई विरोध नही किया. हाथ को और अंदर ले गया तो वाहा ब्रस्सिएर थी पहले ब्लाउस के अंदर ओर ब्रस्सिएर के ऊपेर से ही उसके बूब्स को पकड़ लिया तो भी उसने कोई विरोध नही किया ऐसे ही दबा ता रहा और फिर एक मिनिट के अंदर ही अंदर उसके ब्रस्सिएर के अंदर मेरा एक हाथ चला गया और मैं उसके नंगी चुचिओ को अपने हाथ से दबाने लगा और मसल्ने लगा. वाउ क्या मस्त चुचियाँ थी उसकी सख़्त. चूचियो को पकड़ के पता चला के वो कोई बड़ी औरत नही बल्कि कोई लड़की है. टेन्निस बॉल्स के साइज़ के मस्त कड़क चुचियाँ हाथ मे मस्त दिख रही थी मसल ने मे मज़ा आ रहा था लगता था कोई रब्बर की मज़बूत गेंद को दबा रहा हू.

हाथ को दोनो चुचिओ के बीच मे कर के दोनो चूचियों को एक साथ मसल रहा था. चुचिओ को हाथ लगा ते ही लंड का बुरा हाल हो गया और बोहोत ज़ोर

से अकड़ गया अपने दूसरे हाथ से पॅंट की ज़िप खोल के लंड को बाहर निकाल दिया तो बाहर की ठंडी हवा लगते ही वो ऐसे हिल रहा था जैसे शराबी फुल नशे मे हिलने लगता है. एक मिनिट के लिए अपना हाथ उसके ब्लाउस से निकाल के उसकी थाइस पे रख दिया और उसके थाइस का मसाज करने लगा. बस के अंदर और बाहर अंधेरा था किसी को कुछ नज़र नही आ रहा था. मुझे महसूस हुआ कि उसकी साँसें तेज़ी से चल रही है और उसकी टाँगें थोड़ा और खुल गई है मुझे हिंट मिल गया और डाइरेक्ट उसकी चूत पे हाथ रख दिया. उसके बाज़ू मे बैठी बुढ़िया गहरी नींद सो चुकी थी. उसने अपना पैर सामने वाली सीट के कॉर्नर आप ऐसे रखा था के थोड़ा सा पोर्षन ट्रंक पे भी आ रहा था और इस पोज़िशन मे उसके लेग्स अच्छे ख़ासे खुल गये थे.

क्रमशः.......................


rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: Wo koun thi ??? वो कौन थी ???

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 09:11

Woh Koun Thi ??? paart--2

gataank se aage...................

Geeli choot mai lund ka supada sata hua tha aur ek dhakka lagaya to lund ka supada thoda sa ander ghus gaya. choot bohot hi tight lag rahi thi. woh mujh se zor se lipti hui thi aur tangein mere kamar se lapeti hui thi jis se uski choot khul gai thi. Baher se aati hui thandi hawa ke jhoke se sara din kaam kar ke thake hue passengers aur ziada gehri neend so rahe the sirf ek lund aur ek choot jaag rahe the. Train ki khidki jispe uski gand tiki hui thi aise first calss height pe thi aur aisi mast position pe thi ke Lund aur choot dono ek hi level pe the. Lund ke supade ko choot ke surakh mai rakhe rakhe mai uske khule blouse se uski chuchian choosne laga jo mere muh ke samne thi.

Usne ek hath se mera sar pakad ke apni chuchion mai ghusaya hua tha aur doosre hath se mere lund ko pakad ke geeli aur garam choot ke chote se surakh mai ghis rahi thi. Dono maze se pagal ho rahe the. Train ke continue hilne se lund automatically uski geeli choot mai aage peeche ho raha tha magar mai ne phir bhi thoda sa supada baher nikal ke ander ghusa dia to poore ka poora supada train ke dhakke se choot ke surakh mai ghus gaya aur woh mujh se lipat gai. Aise hi dheere dheere halke halke dhakko se lund ko almost aadha uski choot ke ander ghused dia. Uski choot bohot hi tight lag rahi thi aise lagta tha jaise kisine mere lund ko zor se kass ke tight pakad lia ho. Lund jaise jaise ander ghus raha tha uski grip tight ho rahi thi.

Lund ko ab ek minute ke liye uski choot ke ander hi chor ke uske chuchion ko masalne aur choosne laga aaahhhhh kia maza aa raha tha wonderful chuchian thi uski choti choti jo ke mere muh mai poori sama gai thi. chuchion ko choosna shuru kia to woh aur masti mai aa gai aur chooste chooste lund ko dheere dheere ander baher karne laga. lagta tha ke uska juice nikal gaya isi liye uski choot mai mera aadha lund easily ander baher ho raha tha. choot ka juice lund pe lagne se lund chikna aur slippery ho gaya tha to mai ne apna lund poore ka poora baher nikal ke ek zor ka jhatka mara to uske muh se ek zor daar cheekh nikal gaii aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii ooooooooooooffffffffffffffffff aaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhh

Ssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssss aaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhh aur mujh se bohot hi zor se lipat gai. Uski cheekh train ki seeti ki awaaz mai dab gai aur kisi ne kuch nahi suna aur koi neend se utha bhi nahi kiyonke engine ke seeti ki awaz se woh sab wakif the aur neend mai siti sunne ke aadi ho chuke the.

Lund ko choot ki gehraion tak ghused ke mai thodi der ke liye ruk gaya taa ke uski choot mere mote lohe jaise lund ke size ko adjust kar le. Usne mujhe zor se pakda hua tha zor zor se saans le rahi thi aur uuuuuhhhhh eeeeehhhh aur aaaaaahhhhhhh jaisi awazain nikal rahi thi. Phir takreeban 2 – 3 minute mai uski saansein theek hui to mai dhakke maar maar ke usko chodna shuru kar dia. Pehle dheere dheere aadha lund geeli aur tight choot se nikal nikal ke chodne laga woh mujh se lipti rahi aaahhhhh bohot maza tha mazdoor ki tight choot mai.

Ab mai apni gand peeche kar ke Lund ko poora head tak baher nikal nikal ke choot mai ghused ke chod raha tha. Lund uski choot mai bohot ander tak ghus raha tha. Mujhe maehsoos ho raha tha ke mere jeans ki chain uski choot ko touch kar rahi hai to usko aur ziada maza aa rha tha aur uske muh se aaaaaahhhhhh oooooooohhhhhhhh eeeeeiiiiiii aur ooooohhhhhhhhh jaise siskariyan nikal rahi thi jo sirf mere kano mai sunai de rahi thi.

Uski dabi dabi siskariyon se mujhe aur maza aa raha tha aur mai zor zor se lund ko poora supade tak nikal nikal ke chod raha tha kkhhaacchhaakkk kkkhhaaaccchhhaakkk ki fukcing music sirf ham dono hi sun rahe the. Mera Lund to aisi tight choot mei ghus ke pagal hi ho gaya tha aur mai full force se chod raha tha lund ko poora baher tak nikal nikal ke chudai kar raha tha uski

tight choot ki lagta tha ke mera mota lohe jaisa tagda lund uski choot ko phaad hi dalega.

Train ke hilne jhulne se aur mere jhatko se aur uske boobs dance kar rahe the. Mai phir se unko pakad ke masalne laga aur choosne laga. Chudia full speed aur full power se chal rahi thi uski choot ke ander jab Lund ka maar lagta to woh kere badan se lipat jati thi Lund jack hammer ki tarah se ander baher ho raha tha aur ab mere balls mai bhi hal chal machi hui thi mere jhatke aur tez ho gaye. Woh to mujh se lipti hui thi mai ne hath badha ke door ki khidki se iron rod ko pakada hua tha aur uski grip se choot phaad jhatke mar raha tha jis se woh bohot maze le rahi thi. Mujhe laga ke mere balls mai meri cream ubalne lagi hai aur dekhte dekhte Lund ki garam garam malai balls mei se travel karti hui lund ke surakh mai se uski geeli choot mai pichaki marne lagi aur nikalti hi chali gai aur koi 7 – 8 pichkarian nikli aur uski choot full ho gai aur overflow hone lagi. Meri pichkari nikalte hi woh mujh se zor se lipat gai uska badan kaanp raha tha aur isi ke sath hi uski choot bhi jhadne lagi.


Post Reply