मौसी का गुलाम compleet

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raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 09:20

मौसी का गुलाम---7

गतान्क से आगे………………………….

आख़िर मन मार कर डॉली उठी और कपड़े पहनने लगी बाल सँवार कर और जींस तथा टीशर्ट ठीकठाक कर जब वह निकलने लगी तो मौसी ने उसका चुम्मा लेते हुए पूछा"अब कब आएगी डॉली बेटी? फिर इतनी देर तो नहीं करेगी मेरी रानी?" डॉली ने मौसी से वायदा किया "नहीं मम्मी, बस अगले महने से मैं यहीं वापस आ रही हूँ, फिर एक महने की छुट्टियाँ ले लूँगी जब तेरे पति यहाँ नहीं होंगे फिर बोलो तो तेरे पास आकर ही रहूंगी"

मौसी ने मज़ाक में पूछा "क्यों रानी, कहो तो अपनी नौकरानी ललिता बाई को भी बुला लूँ रहने को?" और फिर हँसने लगी डॉली ने कानों को हाथ लगाते हुए कहा "माफ़ करो दीदी, तुम्हारी नौकरानी तुम्हे ही मुबारक, दुक्के पर तिक्का मत करो, मुझे तो बस तुम्हारी छातियों और जांघों में जगह दे दो, मुझे और कोई नहीं चाहिए" मुझे ललिता बाई का जोक कुछ समझ में नहीं आया पर बाद में सब पता चल गया यह भी बड़ी मीठी कहानी है, फिर कभी बताऊन्गा

डॉली चली गई और मौसी दरवाजा बंद कर के आ गई वह अभी भी पूरी नंगी थी मैं अब तक वासना से ऐसे तडप रहा था जैसे बिन पानी मछली मुँह से गोंगिया रहा था कहने की कोशिश कर रहा था कि मौसी अब दया कर मौसी ने जब मेरा हाल देखा तो बिना कुछ और कहे मेरे बंधन खोल दिए और मुँह खोल कर अपनी ब्रा और पैंटी निकाल ली उसे मैंने चूस चूस कर ऐसा सॉफ कर दिया था कि धुली सी लग रही थी

मौसी ने अब मेरे उपर एक और बड़ी दया की चुपचाप जाकर ओन्धे मुँह पलंग पर पट लेट गई और आँखें बंद कर लीं वह काफ़ी थकी हुई थी और उसकी चुनमूनियाँ भी चूस चूस कर बिलकुल ठम्डी हो गई थी इसलिए आँखें बंद किए किए ही मौसी बोली "राज बेटे, तू ने बड़ी देर राह देखी है, आ, मेरी गान्ड मार ले मन भर के जो चाहे कर ले मेरे चुतडो से, बस मेरी चुनमूनियाँ को छोड़ दे, मैं सोती हूँ, पर तू मन भर के मेरे शरीर को भोग ले"

यह तो मानों मेरे लिए वरदान जैसा था और मैंने उसका पूरा फ़ायदा उठाया मौसी पर चढ कर उसकी गान्ड मारने लगा पहली बार तो मैं पाँच मिनट में ही झड गया पर फिर भी मौसी पर चढा रहा दूसरी बार मज़े ले लेकर आधा घंटे तक उसकी गान्ड मारी और तब झडा

झडने के बाद देखा तो मौसी सो गई थी और खर्ऱाटे ले रही थी पर मैंने और मज़ा लेने की सोची और तीसरी बार हचक हचक कर रुक रुक कर घंटे भर मौसी की गान्ड चोदी तब जाकर मेरी वासना शांत हुई गान्ड मारते हुए मैंने मौसी की चुचियाँ भी मन भर कर जैसा मेरा मन चाहा दबाई और मसली मौसी सोती ही रही आख़िर आधीरात को मैं अपना पूरा वीर्य उसके गुदा में निकालकर फिर ही सोया

मौसी के साथ गर्मी की छुट्टियो में मैंने अकेले में मस्त चुदाई शुरू कर दी थी मौसाजी तब दौरे पर थे मैंने मौसी से पूछा कि उसके और डॉली के बारे में क्या मौसाजी को मालूम है?

उसने हाँ कहा और पूरी बात बता दी "अरे तेरे मौसाजी भी कम नहीं हैं दूसरे शहर में उनके भी एक दो यार हैं जिनके साथ वे खूब मज़ा करते हैं हाँ सब पुरुष हैं किसी और औरत के साथ उनका संबंध नहीं है इसी तरह तेरे अलावा मैंने किसी और पुरुष से नहीं चुदवाया हाँ डॉली जैसी गर्ल फ्रेन्ड ज़रूर बना ली असल में हम दोनों बाई-सेक्सुअल हैं इसीलिए हमने शादी की और एक दूसरे पर कोई बंधन नहीं रखा है वैसे उन्हें यह भी मालूम है कि मैं तेरे साथ क्या कर रही हूँ मैंने उन्हें पहले ही बता दिया था वे भी बोले की हाँ घर का ही प्यारा लडका है, मैं जो चाहे कर लूँ"

सुनकर मुझे बड़ा मज़ा आया पर जब मौसाजी वापस आए तो मैं ज़रा उदास हो गया मुझे लगा कि अब मौसी के गदराए शरीर का भोग करना मेरे नसीब में नहीं है पर हुआ बिल्कुल उल्टा तीन शरीरों की जुगलबंदी शुरू हो गई

हुआ यह कि जब मौसाजी वापस आए तो उन्होंने ज़रा भी जाहिर नहीं किया कि उन्हें मेरे और मौसी के संबंध के बारे में मालूम है मैं भी चुप रहा उस रात मैं एक दूसरे कमरे में सोया बड़ी रात तक सोने की कोशिश कर रहा था रात को मौसी से संभोग की आदत हो जाने से मुझे अकेले नींद नहीं आ रही थी और इसलिए एक चुदाई की किताब पढ़ रहा था मौसाजी और मौसी अपने कमरे में थे वहाँ से हँसने खेलने की आवाज़ें आ रही थीं

अंत में लंड बुरी की तरह खड़ा हो गया मैं बस बत्ती बुझा कर मुठ्ठ मार कर सोने ही वाला था कि मौसी ने मुझे आवाज़ दी "राज, अकेला क्या कर रहा है बेटा? यहाँ आ जा"

मुझे समझ में नहीं आया कि आज की रात तो मौसी अपने पति की बाँहों मैं है तो मुझे क्यों कबाब में हड्डी बनाने को बुला रही है मैंने दरवाजा खटखटाया मौसी चिल्लाई "आ जा बेटे, दरवाजा खुला है"

मैं अंदर आया तो देखता ही रह गया आँखें फटी रहा गयीं और लंड और खड़ा हो गया रवि अंकल आराम कुर्सी में बैठे थे और मौसी उनकी गोद में बैठी थी दोनों मादरजात नंगे थे मौसी की टाँगें पसरी हुई थीं और मौसाजी का मोटा लंड मौसी की गुदा में जड तक धँसा हुआ था मौसाजी का एक हाथ अपनी पत्नी की चुनमूनियाँ में दो उंगलियाँ अंदर बाहर कर रहा था और दूसरे हाथ से वे मौसी के मम्मे दबा रहे थे आपस में चूमा चाटी भी चल रही थी

raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 09:21

मौसी मेरी ओर देख कर बोली "तुझे क्या लगा बेटे, तेरे को अकेले तडपते हुए छोड़ देंगे हम?" अंकल भी मुझे आँख मार कर बोले "राज, तेरी मौसी की चूत को तेरे मुँह की बहुत याद आ रही है देख कितना रस बहा रही है तेरे लिए तेरी मौसी भी अडी है, बोली चुनमूनियाँ का रस पिलाऊन्गि तो सिर्फ़ अपने प्यारे भांजे को!"

मौसी ने अपनी जांघें और फैला दीं और बाँहें पसार कर मुझे पास बुलाया "राज, नंगा हो जा और जल्दी से मौसी की जांघों में समा जा बेटे, चूस ले अपनी मौसी की चुनमूनियाँ तुझे रस पिलाए बिना यह चुनमूनियाँ ठंडी नहीं होगी"

मैंने काँपते हाथों से कपड़े उतारे और दौड कर मौसी के सामने उसकी जांघों के बीच बैठ कर मौसी की टपकती चुनमूनियाँ में मुँह डाल दिया मौसी की गान्ड का छेद मेरे मुँह से बस दो तीन इंच दूर था और मौसी का तनकर खुला गुदाद्वार और उसमें फंसा मोटा ताज़ा लंड देखकर मैं और उत्तेजित हो रहा था चुनमूनियाँ का स्वाद लेते हुए मेरी जीभ कभी कभी गान्ड और लंड तक पहुँच जाती थी

मौसाजी नीचे से ही मौसी की गान्ड मार रहे थे और लंड गुदा में से एक दो इंच अंदर बाहर हो रहा था मौसाजी ने अब दोनों हाथों से मौसी की चुचियाँ मसलना शुरू कर दी थीं और मैं अपनी जीभ उसके क्लिट पर रगड रहा था मौसी ने मेरे सिर को कस कर अपनी चुनमूनिया पर दबाया और हुनक कर झड गई बाहर उबल उबल कर निकलते उस चिपचिपे पानी को मैंने चाट चाट कर सॉफ किया और फिर मौसी की झांतों से ढके भगोष्ठो का प्रेम से चुंबन लेने लगा

चुनमूनियाँ चटवाकर मौसी ने मुझे उपर खींच कर अपने सामने खड़ा कर लिया मेरा खड़ा लंड बिलकुल मौसी के चेहरे के सामने मचल रहा था उसे पकड़ कर मौसी ने चूमा और फिर मौसाजी को दिखाया "देखो, कितना प्यारा रसीला लंड है मेरे भांजे का अभी पूरा जवान भी नहीं है लडका, एकदम कमसिन है पर मुझ पिछले दो हफ्तों में बहुत सुख दिया है इसने"

मौसाजी बोले "अरे, फिर इसे थैंक यू तो ज़रूर कहना चाहिए" और सर आगे बढ़ाकर मेरे सुपाडे को चूम लिया मेरा आश्चर्यचकित चेहरा देख कर मौसी हँसने लगी "डर मत राज, तेरे मौसाजी भी तुझे बहुत प्यार करते हैं बस अभी तक मौका नहीं मिला था मैंने जब इन्हें शादी वाली बात बताई तो इन्होंने ही कहा था कि राज को बुला ले और मज़ा कर देख, कितने प्यार से चूस रहे हैं तेरा"

अब तक पूरा सुपाडा मौसाजी ने मुँह में भर लिया था और उसे रसगुल्ले जैसा चूस रहे थे नीचे से उनकी जीभ मेरे सुपाडे के निचले मांसल भाग को ऐसा मस्त सहला रही थी कि मैं सिसक उठा मौसी ने मेरा बहुत बार चूसा था पर अंकल के चूसने में अलग जादू था मौसी बोली "मुझे भी चूसने दो जी, अकेले मत हडप कर जाना यह माल"

रवि अंकल हँस कर बोले "अच्छा चल मेरी रानी, बारी बारी से चूसते हैं इस मस्त लोलीपोप को"

मौसी और अंकल अब बारी बारी से मेरा लंड चूसने लगे उस मीठी अगन से तडपता मैं किसी तरह खड़ा रहा और फिर सहन ना होने से कसमसा कर मौसी के मुँह में झड गया मौसी ने मेरे वीर्य के तीन चार घुन्ट लिए और फिर अपना मुँह बाजू में कर के मौसाजी को मेरा लंड दे दिया मौसाजी ने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पास खींच लिया और पूरा लंड निगल कर चूसने लगे मुझे उन्होंने तब तक नहीं छोड़ा जब तक मेरे लंड ने आखरी बूँद उनके मुँह में नहीं उगल दी

मेरे झडे लंड को मुँह से निकाल कर मौसाजी चटखारे लेते हुए बोले "क्या स्वादिष्ट है राज तेरा वीर्य तभी तेरी मौसी इतनी खुश लग रही थी मेरे वापस आने पर" मैं लंड में होते मीठे आनंद का मज़ा लेते हुए साँस लेने को पलंग पर बैठ गया मेरा लंड चूस कर मौसाजी गरमा गये थे मौसी को बोले "चल शन्नो रानी, पलंग पर लेट जा, तेरी गान्ड मारूँगा अब"

मौसी को कमर से पकडकर वैसे ही लंड गान्ड में घुसाए हुए उन्होंने उठाया और लाकर पलंग पर पटक दिया मौसी ने सरककर प्यार से अपना सिर मेरी गोद में रख दिया और मेरे लंड का चुंबन लेने लगी उधर मौसाजी अब तक मौसी पर चढकर उसकी गान्ड मारने में जुट गये थे ऐसी जोरदार गान्ड चोदने की क्रिया मैंने पहली बार देखी थी मौसाजी का कड़ा मोटा लंड मौसी की कोमल गान्ड के छेद को चौड़ा करता हुआ सटासट अंदर बाहर हो रहा था

जब लंड बाहर निकलता तो उस की साइज़ देखकर मैं हैरान रह जाता कि आख़िर कैसे मौसी इतने बड़े लंड को अंदर लेती है मौसी धीरे धीरे कराह रही थी और मुझे लगा कि उसे दर्द हो रहा होगा पर उसके चेहरे पर तो बड़े तृप्त भाव थे अब मैं समझ गया कि पहली बार जब मैंने मौसी की गान्ड मारी थी तो कैसे मेरा लंड आरामा से मौसी की गान्ड में चला गया था मौसाजी का हलब्बी लंड लेने के बाद मेरा कमसिन लंड तो उसके लिए बच्चों का खेल था

क्रमशः……………………

raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 09:22

मौसी का गुलाम---8

गतान्क से आगे………………………….

मौसी ने अब तक मेरे लंड को चूम चूम कर फिर खड़ा कर दिया था गान्ड मरावाते हुए पूरा लंड मुँह में लेकर वह आराम से चूस रही थी मौसाजी अब झडने के करीब आ गये थे और तैश में आकर गंदी गंदी बातें कहते हुए पूरे ज़ोर से मौसी की गान्ड मार रहे थे "तेरी गान्ड मारूं मेरी चुदैल रानी, तेरे मस्त मोटे चुतडो को चोदू साली चुदैल, रंडी, क्या गान्ड है तेरी मेरी जान!"

उनका चेहरा इस समय मेरे करीब था और मस्ती में मौसाजी ने झुक कर अपने होंठों मेरे होंठों पर जमा दिए और चूमने लगे उनके मुँह का स्वाद मौसी के मुँह के मीठे स्वाद से थोड़ा अलग था पर था बड़ा मादक पास से उनकी आफ्टरशेव की खुशबू भी आ रही थी

मैंने भी उत्तेजित होकर अपनी बाँहें अंकल के गले के इर्द गिर्द डाल दीं और उन्हें ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा मेरी आँखों में अपनी वासना भरी आँखें डाल कर मौसाजी मेरी जीभ चूसते हुए पूरे ज़ोर से हचक हचक कर मौसी की गान्ड मारने लगे मैं मौसाजी को अपनी जीभ चुसवाता हुआ उचक उचक कर नीचे से ही मौसी के मुँह को चोदने की कोशिश करने लगा उधर मौसाजी ने चार पाँच करारे धक्के लगाए और झड गये उनकी ज़ोर से चलती गरम गरम साँसें सीधे मेरे मुँह में जा रही थीं

मुझे छोड़कर आख़िर तृप्त होकर मौसाजी धीरे से मुस्कराते हुए मौसी पर लेट गये और सुसताने लगे मैं अब बहुत उत्तेजित था और किसी भी तरह किसी से भी संभोग करना चाहता था बहुत देर से मौसी की चुनमूनियाँ चूसने की भी मुझे तीव्र इच्छा हो रही थी मौसी को मैंने कहा कि पलट कर सीधी हो जाए जिससे मैं उसकी चुनमूनियाँ चूस सकूँ मौसी मुस्कराकर बोली "राज, मेरी चुनमूनियाँ का पानी बहुत पिया है, आज थोड़ा स्वाद बदल ले अब तेरे अंकल अपना लंड मेरी गान्ड से निकालेंगे उसे चाट के देख, तेरे को मज़ा आ जाएगा"

मैं खुशी से तैयार हो गया मौसाजी ने अपना लंड खींच कर मौसी के गुदा से निकाला उस पर उनका वीर्य लिपटा हुआ था मैं उसे चाटने लगा बड़ा मज़ा आ रहा था मौसाजी ने मेरे बाल सहलाकार कहा "पूरा लंड मुँह में ले ले बेटे, और मन लगा कर चूस" लंड झड कर अब सिकुड कर छोटे गाजर जैसा हो गया था मैंने उसे आराम से मुँह में भर लिया और जीभ पर लेकर चूसने लगा मौसी की गान्ड की सौंधी खुशबू में भीना अंकल का वीर्य मुझे बहुत भाया मौसी भी मन लगा कर क्यों मेरा लंड चूसती हैं यह भी पता चल गया मन ही मन सोचा कि अगर रोज मौसाजी चूसने दें तो क्या मज़ा आए

पूरा चाटने के बाद भी मैंने लंड मुँह से नहीं निकाला बल्कि उसे अपने गले तक निगल कर उस पर जीभ और होंठ चलाता हुआ मैं उसे और ज़ोर से चूसने लगा असल में वह नरम नरम लंड मुँह में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मौसाजी का लंड मेरे चूसने से फिर खड़ा होने लगा था वे खुश होकर मौसी से बोले "शन्नो, तेरा भांजा तो लंड चूसने में एक्सपर्ट है, देख कैसे मेरा दो मिनिट में फिर से खड़ा कर दिया" मौसी ने भी प्यार से मेरा गाल चूमा कर पूछा "बेटे, अपने मौसाजी की और मलाई खाएगा?"

मैंने खुश होकर सिर हिलाकर हाँ कहा और लंड और ज़ोर से चूसने में लग गया कि जल्दी से उन्हें झडाऊ मौसी बोली"नहीं राजा, ऐसे नहीं, मेरी गान्ड में अभी अभी झडे हैं तेरे अंकल, मुँह लगा कर चूस ले, कम से कम आधी कटोरी मलाई मिलेगी अंदर"

यह कल्पना ही इतनी मादक थी कि मैं तुरंत मौसी के चुतडो पर लपक पड़ा और गान्ड पर मुँह लगाकर चूसने लगा मौसी की गान्ड का स्वाद लगी उस मलाई का क्या कहना मैं चूस चूस कर उसे निगलने लगा मौसाजी ने अपनी पत्नी के चुतड फैला कर रखे जिससे मैं आसानी से माल चूस सकूँ वे बोले "बड़ा प्यारा और चिकना लडका है उसका लंड कैसा तन्ना कर खड़ा है देख"

अंत में मैंने जीभ अंदर डाल कर आखरी बूँद का सफ़ाया कर दिया मौसी हँस कर उठ बैठी "बहुत हो गया बेटे, अब कुछ नहीं बचा मेरी गान्ड के अंदर" अपनी टाँगें फैला कर वह लेट गयी और मुझे अपने उपर खींच लिया"चल अब चोद मुझे जल्दी से"

मैं हचक हचक कर शन्नो मौसी को चोदने लगा मौसाजी ने सिरहाने बैठकर अपना लंड मौसी के मुँह पर दे दिया और वह उसे अपने गालों और आँखों पर प्यार से रगडने लगी लंड मेरे ठीक सामने था और इतने पास से मैंने पहली बार उसे ठीक से देखा करीब आठ इंच लंबा बड़े गाजर जैसा मोटा गोरा लंड और उस पर लाल लाल टमाटर जैसा सुपाडा किसी का भी मन उसे चूसने को करता

लंड का चुंबन लेते हुए जब मौसी ने मेरी आँखों में उतर आई वासना देखी तो मुझे और पास खींच कर मेरा मुँह भी उससे सटा दिया अब हम दोनों लंड को एक साथ चूमने लगे इतना कोमल और चिकना सुपाडा था जैसे चमडी नहीं, रेशम हो और मैं उसे बार बार जीभ से आइसक्रीम कॉन जैसे चाटने लगा

मौसाजी अब मेरे नितंबों को सहलाने लगे ख़ास कर मेरी गुदा को वे बहुत हौले हौले प्यार से रगडने लगे पहली बार किसीने मेरी गान्ड के छेद को छुआ था और मैं मस्ती से हुनक उठा मेरा आनंद देखकर मौसाजी मुस्काराए और मौसी की चुनमूनियाँ से थोड़ा रस अपनी उंगली पर ले कर मेरी गुदा को चिकना करने लगे फिर धीरे धीरे उन्होंने अपनी बीच की उंगली मेरी गान्ड में डालना शुरू की मेरी टाइट कुँवारी गान्ड में वह धीरे धीरे मुश्किल से गई क्योंकि रह रह कर मेरी गान्ड का छल्ला अपने आप सिकुड कर गुदा को और टाइट कर देता

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