मैं उनकी गोदी मे सो गई और उनके नरम होते, मुलायम होते लंड पर अपनी जीभ फिराने लगी जो मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैने उनके लंड रस का स्वाद चखा जो कि बहुत ही स्वदिस्त है. मेरी जीभ उनके लंड के मूह से ले कर नीचे तक उनकी लटकती गोलियों की थैली पर घूम रही थी.
मैं सीधी हो कर बैठ गई और उनकी तरफ देख कर मुस्कराई. वो मेरी तरफ देख रहे थे जब मैं अपनी जीन्स खोल रही थी. जब मेरी जीन्स मेरी गोल गोल मस्तानी गंद से नीचे हुई तो वो ये देख कर बहुत खुश हुए कि मैने नीचे मैने चड्डी नही पहनी है. मैने जीन्स को अपनी टाँगों से बाहर निकाला और पूरी तरह नंगी हो कर उनकी गोद मे बैठ गई. मैने उनका टी-शर्ट भी उतारा और उनकी पॅंट और चड्डी भी उतार कर उनको भी अपनी तरह पूरा नंगा कर दिया. मैं नंगी हो कर अपने नंगे पति की गोद मे बैठी थी. दोनो के नंगे बदन फिर से अपनी गर्मी एक दूसरे के बदन को देने लगे. उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा और कुछ ही देर मे पहले की तरह तन कर खड़ा हो गया.
मैं थोड़ी सी उपर होती हुई, उनके लंड को पकड़ कर अपनी गीली चूत के दरवाजे पर लगा कर जब फिर से उनकी गोद मे बैठने के लिए नीचे होने लगी तो उनका लंबा लंड मेरी गीली चूत मे घुसने लगा. मैं अपनी गंद हिला हिला कर तब तक उपर नीचे होती रही जब तक कि उनका मोटा ताज़ा लंबा लॉडा पूरे का पूरा मेरी फुद्दि मे नही घुस गया. जब मैने पाया कि उनका पूरा लंड मेरी चूत मे घुस गया है तो मैं उनका लंड अपनी चूत मे लिए उनकी गोद मे आराम से बैठ गई.
फिर धीरे धीरे मैं उनके डंडे पर अपनी गोल गोल मस्तानी गंद उपर नीचे करने लगी जिस से उनका खड़ा हुआ, सख़्त और लंबा लॉडा मेरी रसीली चूत मे अंदर बाहर होने लगा और मैं चुद्वाने लगी. मैं और मेरे पति, दोनो ऐसे ही अपनी कमर और गंद हिला रहे थे जैसे नाचारहे हो. उनका मस्त लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होता हुआ मुझे चोद्ने लगा. उनका लंड जैसे मेरी चूत की अंदर की मालिश कर रहा था. एक बार फिर मैं अपने पति से चुद्वाने लगी. मुझे पता था कि अब उनके लंड से पानी निकालने मे काफ़ी देर लगेगी और मैं उनको तो चोद्ने का पूरा मज़ा देना ही चाहती थी साथ ही साथ मैं खुद भी उनसे चुद्वाने का पूरा मज़ा लेना चाहती थी. जल्दी ही मैं तो चुद्वाते हुए झाड़ गई. उनको पता चल गया कि मैं झाड़ चुकी हूँ. वो कुछ देर के लिए रुक गये ताकि मैं अपने झड़ने का आनंद ले सकूँ और फिर उन्होने धीरे धीरे फिर से मुझे चोद्ना शुरू किया. मैने उनके लंड का पानी एक बार निकाल दिया था और मैं खुद भी चुद्वाते हुए एक बार झाड़ चुकी थी और अब दोनो दूसरी बार झड़ने की तरफ बढ़ रहे थे. मैं उनके लंड पर बैठी अपनी नंगी गांद हिलाते हुए उपर नीचे होने लगी और वो सोफा पर बैठे उपर नीचे होने लगे. परिणाम तो इसका एक ही था, वो मुझे चोद रहे थे और मैं उनसे चुद्वा रही थी.
कुछ ही देर मे मैं दूसरी बार झड़ने की तरफ बढ़ने लगी. मेरा बदन अकड़ने लगा, साँसे ज़ोर ज़ोर से चलने लगी और उनके चोद्ने और मेरे चुद्वाने की रफ़्तार भी बढ़ने लगी. उनका लंड मेरी चूत मे तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा और शिमला का बंगला हमारी चुदाई के मधुर आवाज़ों का गवाह बन गया. उनका लंबा, मोटा और ताना हुआ सख़्त चुदाई का डंडा, उनका लंड, मेरी चूत मे अंदर बाहर होता हुआ फ़चा फॅक……….. फ़चा फॅक……. फ़चा फॅक…… फ़चा फॅक.. की आवाज़ें निकालता हुआ मुझे मेरी चुदाई की मंज़िल की तरफ ले जाने लगा. मेरी जम कर, तेज़ी से मस्त चुदाई हो रही थी. मैं भी अपनी तरफ से ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत के धक्के उंले लंड पर लगा रही थी.
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
तेज……….. और तेज……… ज़ोर से………. और ज़ोर से………. प्यार की आख़िरी मंज़िल, चुदाई….. अपनी चरम सीमा पर थी और हम दोनो कभी भी अपनी मंज़िल पर पहुँच सकते थे. मैं चाहती थी कि मेरे झड़ने के साथ ही उनके लंड का रस मेरी चूत को भर दे. मैने जब महसूस किया कि उनके लंड का सूपड़ा फूल गया है तो मैं समझ गई कि मेरी चूत के अंदर जल्दी ही उनके लंड रस की बौछार होने वाली है.
“आआअहह ……. ऊऊहह… मेरा होने वाला है डार्लिंगगगगग…………….. मैं तो गई जानुउऊुुउउ………. ” मैं तो जैसे चिल्ला ही पड़ी.
मुझे पता है कि हमेशा ही, चोद्ते हुए उनके लंड से इतना पानी निकलता है कि मेरी चूत लबालब भर जाती है. अचानक, उनका बदन आकड़ा, उनकी गंद उपर हुई, उनका लंड मेरी चूत मे अंदर तक घुसा. मैं तो मज़े के मारे चिल्ला ही पड़ी जब उनके लंड ने मेरी चूत की सबसे गहरी जगह को च्छुआ और मैं बहुत ज़ोर से एक बार फिर से झाड़ गई. उनका लंड अपने गरमा गरम लंड रस की धार पे धार मेरी चूत की गहराइयों मे छोड़ने लगा. मैं एक बार फिर उनसे चुद्वाने का वही मज़ा ले रही थी जो मैने हमेशा लिया है. उन्होने मुझे कस कर पकड़ा और मुझे बेशुमार चुंबन देने लगे.
सच मे, मेरे पति बहुत अच्छे प्रेमी, मर्दाना चुदाई के चोदु और मेरा बहुत ध्यान रखने वाले इंसान है. मैं सचमुच बहुत भाग्यशाली हूँ. मैं जानती थी कि हमारी छुट्टियों के दौरान, आने वाले दो दिनो मे इस तरह की मज़ेदार, शानदार और जोरदार चुदाई कई बार होने वाली है.
हम दोनो, नंगे ही, साथ साथ बाथरूम गये और हमने गरम पानी से नहा कर हमारे लंबे सफ़र और यहाँ पर पहुँचते ही जोरदार चुदाई की थकान मिटाई.
नहाने के बाद, मेरे पति हमारे खाने के लिए कुछ लाने बाज़ार गये और मैं मैं अपने सेक्सी बदन पर, बिना ब्रा और चड्डी पहने, केवल एक सेक्सी और पारदर्शी गाउन पहने, उनके आने का इंतज़ार करने लगी.
बाहर कार की आवाज़ सुन कर मैने खिड़की से देखा तो मेरे पति कार से उतर रहे थे. मैं जल्दी से दरवाजा खोलने दौड़ी. बाहर ठंडी हवाएँ चल रही थी लेकिन बंगले के अंदर ठंड नही लग रही थी. मेरे पति अपने हाथों मे बहुत सारे खाने के पॅकेट्स ले कर कार से बाहर आए.
“आआअहह ……. ऊऊहह… मेरा होने वाला है डार्लिंगगगगग…………….. मैं तो गई जानुउऊुुउउ………. ” मैं तो जैसे चिल्ला ही पड़ी.
मुझे पता है कि हमेशा ही, चोद्ते हुए उनके लंड से इतना पानी निकलता है कि मेरी चूत लबालब भर जाती है. अचानक, उनका बदन आकड़ा, उनकी गंद उपर हुई, उनका लंड मेरी चूत मे अंदर तक घुसा. मैं तो मज़े के मारे चिल्ला ही पड़ी जब उनके लंड ने मेरी चूत की सबसे गहरी जगह को च्छुआ और मैं बहुत ज़ोर से एक बार फिर से झाड़ गई. उनका लंड अपने गरमा गरम लंड रस की धार पे धार मेरी चूत की गहराइयों मे छोड़ने लगा. मैं एक बार फिर उनसे चुद्वाने का वही मज़ा ले रही थी जो मैने हमेशा लिया है. उन्होने मुझे कस कर पकड़ा और मुझे बेशुमार चुंबन देने लगे.
सच मे, मेरे पति बहुत अच्छे प्रेमी, मर्दाना चुदाई के चोदु और मेरा बहुत ध्यान रखने वाले इंसान है. मैं सचमुच बहुत भाग्यशाली हूँ. मैं जानती थी कि हमारी छुट्टियों के दौरान, आने वाले दो दिनो मे इस तरह की मज़ेदार, शानदार और जोरदार चुदाई कई बार होने वाली है.
हम दोनो, नंगे ही, साथ साथ बाथरूम गये और हमने गरम पानी से नहा कर हमारे लंबे सफ़र और यहाँ पर पहुँचते ही जोरदार चुदाई की थकान मिटाई.
नहाने के बाद, मेरे पति हमारे खाने के लिए कुछ लाने बाज़ार गये और मैं मैं अपने सेक्सी बदन पर, बिना ब्रा और चड्डी पहने, केवल एक सेक्सी और पारदर्शी गाउन पहने, उनके आने का इंतज़ार करने लगी.
बाहर कार की आवाज़ सुन कर मैने खिड़की से देखा तो मेरे पति कार से उतर रहे थे. मैं जल्दी से दरवाजा खोलने दौड़ी. बाहर ठंडी हवाएँ चल रही थी लेकिन बंगले के अंदर ठंड नही लग रही थी. मेरे पति अपने हाथों मे बहुत सारे खाने के पॅकेट्स ले कर कार से बाहर आए.
Re: जुली को मिल गई मूली
हमने अपना रात का खाना खूबसूरती से सजे बेड रूम मे खाया. खाना खा कर हम दोनो हमेशा की तरह, अपन बदन को कपड़ों की क़ैद से आज़ाद किया और नंगे हो कर गरम कंबल मे घुस गये. आप की जानकारी के लिए बता दूं कि मुझे याद नही है कि पिच्छली बार कब हम रात को बिस्तर मे कोई कपड़ा पहने सोए थे. लंबे सफ़र की वजह से और यहाँ पहुँचते ही जोरदार चुदाई की वजह से हम दोनो ही थके हुए थे और एक दूसरे के नंगे बदन को बाहों मे समाए ना जाने कब बातें करते करते हमारी आँख लग गई.
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मेरे पति अभी भी गहरी नींद मे है और उनके होठों पर मुस्कराहट है. शायद वो कोई सुहाना सपना देख रहे थे. सपने से मुझे याद आया कि मैने भी रात को कितना सुहाना सपना देखा था. मेरे सपने को याद करते हुए मैं भी मुस्करा पड़ी. मैं बिस्तर से बाहर आई, ठंड से बचने के लिए अपना गाउन पहना, वरना मुझे नंगा रहने मे कोई शर्म नही है. मैने रसोई मे देखा कि चाइ बनाने का पूरा समान मौजूद है तो मैने चाइ बनानी शुरू की और रात को देखे सपने मे फिर से एक बार खो गई. क्या शानदार सपना देखा था मैने. मैं उसको फिर एक बार महसूस करना चाहती थी इसलिए मैं पूरी तरह अपने सपने मे गुम हो गई.
मेरी आँख गर्मी लगने की वजह से खुल गई थी. मैने देखा की मेरा बदन पसीने से भीगा हुआ है. मेरी साँसें तेज चल रही है. मेरी चूत पूरी तरह से गीली थी और मेरी चूत का रस तो जैसे टपक टपक कर मेरी टाँगों के जोड़ को गीला कर चुका था. मेरी चुचियों के दोनो निप्पल्स तन कर खड़ी थी जैसे चुसवाने के लिए बेचैन थी. मैने जब अपने बदन से चादर हटाई तो ठंडी हवा का झोंका मेरे बदन से टकराया और मैं सिहर उठी.
ऐसा लग रहा था जैसे मैं बुखार मे तप रही थी. अपने अंदर की गर्मी को शांत करने का मेरे पास केवल एक ही रास्ता था. मैं अपने बिस्तर से बाहर आई और नंगी ही चलती हुई घर के पिच्छले दरवाजे की तरफ बढ़ी. मैने पिच्छला दरवाजा खोल कर बाहर कदम रखा. बाहर की ताज़ी और ठंडी हवा मेरे नंगे बदन से टकराई तो मुझे बहुत सुकून मिला. मेरी दोनो निप्पल और भी तन कर कड़क हो गई. ठंडी हवा का झोंका मेरे चारों होठों से टकराया. दो मेरे उपर के, मूह के होंठ और दो मेरे नीचे के चूत के होंठ. मैने अपनी दो उंगलियों की मदद से अपनी चूत के दोनो होंठ खोले ताकि बाहर की ठंडी हवा की ठंडक मेरी गीली चूत तक पहुँचे.
मेरे मूह से आह सी निकल गई जब बाहर की ठंडी हवा मेरी खुली हुई चूत के अन्द्रुनि भाग तक पहुँची. ऐसा लगा कि किसी की प्यारी सी जीभ मेरी चूत और मेरी चूत के दाने को चूस रही है. मैने अपनी उंगली से अपनी चूत के तने हुए दाने को सहलाया तो मेरा मज़ा और भी बढ़ गया. बाहर की ठंडी हवा मे मेरे सेक्सी बदन की गर्मी कम होने की बजाय और बढ़ गई. मैने अपनी आँखें बंद की तो ख़यालों मे देखा की मेरे पति वहाँ मौजूद है, मुझे देख रहे है, मुझे च्छू रहे है, तो मेरी चुदाई की चाहत और भी ज़ोर मारने लगी. मुझे लग रहा था जैसे मेरे पति के कोमल होंठ मेरी फुददी के कोमल के कोमल और गीले होंठों पर है. उनकी जीभ मेरे तने हुए चूत के दाने से खिलवाड़ कर रही है. उन्होने जब अपनी उंगली मेरी गरमा गरम चूत मे डाली तो मैं सिहर उठी. उनकी उंगली मेरी चूत मे बहुत ही सेक्सी अंदाज़ मे फिरने लगी. मेरे घुटने अपने आप ही मुड़ने लगे तो उन्होने जैसे मुझे थाम लिया.
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मेरे पति अभी भी गहरी नींद मे है और उनके होठों पर मुस्कराहट है. शायद वो कोई सुहाना सपना देख रहे थे. सपने से मुझे याद आया कि मैने भी रात को कितना सुहाना सपना देखा था. मेरे सपने को याद करते हुए मैं भी मुस्करा पड़ी. मैं बिस्तर से बाहर आई, ठंड से बचने के लिए अपना गाउन पहना, वरना मुझे नंगा रहने मे कोई शर्म नही है. मैने रसोई मे देखा कि चाइ बनाने का पूरा समान मौजूद है तो मैने चाइ बनानी शुरू की और रात को देखे सपने मे फिर से एक बार खो गई. क्या शानदार सपना देखा था मैने. मैं उसको फिर एक बार महसूस करना चाहती थी इसलिए मैं पूरी तरह अपने सपने मे गुम हो गई.
मेरी आँख गर्मी लगने की वजह से खुल गई थी. मैने देखा की मेरा बदन पसीने से भीगा हुआ है. मेरी साँसें तेज चल रही है. मेरी चूत पूरी तरह से गीली थी और मेरी चूत का रस तो जैसे टपक टपक कर मेरी टाँगों के जोड़ को गीला कर चुका था. मेरी चुचियों के दोनो निप्पल्स तन कर खड़ी थी जैसे चुसवाने के लिए बेचैन थी. मैने जब अपने बदन से चादर हटाई तो ठंडी हवा का झोंका मेरे बदन से टकराया और मैं सिहर उठी.
ऐसा लग रहा था जैसे मैं बुखार मे तप रही थी. अपने अंदर की गर्मी को शांत करने का मेरे पास केवल एक ही रास्ता था. मैं अपने बिस्तर से बाहर आई और नंगी ही चलती हुई घर के पिच्छले दरवाजे की तरफ बढ़ी. मैने पिच्छला दरवाजा खोल कर बाहर कदम रखा. बाहर की ताज़ी और ठंडी हवा मेरे नंगे बदन से टकराई तो मुझे बहुत सुकून मिला. मेरी दोनो निप्पल और भी तन कर कड़क हो गई. ठंडी हवा का झोंका मेरे चारों होठों से टकराया. दो मेरे उपर के, मूह के होंठ और दो मेरे नीचे के चूत के होंठ. मैने अपनी दो उंगलियों की मदद से अपनी चूत के दोनो होंठ खोले ताकि बाहर की ठंडी हवा की ठंडक मेरी गीली चूत तक पहुँचे.
मेरे मूह से आह सी निकल गई जब बाहर की ठंडी हवा मेरी खुली हुई चूत के अन्द्रुनि भाग तक पहुँची. ऐसा लगा कि किसी की प्यारी सी जीभ मेरी चूत और मेरी चूत के दाने को चूस रही है. मैने अपनी उंगली से अपनी चूत के तने हुए दाने को सहलाया तो मेरा मज़ा और भी बढ़ गया. बाहर की ठंडी हवा मे मेरे सेक्सी बदन की गर्मी कम होने की बजाय और बढ़ गई. मैने अपनी आँखें बंद की तो ख़यालों मे देखा की मेरे पति वहाँ मौजूद है, मुझे देख रहे है, मुझे च्छू रहे है, तो मेरी चुदाई की चाहत और भी ज़ोर मारने लगी. मुझे लग रहा था जैसे मेरे पति के कोमल होंठ मेरी फुददी के कोमल के कोमल और गीले होंठों पर है. उनकी जीभ मेरे तने हुए चूत के दाने से खिलवाड़ कर रही है. उन्होने जब अपनी उंगली मेरी गरमा गरम चूत मे डाली तो मैं सिहर उठी. उनकी उंगली मेरी चूत मे बहुत ही सेक्सी अंदाज़ मे फिरने लगी. मेरे घुटने अपने आप ही मुड़ने लगे तो उन्होने जैसे मुझे थाम लिया.