मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
मैंने डोली भाभी को लगभग 25 मिनट तक खूब जमकर चोदा। मिन्नी आँखें फाड़े देखती रही। लण्ड का सारा पानी डोली भाभी की चूत में निकाल देने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
तो मिन्नी बोली- “तुम्हारे लण्ड पर तो जरा सा भी खून नहीं लगा है?”
मैंने कहा- “खून तो केवल पहली पहली बार घुसाने में ही निकलता है…”
वो कुछ नहीं बोली।
डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तो तैयार हो इसका लण्ड अपनी चूत में लेने के लिये?”
वो बोली- “हाँ, लेकिन दीदी, बहुत दर्द होगा…”
डोली भाभी ने कहा- “पगली, केवल एक ही बार तो दर्द होगा। उसके बाद तो तू खुद ही इससे बार-बार कहेगी की अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो…”
वो बोली- “भला मैं ऐसा क्यों कहूँगी?”
डोली भाभी ने कहा- “क्योंकी तुझे इसमें मज़ा जो आयेगा…”
मैं डोली भाभी के बगल में लेट गया। मिन्नी मेरे लण्ड को देखती रही। थोड़ी देर बाद वो बोली- “इनका लण्ड अब खड़ा क्यों नहीं हो रहा है…”
डोली भाभी ने कहा- “अभी इसने मुझे चोदा है ना। इसलिये। तू इसके लण्ड को सहलाना शुरू कर दे। थोड़ी ही देर में ये फिर से खड़ा हो जायेगा…”
डोली भाभी की चुदाई देखकर मिन्नी को भी थोड़ा जोश आ गया था। उसने अपना हाथ धीरे से मेरे लण्ड पर रख दिया। थोड़ी देर तक वो मेरे लण्ड को देखती रही। उसके बाद उसने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। 15-20 मिनट के बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने देखा की उसकी आँखें कुछ गुलाबी सी होने लगी थीं। लण्ड खड़ा होते देख मिन्नी जोश में आ गयी और डोली भाभी से बोली- “दीदी, अब तो इनका लण्ड खड़ा हो गया…”
डोली भाभी बोली- “अब तू लेट जा…”
इतना कहकर डोली भाभी उठकर बैठ गयी और मिन्नी लेट गयी। डोली भाभी ने मुझसे कहा- “तू मेरे साथ जरा बाहर आ…” मैंने डोली भाभी के साथ बाहर आ गया। डोली भाभी ने कहा- “इस बार मिन्नी के ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। पूरी ताकत के साथ धक्का लगाते हुए पूरा का पूरा लण्ड अंदर घुसा देना। ज्यादा देर भी मत करना। उसके बाद उसकी किसी दुश्मन की तरह खूब जमकर चुदाई करना। समझ गये?”
मैंने कहा, ठीक है- “मैं ऐसा ही करूँगा…”
डोली भाभी ने कहा- “मैंने कभी तेरे भैया से गाण्ड नहीं मरवाती थी। मेरी गाण्ड कब मारेगा?”
मैंने कहा- “जब तुम कहो…”
वो बोली- “ठीक है, मैं तुझे बता दूँगी। अब चल मेरे साथ कमरे में…”
मैं डोली भाभी के साथ कमरे में आ गया। मिन्नी बेड पर लेटी हुई थी। डोली भाभी ने मुझसे कहा- “अब तू अपने लण्ड पर तेल लगा ले और मिन्नी की चुदाई शुरू कर। मैं इसके पास ही बैठ जाती हूँ…”
डोली भाभी मिन्नी के बगल में बैठ गयी। मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा लिया और मिन्नी के पैरों के बीच आ गया। जैसे ही मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत पर रखा।
तो डोली भाभी ने कहा- “ऐसे नहीं। मैं बताती हूँ…”
मैंने कहा- “बताओ…”
डोली भाभी ने कहा- “तू अपना हाथ इसकी टाँगों के नीचे से डालकर इसके कंधे को जोर से पकड़ ले। उसके बाद अंदर घुसा…” मैंने मिन्नी की टाँगों के नीचे से हाथ डालकर मिन्नी के कंधों को जोर से पकड़ लिया। डोली भाभी ने कहा- “अब जैसा मैंने तुझे समझाया था। ठीक उसी तरह अंदर घुसा दे…”
मैंने मिन्नी के चूत के मुँह पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। जैसे ही मैंने धक्का लगाया तो डोली भाभी ने मिन्नी के मुँह को जोर से दबाकर पकड़ लिया। मिन्नी के मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ ही निकल पायी।
डोली भाभी मुझसे बोली- “घुसा दे जल्दी से पूरा का पूरा…”
मैं तो ताकतवर था ही। मैंने अपनी सारी ताकत लगाते हुए फिर से एक धक्का मारा। मिन्नी की चूत से खून की धार निकलने लगी। मेरा लण्ड खून से नहा गया। वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसकी सारी की सारी चूड़ियां टूट गयीं और उसका हाथ लहू लुहान हो गया। मुँह दबा होने की वजह से उसके मुँह से केवल गूँगूँ की आवाज़ ही निकल पा रही थी। मैंने फिर से एक धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड मिन्नी की चूत में सट इंच तक घुस गया। मिन्नी तड़प रही थी। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। बेड की चादर पर भी ढेर सारा खून लग गया था।
भाभी बोली- “जल्दी कर…”
मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लण्ड आठ इंच घुस गया। मैंने गहरी साँस लेते हुए फिर से जोर का धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा पूरा का पूरा लण्ड मिन्नी की चूत में समा गया।
डोली भाभी बोली- “अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर एक ही झटके में फिर से अंदर कर दे…”
मैंने वैसा ही किया।
डोली भाभी ने कहा- “शाबाश… ठीक इसी तरह से चार-पाँच बार और कर…”
मैंने चार-पाँच बार फिर से वैसा ही किया। मिन्नी तड़प रही थी। उसका सारा बदन पसीने से नहा गया था। उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी और सारा बदन थर-थर काँप रहा था। मैंने मिन्नी की चुदाई शुरू कर दी। डोली भाभी अभी भी उसका मुँह दबाये हुए थी। उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी चूत ने मेरे लण्ड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अंदर-बाहर नहीं हो पा रहा था। पूरी ताकत के साथ मैं लगभग दस मिनट तक उसकी चुदाई करता रहा। मिन्नी अब कुछ हद तक शाँत हो चुकी थी। डोली भाभी ने अपना हाथ उसके मुँह पर से हटा लिया।
तो मिन्नी सिसक-सिसक कर रोते हुए कहने लगी- “दीदी, आप दोनों ने मिलकर मुझे मार ही डाला। बहुत दर्द हो रहा है…”
डोली भाभी ने कहा- “अब तो पहले जैसा दर्द नहीं है न?”
वो बोली- “नहीं, अब पहले से बहुत कम है…”
डोली भाभी ने कहा- “थोड़ा सब्र कर, अभी बाकी का दर्द भी चला जायेगा…”
मैं तेजी के साथ उसकी चुदाई कर रहा था। अब वो चीख नहीं रही थी, केवल आहें भर रही थी। मैंने उसे पाँच मिनट तक और चोदा तो मिन्नी झड़ गयी। उसकी चूत और मेरा लण्ड एकदम गीला हो गया। अब मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मिन्नी ने धीरे-धीरे सिसकारियां भरनी शुरू कर दी।
तो मिन्नी बोली- “तुम्हारे लण्ड पर तो जरा सा भी खून नहीं लगा है?”
मैंने कहा- “खून तो केवल पहली पहली बार घुसाने में ही निकलता है…”
वो कुछ नहीं बोली।
डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तो तैयार हो इसका लण्ड अपनी चूत में लेने के लिये?”
वो बोली- “हाँ, लेकिन दीदी, बहुत दर्द होगा…”
डोली भाभी ने कहा- “पगली, केवल एक ही बार तो दर्द होगा। उसके बाद तो तू खुद ही इससे बार-बार कहेगी की अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो…”
वो बोली- “भला मैं ऐसा क्यों कहूँगी?”
डोली भाभी ने कहा- “क्योंकी तुझे इसमें मज़ा जो आयेगा…”
मैं डोली भाभी के बगल में लेट गया। मिन्नी मेरे लण्ड को देखती रही। थोड़ी देर बाद वो बोली- “इनका लण्ड अब खड़ा क्यों नहीं हो रहा है…”
डोली भाभी ने कहा- “अभी इसने मुझे चोदा है ना। इसलिये। तू इसके लण्ड को सहलाना शुरू कर दे। थोड़ी ही देर में ये फिर से खड़ा हो जायेगा…”
डोली भाभी की चुदाई देखकर मिन्नी को भी थोड़ा जोश आ गया था। उसने अपना हाथ धीरे से मेरे लण्ड पर रख दिया। थोड़ी देर तक वो मेरे लण्ड को देखती रही। उसके बाद उसने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। 15-20 मिनट के बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने देखा की उसकी आँखें कुछ गुलाबी सी होने लगी थीं। लण्ड खड़ा होते देख मिन्नी जोश में आ गयी और डोली भाभी से बोली- “दीदी, अब तो इनका लण्ड खड़ा हो गया…”
डोली भाभी बोली- “अब तू लेट जा…”
इतना कहकर डोली भाभी उठकर बैठ गयी और मिन्नी लेट गयी। डोली भाभी ने मुझसे कहा- “तू मेरे साथ जरा बाहर आ…” मैंने डोली भाभी के साथ बाहर आ गया। डोली भाभी ने कहा- “इस बार मिन्नी के ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। पूरी ताकत के साथ धक्का लगाते हुए पूरा का पूरा लण्ड अंदर घुसा देना। ज्यादा देर भी मत करना। उसके बाद उसकी किसी दुश्मन की तरह खूब जमकर चुदाई करना। समझ गये?”
मैंने कहा, ठीक है- “मैं ऐसा ही करूँगा…”
डोली भाभी ने कहा- “मैंने कभी तेरे भैया से गाण्ड नहीं मरवाती थी। मेरी गाण्ड कब मारेगा?”
मैंने कहा- “जब तुम कहो…”
वो बोली- “ठीक है, मैं तुझे बता दूँगी। अब चल मेरे साथ कमरे में…”
मैं डोली भाभी के साथ कमरे में आ गया। मिन्नी बेड पर लेटी हुई थी। डोली भाभी ने मुझसे कहा- “अब तू अपने लण्ड पर तेल लगा ले और मिन्नी की चुदाई शुरू कर। मैं इसके पास ही बैठ जाती हूँ…”
डोली भाभी मिन्नी के बगल में बैठ गयी। मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा लिया और मिन्नी के पैरों के बीच आ गया। जैसे ही मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत पर रखा।
तो डोली भाभी ने कहा- “ऐसे नहीं। मैं बताती हूँ…”
मैंने कहा- “बताओ…”
डोली भाभी ने कहा- “तू अपना हाथ इसकी टाँगों के नीचे से डालकर इसके कंधे को जोर से पकड़ ले। उसके बाद अंदर घुसा…” मैंने मिन्नी की टाँगों के नीचे से हाथ डालकर मिन्नी के कंधों को जोर से पकड़ लिया। डोली भाभी ने कहा- “अब जैसा मैंने तुझे समझाया था। ठीक उसी तरह अंदर घुसा दे…”
मैंने मिन्नी के चूत के मुँह पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। जैसे ही मैंने धक्का लगाया तो डोली भाभी ने मिन्नी के मुँह को जोर से दबाकर पकड़ लिया। मिन्नी के मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ ही निकल पायी।
डोली भाभी मुझसे बोली- “घुसा दे जल्दी से पूरा का पूरा…”
मैं तो ताकतवर था ही। मैंने अपनी सारी ताकत लगाते हुए फिर से एक धक्का मारा। मिन्नी की चूत से खून की धार निकलने लगी। मेरा लण्ड खून से नहा गया। वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसकी सारी की सारी चूड़ियां टूट गयीं और उसका हाथ लहू लुहान हो गया। मुँह दबा होने की वजह से उसके मुँह से केवल गूँगूँ की आवाज़ ही निकल पा रही थी। मैंने फिर से एक धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड मिन्नी की चूत में सट इंच तक घुस गया। मिन्नी तड़प रही थी। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। बेड की चादर पर भी ढेर सारा खून लग गया था।
भाभी बोली- “जल्दी कर…”
मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लण्ड आठ इंच घुस गया। मैंने गहरी साँस लेते हुए फिर से जोर का धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा पूरा का पूरा लण्ड मिन्नी की चूत में समा गया।
डोली भाभी बोली- “अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर एक ही झटके में फिर से अंदर कर दे…”
मैंने वैसा ही किया।
डोली भाभी ने कहा- “शाबाश… ठीक इसी तरह से चार-पाँच बार और कर…”
मैंने चार-पाँच बार फिर से वैसा ही किया। मिन्नी तड़प रही थी। उसका सारा बदन पसीने से नहा गया था। उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी और सारा बदन थर-थर काँप रहा था। मैंने मिन्नी की चुदाई शुरू कर दी। डोली भाभी अभी भी उसका मुँह दबाये हुए थी। उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी चूत ने मेरे लण्ड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अंदर-बाहर नहीं हो पा रहा था। पूरी ताकत के साथ मैं लगभग दस मिनट तक उसकी चुदाई करता रहा। मिन्नी अब कुछ हद तक शाँत हो चुकी थी। डोली भाभी ने अपना हाथ उसके मुँह पर से हटा लिया।
तो मिन्नी सिसक-सिसक कर रोते हुए कहने लगी- “दीदी, आप दोनों ने मिलकर मुझे मार ही डाला। बहुत दर्द हो रहा है…”
डोली भाभी ने कहा- “अब तो पहले जैसा दर्द नहीं है न?”
वो बोली- “नहीं, अब पहले से बहुत कम है…”
डोली भाभी ने कहा- “थोड़ा सब्र कर, अभी बाकी का दर्द भी चला जायेगा…”
मैं तेजी के साथ उसकी चुदाई कर रहा था। अब वो चीख नहीं रही थी, केवल आहें भर रही थी। मैंने उसे पाँच मिनट तक और चोदा तो मिन्नी झड़ गयी। उसकी चूत और मेरा लण्ड एकदम गीला हो गया। अब मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मिन्नी ने धीरे-धीरे सिसकारियां भरनी शुरू कर दी।
Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
डोली भाभी ने पूछा- “अब कैसा लग रहा है?”
वो बोली- “अब कुछ-कुछ मज़ा आ रहा है लेकिन दर्द अभी भी है…”
डोली भाभी ने कहा- “अब इस दर्द को जाने में समय लगेगा। उसके बाद बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा…”
मिन्नी बोली- “समय क्यों लगेगा?”
डोली भाभी ने कहा- “जब ये तुम्हें तीन-चार बार चोद देगा, तब तम्हारी चूत इसके लण्ड के साइज़ की हो जायेगी। उसके बाद ये दर्द अपने आप चला जायेगा…”
मैंने और ज्यादा जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये थे और उसे तेजी के साथ चोद रहा था। मिन्नी ने भी अब धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठाने शुरू कर दिये थे। वो भी अब मस्ती में आ रही थी। पाँच मिनट में ही वो फिर से झड़ गयी। उसने मेरे होंठों को चूम लिया और कहा- “अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है…”
मैंने उसकी चुदाई जारी रखी।
दो मिनट भी नहीं गुजरे थे कि डोली भाभी ने कहा- “मिन्नी अब तुम इसका लण्ड अपने दूसरे छेद में ले लो…”
वो बोली- “फिर से दर्द होगा…”
डोली भाभी ने कहा- “अब ज्यादा दर्द नहीं होगा क्योंकी तुम इसका लण्ड पहले ही अंदर ले चुकी हो…”
वो बोली- “फिर इनसे कह दो की धीरे-धीरे करेंगे…”
डोली भाभी ने कहा- “ये धीरे-धीरे ही करेगा। मैं हूँ न यहाँ पर। अगर ये बदमाशी करेगा तो मैं इसे बहुत मारूँगी…”
वो बोली- “ठीक है…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत से बाहर निकाला और उसकी गाण्ड में घुसाने लगा। मेरे लण्ड पर मिन्नी की चूत का ढेर सारा पानी लगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लण्ड सात इंच तक उसकी गाण्ड में घुस गया। उसके बाद जब मैंने और ज्यादा घुसाने की कोशिश की तो उसे फिर से दर्द होने लगा और वो चीखने लगी।
लेकिन इस बार उसने मुझे रोका नहीं। वो बोली- “अब रहने दो, दर्द हो रहा है…”
डोली भाभी ने कहा- “बस थोड़ा सा ही तो बाकी है। उसे भी अंदर ले लो…” मिन्नी कुछ नहीं बोली।
डोली भाभी ने मुझे आँख मारी तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया। मेरा बाकी का लण्ड भी उसकी गाण्ड में समा गया। वो जोर से चीखी तो डोली भाभी ने कहा- “बस हो गया…”
उसके बाद मैंने उसकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी। थोड़ी देर चीखने के बाद वो शाँत हो गयी। अब उसे गाण्ड मरवाने में भी मज़ा आने लगा था। लगभग पाँच मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी।
तो डोली भाभी ने कहा- “अब रहने दो…”
मैंने कहा- “अभी तो मेरे लण्ड का पानी ही नहीं नकला है…”
वो बोली- “मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ। अब तुम इसकी चूत में अपना लण्ड डालकर इसे चोदो…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की गाण्ड से निकालकर उसकी चूत में डाल दिया। उसके बाद मैंने पूरी ताकत के साथ जोर-जोर से उसकी चुदाई शुरू कर दी। पाँच मिनट में ही मिन्नी फिर से झड़ गयी। मैं इसके पहले दो बार मिन्नी की गाण्ड मार चुका था और दो बार डोली भाभी को चोद चुका था। इसलिये मेरे लण्ड का पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मिन्नी को चोद रहा था।
वो भी अपने चूतड़ उठाने लगी थी। थोड़ी देर बाद वो बोली- “दीदी, अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। इनसे कह दो की थोड़ा और जोर-जोर से धक्का लगायें…”
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “तुमने सुना ये क्या कह रही है?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “तो फिर तुम इसका कहा मानो और अपनी ताकत दिखा दो इसे…”
मैंने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये।
डोली भाभी ने मिन्नी से पूछा- “अब ठीक है?”
वो बोली- “हाँ… अब मुझे ज्यादा मज़ा आ रहा है…” मिन्नी अब चूतड़ उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरा का पूरा सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मिन्नी फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया तो उसने मेरे लण्ड को तुरंत पकड़ लिया और कहने लगी- “बाहर क्यों निकाल रहे हो। अभी मुझे और मज़ा लेना है…”
मैंने कहा- “मैं तुम्हें अभी और मज़ा दूँगा। अब तुम घोड़ी की तरह हो जाओ…”
वो डागी स्टाइल में हो गयी तो मैं उसके पीछे आ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया और उसकी गाण्ड मारने लगा। वो जोश के मारे सिसकारियां भरने लगी। पाँच मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकालकर उसकी चूत में डाल दिया और उसकी चुदाई करने लगा। मैं उसकी कमर को पकड़कर उसे बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा था। वो भी अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ देने लगी थी। दस मिनट उसकी चुदाई करने के बाद मैं झड़ गया। मेरे साथ ही साथ मिन्नी भी फिर से झड़ गयी।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम इसके लण्ड को चाट लो…”
वो बोली- “मैं इनके लण्ड को नहीं चाटूँगी। इनका लण्ड गंदा है…”
डोली भाभी ने कहा- “गंदा कहाँ है? इसके लण्ड पर तुम्हारी चूत का और इसके लण्ड का पानी ही तो लगा है। इसे चाटने से प्यार बढ़ता है। चाट लो इसे…”
वो बोली- “मैं नहीं चाटूँगी। मुझे घिन्न आती है…”
डोली भाभी ने कहा- “मैं ही चाट लेती हूँ। फिर आगे से तुझे ही चाटना पड़ेगा…”
वो बोली- “ठीक है। पहले तुम चाटकर दिखाओ, बाद में मैं चाट लूँगी…”
डोली भाभी मेरे लण्ड को चाटने लगी। मिन्नी देख रही थी। मेरे लण्ड पर लगा हुआ थोड़ा सा पानी डोली भाभी ने चाट लिया फिर मिन्नी से बोली- “अब बाकी का तुम चाट लो…”
मिन्नी ने शरमाते हुए मेरे लण्ड को चाटना शुरू कर दिया। उसने मेरे लण्ड पर लगे हुए बाकी के पानी को चाट-चाटकर साफ कर दिया।
डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम्हें जब ये फिर से चोदेगा तो चिल्लाओगी तो नहीं?”
वो बोली- “अब क्यों चिल्लाऊँगी? अब तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा है…”
डोली भाभी ने कहा- “फिर ठीक है, तुम आराम कर लो। जब तुम्हारा मन करेगा तो इसे बुला लेना। मैं इसके साथ अपने कमरे में जा रही हूँ। मुझे इससे कुछ बात करनी है…”
वो बोली, ठीक है- “बुला लूँगी…”
डोली भाभी बोली- “मैं भी इसके साथ आऊँगी तुम्हारे पास और अपने सामने ही तुम्हारी चुदाई करा दूँगी…” डोली भाभी नंगी ही अपनी सैंडल फर्श पर खट-खट करती हुई बाहर चली गयी तो मैं भी उनके पीछे-पीछे नंगा ही बाहर चला आया।
मैंने डोली भाभी से कहा- “तुमने मुझसे मिन्नी एक सामने ही चुदवा लिया। वो क्या सोचेगी…”
डोली भाभी ने कहा- “उसे कुछ भी नहीं मालूम है। अगर उसे कुछ मालूम होता तो भला वो मुझे चुदवाने को क्यों कहती। चलो अच्छा ही हुआ की अब मुझे और मिन्नी को एक दूसरे के सामने तुमसे चुदवाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। हमारा रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया। मैं मिन्नी से भी इस बारे में बात कर लूँगी…”
मैंने भाभी से पूछा- “गाण्ड कब मरवाओगी?”
वो मुश्कुराते हुए बोली- “क्या मेरी गाण्ड भी फाड़नी है?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “कल फाड़ लेना…”
मैंने कहा- “थोड़ा सा आज अंदर ले लो बाकी का कल अंदर ले लेना…”
वो बोली- “जो तेरा जी कहे कर ले। अब तो मैं तेरी बीवी बन गयी हूँ…”
मैं डोली भाभी के बगल में लेटा हुआ उनसे बातें करता रहा और उनकी चूत को सहलाता रहा। वो मुझे तरह-तरह के स्टाइल में चोदना सिखा रही थी और मेरे लण्ड को सहला रही थी। लगभग एक घंटे के बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने डोली भाभी से कहा- “मिन्नी ने अभी तक मुझे बुलाया ही नहीं। मैं अब तुम्हारी गाण्ड में ही लण्ड घुसाने की कोशिश करता हूँ…”
डोली भाभी और हम दोनों अभी तक नंगे ही थे। मैंने डोली भाभी से घोड़ी बन जाने को कहा तो वो घोड़ी बन गयी। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रखा तो वो बोली- “तेल तो लगा ले…”
मैंने कहा- “नहीं। ऐसे ही…”
वो बोली- “फिर तो बहुत दर्द होगा…”
मैंने कहा- “होने दो। तुम कोई सत्रह-अटारह साल की थोड़े ही हो…”
वो बोली- “ठीक है, जैसी तेरी मरज़ी…”
मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चुदाई शुरू कर दी। पाँच मिनट में ही डोली भाभी झड़ गयी तो मेरा लण्ड गीला हो गया। अब तेल लगने की जरूरत नहीं थी। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रखा और थोड़ा सा जोर लगाया। डोली भाभी के मुँह से जोर की आह निकली और मेरे लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड में घुस गया।
वो बोली- “अब कुछ-कुछ मज़ा आ रहा है लेकिन दर्द अभी भी है…”
डोली भाभी ने कहा- “अब इस दर्द को जाने में समय लगेगा। उसके बाद बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा…”
मिन्नी बोली- “समय क्यों लगेगा?”
डोली भाभी ने कहा- “जब ये तुम्हें तीन-चार बार चोद देगा, तब तम्हारी चूत इसके लण्ड के साइज़ की हो जायेगी। उसके बाद ये दर्द अपने आप चला जायेगा…”
मैंने और ज्यादा जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये थे और उसे तेजी के साथ चोद रहा था। मिन्नी ने भी अब धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठाने शुरू कर दिये थे। वो भी अब मस्ती में आ रही थी। पाँच मिनट में ही वो फिर से झड़ गयी। उसने मेरे होंठों को चूम लिया और कहा- “अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है…”
मैंने उसकी चुदाई जारी रखी।
दो मिनट भी नहीं गुजरे थे कि डोली भाभी ने कहा- “मिन्नी अब तुम इसका लण्ड अपने दूसरे छेद में ले लो…”
वो बोली- “फिर से दर्द होगा…”
डोली भाभी ने कहा- “अब ज्यादा दर्द नहीं होगा क्योंकी तुम इसका लण्ड पहले ही अंदर ले चुकी हो…”
वो बोली- “फिर इनसे कह दो की धीरे-धीरे करेंगे…”
डोली भाभी ने कहा- “ये धीरे-धीरे ही करेगा। मैं हूँ न यहाँ पर। अगर ये बदमाशी करेगा तो मैं इसे बहुत मारूँगी…”
वो बोली- “ठीक है…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत से बाहर निकाला और उसकी गाण्ड में घुसाने लगा। मेरे लण्ड पर मिन्नी की चूत का ढेर सारा पानी लगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लण्ड सात इंच तक उसकी गाण्ड में घुस गया। उसके बाद जब मैंने और ज्यादा घुसाने की कोशिश की तो उसे फिर से दर्द होने लगा और वो चीखने लगी।
लेकिन इस बार उसने मुझे रोका नहीं। वो बोली- “अब रहने दो, दर्द हो रहा है…”
डोली भाभी ने कहा- “बस थोड़ा सा ही तो बाकी है। उसे भी अंदर ले लो…” मिन्नी कुछ नहीं बोली।
डोली भाभी ने मुझे आँख मारी तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया। मेरा बाकी का लण्ड भी उसकी गाण्ड में समा गया। वो जोर से चीखी तो डोली भाभी ने कहा- “बस हो गया…”
उसके बाद मैंने उसकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी। थोड़ी देर चीखने के बाद वो शाँत हो गयी। अब उसे गाण्ड मरवाने में भी मज़ा आने लगा था। लगभग पाँच मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी।
तो डोली भाभी ने कहा- “अब रहने दो…”
मैंने कहा- “अभी तो मेरे लण्ड का पानी ही नहीं नकला है…”
वो बोली- “मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ। अब तुम इसकी चूत में अपना लण्ड डालकर इसे चोदो…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की गाण्ड से निकालकर उसकी चूत में डाल दिया। उसके बाद मैंने पूरी ताकत के साथ जोर-जोर से उसकी चुदाई शुरू कर दी। पाँच मिनट में ही मिन्नी फिर से झड़ गयी। मैं इसके पहले दो बार मिन्नी की गाण्ड मार चुका था और दो बार डोली भाभी को चोद चुका था। इसलिये मेरे लण्ड का पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मिन्नी को चोद रहा था।
वो भी अपने चूतड़ उठाने लगी थी। थोड़ी देर बाद वो बोली- “दीदी, अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। इनसे कह दो की थोड़ा और जोर-जोर से धक्का लगायें…”
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “तुमने सुना ये क्या कह रही है?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “तो फिर तुम इसका कहा मानो और अपनी ताकत दिखा दो इसे…”
मैंने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये।
डोली भाभी ने मिन्नी से पूछा- “अब ठीक है?”
वो बोली- “हाँ… अब मुझे ज्यादा मज़ा आ रहा है…” मिन्नी अब चूतड़ उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरा का पूरा सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मिन्नी फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया तो उसने मेरे लण्ड को तुरंत पकड़ लिया और कहने लगी- “बाहर क्यों निकाल रहे हो। अभी मुझे और मज़ा लेना है…”
मैंने कहा- “मैं तुम्हें अभी और मज़ा दूँगा। अब तुम घोड़ी की तरह हो जाओ…”
वो डागी स्टाइल में हो गयी तो मैं उसके पीछे आ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया और उसकी गाण्ड मारने लगा। वो जोश के मारे सिसकारियां भरने लगी। पाँच मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकालकर उसकी चूत में डाल दिया और उसकी चुदाई करने लगा। मैं उसकी कमर को पकड़कर उसे बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा था। वो भी अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ देने लगी थी। दस मिनट उसकी चुदाई करने के बाद मैं झड़ गया। मेरे साथ ही साथ मिन्नी भी फिर से झड़ गयी।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम इसके लण्ड को चाट लो…”
वो बोली- “मैं इनके लण्ड को नहीं चाटूँगी। इनका लण्ड गंदा है…”
डोली भाभी ने कहा- “गंदा कहाँ है? इसके लण्ड पर तुम्हारी चूत का और इसके लण्ड का पानी ही तो लगा है। इसे चाटने से प्यार बढ़ता है। चाट लो इसे…”
वो बोली- “मैं नहीं चाटूँगी। मुझे घिन्न आती है…”
डोली भाभी ने कहा- “मैं ही चाट लेती हूँ। फिर आगे से तुझे ही चाटना पड़ेगा…”
वो बोली- “ठीक है। पहले तुम चाटकर दिखाओ, बाद में मैं चाट लूँगी…”
डोली भाभी मेरे लण्ड को चाटने लगी। मिन्नी देख रही थी। मेरे लण्ड पर लगा हुआ थोड़ा सा पानी डोली भाभी ने चाट लिया फिर मिन्नी से बोली- “अब बाकी का तुम चाट लो…”
मिन्नी ने शरमाते हुए मेरे लण्ड को चाटना शुरू कर दिया। उसने मेरे लण्ड पर लगे हुए बाकी के पानी को चाट-चाटकर साफ कर दिया।
डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम्हें जब ये फिर से चोदेगा तो चिल्लाओगी तो नहीं?”
वो बोली- “अब क्यों चिल्लाऊँगी? अब तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा है…”
डोली भाभी ने कहा- “फिर ठीक है, तुम आराम कर लो। जब तुम्हारा मन करेगा तो इसे बुला लेना। मैं इसके साथ अपने कमरे में जा रही हूँ। मुझे इससे कुछ बात करनी है…”
वो बोली, ठीक है- “बुला लूँगी…”
डोली भाभी बोली- “मैं भी इसके साथ आऊँगी तुम्हारे पास और अपने सामने ही तुम्हारी चुदाई करा दूँगी…” डोली भाभी नंगी ही अपनी सैंडल फर्श पर खट-खट करती हुई बाहर चली गयी तो मैं भी उनके पीछे-पीछे नंगा ही बाहर चला आया।
मैंने डोली भाभी से कहा- “तुमने मुझसे मिन्नी एक सामने ही चुदवा लिया। वो क्या सोचेगी…”
डोली भाभी ने कहा- “उसे कुछ भी नहीं मालूम है। अगर उसे कुछ मालूम होता तो भला वो मुझे चुदवाने को क्यों कहती। चलो अच्छा ही हुआ की अब मुझे और मिन्नी को एक दूसरे के सामने तुमसे चुदवाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। हमारा रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया। मैं मिन्नी से भी इस बारे में बात कर लूँगी…”
मैंने भाभी से पूछा- “गाण्ड कब मरवाओगी?”
वो मुश्कुराते हुए बोली- “क्या मेरी गाण्ड भी फाड़नी है?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “कल फाड़ लेना…”
मैंने कहा- “थोड़ा सा आज अंदर ले लो बाकी का कल अंदर ले लेना…”
वो बोली- “जो तेरा जी कहे कर ले। अब तो मैं तेरी बीवी बन गयी हूँ…”
मैं डोली भाभी के बगल में लेटा हुआ उनसे बातें करता रहा और उनकी चूत को सहलाता रहा। वो मुझे तरह-तरह के स्टाइल में चोदना सिखा रही थी और मेरे लण्ड को सहला रही थी। लगभग एक घंटे के बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने डोली भाभी से कहा- “मिन्नी ने अभी तक मुझे बुलाया ही नहीं। मैं अब तुम्हारी गाण्ड में ही लण्ड घुसाने की कोशिश करता हूँ…”
डोली भाभी और हम दोनों अभी तक नंगे ही थे। मैंने डोली भाभी से घोड़ी बन जाने को कहा तो वो घोड़ी बन गयी। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रखा तो वो बोली- “तेल तो लगा ले…”
मैंने कहा- “नहीं। ऐसे ही…”
वो बोली- “फिर तो बहुत दर्द होगा…”
मैंने कहा- “होने दो। तुम कोई सत्रह-अटारह साल की थोड़े ही हो…”
वो बोली- “ठीक है, जैसी तेरी मरज़ी…”
मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चुदाई शुरू कर दी। पाँच मिनट में ही डोली भाभी झड़ गयी तो मेरा लण्ड गीला हो गया। अब तेल लगने की जरूरत नहीं थी। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रखा और थोड़ा सा जोर लगाया। डोली भाभी के मुँह से जोर की आह निकली और मेरे लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड में घुस गया।
Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो वो तड़प उठी और बोली- “जरा धीरे से…”
मैंने फिर से जोर लगाया तो उनके मुँह से चीख निकल गयी। मेरा लण्ड डोली भाभी की गाण्ड में अब तक चार इंच घुस चुका था। मैंने और ज्यादा अंदर घुसाने की कोशिश नहीं की। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
दो मिनट में ही डोली भाभी का दर्द जाता रहा तो वो बोली- “थोड़ा और अंदर कर दे…”
मैंने फिर से थोड़ा जोर लगाया तो वो फिर से चीखी और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में पाँच इंच तक घुस गया। तभी मिन्नी आ गयी। उसने कपड़े नहीं पहने थे। वो पहले जैसी ही सिर्फ अपनी हाई-हील की सैंडल पहने हुए एकदम नंगी थी।
उसने हम दोनों को देखा तो बोली- “दीदी, तुम भी मज़ा ले रही हो?”
डोली भाभी ने कहा- “ये तेरा बड़ी देर से इंतज़ार कर रहा था लेकिन तूने इसे बुलाया ही नहीं। इसे जोश आ गया और इसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसाना शुरू कर दिया। मैं इसे मना नहीं कर पायी…”
वो बोली- “मुझे भी फिर से चुदवाना है…”
डोली भाभी ने कहा- “तो आ जा…”
मिन्नी ने कहा- “लेकिन ये तो आपको चोदने जा रहे हैं?”
डोली भाभी ने कहा- “मेरा क्या है, मैं तो कभी भी चुदवा लूँगी। पहले तू चुदवा ले। तेरा चुदवाना ज्यादा जरूरी है। मैं तो बहुत मज़ा ले चुकी हूँ…”
मिन्नी डोली भाभी के बगल में ही घोड़ी की तरह बन गयी। मैंने अपना लण्ड डोली भाभी की गाण्ड से बाहर निकालकर मिन्नी की गाण्ड में घुसाना शुरू कर दिया। वो दर्द के मारे आहें भरने लगी। धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लण्ड मिन्नी की गाण्ड में घुस गया तो मैंने उसकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी।
वो बोली- “आगे के छेद में घुसाकर चोदो। मुझे उसमें ज्यादा मज़ा आता है…”
मैंने कहा- “थोड़ी देर पीछे के छेद की चुदाई कर लूँ फिर आगे के छेद में भी चोदूँगा…”
वो बोली- “ठीक है, जैसी तुम्हारी मरज़ी…”
मैं मिन्नी की गाण्ड मारता रहा। डोली भाभी मिन्नी से कहने लगी- “तू तो जानती है की राज़ के भैया का स्वर्गवास हुए बहुत दिन हो चुके हैं। मैंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था और मेरी इच्छा भी मर चुकी थी। लेकिन आज मैंने तेरी खुशी के लिये तेरे कहने पर इससे चुदवा लिया। इससे चुदवाने के बाद मेरी चूत और गाण्ड की आग फिर से भड़क गयी है। मैं जानती हूँ की ये बहुत ही गलत बात है लेकिन मैं अब इससे चुदवाये बिना नहीं रह सकती। अगर किसी को ये पता चल गया तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। अब तू ही बता की मैं क्या करूँ? मैं तो अब मर जाना चाहती हूँ…”
मिन्नी बोली- “दीदी, तुम ऐसा क्यों कह रही हो? तुम इनसे जी भरकर चुदवाओ और खूब मज़ा लो। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। अगर मैं तुम्हें कभी मना करूँ तो तुम मुझे ही मार डालना। ये बात किसी को नहीं पता चलेगी…”
डोली भाभी ने कहा- “फिर तू मेरी कसम खाकर कह दे की तू कभी भी किसी से नहीं कहेगी…”
मिन्नी ने अपना हाथ पीछे करके मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- “मैं तुम्हारी कसम क्यों खाऊँ? मैं अपने पति का लण्ड पकड़कर कसम खाती हूँ की मैं कभी भी किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी। अब तो आपको मेरी बात पर विश्वास हो गया…”
डोली भाभी ने कहा- “मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है…”
वो बोली- “अब इनसे कह दो की मेरी चूत में अपना लण्ड डालकर मेरी चुदाई करें। मुझे गाण्ड मरवाने में ज्यादा मज़ा नहीं आता है…”
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “सुन रहा है ना तू की मिन्नी क्या कह रही है। अब इसकी इच्छा पूरी कर…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत में घुसा दिया और उसकी चुदाई करने लगा। दो मिनट में ही वो एकदम मस्त हो गयी। उसने पूरी मस्ती के साथ मुझसे चुदवाना शुरू कर दिया। वो तेजी के साथ अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी। मैं भी पूरे जोश और ताकत के साथ उसे चोदता रहा। मिन्नी की चुदाई करते हुए मुझे लगभग तीस मिनट गुजर चुके थे। वो अब तक तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मिन्नी बोली- “दीदी, मैं थक गयी हूँ…”
डोली भाभी ने कहा- “क्यों, मज़ा नहीं आ रहा है क्या?”
वो बोली- “मज़ा तो बहुत आ रहा है लेकिन अभी मेरी चुदवाने की आदत नहीं है ना…”
डोली भाभी बोली- “फिर मैं क्या करूँ। जब राज़ झड़ जायेगा तब ही तो तुमहारी चुदाई बंद करेगा…”
वो बोली- “मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो। मैं बाद में चुदवा लूँगी…”
डोली भाभी ने कहा- “जब लण्ड खड़ा हो तो चुदाई नहीं बंद की जाती। इससे आदमी के सेहत पर बुरा असर पड़ता है…”
मिन्नी बोली- “इनसे कह दो की अब रहने दें। बाद में चोद लेंगे। तब तक तुम ही इनसे चुदवा लो…”
डोली भाभी ने कहा- “अच्छा बाबा… मैं ही चुदवा लेती हूँ…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत से निकालकर डोली भाभी की गाण्ड में घुसाना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड मिन्नी की चूत के पानी से पहले से ही भीगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लण्ड डोली भाभी की गाण्ड में पाँच इंच तक घुस गया। मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी देर बाद जब मैंने देखा की डोली भाभी मस्ती में आ गयी हैं तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड भाभी की गाण्ड को चीरता हुआ सात इंच तक अंदर घुसा गया। डोली भाभी के मुँह से जोर की चीख निकली।
तो मिन्नी ने कहा- “दीदी, तुम क्यों चीख रही हो। तुम तो चुदवाने की आदी हो…”
डोली भाभी ने कहा- “मैंने आज तक अपनी गाण्ड नहीं मरवायी थी। तुम तो जानती ही हो की इसका लण्ड बहुत लंबा और मोटा है। इसलिये मुझे भी दर्द हो रहा है और मैं चीख रही हूँ। बस अभी थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो जायेगा। फिर मुझे भी तेरी तरह खूब मज़ा आने लगेगा…”
धीरे-धीरे डोली भाभी फिर से मस्ती में आ गयी। मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा। वो फिर से चीखी और मेरा लण्ड आठ इंच तक घुस गया। मैंने फिर एक धक्का मारा तो वो बुरी तरह से चीखने लगी और मेरा पूरा का पूरा लण्ड डोली भाभी की गाण्ड में समा गया। मैंने तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी ही देर में डोली भाभी शाँत हो गयी और उन्हें मज़ा आने लगा।
तभी मिन्नी बोली- “दीदी, अब मैं तैयार हूँ। इनसे कह दो की अब मुझे चोद दें…”
डोली भाभी ने कहा- “बार-बार मुझसे क्यों कहती है। तू खुद ही इससे कह दे। अब मैं इससे कुछ नहीं कहूँगी…”
मिन्नी ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- “अब तुम मुझे चोद दो…”
मैं खुश हो गया। मैंने अपना लण्ड डोली भाभी की गाण्ड से निकालकर मिन्नी की चूत में डाल दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। मिन्नी भी मेरे साथ ही साथ झड़ गयी। जैसे ही मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला तो उसने मेरा लण्ड चाटना शुरू कर दिया। मैं बहुत खुश हो गया।
डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब घिन्न नहीं आ रही है?”
वो बोली- “बिल्कुल नहीं, अब तो मुझे भी खूब मज़ा आने लगा है…”
हम सब नंगे ही सो गये। रात के 7:00 बजे मिन्नी मेरा लण्ड सहलाने लगी। मैं जाग गया तो वो बोली- “एक बार फिर से चोद दो…”
मैंने कहा- “क्यों श्रीमती जी, अब चुदवाने में मज़ा आने लगा है?”
वो बोली- “हाँ… अब तो मैं चाहती हूँ की तुम मुझे सारा दिन चोदते रहो…” उसने और कुछ कहे बिना ही मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
तभी डोली भाभी भी उठ गयी। डोली भाभी ने मुश्कुराते हुए कहा- “मिन्नी, तू इसका लण्ड क्यों चूस रही है?”
वो बोली- “मुझे चुदवाना है…”
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मैंने फिर से जोर लगाया तो उनके मुँह से चीख निकल गयी। मेरा लण्ड डोली भाभी की गाण्ड में अब तक चार इंच घुस चुका था। मैंने और ज्यादा अंदर घुसाने की कोशिश नहीं की। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
दो मिनट में ही डोली भाभी का दर्द जाता रहा तो वो बोली- “थोड़ा और अंदर कर दे…”
मैंने फिर से थोड़ा जोर लगाया तो वो फिर से चीखी और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में पाँच इंच तक घुस गया। तभी मिन्नी आ गयी। उसने कपड़े नहीं पहने थे। वो पहले जैसी ही सिर्फ अपनी हाई-हील की सैंडल पहने हुए एकदम नंगी थी।
उसने हम दोनों को देखा तो बोली- “दीदी, तुम भी मज़ा ले रही हो?”
डोली भाभी ने कहा- “ये तेरा बड़ी देर से इंतज़ार कर रहा था लेकिन तूने इसे बुलाया ही नहीं। इसे जोश आ गया और इसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसाना शुरू कर दिया। मैं इसे मना नहीं कर पायी…”
वो बोली- “मुझे भी फिर से चुदवाना है…”
डोली भाभी ने कहा- “तो आ जा…”
मिन्नी ने कहा- “लेकिन ये तो आपको चोदने जा रहे हैं?”
डोली भाभी ने कहा- “मेरा क्या है, मैं तो कभी भी चुदवा लूँगी। पहले तू चुदवा ले। तेरा चुदवाना ज्यादा जरूरी है। मैं तो बहुत मज़ा ले चुकी हूँ…”
मिन्नी डोली भाभी के बगल में ही घोड़ी की तरह बन गयी। मैंने अपना लण्ड डोली भाभी की गाण्ड से बाहर निकालकर मिन्नी की गाण्ड में घुसाना शुरू कर दिया। वो दर्द के मारे आहें भरने लगी। धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लण्ड मिन्नी की गाण्ड में घुस गया तो मैंने उसकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी।
वो बोली- “आगे के छेद में घुसाकर चोदो। मुझे उसमें ज्यादा मज़ा आता है…”
मैंने कहा- “थोड़ी देर पीछे के छेद की चुदाई कर लूँ फिर आगे के छेद में भी चोदूँगा…”
वो बोली- “ठीक है, जैसी तुम्हारी मरज़ी…”
मैं मिन्नी की गाण्ड मारता रहा। डोली भाभी मिन्नी से कहने लगी- “तू तो जानती है की राज़ के भैया का स्वर्गवास हुए बहुत दिन हो चुके हैं। मैंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था और मेरी इच्छा भी मर चुकी थी। लेकिन आज मैंने तेरी खुशी के लिये तेरे कहने पर इससे चुदवा लिया। इससे चुदवाने के बाद मेरी चूत और गाण्ड की आग फिर से भड़क गयी है। मैं जानती हूँ की ये बहुत ही गलत बात है लेकिन मैं अब इससे चुदवाये बिना नहीं रह सकती। अगर किसी को ये पता चल गया तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। अब तू ही बता की मैं क्या करूँ? मैं तो अब मर जाना चाहती हूँ…”
मिन्नी बोली- “दीदी, तुम ऐसा क्यों कह रही हो? तुम इनसे जी भरकर चुदवाओ और खूब मज़ा लो। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। अगर मैं तुम्हें कभी मना करूँ तो तुम मुझे ही मार डालना। ये बात किसी को नहीं पता चलेगी…”
डोली भाभी ने कहा- “फिर तू मेरी कसम खाकर कह दे की तू कभी भी किसी से नहीं कहेगी…”
मिन्नी ने अपना हाथ पीछे करके मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- “मैं तुम्हारी कसम क्यों खाऊँ? मैं अपने पति का लण्ड पकड़कर कसम खाती हूँ की मैं कभी भी किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी। अब तो आपको मेरी बात पर विश्वास हो गया…”
डोली भाभी ने कहा- “मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है…”
वो बोली- “अब इनसे कह दो की मेरी चूत में अपना लण्ड डालकर मेरी चुदाई करें। मुझे गाण्ड मरवाने में ज्यादा मज़ा नहीं आता है…”
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “सुन रहा है ना तू की मिन्नी क्या कह रही है। अब इसकी इच्छा पूरी कर…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत में घुसा दिया और उसकी चुदाई करने लगा। दो मिनट में ही वो एकदम मस्त हो गयी। उसने पूरी मस्ती के साथ मुझसे चुदवाना शुरू कर दिया। वो तेजी के साथ अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी। मैं भी पूरे जोश और ताकत के साथ उसे चोदता रहा। मिन्नी की चुदाई करते हुए मुझे लगभग तीस मिनट गुजर चुके थे। वो अब तक तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मिन्नी बोली- “दीदी, मैं थक गयी हूँ…”
डोली भाभी ने कहा- “क्यों, मज़ा नहीं आ रहा है क्या?”
वो बोली- “मज़ा तो बहुत आ रहा है लेकिन अभी मेरी चुदवाने की आदत नहीं है ना…”
डोली भाभी बोली- “फिर मैं क्या करूँ। जब राज़ झड़ जायेगा तब ही तो तुमहारी चुदाई बंद करेगा…”
वो बोली- “मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो। मैं बाद में चुदवा लूँगी…”
डोली भाभी ने कहा- “जब लण्ड खड़ा हो तो चुदाई नहीं बंद की जाती। इससे आदमी के सेहत पर बुरा असर पड़ता है…”
मिन्नी बोली- “इनसे कह दो की अब रहने दें। बाद में चोद लेंगे। तब तक तुम ही इनसे चुदवा लो…”
डोली भाभी ने कहा- “अच्छा बाबा… मैं ही चुदवा लेती हूँ…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की चूत से निकालकर डोली भाभी की गाण्ड में घुसाना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड मिन्नी की चूत के पानी से पहले से ही भीगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लण्ड डोली भाभी की गाण्ड में पाँच इंच तक घुस गया। मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी देर बाद जब मैंने देखा की डोली भाभी मस्ती में आ गयी हैं तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड भाभी की गाण्ड को चीरता हुआ सात इंच तक अंदर घुसा गया। डोली भाभी के मुँह से जोर की चीख निकली।
तो मिन्नी ने कहा- “दीदी, तुम क्यों चीख रही हो। तुम तो चुदवाने की आदी हो…”
डोली भाभी ने कहा- “मैंने आज तक अपनी गाण्ड नहीं मरवायी थी। तुम तो जानती ही हो की इसका लण्ड बहुत लंबा और मोटा है। इसलिये मुझे भी दर्द हो रहा है और मैं चीख रही हूँ। बस अभी थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो जायेगा। फिर मुझे भी तेरी तरह खूब मज़ा आने लगेगा…”
धीरे-धीरे डोली भाभी फिर से मस्ती में आ गयी। मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा। वो फिर से चीखी और मेरा लण्ड आठ इंच तक घुस गया। मैंने फिर एक धक्का मारा तो वो बुरी तरह से चीखने लगी और मेरा पूरा का पूरा लण्ड डोली भाभी की गाण्ड में समा गया। मैंने तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी ही देर में डोली भाभी शाँत हो गयी और उन्हें मज़ा आने लगा।
तभी मिन्नी बोली- “दीदी, अब मैं तैयार हूँ। इनसे कह दो की अब मुझे चोद दें…”
डोली भाभी ने कहा- “बार-बार मुझसे क्यों कहती है। तू खुद ही इससे कह दे। अब मैं इससे कुछ नहीं कहूँगी…”
मिन्नी ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- “अब तुम मुझे चोद दो…”
मैं खुश हो गया। मैंने अपना लण्ड डोली भाभी की गाण्ड से निकालकर मिन्नी की चूत में डाल दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। मिन्नी भी मेरे साथ ही साथ झड़ गयी। जैसे ही मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला तो उसने मेरा लण्ड चाटना शुरू कर दिया। मैं बहुत खुश हो गया।
डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब घिन्न नहीं आ रही है?”
वो बोली- “बिल्कुल नहीं, अब तो मुझे भी खूब मज़ा आने लगा है…”
हम सब नंगे ही सो गये। रात के 7:00 बजे मिन्नी मेरा लण्ड सहलाने लगी। मैं जाग गया तो वो बोली- “एक बार फिर से चोद दो…”
मैंने कहा- “क्यों श्रीमती जी, अब चुदवाने में मज़ा आने लगा है?”
वो बोली- “हाँ… अब तो मैं चाहती हूँ की तुम मुझे सारा दिन चोदते रहो…” उसने और कुछ कहे बिना ही मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
तभी डोली भाभी भी उठ गयी। डोली भाभी ने मुश्कुराते हुए कहा- “मिन्नी, तू इसका लण्ड क्यों चूस रही है?”
वो बोली- “मुझे चुदवाना है…”
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