एक अनोखा बंधन

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The Romantic
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Re: एक अनोखा बंधन

Unread post by The Romantic » 25 Dec 2014 22:53

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अब आगे ....

फोन पे बात होने के बाद पिताजी ने मुझसे बात की;

पिताजी: बेटा मुझे रात की train से गाँव निकलना होगा| पता नहीं कितने दिन लगेंगे...अब तुझे ही सारा काम देखना होगा!

मैं: जी ठीक है...पर आपको इस समस्या का हल निकालना होगा| चन्दर भैया ना तो शराब छोड़ सकते हैं और ना ही इन्हें (भौजी) मारना पीटना...ऐसे में बच्चों का क्या होगा? उनका भविष्य ....खराब कर देगा ये इंसान!

पिताजी: बेटा तू चिंता ना कर ...सब ठीक हो जायेगा| मेरी गैरहाजरी में तुझे सारा काम सम्भालना पड़ेगा| चन्दर भैया का भी...!!!

मैं: पिताजी...एक बात कहना चाहता हूँ|

पिताजी: हाँ..हाँ बोल?

मैं: पिताजी...मैं चाहता हूँ की चन्दर भैया के काम से जो भी प्रॉफिट हो उसकी मैं आयुष और नेहा के नाम की FD बना दूँ|

पिताजी: अच्छा विचार है बेटा! पर मैं सोच रहा था किहम गाडी ले लें| पर ये विचार बहुत अच्छा है...यही होगा| तू अपने साथ भौजी को ले कर बैंक जईओ और FD करा दिओ|

मैं: जी बेहतर!

मेरी बात सुन भौजी मेरी तरफ देख रहीं थीं| मैं नाश्ता करके मैं पिताजी के साथ सीधा काम पे निकल गया|रात को पिताजी ने गाडी पकड़नी थी.... पर मैं उन्हें छोड़ने स्टेशन नहीं जा पाया| काम में फंस गया था...और घर भी नहीं जा पाया| भौजी का रात को फोन आया था और वो मुझे बला भी रहीं थी ...पर मैंने उन्हें समझा दिया| बच्चों ने उनकी नाक में डीएम कर रखा था ..फिर मेरी बच्चों से बात हुई और मेरे समझाने पे और एक कहानी सुनने के बाद दोनों मान गए| उस रात दो बजे तक हम बात करते रहे| अगले दिन मैं सुबह छः बजे घर आया और नहा-धो के सो गया| दोपहर को उठा और फिर भाग गया| इसी तरह दौड़-भाग करते-करते करवाचौथ में 1 दिन रह गया| इधर चन्दर भैया का कुछ पता नहीं था...वो घर ना जाके मामा जी के घर टिके हुए थे| शायद अपने जुगाड़ को पेल रहे थे! पिताजी ने और बड़के दादा ने मिलके उन्हें घर बुलाया तब भी वो नहीं आये... आगे वहां क्या हुआ मैं आपको आगे चल के बताऊँगा| करवाचौथ में एक दिन रह गए थे और इधर भौजी ने मुझे के बात साफ़ कर दी थी|

भौजी: जानू...मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ|

मैं: जी कहिये!

भौजी: अब तक मैं हर करवाचौथ पे व्रत सिर्फ और सिर्फ आपके लिए रखती थी| मुझे उस शक्स से कभी कोई वास्ता नहीं था! हरदम आपका ही ध्यान करके मैं व्रत रखा करती थी और आपको ही याद कर के व्रत तोडा करती थी| अब इस बार मौका मिला है...तो मैं चाहती हूँ की इस बार आप मेरे सामने हो जब मैं व्रत तोडूं...बल्कि मैं व्रत तभी तोड़ूँगी जब आप मुझे अपने हाथ से पानी पिलाओगे| आप मेरी ये इच्छा पूरी करोगे?

मैं: ठीक है...तो इस बार मैं भी व्रत रखूँगा..आपके लिए!

भौजी: नहीं...आप को सारा दिन बाहर घूमना-फिरना होता है...काम करते हो....नहीं-नहीं... आप नहीं करोगे|

मैं: मैंने आपसे इजाजत नहीं माँगी है|

भौजी: पर....

मैं: मैं कुछ नहीं सुनने वाला|

भौजी: ठीक है....तो मेरी भी एक शर्त है! कल की रात आप और मैं....एक होंगें! मैं अब आप से और दूर नहीं रह सकती!

मैं: यार मैंने आपसे पहले भी कहा था की....

भौजी: (मेरी बात काटते हुए) मैं कुछ नहीं सुनुँगी .... I need You ! Please !!! मैं जानती हूँ की आपको मेरी कितनी चिंता है पर ....

मैं: ठीक है...मैं कल कंडोम ले आऊँगा|

भौजी: बिलकुल नहीं !!! इतने सालों बाद आप और हम एक होंगे और आप... You wanna use rubber or latex ...Whatever it is ....मैं परसों I-Pill ले लूँगी| But Promise me !

मैं: (गहरी सांस छोड़ते हुए) I Promise !

भौजी: Thank You!!!

और उन्होंने मुझे गले लगा लिया|

अगले दिन मैंने सरप्राइज की तैयारी कर ली थी| मैंने उस दिन आधे दिन के बाद ही सबकी छुट्टी कर दी| और मैं बारह बजे घर पहुँच गया| पिताजी कल रात को ट्रैन पकड़ के परसों आने वाले थे| घर पे सिर्फ मैं, माँ, भौजी और बच्चे थे| मैंने बच्चों को प्लान समझा दिया था और उन्होंने जिद्द करके स्कूल से छुट्टी कर ली थी| भौजी को मेरे प्लान के बारे में कुछ नहीं पता था| मैं जब घर पहुँचा तो पता चला की माँ pados में सभी औरतों के साथ हैं और भौजी को कथा सुनने के लिए चार बजे बुलाया है| पिछले एक महीने से मैं ही दिषु की गाडी घुमा रहा था...और चूँकि वो मेरा जिगरी दोस्त था...बल्कि भाई जैसा था तो उसने कभी मुझसे गाडी नहीं माँगी| पेट्रोल मैं भरा दिया करता था और उसके पास उसकी बाइक तो थी ही! खेर मैंने भौजी को तैयार पाया...वो माँ के पास जा ही रहीं थीं|

मैं: कहाँ जा रहे हो?

भौजी: माँ के पास...कथा के लिए!

मैं: वो तो चार बजे है| अभी चलो मेरे साथ?

भौजी: कहाँ?

मैं: पिक्चर देखने|

भौजी: और माँ

मैं: मैं उन्हें फोन कर देता हूँ|

मैंने माँ को फोन कर दिया की भौजी का मन बड़ा उदास है और मैं उन्हें पिक्चर ले जा रहा हूँ| माँ ने बस इतना कहा की "बेटा ध्यान रखिओ बहु का|" और मैंने "जी" बोल के फ़ोन रख दिया|

भौजी: आपने मेरे बहन मारा?

मैं: तो क्या हुआ?

भौजी: पर मेरा मन कहाँ उदास है? मैं तो खुश हूँ!

मैं: अरे यार जूठ बोला ...बस!

भौजी: क्यों बोला...माँ से जूठ मत बोला करो|

मैं: अच्छा बाबा..आज के बाद नहीं बोलूँगा|

मैं उन्हें और बच्चों को लेके घर से निकला| मैंने गाडी स्टार्ट की और मुस्कुराने लगा|

भौजी: क्या बात है?

मैं: आज पहली बार मेरी सीट पे कोई लड़की बैठी है|

भौजी कुछ बोली नहीं बस मुस्कुरा दीं| मैंने गाडी mall की तरफ घुमाई और वहाँ पहुँच के गाडी से एक पैकेट निकाला और उनहीं दिया;

भौजी: ये क्या है?

मैं: Washroom जाओ और चेंज कर के आओ|

भौजी ने पैकेट ले के खोल के देखा और मुस्कुरा दीं| बीस मिनट बाद वो चेंज कर के आईं तो वो उस दिन की तरह पटाखा लग रहीं थीं|

भौजी: आपने पहले से सब सोच रखा था|

मैं: हाँ

नेहा: मम्मी...you looking beautiful!

आयुष ने भौजी का हाथ पकड़ के उन्हें अपनी हाइट के लेवल तक झुकाया और उनके गालों को चूम लिया|

भौजी: Awwwwwww !!!

मैं: तो चलें मूवी देखने?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया| वहाँ जितने भी मौजूद लड़के थे सब उनहीं ही देख रहे थे..और शायद हमें couple समझ रहे थे| इसलिए भी क्योंकि मैंने दाढ़ी बढ़ा रखी थी| हॉल में सबसे Last Row की सबसे कोने की सीट ले रखी थी| हम सीट्स पर कुछ इस आर्डर में बैठे थे; मैं, भौजी आयुष और नेहा| पर बच्चे बीच में बैठने की जिद्द कर रहे थे...जैसे-तैसे भौजी ने उनहीं समझाया...और खाने-पीने का लालच दिया, तब जाके वो माने| अभी ads चल रहीं थीं और इधर भौजी ने मेरे सीधे हाथ के कंधे को अपना तकिया बना के अपना सर उसपे टिका दिया| मूवी चालु हुई..... इधर बच्चों ने उथल-पुथल मचा दी... आयुष को मेरी गोद में बैठना था...और उधर नेहा जिद्द करने लगी की उसे मेरे पास बैठना है| मैंने सीट्स का आर्डर चेंज किया; नेहा, आयुष, मैं और भौजी| भौजी की बगल वाली सीट पर एक आंटी बैठी थीं|

मैं: (खुसफुसाते हुए) क्या हुआ? अब क्यों नहीं सर रख रहे मेरे कंधे पर?

भौजी: बगल में आंटी बैठीं हैं!

मैं: तो? डर लग रहा है?

भौजी: नहीं तो...

फिर उन्होंने थोड़ी हिम्मत दिखाई और वापस मेरे कंधे पे सर रख के बैठ गईं| आयुष मेरी बगल में बैठा था और बड़े चाव से पिक्चर देख रहा था और नेहा अकेला न महसूस करे इसलिए मेरा दाहिना हाथ आयुष के पीछे से होता हुआ नेहा के सर पे था| मूवी शुरू हो चुकी थी और इधर भौजी की मस्तियाँ भी!

भौजी ने अचानक मेरे कान को काटा...मैंने गर्दन हिला के उनके मुन्हे से छुड़ाया तो उन्होंने मेरे गाल को Kiss करना शुरू किया| अब मेरा भी मन हो रहा था की कुछ करूँ पर....बगल में आंटी थीं तो खुद को रोक लिया| भौजी ने मेरा बायना हाथ अपने हाथों में दबा रखा था और मुझे बार-बार Kiss कर रहीं थीं|

भौजी: आप नहीं करोगे Kiss?

मैं: आंटी ने देख लिया ना ....तो...

भौजी हंसने लगीं| जब इंटरवल हुआ तब मैं तीनों को लेके बाहर आगया और पॉपकॉर्न खरीदने के लिए लाइन में लग गए|

भौजी: अपने और बच्चों के लिए लेना...मैं नहीं खा सकती|

मैं: मैं भी यहाँ सिर्फ बच्चों के लिए ही लेने के लिए लाइन में लग हूँ|

भौजी: पर....ठीक है बाबा!

मैंने अपना डेबिट कार्ड निकाल के उन्हें दिया और कहा की आप खरीदो, वो जिझकने लगीं पर मेरे दबाव देने पे मान गईं| उन्होंने दो मध्यम पॉपकॉर्न आर्डर किये और पेमेंट के लिए मैंने उनहीं समझया की कैसे कार्ड को स्वाइप करना है..फिर उन्हें PIN नंबर बताया और उनहोने पहली बार कार्ड से पेमेंट कर के कुछ खरीदा| हाँ उन्हें सीखने में करीब 3 - 4 मिनट लगे पर शुक्र है की पीछे वही आंटी कड़ी थीं और जब मैंने उनकी तरफ मूड के खा; "actually aunty आज इनका first time है|" तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा; "कोई बात नहीं बेटा"| खेर आज भौजी को ATM Card से सामान खरींदा तो आ ही गया और वो काफी excited भी लग रहीं थीं| इंटरवल के बाद हम अपनी जगह बैठे हुए थे की तभी भौजी ने फिर मस्ती शुरू कर दी| अब चूँकि मैं मजबूर था और कुछ नहीं कर सकता था तो वो इसका पूरा फायदा उठा रहीं थीं| कभी कान को काट लेती तो कभी कान को वो हिस्सा जिसमें लोग छेड़ कराते हैं उसे मुंह में भर के चूसने लगती| उन्होंने हद्द तो तब पार की जब उन्होंने मेरे outer ear में जीभ से गुड-गुड़ी की और मैं एकदम से सिहर उठा| इधर आयुष ने मुझे पॉपकॉर्न का एक टुकड़ा खिलाना चाहा तो मैंने उसे प्यार से मना कर दिया|

भौजी: देखो कितने प्यार से खिला रहा है...खा लो ना?

मैं: ना...

खेर मूवी खत्म हुई और मैं बच्चों को लेके जल्दी घर आ गया| भौजी नहा धो के तैयार हुईं और कथा के लिए समय से पहुँच गईं| घर पे मैं और बच्चे रह गए थे, बच्चों को तो मैंने गेम लग दी और मैं कल के काम के लिए बेलदार और लेबर से बात करने लगा| पूजा के बाद माँ और भौजी घर आगये| माँ ने पिताजी से फोन पे बात की पर हमें उस बारे में कुछ नहीं बताया| खेर मैं बेसब्री से चाँद देखने का इन्तेजार करने लगा| इसलिए नहीं की मैं भूखा था बल्कि इसलिए की भौजी भूखी थीं... पेट से भी और दिल से भी! मैं आयुष और नेहा को लेके छत पे डेरा डाल के बैठ गया| आँखें बस चाँद का दीदार करने को तरस रहीं थीं| इतने में माँ और भौजी ऊपर आ गए|

माँ: बेटा हमसे ज्यादा बेसब्र तो तू है...निकल आएगा चाँद| क्यों परेशान हो रहा है?

मैं: परेशान नहीं हूँ...उम्मीद लगाये बैठा हूँ की चाँद जल्दी निकल आये|

माँ और भौजी तो छत पे पड़ी कुर्सी पे बैठ गए और नेहा और आयसुह छत पे खलने लगे और मैं टंकी पे चढ़ गया और चाँद देखने लग|

भौजी: माँ देखो ना...कहाँ चढ़ गए हैं?

माँ: मानु...नीचे आज बेटा...चोट लग जाएगी|

मैं: आ रहा हूँ माँ|

मैंने एक बार और आसमान में चाँद को ढूंढा तो आखिर में वो नजर आ ही गया| मैंने जोर से चिलाया, "चाँद निकल आया"|
(और प्रेम भाई इससे पहले की आप कोई गाना लिखें मैं ही गाने के बोल लिख देता हूँ;
dekho chaand aaya, chaand nazar aaya
aaya aaya aaya chaand aaya sharmaaya
haanji aaya aaya aaya sharmaaya
tu bhi aaja saawariya
aaya aaya aaya dekho chaand nazar woh aaya
dekho chaand nazar dekho dekho ji chaand nazar woh aaya
sharmaaya aaya aaya aaya chaand aaya sharmaaya )

चूँकि पिताजी नहीं थे तो माँ और भौजी को ऐसे ही पूजा करनी थी| अब बात ये थे की भौजी चाहती थीं की उनकी पूजा मेरे साथ हो और ये माँ के सामने होना नामुमकिन था| इसलिए भौजी चुप-चाप थाली ले के खड़ी थी और माँ ने पूजा शुरू कर दी थी| मैंने नेहा को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाया....

मैंने नेहा को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाया;

मैं: बेटा मेरा एक काम करोगे?

नेहा: बोलो पापा

मैं: बेटा आप दादी को किसी बहाने से नीचे ले जाओगे?

नेहा: ठीक है!

वो माँ के पास जा रही थी और मैंने फोन निकला और जूठ में ऐसा दिखाया जैसे मैं फोन पे किसी से बात कर रहा हूँ|

नेहा: दादी...मेरा प्रोग्राम टी.वी. पे शुरू हो गया है...चलो ना ....

माँ: बेटा आपकी मम्मी पूजा कर लें फिर हम सब चलते हैं| और बहु तू खड़ी क्यों है...चल पूजा कर जल्दी|

पर नेहा ने जिद्द पकड़ ली,

माँ: मानु...बेटा ले जा इसे नीचे टी.वी. दिखा दे?

मैं: माँ...वो कल लेबर आने से मना कर रही है ...अगर कल नहीं आई तो काम ठप्प हो जायेगा...प्लीज बात करने दो...

माँ: अच्छा बाबा...चल...मैं तुझे पहले टी.वी ही दिखा दूँ|

माँ चली गईं और भौजी के चेहरे पे वही रौनक...वही ख़ुशी लौट आई| मैं हाथ बांधे खड़ा हो गया और भौजी ने पूजा शुरू की| पूजा के बाद उन्होंने मेरे पाँव छुए और मैंने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें अपने गले लग लिया| भौजी की आँखों से आँसूं छलक आये और मेरी कमीज भिगोने लगे|

मैं: Hey ...मैं हूँ ना यहाँ? फिर क्यों आँखें भर आईं आपकी?

भौजी: कुछ नहीं...बस ऐसे ही आज मेरी बरसों की एक मुराद पूरी हो गई|

मैं: अच्छा चलो ...अब आपका व्रत खोलें...चलो मेरे हाथ से पानी पीओ|

मैंने उन्हें पानी पिला के उनका व्रत खोला और उन्होंने भी मुझे पानी पिलाया और मेरा व्रत भी खुलवाया|

मैं: अब आँखें बंद करो!

भौजी: क्यों? (और उन्होंने आँखें और बड़ी कर लीं|)

मैं: अरे यार...मैंने आँखें बंद करने को कहा...बड़ी करने को नहीं|

भौजी ने आँखें बंद की और मैं उनके पीछे जाके खड़ा हो गया| मैंने जेब से सोने का मंगलसूत्र निकाला और पीछे से उन्हें पहना दिया| भौजी ने तुरंत आँखें खोली और मंगलसूत्र देखते ही उनकी आँखें बड़ी हो गईं|

भौजी: ये...आप....

मैं: Hey ... उस बार मेरे पास पैसे नहीं थे ...तो चांदी का मंगलसूत्र लाया था...अब तो पैसे कमा रहा हूँ तो ...सोने का!

भौजी: I Love You!

मैं: I Love You Too!

हम नीचे आ गए और खाना खा के सोने की बारी आ गई| बच्चे मेरे कमरे में मेरे साथ सोना चाहते थे ... चूँकि भैया गाँव गए हुए थे तो माँ ने कहा था की भौजी तीसरे कमरे (जो की गेस्ट रूम था) में सो जाया करें| मैंने बच्चों को ये कहके मना किया की आज वो मेरे और उनकी मम्मी के साथ सोयेंगे| खेर मैंने बच्चों को सुला दिया और उठ के अपने कमरे में आने के लिए दरवाजा खोला और भौजी की तरफ देखते हुए बोला;

मैं: रात बारह बजे ...

आगे मुझे कुछ बोलने की जर्रूरत नहीं पड़ी, भौजी समझ चुकीं थीं|


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Re: एक अनोखा बंधन

Unread post by The Romantic » 25 Dec 2014 22:54

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अब आगे ....

मैं अपने कमरे में आ गया और दरवाजा लॉक नहीं किया और पलंग बैठ के अपना टेबलेट ओन कर के उसमें कुछ गाने सेट करने लगा| घडी ने बारह बजाये और भौजी ने दरवाजा खोला, जैसी ही नजर उन पर पड़ी तो मैं उन्हें टकटकी लगाए देखने लगा| आज उन्होंने सिल्क की नाइटी पहनी थी| नाइटी की रॉब उनके पीछे कमर में बंधी थी| वो मुद के दरवाजा लॉक करने लगीं| मैंने पीछे से उन्हें जकड़ लिया और गोद में उठा लिया और फिर उन्होंने मेरी गोद में आते ही मुझे Kiss कर लिया| मैंने इशारे से उन्हें लाइट बुझाने को कहा| मैं उन्हें गोद में लिए स्विच बोर्ड के पास ले गया और उन्होंने लाइट ऑफ की और रेड कलर का जीरो वॉट का बल्ब जगमगा रहा था| मैंने उन्हें बीएड पे लिटाया और झुक के उनको Kiss करने लगा|उनके जिस्म से आ रही Musk Deo की खुशबु मुझे बहका रही थी|

भौजी: क्या बात है जानू बड़ा प्यार आ रहा है?

मैं: आपकी फरमाइश पूरी करने के दो रास्ते थे, एक की मैं बेमन से सब करूँ, जिसमें ना आपको मजा आता न मुझे! और दूसरा की मैं सब कुछ दिल से करूँ| तो मैंने दूसरा रास्ता चुना!

मैंने टेबलेट पे गाना प्ले कर दिया, वो गाना सिचुएशन पे बिलकुल सही बैठता था| "आज फिर तुम पे प्यार आया है - Hate Story 2!!!"


भौजी: जानू...गाना बिलकुल सूट करता है!

मैं: तभी तो लगाया है...मेरी जान!

मैं भौजी के गले को चुम रहा था और अपना सर वहां से हटाना ही नहीं चाहता था| भौजी ने अपनी बाहों को मेरी गर्दन के पीछे ले जाके लॉक कर दिया था| उनकी दिल की धड़कनें तेज हो चलीं थीं! इधर गाने ने हम दोनों पे एक सुरुर्र सा चढ़ा दिया| मैं भौजी को गर्न को चूमता हुआ वापस उनके चेहरे पे आया और उनके लबों को अपने लबों से मिला दिया| मैंने बिना देरी किये अपनी जुबान उनके मुंह में प्रवसिह करा दी और भौजी ने उसे अपनाते हुए उसे अपने दाँतों से पकड़ लिया और चूसने लगीं| इधर मेरे हाथों ने भौजी के स्तनों के ऊपर चहलकदमी शुरू कर दी थी| मैं उनकी नाइटी के ऊपर से ही उनके स्तनों को सहला रहा था और इधर भौजी ने अपनी जुबान मेरे मुंह में प्रवेश करा दी| मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया| भौजी के बदन ने मचलना शुरू कर दिया ...और एक पल के लिए लगा की शायद मैं इन्हें काबू ना कर पाऊँ| मैंने उनकी जुबान को आजाद किया और अपनी कोहनी का सहारा ले कर उनकी बगल में लेट गया| मैंने उनके चेहरे को अपने हाथ से सहलाया| मेरा हाथ जहाँ भी उनके चेहरे को छूता वो उसी तरफ अपनी गर्दन घुमा देतीं| भौजी ने अपने दायें हाथ की उँगलियाँ मेरे होठों पे रखीं...मैंने उन्हें अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा|

भौजी: आज तो स्स्स्स्स्स्स्स्स ....

मैंने उनके होठों पे ऊँगली रख दी और गाना चेंज कर दिया| "कुछ न कहो - 1942 Love Story"
भौजी मेरी आँखों में बड़े प्यारे भरे तरीक से देखने लगीं, जैसे पूछ रहीं हों की आज आपको हो क्या गया है? जैसे ही उन्होंने अपनी नाइटी का रॉब खोलना चाहा, ठीक उसी समय ये लाइन आई "समय का ये पल.... थम सा गया और सी पल में कोई नहीं है.....बस एक मैं हूँ.....बस एक तुम हो!!" और उन्होंने अपना नाइटी खोलने का प्रयास छोड़ दिया| मैं उन्हें निहारने लगा .....आज बरसों बात बड़े इत्मीनान से मैं उन्हें इस तरह निहारने लगा| कमरे का माहोल रोमांटिक हो चूका था| भौजी भी मुझे बिना पलकें झपकाये देख रहीं थीं| हमें आज कोई जल्दी नहीं थी, अभी तो पूरी रात बाकी थी! मैं: सुलगी-सुलगी सांसें...बहकी-बहकी धड़कन.......और इस पल में कोई नहीं है...बस एक मैं हूँ.....बस एक तुम हो !!!

भौजी मुस्कुरा दीं... मैंने उनके गले को फिर से चूमा! अब मैं उनके ऊपर आ गया| उनका शरीर मेरी टांगों के बीच था| मैंने उनकी कमर के नीचे हाथ ले जाकर उन रॉब खोल दिया| पर मैंने उनकी नाइटी को सामने से अभी तक नहीं खोला था...पर इधर भौजी का मन मचलने लगा था| उन्होंने मेरा टेबलेट उठाया और गण सर्च करने लगीं और फिर ये गाना लगाया; "पिया बसंती रे.....कहे सताय आ जा! जाने क्या जादू किया...."

भौजी: काहे सताए आ जा!

मैं उनका इशारा समझ चूका था और उनकी नाइटी को धीरे खोला और आज देख के हैरान था की उन्होंने आज Red कलर की ब्रा-पेंटी पहनी थी| उसे देखते ही मेरी आँखें बड़ी हो गईं और मैंने झुक के उनके सीने को चूम लिया| फिर मैं वापस उनकी बगल में कोहनी का सहारा ले के बैठ गया

मैं: एक के बाद एक Surprise दे रहे हो? नाइटी...ब्रा-पेंटी वो भी Red कलर की! आज तो आप कत्ल कर के रहोगे!

भौजी: आज के दिन की तैयारी मैंने नजाने कब से कर रखी थी|

मैंने उन्हें फिर से किश किया...और अब तक गाना खत्म हो चूका था| कमरा बिलकुल शांत था| फिर भौजी ने करवट ली और मेरे ऊपर आ के बैठ गईं|

मैं: अपनी पेंटी उतारो!

भौजी: ना ...आप उतारो|

मैंने करवट ली और उन्हें अपने नीचे ले आया;

मैं: हम्म्म्म....Naughty Girl !

फिर मैंने उनकी पेंटी उतारी और उनकी योनि को Kiss किया और वापस अपनी जगह पे पीठ के बल लेट गया|

भौजी: बस?

मैं: नहीं.. I want you to sit on my face with your legs opened!

भौजी मेरा मतलब समझ गईं और जैसा मैंने कहा वैसा ही किया| वो उठ के खड़ी हुईं और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर उकड़ूँ हो के बैठ गईं| उनकी योनि ठीक मेरे होठों के ऊपर थी| मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उनकी योनि की फांकों को खोलती हुई अंदर जा पहुंची| अंदर से उनकी योनि की गर्मी का एहसास मुझे उत्तेजित करने लगा| मैंने जीभ को उनकी योनि के अंदर गोल-गोल घुमाना चुरू कर दिया और इधर भौजी के मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं| "स्स्स्स्स्स...जानू....." फिर मैंने अपनी जीभ बहार निकाली और उनकी योनि की फांकों को बारी-बारी से मुँह में लेके चूसने लगा और उन्हें खींचने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था| भौजी ने एपीआई कमर हिलाना शुरू कर दिया था| मैंने अपनी जीभ वापस उनकी योनि में डाल दी और इस्पे उनके कमर को हिलाने से ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ मेरे लंड का काम कर रही हो और अंदर-बाहर हो रही हो| अब भौजी ने उकड़ूँ हो के बैठना मुश्किल हो रहा था| इसलिए वो खड़ी हुईं और वापस अपने घुटने मोड़ के मेरे मुँह पे अपनी योनि टिका के बैठ गईं| अब मेरी जीभ अपनी लम्बाई जितना उनकी योनि में घुस पा रही थीं और भौजी की हालत खराब होने लगीं| उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरे सर पे रखा और उसे अपनी योनि पे दबाने लगीं और कमर को आगे-पीछे हिलाने लगीं| इधर मैंने अपनी जीभ से लपलपाने शुरू कर दिया...किसी Ant Eater की जीभ की तरह मेरी जीभ अंदर-बाहर हो रही थी और उनकी योनि ये सब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी| अगले दो मिनट में वो चरमोत्कर्ष पे पहुकन गईं और अगले ही पल स्खलित हो गईं| स्खलित होते समय उन्होंने मेरे सर के बालों को अपनी मुट्ठी में भर लिया था| भौजी मेरे मुँह से उठीं और बगल में लेट गईं| उनका योनि रस आज इतना था की एक पल के लिए मैं हैरान था की इतना? अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने इनहीं शांत किया था...और उस दिन भी इतना रस नहीं निकला था जितना आज निकला| मैं तो सारा पी भी नहीं पाया और कुछ अंश मेरे गालों पे भी लग गया| मैंने पास पड़े रुमाल को उठाया और अपना चेहरा साफ़ किया|

जब तक वो सामन्य नहीं हुईं मैंने उन्हें स्पर्श नहीं किया, मैं भी स्थिर लेटा रहा|

भौजी: सो गए क्या?

मैं: यार आज भी अगर मैं सो गया तो..जानता हूँ कल आप मुझसे बात नहीं करोगे|

भौजी: वो तो है ....और बात नहीं बल्कि चाक़ू से नस काट लूँगी|

मैं: Hey ... !!! (मैंने आवाज में थोड़ी कठोरता से कहा|)

भौजी: Sorry बाबा!

अब भौजी उठीं और मेरे लंड पे बैठ गईं| उन्होंने ने तो पेंटी पहनी थी बस नाइटी और ब्रा पहनी थी| इधर मैं अब भी अपनी टी-शर्ट और पजामे पहने था| उन्होंने मेरे लंड पे बैठे-बैठे अपनी नाइटी उतार फेंकी फिर मेरे ऊपर झुकीं पर मेरी टी-शर्ट निकाल फेंकी| फिर स्वयं ही मेरा पजामे का नाड़ा खोला और उसे खींच के निकाल के फेंक दिया और वापस लंड से थोड़ा ऊपर यानी मेरे Belly Button पे बैठ गईं|

भौजी मेरे छाती पे झुकीं और मेरी बिना बालों वाली छाती पे होंठ रखते हुए बोलीं;

भौजी: wow ! आपकी chest बिना बालों के दमक रही है|

मैं: Yeah I Like it this way only.

भौजी ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा;

भौजी: तो इसका (दाढ़ी) भी कुछ करो ना? आप दाढ़ी में अच्छे नहीं लगते! प्लीज कल शेव कर लेना! अब आपका ये ही देख लो (मेरा लंड) बिना बालों के कितना प्यार लग रहा है|

मैं: Awwwww ...यार दाढ़ी इसलिए रखता हूँ ताकि हम एक परफेक्ट couple लगें|

भौजी: वो मैं नहीं जानती...मुझे ये चुभती है..जब भी मैं आपको Kiss करती हूँ| आप कल ही इस सौतन दाढ़ी को काट लेना|

मैं: ठीक है बाबा!

भौजी झुकीं और मेरे लबों को अपने लबों से मिलाते हुए Kiss करने लगीं| फिर खुद ही नीचे की ओर सरकने लगीं और उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथों की गिरफ्त में ले लिया| उन्होंने उसपे अपनी गर्म सांसें छोड़ी और मेरे लंड में अचानक से खून का प्रवाह तेज हो गया| भौजी ने फिर उसे अपने होठों से छुआ.... उनके होठों की नमी ने सुपाड़े को गीला करना शुरू कर दिया था|अगले पल उन्होंने अपनी जीभ की नोक से मेरे सुपाड़े के छेड़ को छुआ और मुझे एक करंट का आभास हुआ| उन्होंने उस छेड़ को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू कर दिया था और मेरी हालत खरब कर दी|

मैं: You’re killing me!

भौजी: ह्म्म्म्म्म ...

उन्होंने अगले ही पल अपना मुंह जितना खुल सकता था उतना खोला और पूरा लंड अंदर लेने की भरसक कोशिश की| परन्तु थोड़ा बाहर फिर भी रह गया| अब उन्हें Deep Throat तो आता नहीं था...ना ही मैं इतना Kinky था! उन्होंने दो-चार बार लंड पे अपनी गर्दन उप्र नीचे की और पूरा लंड अपनी लार से सां दिया| मैं हैरानी से उन्हें देख रहा था की वो आखिर कर क्या रहीं हैं!

भौजी: (मेरी हैरानी समझते हुए) मैंने आपको बताया नहीं....आयुष जब पैदा हुआ था तो मैंने Cesarian surgery कराइ थी...ताकि मेरी योनि में आपको वही कसावट मिले जो पहले मिलती थी| अब चूँकि इतने साल हो गए हैं...और मैंने इन सालों में एक भी बार हस्त-मैथुन नहीं किया| मन तो बहुत किया की खुद को relieve कर लूँ पर मैं चाहती थी की मेरा योनि रस आपके रस के साथ मिल जाए पर उस दिन आप ने मुझे तड़पता हुआ छोड़ दिया था और मेरी इच्छा अधूरी रह गई थी| तो अक़ब मेरी योनि सिकुड़ सी गई है...इसलिए आज इतने सालों बाद फर्स्ट टाइम है...तो इसलिए इसे lubricate कर रही हूँ वरना मैं इसे झेल नहीं पाऊँगी!

मैं: समझ गया|

फिर मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचा और करवट लेके उन्हें अपने नीचे ले आया| भौजी की घबराहट उनके चेहरे से झलक रही थी पर साथ ही साथ उनके अंदर वो प्रेम की आग भी दाहक रही थी|

मैं: यार relax .... मैं आपका rape नहीं करने जा रहा| I'll be very cautious! और आगर आपको लगता है की आप अभी तैयार नहीं हो तो कल करते हैं|

भौजी: (फटेक से बोलीं) बिलकुल नहीं...जो करना है आज ही करो...मुझे आप पर पूरा विश्वास है|

मैं: okay यार ...I'll be gentle!

मैंने अपने सुपाड़े को उनकी योनि के द्वार पे रखा और अपने लंड को पकड़ के ऊपर-नीचे करते हुए उनकी योनि के द्वार को सहलाने लगा| भौजी की योनि से एक लिस-लिसा द्रव्य बाह निकला...और जब मैंने अपने सुपाड़े की ओर देखा तो उन भाईसाहब ने भी वैसा ही द्रव्य बहन चालु कर दिया था| मैंने लंड को उनकी योनि पे सेट किया और धीरे से लंड को अंदर धकेलना शुरू किया| अब ही सुपाड़ा अंदर गया था की भौजी ने अपने दोनों हाथों को मेरी छाती पे रख दिया और मुझे आगे बढ़ने से रोकने लगीं| उनकी योनि अंदर से भट्टी जैसी जल रही थी और गीली थी| परन्तु कसावट इतनी की जैसे मेरे लंड को निगल जाए और उसका सारा रस निचोड़ ले! मैं वैसे बिना लंड को और अंदर डाले उन पर झुक गया और उनकी ब्रा उतार दी| उनके स्तन मेरे सामने थे और मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे| मैंने अपने दायें हाथ से उनके दायें स्तन को दबाया ओर बाएं हाथ से उनके बाएं स्तन को| फिर मैंने उनके दायें स्तन को अपने मुंह में लिया ओर बिना उनके निप्पल को छेड़े चूसने लगा| भौजी के लिए इस दोहरे हमले को झेलपाना मुहकिल हो रहा था ओर उनके माथे पे मुझे शिकन नजर आई| मुझे लगा जैसे उन्हें बहुत दर्द हो रहा हो|

मैं: दर्द हो रहा है?

भौजी: नहीं....आपको पाने का सुख इस दर्द से बहुत बड़ा है...इतना दर्द तो मैं सह ही लूंगी|

मैं उस समय बड़ा confuse था की क्या करूँ? लंड बाहर निकालूँ या और अंदर डालूं...अब चूँकि मैंने Xossip पे काफी कहानियां पढ़ीं थीं तो मैंने एक try मारने का सोचा! मैंने लंड उतना ही अंदर रखा और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा| मुझे नहीं पता था की ये तरीका कारगर होगा या नहीं पर उस समय सिवाय try करने के और कोई रास्ता नहीं था| मेरे उतना अंदर-बाहर करने से ही भौजी का जिस्म उन्माद से भर उठा| उन्होंने एक दम से मुझे अपनी छाती से जकड़ लिया ओर मेरी नंगी पीठ पे हाथ फिराते हुए बोलीं;

भौजी: Please थोड़ा ओर अंदर Push करो!

मैं: पक्का?

भौजी: स्स्स्स्स हाँ!

मैंने धीरे-धीरे लंड को ओर अंदर धकेला और अबकी बार लंड आधे से ज्यादा अंदर पहुँच गया| भौजी का जिस्म कमान की तरह अकड़ गया और इसे देख मैं उसी पोजीशन में रूक गया| अगले दो मिनट में उनका शरीर ढीला पड़ा और वो वापस सामन्य नजर आईं| पर ये क्या उनकी योनि ने रस की धार छोड़ दी.... मैं बिलकुल स्थिर अपने घुटने मोड़ के बैठा था और भौजी स्थिर पड़ीं थी| आज मुझे खुद पे फक्र होने लगा था क्योंकि आज मैं अपने पूरे कंट्रोल में था और भौजी दो बार स्खलित हो चुकीं थीं| मेरा Stop - Start का आईडिया काम करने लगा था| जब भौजी थोड़ा शांत हुईं और उनकी सांसें सामान्य हुईं तब मैंने लंड को बाहर निकला| भौजी थकी हुईं लग रहीं थी और मुझे उन पर तरस आने लगा था| मैं उठ के उनकी बगल में लेट गया| कमरे में अब उनके योनि रस की महक गूंज रही थी...

भौजी: ये क्या.... आप हट क्यों गए? आज मैं बिना आपको relieve हुए जाने नहीं दूँगी|

और भौजी उचक के मेरे लंड पे बैठ गईं... लंड उनकी योनि के भीतर नहीं था पर ऊनि योनि से पड़ रहे दबाव के कारन उसमें नई ऊर्जा आने लगी थी|

मैं: जान... I’m gonna give you the best fuck of your lifetime. I’m just giving you some time so you can recharge! Or you;ll be exhausted by the time I’m done with you!

भौजी: I don’t care about my exhaustion… Jaanu…I just want you inside me!

और इतना कहते हुए भौजी उठीं और मेरे लंड को पकड़ के अपनी योनि में फिर से संजो लिया| जैसे ही वो उसपे बैठीं, लंड सर-सराता हुआ अंदर घुस गया और भौजी के गर्भाशय से जा टकराया| भौजी उन्माद से भर उठीं और चिहुंक उठीं; "आअह!"

मैं: See I told you to be careful !

भौजी: Its okay जी!

भौजी ने बहुत धीरे-धीरे लंड के ऊपर बैठ के सवारी शुरू की| जैसे ही वो ऊपर उठतीं मैं अपनी कमर नीचे खींच लेता और जैसे ही वो नीचे आने लगतीं मैं कमर ऊपर उठा देता जिससे मेरा समूचा लंड उनकी योनि में घुस जाता| मुझे सबसे ज्यादा मजा आता जब मेरे सुपाड़े का छेड़ उनके गर्भाशय से टकराता| भौजी की स्पीड बहुत कम थी और अब उत्तेजना मुझ पे हावी होने लगी थी| मैंने फिर से करवट बदली और उन्हें अपने नीचे ले आया और तेजी से लंड पिस्टन की तरह अंदर-बाहर करने लगा| भौजी की सीत्कारें निकलने लगीं थी... :स्स्स्स्स्स्स...अह्ह्ह्ह...म्म्म्म....जानुुुुुु प्लीज....." मुझे लग की मैं अभी झड़ जाऊँगा तो मैंने एक दम से ब्रेक लगा दी और उनके ऊपर झुक के उनके स्तनों को चूसने लगा| भौजी ने अपने हाथों को मेरे सर पे रखा और उँगलियाँ मेरे बालों में फिराने लगीं|

भौजी: स्स्स्स....आप....रूक क्यों ....गए?

मैं: just want to extend this pleasure we're having!

भौजी ने नीचे से अपनी कमर उचकाना शुरू कर दिया था...मतलब वो चाहती थीं की मैं फिर से शुरू हो जाऊँ| पर मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था| मैं उनके कान में खुसफसाया;

मैं: Hold me tight !

भौजी ने अपनी बाहों को मेरे गर्दन के इर्द-गिर्द कस लिया और अपनी टांगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लॉक कर लिया| मैंने उन्हें उसी अवस्था में बिस्तर से उठाया और ले जाके कमरे के दरवाजे से उनकी पीठ सटा दी| अब मैंने नीचे से तीजी से धक्के लगाने शुरू किये.... भौजी के मुंह से अब करहाने की आवाज आ रही थी.... और मेरा खुद पे कंट्रोल छूटने लगा था| मेरे हर धक्के पे वो "आह!" कहते हुए करहा उठती, और मैं तो जैसे लघभग चरमोत्कर्ष पे पहुँच ही गया था की तभी भौजी बोलीं;

भौजी: I'm cummming ! आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स

उनकी हालत मुझे खस्ता लग रही थी और उस एक पल के लिए मेरी साड़ी उत्तेजना काफूर हो गई| खुद पे क्रोध आने लगा की मैं उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताब कर रहा हूँ...मई उनहीं पुनः बेड पे लेटा दिया और उनपर से हटने लगा की तभी उन्होंने अपने हाथों की गिरफ्त से मुझे आजाद नहीं किया बल्कि अपने ऊपर खींच लिया|

भौजी: (साँसों को नियंत्रित करते हुए बोलीं) कहाँ जा रहे हो आप?

मैं: Yaar lok at you…you’re completely exhausted!

भौजी: But you’re not! And I’m letting you slip away this time!

मैं: यार आप तीन बार स्खलित हो चुके हो...आप एक बार और बर्दाश्त नहीं कर पाओगे| Faint हो जाओगे! (मैंने अपनी चिंता जाहिर की)

भौजी: I don't care ...finish what you started!

मैं: प्लीज...don't make me do this!

भौजी: I Beg of you! I want you inside me!

उनकी आँखें भर आईं थीं और इससे पहले की वो छलकती मैंने उन्हें जोरदार तरीके से Kiss किया| जवाब उन्होंने भी दिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में खुली छोड़ दी| मैं उनकी जीभ को चूसने लगा और इधर भौजी में ताकत नहीं बची थी...झटके बर्दाश्त करने की पर पता नहीं कैसे उन्होंने फिर से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया| मैं उनका इशारा समझ गया और मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया| मैंने धक्कों की स्पीड जान-बुझ के कम राखी की वो तक न जाएंिन पर ये कमबख्त लंड उतनी स्पीड से खुश नहीं था....

भौजी: लगता है सारी रात...स्स्स्स्स्स्स.....यूँ ही आपके नीचे कटेगी.......मेरी...आह!

मुझे मजबूरन धक्कों की तीव्रता बढ़ानी पड़ी| अब तो मेरे धक्कों के साथ भौजी बदन पूरी तरह हिलने लगा था ...मुझे इतना जोश चढ़ गया की मैं नीचे से धक्के लगा रहा था और ऊपर से उनके बदन को जगह-जगह से काटने लगा था| मैंने उनके निप्पलों पे अपने दांत गड़ा दिए थे भौज के स्तन तो जगह-जगह से लाल हो चुके थे| उनकी गोरी-गोरी गर्दन चमक रही थी तो मैंने वहाँ भी अपने ड्रैकुला जैसे दाँत गड़ा दिए| भौजी मेरे हर बार दाँत गड़ाने से करहा उठती| अब उन्होंने मेरी पथ को अपनी बाहों में जकड लिया और इधर मेरे धक्कों की रफ़्तार फुल स्पीड पे थी| दोनों के बदन पे पसीना आने लगा था...भौजी ने मेरी पीठ पे अपने नाखून गड़ा दिए और मुझसे चिपक गईं और द्देर डरा गाढ़ा रस छोड़ दिया| अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ और मेरा गाढ़ा-गाढ़ा लावे जैसा रस जो की सात सालों से safe deposit में लॉक पड़ा था वो सूत समेत बाहर आया और उनकी योनि में भरने लगा| इधर जैसे ही भौजी को उनकी योनि में गाढ़ा-गाढ़ा रस गिरता हुआ प्रतीत हुआ उन्होंने अपने दांतों से मेरे कंधे पे काटा| इतनी तेज काटा की मैं चिल्ला ही पड़ा "आअह!"

अगले दस मिनट तक हम एक दूसरे से लिपटे रहे| लंड अब भी उनकी योनि पे पड़ा हुआ था और भौजी की हालत मुझे बहुत खस्ता लग रही थी| साइड टेबल पे पड़ी घडी में समय देखा तो सुबह के तीन बजे थे| भौजी बेसुध थीं और मैं डरा हुआ था| पूरे कमरे में हमारे दोनों के रस की महक भर चुकी थी| इधर भौजी को बेसुध देख मैं बहुत घबरा गया| मैंने जल्दी से उनहीं कपडे पहनाये, और गोद में उठा के उनके कमरे तक बिना आवाज किये ले गया और उन्हें बेड पे लेटा दिया| फिर उन्हें एक चादर ओढ़ा दी| मैंने एक बार उनकी छाती पे सर रख के उनके दिल की धड़कन सुनी और तसल्ली की अभी उन में प्राण बचे हैं| फिर उनके गालों और माथे को चूम और वापस अपने कमरे में आ गया| कमरे की जब लाइट जलाई तो मुँह खुला का खुला रह गया| दरवाजे के पास जमीन गीली थी| चादर पे जगह-जगह हम दोनों के रस की बूँदें गिर पड़ी थीं और बिलकुल सेंटर में खून ने चादर को गिला कर रखा था| मैंने जल्दी से चादर उतारी और उसे बाथरूम में कोने में छुपा दिया| नई चादर बिछाई ....और अब तो थकावट मुझ पे असर दिखाने लगी थी| मैं लेटते ही सो गया!

मैं अपने मोबाइल में छः बजे का अलार्म हमेशा लगाए रखता हूँ| अगले दिन उसी अलार्म ने मुझे उठाया और मन तो किया की फोन उठा के बाहर फेंक दूँ, इतनी नींद आ रही थी| पर माँ को देखते ही होश आ गया;

माँ: ये ले बेटा चाय!

मैं: आप....वो (भौजी) नहीं उठीं क्या?

माँ: नहीं बेटा...पता नहीं आज क्यों नहीं उठी| रात में कब सोये थे तुम लोग?

मैं: माँ....आ....नौ बजे मैंने बच्चों को सुला दिया था...और फिर मैं यहाँ आके सो गया| वो भी तभी सो गई होंगी...रात में टी.वी. चलने की आवाज तो नहीं आई?

माँ: पता नहीं बेटा...कल तो मैं बहुत तक गई थी...मेरी आँख तो सीधा सुबह खुली|

मैं: मैं बच्चों को उठा दूँ...वरना लेट हो जायेंगे|

मैंने बच्चों कको एक-एक कर उठाया और उन्हें तैयार किया, पहलीबार उनका टिफ़िन मैंने बनाया और वो भी सैंडविच|

मैं: नेहा बेटा ये आप रखो...

नेहा: पापा ये तो पचास रूपय हैं? इसका क्या करूँ?

मैं: बेटा अगर आपको या आयसुह को भूख लगे तो इसका कुछ खा लेना|

आयुष: नहीं पापा...(उसने नेहा से पैसे ले के मुझे दे दिए) आप रख लो ...हमारा पेट भर जायेगा सैंडविच से|

मैं: नहीं बेटा रख लो...कभी जर्रूरत पड़े तो| (मैंने पैसे वापस नेहा को पकड़ा दिए)

कोई और बच्चा होता तो झट से पैसे रख लेटा पर उस पल मुझे दोनों पे फक्र हो रहा था की भौजी ने उन्हें बहुत अच्छी शिक्षा दी है| मैंने दोनों के माथों को चूमा और दोनों को वैन में बैठा आया|

वापस आके देखा तो माँ नाश्ता बना रही थीं, मैंने चाय गर्म की और भौजी के कमरे में चला गया| भौजी वैसे ही लेटी थीं जैसे मैंने उन्हें रात में लिटाया था| मैंने सबसे पहले उनकी धड़कन सुनी ...तब डर कुछ कम हुआ| फिर उनके माथे पे हाथ फिराया तब एहसास हुआ की उन्हें बुखार है| ज्यादै तेज नहीं था...Mild Fever ही था! मैं एक दम से घबरा गया और चाय साइड टेबल पे राखी और उन्हें पुकारने लगा..."जान...जान.... उठो...प्लीज..." पर को असर नहीं| अब मैं और भी घबरा गया और सोच की एक बार और पुकारता हूँ;

मैं: जान....प्लीज उठो...

भौजी: हम्म्म्म ...

इस आवाज के साथ उनकी पलकों में हरकत हुई और मेरी जान में जान आई! उन्हेोने अंगड़ाई ली और उठीं...पर शायद उनको थकावट लग रही थी...वैसे भी कल उन्होंने व्रत रखा था और रात को....मैंने उन्हें सहारा दे के बिठाया|

भौजी: Good Morning जानू!

मैं: Good Morning जान! आपने तो जान ही निकाल दी थी मेरी!

भौजी: क्यों?

मैं: सुबह से चार बार आपकी दिल की धड़कनें चेक कर चूका हूँ| (जो बिलकुल सच था|)

भौजी: मतलब मैं जिन्दा हूँ की नहीं! ही..ही..ही... इतनी जल्दी आपको छोड़ के नहीं जाने वाली| आपने बर्फी मूवी देखि है ना? बिलकुल उसी की तरह मारूंगी मैं...आपके साथ!

मैं: सुबह-सुबह मरने-मारने की बातें! हे भगवान इन्हें सत बुद्धि दो!

भौजी उठ के बाथरूम जाने लगीं तो मैंने देखा की वो लंगड़ा रही हैं|

मैं: जान...क्या हुआ? लंगड़ा क्यों रहे हो? रात को अच्छा खासा तो लेटा के गया था!

भौजी के सेकंड के लिए रुकीं और फिर कुछ सोचने लगीं और फिर मुझे देख मुस्कुराईं और बाथरूम चलीं गईं| जब वहां से निकली तो उन्होंने साडी पहन रखी थी, और अब भी मुस्कुरा रहीं थीं और उन्होंने बात बदलने की कोशिश की;

भौजी: अरे बच्चे कहाँ हैं ..(फिर नजर घडी पे डाली और चौंकते हुए बोलीं) हे राम सात बज गए...बच्चे?

मैं: उन्हें मैं तैयार कर के छोड़ आया| टिफ़िन भी मैंने बना के दिया|

भौजी: आपने? अंडा बनाया क्या? (और उन्होंने एपीआई जीभ होठों पे फेरी)

मैं: हे भगवान...सुबह उठते ही अंडा चाहिए आपको? ही...ही...ही...

इतने में माँ अंदर आ गईं| भौजी बड़ी मुश्किल से झुकीं और उनके पाँव छुए|

माँ: जीती रह बहु| तुझे...तुझे तो बुखार है....

भौजी: नहीं माँ...बस हलकी सी हरारत है|

मैं: आप लेटो यहाँ (मैंने उनका हाथ थामा और उन्हें लिटा दिया|)

माँ: तू आराम कर बहु|

भौजी: पर मेरे होते हुए आप काम करो ये मुझे अच्छा नहीं लगता|

मैं: ठीक है ...मैं आज का काम संभाल लूँगा|

भौजी: नहीं...आप भी थके हो|

अमिन: कम से कम मुझे बुखार तो नहीं|

माँ: तू रहने दे.... उस दिन तूने और बच्चों ने रसोई की हालत खराब कर दी थी| और बहु तू आराम कर...बस हम तीन ही तो हैं..थोड़ा आराम कर ले कल से तू काम संभाल लिओ|

मैंने भौजी को चाय दी और साथ में Crocin दी| माँ कह गईं की वो पड़ोस में जा रही हैं, और हम दोनों का नाश्ता बनाके रख दिया है उन्होंने| माँ के जाते ही मैंने अपना सवाल दागा;

मैं: अब बताओ की आप लंगड़ा क्यों रहे थे? कहीं चोट लगी है?

भौजी मुस्कुरा दीं!

मैं: बताओ ना?

भौजी: वो...वो..ना.....

मैं: क्या वो-वो लगा रखा है| (इतने में साइट से फोन अ गया| मैंने फोन उठा के इतना कहा की मैं बाद में करता हूँ|)

भौजी: पहले आप फोन निपटाओ!

मैं: वो जर्रुरी नहीं है...आप ज्यादा जर्रुरी हो|

भौजी: अच्छा बाबा...."वो" (उनकी योनि) सूज गई है!

मैं: Oh Shit !

मैं तुरंत रसोई की तरफ भाग और पानी गर्म करने रख दिया| फिर माँ के कमरे से first aid बॉक्स निकला और उसमें से रुई का बड़ा सा टुकड़ा निकला और अब तक पानी भी गर्म हो चूका था| मैं पतीले को पकड़ के उनके पलंग तक ले आया|

भौजी: ये क्या?

मैं: आपको सेंक देने के लिए|

भौजी: क्या? नहीं रहने दो ...ठीक हो जायेगा|

मैं: यार...प्लीज जिद्द मत करो..आप बस लेट जाओ|

मैंने दरवाजा तो पहले से ही लॉक कर रख था| मैंने भौजी की साडी उठा के उनके पेट पे रख दी और दोनों हाथों से उनकी टांगें चौड़ी कीं| फिर मैंने चेक किया की पानी ज्यादा गर्म तो नहीं| फिर रुई का टुकड़ा पानी में भिगो के उसे उनकी योनि पे रखा| टुकड़े के उनकी योनि को छूते ही उनके मुख से सीत्कार निकली और उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली| मैंने देखा उनकी योनि लाल हो गई थी और काफी सूज गई थी| मैं उनकी योनि को सेंक रहा था और मेरी आँखें भर आईं थीं... आज पहली बार मैंने उनको ऐसा दर्द दिया था...शयद कल रात मैं अपना आपा खो चूका था...बड़ा फक्र कर रहा था की मैं अपने ऊपर कंट्रोल कर सकता हूँ...यही कंट्रोल है तेरा? इस तर हसे खुद को अंदर ही अंदर झिड़क रहा था| जब मेरी आँख से आंसूं का कतरा उनकी जांघ पे गिरा तब उन्होंने अपनी आँख खोल के मुझे देखा|

भौजी: जानू....? क्या हुआ?

मैं: I'm so sorry !!! कल रात मैंने अपना आपा खो दिया और ये सब मेरी वजह से हुआ! मैं आपके साथ ये नहीं करना चाहता था|

भौजी: मैं जानती हूँ...मैंने आपको उकसाया था! और ये कोई नासूर नहीं जो ठीक नहीं होगा| बस सूजन है..चली जायेगी| आप खाम्खा इतना परेशान हो जाते हो| (उन्होंने मेरे आँसूं अपने आँचल से पोछे)

मैं: मुझे बहुत बुरा लग रहा है| मैंने ऐसा ......

भौजी: Hey .... I actually kindaa enjoyed this ! इसीलिए तो मैं मुस्कुरा रही थी|

मैं: Enjoyed ? What’s there to enjoy? आप बातें बना रहे हो ताकि मुझे बुरा ना लगे!

भौजी: नहीं बाबा...आपकी कसम... It was like a fantasy for me…. जो यहाँ आने के बाद develop हुई थी...उस दीं जब आप मुझे छोड़ गए थे| मैं चाहती थी की आप मुझे इतना प्यार करो..इतना प्यार करो की मेरी यही हालत हो जो आज हुई है!

मैं: What ? You’re getting Kinky day by day!

भौजी हँस दीं! अब तक पानी ठंडा हो चूका था और मेरा फोन भी दुबारा बज उठा| मैंने उनके कपडे ठीक किये और फोन पे बात करने लगा| फोन दिषु का था...

मैं: बोल भाई!

दिषु: यार गाडी चाहिए थी| तुझे कोई काम तो नहीं?

मैं: यार गाडी तेरी है...जब चाहे ले जा|

दिषु: यार actually वो मुझे गुर्गाओं निकलना है और वापसी रात तक है तो इस लिए गाडी चाहिए|

मैं: यार...ले जा चाभी| मैं आज वैसे भी घर पे ही हूँ| (मैंने भौजी की तरफ देखते हुए कहा|)

दिषु: ठीक है मैं आ रहा हूँ|

भौजी: क्या मतलब घर पर ही हूँ? साइट पे नहीं जाना?

मैं: ना...आज तो मैं आपकी देखभाल करूँगा|

इतने में लेबर का फोन बज उठा|

मैं: हाँ बोलो भाई क्या दिक्कत है?

लेबर: साहब माल नहीं आया साइट पे? और आप कब आएंगे?

मैं: संतोष कहाँ है?

इतने में संतोष लाइन पर आ गया|

मैं: संतोष भाई...आज प्लीज काम संभाल ले..मैं आज नहीं आ पाउँगा|

संतोष: साहब कोई emergency है?

मैं: नहीं यार...आज किसी के तबियत खराब है...

संतोष: किस की साहब? माँ जी ठीक तो हैं?

मैं: हाँ-हाँ वो ठीक हैं...बस है कोई ख़ास! और वैसे गाडी भी नहीं है ना...अब यहाँ से गुडगाँव आऊँगा, एक घंटा उसमें खपेगा और फिर रात को रूक भी नहीं सकता| तो आज-आज संभाल ले कल से मैं आ जाऊँगा|

संतोष: ठीक है साहब, आप जरा रोड़ी और बदरपुर के लिए बोल दो और मैं कल आपको सारा हिसाब दे दूँगा|

मैं: ठीक है..अभी करता हूँ|

मैंने माल के लिए फोन कर दिया और फिर भौजी की ओर देखा तो जैसे वो कुछ कहना चाहती हों|

The Romantic
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Re: एक अनोखा बंधन

Unread post by The Romantic » 25 Dec 2014 22:55

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अब आगे ....

मैंने स्वयं ही उन से पूछा;

मैं: कहो क्या कहना है?

भौजी: आप गाडी ले लो| FD बाद में करा लेंगे|

मैं: Hey .... मेरा निर्णय फाइनल है| इसके बारे में मैं कुछ नहीं सुन्ना चाहता|

भौजी: पर गाडी भी तो जर्रुरी है| आपका काम आसान हो जाएगा?

मैं: No and END OF DISCUSSION !

मैंने बात वहीं के वहीँ निपटा दी| हाँ मैं कई बार rude हो जाता था...पर वो बहुत जर्रुरी होता था| गाडी से ज्यादा future secure करना जर्रुरी था|

मैं: मैं नाश्ता ले के आता हूँ|

भौजी: (रुठते हुए) मुझे नहीं खाना!

मैं: Awwwww मेरा बच्चा नाराज हो गया! Awwwww (मैंने उनहीं छोटे बच्चे की तरह दुलार किया|)

भौजी: आप मेरी बात कभी नहीं मानते!

मैंने आँखें बड़ी करके उन्हें हैरानी जाहिर की;

भौजी: हाँ-हाँ कल रात आपने मेरी बात मानी थी|

मैंने फिर से वैसे ही आँखें बड़ी कर के हैरानी जताई|

भौजी: हाँ-हाँ ....आपने सात साल पहले वाली भी बात मानी थी|

मैंने तीसरी बार वैसे ही मुंह बनाया...

भौजी: ठीक है बाबा...आप मेरी सब बात मानते हो| बस! अब नाश्ता ले आओ...और मेरे साथ बैठ के खाना|

मैं नाश्ता लेने गया और तभी दिषु भी आ गया और चाभी लेके निकल गया| मैंने नाश्ते के लिए कहा तो वो वापस आया, परांठा हाथ में ले के निकल गया| मैंने परांठे लिए और उनके साथ बैठ के खाया| इतने में माँ आ गईं| जब मैं नाश्ता लेने गया था तभी मैंने दरवाजा अनलॉक कर दिया था|

माँ: बहु...अब कैसा लग रहा है? मानु तूने दवाई दी बहु को?

मैं: जी चाय के साथ दी थी|

भौजी: माँ ...अब बेहतर लग रहा है| आप बैठो मैं खाना बनाना शुरू करती हूँ|

मैं: अभी आपका बुखार उतरा नहीं है...आराम करो| खाना मैं बाहर से माँगा लेता हूँ|

माँ: ठीक है...पर अटर-पटर मत माँगा लिओ खाना| कहीं पेट भी ख़राब कर दे! और बहु तू आराम कर...

भौजी: माँ मैं अकेली यहाँ बोर हो जाऊँगी|

मैं: तो tablet पे मूवी देखें?

माँ: जो करना है करो...मैं चली CID देखने|

भौजी: माँ मैं भी आपके पास ही बैठ जाती हूँ|

मैंने मुंह बनाके उन्हें दिखाया, क्योंकि मैं सोच रहा था हम साथ बेड पे बैठ के मूवी देखते|

माँ: ठीक है बेटा...तू सोफे पे लेट जा और मैं कुर्सी पे बैठ जाती हूँ|

मैं: ठीक है...आप सास-बहु का तो हो गया प्रोग्राम सेट! मैं चला अपने कमरे में!

माँ: क्यों आज काम पे नहीं जाना?

मैं: नहीं...संतोष आज संभाल लेगा...कल से चला जाऊँगा|

माँ: जैसी तेरी मर्जी|

मैं अपने कमरे में आ गया और कुछ बिल्स वगेरह लेके एकाउंट्स लिखने लगा| कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मैं पानी लेने उठा तो बैठक का नजारा देख के चौखट पे खड़ा होक दोनों को देखने लगा| भौजी ने माँ की गोद में सर रख रखा था और माँ उनका सर थपथपा रहीं थीं| मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास आया, जैसे ही माँ की नजर मुझ पे पड़ी तो उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया| मैं चुप-चाप वहां से उले पाँव अपने कमरे में आगया| भौजी को माँ की गोद रखा देख मुझे बहुत प्यार आ रहा था| एक ख़ुशी सी महसूस हो रही थी की कैसे भौजी इस घर में अपनी जगह बना रही थीं| उन्होंने माँ के दिल में जगह पा ली थी और पिताजी...खेर उनके दिल में भौजी के लिए बेटी जैसा प्यार था| वो रोज नेहा और आयुष के लिए चॉकलेट्स वगेरह लाया करते थे| बच्चे उनसे घुल-मिल गए थे! भौजी के दिल में पिताजी से वही प्यार और इज्जत थी जो मेरे दिल में थी! क्या भौजी इस परिवार का हिस्सा बन सकती थीं? यही सोचते-सोचते मैं सो गया| अब रात की थकावट कुछ तो असर दिखा ही रही थी| दो घंटे बाद मैं चौंक के उठ गया| दरअसल मैंने सपना देखा...और सपने में मैंने ये देखा की मैं भौजी को I-pill देना भूल गया| मैंने घडी देखि तो लंच का समय हो रहा था और बच्चों के आने का भी| मैंने फटाफट कपडे पहने और बाहर आया| देखा तो माँ और भौजी दोनों सोफे पर वैसे ही बैठे थे और अब माँ की भी आँख लग गई थी| मैं दबे पाँव बाहर जाने लगा इतने में हलकी सी आहत से माँ की आँख खुल गईं| उन्होंने इशारे से पूछा की मैं कहाँ जा रहा हूँ और मैंने भी इशारे से कह दिया की मैं खाना लेने जा रहा हूँ| माँ ने आज्ञा दी और मैं चुप-चाप बाहर आ गया| घर से दूर आके मैंने ऑटो किया और दूसरी कॉलोनी की तरफ चला गया| वहां पहुँच के मैंने Medicine की दूकान से I-pill खरीदी, अब ये काम अपनी कॉलोनी की Medicine की दूकान से नहीं ले सकता था, क्योंकि वहाँ सब मुझे जानते थे| तो ये मेरा कदम बहुत ही सोचा-समझा था! मैंने खाना पैक कराया और अब तो बच्चों की वैन भी आने वाली थी| मैं खाना लेके उनके स्टैंड पर खड़ा हो गया| अगले दड़ो मिनट में बच्चे भी आ गए और मैं उनको लेके घर पहुँच गया| भौजी अब भी सो रही थीं और माँ CID देख रही थी|

जब उन्होंने देखा की मैं आ गया हूँ और बच्चे भी आ गए हैं तो उन्होंने प्यार से भौजी को पुकारा;

माँ: बहु......बेटा...... उठो खाना खा लो|

भौजी ने आँख खोली और देखा की बच्चे और मैं सब चुप-चाप दोनों सास-बहु को इस तरह बैठे हुए देख रहे हैं| भौजी ने आँखों ही आँखों में मुझसे पूछा; "की क्या देख रहे हो?" और मैं उनकी बात का जवाब मुस्कुरा के देने लगा|

खाना मैंने किचन काउंटर पे रखा और बच्चों को अंदर ले गया| कपडे चेंज कर के मैं और बच्चे तीनों बहार आ गए| हमने खाना खाया और फिर नेहा ने मुझे चालीस रूपए वापस दिए;

मैं: बेटा ....ये आप मुझे क्यों दे रहे हो? मैंने कहा था न की ये आप रखो|

नेहा ने हाँ में सर हिलाया| फिर मैंने पूछा;

मैं: तो बेटा क्या खाया लंच में?

आयुष: सैंडविच और चिप्स

भौजी: मैने मना किया था ना तुम दोनों को!

मैं: Relax यार...मैंने ही पैसे दिए थे क्योंकि मैंने सैंडविच बांया था...अब एक सैंडविच से से क्या होता है? इसलिए मैंने कहा था की कुछ खा लेना|

माँ: बहु...कोई बात नहीं,...बच्चे हैं| चलो बच्चों खाना खाओ|

भौजी शिकायत भरी नजरों से मुझे देख रही थीं| खाना खाने के बाद बच्चे सोना चाहते थे और मेरा भी मन कर रहा था की सो जाऊँ| मैंने बच्चों को लिटाया और भौजी की तबियत पूछने चला गया| भौजी सो चुकी थीं, मैंने उनका हाथ छू के देखा तभी उनकी आँख खुल गईं;

भौजी: क्या हुआ?

मैं: Sorry आपको जगा दिया| मैं बस आपका बुखार चेक कर रहा था| अब नार्मल है! आप आराम करो...शाम को मिलते हैं|

भौजी: मुझे नींद नहीं आएगी ..... आप भी यहीं सो जाओ ना?

मैं: माँ घर पे है! (मैंने उन्हें आगाह किया|)

भौजी: प्लीज !!!

जिस तरह से उन्होंने मुंह बना के कहा...मैं उन्हें मना नहीं कर पाया| मैंने बच्चों को उठाया और अपने साथ भौजी वाले कमरे में ले आया| बच्चों को बीच में लिटा दिया और मैं और भौजी उनके अगल-बगल लेट गए| भौजी ने अपना बायां हाथ आयुष की छाती पे रखा और थप-थपा के सुलाने लॉगिन और नेहा मुझसे लिपट गई| नजाने कब आँख लग गई ...सीधा शाम को छः बजे आँख खुली| भौजी अब भी सो रही थीं और बच्चे भी| मैं चुप-चाप उठा और नेहा की गिरफ्त से खुद को छुड़ाया| मैं बहार अपने कमरे में आया और मुंह धोया फिर सोचा की चाय बना लूँ, देखा तो माँ डाइनिंग टेबल पे बैठी चाय पी रही थी और काफी गंभीर लग रही थी| उन्होंने मुझे अपने पास बिठा के कुछ बातें बातें जो गाँव में घट रही थीं| सुन के मैं थोड़ा हैरान हो गया और सोचने लगा की भौजी को बताऊँ या नहीं! माँ मास्टर वाली जगह बैठी थीं और मैं उनकी दाहिने तरफ बैठा था|

कुछ देर में भौजी जाग गईं और उनका चेहरा दमक रहा था! साफ़ लग रहा था की उनकी तबियत अब ठीक है| हाँ उनकी चाल में थोड़ा फर्क था| वो बड़ा सम्भल के चाल रहीं थीं| भौजी आके माँ की बायीं तरफ बैठ गईं| हमें चाय पीता हुआ देख के वो बोलीं;

भौजी: माँ...मुझे उठा देते मैं चाय बना लेती|

माँ: पहले बता तेरी तबियत कैसी है? (और माँ ने उनके माथे को छू के देखा|) हम्म्म...अब बुखार नहीं है|

मैंने उठ के उन्हें भी चाय ला दी| बच्चे अब भी सो रहे थे... भौजी और माँ बस यूँ ही बातें शुरू हो गईं ,,,,पर माँ ने उन्हें कुछ नहीं बताया| मैं बच्चों को उठाने चला गया और जब वापस आया तो भौजी ने उनका दूध बना दिया था| दोनों ने दूध पिया और मेरे कमरे में पढ़ाई करने बैठ गए| मैं अपने ट्रंक में कुछ खिलोने ढूंढने लगा...मैंने सारे खिलोने निकाल के बच्चों को दे दिए| मैं जब छोटा था तब से खिलोने कलेक्ट करता था...दसवीं तक मैं खिलोने कलेक्ट करता था...और माँ से कहता था की ये खिलोने मैं अपने बच्चों को दूंगा| तो आज वो दिन आ गया था|

मैं: नेहा...आयुष...आपके लिए मेरे पास कुछ है|

नेहा: क्या पापा?

मैं: ये लो...आप दोनों के लिए Piggy Bank (गुल्ल्क)!

आयुष: ये तो बॉक्स है?

नेहा: अरे बुद्धू ...ये गुल्ल्क है..इसमें पैसे जमा करते हैं|

उनमें से एक Piggy Bank Disney Tarzan का collectors item था जो मैंने आयुष को दिया और दूसरा वाला Mickey Mouse वाला था जो मेरे बचपन का था, जब मैं आयुष की उम्र का था|

मैं: बेटा ये लो...पचास रूपए आप (आयुष) और सौ रुपये आप लो (नेहा)|

नेहा: पर किस लिए?

मैं: बेटा ये आपकी पॉकेट मनी है| आप इसे जमा करो...जब पैसे काफी इकठ्ठा हो जायेंगे तब मैं आपका Kotak Mahindra में अकाउंट खुलवा दूँगा|

आयुष: तो मैं भी sign कर के पैसे निकलूंगा? (उसने मुझे और पिताजी को कई बार चेक पे sign करते हुए देखा था|)

मैं: हाँ बेटा... और आपको आपका ATM Card भी मिलेगा|

भौजी: क्यों आदत बिगाड़ रहे हो?

मैं: मैंने भी बचत करना अपने बचपन से सीखा है| ये भ सीखेंगे... मुझे इन पर पूरा भरोसा है..ये पैसे बर्बाद नहीं करेंगे| नहीं करोगे ना बच्चों?

दोनों बच्चे मेरे पास आये और गले लग गए और भौजी को जीभ चिढ़ाने लगे|

भौजी: (हँसते हुए) शैतानों इधर आओ .... कहाँ भाग रहे हो?

और बच्चे कमरे में इधर-उधर भागने लगे| भौजी भागने को हुईं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली और उन्हें अपने पास बिठा लिया|

मैं: अब बताओ कैसा महसूस कर रहे हो?

भौजी: ऐसा जैसे प्राण आपके पास रह गए हों और ये खोखला शरीर मेरे पास रह गया|

मैं: ओह! कुछ ज्यादा नहीं हो गया?

भौजी: ना...

उन्होंने अपना दोनों बाहें मेरी गर्दन में दाल दीं और मुंह से आह निकल गई|

भौजी: क्या हुआ?

मैं: कुछ नहीं

पर उन्हें कहाँ चैन पड़ने वाला था, उन्होंने मेरी टी शर्ट गर्दन से हटाई और देखा तो उनके दाँतों के निशान पड़ चुके थे और उतना हिस्सा लाल था....

भौजी: हाय राम..... ये मैंने!!

ये वही निशान था जो उन्होंने कल रात आखरी बार स्खलित होते समय मुझे जोर से काट लिया था| वो एक दम से उठीं और दवाई लेने जाने लगीं तो मैंने उन्हें उठने नहीं दिया|

मैं: ठीक हो जायेगा... आप ये लो...

मैंने I-pill की गोली का पत्ता उनकी ओर बढ़ा दिया| उसे देखते ही वो एकदम से बोल उठीं;

भौजी: I wanna conceieve this baby!

उनकी बात सुन के मेरी हालत ऐसी थी की ना तो सांस आ रहा था ओर ना ही जा रहा था...मैं आँखें फाड़े उन्हें देखने लगा| एक बार तो मन किया की उन्हें जी भर के डाँट लगाउन...पर फिर उनकी तबियत का ख्याल आया और मैंने इत्मीनान से बात करने की सोची| मुझे भरोसा था की मैं उन्हें मना लूँगा....

मैं: तो आपने ये सब पहले से प्लान कर रखा था ना? उस दीं आपने जब मुझे कंडोम use नहीं करने दिया...मतलब आपने सब प्लान कर रखा था ना?

भौजी कुछ नहीं बोलीं बस सर झुका लिया|

मैं: मैं आपसे कुछ पूछ रहा हूँ| Answer me !!! (मैं बड़े आराम से बात कर रहा था|)

भौजी ने हाँ में सर हिलाया| मैंने अपने सर पे हाथ रख लिया और उठ के खड़ा हो गया ....गुस्सा अंदर भर चूका था..बस बाहर आने को मचल रहा था| मैं कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक चलने लगा| Just Imagine the Gabbar and Sambha वाला सीन| गब्बर मैं था और भौजी साम्भा की तरह सर झुकाये बैठी थीं| मैं अंदर ही अंदर खुद को समझा रहा था की गुस्से को शांत कर ले और आराम से बात कर| फिर मैंने चलते-चलते उनसे सवाल पूछा;

मैं: एक पल के लिए मैं आपकी बात मान लेता हूँ! ठीक है आपको ये बच्चा चाहिए...पर आप सब से क्या कहोगे? बड़की अम्मा...माँ...पिताजी...बड़के दादा ...और हाँ चन्दर भैया से क्या कहोगे?

भौजी कुछ नहीं बोलीं|

मैं: चन्दर भैया कहोगे की मैंने इन्हें सात सालों से छुआ तक नहीं....तो? या इस बार भी यही कहोगे की शराब पी कर उन्होंने आपके साथ जबरदस्ती की?

भौजी के पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था|वो बस सर झुकाये बैठी थीं....

मैं: बताओ...क्या जवाब दोगे?

मुझे पता था की उनके पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है....तभी उन्होंने रोते हुए अपनी बात सामने रखी;

भौजी: मैं ...नहीं जानती...मैं क्या जवाब दूँगी! मैं बस ये बच्चा चाहती हूँ.... आप मुझे ये गोली लेने को कह रहे हो...पर अंदर ही अंदर ये बात मुझे काट रही है| मैं ये नहीं कर सकती....

मैं: Hey .... (मैं उनके सामने घुटनों पे बैठ गया|) Listen to me .... अभी वो बच्चा आपकी कोख में नहीं आया है...आप उसकी हत्या नहीं कर रहे हो! अभी 24 घंटे भी नहीं हुए...its completely safe! कुछ नहीं होगा...All you've to do is take this pill ...and that's it!

भौजी: मेरा मन नहीं मान रहा इसके लिए| उस दिन भी जब मैंने आपको फोन किया था तो मन नहीं मान रहा था...मैंने अपना मन मार के आपको फोन किया...और आप देख सकते हो की उसका नतीजा क्या हुआ? मेरे एक गलत फैसले ने आपको आपके ही बेटे से दूर कर दिया...आप उसे अपनी गोद में नहीं खिला पाये... उसे वो प्यार नहीं दे पाये जो आप उसे देना चाहते थे...या जो आपने नेहा को उन कुछ दिनों में दिया था| आज वो आपके सामने आता है तो मुझे बड़ी खेज होती है की मैंने आप से वो खुशियां छें ली...वो भी बिना आपसे पूछे| ये बच्चा (उन्होंने अपनी कोख पे हाथ रखा) आपको वो सुख देगा! आप इसे अपनी गोद में खिलाओगे...उसे प्यार करोगे.... उसे वो सारी बातें सिखाओगे जो आप आयुष को सिखाना चाहते थे|

मैं: यार ऐसा नहीं है...मैं उसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ.... जो हुआ वो Past था ...आप क्यों उसके चक्कर में हमारा Present ख़राब करने पे तुले हो!

भौजी: प्लीज...मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे ये पाप करने को मत कहो... मैं अपना मन नहीं मार सकती!

अब बातें क्लियर थीं की की मेरी किसी भी बात का असर उनपर नहीं पड़ने वाला था| मैं उठा और वो I-pill का पत्ता जो मेरे हाथ में था, उसे मैंने हाथ में लेके इस तरह मोड़-तोड़ दिया की मानो सारा गुस्सा उस दवाई के पत्ते पे निकाल दिया| मैंने उसे कूड़ेदान में दे मार और कमरे से बाहर निकला, बस जाते-जाते इतना कहा;

मैं: Fine ....

मैं छत पे पहुँच गया और टंकी के ऊपर बैठ गया और अपना दिमाग शांत करने लगा| करीब एक घंटे बाद भौजी छत पे आ गईं और मुझे इधर-उधर ढूंढने लगीं पर मैं नहीं दिखा...दीखता कैसे...मैं तो ऊपर टंकी पे बैठ था| भौजी ने मुझे आवाज भी लगाईं; "जानू...जानू....आप कहाँ हो?" पर मैंने कोई जवाब नहीं देखा बस उन्हें ऊपर से देख रहा था| फिर मैं चुप-चाप उतरा और उनके पीछे जाके खड़ा हो गया,जैसे ही मेरी सांसें उन्हें महसूस हुईं वो एक दम से पलटीं, मैंने अपने दोनों हाथों से उनहीं थाम लिया और उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा;

मैं: Marry Me !

भौजी: क्या?

मैं: I said Marry Me ! Its the only way ....we both can be happy!

भौजी: No …we can’t.

मैं: Marry Me! You can have this baby .... आपको जूठ बोलने की जर्रूरत नहीं....बच्चे मुझे सब के सामने पापा कह सकेंगे….हम हमेशा एक साथ रहेंगे...इस तरह छुप-छुप के मिलने से आजादी...everything will be fine!

भौजी: नहीं...कुछ भी Fine नहीं होगा.... माँ- पिताजी कभी नहीं मानेंगे... कम से कम अभी हम साथ तो हैं...आपकी इस बात के बाद तो हम दोनों को अलग कर दिया जायेगा| मैं जैसे भी हूँ...भले ही उस इंसान के साथ रह रही हूँ पर अंदर से तो आपसे ही प्यार करती हूँ... मैं उसके साथ रह लुंगी...पर प्लीज...

मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) आप उनके साथ तो अब वैसे भी नहीं रह सकते| वो लखनऊ के "नशा मुक्ति केंद्र" में भर्ती हैं|

भौजी: क्या?

मैं: हाँ...कल पिताजी और माँ की बात हुई थी ना...तो माँ ने आज मुझे बताया| यही समय ठीक है... मैं पिताजी के आने पर उनसे बात करता हूँ.... आज आपका और माँ का प्यार देख के ये तो पक्का है की वो इस बात के लिए मान जाएँगी...थोड़ा देर से ही सही!

भौजी: नहीं...प्लीज.... वो नहीं मानेंगे! नशे की आदत छूट जाएगी तो वो बदतमीजी नहीं करेंगे|

मैं: आपको पूरा यकीन है की वो आपको परेशान नहीं करेंगे? उनके अंदर की वासना की आग का क्या? प्लीज.... Let me try once!

भौजी: आगा नहीं माने तो हम फिर से जुदा हो जायेंगे?

मैं: आप मुझसे प्यार करते हो ना? तो मुझ इ भरोसा रखो और दुआ करो की सब ठीक हो जाए| मैं सब से बात कर लूँगा...सब को मना लूँगा.... नहीं तो.... हम भाग जायेंगे|

भौजी: प्लीज ऐसा मत करो...प्लीज..... सब कुछ तबाह हो जाएगा!

मैं: भरोसा रखो....

और मैंने उन्हें गले लगा लिया और भौजी रो पड़ीं|

मैं: बस मेरी जान...बस .... अब रोने का समय नहीं है...बस आज रात पिताजी आ जाएंगे ..और मैं उनसे कल ही सारी बात कर लूँगा|

भौजी फफ्फ्क् के रो रहीं थीं| मैंने उन्हें चुप कराया...और उन्हें नीचे ले आया| रात को भोजन के बाद मैंने उनहीं गर्म पानी का पतीला दिया और कहा की आप बाथरूम में जाके सिकाई कर लो और मैं पिताजी को लेने स्टेशन चला गया| लौटते-लौटते देर हो गई और बच्चे सो गए थे| माँ ने बताया की बच्चे सो नहीं रहे थे और भौजी ने उन्हें बहुत बुरी तरह डाँटा तब जाके वो रोते-रोते सो गए| पिताजी ने भोजन किया और काम के बारे में पूछा और फिर सोने चले गए| मैं कमरे में आया तो ग्यारह बज रहे थे और बच्चे जगे हुए थे पर चुप-चाप सो रहे थे| मुझे कमरे में देखते ही दोनों मुस्कुरा दिए और मुझसे लिपट गए| मैंने दोनों को अगल-बगल लिटाया और मैं बीच में लेट गया| दोनों ने मुझे झप्पी डाली, मेरी बाहों को तकिया बनाया और अपनी टांगें उठा के मेरे पेट पे रख के सो गए| मैं रात भर सोचता रहा की कल कैसे पिताजी से हिम्मत कर के ये सब कहूँगा? क्या वो मेरी बात मानेंगे? ये सब सोचते-सोचते सुबह हो गई.... भौजी जब कमरे में आइन तो मेरी आँखें खुली हुई थीं...कमरे में खिड़की से आ रही रौशनी उजाला कर रही थी और दिवाली आने में बहुत कम समय था|

भौजी: सोये नहीं सारी रात?

मैं: नहीं... जानता हूँ आप भी नहीं सोये| आर आज के बाद ...सब ठीक हो जायेगा!

भौजी: मैं आपसे एक रिक्वेस्ट करने आई हूँ|

मैं: हाँ बोलो ...पर अगर आप चाहते हो की मैं वो बात ना करूँ तो...I'm sorry मैं आपकी ये बात नहीं मानूँगा|

भौजी: नहीं...मैं बस ये कह रही हूँ की आप बात करो...पर अभी नहीं...दिवाली खत्म होने दो...कम से कम एक दिवाली तो आपके साथ मना लूँ...फिर आगे मौका मिले न मिले!

मैं: Hey .... ऐसे क्यों बोल रहे हो....पर ठीक है मैं आज बात नहीं करूंगा पर दिवाली के बाद पक्का?

भौजी: ठीक है!


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