राबिया का बेहेनचोद भाई

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The Romantic
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 16:21

राबिया का बेहेनचोद भाई--10

. इसी तरह खाते हुए हम टहलने लगे.....फिर भाई ने घर चलने के बारे में पुछा ..... हाए !!! भाई थोड़ा और घूमते है ना.....नही अब रहने दे.....रात काफ़ी हो चुकी है.....किसी दिन और.....प्रॉमिस भाई.....हा प्रॉमिस.....ठीक है भाई फिर कल......ठीक है कल.....बाइक बैलेंस कर भाई बैठा तो बोला....पैर दोनो तरफ करके बैठ ना.....मैने कहा....नही मैं नही बैठ ती....अरी बाइक का बैलेंस अच्छा बनता है.....मैने मन ही मन कहा चल साले सीधा बोला ना लंड का बैलेंस ठीक करना है तुझे...... लगा कर चूंची का मज़ा लेगा, इतना क्यों तड़प रहा पूरी चूंची नंगी कर दूँगी पर थोड़ा इंतेज़ार कर....



मैने कहा...क्या भाईजान आप भी.....कोई देखेगा तो....बिलवजह शक़ करेगा.....अरी शक़ किस बात का.....आप नही जानते....शबनम बता रही थी ऐसे बाय्फ्रेंड के साथ बैठा जाता है....तुम कोई मेरे बाय्फ्रेंड हो......तू और तेरी सहेलियाँ....ऐसे तो कोई भी बैठ सकता है....फिर हमे यहाँ कौन पहचानता है.....नही रहने दो.....मुझे शरम आती है.....ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी कहते हुए उसने बाइक स्टार्ट कर दी.....रास्ते में उसने दो तीन बार ब्रेक लगाया मगर कुछ हुआ नही.....



खैर हम घर वापस आ गये......अगले दिन छुट्टी थी.....थोड़ी देर से उठी....देखा भाई अभी तक सो रहा है.....मैने झटपट सॉफ सफाई की और बाथरूम में जा कर नहाने लगी.....तभी मुझे अहसास हुआ की शायद कोई बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा है....दरवाजे पर नीचे परच्छाई सी बन रही थी....सिवाए भाई के और कौन हो सकता था....मैने सोचा इसको कुछ दिखा दूँ बहुत तड़प रहा है बेचारा.....




समीज़ खोल कर ब्रा उतार कर खूंटी पर टाँग दिया और दरवाजे की तरफ घूम एक झलक अपने कबूतरो का दिखा कर फिर से दरवाजे की तरफ पीठ कर लिया.....मैने सलवार नही खोली.....मैं जानती थी की वो चूत देखने के लिए तड़प रहा होगा......जिस दरार सो वो देखने की कोशिश कर रहा था उसके ठीक उपर एक खूँटी थी....मैने उस पर तौलिया ले कर टाँग दिया......मेरी इस हरकत से भाई की झांट जल गई होगी..... पर कुतियापने में मुझ से शायद ही कोई हरा सकता था......सिवाए अम्मी के.....अपने सुलगते झांट और लंड को लेकर बाहर दरवाजे पर क्या करता चुप-चाप वहा से चला गया.....

दिन में खाना खाया.....फिर मैं बेडरूम में जा कर सो गई.....समझ में नही आ रहा था अब आगे कैसे बढूँ .....भाई तो हिम्मत ही नही दिखा रहा था.....चोरी चुप्पे देखता था मगर डरता था.....आँखे खुली तो देखा...अंधेरा हो गया था.....भाई चाए बना रहा था....हम लोगो ने चाए पिया....फिर भाई बेडरूम में जा कर तैयार होने लगा....कहा जा रहे हो भाई....मार्केट से सामनले आता हूँ....मैने मचलते हुए अदा के साथ पुछा ....



आज कहा घूमने ले जाओगे... भाई एक पल को रुका फिर मुस्कुआरने लगा......हसो मत कल आपने प्रॉमिस किया था.....हा हा तो मैं कहा मना कर रहा हू....कहता हुआ वो चला गया... भाई तुरंत आ गया....आते ही बोला....खाना भी बाहर खाएँगे....तैयार हो जा.....और फिर तैयार होने लगा....मैने आज खूबसूरत सा समीज़ सलवार निकाला.....रेड कलर की समीज़ ब्लॅक कलर का सलवार....उस पर शानदार कशीदा....भाई तुरंत तैयार हो गया....मैं बेड रूम में थी.....मैने समीज़ पहन लिया....भाई ने आवाज़ दी....क्या हुआ तैयार नही हुई...मैं खाली समीज़ में थी....सलवार पहन रही थी.....एक पैर में थोड़ा सा सलवार फंसायें बाहर निकल... इतराते हुए बोली.....आ तो रही हू....

आप भी ना भाई शोर मचाने लगते हो...बिना सलवार के ....समीज़ की साइड से गोरी चमकती टांगे दिख गई....मेरा मकसद पूरा हुआ....भाई वही दीवान पर बैठ इंतेज़ार करने लगा.......मैने आराम से सलवार को पहना फिर....ग्रीन कलर की नाइल पोलिश ली....बाहर आ सोफे पर बैठ.....लगाने लगी....भाई देखने लगा....अच्छा तो था...गुलाबी.....क्यों कर चेंज कर रही है....



ग्रीन नैल्पोलिश आजकल का फैशिोन है भाई.....तुम भी ना......अच्छा....मुझे क्या पता......कल कैसे बोल रहे थे मैं अच्छी लग रही हू.....जब तुम्हे कुछ पता ही नही.....भाई मेरे इस सवाल से शर्मा गया....अच्छा जल्दी कर...कर तो रही हू....वो बारे गौर से देख रहा था....क्या देख रहे हो भाई.....कितने सुंदर है तेरे पैर.....गोरे छोटे ....एकदम सॉफ्ट.....धत ! आप भी ना....अरे लड़कियों के पैर ऐसे ही होते है........आज माल चलेंगे...बहुत बड़ा माल है....सब कुछ है वहा....फिर हम दोनो बाहर आ गये.....



बाइक पार्क कर बहुत देर घूमते रहे....बहुत बड़ा माल था.....लड़के लड़कियां खूब सारे....मौज मस्ती करते घूम रहे थे.....बहुत देर घूमने के बाद एक जगह मॅक-डोनल्ड से आइस-क्रीम के लिए रुके....अचानक एक जाना पहचाना चेहरा नज़र आया....गौर से देखा तो....फ़रज़ाना थी....ऐसे तो मैं नही बोलती मगर....वो एकदम सामने... हाए !!! फर्रू....वो भी रुक गई....हँसते हुए उसने मुझे गले लगाया....वो जीन्स और टी - शर्ट में थी....दुआ- सलाम हुई...

वो बोलने लगी की ऐसे ही कुछ ख़रीदारी करनी थी....तभी देखा उसका भाई दो आइस-क्रीम लिए आया....फ़रज़ाना जल्दी से बोली....अच्छा चलती हू और अपने भाई के साथ चल दी....वो भाई से नही मिलवाना चाहती थी....तभी भाईजान आइस-क्रीम ले आ गये....कौन थी....वो कॉलेज की सहेली है....क्या नाम है....क्यों तुम्हे क्या....मैने शैतानी भरी मुस्कान के साथ पुछा .....खीजने वाले अंदाज में बोला...अरी ऐसे ही पूछ रहा था.....तू तो...अरे तो नाराज़ क्यो हो रहे हो.... फ़रज़ाना है...अपने भाई के साथ ख़रीदारी करने आई थी....भाई चौंकते हुए बोला....


भाई के साथ....हा.....जैसे मैं और तुम....भाई हैरानी से बोला....वो लड़का उसका भाई था.....हा भाई वो उसके बारे भाई है....भाई गर्दन हिलाते बोला....तूने उसका हाथ देखा...मैने कहा....नही मैने गौर नही किया.....क्यों क्या हुआ....जानती है तू वो कहा से आ रही थी....नही... कहा से....वो डिस्को से आ रही थी....अब मेरी बड़ी थी हैरान होने की....डिस्को के बारे में मुझे भी पता था की वहा क्या होता है.....मैने पुछा ....पर आपको कैसे पता....इसलिए तो पूछ रहा हू तूने उसका हाथ देखा क्या...नही ना....उसके हाथ पर मुहर लगी थी....डिस्को में एंट्री के पहले.....गेट पर....एक ठप्पा लगा देते है....मैने कहा....हो सकता है गई होगी....पर इसमे ताज्जुब...भाई प्यार से मेरी आँखो में झँकते बोला....
तुझे पता है वहा क्या होता है...आइस-क्रीम लेते हुए कहा....हा लोग डांस करते.....मौज मस्ती...भाई मुस्कुराते हुए बोला....मेरी बहना तेरी सहेली भाई के साथ डांस करने गई थी क्या.....मैं शर्मा गई.....धत ! भाई के साथ डांस करेगी.....मैं तो सब समझ गई थी मगर झूट का नाटक कर रही थी... हाए !!! साली ये फ़रज़ाना के तो मज़े ही मज़े है है...भाई के साथ डिस्को में.. हाए !!! कितनी लकी है....फिर बोली....अरे हा ये तो मैने सोचा ही नही....भाई मुस्कुराने लगा...मैं थोड़ा झेप गई.....फिर मैने सवाल किया...भाई आप कभी डिस्को गये हो....नही यार....कभी मौका....क्यों भाई.....अरे यार मेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नही....अकेले लड़के को कौन एंट्री देगा...ऐसा क्यों भाई.....वहा कोई लड़का बगैर किसी लड़की के साथ नही जा सकता....समझी.....ऐसा....



हा फ़रज़ाना का भाई अकेले नही जा सकता....तेरी सहेली को ले गया....दोनो मज़े कर के आ गये....धत ! भाई...वो ऐसे ही घूमने गई होगी....चलो छोड़ो हमे क्या....हम दोनो चुप हो गये...कुछ देर ही घूमने के बाद.....भाई रुक गया और अचानक बोला...चलेगी...मैने ताज्जुब से आँखे नाचते पुछा .....कहा....वही जहा तेरी सहेली....डिस्को में...धत ! भाई....क्यों क्या हुआ....हम भी... हाए !!! नही मुझे शर्म आती है....अरे शर्म की क्या बात.....मेरा दिल तो बल्लियों उछल रहा था......अच्छे मकाम पर फर्रू मिल गई....कम से कम अकल तो आई....पर नखड़ा तो ज़रूरी था.....

चल ना रबिया प्लीज़....खाली घूम कर आ जाएँगे....मैने थोड़ा शरमाने का नाटक किया....फिर बोली...पर सलवार कमीज़ में.....तो क्या हुआ......ऐसे ही घूम लेंगे....डांस करने को थोड़ी कह रहा हू.....मैं धीरे से हँसते हुए गाल गुलाबी करते हुए बोली....तुम कल से मेरे पीछे परे हो....कल से....हा और क्या...कल बाइक पर बैठा रहे थे गर्लफ्रेंड की तरह....और आज तो....चलो....भाई समझ गया की मैं तैयार हू.....हम माल की दूसरी तरफ बने डिस्को की और चल दिए....भाई ने समझाया....वहा भाईजान कह कर मत बुला देना... हाए !!!..इतनी समझदार हू भाईजान...मैने भाईजान की कमर में हल्के से चिकोटी काटी...भाई ने मेरा हाथ पकड़ हल्के से दबा दिया.....






मैं भी खुशी से उछल रही थी.....शर्मो-हया और नाज़-नखड़े को थोड़ी देर के लिए अम्मी चुदाने भेज दिया मैने.....पैसे दिए....ठप्पा लगवाया और डिस्को के अंदर चले गये....ओह क्या माहौल था....छोटे शहर में तो सोच भी नही सकता कोई.....तेज म्यूज़िक....हल्की लाइट्स....हर तरफ शोर शराबे और मस्ती का माहौल....डांस फ्लोर पर लड़के -लड़कियां ....एक दूसरे की कमर में हाथ डाले....बार काउंटर पर ग्लास हाथ में पकडे लोग....टेबल पर हसी मज़ाक करते दोस्त....उफफफ्फ़....ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत है....कही कोई गम नही....खुलेपन का माहौल....हर कोई मस्ती में डूबा ....



मैं और भाई चुप-चाप एक टेबल पर जा कर बैठ गये...हल्के हल्के मुस्कुराते हुए हमने एक दूसरे को देखा....मैने थोड़ा शरमाने का नाटक किया....भाई बोला....कितने मज़े का माहौल है....तुझे कैसा... हाए !!! भाई मुझे तो शर्म आ रही है....फिर जान-बूझ कर बोला... हाए !!! भाई कितने बेशर्म है सब....क्या मतलब.. हाए !!! देखो कैसे सब एक दूसरे की गले में बाहें डाले... हाए !!! मुझे तो शर्म आ रही है....अरी तू भी ना...ये बड़ा शहर है....फिर सब बाय्फ्रेंड-गर्लफ्रेंड है....या मियाँ-बीबी....या फिर हमारी तरह......मौज मस्ती आख़िर ऐसे ही तो होती है....हमारी तरह.....और क्या....



बहुत सारे इनमे से भाई-बहन होंगे.....मज़ा करने....धत ! कहते हुए मैने अपने गाल लाल कर लिए....भाई ने वेटर को बुला कुछ ड्रिंक्स मंगाए.....और कुछ खाने के लिए....भाई पता नही क्या पी रहा था....मैं ऑरेंज जूस ले रही थी.....थोड़ी देर बाद मेरे हाथ पर हाथ रख कर बोला....रबिया एक बात बोलू....क्या भाई....लोग डांस करते हुए कितने अच्छे लग रहे है...है ना....हा भाई...साले सीधा बोल ना.....डांस करने के अरमान जाग रहे है.....बहुत अच्छा लग रहा है देख कर....तेरा दिल नही करता डांस करने.. हाए !!! धत !....सच बता ना रबिया... हाए !!! नही...मैं नही जानती....अरे बता ना... हाए !!! नही छोड़ो ....आप का दिल करता है क्या....



भाई एक पल चुप रहा फिर बोला... हाए !!! मेरा तो बहुत दिल करता है....डांस करने का... हाए !!! तो जाओ कर लो...मैं किसी से नही कहूँगी... हाए !!! पर अकेले....क्यों अकेले डांस करने पर रोकते है क्या....अरे नही ये बात नही....अकेले डांस करता मैं गधा नही लगूंगा....सब क्या सोचेंगे....गधा तो तू है ही...चूतिये अकल से भी और लंड से भी....सीधा बोल ना तेरे साथ डांस करनी है....मैने कहा....अब डांस करने के लिए पारटनेर कहा मिलेगी....छोड़ो फिर कभी....फिर कभी कौन सा मिल जाएगी....ये रबिया प्लीज़ नाराज़ मत होना...तू चल ना....तेरा भी दिल तो करता होगा...प्लीज़...

तूने आज तक नही देखा ना....नही भाई....देख लेना कैसा होता है... हाए !!! नही भाई लोग क्या सोचेंगे..... यहाँ कौन है हमे देखने वाला.....पर भाई हम दोनो भाई-बेहन है.... अरे लोगो को क्या पता हम भाई बेहन....हमारी पेशानी पर लिखा है क्या..... नही भाई किसी को भी शक़ हो सकता है...अरे तेरी सहेली भी तो अपने भाई.....उसका पता नही...पर मुझे डर लग रहा है....तेरा डर बिलवाजह है....कही डिस्को वाले पूंछे की कौन है तो क्या......अव्वल तो पूंछेगे नही....अगर पुछा भी तो बोल देंगे... हाए !!! क्या बोलूँगी....शौहर....मैने शरारत से हँसते हुए कहा....अरे नमकूल....बाय्फ्रेंड नही बोल सकती क्या.... हाए !!! नही.....भाई को बाय्फ्रेंड....तेरी सहेली भी तो यही बोल के गई होगी.....

चल ना रबिया प्लीज़....खाली घूम कर आ जाएँगे....मैने थोड़ा शरमाने का नाटक किया....फिर बोली...पर सलवार कमीज़ में.....तो क्या हुआ......ऐसे ही घूम लेंगे....डांस करने को थोड़ी कह रहा हू.....मैं धीरे से हँसते हुए गाल गुलाबी करते हुए बोली....तुम कल से मेरे पीछे परे हो....कल से....हा और क्या...कल बाइक पर बैठा रहे थे गर्लफ्रेंड की तरह....और आज तो....चलो....भाई समझ गया की मैं तैयार हू.....हम माल की दूसरी तरफ बने डिस्को की और चल दिए....भाई ने समझाया....वहा भाईजान कह कर मत बुला देना... हाए !!!..इतनी समझदार हू भाईजान...मैने भाईजान की कमर में हल्के से चिकोटी काटी...भाई ने मेरा हाथ पकड़ हल्के से दबा दिया.....






मैं भी खुशी से उछल रही थी.....शर्मो-हया और नाज़-नखड़े को थोड़ी देर के लिए अम्मी चुदाने भेज दिया मैने.....पैसे दिए....ठप्पा लगवाया और डिस्को के अंदर चले गये....ओह क्या माहौल था....छोटे शहर में तो सोच भी नही सकता कोई.....तेज म्यूज़िक....हल्की लाइट्स....हर तरफ शोर शराबे और मस्ती का माहौल....डांस फ्लोर पर लड़के -लड़कियां ....एक दूसरे की कमर में हाथ डाले....बार काउंटर पर ग्लास हाथ में पकडे लोग....टेबल पर हसी मज़ाक करते दोस्त....उफफफ्फ़....ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत है....कही कोई गम नही....खुलेपन का माहौल....हर कोई मस्ती में डूबा ....



मैं और भाई चुप-चाप एक टेबल पर जा कर बैठ गये...हल्के हल्के मुस्कुराते हुए हमने एक दूसरे को देखा....मैने थोड़ा शरमाने का नाटक किया....भाई बोला....कितने मज़े का माहौल है....तुझे कैसा... हाए !!! भाई मुझे तो शर्म आ रही है....फिर जान-बूझ कर बोला... हाए !!! भाई कितने बेशर्म है सब....क्या मतलब.. हाए !!! देखो कैसे सब एक दूसरे की गले में बाहें डाले... हाए !!! मुझे तो शर्म आ रही है....अरी तू भी ना...ये बड़ा शहर है....फिर सब बाय्फ्रेंड-गर्लफ्रेंड है....या मियाँ-बीबी....या फिर हमारी तरह......मौज मस्ती आख़िर ऐसे ही तो होती है....हमारी तरह.....और क्या....



बहुत सारे इनमे से भाई-बहन होंगे.....मज़ा करने....धत ! कहते हुए मैने अपने गाल लाल कर लिए....भाई ने वेटर को बुला कुछ ड्रिंक्स मंगाए.....और कुछ खाने के लिए....भाई पता नही क्या पी रहा था....मैं ऑरेंज जूस ले रही थी.....थोड़ी देर बाद मेरे हाथ पर हाथ रख कर बोला....रबिया एक बात बोलू....क्या भाई....लोग डांस करते हुए कितने अच्छे लग रहे है...है ना....हा भाई...साले सीधा बोल ना.....डांस करने के अरमान जाग रहे है.....बहुत अच्छा लग रहा है देख कर....तेरा दिल नही करता डांस करने.. हाए !!! धत !....सच बता ना रबिया... हाए !!! नही...मैं नही जानती....अरे बता ना... हाए !!! नही छोड़ो ....आप का दिल करता है क्या....



भाई एक पल चुप रहा फिर बोला... हाए !!! मेरा तो बहुत दिल करता है....डांस करने का... हाए !!! तो जाओ कर लो...मैं किसी से नही कहूँगी... हाए !!! पर अकेले....क्यों अकेले डांस करने पर रोकते है क्या....अरे नही ये बात नही....अकेले डांस करता मैं गधा नही लगूंगा....सब क्या सोचेंगे....गधा तो तू है ही...चूतिये अकल से भी और लंड से भी....सीधा बोल ना तेरे साथ डांस करनी है....मैने कहा....अब डांस करने के लिए पारटनेर कहा मिलेगी....छोड़ो फिर कभी....फिर कभी कौन सा मिल जाएगी....ये रबिया प्लीज़ नाराज़ मत होना...तू चल ना....तेरा भी दिल तो करता होगा...प्लीज़...

हाए !!!.... भाई आप भी ना.. हाए !!!....कैसी-कैसी बाते करते हो....मैं आपकी बहन हू.....मैने नाराज़ होने का दिखावा किया... हाए !!! रबिया तू भी ना...मैं कब कह रहा हू तू मेरी बहन नही.....मैं तो बस एक छोटी सी दरखास्त कर रहा हू.....मान लेगी तो.....भाई का चेहरा उतर गया...नही भाई....अच्छा लगेगा क्या....भाई-बेहन चिपक कर डांस करते....मैने चिपक जुमले पर ज़ोर देते हुए कहा...ओह हो मैं कब कह रहा हू हम चिपक कर....अलग-अलग खड़े रह कर....वो कैसे होगा...सब तो एक-दूसरे के गले में बाहें डाल कर....वो तू मेरे उपर छोड़ ना....



ही पता नही तुम कैसे कह रहे हो मेरी समझ में तो नही आ रहा....फिर हम दोनो भाई-बेहन...तू भी ना....तेरी सहेली भी तो आई थी....फिर यहाँ कौन पहचानता है की हम भाई-बेहन... हाए !!! फिर भी....आज भर के लिए मेरी गर्लफ्रेंड बन जा....धत !....बदमाश... हाए !!! गर्लफ्रेंड... खाली आज भर के लिए....बेशरम भाई... हाए !!! ज़रा भी शरम नही... हाए !!! प्लीज़ रबिया....थोड़ा करेंगे...बस थोड़ा सा.... हाए !!! अल्लाह....अफ....मैने अपना चेहरा अपने हथेली से धक लिया....थोड़ी देर तक सोचने का नाटक करती रही....भाई प्लीज़ प्लीज़ किए जा रहा था....फिर हथेली हटाई और मुस्कुराती हुई नकली दाँत पीसने का नाटक करती भाई की कंधे पर एक मुक्का मारा...बदमाश....चलो अम्मी से शिकायत करूँगी आज....कहती हुई धीरे से उठ गई...भाई को इशारा काफ़ी था....



हम दोनो डांस फ्लोर पर....मैं धीरे से बोली... हाए !!! देखो तो कितना ख़राब लग रहा है....मैं इस सलवार समीज़ में.....भाई मेरा हाथ पकड़ अपने सामने करता मेरे एक हाथ पकड़ अपने कंधे पर रखता बोला....तुझे पता है तू यहाँ की सारी लड़कियों से खूबसूरत दिख रही है....धत ! ...दूसरे हाथ से उसके पेट पर हल्की चिकोटी ली....भाई ने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया....तू देख ना अपने चारो तरफ सब तुझे कैसे देख रहे है....वो इसलिए देख रहे होंगे क्योंकि मैं सलवार समीज़ में....अरी नही रे...देख वो लड़की कैसे अपने बॉय-फ्रेंड का मुँह मोड़ रही है....साले कामीने....



मैने भाई का दिमाग़ दूसरी तरफ मोड़ने के लिए कहा.....अरे छोड़ो ना....फिर तुम क्यों इधर उधर देख रहे हो.....मुझे देखो....भाई के चेहरे पर मुस्कान आ गई....और मेरी आँखो में देखने लगा.....मैने शर्मा कर नज़रे झुका ली....भाई सरगोशी करते बोला.....काश सच में तू मेरी गर्लफ्रेंड होती....धत !....गंदे....कहते हुए उसकी छाती पर हल्का सा मारा....तभी म्यूज़िक चेंज हुआ....सॉफ्ट म्यूज़िक.....कोई लव सॉंग....लाइट और कम हो गई लगभग अंधेरा....हम धीरे धीरे डांस कर रहे थे....भाई का हाथ धीरे धीरे मेरी कमर को सहला रहा था....म्यूज़िक और अंधेरे ने अपना असर दिखाया.....हम दोनो धीरे धीरे एक दूसरे के करीब आते जा रहे थे....

पता ही नही चला कब मैं और भाई एक दूसरे से चिपक चुके थे....मेरा सिर भाई के कंधे पर था.....भाई आराम से मेरी पीठ और कमर को सहला रहा था....मेरी चूंचीयाँ भाई की सीने से चिपकी हुई थी.....भाई का हाथ कमर से होता हुआ धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ रहा था....मेरी चूतड़ों के उपरी हिस्से पर....तेज चलती गर्म साँसे....मेरी कमर भाई की पेट से चिपक रही...मुझे अहसास हो रहा था...एक सख़्त चीज़ का....एक गर्म चीज़ का....जो की मेरी पेट के निचले हिस्से पर चुभ रहा था....वो चीज़ मेरी तो नही थी....जो मुझे से चिपका था उसकी थी....भाई की थी...ये उसके सख़्त और गर्म हो चुके लंड की चुभन थी....सारी शर्मों हया को हमने ताख पर रख दिया था....

मेरी साँसे तेज चल रही थी.....दोनो भाई-बहन एक दूसरे की बाहों में....एक दूसरे से चिपके हुए....उफ़फ्फ़....मेरी चूत पसिजने लगी....उसका पसीना निकल रहा था....भाई का लंड मेरी चूत के उपरी हिस्से पर रगड़ खा रहा था....मेरी कमर अपने आप उसकी कमर से छिपकने की कोशिश कर रही थी.....मेरा दिल कर रहा था...समा जाऊं उसके बदन में...चिपक जाऊं....भाई मुझे कस कर दबा ले अपनी बाहों में....मेरी हड्डियों को कड़का दे....चूर चूर कर दे....यही इसी डांस फ्लोर पर मेरी बुर में अपना सख़्त लंड डाल दे....हम दोनो में से कोई बात नही कर रहा था...बात करने की ज़रूरत क्या थी .....लंड और चूत आपस में सरगोशियाँ कर रहे थे.....पर तभी इस सरगोशिमें खलल पर गई....म्यूज़िक बंद हो गया...लाइट जल उठी.. हाए !!! करते हुए मैने अपने आप को भाई से अलग किया....आसमान से सीधा ज़मीन पर लाकर पटक दिया....



हम दोनो चुप थे...कोई एक दूसरे से नज़र नही मिला रहा था....भाई ने धीरे से मेरी कलाई पकड़ी और हम टेबल पर चले गये....वहा खाना भी मिलता था...उसने ऑर्डर दे दिया....हम चुप चाप खाने लगे.....खाते-खाते अचानक भाई बोला....सॉरी रबिया....मैने शरमाने का नाटक करते हुए कहा...धत ! चुप रहिए....मेरे इतना कहने से ही भाई को पता चल गया की हम दोनो के चिपक कर डांस करने का मुझे भी अहसास है और....मैं इसका बुरा नही मान रही बल्कि...शर्मा कर खुद के शामिल होने की गवाही दे रही हू....भाई ने हँसते हुए कहा....यार पता ही नही लगा....गाल गुलाबी करते मैने कहा...अफ हो भाई....चुप रहिए ना जो हुआ सो हुआ....फिर हमने चुप चाप खाना ख़तम किया...मेरी चूत की फांकें अभी भी फड़फड़ा रही थी....दिल जोरो से धड़क रहा था....आँखे अभी भी गुलाबी थी....चूंची के निपल अभी भी खड़े थे.....थोड़ी देर बाद हम दोनो नॉर्मल हो गये...


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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 16:22

राबिया का बेहेनचोद भाई--11

. रात काफ़ी हो चुकी थी....भाई बाइक पर बैठने से पहले अपने पैंट के उपर हाथ लगा....जैसे वो अपने लंड को पैंट में अड्जस्ट कर रहा हो....मैं गौर से देख रही थी....नज़रो से नज़रे मिली....हम दोनो हंस दिए....मैं दोनो पैर एक साइड में कर के बैठ गई...भाई बोला....कम से आज तो ठीक से...क्या मतलब....भाई हँसता हुआ बोला...अरी आज भर के लिए तू मेरी गर्लफ्रेंड है ना..... गंदे...च्चि...कहते हुए... मुस्कुराती हुई गाल गुलाबी करती...उसकी पीठ पर एक ज़ोर का मुक्का मारा... ज्यादा होशियारी मत दिखाओ... हाए !!! बैठ आन रबिया...प्लीज़ मज़ा आएगा....




मेरी छूट का पूरा फ़ायडा उठना चाहता था.....क्या मज़ा....बॅलेन्स अच्छा....चुप झूठे...जैसे मुझे पता नही....अम्मी को बैठा के मार्केट ले जाते थे तब......अरी यार तू कहा की बात कहा ले....तो और क्या....प्लीज़...अच्छा लगेगा... हाए !!! नही...शर्म आती है....अब इतनी रात में...कौन देखेगा... हाए !!! नही....आप बहुत बेशरम हो गये हो....क्या बेशर्मी की.....ओह हो जनाब को जैसे मालूम ही नही....पहले डिस्को...फिर डांस....अब ये....आगे पता नही क्या क्या... हाए !!! और कुछ नही....मैने मुस्कुराते हुए कहा....धीरे धीरे पता चल रहा है कितने शरीफ हो...कहते हुए दोनो पैर दोनो तरफ कर के बैठ गई....सड़के सुन-सन थी....भाई बाइक को तेज भागने लगा....झुकाई देते हुए मोड़ रहा था....लगा अब गिरी तब गिरी.... हाए !!! भाई धीरे....गिर जाउंगी....पकड़ लो ना....



हाए !!! क्या पकडूँ....उफफो.... मुझे....उफफो ओह...भाई आप सुनते क्यों नही....ठीक से बैठेगी तब ना....अब कैसे.....मेरा हाथ जो की कंधे पर था उसको अपनी कमर पर रखता बोला....थोड़ा आगे सरक कर बैठ....आगे सरक कमर को मजबूती से पकड़ लिया.... खुद भी यही चाह रही थी...फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था की....उसके मुँह से निकली थी ये बात.....अब भाई हल्का भी ब्रेक मारता तो....चूंची को उसकी पीठ से सटा देती....उसकी कमर को कस कर जकड़ लिया था....अपने हाथो को उसकी जीन्स की बेल्ट पर रखे थी.....जैसे ही ब्रेक मारता हाथ सरका कर नीचे कर देती....कभी जाँघो पर कभी जाँघो के बीच....हथियार के उपर....गरमा गरम लंड...अफ मज़ा आ गया..

सख़्त हो गये मेरे निपल....उसकी पीठ पर चुभ रहे होंगे.....तभी तो लंड खड़ा था.....पीठ पर चूंचीयों की रगड़ाई ने रानों के बीच हलचल मचा दी......चूत की सुरसुरी बर्दाश्त नही हो रही थी.....दिल बेकाबू हो रहा था.....तभी फिर ब्रेक लगाया....हाथ बेल्ट से सरका....लंड दबा दिया....जो होगा देखा जाएगा....खुल्लम खुल्ला....हथेली से जीन्स के उपर से लंड पकड़ लिया....जीन्स का मोटा कपड़ा उतना मज़ा नही दे रहा था मगर फिर भी.....बाइक की रफ़्तार कम होने पर भी....छोड़ा नही....चूंची रगर्ति....लंड पकडे बैठी रही....चूत की सनसनी बेकरारी बढ़ा रही थी...चूत पानी छोड़ रही थी.....पेशाब भी महसूस.....शायद ड्रिंक्स का असर था....




जैसे ही घर पहुचे....मैने दरवाजा खोला....भाग कर गुसलखाने में गई....भाई को लगा की मुझे जोरो की पेशाब लगी है मगर....इज़रबंद में गाँठ लगाया....और बाहर आ गई....ज़ोर से बोली....अफ ...अल्लाह...ये क्या कयामत....साँझ में नही आ रहा क्या करू....समीज़ पेट पर चढ़ा रखा था....हाथ इज़रबंद के पास....भाई अपनी शर्ट खोलता....मेरी आवाज़ सुन कर पलटा....क्या हुआ.....मैं मचलती हुई उसको देख बोली....उईईई....भाई जल्दी से कैची दो ना....अरे क्या हुआ....कैंची क्यों....उफ़ हो...कुछ भी कैंची या ब्लेड....भाई इधर उधर देखने लगा...क्या हुआ बता तो सही....
ब्लेड तो होगा नही....कैंची पता नही... हाए !!! जल्दी खोजो ना....पर हुआ क्या...उफ़ हो भाई देखते नही क्या.....समीज़ उपर उठाए नंगी पेट और सलवार के इज़ारबंद को दिखती बोली....ये हो गया....गाँठ लग गई....भाई हँसने लगा....तू भी कमाल है...गाँठ कैसे लगा लिया....अभी भी बच्ची है....हसो मत...बहुत ज़ोर की लगी है....अब कैंची तो पता नही कहा रखी होगी...चल देखने दे मुझे... हाए !!!...धत !...क्या देखोगे....उफ़ !!!....खोलने का इंतेज़ाम करो....पर पहले देखने तो दे...बिना देखे कैसे...कहता हुआ भाई मेरे पास आ गया....इज़ारबंद को हाथ लगा....खोलने की कोशिश करने लगा....मेरी नंगी पेट उसके हाथो को छू रही थी....उ...भाई जल्दी.....



एक तो ऐसे ही चूंची रगड़वा कर बेजार हुई बैठी थी....उपर से....उसका हाथ.....बदन में सनसनी दौड़ गई...पेट पर हाथ लगने से गुदगुदी भी हो रही थी...थोड़ा पेट अंदर खींचा....अर्रे क्या करती है....ठीक से खड़ी रह....पर तुम पेट....इज़ारबंद कैसे खोलू फिर....वैसे वो गाँठ कम मेरी पेट देखने में ज्यादा....मैने कहा उफ़ हो...भाई छोड़ो ऐसे तो मैने भी ट्राइ किया....खुल नही रहा....तोड़ दूँ...हा तोड़ दो....इज़ारबंद मोटे कपडे का बना होता है....टूटने वाला तो था नही....पर वो पूरी कोशिश कर रहा था....इस बहाने मेरी पेट और पेरू दोनो छुने और सहलाने का मौका जो उसे मिला था....तभी वो झट से घुटनो के बल ज़मीन पर खड़ा हो गया...

क्या कर रहे हो....तू देखती जा...कहते हू उसने मुँह लगा कर इज़ारबंद के गाँठ को अपनी दाँत से पकड़ खीचा....उफ़ !!!...उसकी जीभ एक दो बार मेरे पेट से तकर गई....शायद उसने ऐसा जान बूझ कर किया था....बदन सिहर उठा....दूर से कोई देखता तो यही समझता मेरी चूत में मुँह लगाए है....मैने भी जान-बूझ कर अपने कमर को थोड़ा आगे धकेल दिया....भाई इज़ारबंद को दांतो से पकड़ खीच रहा था...पर मुझे लगा जैसे उसकी ज़ुबान ने मेरी नेवल यानी की मरकज़ को छुउआ... हाए !!! अल्लाह उसने बड़ी चालाकी से मेरी मरकज़ में अपनी ज़ुबान डाल कर घुमा दी....मेरी नाभि को चाट लिया....सनसनी से मैने पेट सीखोरा....थोड़ा पीछे हटी.....तभी वो....झटके के साथ इज़ारबंद खोल अलग हुआ....मैं समीज़ पकडे खड़ी थी....उसने मौके का फायदा उठाया....

इज़ारबंद पूरा खोल हल्का सा झटका दे दिया....सलवार सरसरते नीचे उतार गई....गुठनों तक... हाए !!! अल्लाह....जब तक पकड़ पाती तब तक....छोटी सी चड्डी में कसी मेरी जवानी भाई के सामने....भाई भी कम हरामी तो था नही....जल्दी से मेरी सलवार उपर उठाने का बहाना कर सलवार उपर खींचते हुए अपना हाथ मेरी चूत से सटा दिया....मेरी सांस उपर की उपर रह गई....अफ रब्बा....कसम से...मज़ा आ गया इज़ारबंद खुलवाने का....पर मौके की नज़ाकत थी....शर्मा कर उछल पड़ी ....उफ़ !!!...भाईजान...गंदे... हाए !!! छोड़ो ....अरे मैने क्या किया...धत ! जाओ...कहते हुए जल्दी से उसके हाथ से सलवार छुड़ा एक हाथ से समीज़ पेट पर पकडे दूसरे हाथ से सलवार थामे गुसलखाने में घुस गई.....बुर से ऐसे लहरा कर मूत निकली की बस....छलछलाते हुए पेशाब की मोटी धार कमोड में गिरते अपनी लालमुनिया के दाने को मसलने लगी....




बाहर निकली तो भाई ड्रेस चेंज कर बैठा था....सोए नही....बस जा रहा हू....मज़ा आया ना आज....मैं थोड़ा शरमाती चेहरा लाल कर बोली....मैं नही जानती....अरे क्या मतलब...इतनी मेहनत से घुमाने ले गया...इतना पैसा खर्च हुआ....तो मैने कहा था क्या...सब अपने मज़े के लिए....बदमाश....ठीक है तूने नही कहा था....मगर फिर भी मज़ा तो आया होगा....मैं अब तक दीवान के पास आ चुकी थी....उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया.....शरमाने का नाटक किया.. हाए !!! बोल ना...कैसा...कहते हुए मुझे अपने पास और खीचा....वो पैर लटका कर बैठा था....गुठना ठीक मेरी रानों के बीच....मैने भी हल्का सा दबा दिया....मज़ा आ रहा था....




गाल गुलाबी करते बोली...हा आया था मज़ा....भाई ने दोनो हाथ पकड़ लिया....और खींचा....रानों के बीच के घुटने को थोड़ा उपर उठा चूत से सताया.... हाए !!! तो क्या इनाम देगी....मैने मचलते हुए कहा...इनाम क्या देना....ये फ़र्ज़ है....बहन को घुमाने.....हाथ छोड़ो ना....सोने जाना है.....वो मुस्कुराता हुआ बोला पर....तू तो आज मेरी गर्लफ्रेंड है ना....हट...गंदे....अच्छा चल अपने भाई को कुछ तो दे... हाए !!! मैं क्या दूँ....हटो छोड़ो ....छोड़ दूँगा....पर थोड़ा सा....क्या थोड़ा सा....मैं ले लू...क्या लोगे....वो नही बताऊंगा ....तो मैं कैसे दूँ....

तेरा कुछ जाएगा नही....फिर भी कुछ तो....तू बस ऐसे ही खड़ी रह....मैं कहा भागी जा रही हू....हंदोनो एक दूसरे की आँखो में झाँक रहे थे....तभी उसने अपनी हथेली में मेरा सिर थाम लिया....क्या इरादा है....उसने थोड़ा सा मेरे सिर को झुकाया....उसके सिर के सामने मेरा सिर....मुझे हसी आ रही थी....तभी उसने अपने चेहरे को आगे बढ़ा मेरे होंठों को चूम लिया....छी...कहते हुए मैं इठला कर पीछे हटी....वो हँसने लगा....मैने उसकी सीने पर एक मुक्का मारा....गंदे....अपने होंठों को पोच्छने लगी....वो अभी भी हाथ पकडे था....एक और दे ना... हाए !!! छोड़ो ना....बेशरम....गंदे भाई....कहते हुए हाथ चुरा पीछे हटी....वो भी उठ कर मेरे पीछे दौरा....




मैं खिलखिलते हुए पूरे घर में इधर उधर भाग रही थी....बिना दुपट्टे की मेरी चूंचीया उछलती हुई....भाई मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहा था...मैं बीच बीच रुक कर उसे अपनी जीभ निकाल दिखा देती....बड़ा मज़ा आ रहा था....भागते-भागते मैं दीवान के पीछे चली गई....वो सामने से आ गया....मैं कोने में फस गई....हँसते हुए मैने दोनो हाथ सामने ला अपने कोने में मुँह घुमा कर खड़ी हो गई......भाई पीछे से आ कर मेरी कमर पकड़ कर खड़ा हो गया.....उफ़ !!!....गरम खड़ा लंड पीछे से चूतड़ पर हल्के से सटा दिया... हाए !!! छोड़ो .... रबिया देख ना इधर.. हाए !!! नही भाईजान छोड़ो ...जाने दो....भाई ने कंधा पकड़ अपनी तरफ घुमा लिया....मैं चेहरा लाल कर नीचे गर्दन झुका लिया.....उसने मेरी ठुड्डी पकड़ उपर उठाई....मेरी आँखे गुलाबी हो चुकी थी.....मैने भाई को दोनो हाथो से धकेला....भाई थोड़ा पीछे हटा....


हाए !!! जाने दो.....भाई मुस्कुराने लगा....एक पल मुझे देखा फिर अपने गाल को मेरी तरफ बढ़ा.....एक बार बस....वो मुझे चूमने के लिए कह रहा था....मैं एक पल को उसको देखती रही फिर हल्के से मुकुराते हुए उसकी गाल को अपने रस भरे होंठों से छुआ और उसको धकेलते हुए कोने से भाग निकली.....वो फिर मेरे पीछे लपका.....ज़ुबान निकाल कर दिखा दिया....और अपने कमरे में घुस गई....भाई हँसता हुआ बाहर ही रुक गया.....बिस्तर पर लेट अपने धड़कते दिल को काबू में किया.....आज भाई ने काफ़ी दिलेरी दिखाई और मैने भी मुसस्सल उसका साथ दिया.....चूत गीली गई थी.....ऐसे ही शरमाते शरमाते एक दिन चुद भी जाउंगी....फिलहाल तो चूत के पिस्ते को मसल अपनी बेकरारी थोड़ा कम कर लू.....

सुबह उठी....तभी अम्मी का फोन आ गया....नया फरमान....कोई रहमान साहिब थे....विलायत जा रहे थे तीन साल के लिए....अपना फ्लॅट हमारे हवाले करना चाहते थे....भाई फ्लॅट की चाभी ले उनको उन्ही की गाडी से एरपोर्ट छोड़ कर वापस आया....तका मंदा.....हमे शिफ्ट करना होगा....मुझे बड़ा गुस्सा आया...ये साली अम्मी कोई ना कोई बखेरा खड़ा करती रहती है.....रात में ही सारा सामान इकठ्ठा किया....फर्निचर तो मकान मलिक का था....अहले सुबह रहमान साहिब की गाडी में अपने कपडे लत्ते और आलतू फालतू सामान डाल उनके घर की ओर नीकल लिए....शहर से थोड़ा दूर था....मगर जब फ्लॅट पर पहुचि सारा गुस्सा निकल गया....अल्लाह...क्या खूबसूरत फ्लॅट था.....दो कमरे....एक ड्रॉयिंग रूम....शानदार फर्निचर....तभी वो किराए पर नही देना चाहता था....जल्दी से सामान जमाया.....ड्रॉयिंग रूम में खूबसूरत कालीन और सोफा....बड़ा सा LCD टीवी....मज़ा आ गया....अभी तक कुँवारा था ये रहमान साहिब पर....शौकीन था.....ज़रूर अम्मी का यार होगा.....कहती है अब्बा के दोस्त है....मगर साली ने अपने हुस्न का जादू चला कर पटा रखा होगा....तभी.....गाडी भी मिल गई....भाई तो बल्लियों उछल रहा था.....



शाम तक सब-कुछ सहेज लिया हमने....आराम भी कर लिया....फिर भाई तैयार होने लगा....मुझे देखते बोला....आज कार से चलते है....मैने हँसते हुए पुछा ...कहा...बस ऐसे चलते है ना....मैं भी तैयार हो गई....जीन्स और खूबसूरत सा टॉप.....भाई ने मुस्कुरा दिया....आज सही ड्रेस पहनी है डिस्को में जाने लायक....मैने भी शोख अदा से मुस्कुराते हुए कहा तो फिर चलो....भाई पास कमर में हाथ डाल अपनी तरफ खींचता बोला....अब श रम नही आ रही....नही...आपने बेशरम जो बना दिया.....फिर गर्लफ्रेंड बन ना पड़ेगा ....



एक बार तो बन चुकी हू....अब सौ बार बनउगी तब भी क्या फ़र्क पड़ेगा ... हाए !!!....क्या बात है कहते हुए भाई ने गाल चूम लिया...मैने उसको पीछे धकेला.....पर उसने हाथ नही छोड़ा...हम नीचे उतर कार में बैठ चल दिए....कोई पर्मनेंट गर्लफ्रेंड ढूंढ लो भाईजान....क्यों....रोज रोज बहन को गर्लफ्रेंड बना कर डिस्को ले जाओगे....ज़रूरत नही....ऐसा क्यों.....अब तू जो मिल गई है....वही तो कह रही हू कब तक बहन को गर्लफ्रेंड...तेरा कोई बाय्फ्रेंड है क्या....हट मैं ऐसे शोक नही पालती....तो बस हो गया ना....तू मेरी गर्लफ्रेंड....मैं तेरा बाय्फ्रेंड....धत ! कैसी बाते करते हो....बेहन-भाई कभी....

अपनी सहेली को भूल गई क्या.......वो तो कमिनी है.....अरे आजकल बहुत लोग ऐसे है....झूठे ....मैं तो किसी को नही.....तू नही जानती ना....मैं बता ता हू....मेरी क्लासमेट सुल्ताना....पहले मेरे साथ दोस्ती थी....बाद में मुझे कूड़े में डाल...अपने भाई के साथ.. हाए !!! नही… तुम बाते बना...अरे सच कह रहा हू...मेरा दोस्त उसके परोस में रहता है...उसको कैसे पता....उसका खुद अपनी बेहन के साथ...उसकी बेहन ने बताए....हटिए भी भाईजान...आप और आपके दोस्त सब एक जैसे....हम इसी तरह की बाते करते-करते डिस्को पहुच गये...डांस फ्लोर पर....फास्ट म्यूज़िक पर...

खूब मस्त हो कर डांस किया....फिर स्लो म्यूज़िक....इस बार भाई ने हल्की रोशनी का पूरा फायदा उठाया....कस लिया मुझे अपनी बाहों में....मैं बिना ना नुकुर....उसकी बाहों में अपनी कमर उसके कमर से सताए....भाई मेरी कमर को सहलाता हुआ.....मेरी चूतड़ों पर भी हाथ फेर रहा था....मैने उसके कंधे पर अपना सर रख दिया.....हम दोनो के दिल तेज़ी से धड़क रहे थे....मेरी चूचियाँ उसकी छाती से सती हुई.....चूचियों के निपल खड़े हो मेरी बेकरारी बढ़ा रहे थे.....आज मैं भी पूरा छूट देना चाहती थी....देखती हू भाई कहा तक आगे बढ़ता है.....रगड़ ले भाई....सीने को.....खेल ले मेरी चूतड़ों से....बहुत देर तक डांस करने के बाद....खाना खा कर वापस लौट रहे थे हम.....आपस में बाते करते हसी मज़ाक करते....मेरे हाथ में आइस-क्रीम थी....भाई कार चला रहा था....गियर बदलते समय एक दो बार मेरी जाँघो से उसका हाथ छू जाता....मैने कुछ नही बोला....गियर से हाथ सरका मेरी रानों पर रखा... हाए !!! आइस-क्रीम नही खिलाएगी....आप अपने लिए क्यों नही लेते....हमेशा मेरी आइस-क्रीम में से....भाई मुस्कुराता हुआ बोला....तेरी ज्यादा मीठी होती है...वो कैसे...अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते कहा....तेरी मीठी ज़ुबान जो छू लेती है....धत !....लो....थोड़ा ...चाट....गाल लाल करते मुस्कुराते मैने कहा....भाई मेरी तरफ देखता बोला....ऐसे नही...फिर कैसे...तभी उसने ब्रेक लगा दिया.....



हम शहरी इलाक़े से दूर आ चुके थे....गाडी सरक किनारे साइड में लगा...मैने सवालीया निगाहों से देखा....उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ हाथ बाध्या...मैं चौकी...क्या....पर तब तक....भाई ने अपनी उंगली से मेरे होंठों के किनारे पर लगे आइस-क्रीम को पोच्च लिया....वापस अपने होंठों के पास ले जा ज़ुबान निकाल चाट लिया...मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगा....मैं शर्म से लाल हो गई....उफ़ !!!....आप भी ना भाई...ये क्या हरकत है....बहुत मीठी थी शैतानी से मुस्कुराते बोला....धत !....कहते हुए मैं शरमाई....आई रबिया....

मेरी रानों पर हाथ रखता बोला....क्या...ज़रा पास आ...भाई थोड़ा आगे खिसका....मेरी आँखो में झकते सरगोशी करते बोला....मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी.....मैं शरमाते हुए.....हल्की मुस्कुराहट के साथ उसकी आँखो में देखती बोली....वैसे कौन सी कसर बाकी है....सारे गर्लफ्रेंड वाले काम तो करवा लिया....बहन से गर्लफ्रेंड बना....अभी भी बहुत कुछ बाकी है... हाए !!! और क्या बाकी है अब....भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया....आइस-क्रीम खाना बाकी है....मैने बचा हुआ आइस-क्रीम उसकी ओर बाध्या....ऐसे नही....फिर कैसे....



वो अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा... हाए !!! रब्बा क्या इरादा है....मेरे हाथो को पकड़ अपनी ओर खींच सटा लिया मुझे अपने आप से....छाती से मेरी चूंची ....चेहरा, चेहरे के सामने....गर्दन पीछे करते मैने कहा.... हाए !!! छोड़ो .....वो मेरी आँखो में झाँक रहा था....मैं उसकी आँखो में....हम दोनो के होंठ एकदम पास.....वो सरगोशी करते बोला....दे ना...बस एक....नही.. हाए !!! प्लीज़....मैने होंठों को गोल करके कहा.... नहीं छोड़ो .....हालांकि मेरे होंठ कह रहे थे....गोल कर दिया है दबोच लो.....और उसने दबोच लिया....उसके होंठ मजबूती से मेरे होंठों से चिपक गये....मैने हल्का सा धकेलने की कोशिश की....मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया था उसने.....
पहला मौका था किसी लड़के ने मेरे होंठों को चूसा था....इतने वक़्त से सम्भहाल कर रखा था....अपने भाई को चूसा रही थी...मदहोश हो गई....मेरे झूठा नाटक ख़तम हो गया था....मेरे हाथ अपने आप भाई के सिर के पीछे चले गये....वो बेतहाशा मेरे होंठों को चुँलाते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा रहा था....मैने भी अपने होंठ खोल उसकी ज़ुबान को रास्ता दे दिया....हमारे होंठ और ज़ुबान एक दूसरे से सरगोशी कर रहे थे....मेरा दिल की धरकन बढ़ चुकी थी.....पैर काप रहे थे....जाँघो को भीच रखा था....चूंची उसकी छाती से दबी मसली जा रही थी...

उफफफफ्फ़......रब्बा....तकरीबन दो-तीन मिनिट तक भाई मेरे होंठों को चूमता चूसता रहा....जब अलग हुआ....मैं ही करते....पीछे हट गई....अपने होंठों को हथेली से पोंछती ...थोड़ी नाराज़गी लिए भाई को देखा... हाए !!! बेशरम....कल रात भी....क्या कल रात....कल रात में भी आपने....चू...चूम लिया था....अच्छा नही लगा क्या... हाए !!!....धत !...मैं तुम्हारी बहन ....बहन भी और गर्लफ्रेंड भी....नही...क्यों अभी तो कह रही थी....मैने गर्लफ्रेंड बना लिया है....हा सही है...आपने तो मुझे वाक़ई गर्लफ्रेंड बना लिया है.....मज़ा आ गया आइस-क्रीम खा कर....ऐसी आइस-क्रीम मिले तो हर रोज....मैं हल्के से मुस्कुरा दी.....और उसको जीभ दिखा दिया....वो हँसने लगा....घर चलने का इरादा नही है क्या....एक बार और....बदतमीज़....बेगैरत... हाए !!!....कैसा भाई है...उफ़ !!!....बेहन को गर्लफ्रेंड बना....भाई ने गाडी स्टार्ट कर दी....रात काफ़ी हो चुकी थी....मज़ा तो आया था....मगर सोचा अब ज़्यादा लिफ्ट नही दूँगी....जिस दिन चूंची पर हाथ लगा देगा उसके अगले दिन....इसको चूत मिल जाएगी....ज़यादा इंतेज़ार नही करना पड़ा.....
अगले दिन डिस्को की जगह फिर से समंदर किनारे ले गया भाई.....एक दम नई जगह थी.....चारो तरफ पत्थर और चट्टाने.....जगह जगह लड़के लड़कियां बैठे थे.....चट्टानो की ओट ले कर.....शाम का अंधेरा हो चुका था....ज्यादा कुछ पता नही चल रहा था....हम भी एक जगह बैठ गये....मैं पोटाटो चिप्स खाते इधर उधर देख रही थी.....आज मैने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था.....भाई मुझे बैठा पानी लाने चला गया.....मैं खड़ी हो कर गौर से देखने लगी... हाए !!! रब्बा....ये क्या खुल्लम खुल्ला....मैं शर्म से लाल हो गई....लड़के लड़की आपस में एक-दूसरे की बाहों में लिपटे चिपटे .....एक दूसरे को चूम चाट रहे थे....

मैं तो सनसना गई....खुले आम दुपट्टे के नीचे हाथ छुपा कर लड़कियां अपनी चूंची दबवा रही थी.....लड़के अपनी गोद में रुमाल रख कर मूठ मरवा रहे थे....तभी भाई वापस लौटा....उसके एक हाथ में आइस-क्रीम और दूसरे में पानी की बॉटल थी....आइस-क्रीम मुझा थमा दिया...मैने धीरे से कहा... हाए !!! भाई चलो....क्यों क्या हुआ....चेहरे को शर्म की लाली से भरते हुए कहा....कैसी जगह है...नही बैठना यहा.....पर हुआ क्या...देखो खुले आम सब आपस में.. हाए !!! मुझे तो शर्म आ रही है......क्या देखु....दिख नही रहा...कैसे सब चूम....चा......उफफफ्फ़ देखो उधर...मैने एक तरफ इशारा करते हुए दिखया...एक लड़की आराम से अपनी समीज़ के अंदर हाथ घुस्वाए मसलवा रही थी... हाए !!!...भाई...कितने बेशरम है सब...


अब आए है तो थोड़ी बैठ ते है ना....प्लीज़.....क्या प्लीज़....और आप क्या देख रहे हो ऐसे आँखे फाड़ के.....मैने हल्का सा हँसते हुए कहा....एक लड़का एक लड़की की चूमि लेते उसकी चूंची पर हाथ फेर रहा था....शर्म नही आती... हाए !!! रब्बा कितनी गंदी जगह है....अच्छा..मत देख पर थोड़ी देर तो बैठ जा.....मेरे कंधे को पकड़ बैठने की कोशिश करता हँसते हुए बोला....मैं थोड़ा नाटक करने के बाद बैठ गई....भाई हंस रहा था...मैने उसके कंधे पर एक मुक्का मारा....हसो मत.....बहुत बेशरम हो गये हो आप.....और मुझे भी...मैने आइस-क्रीम खाना शुरू कर दिया.....एक पत्थर पर बैठी थी....भाई बार बार कनखियों से मेरी उभरी हुइ चूंचीयों को घूर रहा रहा था......तभी हवा का एक तेज झोका आया....पता नही कैसे मेरी स्कर्ट को उठा मेरी रानों को नंगा कर दिया...

मेरी गोरी चिकनी राणे शाम के हल्के अंधेरे में....देखा भाई मेरी तरफ देख रहा था.....मैने अपनी स्कर्ट ठीक करते हुए शरमाई......वो मुझे लगातार देख रहा था.....क्या है....भाई थोड़ा झेप गया....और सामने देखने लगा....लड़की अपने होंठों के बीच दबा...चिप्स खिला रही थी अपने यार को......भाई एक तक देख रहा था.....मैने सरगोशी करते हुए पूछा....आइस-क्रीम खानी है.....मुस्कुराते हुए देखने लगा...तू खिला दे....मैने हँसते हुए उसकी तरफ आइस-क्रीम बढ़ा दिया....ऐसे नही.....फिर कैसे.....सामने देख....मैं हँसने लगी...छी बेशरम...यही करने यहाँ लाए हो.....मैने उसकी बाँह पर चिकोटी कटी.... और आइस-क्रीम का एक बड़ा सा टुकड़ा काट अपने होंठों के बीच दबा लिया....और उसकी ओर देखने लगी.....भाई के लिए इशारा काफ़ी था...

आगे बढ़ मेरे होंठों से अपने होंठों को ज़ोर दिया उसने.....मेरे होंठों को अपने होंठों में दबोच लिया....मैं कसमसाई..उफ़ !!!....बेतहासा चूसने लगा....होंठ की बीच की आइस-क्रीम होंठों की गर्मी में कब की पिघल चुकी थी....अब तो बस हम दोनो के होंठों के बीच की गर्मी बची थी....उसके मुँह से लार निकल मेरे होंठों को गीला कर रही थी.....वो अपनी ज़ुबान मेरे मेरे होंठों के बीच गदर घुमा रहा था....तभी मुझे अहसास हुआ की मेरे सीने पर कुछ ......भाई का हाथ मेरे मम्मो के उपर था.....मेरे एक माममे को पकड़ सहला रहा था....वो अपने होंठों से मेरे होंठों को दबोचे मेरे सिर को एक हाथ से पकडे...दूसरे हाथ से मेरी चूंची को हल्के हल्के मसल रहा था हाथ फेर रहा था....पूरे सीने पर हाथ फिरआते....

दोनो चूंची को बड़ी बड़ी से हल्के हल्के दबा रहा था....मैं उसका हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी....मगर मेरी कोशिश नकली थी....क्योंकि मैं हटाने की जगह उसके हाथो को अपनी चूंचीयों पर दबा रही थी.....मैं चाह रही थी की वो और ज़ोर से मसले.....मुझे जिंदगी में पहली बार अपनी गुन्दाज़ गोलाइयों को मसलवाने का मौका मिला था.....मज़ा आ रहा था...मुँह से गुगीयाने की आवाज़ निकल रही थी....पर ये मेरी सिसकारियाँ थी.....नीचे की सहेली गुदगुदी से भर चुकी थी....मैं भाई को मन ही मन गलियाँ दे रही थी.... हाए !!! मसल साले ...मसल ना भोसड़ी के....तेरी बहन की चूंची है....बहुत तड़पीं है...ये करारी चूंचीयाँ....ज़ोर से मसल डरता क्यों है.....कोई तेरे उपर ज़बरदस्ती का मुक़ादम नही करने जा रहा.....मगर साला गांडू .... डर डर के हल्के हल्के मसल.....जाँघो के बीच की सहेली को आग से भर .....मुझे छोड़ा तो मैं.. हाए !!! अल्लाह करती.....हाथो की कैंची बना अपने टॉप के उपर रख अपनी चूंचीयों को धक लिया...

ओह भाई....उसकी तरफ देखा....भाई मुस्कुरा रहा था...एक बेशर्म मुस्कुराहट उसके चेहरे पर खेल रही थी.... मेरा सीना धक-धक कर रहा था....मैने नज़रे झुका ली....भाई सरक कर मेरे पास आ गया...उसने फिर से मुझे बाहों में भर लिया....मैं निकालने की कोशिश की...उउउ...छोड़ो .... हाए !!! रबिया....अच्छा नही लगा....ओह भाई तुम बहुत गंदे हो....तुमने मेरे मम्म....छी...गंदे....बहन के साथ ऐसा करते....भाई मुस्कुराते हुए बोला.....गर्लफ्रेंड के साथ....मैं उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली....हट बदमाश.....गर्लफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बोल-बोल के सब कुछ कर लेना....सब कुछ करने देगी....वैसे सब-कुछ का मतलब जानती है....धत !....मैने शर्मा कर उसकी छाती में मुँह छुपा लिया.....भाई ने मुझे और ज़ोर से बाहों में कस लिया....हम कुछ पल तक वैसे ही बैठे रहे.....भाई मेरी बाहों को सहला रहा था....तभी बारिश की बूंदे गिरने लगी.....मैं धीरे से बोली....बारिश आएगी.....घर चले.....भाई ने मेरी आँखो में देखा....ठीक है चल....पर खाना....घर पर ही...


The Romantic
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 16:22

राबिया का बेहेनचोद भाई--12

. जब तक हम निकलते तब तक बारिश की तेज बौचारों ने हमे पूरा भिगो दिया...किसी तरह कार में आकर बैठे और चल दिए.....बारिश ने मुझे और भाई दोनो को पूरी तरह भिगो दिया था....कपडे हमारे बदन से चिपक गये थे.....मेरा टॉप मेरे सीने से चिपक चूंचीयों को और ज़्यादा उभार रही थी.....भाई बार बार कनखियो से मेरी उभरी कबूतरियों को देख रहा था....मुझे से नज़र मिली तो मुस्कुरा दिया....मैं भी मुस्कुरा दी....धीरे हाथ आगे बढ़ा उसकी जाँघ पर चिकोटिकाट लिया....भाई चौंक गया....उ....क्या करती है....मैने ज़ुबान निकाल कर दिखा दी....भाई ने मुझे आँख मार दी.....मैने फिर से ज़ुबान दिखा कहा.....गंदे....भाई ने अपना एक हाथ मेरी रानों पर रख दिया....मैं कुछ नही बोली...


घर पहुँच मैं बेडरूम घुस गई....भाई अपने कमरे में चला गया....कुछ देर सोचने के बाद...कपड़ों में से खोज कर मैने एक सफेद फ्रॉक जिस पर सुर्ख लाल छापे वाले फ्लवर्स बने थे निकाला......अभी तक फटी नही थी.....नई जैसी लगती थी....जब तक 14-15 की थी तब तलक़ पहना....फिर टाइट हो गई...चूंची बहुत अच्छी उभर कर आती.....छोटी भी हो गई.....घुटनो के उपर तक आती.....थोड़ा सा इधर उधर होते...रान दिखने लगती...नींबू जब नारंगी बन गये तो अम्मी ने पहन ने से मना कर दिया....वैसे भी कुतिया को मेरी हर ख़ुशी से जलन होती थी.....बैग में छुपा कर यहाँ ले आई... आज इसका सही इस्तेमाल होने के आसार थे....फ्रॉक ले कर मैं बात रूम में घुस गई..... आज मैने उसके लंड में आग लगा देना चाहती थी.....अपनी जवानी दिखा...तरसाने में मज़ा आ रहा था...

मैने फ्रॉक पहन लिया....मर गई रब्बा....कितना टाइट है.....लगता है जैसे दम घूट जाएगा.....खैर किसी तरह से पहन लिया.... आईने में जब अपने आप को देखा .....तो... क्या जबरदस्त टाइट फिटिंग आई थी.....जवानी ऐसे छलक कर उभरी थी की.....चूंचीयाँ उभर कर सामने की तरफ अपनी चोंच निकाल..... जैसे किसी ने फ्रॉक के अंदर ज़बरदस्ती दो सेब ठूंस दिए हो....गीला बदन होने से फ्रॉक चिपक कर बदन के सारे उतार चढ़ाव बयान कर रही थी.....छोटे किस्मीस के आकर के निपल्स ऐक दम तन कर खड़े हो उभर आए थे.....कपड़ों के रगड़ का असर था......अंदर ब्रा नही पहना था....लाल छापे वाली चड्डी पहन ली...फ्रॉक कमर के पास चिपक गाँड को और उभार रही थी......जब बाहर निकली तो देखा भाई ड्रॉयिंग रूम में हाथ में कपडे लिए मेरे बाथरूम से निकालने का वेट कर रहा था...

मैं उसके सामने मटकती हुई गुज़री तो वो.....देखता ही रह गया.....गीले बॉल...गीला बदन....उसपर चिपकी हुई फ्रॉक......उसके घूरने के लिए बहुत मसाला था.....सबसे खास बात ये थी की.....गौर से देखे तो चूंचीयों के निपल आराम से दिखते.....इठलाते हुए उसके सामने से होकर बेडरूम में गई.....बालो को सूखा कर पोनीटेल बना लिया.....स्कूल की नादान कमसिन लौंडिया लग रही थी.....चड्डी की अनचुदी सहेली को दिलासा दिया की आज पक्का लंड ले लूँगी.....आज उसको तरसाना था....इतना तरसना था की खुद ही हाथ में लंड लेकर खड़ा हो जाए की.....अब रहा नही जा रहा.....उसका डर दूर करना था.....मैं उसके पास जा कर खड़ी हो गई.....भाई क्या बनाऊं....उसकी नज़र मेरे गीले फ्रॉक में कसे चूंचीयों पर अटक गई..... लाल छापे वाला फूल मेरी राईट चूंची को आधा ढके हुए था....और लेफ्ट चूंची लाल फूल से पूरी तरह से धक गई थी....राईट चूंची का निपल सफेद फ्रॉक से नज़र आ रहा था.....
चूंची घूरने में इतना मस्त था की मेरे सवाल से चौंक गया....आ हा...क्या बोला....क्या बनाऊं भाई.....ओह...मेरा हाथ अपने हाथ में ले मुस्कुराते हुए बोला....क्या बनाएगी....कुछ स्पेशल....जो तेरे दिल में आए और जो जल्दी बन जाए....बारिश नही होती तो बाहर ही खाते...चल मैं भी मदद करता.....अरे नही तुम रहने दो....बोल कर मैं किचन में चली गई....वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया....मैं जानती थी चूंची देखने को मिल रही है.....अभी आस पास ही रहेगा.....लंड को ताव लगा रहा होगा.... मैने शोख अदा के साथ उसके हाथ पर धक्का दिया..... हाए !!! भाई जाओ ना....नहा लो....अभी दिल नही कर रहा.... साले के दिल में तो मेरी चूची ओर गाँड घुसी है.....ज़रा इसको अपनी गाँड दिखती हू....हाथ में पकड़ा चाकू गिरा दिया....फिर नीचे झुक....गाँड उचका...चाकू उठाया....


भाई थोड़ा पीछे खिसक गया.....मेरा तीर निशाने पर लगा था.....पीछे खिसक फ्रॉक में कसी मेरी गाँड देख लंड पर हाथ फेर रहा था....नीचे झुकने की वजह से मेरे मस्त रान उपर तक नुमाया हो गये....बस चड्डी नही दिखी.....मैने उसकी बेकरारी को और बढ़ने के लिए अपना हाथ पीछे ले जा कर....अदा के साथ हल्के से अपनी गाँड पर हाथ फेरा और .....सीधी खड़ी हो गई....कनखियों से देखा तो भाई अपना चेहरा लाल किए....मेरी गाँड को भूखी आँखो से देख रहा था....भोसड़ीवाला ज़रूर सोच रहा होगा काश गाँड पर हाथ फेरता.....मैं अचानक पीछे घूम बोली... हाए !!! भाई क्या है...जाओ ना....खाना थोड़ी देर में बन ....हा हा जाता हूँ....मैं तो ऐसे ही....ऐसे ही क्या भाई....तो मेरी बगल में आ कर खड़ा हो गया....और हल्के से मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैं एक हाथ से बर्तन पकडे दूसरे हाथ से कलछी चला रहा थी..

मैं कुछ नही बोली....वो हल्के हाथ से कमर सहलाने लगा.....मैं इतराती हुई उसका हाथ हटाती बोली....उउउ क्या है....खाना बनाने दो....कितनी गर्मी है....इसलिए तो बोल रही हू....जाओ नहा लो.... क्या मदद करनी है....कोई मदद नही करनी....जाओ....पर गया नही....उसने फिर मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....उईईइ....क्या है ठीक से खड़े नही रह सकते....ठीक से ही तो खड़ा हू....उः हू....गुदगुदी होती है.....छोड़ो ना....काम करने दो....मैने कहा पकड़ा है....मैं उसका हाथ कमर से झटकती बोली....ये क्या है....ओह ख्याल ही नही रहा....अरे वा....कमाल है....ख्याल ही नही रहा....उल्टी सीधी जगह घूमने जाओगे तो ऐसा ही होगा और ऐसी ही हरकते करोगे......भाई शर्मा कर हँसने लगा....बात बदलते बोला...कितनी गर्मी है....किचन में.....हा कमर में हाथ डाल... गर्मी भगा रहे थे....ओह....चल छोड़....वो बनियान पहने था....उसके सीने पर पानी की बूँद चमक रही थी....

मैने अपना हाथ से उसकी छाती को टच करते हुए कहा.......देखो कितना पसीना आ रहा है....जाओ ना नहा लो.....अरे ये तो पानी है....पसीना तो तुझे आ रहा....देख....उसने मेरे गर्दन पर आए पसीने को दिखाया....पसीना मेरे गर्दन से लुढ़क कर मेरी झीनी फ्रॉक के अंदर घुसता जा रहा था.....बिना ब्रा की फ्रॉक.......मेरी चूंची की गोलाइयों और गुलाबी निपल्स को पुरकशिश तरीके से नुमाया कर रही थी....मेरे निपल खड़े हो कर फ्रॉक को नोकदार बना रहे थे.....भाई मेरे इतने पास खड़ा था की लग रहा था अब अपनी छाती मेरे सीने से सटा देगा....होंठों पर शरारती मुस्कान ला कहा.....आपके बदन से पसीने की बदबू आ रही है....भाई झेप गया.....हट... कहा बू आ रही है.....आ रही है...सूंघ कर देखो....भाई ने अपनी कांख पास नाक ला कर सूँघा....उतनी तो नही आ रही......मुझे लग रहा है तेरे बदन से बू आ रही....हट बेशरम...

मैं हल्के से कलछी से मरते हुए कहा......मुझ से बू नही आती....आप अम्मी की दांत खाते थे....अच्छा देख मैं सूंघ कर बताता हू....कहते हुए वो मेरे गर्दन के पास आ कर सूंघने लगे.....मैने भी अपना हाथ उठा दिया....लो सूँघो....मेरी कांख पानी से पहले से ही गीली थी...वो मेरी पानी से भीगी कांख से नाक सटा ....गहरी साँस अंदर लेते हुए खूब ज़ोर से सूंघ....वा....क्या बात है रबिया तेरे बदन से तो खुश बु.....इतर लगाया होगा .....मैं क्यों कर पर्फ्यूम लगाने लगी....तो क्या तेरा बदन ऐसे ही खुशबुदार है.....मैं शोक अदा होंठ बिचकाती बोली....और क्या....भाई हँसते हुए बोला.....एक दफ़ा और सूँघू तेरा महकता बदन.....मैने कलछी से उसको मारा...हट....बेशरम ....वो हँसने लगा.....पर एक बात बोलू....क्या....होत गुलाबी कर मुस्कुराते हुए कहा....एक दम गुड़िया लग रही है....धत !....परी लग रही है..

समंदर के किनारे घूमने के बाद से उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी....क्या भाई आप.....अर्रे नही सच कह रहा हू......स्कूल जब जाती थी....वैसी बच्ची दिख रही है इस फ्रॉक में.....बस एक फ़र्क आ गया है....मेरी चूंचीयों को घूरते बोला.....क्या फ़र्क भाई....चूंची उभार मैने पुछा ....रहने दे...बताओ ना भाई....क्या मैं पहले जैसी नही.....अर्रे नही नही....तू तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई....तो फिर क्या फ़र्क़....भाई मेरी कान के पास मुँह ला कर सरगोशी करते बोला.....बस तेरा सीने कुछ बड़ा....धत !...कहते हुए मैने उसको धकेला....गंदे...बेशरम ..आप कल रात से....कुच्छा ज्यादा ही....बहक गये है....भाई हँसने लगा.....सच रबिया तू इतनी खूबसूरत है....मैने शरमाने का नाटक किया....जाइए भाई आप भी ना ....

गाल गुलाबी करते होंठों पर मुस्कान लाते मैने कहा.....भाई ने मुझे शरमाते देखा तो उसकी हिम्मत बढ़ी....धीरे से आगे बढ़....मेरे गालो को चूम लिया...उईईइ...अम्मी.....मैं थोड़ा पीछे हटी.....भाई घुसताख़ी से मुस्कुराता रहा.......मैने मुँह फुलाते हुए कहा.....आप बहुत बेशरम हो गये है....जाइए मैं बात नही करती....फिर अपने गालो को पोच्छने का नाटक किया....भाई थोड़ा सरक फिर से मेरी कमर में हाथ डाल....ओह हो...मेरी गुड़िया रानी नाराज़ हो गई....कहते मेरी कमर को हल्के से दबाया... हाए !!!...समंदर किनारे भियाप ने मेरा सी...ना.....भाई कान के पास होंठ को ला सरगोशी करते बोला....अच्छा नही लगा क्या.... गर्दन नीचे कर हल्के से मुस्कुरा दिया....सरगोशी करते बोली....पर मैं आपकी बहन .....फिर भी अच्छा नही लगा क्या.....बता ना....कहते हुए उसने मेरी कमर को दबाया...

मैने एक पल उसको देखा फिर गर्दन नीचे झुका लिया.....भाई कुछ लम्हे तक वैसे ही मेरी कमर सहलाता रहा फिर बोला .....चेंज कर लेता हू......फिर रुक गया और बोला.....एक बात बोलू....अब क्या है....कान के पास मूह ला कर बोला....एक किस दे ना.....मैं झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसको कलछी से फिर मारा....भागते हो.....बेशरम.....भाई हँसने लगा...मैं भी उसके साथ हँसने लगी और उसको धकेलने लगी....वो हँसते हुए किचन से निकल....जल्दी से गुसलखाने में घुस गया......मेरे ताजे उतरे गये पैंटी और ब्रा उसका इंतेज़ार कर रहे थे.....मैने भी मटन पकने के लिए छोड़ दिया....और ड्रॉयिंग रूम में आ कर टीवी खोल....बाथरूम के पास चली गई....दरार पर आँख लगाया तो देखा वो तो इतनी देर में पूरा नंगा हो.....नीचे बैठा मेरी ब्रा को अपनी आँखो पर लपेटे हुए....मेरी पैंटी को चूस रहा था.....दूसरे हाथ से अपने लंड को सहला रहा था...

उफफफ्फ़ .....किसी गदहे के लंड की तरह दिख रहा था.....मैने पहले कभी गदहे का लंड नही देख था....मगर हर कहानी में पढ़ती थी की उसका लंड सबसे बड़ा होता है.....इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला.....मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.....धीरे से फ्रॉक को उठा....पैंटी की साइड से उंगली अपनी चूत से सता...अपनी कुस्स के पीसते को मसलना शुरू कर दिया....दाँत पीसते अपने अनार दाने को मसलते....चूत के होंठों को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी.....दिल कर रहा था काश भाई मेरी पैंटी की जगह.....मेरे पीसते को अपने दांतो से पीस कर चबा कर खाता.....अपने गदहे जैसे लंड की मूठ मारते हुए भाई किसी गदहे की तरह से रएंक रहा था....लंड मसलते हुए वो बहुत जोश में आ चुका था.....और अपने हाथो को तेज़ी से चला रहा था......

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