"होली मैं मस्त था. रंग लगाया और मन किया तो पटककर चोद दिया.
तब से साली रोज़ चुदवा रही है. तुम्हारे आगे तो वह एकदम बेकार
है. बोलो जमकर चुद्वओगि हमसे?" और उंगली को एक इंच बैठे बैठे
गॅप से डाला तो उंगली घुसने मे और मज़ा आया. "जी
चुदवाउंगी." "जैसे मज़ा दे वैसे लेना. फिर उंगली से पेलकर फैलाओ.
बाद मैं तेल लगाकर इससे पेलेंगे तो खूब मज़ा पओगि." वह अपना
लंड दिखाता बोला.
गरम चूत को उंगली से खुद्वाने मैं ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. 8-10
बार चूत मे आधी उंगली को उसी तरह सामने बैठकर पेला और फिर
बोला, :मीना पूच्छे तो बताना नही कि तुमको खूब मज़ा देने के बाद
चोदा है. उसकी तो मैं चूची दबाकर फ़ौरन डाल पेलता हूँ." "नही
बताउन्गि." "बता दोगि तो हमसे इसी तरह करने के लिए कहेगी.
तुम्हारी कुँवारी गोरी अनचुड़ी गुलाबी फाँक वाली है इसलिए खूब प्यार
से पेलेंगे ताकि खराब ना हो. चोदने के भी अलग अलग तरीके होते
हैं. हर बार पेल्वाओगी तो हम नये नये तरीके से पेलेंगे. देखना
जब तक मम्मी पापा आएँगे, तुम्हारी चूचियों को डबल करके चूत
को सयानी कर देंगे. पेल्वाने के बाद और खूबसूरत लगने लगोगी.
तुम्हे खूब मज़ा देने के लिए ही मीना को भगा दिया है. जाओ पेशाब
करके सब कपड़े उतार कर पूरी नंगी होकर थोड़ा सा तेल लेकर आओ.
कोकनट आयिल लाना."
उसने सटाक से चूत से उंगली बाहर निकाली तो आने वाला मज़ा किरकिरा
हो गया. मैं मज़े से झारी तो कई बार थी पर इस खेल मे नयी थी
इसलिए मज़ा कम नही हुवा. मैं फ़ौरन कमरे से बाहर गयी, तपाक से
शर्ट उतारी और फटी चड्डी को खिसका एक तरफ फेंका और पेशाब
करने बैठी. चाती गयी और उंगली से धीरे धीरे पेली गयी चूत का
तो हुलिया ही बदल गया था. दोनो दरारे लाल थी. पेशाब करते हुवे
पहली बार चुदवाने वाले छेद मैं फैलाव नज़र आया. रमेश की
मस्त हरकतों से होली के दिन मेरी चूचियाँ और चूत दोनो खिल उठी
थी. हमने उसके मोटे और लंबे लंड को देखा था पर परवाह नही थी
कि जब पेलेगा तो चूत फटेगी या रहेगी. वैसे तेल लगाकर पेलने की
बात कर मान मैं और मस्ती भर गई थी. सच तो यह था कि बिना
चुदवाये ही इतना मज़ा आया था कि दुबारा उसे घर बुलाने को तैय्यार
थी. मीना तो अपनी सड़ियल चूत चटाकर खिसक गयी थी.
पेशाब कर पूरी नंगी हो तेल लेकर कमरे मैं वापस आई तो वह
मुझे पूरी नंगी देख तड़प उठा और उसका तना लंड झटके खाने
लगा. मैं खुद चुदवाने के लिए तेल लेकर आई थी जिससे उसे बड़ा
मज़ा आया. वह पास आ मेरी मस्ताई खरबूजे की फाँक सी चुदासी
चूत को उंगली से दबाता बोला, "ठीक से पेशाब कर लिया है
ना?" "जी" नंगे होने का तो मज़ा ही निराला था.
"अब आएगा मज़ा." "जी पर किसी को पता ना चले." मैं चूत मे
उंगली का मज़ा लेते बोली तो उसने कहा, "नही चलेगा. अभी तुम कुँवारी
हो अगर सीधे पेल दिया तो फॅट जाएगी और फिर चुदवाने का मज़ा भी
नही आएगा. पेशाब ना करा हो तो ठीक से कर लो. एक बार चोद्ते हुवे
मीना ने मूत दिया था. सारा मज़ा खराब हो गया था."
Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
रमेश की इस बात से और मज़ा आया. मेरी दोनो आँखें मज़े से खुल
नही रही थी. मैं चूत को उचकाती बोली, "कर लिया है." "तो आराम
से चित होकर लेटो." मैं फ़ौरन तकिये पर सर रख टाँग फैलाकर
लेटी. उस समय चूत चुदास से भरी थी. गरम गरम साँसे बाहर
आ रही थी. दो बार झड़ी थी पर मस्ती बरकरार थी. लेटने के साथ
ही उसने लंड को मेरी चूत पर रखा और दोनो चूचियों को दबाता
बोला, "मीना को यह बात ना बताना कि तुमको हमने इस तरह से मज़ा
दिया है. तुम्हारी चूत अच्छी है इसलिए खूब प्यार करने के बाद ही
चोद्कर सयानी करेंगे."
चूत पर तना मोटा लंड का गरम सूपड़ा लगवाकर चूचियों को
डबवाने मैं नया मज़ा था. मैं मस्ती से बोली, "उसे कुच्छ नही
बताएँगे. आप बराबर मेरे पास आया करिए." "जितना हमसे चुद्वओगि
उतनी ही खूबसूरती आएगी." और झुककर बाकी चूची को रसगुल्ले की
तरह मुँह मे ले जो चूसा तो मैं मज़े से भर सिसकार उठी. उसने
एक बार चूस्कर चूची को मुँह से बाहर कर दिया. मैं इस मज़े से
बेकरार होकर बोली, "हाए बड़ा मज़ा आया. ऐसे ही करिए."
"चूचियाँ पिलाओगी तो तुम्हारी भी मीना की तरह जल्दी बड़ी होंगी."
और चूत पर सूपदे को नीचे कर लगाया. "बहुत अच्छा लग रहा है.
बड़ी कर दीजिए मेरी भी." तब वह दोनो गोल गोल खड़े निपल वाली
चूचियों को दोनो हाथ से सहलाता बोला, "पहले चूत का छेद बड़ा
कर्वालो. एक बार इससे रंग लगवा लो फिर चूस्कर खूब प्यार से तेल
लगाकर पेलेंगे. जब तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की चुदवाने को
तैय्यार हो तो मीना को क्यूँ चोदे. देखो जैसे मीना ने अपनी चूत
हाथ से फैलाकर चटाई थी उसी तरह अपनी फैलाओ तो अपने रंग
से इसे नहला दे."
दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
नही रही थी. मैं चूत को उचकाती बोली, "कर लिया है." "तो आराम
से चित होकर लेटो." मैं फ़ौरन तकिये पर सर रख टाँग फैलाकर
लेटी. उस समय चूत चुदास से भरी थी. गरम गरम साँसे बाहर
आ रही थी. दो बार झड़ी थी पर मस्ती बरकरार थी. लेटने के साथ
ही उसने लंड को मेरी चूत पर रखा और दोनो चूचियों को दबाता
बोला, "मीना को यह बात ना बताना कि तुमको हमने इस तरह से मज़ा
दिया है. तुम्हारी चूत अच्छी है इसलिए खूब प्यार करने के बाद ही
चोद्कर सयानी करेंगे."
चूत पर तना मोटा लंड का गरम सूपड़ा लगवाकर चूचियों को
डबवाने मैं नया मज़ा था. मैं मस्ती से बोली, "उसे कुच्छ नही
बताएँगे. आप बराबर मेरे पास आया करिए." "जितना हमसे चुद्वओगि
उतनी ही खूबसूरती आएगी." और झुककर बाकी चूची को रसगुल्ले की
तरह मुँह मे ले जो चूसा तो मैं मज़े से भर सिसकार उठी. उसने
एक बार चूस्कर चूची को मुँह से बाहर कर दिया. मैं इस मज़े से
बेकरार होकर बोली, "हाए बड़ा मज़ा आया. ऐसे ही करिए."
"चूचियाँ पिलाओगी तो तुम्हारी भी मीना की तरह जल्दी बड़ी होंगी."
और चूत पर सूपदे को नीचे कर लगाया. "बहुत अच्छा लग रहा है.
बड़ी कर दीजिए मेरी भी." तब वह दोनो गोल गोल खड़े निपल वाली
चूचियों को दोनो हाथ से सहलाता बोला, "पहले चूत का छेद बड़ा
कर्वालो. एक बार इससे रंग लगवा लो फिर चूस्कर खूब प्यार से तेल
लगाकर पेलेंगे. जब तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की चुदवाने को
तैय्यार हो तो मीना को क्यूँ चोदे. देखो जैसे मीना ने अपनी चूत
हाथ से फैलाकर चटाई थी उसी तरह अपनी फैलाओ तो अपने रंग
से इसे नहला दे."
दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
होली पे चुदाई --4
गतान्क से आगे..........
मैने फ़ौरन हाथ से चूत के फाँक खोली तो वह मेरी टाँगो के
बीच घुटने के बल बैठ एक हाथ से लंड पकड़ गरम सूपदे को
चूत के फाँक मे चलाने लगा. मुझे मज़ा आया. 8-10 बार सूपदे
को चूत पर रगड़ने के बाद बोला, "मज़ा आ रहा है?" "जी… हाअए
आआहह." "ऐसे ही फैलाए रहना बस निकलने ही वाला है."
उसने सूपदे को 5-10 बार चूत पर रगड़ा ही था कि गरम गरम पानी
दरार मे आया. उसका लंड फलफाला कर झड़ने लगा. गरम पानी
पाते ही मैं हाए आअहह करने लगी. वह सूपड़ा दबाकर 2 मिनिट तक
झाड़ता रहा. मेरी चूत लपलपा गयी पर लंड से निकले पानी ने बड़ा
मज़ा दिया. झड़ने के बाद उंगली को छेद पर लगा अंदर किया तो लंड
के पानी की वजह से पूरी उंगली सॅट्ट से अंदर चली गयी. जब पूरी
उंगली अंदर गयी तो मैं मज़े से टाँगो को अपने आप उठाती चूत को
उभारती बोली, "हाए रमेश बड़ा मज़ा आ रहा है. उंगली से खूब
करो." रमेश उंगली से चूत को चोद्ता बोला, "इस तरह फैलवा लोगि
तो लंड जाने मैं दर्द नही होगा. इतने प्यार से बिना फाडे कौन चोद्ता
तुमको." "हाए आप सच कह रहे हैं."
चूत मे सक्क सक्क अंदर बाहर आ जा रही उंगली बड़ा मज़ा दे रही
थी. हमको चुदवाने सा मज़ा आ रहा था. वह उंगली को पूरी की पूरी
तेज़ी के साथ पेलता ध्यान से मेरी फैल रही चूत को देख रहा था.
ज्यूँ ज्यूँ वह सेचासट चूत मे उंगली डालने निकालने की रफ़्तार
इनक्रीस कर रहा था त्यु त्यु मैं होली के रंगीन मज़े मैं खोती
अपना तनमन उसके हवाले करती जा रही थी. मैं शायद फिर पानी
निकालने वाली थी कि उसने एक साथ दो उंगली अंदर कर दी. मैं तडपी
तो वह निपल को चुटकी दे बोला, "फटेगी नही."
अब दो उंगली से चूत को चुदवाने मे और मज़ा आ रहा था. लगा कि
दूसरी उंगली से चूत फ़ौरन पानी फेंकेगी. तभी वह बोला, "पानी
निकला?" "जी हाए और चूसिए." "ज़्यादा चुसओगि तो बड़ी बड़ी हो
जाएँगी." "होने दीजिए. हमको पूरा मज़ा लेना है." "चूचियाँ तो
मीना भी खूब पिलाती है पर उसकी चूत मे ज़रा भी मज़ा नही है.
अब जिस दिन तुम नही चुद्वओगि, उसी दिन उसकी चोदेन्गे." "हम रोज़
चुदवाएँगे. घर खाली है, रोज़ आइए. रात मे मेरे घर पर ही
रहिएगा." "पहले आगे के छेद का मज़ा देंगे फिर तुम्हारी गांद भी
मारेंगे. मीना अब गांद भी खूब मरवाती है." उसने गांद के छेद
पर उंगली लगाई.
गतान्क से आगे..........
मैने फ़ौरन हाथ से चूत के फाँक खोली तो वह मेरी टाँगो के
बीच घुटने के बल बैठ एक हाथ से लंड पकड़ गरम सूपदे को
चूत के फाँक मे चलाने लगा. मुझे मज़ा आया. 8-10 बार सूपदे
को चूत पर रगड़ने के बाद बोला, "मज़ा आ रहा है?" "जी… हाअए
आआहह." "ऐसे ही फैलाए रहना बस निकलने ही वाला है."
उसने सूपदे को 5-10 बार चूत पर रगड़ा ही था कि गरम गरम पानी
दरार मे आया. उसका लंड फलफाला कर झड़ने लगा. गरम पानी
पाते ही मैं हाए आअहह करने लगी. वह सूपड़ा दबाकर 2 मिनिट तक
झाड़ता रहा. मेरी चूत लपलपा गयी पर लंड से निकले पानी ने बड़ा
मज़ा दिया. झड़ने के बाद उंगली को छेद पर लगा अंदर किया तो लंड
के पानी की वजह से पूरी उंगली सॅट्ट से अंदर चली गयी. जब पूरी
उंगली अंदर गयी तो मैं मज़े से टाँगो को अपने आप उठाती चूत को
उभारती बोली, "हाए रमेश बड़ा मज़ा आ रहा है. उंगली से खूब
करो." रमेश उंगली से चूत को चोद्ता बोला, "इस तरह फैलवा लोगि
तो लंड जाने मैं दर्द नही होगा. इतने प्यार से बिना फाडे कौन चोद्ता
तुमको." "हाए आप सच कह रहे हैं."
चूत मे सक्क सक्क अंदर बाहर आ जा रही उंगली बड़ा मज़ा दे रही
थी. हमको चुदवाने सा मज़ा आ रहा था. वह उंगली को पूरी की पूरी
तेज़ी के साथ पेलता ध्यान से मेरी फैल रही चूत को देख रहा था.
ज्यूँ ज्यूँ वह सेचासट चूत मे उंगली डालने निकालने की रफ़्तार
इनक्रीस कर रहा था त्यु त्यु मैं होली के रंगीन मज़े मैं खोती
अपना तनमन उसके हवाले करती जा रही थी. मैं शायद फिर पानी
निकालने वाली थी कि उसने एक साथ दो उंगली अंदर कर दी. मैं तडपी
तो वह निपल को चुटकी दे बोला, "फटेगी नही."
अब दो उंगली से चूत को चुदवाने मे और मज़ा आ रहा था. लगा कि
दूसरी उंगली से चूत फ़ौरन पानी फेंकेगी. तभी वह बोला, "पानी
निकला?" "जी हाए और चूसिए." "ज़्यादा चुसओगि तो बड़ी बड़ी हो
जाएँगी." "होने दीजिए. हमको पूरा मज़ा लेना है." "चूचियाँ तो
मीना भी खूब पिलाती है पर उसकी चूत मे ज़रा भी मज़ा नही है.
अब जिस दिन तुम नही चुद्वओगि, उसी दिन उसकी चोदेन्गे." "हम रोज़
चुदवाएँगे. घर खाली है, रोज़ आइए. रात मे मेरे घर पर ही
रहिएगा." "पहले आगे के छेद का मज़ा देंगे फिर तुम्हारी गांद भी
मारेंगे. मीना अब गांद भी खूब मरवाती है." उसने गांद के छेद
पर उंगली लगाई.