पंडित & शीला पार्ट--10
***********
गतांक से आगे ......................
***********
और माधवी के होंठ सच में फडक रहे थे ..उनमे एक अजीब सा कम्पन भी था ..
पंडित का तो मन कर रहा था की माधवी के फड़कते हुए होंठों को अपने तपते हुए होंठों से जला डाले, पर हमेशा की तरह वो अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था ..
पंडित : "माधवी ..पता है न इसे क्या कहते हैं ..??"
पंडित ने उसकी मस्तानी आँखों में देखते हुए , अपने लंड को जड़ से पकड़ कर उसके सामने लहराया ..
माधवी : " जी ... जी ..पता है ..ल ..लंड ...कहते हैं ..इसको .."
पंडित मुस्कुराया और बोल : "वो तो दुनिया वाले कहते हैं ..तुम इसको देखो और अपने हिसाब से इसका कोई नाम रखो ..और हमेशा फिर इसे उसी नाम से पुकारना .."
माधवी पंडित की शैतानी भरी बात सुनकर बोली : "आप देखने में इतने बदमाश नहीं है जितने असल में हो .."
कहते -2 उसने पण्डित के लंड के ऊपर वाले हिस्से को पकड़ा और धीरे से सहला दिया ..
पंडित : "देखने से तो तुम्हे भी कोई नहीं बता सकता की तुम्हारे अन्दर इतनी आग भरी हुई है ..पर ये तो सिर्फ मुझे पता है ना .."
पंडित ने अपने हाथ की उँगलियाँ उसके भरे हुए कलश के ऊपर फेरा दी ..पीले सूट के अन्दर से लाल रंग के निप्पल उभर कर अपना रंग दिखाने लगे . उसने नीचे आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी .
पंडित : "बोलो न ..कोई अच्छा सा नाम दे दो ..अपनी मर्जी से .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "घोडा ..."
पंडित जी को अपने लंड का नाम सुनकर हंसी आ गयी ..और बोले : "घोडा ..अच्छा है ...पर घोडा ही क्यों .."
माधवी : "देखो न ..घोड़े जैसा ही तो है ये ..लम्बा ..मोटा ..और मुझे देखकर घोड़े जैसे ही हिनहिना रहा है .."
माधवी अब खुल कर बातें कर रही थी ..और पंडित जी भी यही चाहते थे .
पंडित : "अब तुमने मेरे घोड़े को अस्तबल से बाहर निकाल ही दिया है तो इसको चारा भी खिला दो .." पंडित जी के हाथ थोडा ऊपर हुए और उसके गीले होंठों के ऊपर उनकी मोटी उँगलियाँ थिरकने लगी ..माधवी जानती थी की पंडित जी का इशारा किस तरफ है ..
माधवी ने अपने होंठ खोले , मोती जैसे दांतों के बीच से लाल जीभ बाहर निकली और पंडित जी के "घोड़े" को अपने अस्तबल में ले जाकर चारा खिलाने लगी ..
माधवी ने घोड़े के मुंह यानी आगे वाले हिस्से को अपने मुंह में लिया और अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगी ..माधवी के हाथों की पकड़ अब पूरी तरह से पंडित के घोड़े के ऊपर जम चुकी थी ..
पंडित ने अपनी आँखे बंद कर ली और आराम से लंड चुस्वायी के मजे लेने लगा ...
पंडित : "तुमने मेरे लंड का नाम तो घोडा रख दिया ..अब मैं भी तुम्हारी चूत का नाम रखना चाहता हु .."
माधवी ने उनके घोड़े को चूसते -2 अपनी आँखे उनके चेहरे की तरफ की और आँखों ही आँखों में पुछा : "क्या नाम ...बोलो "
पंडित : "उसका नाम मैंने रखा है ...बिल्ली .."
जैसे पंडित अपने लंड का नाम सुनकर हंसा था, ठीक वैसे ही माधवी भी अपनी चूत का ऐसा अजीब सा नाम सुनकर हंस दी ..
माधवी : " बिल्ली ...बिल्ली ही क्यों ..."
पंडित : "क्योंकि मुझे पता है ..जिस तरह से तुम मेरे घोड़े को चूस रही हो ..वैसे ही तुम्हारी चूत भी बिल्ली की तरह इसे चाटेगी और इसका सार दूध पी जायेगी .."
पंडित जी की बात सूनते -2 माधवी के चेहरे का रंग बदलने लगा ...वो और भी उत्तेजना से भरकर उनके घोड़े को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..
पंडित जी का हाथ माधवी के सर के पीछे आकर उसे सहला रहा था ..और फिर अचानक पंडित ने उसके सर को अपने लंड के ऊपर दबा कर अपना पूरा घोडा उसके मुंह के अन्दर तक दौड़ा दिया ..माधवी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी ..और घोडा सीधा जाकर उसके गले की दिवार से जा टकराया ..उसे खांसी भी आई पर उसने पंडित जी के घोड़े को अपने मुंह से नहीं निकाला ..पंडित जी आखिर उसे गुरु की तरह एक शिक्षा जो दे रहे थे ..लंड चूसने की ..और जैसा वो चाहते हैं , उसे तो वैसा करना ही होगा ..वर्ना वो बुरा मान जायेंगे ..
माधवी ने उनके घोड़े नुमा लंड को अपनी जीभ, दांत और होंठों से सहलाकर, चुभलाकर और चूसकर पुरे मजे देने शुरू कर दिए ..कोई कह नहीं सकता था की माधवी आज पहली बार किसी का लंड चूस रही है ..
माधवी के मुंह से ढेर सारी लार निकल कर घोड़े को नहला रही थी ..और चूसने पर सड़प -2 की आवाजें भी निकल रही थी ..
पंडित जी ने कुछ और ज्ञान देने की सोची : "माधवी ..सिर्फ घोड़े को चूसने से कुछ नहीं होता ..उसके नीचे उसके दो भाई भी हैं ..उनकी भी सेवा करो कुछ .."
पंडित जी ने अपनी बॉल्स की तरफ इशारा किया ..
माधवी को वैसे भी पंडित जी की बांसुरी बजाने में मजा आ रहा था ..उनके गुलाब जामुन खाकर शायद और भी मजा आये ..ये सोचते हुए उसने अपने मुंह से उनका घोडा बाहर निकाला और उसे अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी ..और अपने मोटे होंठों को धीरे-2 उसपर फिस्लाते हुए नीचे की तरफ गयी ..लंड के मुकाबले वहां की त्वचा थोड़ी कठोर थी ..और वहां से अजीब सी और नशीली सी महक भी आ रही थी ..माधवी ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना मुंह खोलकर पंडित जी के गुलाब जामुन का का प्रसाद अपने मुंह में ग्रहण कर लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उफ्फ्फ्फ़ माधवी .....उम्म्म्म्म्म .....
माधवी को पंडित की सिस्कारियां सुनकर पता चल गया की उन्हें यहाँ पर चुस्वाने में ज्यादा मजा आ रहा है ..
उसके होंठों ने पक्क की आवाजें करते हुए पंडित जी की गोलियों को चुरन की गोलियों की तरह चूसना शुरू कर दिया ..
माधवी ने आँखे खोली, उसके मुंह में पंडित जी की दोनों बॉल्स थी ..और उनका लंड ठीक उसकी दोनों आँखों के बीच में था ..और पंडित जी की आँखों में देखते हुए माधवी ने दांतों से हल्के -2 काटना भी शुरू कर दिया ..
पंडित जी के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..माधवी जिस तरह से उनके लिंग और उसके नीचे लटके हुए उसके भाइयों को चूस रही थी ..ऐसा लग रहा था की आज वो सब कुछ करने के मूड में हैं ..
पंडित जी का हाथ उसके बिखरे हुए बालों के ऊपर फिसल रहा था ..और आवेश में आकर माधवी ने पंडित के गीले लंड और बॉल्स वाले हिस्से को अपने पुरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया ..
उसके होंठों की लाल लिपिस्टिक ...उसकी आँखों का काला काजल ..और उसकी साँसों की गर्माहट अपने निशान वहां पर छोड़ रही थी .
माधवी के चेहरे पर भी काजल और लिपिस्टिक पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी ..
उसके मुंह से उन्नन अह्ह्ह्ह की आवाजें निकल रही थी ...
पंडित जी को अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना अब मुश्किल हो गया ..और अगले ही पल, बिना किसी चेतावनी के , उनके घोड़े के मुंह से ढेर सारी सफ़ेद झाग बाहर निकलने लगी ...
माधवी के मुंह के ऊपर गर्म पानी की बोछारें पड़ी तो उसकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...
वो अपना मुंह खोलकर , अपनी आँखे बंद करके उनके लंड को तब तक मसलती रही, जब तक उसमे एक भी बूँद ना बची ..
माधवी का पूरा चेहरा पंडित जी के लंड की सफेदी में नहा कर गीला और चिपचिपा हो गया ..
पंडित : "ये सब साफ़ अपने चेहरे से साफ़ करके पी जाओ ..तुम्हारे चेहरे पर रौनक आ जायेगी .."
पंडित जी की बात का कोई विरोध न करते हुए उसने अपनी उँगलियों से पंडित जी के रस को समेटा और सड़प -2 करते हुए सब साफ़ कर गयी ..वो स्वादिष्ट भी था इसलिए उसे कोई तकलीफ भी नहीं हुई ..
पंडित जी : "अब बोलो ..कैसा लगा .."
माधवी : "अच्छा था ...मतलब ..बहुत अच्छा था ..मैंने तो आज तक इस बारे में सोचा भी नहीं था ..पर मुझे ये करना और इसका स्वाद दोनों ही पसंद आये .."
माधवी ने दिल खोलकर पंडित के लंड और उसके माल की तारीफ की .
पंडित : "ये तो अच्छी बात है ..अब ठीक ऐसे ही तुम्हे गिरधर के घोड़े को भी अपने मुंह का हुनर दिखाना है ..और फिर शायद वो तुम्हारी बिल्ली का दूध भी पी जाये ।।।"
माधवी : "मेरी बिल्ली का दूध वो कभी नहीं पियेंगे ..एक दो बार शुरू में उन्होंने वहां पर चुम्बन दिया था ..पर उससे आगे वो नहीं बड़े ..और सच कहूँ पंडित जी ..मुझे ...मुझे हमेशा से ही ये चाह रही है की कोई ...मेरा मतलब गिरधर ..मेरी चू ...चूत वाले हिस्से को जी भरकर प्यार करें ..."
ये बोलते -2 उसकी आवाज भारी होती चली गयी ..शायद उत्तेजना उसके ऊपर हावी होती जा रही थी ..
पंडित ने फिर से उसी अंदाज में कहा : "वो नहीं करता तो कोई बात नहीं ...मैं हु ना ..."
माधवी को जैसे इसी बात का इन्तजार था ...वो कुछ ना बोली ..बस मूक बनकर बैठी रही ..जैसे उसे सब मंजूर हो ..
पंडित ने उसे खड़े होने को कहा ..और बोले : "तुम अपने सारे कपडे उतार डालो ..सारे के सारे ..."
वो पंडित जी की बात सुनकर किसी रोबट की तरह से उठी और अपने सूट की कमीज पकड़कर ऊपर खींच डाली ..नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..उसके दोनों मुम्मे उछल कर पंडित जी की आँखों के सामने नाचने लगे ..
और फिर उसने लास्टिक वाली पायजामी को पकड़ा और उसे भी नीचे की तरफ खिसका दिया ..सामने थी माधवी की चूत के रस से भीगी हुई फूलों वाली कच्छी ..जिसमे से काम रस छन-छनकर बाहर की तरफ बह रहा था ..
पंडित ने इशारा करके उसे कच्छी उतारने को भी कहा ..माधवी ने पंडित की आँखों में देखते-2 उसे भी नीचे खिसका दिया ..
उसकी चूत वाले हिस्से को देखकर पंडित हेरान रह गया ..
वहां जंगल था ...घना जंगल ..सतपुड़ा के घने जंगल जैसा ..
पंडित : "ये क्या माधवी ..तुमने अपने शरीर के सबसे सुन्दर हिस्से को घने बालों के बीच छुपा कर रखा हुआ है ..इन्हें देखकर तो कोई भी यहाँ मुंह नहीं मार पायेगा .."
पंडित के मुंह से अपनी चूत के बारे में ऐसी बातें सुनकर माधवी का दिल टूट सा गया ..जिसे पंडित ने तुरंत जान लिया ..
पंडित : "मेरा कहने का मतलब ये है माधवी की तुम्हे इसे पूरा साफ़ सुथरा रखना चाहिए ..जैसे तुम्हारे मुंह के होंठ है ना नर्म और मुलायम ..ठीक वैसे ही ये भी हैं ..पर इन बालों की वजह से वो नरमी पूरी तरह से महसूस नहीं हो पाएगी ..समझी .."
माधवी ने हाँ में सर हिलाया ..
पंडित : "तुम एक काम करो, यहाँ बैठो, मैं इसे साफ़ कर देता हु .."
माधवी कुछ बोल पाती इससे पहले ही पंडित नंगा ही भागता हुआ अपने बाथरूम में गया और शेविंग किट उठा लाया ..और पलक झपकते ही उसने शेविंग क्रीम लगायी और रेजर से आराम से उसकी बिल्ली के बाल काटने लगा ..
जैसे -2 उसकी चूत साफ़ होती जा रही थी ..घने और काले बालों के पीछे छुपी हुई उसकी रसीली और सफ़ेद रंग की चूत उजागर होती जा रही थी ..पांच मिनट में ही पंडित के जादुई हाथों ने उसे चमका डाला ...माधवी भी अपनी बिल्ली की खूबसूरती देखकर हेरान रह गयी ..उसे शायद अपनी जवानी के दिनों की बिना बाल वाली चूत याद आ गयी ..आज भी वो वैसे ही थी ..
पंडित ने पानी के छींटे मारकर उसकी चूत को साफ़ किया और अपने कठोर हाथों को पहली बार उसकी चिकनी चूत के ऊपर जोरों से फेराया ..
अह्ह्ह्ह्ह .....म्म्म्म्म्म्म ...
पंडित के हाथ की बीच वाली ऊँगली माधवी की चूत में फंसी रह गयी .....जिसकी वजह से वो तड़प गयी ..उसका शरीर कमान की तरह से ऊपर उठ गया ..पंडित ने अपना मुंह नीचे किया ..और अपनी ऊँगली को एक झटके से बाहर की तरफ खींचा ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........पंडित .....जी ...
पंडित की ऊँगली एक झटके में माधवी की चूत के दाने को रगडती हुई बाहर आई और उसके साथ ही ढेर सारा रस भी छिंटो के साथ उनके मुंह पर बरसा ..एक बूँद उनके खुले हुए मुंह में भी चली गयी ..जिसे उन्होंने चखा और फिर बोले : "तुम्हारी बिल्ली का दूध तो बड़ा ही मीठा है .. "
ये सुनकर माधवी मुस्कुरायी और पंडित के सर को पकड़कर बुरी तरह से अपनी चूत पर दबा दिया और फुसफुसाई : "तो पी लो न पंडित जी ..सब आपके लिए ही है ..."
पंडित ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ राखी और सारा रस समेटकर पीने लगा ..अब आँखे बंद करके मजा लेने की बारी माधवी की थी ...
पंडित ने उसकी टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना पूरा मुंह उसकी टांगो के बीच डालकर रसीली पार्टी के मजे लेने लगा ..और जैसे ही पंडित ने अपने होंठों में माधवी की चूत के दाने को पकड़कर मसला ..वो अपना मुंह खोलकर ..उठ खड़ी हुई ..और उनके चेहरे पर जोर लगाकर पीछे धकेलने लगी ...पर पंडित भी खाया हुआ इंसान था ..उसने उसके दाने को अपने होंठों में दबाये रखा और उसे जोर से चूसता रहा ..और तब तक चूसता रहा जब तक माधवी की चूत के अन्दर से उसे बाड़ के आने की आवाजें नहीं आ गयी ..और जैसे ही उसकी चूत से कल कल करता हुआ मीठा जल बाहर की तरफ आया ..पंडित के चोड़े मुंह ने उसे बीच में ही लपक लिया ...और चटोरे बच्चे की तरह सब पी गया ...
माधवी बेचारी अपने ओर्गास्म के धक्को को पंडित के मुंह के ऊपर जोरों से मार मारकर निढाल होकर वहीँ गिर पड़ी ..
आज जैसा सुख उसे अपनी पूरी जिदगी में नहीं आया था ..
पंडित के बिस्तर पर वो पूरी नंगी पड़ी हुई थी ..और सोच रही थी की अब पंडित क्या करेगा ..सिर्फ एक ही तो चीज बची है अब ..चुदाई ..
और चुदाई की बात सोचते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ..
पंडित & शीला compleet
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--11
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, ये जैसे उसकी तरफ से एक स्वीकृति थी की आओ पंडित कर लो मेरे साथ जो तुम्हारी इच्छा हो ..भोग लो मेरे जिस्म को ...चोद डालो अपनी इस दासी को ..समा जाओ मुझमे आज बहार बनकर ..
ये सब सोचते -2 उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी .वो तो बस इन्तजार कर रही थी की कब पंडित का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे और कब वो उनसे लिपट जाए ..
पर काफी देर तक कोई प्रितिक्रिया न होती देखकर उसने आँखे खोली तो पाया की पंडित तो कमरे में ही नहीं है ..वो हेरान-परेशान होकर इधर -उधर देखने लगी ..वो उठी और खिड़की से बाहर झांका तो पाया की पंडित बाहर खड़ा हुआ किसी से बात कर रहा था ..मंदिर में शायद कोई आया था ..समय भी काफी हो चला था ,वो ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी ..थोड़ी ही देर में रितु भी आने वाली थी , उसने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..
पंडित जब थोड़ी देर में वापिस आया तो माधवी को वहां ना पाकर वो रहस्यमयी हंसी हंसने लगा ..वो जान बूझकर माधवी को प्यासा छोड़कर बाहर निकला था मंदिर के सामने खड़े हुए अपने एक भक्त को अन्दर उससे बातें करने लगा था ..वो माधवी को थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही ..इसलिए वो अपने सारे प्रयोग माधवी पर करना चाहता था ..
थोड़ी देर में ही शीला भी आ गयी ..वो आज पंडित जी के लिए घर से ख़ास पकवान बनाकर लायी थी ..होली जो आने वाली थी 2 दिनों के बाद, उसने घर पर गुजिया और लड्डू बनाए थे, जो वो पंडित जी के लिए लेकर आई और दोनों मिलकर वहीँ मंदिर में बैठ गए और बातें करने लगे ..आज पंडित जी को शीला से कुछ विशेष बात भी करनी थी और इसके लिए मौका भी अच्छा था.
शीला बार -2 पंडित जी की तरफ लालसा से भरी हुई नजरों से देख रही थी , उसकी चूत में खुजली हो रही थी , वो बस यही सोच रही थी की आज पंडित जी इतना विलम्ब क्यों कर रहे है ...अन्दर जाने में ..और उसे चोदने में ..
पंडित भी शीला की कसमसाहट को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..
पंडित : "क्या हुआ शीला ..तुम आज थोडा असहज दिखाई दे रही हो .."
शीला : "जी नहीं ...ऐसा कुछ नहीं ..वो बस मैं ...मैं ...सोच रही थी ..की आज आप अन्दर क्यों नहीं ..चल रहे .."
उसने पंडित के कमरे की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "चलते हैं ..इतनी जल्दी क्या है ..लगता है तुम्हे अब रोज चुदने की आदत सी पड़ गयी है ..है ना ..."
शीला ने शरमा कर अपना मुंह नीचे कर लिया ..
पंडित : "अच्छा सुनो, याद है तुमने कहा था की मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं करोगी .."
शीला : "याद है पंडित जी ..आप आज्ञा कीजिये ..क्या करना है मुझे ..मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हु .."
शीला ने अपना सीना आगे किया और विशवास के साथ पंडित की आँखों में आँखे डालकर बोली .
पंडित : "तो सुनो ..तुम्हे आज रात 9 बजे मेरे पास आना होगा , और जो काम हम रोज दिन में करते हैं , वो आज रात में करेंगे ..और एक नए तरीके से करेंगे .."
पंडित की बात सुनकर शीला चोंक गयी ..रात में पंडित के पास आना काफी मुश्किल था , घर पर माँ-पिताजी आ चुके होंगे ..वो उन्हें क्या बोलेगी, कैसे निकलेगी ..
पंडित ने उसकी परेशानी भांप ली और बोला : "तुम रात की चिंता मत करो ..तुम घर पर बोल देना की आज पंडित जी ने तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए एक विशेष पूजा रखी है जो रात को ही हो सकती है और तुम्हारा उपस्थित रहना आवश्यक है, कोई तुमपर किसी भी प्रकार का शक नहीं करेगा .."
पंडित जी की फूल प्रूफ योजना सुनकर शीला भी मुस्कुरा दी ..और बोली : "पर पंडित जी ..इतना जोखिम लेकर रात को ही करने की क्या सूझी आपको ..दिन में भी तो वही मजा लिया जा सकता है .."
पंडित : "शीला ...कुछ चीजों का मजा रात को ही आता है ..और आज जो मजा मैं तुम्हे देने की बात कर रहा हु वो लेकर तो तुम रोज रात को ही मेरे पास आया करोगी .."
पंडित जी की लालच भरी बात सुनकर शीला भी सोचने लगी की ये रात कब होगी ..
और दूसरी तरफ, पंडित जी का लंड अभी थोड़ी देर पहले ही झडा था, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी ..पर हाँ कुछ ऊपर के मजे जरुर लिए जा सकते थे ..शीला के तने हुए मुम्मे देखकर उनके मन में उन्हें दबाने का विचार हुआ और वो उसे धीरे से बोले : "तुम अन्दर जाओ ..और अपनी साड़ी उतार दो ..और ऊपर से ये ब्लाउस और ब्रा भी ..मैं बस अभी आया .."
पंडित जी की बात सुनकर, मन ही मन 'कुछ तो मिलेगा' ये सोचते हुए वो अन्दर की तरफ चल दी .
पंडित जी ने जल्दी-2 मंदिर के काम निपटाए ..और अन्दर आ गए और आशा के अनुरूप शीला अर्धनग्न अवस्था में किसी आज्ञाकारी यजमान की तरह उनके बिस्तर पर बैठी हुई थी ..उसके कड़े -2 निप्पल देखकर पंडित का लंड भी कडा होने लगा ..पर रात की बात सोचकर उन्होंने किसी तरह अपने आप पर काबू किया ..वो आगे आये और अपनी जीभ से शीला के खड़े हुए निप्पल को छुआ ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स ......पंडित जी ...
शीला ने एक ही झटके में पंडित जी का चुटिया वाला सर पकड़ा और अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पंडित जा का पूरा मुंह उसके गुदाज मुम्मे के ऊपर धंस सा गया ...जीभ और होंठों की दिवार पार करता हुआ उसका निप्पक बिना किसी अवरोध के पंडित के मुंह में जा घुसा ..आज शीला की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी ..उसके निप्पल के चारों तरफ बने हुए ब्राउन घेरे पर बने हुए छोटे -2 दाने भी आज पंडित को अपनी जीभ और होंठों पर महसुस हो रहे थे ..पंडित के दांत और जीभ उसके मुम्मे की सेवा करने में व्यस्त हो गए ..
पंडित का दूसरा हाथ उसके दुसरे मुम्मे को पीस रहा था ..
पंडित : "ओह्ह्ह ...शीला .....इतने मुलायम और स्वादिष्ट स्तन मैंने आज तक नहीं चखे ...अह्ह्ह्ह ....कितने मस्त है ये ....पुच्च्छ्ह ....."
पंडित में मुंह से अपने शरीर की सुन्दरता सुनने में शीला को बहुत मजा आता था ..वो मंद-2 मुस्कुराती हुई पंडित के सर को अपने स्तनों पर इधर-उधर घुमा रही थी ..और आवेश में आकर वो उसके माथे के ऊपर चुबनों की बारिश करने लगी ...
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म ....चूसिये ...और जोर से चूसिये ...आपके होंठों की कस्मसाहट मुझे अपने स्तनों पर रात भर महसूस होती है ..अह्ह्ह्ह ....चबा जाइये इन्हें ...ये आपके ही है ..."
शीला ने तो जैसे अपने स्तन पंडित जी को दान ही कर दिए, वो उन्हें किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने की पूरी छूट दे रही थी ..और पंडित जी भी इस छूट का पूरा अवसर उठा रहे थे ..और उसके स्तनों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ..
शीला से अब सहा नहीं जा रहा था ..उसने पंडित जी का हाथ पकड़ा और अपनी पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चूत के ऊपर लगा कर जोर से दबा दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ......क्यों तडपा रहे हो .....देखो ना ...मेरी चूत कितनी गरम हो चुकी है ...अह्ह्ह्ह ...रात को जो करना है वो कर लेना ..पर अभी तो कुछ करो इसका ...नहीं तो मैं मर जाउंगी ...अह्ह्ह्ह ..."
पर पंडित भी काफी समझदार था, वो जानता था की अभी करने से वो रात वाला काम उससे करवा नहीं पायेगा ...
वो उसके स्तनों को ही चूसता रहा ..
शीला कुछ और बोल पाती तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..
शीला एकदम से चोंक कर उठ बैठी ..
तभी बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ..मैं रितु ...दरवाजा खोलिए ..."
पंडित ने फुसफुसा कर शीला को बताया के ये वही लड़की है जिसे तुमने आज से टयूशन पढ़ाना है .
शीला के गर्म शरीर पर जैसे ठंडा पानी डल गया, पर वो कर भी क्या सकती थी ..पंडित ने उसके कपडे उसके हाथ में पकडाए और बाथरूम में जाकर पहनने को कहा और ये भी कहा की जब तक वो ना बुलाये , बाहर न निकले ..
पंडित ने अपने खड़े हुए लंड को बैठ जाने की रिक़ुएस्ट की और जाकर दरवाजा खोल दिया ..सामने रितु खड़ी थी, सफ़ेद टी शर्ट और घुटनों तक स्कर्ट पहने ..पर ये क्या, उसकी टी शर्ट का दांया हिस्सा , यानी उसकी दांयी चूची पूरी तरह से भीगी हुई थी ..और अन्दर से उसकी शमीज के नीचे छुपी हुई क्यूट सी ब्रेस्ट साफ़ नजर आ रही थी ..खासकर उसके लाल रंग के निप्पल ..
पंडित : "अरे रितु ..आओ ..ये क्या ..तुम भीगी हुई क्यों हो .."
पंडित ने अपनी लम्बी ऊँगली रितु की छाती की तरफ करके पूछा ..और ऐसा करते-2 वो ऊँगली एक बार तो उसकी छाती से छुआ भी दी ..
वो पहले से ही घबराई हुई थी, पंडित की ऊँगली अपने निप्पल पर लगते ही वो हडबडा भी गयी और पंडित जी के शरीर से रगड़ खाते हुए अन्दर आ गयी ..और रुन्वासी होकर बोलने लगी : "देखिये न पंडित जी ..अभी होली आने में दो दिन है, पर फिर भी ये गली के लड़के अभी से होली खेलने लग गए हैं ..घर से निकलते ही मेरे पीछे 2 लड़के पड़ गए ..बचते हुए आई पर एक गुब्बारा मार ही दिया कमीनो ने ..यहाँ ..."
अपनी ब्रेस्ट के ऊपर इशारा करते हुए वो रोने लगी ..
पंडित जी : "अरे ..अरे ..कोई बात नहीं ..गुब्बारा ही तो मारा है ना ..तुम्हे लगा तो नहीं ज्यादा तेज .. "
पंडित आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर सहानुभूति जताने लगा ..और सोचने लगे ..सच में कमीने थे ..कितना सटीक निशाना मारा है ..नजदीक आकर खड़े होने से उसकी नजरे ज्यादा करीब से उसकी निप्पल को देख पा रही थी ..जो शायद रितु को नहीं पता था ..
पंडित ने अपना गमछा उसको दिया और पानी पोंछने के लिए कहा ..
और रितु किसी अबोध लड़की की तरह पंडित के सामने ही अपनी गुदाज छातियों के ऊपर वो गमछा मसल -2 कर पानी को साफ़ करने लगी ..वो जब अपनी छातियों को दबाती तो टी शर्ट के ऊपर की तरफ एक गुब्बारा सा बन जाता जैसे सारा मांस बाहर निकल कर आने को आतुर हो ..
पंडित जी गमछे की किस्मत को सरहा रहे थे ..और सोच रहे थे की काश मैं होता गमछे की जगह ..
रितु : "धन्यवाद पंडित जी ..ये लीजिये अपना गमछा ..और वो आंटी अभी तक नहीं आई ..जिन्होंने टयूशन पढाना था .."
रितु की बात सुनते ही पंडित को बाथरूम में छुपी हुई शीला का ध्यान आया ..वो सोचने लगे की कैसे रितु से छुपाकर वो शीला को बाहर निकाले ..
वो बोले : "वो आती ही होगी ..पर तुम्हारा स्कूल बेग कहाँ है .."
रितु : "ओह ..वो तो बाहर ही रह गया ..मैं भीग गयी थी न , इसलिए मंदिर में ही रख दिया था ..रुकिए ..मैं अभी लेकर आती हु .."
पंडित ने चेन की सांस ली और उसके जाते ही भागकर बाथरूम से शीला को निकाला और उसे पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर आने को कहा ..
जैसे ही रितु अपना बेग लेकर वापिस आई, पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई और पंडित ने जाकर खोला ..और शीला को अन्दर ले आये ..
पंडित ने रितु की तरफ देखा और बोले : "यही है वो जो तुम्हे टयूशन पढ़ाएगी ..इनका नाम शीला है .."
ऋतू ने शीला को नमस्ते किया और अपना बेग खोलकर उसमे से बुक्स निकालने लगी .
शीला भी बेमन से उसे पदाने लगी, उसका मन तो अभी तक अपनी अधूरी चुदाई पर अटका हुआ था .
पंडित अपने बेड पर बैठा हुआ था और शीला की पीठ उनकी तरफ थी और वो नीचे बैठ कर रितु को पढ़ा रही थी .
पंडित की नजरों के सामने शीला की नंगी पीठ और रितु का भीगा हुआ स्तन था ..अचानक शीला को अपनी पीठ पर पंडित की उँगलियों का आभास हुआ ..वो कसमसा कर रह गयी ..पंडित अपनी ठंडी-2 उँगलियाँ उसकी गर्दन के नीचे वाले हिस्से पर घुमा रहा था ..शीला के जिस्म के रोंगटे खड़े होने लगे ..
पंडित ने रितु से कहा : "तुम्हारे एग्जाम कब तक हैं .."
रितु : "जी अगले हफ्ते तक ..बस तभी तक की जरुरत है मुझे ..उसके बाद तो अगली क्लास में चली जाउंगी .."
पंडित ने मन ही मन सोचा की उसके पास सिर्फ एक हफ्ते का ही टाईम है रितु की चुदाई करने के लिए ..उसने बैठे हुए मन ही मन तरकीबे बनानी शुरू कर दी .
1 घंटे के बाद पंडित ने शीला से कहा : "आज के लिए इतना बहुत है ..अब इसे कल पढ़ाना ..अब तुम जाओ ..और रात को वो पूजा के समय जरुर आ जाना .."
शीला ने पंडित से कोई सवाल नहीं किया ..और उठकर खड़ी हुई और उन्हें प्रणाम करके अपने घर चली गयी ..
अब उन्होंने अपना पूरा ध्यान रितु के ऊपर लगाया ..जो अपनी बुक्स अपने बेग में डाल रही थी .
पंडित : "रितु ...पढाई के अलावा और क्या रुचियाँ है तुम्हारी .."
रितु : "पंडित जी ..मैं घर पर माँ का हाथ बंटाती हु, सहेलियों के साथ खेलती हु, टीवी देखती हु ..बस .."
पंडित : "तुम्हारी सिर्फ सहेलियां ही हैं ..कोई लड़का दोस्त नहीं है ..?"
पंडित के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो उनके मुंह की तरफ आश्चर्य से देखने लगी ..
पंडित : "अरे ..ऐसे क्या देख रही हो ..तुम सुन्दर हो ..जवानी की देहलीज पर खड़ी हो ..ऐसी अवस्था में कोई लड़का दोस्त ना हो , ऐसा तो हो ही नहीं सकता .."
रितु : "जी नहीं पंडित जी ...ऐसा कुछ नहीं है ..मेरा कोई लड़का दोस्त नहीं है ..और ना ही मैं इस बारे में सोचती हु .."
पंडित ने देखा की उसके निप्पल कड़े होने लगे हैं, और बात करते हुए उसके होंठ भी फड़क रहे हैं ..
पंडित : "चलो अच्छी बात है ..कोई नहीं है ..इन चीजों से जितना दूर रहो, उतना ही अच्छा है ..पर कभी तुम्हे किसी ने छुआ भी नहीं ..या फिर कभी किसी ने तुम्हे ..."
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..वो रितु के मुंह से गिरधर वाली बात उगलवाना चाहते थे ..
पंडित की बात सुनते ही रितु कांपने सी लगी ..उसे जैसे वो सब याद आने लगा जब उसके पिताजी ने उसे पकड़कर मसल सा दिया था और उसके नाजुक होंठों को चूस कर उसका सारा रस पी गए थे ..
वो कुछ ना बोली ...बस बैठी रही ..पंडित ऊपर बेड पर बैठा हुआ उसके हाव भाव का जाएजा ले रहा था ..
पंडित : "देखो ..तुम शायद जानती नहीं हो ..मेरे अन्दर अद्भुत शक्ति है ..मैं सामने वाले के मन की बातें जान लेता हु ..तुम जो भी सोच रही हो सब मुझे दिख रहा है .."
रितु का भयभीत चेहरा पंडित को घूरने में लग गया ..पंडित ने वही आईडिया अपनाया था जिसे उसने गिरधर पर आजमा कर उसके मन की बात जान ली थी ..जबकि ये सब कुछ माधवी ने उसे बताया था ..
रितु : "क्या ...क्या दिख रहा है ...आपको ..पंडित जी ..."
वो शायद परखना चाहती थी की पंडित जी सच ही बोल रहे हैं ..
पंडित : "तुम्हे किसी ने अपनि बाहों में दबोचा हुआ है ..और तुम्हे बेतहाशा चूम रहा है .."
पंडित की बात सुनते ही वो उठ खड़ी हुई और पंडित जी के पैरों को पकड़ कर रोने लगी ..: "पंडित जी ..ये बात आप किसी से मत कहना ..प्लीस ...पंडित जी ..मैं बदनाम हो जाउंगी ...अगर किसी को पता चला की मेरे पिताजी ने मेरे साथ ये सब किया ..."
उसने आखिर कबुल कर ही लिया ..पर ये इतना घबरा क्यों रही थी ..पंडित ने उसके मन में विशवास बिठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया : "अरे पगली ...मैं भला ऐसा क्यों करूँगा ..मुझे भी तेरी इज्जत की उतनी ही चिंता है ..जितनी तुझे ..चुप हो जा .."
कहते -2 उन्होंने उसे सर को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी कमर सहला कर उसे आश्वासन देने लगे ..
उसने ब्रा तो पहनी नहीं हुई थी ..शर्ट के अन्दर सिर्फ शमीज थी ..ऐसा लग रहा था की उसकी मांसल कमर और पंडित के हाथ में बीच कुछ भी नहीं है ..पंडित भी अपनी आँखे बंद करके उसके टच का मजा लेने लगा ..
पंडित : "पर एक बात सच-2 बताना ..तुम्हे कैसा एहसास हुआ था जब गिरधर ने तुम्हे ...चूमा था .."
पंडित के कंधे रितु का सर था, वो तेज साँसे लेने लगी जो पंडित को अपनी गर्दन पर साफ़ महसूस हुई ..
पंडित ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा : "बोलो ...सच बोलना ..तुम जानती हो न ..मेरी शक्ति के बारे में .."
पंडित ने उसके सामने झूठ बोलने की कोई जगह ही नहीं छोड़ी थी ..पर फिर भी वो सब कुछ बताने में घबरा रही थी ..
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, ये जैसे उसकी तरफ से एक स्वीकृति थी की आओ पंडित कर लो मेरे साथ जो तुम्हारी इच्छा हो ..भोग लो मेरे जिस्म को ...चोद डालो अपनी इस दासी को ..समा जाओ मुझमे आज बहार बनकर ..
ये सब सोचते -2 उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी .वो तो बस इन्तजार कर रही थी की कब पंडित का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे और कब वो उनसे लिपट जाए ..
पर काफी देर तक कोई प्रितिक्रिया न होती देखकर उसने आँखे खोली तो पाया की पंडित तो कमरे में ही नहीं है ..वो हेरान-परेशान होकर इधर -उधर देखने लगी ..वो उठी और खिड़की से बाहर झांका तो पाया की पंडित बाहर खड़ा हुआ किसी से बात कर रहा था ..मंदिर में शायद कोई आया था ..समय भी काफी हो चला था ,वो ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी ..थोड़ी ही देर में रितु भी आने वाली थी , उसने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..
पंडित जब थोड़ी देर में वापिस आया तो माधवी को वहां ना पाकर वो रहस्यमयी हंसी हंसने लगा ..वो जान बूझकर माधवी को प्यासा छोड़कर बाहर निकला था मंदिर के सामने खड़े हुए अपने एक भक्त को अन्दर उससे बातें करने लगा था ..वो माधवी को थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही ..इसलिए वो अपने सारे प्रयोग माधवी पर करना चाहता था ..
थोड़ी देर में ही शीला भी आ गयी ..वो आज पंडित जी के लिए घर से ख़ास पकवान बनाकर लायी थी ..होली जो आने वाली थी 2 दिनों के बाद, उसने घर पर गुजिया और लड्डू बनाए थे, जो वो पंडित जी के लिए लेकर आई और दोनों मिलकर वहीँ मंदिर में बैठ गए और बातें करने लगे ..आज पंडित जी को शीला से कुछ विशेष बात भी करनी थी और इसके लिए मौका भी अच्छा था.
शीला बार -2 पंडित जी की तरफ लालसा से भरी हुई नजरों से देख रही थी , उसकी चूत में खुजली हो रही थी , वो बस यही सोच रही थी की आज पंडित जी इतना विलम्ब क्यों कर रहे है ...अन्दर जाने में ..और उसे चोदने में ..
पंडित भी शीला की कसमसाहट को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..
पंडित : "क्या हुआ शीला ..तुम आज थोडा असहज दिखाई दे रही हो .."
शीला : "जी नहीं ...ऐसा कुछ नहीं ..वो बस मैं ...मैं ...सोच रही थी ..की आज आप अन्दर क्यों नहीं ..चल रहे .."
उसने पंडित के कमरे की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "चलते हैं ..इतनी जल्दी क्या है ..लगता है तुम्हे अब रोज चुदने की आदत सी पड़ गयी है ..है ना ..."
शीला ने शरमा कर अपना मुंह नीचे कर लिया ..
पंडित : "अच्छा सुनो, याद है तुमने कहा था की मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं करोगी .."
शीला : "याद है पंडित जी ..आप आज्ञा कीजिये ..क्या करना है मुझे ..मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हु .."
शीला ने अपना सीना आगे किया और विशवास के साथ पंडित की आँखों में आँखे डालकर बोली .
पंडित : "तो सुनो ..तुम्हे आज रात 9 बजे मेरे पास आना होगा , और जो काम हम रोज दिन में करते हैं , वो आज रात में करेंगे ..और एक नए तरीके से करेंगे .."
पंडित की बात सुनकर शीला चोंक गयी ..रात में पंडित के पास आना काफी मुश्किल था , घर पर माँ-पिताजी आ चुके होंगे ..वो उन्हें क्या बोलेगी, कैसे निकलेगी ..
पंडित ने उसकी परेशानी भांप ली और बोला : "तुम रात की चिंता मत करो ..तुम घर पर बोल देना की आज पंडित जी ने तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए एक विशेष पूजा रखी है जो रात को ही हो सकती है और तुम्हारा उपस्थित रहना आवश्यक है, कोई तुमपर किसी भी प्रकार का शक नहीं करेगा .."
पंडित जी की फूल प्रूफ योजना सुनकर शीला भी मुस्कुरा दी ..और बोली : "पर पंडित जी ..इतना जोखिम लेकर रात को ही करने की क्या सूझी आपको ..दिन में भी तो वही मजा लिया जा सकता है .."
पंडित : "शीला ...कुछ चीजों का मजा रात को ही आता है ..और आज जो मजा मैं तुम्हे देने की बात कर रहा हु वो लेकर तो तुम रोज रात को ही मेरे पास आया करोगी .."
पंडित जी की लालच भरी बात सुनकर शीला भी सोचने लगी की ये रात कब होगी ..
और दूसरी तरफ, पंडित जी का लंड अभी थोड़ी देर पहले ही झडा था, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी ..पर हाँ कुछ ऊपर के मजे जरुर लिए जा सकते थे ..शीला के तने हुए मुम्मे देखकर उनके मन में उन्हें दबाने का विचार हुआ और वो उसे धीरे से बोले : "तुम अन्दर जाओ ..और अपनी साड़ी उतार दो ..और ऊपर से ये ब्लाउस और ब्रा भी ..मैं बस अभी आया .."
पंडित जी की बात सुनकर, मन ही मन 'कुछ तो मिलेगा' ये सोचते हुए वो अन्दर की तरफ चल दी .
पंडित जी ने जल्दी-2 मंदिर के काम निपटाए ..और अन्दर आ गए और आशा के अनुरूप शीला अर्धनग्न अवस्था में किसी आज्ञाकारी यजमान की तरह उनके बिस्तर पर बैठी हुई थी ..उसके कड़े -2 निप्पल देखकर पंडित का लंड भी कडा होने लगा ..पर रात की बात सोचकर उन्होंने किसी तरह अपने आप पर काबू किया ..वो आगे आये और अपनी जीभ से शीला के खड़े हुए निप्पल को छुआ ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स ......पंडित जी ...
शीला ने एक ही झटके में पंडित जी का चुटिया वाला सर पकड़ा और अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पंडित जा का पूरा मुंह उसके गुदाज मुम्मे के ऊपर धंस सा गया ...जीभ और होंठों की दिवार पार करता हुआ उसका निप्पक बिना किसी अवरोध के पंडित के मुंह में जा घुसा ..आज शीला की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी ..उसके निप्पल के चारों तरफ बने हुए ब्राउन घेरे पर बने हुए छोटे -2 दाने भी आज पंडित को अपनी जीभ और होंठों पर महसुस हो रहे थे ..पंडित के दांत और जीभ उसके मुम्मे की सेवा करने में व्यस्त हो गए ..
पंडित का दूसरा हाथ उसके दुसरे मुम्मे को पीस रहा था ..
पंडित : "ओह्ह्ह ...शीला .....इतने मुलायम और स्वादिष्ट स्तन मैंने आज तक नहीं चखे ...अह्ह्ह्ह ....कितने मस्त है ये ....पुच्च्छ्ह ....."
पंडित में मुंह से अपने शरीर की सुन्दरता सुनने में शीला को बहुत मजा आता था ..वो मंद-2 मुस्कुराती हुई पंडित के सर को अपने स्तनों पर इधर-उधर घुमा रही थी ..और आवेश में आकर वो उसके माथे के ऊपर चुबनों की बारिश करने लगी ...
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म ....चूसिये ...और जोर से चूसिये ...आपके होंठों की कस्मसाहट मुझे अपने स्तनों पर रात भर महसूस होती है ..अह्ह्ह्ह ....चबा जाइये इन्हें ...ये आपके ही है ..."
शीला ने तो जैसे अपने स्तन पंडित जी को दान ही कर दिए, वो उन्हें किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने की पूरी छूट दे रही थी ..और पंडित जी भी इस छूट का पूरा अवसर उठा रहे थे ..और उसके स्तनों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ..
शीला से अब सहा नहीं जा रहा था ..उसने पंडित जी का हाथ पकड़ा और अपनी पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चूत के ऊपर लगा कर जोर से दबा दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ......क्यों तडपा रहे हो .....देखो ना ...मेरी चूत कितनी गरम हो चुकी है ...अह्ह्ह्ह ...रात को जो करना है वो कर लेना ..पर अभी तो कुछ करो इसका ...नहीं तो मैं मर जाउंगी ...अह्ह्ह्ह ..."
पर पंडित भी काफी समझदार था, वो जानता था की अभी करने से वो रात वाला काम उससे करवा नहीं पायेगा ...
वो उसके स्तनों को ही चूसता रहा ..
शीला कुछ और बोल पाती तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..
शीला एकदम से चोंक कर उठ बैठी ..
तभी बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ..मैं रितु ...दरवाजा खोलिए ..."
पंडित ने फुसफुसा कर शीला को बताया के ये वही लड़की है जिसे तुमने आज से टयूशन पढ़ाना है .
शीला के गर्म शरीर पर जैसे ठंडा पानी डल गया, पर वो कर भी क्या सकती थी ..पंडित ने उसके कपडे उसके हाथ में पकडाए और बाथरूम में जाकर पहनने को कहा और ये भी कहा की जब तक वो ना बुलाये , बाहर न निकले ..
पंडित ने अपने खड़े हुए लंड को बैठ जाने की रिक़ुएस्ट की और जाकर दरवाजा खोल दिया ..सामने रितु खड़ी थी, सफ़ेद टी शर्ट और घुटनों तक स्कर्ट पहने ..पर ये क्या, उसकी टी शर्ट का दांया हिस्सा , यानी उसकी दांयी चूची पूरी तरह से भीगी हुई थी ..और अन्दर से उसकी शमीज के नीचे छुपी हुई क्यूट सी ब्रेस्ट साफ़ नजर आ रही थी ..खासकर उसके लाल रंग के निप्पल ..
पंडित : "अरे रितु ..आओ ..ये क्या ..तुम भीगी हुई क्यों हो .."
पंडित ने अपनी लम्बी ऊँगली रितु की छाती की तरफ करके पूछा ..और ऐसा करते-2 वो ऊँगली एक बार तो उसकी छाती से छुआ भी दी ..
वो पहले से ही घबराई हुई थी, पंडित की ऊँगली अपने निप्पल पर लगते ही वो हडबडा भी गयी और पंडित जी के शरीर से रगड़ खाते हुए अन्दर आ गयी ..और रुन्वासी होकर बोलने लगी : "देखिये न पंडित जी ..अभी होली आने में दो दिन है, पर फिर भी ये गली के लड़के अभी से होली खेलने लग गए हैं ..घर से निकलते ही मेरे पीछे 2 लड़के पड़ गए ..बचते हुए आई पर एक गुब्बारा मार ही दिया कमीनो ने ..यहाँ ..."
अपनी ब्रेस्ट के ऊपर इशारा करते हुए वो रोने लगी ..
पंडित जी : "अरे ..अरे ..कोई बात नहीं ..गुब्बारा ही तो मारा है ना ..तुम्हे लगा तो नहीं ज्यादा तेज .. "
पंडित आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर सहानुभूति जताने लगा ..और सोचने लगे ..सच में कमीने थे ..कितना सटीक निशाना मारा है ..नजदीक आकर खड़े होने से उसकी नजरे ज्यादा करीब से उसकी निप्पल को देख पा रही थी ..जो शायद रितु को नहीं पता था ..
पंडित ने अपना गमछा उसको दिया और पानी पोंछने के लिए कहा ..
और रितु किसी अबोध लड़की की तरह पंडित के सामने ही अपनी गुदाज छातियों के ऊपर वो गमछा मसल -2 कर पानी को साफ़ करने लगी ..वो जब अपनी छातियों को दबाती तो टी शर्ट के ऊपर की तरफ एक गुब्बारा सा बन जाता जैसे सारा मांस बाहर निकल कर आने को आतुर हो ..
पंडित जी गमछे की किस्मत को सरहा रहे थे ..और सोच रहे थे की काश मैं होता गमछे की जगह ..
रितु : "धन्यवाद पंडित जी ..ये लीजिये अपना गमछा ..और वो आंटी अभी तक नहीं आई ..जिन्होंने टयूशन पढाना था .."
रितु की बात सुनते ही पंडित को बाथरूम में छुपी हुई शीला का ध्यान आया ..वो सोचने लगे की कैसे रितु से छुपाकर वो शीला को बाहर निकाले ..
वो बोले : "वो आती ही होगी ..पर तुम्हारा स्कूल बेग कहाँ है .."
रितु : "ओह ..वो तो बाहर ही रह गया ..मैं भीग गयी थी न , इसलिए मंदिर में ही रख दिया था ..रुकिए ..मैं अभी लेकर आती हु .."
पंडित ने चेन की सांस ली और उसके जाते ही भागकर बाथरूम से शीला को निकाला और उसे पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर आने को कहा ..
जैसे ही रितु अपना बेग लेकर वापिस आई, पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई और पंडित ने जाकर खोला ..और शीला को अन्दर ले आये ..
पंडित ने रितु की तरफ देखा और बोले : "यही है वो जो तुम्हे टयूशन पढ़ाएगी ..इनका नाम शीला है .."
ऋतू ने शीला को नमस्ते किया और अपना बेग खोलकर उसमे से बुक्स निकालने लगी .
शीला भी बेमन से उसे पदाने लगी, उसका मन तो अभी तक अपनी अधूरी चुदाई पर अटका हुआ था .
पंडित अपने बेड पर बैठा हुआ था और शीला की पीठ उनकी तरफ थी और वो नीचे बैठ कर रितु को पढ़ा रही थी .
पंडित की नजरों के सामने शीला की नंगी पीठ और रितु का भीगा हुआ स्तन था ..अचानक शीला को अपनी पीठ पर पंडित की उँगलियों का आभास हुआ ..वो कसमसा कर रह गयी ..पंडित अपनी ठंडी-2 उँगलियाँ उसकी गर्दन के नीचे वाले हिस्से पर घुमा रहा था ..शीला के जिस्म के रोंगटे खड़े होने लगे ..
पंडित ने रितु से कहा : "तुम्हारे एग्जाम कब तक हैं .."
रितु : "जी अगले हफ्ते तक ..बस तभी तक की जरुरत है मुझे ..उसके बाद तो अगली क्लास में चली जाउंगी .."
पंडित ने मन ही मन सोचा की उसके पास सिर्फ एक हफ्ते का ही टाईम है रितु की चुदाई करने के लिए ..उसने बैठे हुए मन ही मन तरकीबे बनानी शुरू कर दी .
1 घंटे के बाद पंडित ने शीला से कहा : "आज के लिए इतना बहुत है ..अब इसे कल पढ़ाना ..अब तुम जाओ ..और रात को वो पूजा के समय जरुर आ जाना .."
शीला ने पंडित से कोई सवाल नहीं किया ..और उठकर खड़ी हुई और उन्हें प्रणाम करके अपने घर चली गयी ..
अब उन्होंने अपना पूरा ध्यान रितु के ऊपर लगाया ..जो अपनी बुक्स अपने बेग में डाल रही थी .
पंडित : "रितु ...पढाई के अलावा और क्या रुचियाँ है तुम्हारी .."
रितु : "पंडित जी ..मैं घर पर माँ का हाथ बंटाती हु, सहेलियों के साथ खेलती हु, टीवी देखती हु ..बस .."
पंडित : "तुम्हारी सिर्फ सहेलियां ही हैं ..कोई लड़का दोस्त नहीं है ..?"
पंडित के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो उनके मुंह की तरफ आश्चर्य से देखने लगी ..
पंडित : "अरे ..ऐसे क्या देख रही हो ..तुम सुन्दर हो ..जवानी की देहलीज पर खड़ी हो ..ऐसी अवस्था में कोई लड़का दोस्त ना हो , ऐसा तो हो ही नहीं सकता .."
रितु : "जी नहीं पंडित जी ...ऐसा कुछ नहीं है ..मेरा कोई लड़का दोस्त नहीं है ..और ना ही मैं इस बारे में सोचती हु .."
पंडित ने देखा की उसके निप्पल कड़े होने लगे हैं, और बात करते हुए उसके होंठ भी फड़क रहे हैं ..
पंडित : "चलो अच्छी बात है ..कोई नहीं है ..इन चीजों से जितना दूर रहो, उतना ही अच्छा है ..पर कभी तुम्हे किसी ने छुआ भी नहीं ..या फिर कभी किसी ने तुम्हे ..."
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..वो रितु के मुंह से गिरधर वाली बात उगलवाना चाहते थे ..
पंडित की बात सुनते ही रितु कांपने सी लगी ..उसे जैसे वो सब याद आने लगा जब उसके पिताजी ने उसे पकड़कर मसल सा दिया था और उसके नाजुक होंठों को चूस कर उसका सारा रस पी गए थे ..
वो कुछ ना बोली ...बस बैठी रही ..पंडित ऊपर बेड पर बैठा हुआ उसके हाव भाव का जाएजा ले रहा था ..
पंडित : "देखो ..तुम शायद जानती नहीं हो ..मेरे अन्दर अद्भुत शक्ति है ..मैं सामने वाले के मन की बातें जान लेता हु ..तुम जो भी सोच रही हो सब मुझे दिख रहा है .."
रितु का भयभीत चेहरा पंडित को घूरने में लग गया ..पंडित ने वही आईडिया अपनाया था जिसे उसने गिरधर पर आजमा कर उसके मन की बात जान ली थी ..जबकि ये सब कुछ माधवी ने उसे बताया था ..
रितु : "क्या ...क्या दिख रहा है ...आपको ..पंडित जी ..."
वो शायद परखना चाहती थी की पंडित जी सच ही बोल रहे हैं ..
पंडित : "तुम्हे किसी ने अपनि बाहों में दबोचा हुआ है ..और तुम्हे बेतहाशा चूम रहा है .."
पंडित की बात सुनते ही वो उठ खड़ी हुई और पंडित जी के पैरों को पकड़ कर रोने लगी ..: "पंडित जी ..ये बात आप किसी से मत कहना ..प्लीस ...पंडित जी ..मैं बदनाम हो जाउंगी ...अगर किसी को पता चला की मेरे पिताजी ने मेरे साथ ये सब किया ..."
उसने आखिर कबुल कर ही लिया ..पर ये इतना घबरा क्यों रही थी ..पंडित ने उसके मन में विशवास बिठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया : "अरे पगली ...मैं भला ऐसा क्यों करूँगा ..मुझे भी तेरी इज्जत की उतनी ही चिंता है ..जितनी तुझे ..चुप हो जा .."
कहते -2 उन्होंने उसे सर को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी कमर सहला कर उसे आश्वासन देने लगे ..
उसने ब्रा तो पहनी नहीं हुई थी ..शर्ट के अन्दर सिर्फ शमीज थी ..ऐसा लग रहा था की उसकी मांसल कमर और पंडित के हाथ में बीच कुछ भी नहीं है ..पंडित भी अपनी आँखे बंद करके उसके टच का मजा लेने लगा ..
पंडित : "पर एक बात सच-2 बताना ..तुम्हे कैसा एहसास हुआ था जब गिरधर ने तुम्हे ...चूमा था .."
पंडित के कंधे रितु का सर था, वो तेज साँसे लेने लगी जो पंडित को अपनी गर्दन पर साफ़ महसूस हुई ..
पंडित ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा : "बोलो ...सच बोलना ..तुम जानती हो न ..मेरी शक्ति के बारे में .."
पंडित ने उसके सामने झूठ बोलने की कोई जगह ही नहीं छोड़ी थी ..पर फिर भी वो सब कुछ बताने में घबरा रही थी ..
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--12
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पंडित : "देखो रितु , तूम मुझे अपना हितेषी समझो ..तुम जवानी की जिस देहलीज पर हो, वहां काफी तरह की उलझने मन में होती है जिनका निवारण होना अनिवार्य है ..वर्ना तुम सभी चीजों को अपने हिसाब से सोचने लगती हो और उनसे डर कर एक विचार बना लेती हो ..जो कई बार सही नहीं होता ..मुझे पता है तुम ये सब बातें अपनी माँ से भी नहीं करती हो ..और ना ही तुम्हारी कोई और सहेली इतनी समझदार है जिसे इन सब बातों के बारे में विसतृत जानकारी हो ..इसलिए बोल रहा हु, तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार का कोई भय या प्रश्न है, तुम मुझे बता सकती हो, मैं उसका उचित निवारण करूँगा .."
पंडित की बातें सुनकर रितु ने भी सोचा की उनसे डरने का कोई ओचित्य नहीं है, वो तो उसकी मदद ही करना चाहते हैं, इसके लिए उसे सब तरह की शर्म छोड़कर उन्हें अपने मन की बात बतानी ही होगी ..
रितु ने बोलना शुरू किया : "दरअसल ...पंडित जी ...वो ...मुझे ....बस इतना जानना है की ...की ..जो भी पिताजी ने किया ...उसकी वजह से ...मुझे ..कोई ....मेरा मतलब है ..मुझे बच्चा ....तो नहीं हो जाएगा .."
रितु की बचकाना बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ..दरअसल गलती उसकी भी नहीं थी ..हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक सही तरीके से लड़कियों और लडको को ये नहीं बताया जाता की क्या करने से बच्चा होता है और क्या करने से नहीं ..और इसी बात का फायेदा पंडित को उठाना था ..
पंडित : "अरे तुम ये कैसी बाते कर रही हो ..लगता है तुम्हे इन सब बातों का कुछ भी ज्ञान नहीं है .. चलो कोई बात नहीं ..मैं तुम्हे सब बता दूंगा ..पर पहले तुम मुझे उस दिन वाली बात विस्तार में बताओ जब गिरधर ने तुम्हे ...पकड़ा था .."
वो बात सुनते ही रितु का चेहरा फिर से लाल हो उठा ..उसकी नजरें फिर से नीचे हो गयी, पंडित उसे समझाने के लिए कुछ बोलने ही वाला था की रितु ने धीरे से बोलना शरू किया : "उस दिन ..पिताजी हमेशा की तरह अपने कमरे में बैठ कर शराब पी रहे थे ..माँ किचन में थी ..पिताजी ने मुझसे कुछ सामान मंगवाया ..मैं जैसे ही उनके पास लेकर गयी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया ..ये आम बात थी, पर उस दिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा जोर वाली थी , वो बोले 'तुम ही हो जो मेरा पूरा ध्यान रखती हो ..रितु , आओ , इधर आओ , मेरे पास ..' और पिताजी ने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया .."
पंडित बीच में ही बोल पड़ा : "तुमने उस दिन पहना क्या हुआ था ..?"
रितु : "जी मैंने एक लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी ..जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हु .."
और वो आगे बोली : "उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा बेलेंस नहीं बन पाया और मैं उनकी गोद में जा गिरी ..और उनका हाथ सीधा मेरी ...मेरी ब्रेस्ट के ऊपर आ गया ..मुझे लगा की शायद गलती से लग गया होगा, पर फिर उन्होंने मेरी ब्रेस्ट को ..दबाना शुरू किया तो मुझे पता चल गया की वो जान बुझकर कर रहे हैं ..मुझे तो कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की ऐसा मर्द और औरत करते हैं बच्चा पैदा करने के लिए ..और वो बात याद आते ही मैं बेचैन हो गयी ..की पिताजी मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहते हैं ..मैं उठने लगी और मम्मी को आवाज देनी चाहि तो उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे चूमने लगे ...उनके मुंह से शराब की गन्दी स्मेल आ रही थी ...उनकी मूंछे मुझे चुभ रही थी ..और वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरे होंठों को चूस रहे थे ...और ...और ..मेरी ब्रेस्ट को भी दबा रहे थे .....मेरा तो पूरा शरीर कांपने लगा था ..समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है ...मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ..पर उनपर कोई फर्क नहीं पडा ..वो मुझे चूसते रहे ...और मुझे यहाँ - वहां से दबाते रहे ... "
पंडित : "मतलब तुम्हे वो सब अच्छा नहीं लग रहा था .."
रितु थोडा सकुचाई ..और फिर बोली : "तब तक तो अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर ...फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फ्रोक के नीचे से अन्दर डाल दिया ...और ...और अपने पंजे से मेरी ...वो शू शू करने वाली जगह को पकड़ लिया ..."
उसकी साँसे तेज होने लगी थी ..पंडित ही पलक झपकाना भूल गया ...और रितु के आगे बोलने का वेट करने लगा ...
एक-दो तेज साँसे लेकर वो आगे बोली : "उनकी उँगलियाँ मेरी उस जगह पर घूम रही थी ..उसकी मालिश कर रही थी ..और वो जगह भी पूरी गीली हो चुकी थी ...मुझे तो लगा शायद डर की वजह से मेरा पेशाब निकल गया है ..पर बाहर नहीं निकला ...मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा ...मुझे तब पहली बार अच्छा लगने लगा था ...पर तभी मम्मी अन्दर आ गयी और वो जोर से चिल्लाने लगी ...मैं तो भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और अपने बिस्तरे में घुस गयी ...बाहर से माँ और पिताजी के लड़ने की आवाजें आती रही ...आर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ...मैंने अपने एक हाथ नीचे लेजाकर वहां लगाया तो देखा की काफी चिपचिपा सा कुछ निकल रहा है ...मैंने बाथरूम में जाकर सब साफ़ किया ..पर मुझे डर लगने लगा था की कहीं मुझे बच्चा ना हो जाए ...इसलिए पिताजी के पास जाते हुए मुझे अब डर लगने लगा था ...और माँ ने भी उनके पास जाने को मना कर दिया .."
पंडित ने उसकी पूरी बात सुनकर एक गहरी सांस ली ..वो समझ गए की रितु बेकार में डर रही है ..वो उसे समझाने लगे ..: "देखो रितु , तुम जो भी सोच रही हो, वो सब गलत है, बच्चा ऐसे नहीं होता ..उसके लिए तो कुछ और करना पड़ता है , जिसे सम्भोग कहते हैं ..और जो भी तुम्हारे साथ हुआ, वो सब तो सम्भोग से पहले की क्रिया है ..जिसके कारण कुछ (बच्चा) होना असंभव है .."
रितु मुंह ताके उनकी ज्ञान भरी बातें सुनती रही ..और आखिर में बोली : "ये ...ये सम्भोग क्या होता है ..."
पंडित ने धीरे से कहा : "चुदाई ...चुदाई को ही सम्भोग कहते हैं .."
चुदाई शब्द सुनते ही रितु का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा, उसकी आँखों में लालिमा सी उतर आई ...
पंडित : "और पता है ...चुदाई कैसे होती है ..."
ऋतू ने ना में सर हिलाया ...जिसकी पंडित को पूरी उम्मीद थी .
पंडित : "वो जो तुम्हारे नीचे है, शू शू करने वाली जगह ..उसे क्या कहते हैं ...पता है .."
पंडित की ऊँगली रितु की टांगो के बीच की तरफ थी .
रितु शायद जानती थी ...पर शरम के मारे कुछ ना बोली ..
पंडित : "उसे कहते हैं ...चूत और लडको के पास जो होता है ...उसे कहते हैं लंड "
पंडित ने अपने लंड की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "और ...जब ये लंड, चूत में घुसता है ..उसे कहते हैं चुदाई ..और फिर अंत में जब लड़की की चूत और लड़के के लंड में से रस निकलता है तो दोनों मिलकर बनाते हैं बच्चा ..समझी ..."
पंडित ने उसे एक मिनट के अन्दर ही सृष्टि जनन का ज्ञान दे डाला ..
और रितु आँखों में आश्चर्य के भाव लिए उनकी सारी बातें सुनती रही ..वैसे उसके मन में काफी प्रश्न उबाल खा रहे हो ..और पंडित को मालुम था की वो अभी और भी बहुत कुछ जानना चाहती है , पर अब वो चुप होकर बैठ गए और उसके पूछने की प्रतिक्षा करने लगे ..
आखिर रितु ने अपना प्रश्न पूछ ही डाला : "पर पंडित जी ..वो सब तो एक लड़का - लड़की के बीच होना चाहिए ..फिर मेरे पिताजी ..मेरे साथ ऐसा ..क्यों कर रहे थे ..ये तो पाप है .."
पंडित : "देखो रितु , तुम्हारा कहना सही है ..पर सेक्स की दुनिया में कोई किसी का रिश्तेदार नहीं होता, उनमे सिर्फ एक ही रिश्ता होता है ..और वो होता है ..जिस्म का ..इसमें उम्र , रिश्ते , सुन्दरता , कुछ भी मायने नहीं रखते ..मायने रखता है तो सिर्फ एक दुसरे के प्रति आकर्षण और अपनी उत्तेजना को शांत करने की चाहत ....इसलिए उस दिन तुम्हारा दिमाग कुछ और सोच रहा था और तुम्हारा जिस्म कुछ और चाह रहा था ..जिसकी वजह से तुम्हारी चूत में से वो रस निकल रहा था .."
पंडित ने उसके रस निकलने वाली बात के रहस्य से पर्दा उठाया ..रितु को जैसे वो बात समझ आ गयी, उसने अपना सर हिलाते हुए पंडित जी की बात में सहमती जताई ..
पंडित : "मुझे पता है, तुम्हे अभी भी काफी बाते समझनी है, पर इसके लिए मुझे विस्तार से तुम्हे वो सब बताना होगा ..जिसके लिए तुम्हे सोच विचार कर आना है, तुम अभी जाओ, और रात भर सोचो, अगर ठीक लगे तो कल तुम्हारी टयूशन के बाद मैं तुम्हे ये सब बातें विस्तार से और व्यावहारिक (प्रेक्टिकल) रूप में समझा दूंगा .."
रितु उनकी बात का मतलब समझ गयी ...और उसने शरमा कर अपना मुंह फिर से नीचे कर लिया ...यानी पंडित जी कह रहे थे की वो उसे चुदाई के बारे में पूरा ज्ञान दे देंगे ..और ना चाहते हुए भी उसकी नजर पंडित जी की धोती के ऊपर चली गयी, जहाँ पर होती हुई हलचल देखकर उसकी चूत में भी सीटियाँ बजने लगी ...वो फिर से तेज साँसे लेने लगी ...और जल्दी-2 अपना बेग समेत कर बाहर की तरफ भागी ...
पंडित ने अपना चारा फेंक दिया था ...और रितु ने उसे चुग भी लिया था ..अब कल देखते हैं, क्या करती है वो आकर ...पर कल से पहले तो आज रात का इन्तजार था पंडित को ...
रात को उन्होंने शीला को जो बुलाया था ..अपने कमरे में ..उसे एक सरप्राईज देने के लिए ..
पंडित ने अपने दुसरे काम समेटे और शाम को थोडा सामान लेने के लिए वो बाजार की तरफ निकल पड़ा ..
वैसे तो मंदिर में आने वाले सामान से ही उसकी दिनचर्या और खाने पीने की चीजें निकल आती थी पर फिर भी कुछ सामान तो लेना ही पड़ता था ..और उसका रुतबा इतना था की वो कहीं से भी सामान ले, कोई उससे पैसे नहीं लेता था ..
पंडित बाहर निकल कर सीधा परचून की दूकान पर पहुंचा और आटा , मसाले और एक दो चीजें दुकानदार से निकालने को कहा ..पर पंडित ने नोट किया की उस दिन वो दुकानदार कुछ ज्यादा ही दुखी दिखाई दे रहा था ..पंडित ने पुछा : "अरे इरफ़ान भाई ..क्या हुआ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो ..सब ठीक तो है ना .."
इरफ़ान : "अब क्या कहे पंडित जी ..मेरी तो किस्मत ही खराब है ..आप तो जानते ही है, मेरी बेटी
नूरी जिसका पिछले साल ही निकाह हुआ था, वो अक्सर अपने पति से लड़कर मेरे घर आ जाती है ..कल रात भी यही हुआ, पिछले एक साल में 6 बार उसको समझा बुझा कर वापिस भेज चूका हु पर कल रात के बाद तो वो अपने शोहर के पास जाने को राजी ही नहीं है ..वो कहती है की वो उसके लायक नहीं है ...अब आप ही बताएं पंडित जी ..मैं क्या करू .."
नूरी की बात सुनते ही पंडित के शेतानी दिमाग ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी ..वो काफी सुंदर थी, जैसे ज्यादातर मुस्लिम लड़कियां होती हैं ..और जब तक वो यहाँ रहती थी, पंडित जी से काफी गप्पे मारती थी, जब भी वो दूकान पर कुछ सामान लेने आते थे ।
वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "देखो इरफ़ान भाई, वैसे तो तुम्हारे घर के मामलो में मेरा बोलना मुनासिफ नहीं है, पर अगर हो सके तो उसके दिल की बात जानने की कोशिश करो ..पूछो उससे की क्या परेशानी है ..क्या पता, वो सही हो ..या फिर उसकी बात सुनने के बाद कोई उपाय निकल सके .."
इरफ़ान : "पंडित जी ..वो मुझे तो कुछ बताने से रही ..उसकी अम्मी के इंतकाल के बाद वो मुझसे खुल कर कोई भी बात नहीं करती है .." और कुछ देर सोचने के बाद वो बोले : "अगर आप उससे बात करके देखे तो शायद वो आपसे कुछ बोल पाए ..हाँ ..ये सही रहेगा ..आप उससे बात करो ..और उसके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, उसका पता करो ..."
पंडित उसकी बात सुनकर चुप रहा, वो जानता था की नूरी उनकी बात मानकर अपने दिल की बात जरुर बता देगी, फिर भी ये बात वो इरफ़ान के मुंह से निकलवाना चाहते थे ,
पंडित : "अगर मेरे समझाने से वो समझ जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...पर अभी उससे बात करना सही नहीं है, कल ही आई है वो, और मुझे भी आज कुछ काम है , ऐसा करते हैं, मैं कल आऊंगा , इसी समय, और फिर उससे बात करके समझाने की कोशिश करूँगा ..तुम अब उसको ज्यादा परेशान मत करना ..और बोल कर रखना की मैं कल आऊंगा उससे मिलने .."
इरफ़ान ने पंडित जी का धन्यवाद किया, और उनका सामान बाँध कर उन्हें दे दिया और हमेशा की तरह उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए ..
पंडित अपने पिंजरे में एक और शिकार फंसता हुआ साफ -2 देख पा रहा था ..वो उसे अपने मंदिर में तो बुला नहीं सकता था, इसलिए उसके घर पर ही जाने की बात कही थी ..
अब उसके मन में नूरी को लेकर अलग - 2 योजनाये बननी शुरू हो गयी थी .
घर आते-2 8 बज गए , शीला को पंडित ने 9 बजे बुलाया था, अभी 1 घंटा था उनके पास, उन्होंने जल्दी-2 खाना बनाया और खा लिया क्योंकि शीला के आने के बाद तो उन्हें खाने का टाइम ही नहीं मिलता .
रात को 9 बजते ही उनके दरवाजे पर धीरे से दस्तक हुई ..और पंडित ने दरवाजा खोलकर शीला को अन्दर ले लिया ..
शीला ने सलवार कमीज पहना हुआ था, अन्दर आते ही पंडित ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शीला भी उनसे बेल की भाँती लिपटती चली गयी ..
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ..क्यों तडपा रहे हो सुभह से ..आज का पूरा दिन बिना कुछ किये ही निकल गया ...देखो न मेरा क्या हाल हो रहा है .."
शीला ने पंडित का हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, और जोरों से दबा दिया , उसके सख्त मुम्मे पकड़कर पंडित को 440 वाल्ट का करंट लग गया .
पंडित : "अरे इतनि बेसब्री क्यों हो रही है ...तेरी इसी तड़प को देखने के लिए ही तो मैंने आज पूरा दिन कुछ नहीं किया तेरे साथ ..."
शीला ने पंडित के होंठों को चूमना चाह पर पंडित ने बड़ी चालाकी से अपना मुंह नीचे किया और उसके मुम्मो के ऊपर, सूट के ऊपर से ही , रगड़ने लगा .
"अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....खा जाओ .....ये मिठाई आपके लिए ही है ...." शीला ने सिसकारी मारते हुए अपनी दूकान के पकवान चखने का न्योता दिया ..
पर पंडित के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था , वो उसके वीक पॉइंट्स को मसल कर, सहला कर उसे और भी उत्तेजित करने में लगा हुआ था और टाइम पास कर रहा था ..शीला भी ये बात नहीं समझ पा रही थी की पंडित ने उसके कपडे उतारने शुरू क्यों नहीं किये ..वो तो चुदने के लिए इतनी बेताब थी की अपने हाथों से खुद कपडे उतारने लगी पर पंडित ने उसके हाथों को रोक दिया और इधर -उधर मुंह मारकर कुछ और टाइम पास करने लगा ..
तभी पीछे के दरवाजे पर एक और दस्तक हुई ..शीला ने बदहवासी में पंडित को देखा और आँखों ही आँखों में पुछा , कौन हो सकता है बाहर ...पर पंडित को मालुम था की बाहर कौन है ..शीला कुछ समझ पाती इससे पहले ही पंडित ने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..रोज की तरह अपने हाथ में अद्धा और खाने का सामान लिए ..
पंडित ने गिरधर को अन्दर बुला लिया, शीला अस्त - व्यस्त हालत में खड़ी थी , उसे उम्मीद नहीं थी की पंडित ऐसे ही किसी को अपने कमरे में लेकर आ जाएगा खासकर जब वो भी अन्दर ही मौजूद थी ..
अन्दर आते ही गिरधर ने जैसे ही शीला को देखा तो उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गयी, उसने मुस्कुराते हुए पंडित की तरफ देखा तो पंडित के चेहरे पर आई अजीब सी मुस्कराहट देखकर वो साफ़ समझ गया की ये पंडित जी का जुगाड़ है, और शायद आज उसकी भी किस्मत खुल जाए और पंडित इस खुबसूरत और भरी हुई औरत को उसके साथ शेयर कर ले ..और शीला इन सब बातों से बेखबर नीचे देखते हुए अपने पैरों के नाखूनों से जमीन कुरेदने में लगी हुई थी ..
पंडित : "आओ गिरधर ...इनसे मिलो ..ये हैं शीला ..यही रहती है, हमारे मोहल्ले में ..ये अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाने के लिए आती है .."
शीला ने अपना सर ऊपर किया और गिरधर को हाथ जोड़कर नमस्ते किया ..
पंडित : "शीला, तुम अन्दर जाओ और हमारे लिए दो गिलास लेकर आओ .."
पंडित ने गिरधर के हाथ से शराब की बोतल ले ली और अपने बेड पर बैठ गए ..
शीला ने आज पहली बार पंडित जी के हाथ में शराब की बोतल देखि थी , उसे तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित जी भी शराब पी सकते हैं ..वैसे पंडित जी उसके साथ चुदाई कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं ...उसने कोई प्रश्न नहीं किया और अन्दर चली गयी ..
उसके जाते ही गिरधर पंडित से बोला : "अरे वह पंडित जी ..आप तो छुपे रुस्तम निकले ..क्या माल है ये औरत तो ..इसके दूध तो देखो जरा ..मन तो कर रहा है की अभी इसके कपडे फाड़ डालू और अपना मुंह लगा कर दूध पी जाऊ कुतिया का .."
लगता है आज गिरधर पहले से ही पीकर आया था, एक तो पिछले 2 महीनो से किसी की नहीं ले पाया था और दूसरा पंडित जी ने उसे माधवी की चूत मारने के लिए भी मना कर रखा था ..और आज शीला को देखते ही उसे ना जाने क्यों ये लगने लगा था की आज उसके लंड को कुछ न कुछ जरुर मिलेगा ..
पंडित : "अरे गिरधर, मैंने तुझे बोला था न की तू फ़िक्र मत कर, मेरे साथ रहेगा तो एश करेगा , तुझे माधवी की भी मिलेगी, इसकी भी दिलवा दूंगा और रितु की भी .."
रितु का नाम सुनते ही गिरधर के लंड ने फिर से एक अंगडाई ली ..और खुली आँखों से सपने देखने लगा ..
तभी शीला वापिस आ गयी और उनके सामने ट्रे में गिलास और खाने का सामान रख दिया ..
पंडित ने उसे वहीँ अपने पास बिठा लिया और गिरधर से पेग बनाने को कहा ..
पेग बनाते हुए गिरधर की नजरें शीला को चोदने में लगी हुई थी ...तभी उसने देखा की पंडित का एक हाथ सरक कर शीला की जांघ के ऊपर आ गया ...और शीला कसमसा कर रह गयी ..
गिरधर ने पेग पंडित को दिया और दोनों पीने लगे ..
पंडित : "शीला, तुम इससे मत शरमाओ ..ये मेरा दोस्त है, और हमारे बीच में कोई भी बात छुपी नहीं रहती .."
पंडित की बात सुनकर शीला ने हेरानी भरी नजरों से उन्हें देखा, मानो पूछ रही हो की क्या हमारी बात भी मालुम है इसे ...
पंडित मुस्कुराते हुए सिप लेते रहे ..
अब पंडित का हाथ उसकी जांघो के बीच जा पहुंचा ..वो तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी, पंडित के सहलाने से उसकी चूत से ज्वालामुखी जैसी गर्माहट निकलने लगी ..जिसे पंडित साफ़ महसूस कर पा रहा था ..पर गिरधर के सामने बैठे होने की वजह से वो सकुचाये जा रही थी ..
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पंडित : "देखो रितु , तूम मुझे अपना हितेषी समझो ..तुम जवानी की जिस देहलीज पर हो, वहां काफी तरह की उलझने मन में होती है जिनका निवारण होना अनिवार्य है ..वर्ना तुम सभी चीजों को अपने हिसाब से सोचने लगती हो और उनसे डर कर एक विचार बना लेती हो ..जो कई बार सही नहीं होता ..मुझे पता है तुम ये सब बातें अपनी माँ से भी नहीं करती हो ..और ना ही तुम्हारी कोई और सहेली इतनी समझदार है जिसे इन सब बातों के बारे में विसतृत जानकारी हो ..इसलिए बोल रहा हु, तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार का कोई भय या प्रश्न है, तुम मुझे बता सकती हो, मैं उसका उचित निवारण करूँगा .."
पंडित की बातें सुनकर रितु ने भी सोचा की उनसे डरने का कोई ओचित्य नहीं है, वो तो उसकी मदद ही करना चाहते हैं, इसके लिए उसे सब तरह की शर्म छोड़कर उन्हें अपने मन की बात बतानी ही होगी ..
रितु ने बोलना शुरू किया : "दरअसल ...पंडित जी ...वो ...मुझे ....बस इतना जानना है की ...की ..जो भी पिताजी ने किया ...उसकी वजह से ...मुझे ..कोई ....मेरा मतलब है ..मुझे बच्चा ....तो नहीं हो जाएगा .."
रितु की बचकाना बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ..दरअसल गलती उसकी भी नहीं थी ..हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक सही तरीके से लड़कियों और लडको को ये नहीं बताया जाता की क्या करने से बच्चा होता है और क्या करने से नहीं ..और इसी बात का फायेदा पंडित को उठाना था ..
पंडित : "अरे तुम ये कैसी बाते कर रही हो ..लगता है तुम्हे इन सब बातों का कुछ भी ज्ञान नहीं है .. चलो कोई बात नहीं ..मैं तुम्हे सब बता दूंगा ..पर पहले तुम मुझे उस दिन वाली बात विस्तार में बताओ जब गिरधर ने तुम्हे ...पकड़ा था .."
वो बात सुनते ही रितु का चेहरा फिर से लाल हो उठा ..उसकी नजरें फिर से नीचे हो गयी, पंडित उसे समझाने के लिए कुछ बोलने ही वाला था की रितु ने धीरे से बोलना शरू किया : "उस दिन ..पिताजी हमेशा की तरह अपने कमरे में बैठ कर शराब पी रहे थे ..माँ किचन में थी ..पिताजी ने मुझसे कुछ सामान मंगवाया ..मैं जैसे ही उनके पास लेकर गयी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया ..ये आम बात थी, पर उस दिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा जोर वाली थी , वो बोले 'तुम ही हो जो मेरा पूरा ध्यान रखती हो ..रितु , आओ , इधर आओ , मेरे पास ..' और पिताजी ने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया .."
पंडित बीच में ही बोल पड़ा : "तुमने उस दिन पहना क्या हुआ था ..?"
रितु : "जी मैंने एक लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी ..जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हु .."
और वो आगे बोली : "उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा बेलेंस नहीं बन पाया और मैं उनकी गोद में जा गिरी ..और उनका हाथ सीधा मेरी ...मेरी ब्रेस्ट के ऊपर आ गया ..मुझे लगा की शायद गलती से लग गया होगा, पर फिर उन्होंने मेरी ब्रेस्ट को ..दबाना शुरू किया तो मुझे पता चल गया की वो जान बुझकर कर रहे हैं ..मुझे तो कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की ऐसा मर्द और औरत करते हैं बच्चा पैदा करने के लिए ..और वो बात याद आते ही मैं बेचैन हो गयी ..की पिताजी मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहते हैं ..मैं उठने लगी और मम्मी को आवाज देनी चाहि तो उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे चूमने लगे ...उनके मुंह से शराब की गन्दी स्मेल आ रही थी ...उनकी मूंछे मुझे चुभ रही थी ..और वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरे होंठों को चूस रहे थे ...और ...और ..मेरी ब्रेस्ट को भी दबा रहे थे .....मेरा तो पूरा शरीर कांपने लगा था ..समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है ...मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ..पर उनपर कोई फर्क नहीं पडा ..वो मुझे चूसते रहे ...और मुझे यहाँ - वहां से दबाते रहे ... "
पंडित : "मतलब तुम्हे वो सब अच्छा नहीं लग रहा था .."
रितु थोडा सकुचाई ..और फिर बोली : "तब तक तो अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर ...फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फ्रोक के नीचे से अन्दर डाल दिया ...और ...और अपने पंजे से मेरी ...वो शू शू करने वाली जगह को पकड़ लिया ..."
उसकी साँसे तेज होने लगी थी ..पंडित ही पलक झपकाना भूल गया ...और रितु के आगे बोलने का वेट करने लगा ...
एक-दो तेज साँसे लेकर वो आगे बोली : "उनकी उँगलियाँ मेरी उस जगह पर घूम रही थी ..उसकी मालिश कर रही थी ..और वो जगह भी पूरी गीली हो चुकी थी ...मुझे तो लगा शायद डर की वजह से मेरा पेशाब निकल गया है ..पर बाहर नहीं निकला ...मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा ...मुझे तब पहली बार अच्छा लगने लगा था ...पर तभी मम्मी अन्दर आ गयी और वो जोर से चिल्लाने लगी ...मैं तो भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और अपने बिस्तरे में घुस गयी ...बाहर से माँ और पिताजी के लड़ने की आवाजें आती रही ...आर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ...मैंने अपने एक हाथ नीचे लेजाकर वहां लगाया तो देखा की काफी चिपचिपा सा कुछ निकल रहा है ...मैंने बाथरूम में जाकर सब साफ़ किया ..पर मुझे डर लगने लगा था की कहीं मुझे बच्चा ना हो जाए ...इसलिए पिताजी के पास जाते हुए मुझे अब डर लगने लगा था ...और माँ ने भी उनके पास जाने को मना कर दिया .."
पंडित ने उसकी पूरी बात सुनकर एक गहरी सांस ली ..वो समझ गए की रितु बेकार में डर रही है ..वो उसे समझाने लगे ..: "देखो रितु , तुम जो भी सोच रही हो, वो सब गलत है, बच्चा ऐसे नहीं होता ..उसके लिए तो कुछ और करना पड़ता है , जिसे सम्भोग कहते हैं ..और जो भी तुम्हारे साथ हुआ, वो सब तो सम्भोग से पहले की क्रिया है ..जिसके कारण कुछ (बच्चा) होना असंभव है .."
रितु मुंह ताके उनकी ज्ञान भरी बातें सुनती रही ..और आखिर में बोली : "ये ...ये सम्भोग क्या होता है ..."
पंडित ने धीरे से कहा : "चुदाई ...चुदाई को ही सम्भोग कहते हैं .."
चुदाई शब्द सुनते ही रितु का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा, उसकी आँखों में लालिमा सी उतर आई ...
पंडित : "और पता है ...चुदाई कैसे होती है ..."
ऋतू ने ना में सर हिलाया ...जिसकी पंडित को पूरी उम्मीद थी .
पंडित : "वो जो तुम्हारे नीचे है, शू शू करने वाली जगह ..उसे क्या कहते हैं ...पता है .."
पंडित की ऊँगली रितु की टांगो के बीच की तरफ थी .
रितु शायद जानती थी ...पर शरम के मारे कुछ ना बोली ..
पंडित : "उसे कहते हैं ...चूत और लडको के पास जो होता है ...उसे कहते हैं लंड "
पंडित ने अपने लंड की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "और ...जब ये लंड, चूत में घुसता है ..उसे कहते हैं चुदाई ..और फिर अंत में जब लड़की की चूत और लड़के के लंड में से रस निकलता है तो दोनों मिलकर बनाते हैं बच्चा ..समझी ..."
पंडित ने उसे एक मिनट के अन्दर ही सृष्टि जनन का ज्ञान दे डाला ..
और रितु आँखों में आश्चर्य के भाव लिए उनकी सारी बातें सुनती रही ..वैसे उसके मन में काफी प्रश्न उबाल खा रहे हो ..और पंडित को मालुम था की वो अभी और भी बहुत कुछ जानना चाहती है , पर अब वो चुप होकर बैठ गए और उसके पूछने की प्रतिक्षा करने लगे ..
आखिर रितु ने अपना प्रश्न पूछ ही डाला : "पर पंडित जी ..वो सब तो एक लड़का - लड़की के बीच होना चाहिए ..फिर मेरे पिताजी ..मेरे साथ ऐसा ..क्यों कर रहे थे ..ये तो पाप है .."
पंडित : "देखो रितु , तुम्हारा कहना सही है ..पर सेक्स की दुनिया में कोई किसी का रिश्तेदार नहीं होता, उनमे सिर्फ एक ही रिश्ता होता है ..और वो होता है ..जिस्म का ..इसमें उम्र , रिश्ते , सुन्दरता , कुछ भी मायने नहीं रखते ..मायने रखता है तो सिर्फ एक दुसरे के प्रति आकर्षण और अपनी उत्तेजना को शांत करने की चाहत ....इसलिए उस दिन तुम्हारा दिमाग कुछ और सोच रहा था और तुम्हारा जिस्म कुछ और चाह रहा था ..जिसकी वजह से तुम्हारी चूत में से वो रस निकल रहा था .."
पंडित ने उसके रस निकलने वाली बात के रहस्य से पर्दा उठाया ..रितु को जैसे वो बात समझ आ गयी, उसने अपना सर हिलाते हुए पंडित जी की बात में सहमती जताई ..
पंडित : "मुझे पता है, तुम्हे अभी भी काफी बाते समझनी है, पर इसके लिए मुझे विस्तार से तुम्हे वो सब बताना होगा ..जिसके लिए तुम्हे सोच विचार कर आना है, तुम अभी जाओ, और रात भर सोचो, अगर ठीक लगे तो कल तुम्हारी टयूशन के बाद मैं तुम्हे ये सब बातें विस्तार से और व्यावहारिक (प्रेक्टिकल) रूप में समझा दूंगा .."
रितु उनकी बात का मतलब समझ गयी ...और उसने शरमा कर अपना मुंह फिर से नीचे कर लिया ...यानी पंडित जी कह रहे थे की वो उसे चुदाई के बारे में पूरा ज्ञान दे देंगे ..और ना चाहते हुए भी उसकी नजर पंडित जी की धोती के ऊपर चली गयी, जहाँ पर होती हुई हलचल देखकर उसकी चूत में भी सीटियाँ बजने लगी ...वो फिर से तेज साँसे लेने लगी ...और जल्दी-2 अपना बेग समेत कर बाहर की तरफ भागी ...
पंडित ने अपना चारा फेंक दिया था ...और रितु ने उसे चुग भी लिया था ..अब कल देखते हैं, क्या करती है वो आकर ...पर कल से पहले तो आज रात का इन्तजार था पंडित को ...
रात को उन्होंने शीला को जो बुलाया था ..अपने कमरे में ..उसे एक सरप्राईज देने के लिए ..
पंडित ने अपने दुसरे काम समेटे और शाम को थोडा सामान लेने के लिए वो बाजार की तरफ निकल पड़ा ..
वैसे तो मंदिर में आने वाले सामान से ही उसकी दिनचर्या और खाने पीने की चीजें निकल आती थी पर फिर भी कुछ सामान तो लेना ही पड़ता था ..और उसका रुतबा इतना था की वो कहीं से भी सामान ले, कोई उससे पैसे नहीं लेता था ..
पंडित बाहर निकल कर सीधा परचून की दूकान पर पहुंचा और आटा , मसाले और एक दो चीजें दुकानदार से निकालने को कहा ..पर पंडित ने नोट किया की उस दिन वो दुकानदार कुछ ज्यादा ही दुखी दिखाई दे रहा था ..पंडित ने पुछा : "अरे इरफ़ान भाई ..क्या हुआ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो ..सब ठीक तो है ना .."
इरफ़ान : "अब क्या कहे पंडित जी ..मेरी तो किस्मत ही खराब है ..आप तो जानते ही है, मेरी बेटी
नूरी जिसका पिछले साल ही निकाह हुआ था, वो अक्सर अपने पति से लड़कर मेरे घर आ जाती है ..कल रात भी यही हुआ, पिछले एक साल में 6 बार उसको समझा बुझा कर वापिस भेज चूका हु पर कल रात के बाद तो वो अपने शोहर के पास जाने को राजी ही नहीं है ..वो कहती है की वो उसके लायक नहीं है ...अब आप ही बताएं पंडित जी ..मैं क्या करू .."
नूरी की बात सुनते ही पंडित के शेतानी दिमाग ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी ..वो काफी सुंदर थी, जैसे ज्यादातर मुस्लिम लड़कियां होती हैं ..और जब तक वो यहाँ रहती थी, पंडित जी से काफी गप्पे मारती थी, जब भी वो दूकान पर कुछ सामान लेने आते थे ।
वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "देखो इरफ़ान भाई, वैसे तो तुम्हारे घर के मामलो में मेरा बोलना मुनासिफ नहीं है, पर अगर हो सके तो उसके दिल की बात जानने की कोशिश करो ..पूछो उससे की क्या परेशानी है ..क्या पता, वो सही हो ..या फिर उसकी बात सुनने के बाद कोई उपाय निकल सके .."
इरफ़ान : "पंडित जी ..वो मुझे तो कुछ बताने से रही ..उसकी अम्मी के इंतकाल के बाद वो मुझसे खुल कर कोई भी बात नहीं करती है .." और कुछ देर सोचने के बाद वो बोले : "अगर आप उससे बात करके देखे तो शायद वो आपसे कुछ बोल पाए ..हाँ ..ये सही रहेगा ..आप उससे बात करो ..और उसके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, उसका पता करो ..."
पंडित उसकी बात सुनकर चुप रहा, वो जानता था की नूरी उनकी बात मानकर अपने दिल की बात जरुर बता देगी, फिर भी ये बात वो इरफ़ान के मुंह से निकलवाना चाहते थे ,
पंडित : "अगर मेरे समझाने से वो समझ जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...पर अभी उससे बात करना सही नहीं है, कल ही आई है वो, और मुझे भी आज कुछ काम है , ऐसा करते हैं, मैं कल आऊंगा , इसी समय, और फिर उससे बात करके समझाने की कोशिश करूँगा ..तुम अब उसको ज्यादा परेशान मत करना ..और बोल कर रखना की मैं कल आऊंगा उससे मिलने .."
इरफ़ान ने पंडित जी का धन्यवाद किया, और उनका सामान बाँध कर उन्हें दे दिया और हमेशा की तरह उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए ..
पंडित अपने पिंजरे में एक और शिकार फंसता हुआ साफ -2 देख पा रहा था ..वो उसे अपने मंदिर में तो बुला नहीं सकता था, इसलिए उसके घर पर ही जाने की बात कही थी ..
अब उसके मन में नूरी को लेकर अलग - 2 योजनाये बननी शुरू हो गयी थी .
घर आते-2 8 बज गए , शीला को पंडित ने 9 बजे बुलाया था, अभी 1 घंटा था उनके पास, उन्होंने जल्दी-2 खाना बनाया और खा लिया क्योंकि शीला के आने के बाद तो उन्हें खाने का टाइम ही नहीं मिलता .
रात को 9 बजते ही उनके दरवाजे पर धीरे से दस्तक हुई ..और पंडित ने दरवाजा खोलकर शीला को अन्दर ले लिया ..
शीला ने सलवार कमीज पहना हुआ था, अन्दर आते ही पंडित ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शीला भी उनसे बेल की भाँती लिपटती चली गयी ..
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ..क्यों तडपा रहे हो सुभह से ..आज का पूरा दिन बिना कुछ किये ही निकल गया ...देखो न मेरा क्या हाल हो रहा है .."
शीला ने पंडित का हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, और जोरों से दबा दिया , उसके सख्त मुम्मे पकड़कर पंडित को 440 वाल्ट का करंट लग गया .
पंडित : "अरे इतनि बेसब्री क्यों हो रही है ...तेरी इसी तड़प को देखने के लिए ही तो मैंने आज पूरा दिन कुछ नहीं किया तेरे साथ ..."
शीला ने पंडित के होंठों को चूमना चाह पर पंडित ने बड़ी चालाकी से अपना मुंह नीचे किया और उसके मुम्मो के ऊपर, सूट के ऊपर से ही , रगड़ने लगा .
"अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....खा जाओ .....ये मिठाई आपके लिए ही है ...." शीला ने सिसकारी मारते हुए अपनी दूकान के पकवान चखने का न्योता दिया ..
पर पंडित के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था , वो उसके वीक पॉइंट्स को मसल कर, सहला कर उसे और भी उत्तेजित करने में लगा हुआ था और टाइम पास कर रहा था ..शीला भी ये बात नहीं समझ पा रही थी की पंडित ने उसके कपडे उतारने शुरू क्यों नहीं किये ..वो तो चुदने के लिए इतनी बेताब थी की अपने हाथों से खुद कपडे उतारने लगी पर पंडित ने उसके हाथों को रोक दिया और इधर -उधर मुंह मारकर कुछ और टाइम पास करने लगा ..
तभी पीछे के दरवाजे पर एक और दस्तक हुई ..शीला ने बदहवासी में पंडित को देखा और आँखों ही आँखों में पुछा , कौन हो सकता है बाहर ...पर पंडित को मालुम था की बाहर कौन है ..शीला कुछ समझ पाती इससे पहले ही पंडित ने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..रोज की तरह अपने हाथ में अद्धा और खाने का सामान लिए ..
पंडित ने गिरधर को अन्दर बुला लिया, शीला अस्त - व्यस्त हालत में खड़ी थी , उसे उम्मीद नहीं थी की पंडित ऐसे ही किसी को अपने कमरे में लेकर आ जाएगा खासकर जब वो भी अन्दर ही मौजूद थी ..
अन्दर आते ही गिरधर ने जैसे ही शीला को देखा तो उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गयी, उसने मुस्कुराते हुए पंडित की तरफ देखा तो पंडित के चेहरे पर आई अजीब सी मुस्कराहट देखकर वो साफ़ समझ गया की ये पंडित जी का जुगाड़ है, और शायद आज उसकी भी किस्मत खुल जाए और पंडित इस खुबसूरत और भरी हुई औरत को उसके साथ शेयर कर ले ..और शीला इन सब बातों से बेखबर नीचे देखते हुए अपने पैरों के नाखूनों से जमीन कुरेदने में लगी हुई थी ..
पंडित : "आओ गिरधर ...इनसे मिलो ..ये हैं शीला ..यही रहती है, हमारे मोहल्ले में ..ये अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाने के लिए आती है .."
शीला ने अपना सर ऊपर किया और गिरधर को हाथ जोड़कर नमस्ते किया ..
पंडित : "शीला, तुम अन्दर जाओ और हमारे लिए दो गिलास लेकर आओ .."
पंडित ने गिरधर के हाथ से शराब की बोतल ले ली और अपने बेड पर बैठ गए ..
शीला ने आज पहली बार पंडित जी के हाथ में शराब की बोतल देखि थी , उसे तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित जी भी शराब पी सकते हैं ..वैसे पंडित जी उसके साथ चुदाई कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं ...उसने कोई प्रश्न नहीं किया और अन्दर चली गयी ..
उसके जाते ही गिरधर पंडित से बोला : "अरे वह पंडित जी ..आप तो छुपे रुस्तम निकले ..क्या माल है ये औरत तो ..इसके दूध तो देखो जरा ..मन तो कर रहा है की अभी इसके कपडे फाड़ डालू और अपना मुंह लगा कर दूध पी जाऊ कुतिया का .."
लगता है आज गिरधर पहले से ही पीकर आया था, एक तो पिछले 2 महीनो से किसी की नहीं ले पाया था और दूसरा पंडित जी ने उसे माधवी की चूत मारने के लिए भी मना कर रखा था ..और आज शीला को देखते ही उसे ना जाने क्यों ये लगने लगा था की आज उसके लंड को कुछ न कुछ जरुर मिलेगा ..
पंडित : "अरे गिरधर, मैंने तुझे बोला था न की तू फ़िक्र मत कर, मेरे साथ रहेगा तो एश करेगा , तुझे माधवी की भी मिलेगी, इसकी भी दिलवा दूंगा और रितु की भी .."
रितु का नाम सुनते ही गिरधर के लंड ने फिर से एक अंगडाई ली ..और खुली आँखों से सपने देखने लगा ..
तभी शीला वापिस आ गयी और उनके सामने ट्रे में गिलास और खाने का सामान रख दिया ..
पंडित ने उसे वहीँ अपने पास बिठा लिया और गिरधर से पेग बनाने को कहा ..
पेग बनाते हुए गिरधर की नजरें शीला को चोदने में लगी हुई थी ...तभी उसने देखा की पंडित का एक हाथ सरक कर शीला की जांघ के ऊपर आ गया ...और शीला कसमसा कर रह गयी ..
गिरधर ने पेग पंडित को दिया और दोनों पीने लगे ..
पंडित : "शीला, तुम इससे मत शरमाओ ..ये मेरा दोस्त है, और हमारे बीच में कोई भी बात छुपी नहीं रहती .."
पंडित की बात सुनकर शीला ने हेरानी भरी नजरों से उन्हें देखा, मानो पूछ रही हो की क्या हमारी बात भी मालुम है इसे ...
पंडित मुस्कुराते हुए सिप लेते रहे ..
अब पंडित का हाथ उसकी जांघो के बीच जा पहुंचा ..वो तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी, पंडित के सहलाने से उसकी चूत से ज्वालामुखी जैसी गर्माहट निकलने लगी ..जिसे पंडित साफ़ महसूस कर पा रहा था ..पर गिरधर के सामने बैठे होने की वजह से वो सकुचाये जा रही थी ..