मेरा अपना एक हाथ मेरी अपनी तनी हुई निप्पल पर पहुँच कर उसके साथ खेलने लगा तो मेरा दूसरा हाथ मेरी टपकती चूत तक पहुँच गया. मुझे लग रहा था जैसे मेरे पति ने मेरी बहती चूत से अपनी उंगली निकाल कर अपनी जीभ मेरी फुद्दि मे घुसा दी है. वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद रहे थे जैसे उनकी जीभ लंड मे बदल गई हो.
मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं जल्दी ही अपने झड़ने के करीब पहुँच गई. मेरा मज़ा बढ़ता ही जा रहा था और मैं घर के पिच्छवाड़े मे, नंगे फर्श पर, अपना नंगा पिच्छवाड़ा टिका कर बैठ गई. मेरी साँसे बहुत तेज़ी से चलने लगी. तभी मैने महसूस किया कि मेरे पति वहाँ नही है. ये तो सिर्फ़ मेरा ख़याल था. मेरी अपनी उंगली मेरी चूत मे घुसी हुई है और मैं खुद ही अपनी उंगली से अपनी चूत को चोद रही हूँ. अचानक, एक झटके के साथ मैं झाड़ गई. मेरी सारी गर्मी निकल चुकी थी और अब मुझे बाहर के ठंडे मौसम मे ठंड लगने लगी थी. मैं घर के अंदर आने को मूडी………..
और उबलते पानी की आवाज़ से मेरा ध्यान भंग हुआ. मैं अपने सपने की दुनिया से बाहर आई. हे भगवान…… कितना प्यारा और कितना सेक्सी चुड़क्कड़ सपना था. इतना सेक्सी सपना था कि उस वक़्त चाई बनाते हुए, सुबह तक मैं गरम थी और मेरी चूत तो जैसे टपक रही थी.
मैं अपने दोनो हाथों मे चाइ के दो कप लेकर बेड रूम मे पहुँची. मैने देखा कि मेरे पति जागे हुए है. शायद मेरी सुबह की चाइ बनाने से हुई हलचल से उनकी आँख खुल गई थी. हम एक दूसरे को प्यार से देखते हुए चाइ पीने लगे. मैं जानती थी कि चाइ ख़तम होते ही हमारे बीच क्या होने वाला है, क्यों कि रात को थकान की वजह से हमारे बीच चुदाई नही हुई थी. और मैने जो सोचा था वो शुरू हो चुका था. मैं तो अपना पारदर्शी गाउन पहने थी मगर वो पूरी तरह नंगे थे जैसे रात को सोए थे. मैं खड़ी थी, मेरे पिछे दीवार थी और आगे मेरे नंगे चुड़क्कड़ पति. अपनी जांघों पर उनके खड़े लंड की चुभन महसूस करते ही मैं समझ गई थी कि वो चुदाई के लिए पूरी तरह तय्यार है. उन्होने मेरी गर्दन के दोनो तरफ चुंबन किया और मेरे सेक्सी बदन की सुगंध ली. मेरे बदन की खुश्बू उन्हे बहुत पसंद है. उन्होने मेरे बदन से गाउन उतार कर मुझे भी अपनी तरह नंगा कर दिया. उनके नरम होठों को अपने बदन पर पा कर मैं सिहर उठी. कई बार उन्होने अपने मूह से मेरी चुचियाँ और और मेरी तनी हुई निप्पल्स को चूसा. थोड़ी ही देर मे वो नीचे झुके और अपने घुटनो के बल बैठ गये तो मेरी रसीली चूत उनके मूह के सामने थी.
मैने अपनी टांगे चौड़ी की ताकि उनको अपनी टपकती चूत के रस का स्वाद दे सकूँ. मैं तो रात के अपने सेक्सी सपने और सुबह उस को याद करके पहले से ही काफ़ी गरम थी. मेरी चूत को रस से लबालब भरा पा कर उन्होने तुरंत ही चूत का रस पान किया. वो मेरी चूत इस तरह चूस रहे थे कि पहले सी गरम मैं जल्दी ही झड़ने के लिए तय्यार थी. मेरे मूह से आनंद की वजह से ज़ोर ज़ोर से सेक्सी आवाज़ें निकलने लगी. उनकी जीभ मेरी रसीली फुद्दि मे घूम रही थी. फिर वो खड़े हो गये और मेरे होठों पर अपने होंठ रखे तो मैने खुद की चूत से निकले रस का स्वाद उनके होठों पर से लिया. मैने चुदाई की चाह मे अपना सेक्सी नंगा बदन उनके सेक्सी नंगे बदन से ज़ोर ज़ोर से रगड़ा. एक दूसरे से लिपटे हुए हम बिस्तर की तरफ बढ़े. मैं अपनी पीठ के बल, सीधी लेटी हुई उनके तन्तनाते हुए, मोटे और लंबे, चुदाई के औज़ार, उनके लौडे की तरफ देखने लगी. दिन की रोशनी मे मैने उनके लौडे के मूह, सूपदे को गीला देखा तो मेरा मूह उनका लंड चूसने को मचल उठा.
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
जब तक वो बिस्तर पर चढ़े, मैं उनकी तरफ ही देख रही थी. वो मेरी बगल मे लेट गये तो मैं करवट ले कर उनके उपर सवार हो गई. उनका खड़ा हुआ लंड मेरी टाँगों के बीच मे था और मैने उनकी गर्दन से अपने चुंबन की शुरुआत की और उनके सेक्सी नंगे बदन को उपर से चूमते हुए नीचे आने लगी. जल्दी ही मेरा मूह उनके तने हुए लौडे पर पहुँचा तो वो मेरे मूह की पकड़ मे था. मेरी नंगी और सेक्सी चुचियाँ उनके नंगे बदन से रगड़ खा रही थी. मैने उनके लंड को अपने मूह की पकड़ से आज़ाद किया और उनके लंड के मूह पर एक चुंबन दिया. उनके लौडे को हाथ मे पकड़ कर मैं बैठी और उनके डंडे को गीली और गरम चूत के दरवाजे पर लगाया. जब मैने अपनी गंद नीचे की तो उनका लंबा लंड फिसलता हुआ मेरी चूत मे घुसने लगा. मैं उनके लंड को अपनी चूत मे लिए, अपनी गंद को गोल गोल, उपर नीचे करने लगी और इस तरह उनका लंड मेरी चूत मे उतरने लगा.
उन्होने अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ कर ज़ोर से दबाया. अब तक मेरी चूत मे उनका लंड पूरी तरह घुस चुका था और मैं उनके लंड पर बैठी अपनी गंद धीरे धीरे हिलाने लगी. मैं चाहती थी कि वक़्त वहीं रुक जाए.
हमारी साँसें तेज होने लगी और उस ठंडे मौसम मे भी हमे गर्मी लगने लगी. हम दोनो की गंद उपर नीचे ……. उपर नीचे हिल रही थी और साथ ही साथ उनका चुदाई का डंडा मेरी चूत मे आ जा रहा था. मैं तो जल्दी ही झाड़ भी चुकी थी परंतु उनके लंड का पानी उनके बदन मे बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था. मेरे झड़ने की वजह से कुछ देर मेरी चुदाई बंद हुई पर जल्दी ही फिर से शुरू हो गई. इस बार तेज़ी से, ज़ोर ज़ोर से. मैं अपनी गंद हवा मे उठाकर, हाथ उनकी छाती पर रख कर, उनके लंड पर बैठ कर चुद्वा रही थी. और वो नीचे से, अपनी गंद उपर नीचे करके तेज़ी से मेरी चुत चोद रहे थे. उनका लॉडा इतनी तेज़ी से मेरी चूत मे आ जा रहा था जैसे कोई मशीन हो. चुदाई की सेक्सी आवाज़ें लंड और चूत के मिलन से निकल रही थी… फ़चा फॅक…… फ़चा फॅक…… और हमारे मूह से निकलती सेक्सी आवाज़ें, दोनो मिल कर माहौल को और भी सेक्सी बना रही थी.
मैं अपने झड़ने की मंज़िल पर फिर एक बार पहुँच रही थी और वो भी अपने लंड से प्यार के पानी की बरसात करने से ज़्यादा दूर नही थे. चुदाई अपनी चरम सीमा पर थी और अचानक ही मेरी चूत ने झाड़ कर जवाब दे दिया. उनके मूह से भी एक सेक्सी चीख निकली और हम लिपट गये. उनके लंड ने अपना प्रेम रस मेरी चूत मे बरसाना शुरू कर दिया था. उनका लंड रस मेरी चूत के सब से अन्द्रुनि हिस्से से टकरा कर, मेरी चूत के रस मे घुल मिल कर मेरी चूत से बाहर टपकने लगा.
उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली गीली हो चुकी थी पर मेरी चूत जो थी कि बहती ही जा रही थी. उन्होने मुझे पकड़ कर अपने उपर खींच लिया और हम दोनो के होंठ आपस मे मिल गये, जुड़ गये. उनकी जीभ मेरे मूह मे नाच रही थी और उनका लंड मेरी चूत मे नाच रहा था.
चुंबन ख़तम होने के बाद मैं उनके बदन से नीचे उतरी तो उनका नरम पड़ता लॉडा मेरी चूत से बाहर निकल गया. मेरी तरफ घूम कर मेरे पति ने मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उनकी बाहों मे मैं अपने आप को सब से सुरक्षित, सब से अधिक भाग्यशाली समझ रही थी.
उन्होने अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ कर ज़ोर से दबाया. अब तक मेरी चूत मे उनका लंड पूरी तरह घुस चुका था और मैं उनके लंड पर बैठी अपनी गंद धीरे धीरे हिलाने लगी. मैं चाहती थी कि वक़्त वहीं रुक जाए.
हमारी साँसें तेज होने लगी और उस ठंडे मौसम मे भी हमे गर्मी लगने लगी. हम दोनो की गंद उपर नीचे ……. उपर नीचे हिल रही थी और साथ ही साथ उनका चुदाई का डंडा मेरी चूत मे आ जा रहा था. मैं तो जल्दी ही झाड़ भी चुकी थी परंतु उनके लंड का पानी उनके बदन मे बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था. मेरे झड़ने की वजह से कुछ देर मेरी चुदाई बंद हुई पर जल्दी ही फिर से शुरू हो गई. इस बार तेज़ी से, ज़ोर ज़ोर से. मैं अपनी गंद हवा मे उठाकर, हाथ उनकी छाती पर रख कर, उनके लंड पर बैठ कर चुद्वा रही थी. और वो नीचे से, अपनी गंद उपर नीचे करके तेज़ी से मेरी चुत चोद रहे थे. उनका लॉडा इतनी तेज़ी से मेरी चूत मे आ जा रहा था जैसे कोई मशीन हो. चुदाई की सेक्सी आवाज़ें लंड और चूत के मिलन से निकल रही थी… फ़चा फॅक…… फ़चा फॅक…… और हमारे मूह से निकलती सेक्सी आवाज़ें, दोनो मिल कर माहौल को और भी सेक्सी बना रही थी.
मैं अपने झड़ने की मंज़िल पर फिर एक बार पहुँच रही थी और वो भी अपने लंड से प्यार के पानी की बरसात करने से ज़्यादा दूर नही थे. चुदाई अपनी चरम सीमा पर थी और अचानक ही मेरी चूत ने झाड़ कर जवाब दे दिया. उनके मूह से भी एक सेक्सी चीख निकली और हम लिपट गये. उनके लंड ने अपना प्रेम रस मेरी चूत मे बरसाना शुरू कर दिया था. उनका लंड रस मेरी चूत के सब से अन्द्रुनि हिस्से से टकरा कर, मेरी चूत के रस मे घुल मिल कर मेरी चूत से बाहर टपकने लगा.
उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली गीली हो चुकी थी पर मेरी चूत जो थी कि बहती ही जा रही थी. उन्होने मुझे पकड़ कर अपने उपर खींच लिया और हम दोनो के होंठ आपस मे मिल गये, जुड़ गये. उनकी जीभ मेरे मूह मे नाच रही थी और उनका लंड मेरी चूत मे नाच रहा था.
चुंबन ख़तम होने के बाद मैं उनके बदन से नीचे उतरी तो उनका नरम पड़ता लॉडा मेरी चूत से बाहर निकल गया. मेरी तरफ घूम कर मेरे पति ने मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उनकी बाहों मे मैं अपने आप को सब से सुरक्षित, सब से अधिक भाग्यशाली समझ रही थी.
Re: जुली को मिल गई मूली
हम ने साथ साथ स्नान किया और सुबह का नाश्ता करने के बाद घूमने निकल गये. मौसम बहुत ही खूबसूरत, सुहाना और ठंडा था. अपने प्यारे पाठकों के सामने मैं स्वीकार करती हूँ कि हम दोनो ने बहुत कोशिश की के कम से कम एक बार, शिमला के खुले आसमान के नीचे चुदाई करने की, मगर कोई मौका नही मिला. हर जगह घूमने वालों की काफ़ी भीड़ थी. कहीं भी, थोड़ा सा भी अकेलापन, एकांत नही मिला. खैर, हमने सोचा, अगली बार ही सही.
रात को बाहर ही खाना खाने के बाद हम बंगले मे वापस आए. काफ़ी रात हो चुकी थी इसलिए हमने अपने अपने कपड़े उतारे और नंगे हो कर बिस्तर मे घुस गये. चुदाई से तो हम ज़्यादा देर दूर रह नही सकते थे. तो उस रात, बिना समय बर्बाद किए, उन्होने मेरी चूत मे अपना लंड घुसाया और सीधे मुझे चोद्ना शुरू कर दिया. कहने को तो ये फटा फट चुदाई थी और उन्होने जो एक बार मुझे चोद्ना शुरू किया तो फिर अपने लौडे से पानी निकलने तक मुझे लगातार चोद्ते रहे. और उस बीच मैं चुद्वाती हुई तीन बार झाड़ चुकी थी. चुदाई ख़तम होने के बाद कब हमको नींद आ गई, ये पता ही नही चला.
अपने नंगे जिस्म पर उनके होठों का चुंबन महसूस करते ही मेरी आँख खुल गई. उनके चुंबन से मेरे रोएँ खड़े हो गये. मेरी नंगी चुचियों की मालिश उनके हाथों से हुई तो मुझे बहुत मज़ा आया. मेरा बदन गरम हो चुका था और बदन की गर्मी मेरी चूत से निकलने लगी जिसने मेरे पैरों के जोड़ को गीला कर दिया था. उनका हाथ मेरी गीली चूत पर पहुँचा तो जैसे मेरी चूत बरसने लगी. चुदाई का समय हो चुका था.
वो नीचे हुए और मेरी चूत को चूमने लगे.
” बोलो जूली ! तुम कितनी देर चाहती हो की मैं तुम्हारी चूत चूमता रहूं? ” वो धीरे से फुसफुसाए.
” डार्लिंग ! चूमते रहो……. चाट ते रहो….. चूस्ते रहो. ” मैं बोली.
उन्होने अब शरारत करनी शुरू कर दी. मुझे सताने मे उन्हे बहुत मज़ा आता है. मैं उनका मूह अपनी चूत पर चाहती थी और वो अपना मूह वहाँ से हटा कर मेरे पेट को, मेरी नाभि को चूमने लगे. मुझे चूमते हुए वो नीचे की बजाय उपर की ओर बढ़ रहे थे. अब तक वो मेरी चुचियों तक पहुँच चुके थे. मेरी दोनो निप्पल खड़ी हो कर उनको चूसने का निमंत्रण देने लगी. उन्होने अपनी जीभ मेरी तनी हुई एक निप्पल के चारों तरफ घुमाई और उसे मूह मे ले कर किसी बच्चे की तरह चूसने लगे. काफ़ी देर तक एक के बाद मेरी दूसरी निप्पल चूसने के बाद उन्होने अपना सिर उठाया और बोले -
“जूली ! तुम ने अभी तक नही बताया कि तुम अपनी चूत चुसवाने के लिए कितनी बेचैन हो.”
मैं बोली – ” चूसो मेरी चूत को डार्लिंग! मैं तो मरी जा रही हूँ अपनी चूत चुसवाने के लिए. मैं तो चाहती हूँ कि तुम्हारी जादूगर जीभ मेरी चूत से कभी बाहर ही ना निकले.”
मेरी चाहत मेरे मूह से सुन कर उनका ध्यान फिर से मेरी चूत पर गया और उन्होने नीचे हो कर अपनी जीभ मेरी रसीली फुददी के अंदर डाल दी. उनकी जादूगर जीभ मेरी चूत के अंदर सेक्सी तरीके से गोल गोल घूमने लगी. मेरे मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी और वो मेरी चूत चूस्ते जा रहे थे, चाट ते जा रहे थे. मैं बार बार अपनी गंद आगे कर के अपनी चूत उनके मूह पर दबाने लगी. अब तो उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर बाहर हो कर किसी लंड की तरह मेरी चूत को चोद्ने लगी. जितनी तेज़ी से उनकी जीभ मेरी चूत मे घूम रही थी, उतनी ही तेज़ी से मेरी चूत से और रस निकलने लगा.
और जब मैं झड़ने ही वाली थी, तो अचानक ही उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत से बाहर निकाल ली. मैने अपनी चूत को उनके मूह पर दबाने की पूरी कोशिश की पर वो मेरी चूत की पहुँच से बाहर हो गये. लगता था कि आज वो मुझे सताने के मूड मे थे. पर मैं भी कहाँ उनका पीछा चुद्वाने के पहले छ्चोड़ने वाली थी.
रात को बाहर ही खाना खाने के बाद हम बंगले मे वापस आए. काफ़ी रात हो चुकी थी इसलिए हमने अपने अपने कपड़े उतारे और नंगे हो कर बिस्तर मे घुस गये. चुदाई से तो हम ज़्यादा देर दूर रह नही सकते थे. तो उस रात, बिना समय बर्बाद किए, उन्होने मेरी चूत मे अपना लंड घुसाया और सीधे मुझे चोद्ना शुरू कर दिया. कहने को तो ये फटा फट चुदाई थी और उन्होने जो एक बार मुझे चोद्ना शुरू किया तो फिर अपने लौडे से पानी निकलने तक मुझे लगातार चोद्ते रहे. और उस बीच मैं चुद्वाती हुई तीन बार झाड़ चुकी थी. चुदाई ख़तम होने के बाद कब हमको नींद आ गई, ये पता ही नही चला.
अपने नंगे जिस्म पर उनके होठों का चुंबन महसूस करते ही मेरी आँख खुल गई. उनके चुंबन से मेरे रोएँ खड़े हो गये. मेरी नंगी चुचियों की मालिश उनके हाथों से हुई तो मुझे बहुत मज़ा आया. मेरा बदन गरम हो चुका था और बदन की गर्मी मेरी चूत से निकलने लगी जिसने मेरे पैरों के जोड़ को गीला कर दिया था. उनका हाथ मेरी गीली चूत पर पहुँचा तो जैसे मेरी चूत बरसने लगी. चुदाई का समय हो चुका था.
वो नीचे हुए और मेरी चूत को चूमने लगे.
” बोलो जूली ! तुम कितनी देर चाहती हो की मैं तुम्हारी चूत चूमता रहूं? ” वो धीरे से फुसफुसाए.
” डार्लिंग ! चूमते रहो……. चाट ते रहो….. चूस्ते रहो. ” मैं बोली.
उन्होने अब शरारत करनी शुरू कर दी. मुझे सताने मे उन्हे बहुत मज़ा आता है. मैं उनका मूह अपनी चूत पर चाहती थी और वो अपना मूह वहाँ से हटा कर मेरे पेट को, मेरी नाभि को चूमने लगे. मुझे चूमते हुए वो नीचे की बजाय उपर की ओर बढ़ रहे थे. अब तक वो मेरी चुचियों तक पहुँच चुके थे. मेरी दोनो निप्पल खड़ी हो कर उनको चूसने का निमंत्रण देने लगी. उन्होने अपनी जीभ मेरी तनी हुई एक निप्पल के चारों तरफ घुमाई और उसे मूह मे ले कर किसी बच्चे की तरह चूसने लगे. काफ़ी देर तक एक के बाद मेरी दूसरी निप्पल चूसने के बाद उन्होने अपना सिर उठाया और बोले -
“जूली ! तुम ने अभी तक नही बताया कि तुम अपनी चूत चुसवाने के लिए कितनी बेचैन हो.”
मैं बोली – ” चूसो मेरी चूत को डार्लिंग! मैं तो मरी जा रही हूँ अपनी चूत चुसवाने के लिए. मैं तो चाहती हूँ कि तुम्हारी जादूगर जीभ मेरी चूत से कभी बाहर ही ना निकले.”
मेरी चाहत मेरे मूह से सुन कर उनका ध्यान फिर से मेरी चूत पर गया और उन्होने नीचे हो कर अपनी जीभ मेरी रसीली फुददी के अंदर डाल दी. उनकी जादूगर जीभ मेरी चूत के अंदर सेक्सी तरीके से गोल गोल घूमने लगी. मेरे मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी और वो मेरी चूत चूस्ते जा रहे थे, चाट ते जा रहे थे. मैं बार बार अपनी गंद आगे कर के अपनी चूत उनके मूह पर दबाने लगी. अब तो उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर बाहर हो कर किसी लंड की तरह मेरी चूत को चोद्ने लगी. जितनी तेज़ी से उनकी जीभ मेरी चूत मे घूम रही थी, उतनी ही तेज़ी से मेरी चूत से और रस निकलने लगा.
और जब मैं झड़ने ही वाली थी, तो अचानक ही उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत से बाहर निकाल ली. मैने अपनी चूत को उनके मूह पर दबाने की पूरी कोशिश की पर वो मेरी चूत की पहुँच से बाहर हो गये. लगता था कि आज वो मुझे सताने के मूड मे थे. पर मैं भी कहाँ उनका पीछा चुद्वाने के पहले छ्चोड़ने वाली थी.