अजब प्रेम की गजब कहानी compleet

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rajaarkey
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Re: अजब प्रेम की गजब कहानी

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 13:01

अजब प्रेम की गजब कहानी --3

गतान्क से आगे......

अवी- अच्छा दीदी अब मैं चलता हू और 4 बजे आपका वेट करूँगा और अवी डिंपल के पास जाता है और उसका हाथ एक बार

पकड़ कर उसकी आँखो मे देखता हुआ अपने मन मे आइ लव यू दीदी कह कर बाहर निकल जाता है,

डिंपल अवी को बिल्कुल सीरीयस चेहरा करके देखती ही रह जाती है पर उसे समझ नही आता कि आख़िर अवी इतना एक ही दिन मे

बदल कैसे गया, और डिंपल अपने आप से बाते करती हुई, आख़िर कुछ तो चल रहा है अवी के दिमाग़ मे, कुछ तो ऐसा हुआ

है जिसके कारण अवी एक दम से इतना बदल गया, पर आख़िर क्या चल रहा है अवी के मन मे, खेर जो भी है मेरा भाई

सुधर तो गया, भगवान करे अब वह ऐसा ही रहे फिर से ना बदले

दिन के 9 बज रहे थे और डिंपल अपने काम मे लगी हुई थी तभी उसके दरवाजे की डोर बेल बजती है और वह जाकर कौन

है , अरे जानेमन मैं हू स्वीटी, डिंपल दरवाजा खोल कर

डिंपल- अरे इतनी सुबह-सुबह आज तू कैसे आ गई

स्वीटी- यार घर पर मन नही लग रहा था, भैया और भाभी सुबह 7 बजे शिर्डी के लिए निकल गये है और मैं अकेली

बोर हो रही थी सो सोचा तेरे पास ही चला जाए फिर इधर से ही कॉलेज भी चल देंगे

डिंपल- आ बैठ पर तू नही गई शिर्डी, तू भी साई के दर्शन कर आती

स्वीटी- अरे यार मुझे कबाब मे हड्डी बनने का कतई शौक नही है, और वैसे भी मईन तो सिर्फ़ एक ही देवता को मानती हू

उनका मंदिर होता तो ज़रूर चली जाती

डिंपल- क्यो तू कौन से देवता को मानती है

स्वीटी- मुस्कुराते हुए मेरे सबसे पसंदीदा भगवान कामदेव

डिंपल- उसकी बात सुन कर उसकी पीठ पर मारती हुई तू कभी नही सुधर सकती है, साली भगवान को भी नही छ्चोड़ती है

स्वीटी- सच मेरी जान मुझे तो सबसे ज़्यादा पसंद काम देव ही है सच मे कितने सेक्सी होंगे ना

डिंपल- मुस्कुराते हुए चल चुप कर और ये बता चाइ पिएगी या कुछ खाने के लिए बनाऊ

स्वीटी- अरे डार्लिंग खाने का बनाने की ज़रूरत नही है मैं तेरे लिए भी खाने का लेकर आई हू हम कॉलेज मे खा

लेंगे, बस थोड़ी-थोड़ी चाइ हो जाए तो मज़ा आ जाएगा, वैसे भी सुबह-सुबह आज कल ठंड लगने लगी है

डिंपल- अच्छा ठीक है तू बैठ मैं अभी चाइ बना कर लाती हू

स्वीटी- चल मैं भी तेरे साथ किचन मे चलती हू और फिर दोनो किचन मे आ जाती है

स्वीटी- एक बात बता डिंपल तू घर मे भी सलवार शूट मे पूरी धकि रहती है कुछ हल्के फुल्के कपड़े पहना कर

डिंपल- मुझे तेरे जैसी नंगी होकर घूमने का शौक नही है

स्वीटी- अरे यार कम से कम टीशर्त स्कर्ट या पाजामा पहन लिया कर वह सब आराम दायक होते है और तुझे भी रिलॅक्स

लगेगा

डिंपल- ठीक है इस सनडे हम शॉपिंग करने जाएगे तब तू ही अपनी पसंद के दिला देना

स्वीटी- ये हुई ना कुछ बात, अड्वान्स जमाना है जानम अड्वान्स बन कर रहा करो

स्वीटी- अरे तुझे एक बात पता है

डिंपल- क्या

स्वीटी- हमारे कॉलेज का एक लड़का कुछ दिनो से तेरे पीछे-पीछे घूम रहा था और तुझे फसाने के चक्कर मे था

लेकिन तेरे भाई को उसके बारे मे किसी ने कॉलेज मे बता दिया कि वह तेरी दीदी के बारे मे किसी से गंदी बाते कर रहा था

तब तेरे चिकने भाई ने उसकी जम कर धुनाई कर दी

डिंपल- लेकिन तुझे किसने बताया

स्वीटी- अरे अपने कॉलेज की आरती है ना उसी को कही से पता चला था और उसने मुझे फोन करके बताया था, भाई कमाल

है तेरा भाई तो कॉलेज मे ना होकर भी तुझ पर पूरी नज़र रखता है कि कौन तेरे आजू बाजू फटक रहा है और कौन

नही, मानना पड़ेगा तेरे चिकने को बहुत ख्याल है उसे अपनी प्यारी दीदी का

डिंपल- मुझे पता था कि उसने किसी को मारा है पर यह नही पता था कि उसका कारण मैं थी

स्वीटी- भाई इससे तो यह ही पता चलता है कि तेरा भाई नही चाहता कि कोई लड़का तुझे छुए भी, कही वह ही तो तुझे

छूना नही चाहता है

rajaarkey
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Re: अजब प्रेम की गजब कहानी

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 13:02

डिंपल- स्वीटी को घूर कर देखती हुई तू फिर शुरू हो गई

स्वीटी- अरे मेरी जान मैं तो मज़ाक कर रही हू

डिंपल- ले चाइ और फिर दोनो अपने-अपने कप लेकर बाहर आ जाती है और सोफे पर बैठ ते हुए चाइ की चुस्किया लेने लगती

है,

स्वीटी- यार कुछ भी कह तेरा भाई जिस दिन हमारे कॉलेज मे आ जाएगा सबसे पहले मैं ही लाइन देना शुरू कर दूँगी उसे

मुझे तो बहुत प्यारा लगता है, कितना चिकना और स्मार्ट है ना

डिंपल- खबरदार जो अपनी गंदी नज़र मेरे भाई पर डाली तो

स्वीटी- क्यो अगर मैं उसे टच करूँगी तो तुझे मुझसे जलन होगी क्या

डिंपल- अपना मूह बना कर मुझे क्यो जलन होने लगी

स्वीटी- पर तेरा चेहरा तो ऐसा ही लग रहा है

डिंपल- तू बेकार मे परेशान हो रही है जबकि मेरा भाई तो तुझे बहुत पकाऊ और बोर समझता है

स्वीटी- अरे मेरी जान जिस दिन मैने उसे अपना कसा हुआ बदन नंगा करके दिखा दिया ना उस दिन वह मुझे अपनी बाँहो मे भरने को तड़प उठेगा

डिंपल- वह तुझ जैसा गंदा नही है

स्वीटी- अच्छा क्या वह लड़कियो के दूध और गंद को नही देखता है

डिंपल- बिल्कुल नही

स्वीटी- ठीक है मैं भी तुझे दिखा दूँगी कि वह भी लड़कियो को अपनी बाँहो मे भर कर मसल्ने के लिए कितना बेकरार

है

डिंपल- मैं अपने भाई को तुझ से ज़्यादा जानती हू, वह थोड़ा शरारती ज़रूर है पर उसमे ऐसे गुण नही है

स्वीटी- अच्छा कभी उसकी नज़रो को देखना कि वह तेरे कौन-कौन से अंगो को चाहत भरी नज़रो से देखता है

डिंपल- अब चुप भी कर तू एक बार शुरू हो जाती है तो चुप होने का नाम ही नही लेती है, चल मैं नहा कर आती हू तू

आराम से टीवी देख और फिर डिंपल नहाने जाने लगती है

स्वीटी- उसे पीछे से पुकारती हुई, मुस्कुरकर पूरी नंगी होकर नहाना जान बहुत मज़ा आएगा

डिंपल- मुस्कुरकर मैं तेरे जैसी बेशरम नही हू और बाथरूम मे घुस जाती है और स्वीटी टीवी ऑन कर लेती है

थोड़ी देर बाद डिंपल नहा कर बाहर आ जाती है और वह सिर्फ़ अपने बदन पर एक वाइट कलर का टॉवेल लपेटे रहती है

उसे देख कर

स्वीटी- अरे वाह डिंपल तू तो बहुत सेक्सी है, पता नही ऐसे कपड़े पहन कर अपने हुस्न को क्यो छुपा लेती है, सनडे को

मैं तुझे ब्यूटी पार्लर ले जाउन्गि और फिर देखना तेरा हुस्न किस कदर लोगो की नींद उड़ा देगा

डिंपल- मुस्कुरा कर तू ना जाने क्या-क्या करवाना चाहती है मुझसे, चल मैं बस 10 मिनिट मे रेडी होकर आती हू फिर

हम चलते है

rajaarkey
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Re: अजब प्रेम की गजब कहानी

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 13:03

स्वीटी- यार मैं टीवी से बोर हो रही हू क्या मैं तेरे बेडरूम मे लेट जाउ,

डिंपल- तेरा घर है जो मर्ज़ी हो कर

डिंपल अपने बाल सवारने लग जाती है और स्वीटी उसके बेड पर जाकर आराम से लेट जाती है तभी उसे सामने टेबल पर अवी की

तस्वीर नज़र आती है और वह उस तस्वीर को उठा कर देखने लगती है और तभी डिंपल भी वहाँ आकर अपनी जीन्स और

टीशर्त पहन कर उसके पास बैठ कर बाल संवारती हुई

डिंपल- कैसे घूर कर मेरे भाई को देख रही है खा जाएगी क्या

स्वीटी- एक बात काहु डिंपल तेरा भाई जितना सीधा दिखता है उतना होगा नही, इसकी आँखे देख ऐसा लगता है जैसे कितना

सब चीज़ो के बारे मे जानता हो यह बहुत चालू लगता है

डिंपल- बड़ी आई फेस रीडर, अब तू इतनी होशियार तो नही है कि किसी की आँखे देख कर उसके बारे मे जो चाहे कह दे

स्वीटी- नही मैं तो बस अंदाज़ा लगा रही थी, वैसे इसकी बॉडी और फेस दोनो ही खूबसूरत है पता नही किस खुशनसीब को

अपनी बाँहो मे भर कर उसका रस पिएगा

डिंपल- उसके हाथ से तस्वीर छुड़ा कर, कही तू मेरे भाई को देख कर अपना रस मत छ्चोड़ देना

स्वीटी- क्यो तू अपने भाई को देख कर रस छ्चोड़ने लगती है क्या

डिंपल- चुप कर स्वीटी तू तो बहुत ही बदमाश है

स्वीटी- अच्छा तुम दोनो इसी बेड पर सोते हो ना

डिंपल- हाँ क्यो

स्वीटी- फिर तो रात को वह तुझसे पूरा चिपक कर सोता होगा ना

डिंपल- स्वीटी वह मेरा भाई है

स्वीटी- अब नींद मे उसे कहा याद रहता होगा कि तू उसकी बहन है, अच्छा सच-सच बता कभी तेरी नींद खुलती है

तो क्या वह तुझसे चिपका रहता है

डिंपल- हाँ कभी -कभी वह नींद मे मुझसे चिपक जाता है लेकिन मैं उसे फिर से ठीक से सरका कर सुला देती हू

स्वीटी- अरे तू तो पागल है उससे कस कर चिपक क्यो नही जाया करती है

डिंपल- उसका हाथ पकड़ कर उठती हुई चल मैं उससे चिपकू या कुछ भी करू तुझे उससे क्या

स्वीटी उठ कर उसके साथ बाहर आ जाती है और फिर दोनो स्कूटी मे सवार होकर कॉलेज पहुच जाते है,

करीब 3:30 पर उनका पेरिौड ख़त्म हो जाता है और वो दोनो वापस घर की ओर चल देते है

डिंपल- यार स्वीटी आज तो तेरे घर पर कोई नही होगा फिर तू कैसे अकेली रहेगी

स्वीटी- अरे इसमे प्राब्लम क्या है मुझे तो आदत है,

डिंपल- अगर तेरी इच्छा हो तो चल मेरे घर पर शाम तक रुक जा

स्वीटी- आइडिया बुरा नही है वैसे भी मेरा मन तेरे भाई को देखने का कर रहा है बहुत दिनो से उसे देखा नही है

डिंपल- तो फिर तू तो देख चुकी उसे, वह कही घूम फिर रहा होगा वह कौन सा रात के पहले घर वापस आने वाला है

दोनो बाते करते हुए घर पहुच जाते है और डिंपल घर का लॉक खुला देख कर

डिंपल- अरे स्वीटी तेरी किस्मत तो बहुत अच्छी है लगता है अवी घर पर ही है

दोनो घर के अंदर पहुच जाते है और सामने सोफे पर अवी बैठा हुआ दिखाई देता है

डिंपल- अरे आज तो तू घर पर ही मौजूद है क्या बात है कल से तुझमे बड़ा चेंज आ गया है

स्वीटी- और अवी कैसे हो

अवी- आओ स्वीटी बस अच्छा हू

स्वीटी- मैने सोचा आज अवी से मिल लिया जाए इसलिए मैं भी डिंपल के साथ यहा आ गई

अवी- मुस्कुराते हुए अच्छा किया ना और बताओ भैया और भाभी कैसे है

स्वीटी- सब मज़े मे है, अवी बाते तो स्वीटी से कर रहा था लेकिन बार-बार उसकी नज़रे डिंपल की ओर चली जाती थी

डिंपल- तुम दोनो बाते करो मैं चाइ लेकर आती हू और डिंपल किचन की ओर जाने लगती है और अवी अपनी नज़रे नीचे करके

बैठ जाता है

स्वीटी- अवी तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है

अवी- अच्छी चल रही है

स्वीटी-चलो अच्छा है अगले साल से तुम भी हमारे कॉलेज मे आ जाओगे

अवी- हाँ वह तो है

स्वीटी- अपने मन मे अवी को देखती हुई चिकने एक बार हमारे कॉलेज मे तो आ फिर देखना कितनी लड़किया तुझे पूरा

नंगा सोच-सोच कर मूठ मारेगी,

अवी- बैठा-बैठा अपने मन मे साली पता नही कहाँ से पकाने आ गई,

तभी अवी के दिमाग़ मे एक आइडिया आता है और वह सोचता है कि मैं इससे थोड़ा चिपकने की कोशिश करता हू देखता हू दीदी का क्या रिक्षन होता है

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