dsi sex - ससुर जी ओर बहु - sasur or bahu ki chudai ki kahani
Re: dsi sex - ससुर जी ओर बहु - sasur or bahu ki chudai ki ka
जब प्लेन में रमेश और उषा अपने घर के लिये जा रहे थे तो रमेश ने उषा से पूछा, क्यों उषा रानी, एक बात सही सही बातओ, कौन ज्यादा अच्छा चोदता है, मैं, गौतम या पिताजी?” रमेश का बात सुन कर उषा बिलकुल अचम्भित हो गई, फिर उसने धीरे से पूछा, “पिताजी से चुदाई कि बात तुमको कैसे मालूम? तुम तो अपनी सुहागरात पर ड्यूटी पर थे?” तब रमेश धीरे से उषा को चूमते हुए बोला, “हां, तुम ठीक कह रही हो, मुझे उस दिन ड्यूटी पर जाना पड़ा। जब हम अपनी ड्यूटी से करीब एक घण्टे के बाद लौटा तो देखा तुम पिताजी का लण्ड पकड़ चूस रही हो और पिताजी तुम्हारी चूत में अपनी अंगुली पेल रहे है। यह देख मैं चुपचाप कमरे के बहर खड़े हो कर तुम्हे और पिताजी का चुदाई खत्म होते वक्त तक देखा और फिर लौट गया और सुबह ही घर पर आया।”
“क्या तुम मुझसे नाराज़ हो” उषा धीरे से रमेश से पूछा।
“नही, मैं तुम से बिलकुल भी नाराज नही हूं। तुमने पिताजी को अपनी चूत दे कर एक बहुत बड़ा उपकार किया है” रमेश बोला। उषा यह सुन कर बोली, “वो कैसे”। तब रमेश बोला, “अरे हमारी माताजी अब बुड्ढी हो गई है और उनको टांगे उठाने में तकलीफ़ होते है, लेकिन पिताजी अभी भी जवान हैन। उनको अगर घर पर चूत नही मिलती तो वो जरूर से बाहर जाकर अपना मुंह मारते। उसमे हम लोगो कि बदनामी होती। हो सकता कि पिताजी को कोई बिमारी ही हो जाती। लेकिन अब यह सब नही होगा क्योंकि उनको घर पर ही तुम्हारी चूत चोदने को मिल जाया करेगा।”
“तो क्या मुझको पिताजी से घर में बार बार चुदवाना पड़ेगा?” उषा ने पलट कर रमेश से पूछा।
“नही बार बार नही, लेकिन जब उनकी मरज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से मना मत करना।”
“लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?” उषा ने पूछा।
“तब की बात तब देखी जायेगी” रमेश ने कहा।फिर उषा और रमेश अपने घर आ गये और वे अपने अपने कम पर लग गये। रमेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात को उषा को नंगी करके खूब चोदता था। गोविन्द जी भी कभी कभी उषा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुछ दिनो के बाद उषा और रमेश साथ साथ उषा के मैके गये। ससुराल में रमेश का बहुत आव-भगत हुअ। उषा के जितने रिशतेदार थे उन सभी ने रमेश और उषा को खाने पर बुलया। रमेश और उषा को मज़े ही मज़े थे। अपने ससुराल पर भी रमेश उषा को रात को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभी मौका मिल गया तो दिन को उषा को बिसतर पर लेटा कर चुदाई चालू कर देता था। एक दिन रमेश पास की किसी दुकन पर गया हुआ था। उषा कमरे में बैठ कर पेपर पढ रही थी। एकाएक उषा को अपनी मा, रजनी जी के रोने कि अवाज़ सुनाई दिया। उषा भाग कर अन्दर गई तो देखा कि रजनी जी भगवानजी के फोटो सामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवानजी से बोल रही
“क्या तुम मुझसे नाराज़ हो” उषा धीरे से रमेश से पूछा।
“नही, मैं तुम से बिलकुल भी नाराज नही हूं। तुमने पिताजी को अपनी चूत दे कर एक बहुत बड़ा उपकार किया है” रमेश बोला। उषा यह सुन कर बोली, “वो कैसे”। तब रमेश बोला, “अरे हमारी माताजी अब बुड्ढी हो गई है और उनको टांगे उठाने में तकलीफ़ होते है, लेकिन पिताजी अभी भी जवान हैन। उनको अगर घर पर चूत नही मिलती तो वो जरूर से बाहर जाकर अपना मुंह मारते। उसमे हम लोगो कि बदनामी होती। हो सकता कि पिताजी को कोई बिमारी ही हो जाती। लेकिन अब यह सब नही होगा क्योंकि उनको घर पर ही तुम्हारी चूत चोदने को मिल जाया करेगा।”
“तो क्या मुझको पिताजी से घर में बार बार चुदवाना पड़ेगा?” उषा ने पलट कर रमेश से पूछा।
“नही बार बार नही, लेकिन जब उनकी मरज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से मना मत करना।”
“लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?” उषा ने पूछा।
“तब की बात तब देखी जायेगी” रमेश ने कहा।फिर उषा और रमेश अपने घर आ गये और वे अपने अपने कम पर लग गये। रमेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात को उषा को नंगी करके खूब चोदता था। गोविन्द जी भी कभी कभी उषा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुछ दिनो के बाद उषा और रमेश साथ साथ उषा के मैके गये। ससुराल में रमेश का बहुत आव-भगत हुअ। उषा के जितने रिशतेदार थे उन सभी ने रमेश और उषा को खाने पर बुलया। रमेश और उषा को मज़े ही मज़े थे। अपने ससुराल पर भी रमेश उषा को रात को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभी मौका मिल गया तो दिन को उषा को बिसतर पर लेटा कर चुदाई चालू कर देता था। एक दिन रमेश पास की किसी दुकन पर गया हुआ था। उषा कमरे में बैठ कर पेपर पढ रही थी। एकाएक उषा को अपनी मा, रजनी जी के रोने कि अवाज़ सुनाई दिया। उषा भाग कर अन्दर गई तो देखा कि रजनी जी भगवानजी के फोटो सामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवानजी से बोल रही
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“भगवन तुमने ये क्या किया। तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों उठा लिया और अगर उनको उठा लिया तो मेरी बदन में इतना गरमी क्यों भर दिया। अब मैं जब जब अपनी लड़की और दामाद कि चुदाई देखती हूं तो मेरी शरीर में आग लग जती है। अब क्या करूं? कोइ रास्ता तुम्ही दिखला दो, मैं अपनी गरम शरीर से बहुत परेशान हो गई हूं।” उषा समझ गई कि क्या बात है। वो झट अपनी मा के पास जकर मा को अपने बाहों में भर लिया और पीछे से चूमते हुए बोली,
“मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे क्यों नही बोली?” रजनी जी अपने आपको उषा से चुराते हुए बोली,
“मैं अगर तुझे बता भी दूं तो तू क्या कर लेती? तुम भी तो मेरी ही तरह से एक औरत हो?”
अरे मुझसे कुछ नही होता तो क्या तुम्हारा दामाद तो है? तुम्हारा दामाद ही तुमको शान्त कर देगा” उषा अपनी मा को फिर से पकड़ कर चूमते हुए बोली।
“क्या बोली तू, अपने दामाद से मैं अपनी जिस्म कि भूख शान्त करवाऊंगी? तेरा दिमाग तो ठीक है?” रजनी जी अपनी बेटी उषा से बोली। तब उषा अपने हाथों से अपनी मा कि चूंचियों को पकड़ कर दबाते हुए बोली, “इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म कि भूख से मरी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारी जिस्म कि भूख को नहीं मिटा सकता है क्या ?, अगर तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं अपने दामाद के समने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दामादजी मेरे पास आओ और मेरी जिस्म की आग बुझाओ।”
“चल हट बड़ी चुद्दकड़ बन रही है, मुझे तो यह सोच कर ही शरम आ रही है, कि मैं अपनी दामाद के सामने नंगी लेट कर अपनी टांगे उठाऊंगी और वो मेरी चूत में अपना लण्ड पेलेगा” रजनी जी मुड़ कर अपनी बेटी कि चूंचियों को मसलते हुये बोली।तभी रमेश, जो कि बाहर गया हुआ था, कमरे में घुसा और घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन लिया। रमेश ने आगे बढ कर अपनी सास के सामने घुटने के बल बैठ गया और अपनी सास के चूतड़ों को अपने हाथों से घेर कर पकड़ते हुए सास से बोला, “मा आप क्यों चिन्ता कर रही हैं, मैं हूं ना? मेरे रहते हुए आपको अपनी जिस्म कि भूख कि चिन्ता नही करनी चाहिये। अरे वो दामाद ही बेकार का है जिसके होते हुए उसकि सास अपनी जिस्म की भूख से पागल हो जाये।”नही, नही, छोड़ो मुझे। मुझे बहुत शरम लग रही है” रजनी जी ने अपने आप को रमेश से छुड़ाते हुए बोली। तभी उषा ने आगे बढ कर अपनी मा कि चूंची को पकड़ कर मसलते हुए उषा अपनी मा से बोली, “क्यों बेकार की शरम कर रही हो मा। मन भी जाओ अपने दामाद की बात और चुपचाप जो हो रहा उसे होने दो।” तब थोड़ी देर चुप रहने के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ़ देख कर बोली, “ठीक है, जैसे तुम लोगो कि मरज़ी। लेकिन एक बात तुम दोनो कान खोल कर सुन लो। मैं अपने दामाद के समने बिलकुल नंगी नही हो पाऊंगी। आगे जैसा तुम लोग चाहो।” इतना सुन कर रमेश मुसकुरा कर अपने सास से कह, “अरे सासुमा आप को कुछ नही करना है। जो कुछ करमा मैं ही करुंगा, बस आप हमारा साथ देती जाये।”फिर रमेश उठ कर खड़े हो गया और अपनी सास को अपनी दोनो बाहों में जकड़ कर चूमने लगा। रजनी जी चुपचाप अपने आप को अपने दामाद के बाहों में छोड़ कर खड़ी रही। थोड़ी देर तक अपने सास को चूमने के बाद रमेश ने अपने हाथों से अपने सास कि चूंची पकड़ कर दबाने लगा। अपने चूंचियों पर दामाद का हाथ पड़ते ही रजनी जी मारे सुख के बिलबिला उठी और बोलने लगी, “और जोर से दबाओ मेरी चूंचियो को बहुत दिन हो गये किसी ने इस पर हाथ नही लगाया है। मुझे अपने दामाद से चूंची मसलवाने में बहुत मज़ा मिल रहा है। और दबाओ। आ बेटी तू ही आ मेरे पास आजा और मेरे इन चूंचियों से खेल।” अब रमेश फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमने लगा। रजनी जी अपने चूत के ऊपर अपने दामाद के मुंह लगते ही बिलबिला उठी और जोर जोर से सांस लेने लगी।
“मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे क्यों नही बोली?” रजनी जी अपने आपको उषा से चुराते हुए बोली,
“मैं अगर तुझे बता भी दूं तो तू क्या कर लेती? तुम भी तो मेरी ही तरह से एक औरत हो?”
अरे मुझसे कुछ नही होता तो क्या तुम्हारा दामाद तो है? तुम्हारा दामाद ही तुमको शान्त कर देगा” उषा अपनी मा को फिर से पकड़ कर चूमते हुए बोली।
“क्या बोली तू, अपने दामाद से मैं अपनी जिस्म कि भूख शान्त करवाऊंगी? तेरा दिमाग तो ठीक है?” रजनी जी अपनी बेटी उषा से बोली। तब उषा अपने हाथों से अपनी मा कि चूंचियों को पकड़ कर दबाते हुए बोली, “इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म कि भूख से मरी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारी जिस्म कि भूख को नहीं मिटा सकता है क्या ?, अगर तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं अपने दामाद के समने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दामादजी मेरे पास आओ और मेरी जिस्म की आग बुझाओ।”
“चल हट बड़ी चुद्दकड़ बन रही है, मुझे तो यह सोच कर ही शरम आ रही है, कि मैं अपनी दामाद के सामने नंगी लेट कर अपनी टांगे उठाऊंगी और वो मेरी चूत में अपना लण्ड पेलेगा” रजनी जी मुड़ कर अपनी बेटी कि चूंचियों को मसलते हुये बोली।तभी रमेश, जो कि बाहर गया हुआ था, कमरे में घुसा और घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन लिया। रमेश ने आगे बढ कर अपनी सास के सामने घुटने के बल बैठ गया और अपनी सास के चूतड़ों को अपने हाथों से घेर कर पकड़ते हुए सास से बोला, “मा आप क्यों चिन्ता कर रही हैं, मैं हूं ना? मेरे रहते हुए आपको अपनी जिस्म कि भूख कि चिन्ता नही करनी चाहिये। अरे वो दामाद ही बेकार का है जिसके होते हुए उसकि सास अपनी जिस्म की भूख से पागल हो जाये।”नही, नही, छोड़ो मुझे। मुझे बहुत शरम लग रही है” रजनी जी ने अपने आप को रमेश से छुड़ाते हुए बोली। तभी उषा ने आगे बढ कर अपनी मा कि चूंची को पकड़ कर मसलते हुए उषा अपनी मा से बोली, “क्यों बेकार की शरम कर रही हो मा। मन भी जाओ अपने दामाद की बात और चुपचाप जो हो रहा उसे होने दो।” तब थोड़ी देर चुप रहने के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ़ देख कर बोली, “ठीक है, जैसे तुम लोगो कि मरज़ी। लेकिन एक बात तुम दोनो कान खोल कर सुन लो। मैं अपने दामाद के समने बिलकुल नंगी नही हो पाऊंगी। आगे जैसा तुम लोग चाहो।” इतना सुन कर रमेश मुसकुरा कर अपने सास से कह, “अरे सासुमा आप को कुछ नही करना है। जो कुछ करमा मैं ही करुंगा, बस आप हमारा साथ देती जाये।”फिर रमेश उठ कर खड़े हो गया और अपनी सास को अपनी दोनो बाहों में जकड़ कर चूमने लगा। रजनी जी चुपचाप अपने आप को अपने दामाद के बाहों में छोड़ कर खड़ी रही। थोड़ी देर तक अपने सास को चूमने के बाद रमेश ने अपने हाथों से अपने सास कि चूंची पकड़ कर दबाने लगा। अपने चूंचियों पर दामाद का हाथ पड़ते ही रजनी जी मारे सुख के बिलबिला उठी और बोलने लगी, “और जोर से दबाओ मेरी चूंचियो को बहुत दिन हो गये किसी ने इस पर हाथ नही लगाया है। मुझे अपने दामाद से चूंची मसलवाने में बहुत मज़ा मिल रहा है। और दबाओ। आ बेटी तू ही आ मेरे पास आजा और मेरे इन चूंचियों से खेल।” अब रमेश फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमने लगा। रजनी जी अपने चूत के ऊपर अपने दामाद के मुंह लगते ही बिलबिला उठी और जोर जोर से सांस लेने लगी।
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रमेश भी उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमता रहा। थोड़ी देर के बाद रजनी जी से सहा नही गया और खुद ही अपने दामाद से बोली, “अरे अब कितना तड़पाओगे। तुम्हे चूत में अंगुली या जीभ घुसानी है तो ठीक तरीके से घुसाओ। साड़ी के ऊपर से क्या कर रहे हो?” अपनी सास कि बात सुन कर रमेश बोला, “मैं क्या करता, आपने ही कहा था आप साड़ी नही उतारेंगे। इसिलिये मैं आपकी साड़ी के ऊपर से ही आपकी चूत चूम रहा हूं।”“वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी साड़ी उठा कर भी तो मेरी चूत का चुम्मा ले सकते हो?” रजनी जी ने अपने दामाद से बोली। अपनी सास कि बात सुनते ही रमेश ने जल्दी से अपनी सास की साड़ी को पैरों के पास से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरु कर दिया और जैसे ही साड़ी रजनी जी की जांघो तक उठ गई तो रजनी जी मारे शरम के अपना चेहेरा अपने हाथों से ढक लिया और अपने दामाद से बोली, “अब बस भी करो, और कितना साड़ी उठाओगे। अब मुझे शरम आ रही है। अब तुम अपना सर अन्दर डाल कर मेरी चूत को चूम लो।” लेकिन रमेश अपनी सास कि बात को अनसुनी करते हुए रजनी जी की साड़ी को उनकी कमर तक उठा दिया और उनकी नंगी चूत पर अपना मुंह लगा कर चूत को चूम लिया। थोड़ी देर तक रजनी जी की नंगी चूत को चूम कर रमेश अपनी सास कि चूत को गौर से देखने लगा और अपनी अंगुलियों से उनकी चूत की पत्तियों और दाने से खेलने लगा। रमेश कि हरकतों से रजनी जी गरमा गई और उनकी सांस जोर जोर से चलने लगी। अपनी मा की हालत देख कर उषा आगे बढ कर अपनी मा की चूंचियो से खेलने लगी और धीरे धीरे उनकी ब्लाऊज के बटन खोलने लगी। रजनी ने अपने हाथों से अपने ब्लाऊज को पकड़ते हुए अपने बेटी से पूछने लगी, “क्या कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है। छोड़ दे बेटी मुझको।“ उषा अपनी काम जारी रखते हुए अपनी मा से बोली, “अरे मा, जब तुम अपने दामाद का मूसल अपने चूत में पिलवाने जा रही हो तो फिर अब शरम कैसी? खोल दे अपने इन कपड़ों को और पूरी तरफ़ से नंगी हो कर मेरे पति के लण्ड का सुख अपने चूत से लो। छोड़ो अब, मुझको तुम्हारे कपड़े खोलने दो।” इतना कह कर उषा ने अपनी मां का ब्लाऊज, ब्रा, साड़ी और फिर उनकी पेटीकोट भी उतार दिया। अब रजनी जी अपने दामाद के समने बिलकुल नंगी खड़ी थी। रमेश अपने नंगी सास को देखते ही उन पर टूट पड़ा और एक हाथ से उनकी चूंचियो को मलता रहा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को मसलता रहा। रजनी जी भी गरम हो कर अपने दामाद का कुरता और पैजामा उतर दिया। फिर झुक कर अपने दामाद का अन्डरवियर भी उतार दिया। अब सास और दामाद दोनो एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।जैसे ही रजनी जी ने रमेश का मोटा मस्त लण्ड को देखा, रजनी जी अपने आप को रोक नही पाई और झुक कर उस मस्त लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। उषा भी चुपचाप खड़ी नही थी। वो अपनी मा के चूतड़ के तरफ़ बैठ कर उसकी चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपनी मा कि चूत को चूसने लगी। रजनी जी अपने दामाद का मोटा लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी और कभी कभी उसको अपने जीभ से चाटने लगी। लण्ड को चाटते हुए रजनी जी ने अपने दामाद से बोली, “हाय! रमेश, तुमहरा लण्ड तो बहुत मोटा और लम्बा है। पता नही उषा पहली बार कैसे इसको अपनी चूत में लिया होगा। चूत तो बिलकुल फट गई होगी? मेरे तो मुंह दर्द होने लगा इतना मोटा लण्ड चूसते चूसते। वैसे मुझे पता था कि तुमहरा लण्ड इतना शानदार है”“कैसे?” रमेश ने अपने सास कि चूंचियों को दबाते हुए पूछा। तब रजनी जी बोली, “कैसे क्या? तुम जब मेरे घर में अपने शादी के बाद आये थे और रोज दोपहर और रात को उषा को नंगी करके चोदते थे तो मैं खिड़की से झांका करती थी और तुम्हारी चुदाई देखा करती थी। उन दिनो से मैं जानती थी कि तुम्हारा लण्ड की साईज़ क्या है और तुम कैसे चूत चाटते हो और चोदते हो।” तब रमेश ने अपने सास कि चूंचियों को मसलते हुए पूछा, “क्या मांजी, आपके पति यानि मेरे ससुरजी का लण्ड इतना मोटा और लम्बा नही था?” “नही, उषा के पापा का लण्ड इतना मोटा और लम्बा नही था, और उनमे सेक्स कि भावना बहुत ही कम थी। इसिलिये वो मुझको हफ़्ते में केवल एक-दो बार ही चोदते थे” रजनी जी ने बोली।