मैं उनके उपर सो गई और उनके होठों पर अपने प्यासे होंठ रख कर अपनी जीभ उनके मूह मे घुसा दी. वो समझते थे कि मैं चुद्वाने के लिए कितनी बेचैन हूँ, और मुझे चोद्ने के लिए वो भी तो बेचैन थे. मैने चुंबन पूरा किया और उनके उपर ही, उनके तन तनाते हुए लौडे के उपर बैठ गई. फिर मैने अपनी चूत उपर कर के, उनके लंड को पकड़ कर, अपनी चूत पर सही जगह लगाया और नीचे ज़ोर लगाया. उनके लंड का मूह जब मेरी चूत मे घुसा तो मैने भी उनको चिडाने के लिए उपर हो कर उनका लंड वापस अपनी चूत से निकाल दिया. अब उनके लंड का मूह मेरी चूत के मूह पर था. वो जब नीचे से, अपनी गंद उपर कर के, अपना लंड मेरी चूत मे घुसाने की कोशिश करते तो मैं अपनी गंद और उपर कर लेती जिस से उनका लॉडा मेरी टपकती चूत मे नही घुस पाता. वो भी समझ गये कि मैं उन से खेल रही हूँ. जब वो शांत हो कर, अपनी गंद बिस्तर पर टिका कर मेरी तरफ देख रहे थे तो मैने अचानक ही नीचे की तरफ एक जोरदार झटका दिया तो उनका लंबा लंड आधे से ज़्यादा मेरी चूत मे उतर गया.
मेरी गीली चूत मे उनका गरम लॉडा बड़े आराम से एक दो धक्कों मे ही घुस गया. उनको भी मेरे खेल मे बहुत मज़ा आया. मैं उनके लंड पर बैठी उपर नीचे नाचने लगी. मैं लगातार अपनी गंद उपर नीचे करते उनके लंड को अपनी फुददी मे अंदर बाहर करने लगी. उन्होने तब तक मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया था और उनके लंड पर मेरी चूत के हर धक्के के साथ वो मेरी चुचियों को दबाने और मसल्ने लगे. मेरी दोनो निप्पल तन कर खड़ी थी. उनके प्यारे लंड का मेरी रसीली चूत मे आना जाना हम दोनो को मदहोश कर रहा था. मैने चोद्ने की रफ़्तार बढ़ाई और वो भी नीचे से मेरा चुदाई मे पूरा सहयोग कर रहे थे.
कुछ देर बाद वो मुझे पकड़ कर बैठे हुए थे. मैने अपने हाथ उनकी गर्दन पर रख कर बॅलेन्स बनाया और वो मेरी गंद पकड़ कर मुझे और भी ज़ोर से चोद्ने लगे. उनका लॉडा मेरी फुददी मे काफ़ी अंदर तक घुसता हुआ मुझे चोद रहा था. मैं कुछ ही देर मे झाड़ गई मगर इस से उनकी चुदाई पर कोई असर नही हुआ. वो तो बस मुझे चोद्ते जा रहे थे…….. चोद्ते जा रहे थे……… ज़ोर ज़ोर से………. जल्दी जल्दी……. फाका फक…… फाका फक……. फाका फक.
वो मुझे तूफ़ानी रफ़्तार से चोद रहे थे और मैं उनसे चुद्वाती हुई एक बार फिर से झड़ने के करीब थी और लग रहा था जैसे इस बार वो भी मेरे साथ झाड़ जाएँगे क्यों कि मैने अपनी चूत मे उनके लंड का सूपड़ा फूलता हुआ महसूस किया था और उनके लौडे को और भी ज़्यादा सख़्त महसूस किया था. उनका चोद्ना और मेरा चुद्वाना लगातार जारी था.
मैं झड़ी और बहुत ज़ोर से झड़ी. उनके लंड ने भी अपना लंड रस मेरी चूत मे छोड़ना शुरू किया. उस ठंडे मौसम मे भी हमारे बदन पर पसीना था. उनका लंड रह रह कर, नाचता हुआ, अपने दूध के रंग का पानी मेरी चूत मे बरसाने लगा जो धीरे धीरे मेरी चूत के रस से मिल कर मेरी चूत से बाहर आने लगा.
मैं उनका लंड अपनी चूत मे लिए उनकी गोदी मे तब तक बैठी रही जब तक कि उनका लंड नरम पड़ना शुरू नही हुआ. उनका लंड मुलायम होने लगा तो अपने आप ही मेरी चूत से बाहर खिसकने लगा. मैं उनके लंड की सवारी छ्चोड़ कर बिस्तर पर लेट गई. मेरी चूत से उनके लंड के निकलने के साथ ही उनके लंड से निकल कर मेरी चूत मे गया उनके लंड का ढेर सारा पानी मेरी चूत से बाहर निकल आया.
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
“चलो नहा लेते हैं,” उन्होने कहा और मुझे अपनी मज़बूत बाहों मे उठा कर बाथरूम मे आ गये. बाथरूम मे बहुत बड़ा बाथ टब था. उन्होने मुझे नीचे उतारा और बाथ टब का नाल खोल दिया. बाथ टब मे हल्का हल्का गरम पानी भरने लगा. उन्होने पानी की गर्माहट को चेक किया और मुझे उठा कर बाथ टब मे बैठा दिया. मेरे पीछे वो भी बाथ टब मे आ गये. बाथ टब काफ़ी बड़ा था इसलिए हम दोनो उसमे आराम से बैठ गये. वो पीछे सहारा ले कर बैठे और मैं उनकी छाती का सहारा ले कर उनके आगे बैठी थी. वो बाथ टब का पानी अपनी हथेलियों मे ले कर मेरे सिर पर डालने लगे तो मुझे बहुत अच्छा लगा. उन्होने मेरे सिर के बाल गीले करने के बाद अपनी हथेली मे शॅमपू ले कर मेरे सिर के बालों मे लगाया और मेरे सिर के बाल धोने लगे. फिर उन्होने मेरे बदन पर साबुन लगाया और मुझे बड़े प्यार से नहलाने लगे. मेरे बदन पर साबुन लगाते लगाते उन्होने मेरी चुचियों पर भी साबुन लगा कर उन्हे मसला. फिर उनका हाथ मेरे पेट से होता हुआ नीचे मेरी चूत तक पहुँचा. उन्होने अपनी उंगली मेरी चूत मे डाल कर मेरी चूत सॉफ की तो मैं आनंद से भर गई. उन्होने अपने अंगूठे से मेरी चूत के दाने को दबाया तो मेरे दिल मे फिर से चुदाई का तूफान उठने लगा.
मैने उनका हाथ हटाया और बाथ टब मे खड़ी हो गई. मेरी गंद उनके चेहरे के सामने थी. उन्होने फिर से साबुन ले कर मेरी टाँगों पर, मेरी गंद पर लगाया. जब मैं उनकी तरफ घूमी तो तो उन्होने मेरे घुटने पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेरी चूत उनके मूह से सॅट गई. तुरंत ही मैने उनकी नशीली जीभ को मेरी मस्तानी चूत के अंदर महसूस किया. वो मेरी चूत मे अपनी जीभ डाल कर घुमाते गये और मैं गरम होती चली गई. पानी से गीली मेरी चूत अब मेरे खुद के चूत रस से भी गीली हो गई.
जब मुझ से नही रहा गया तो मैं नीचे बैठ गई और अपने पैरों से उनकी कमर पकड़ ली. इस तरह हम आमने सामने बैठे हुए थे. मैं उनके लंबे किए पैरों पर अपनी गंद टिका कर बैठ गई. उनका तना हुआ लॉडा मेरी चूत का दरवाजा खत खटाने लगा. उन्होने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के निशाने पर लगाया और एक ज़ोर का झटका मारा तो उनके लंड के आगे का हिस्सा मेरी चूत मे घुस गया. धक्के लगा कर उन्होने अपने पूरे लंड को मेरी चूत मे घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू हो गई. पानी के अंदर मैं चुद्वा रही थी और बाथ टब का पानी उनके लगाए धक्कों की वजह से ज़ोर ज़ोर से हिल कर बाथ टब से बाहर आने लगा. मैं एक बार फिर उनसे चुद्वाने का आनंद लेने लगी.
उनको फिर से शरारत सूझी और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाले ही, मुझे पकड़ कर बाथ टब मे खड़े हो गये. फिर वैसे ही मुझे उठाकर, अपना लंड मेरी चूत मे घुसाए, मुझे बेड रूम मे ले आए. वहाँ आ कर वो आराम कुर्सी पर बैठे. मैं उनके पैरों पर, उनकी गोद मे बैठी हुई जैसे उनको चोद्ने लगी. मेरी गंद और उनकी गंद दोनो एक साथ हिलने लगी और मैं जल्दी ही एक बार फिर से झाड़ गई. मगर मैं रुकी नही. मैं लगातार उनके उपर बैठी उनको चोदे जा रही थी और उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होता रहा.
बेड रूम मे आराम कुर्सी पर चुदाई का खेल हो रहा था. हम दोनो की रफ़्तार तूफ़ानी हो चुकी थी मैं तो दूसरी बार भी झाड़ चुकी थी और चाहती थी कि उनके लंड से भी जल्दी से पानी निकले. मैं और वो, दोनो उपर नीचे…… उपर नीचे हो रहे थे. जब मैने उनके बदन मे अकड़न महसूस की तो मैं समझ गई कि अब मेरी चूत मे एक बार फिर उनके लंड रस की बरसात होने वाली है.
और मुझे लगा जैसे वो अपने प्यार के पानी का खजाना मेरी चूत मे अपने लंड के रास्ते खाली कर रहे हैं.
सुबह सुबह इतनी चुदाई करने के बाद हम दोनो बुरी तरह थक चुके थे. उनका लॉडा जब मेरी चूत मे नरम होने लगा तो मैं उनके उपर से उतरी. मेरे पैर चुदाई के मज़े से काँप रहे थे. वो भी खड़े हुए और हमने बाथरूम जा कर अपने नंगे, चुदे हुए जिस्मों की सफाई शवर के नीचे की.
उन्होने बड़े प्यार से मुझे मेरी ब्रा और चड्डी पहनाई तो मुझे बहुत अच्छा लगा. हम दोनो कपड़े पहन कर, तय्यार हो कर, अपना बॅग उठा कर कार मे रखा और घूमने निकल गये. हमने बॅग इसलिए साथ मे लिया कि हमको वापस बंगले मे ना आना पड़े.
दोपहर तक वहाँ घूम कर, खाना खा कर हम अपने वापसी के सफ़र पर रवाना हुए क्यों कि हम वहाँ सिर्फ़ दो दिनो के लिए ही गये थे.
क्रमशः..................................................
मैने उनका हाथ हटाया और बाथ टब मे खड़ी हो गई. मेरी गंद उनके चेहरे के सामने थी. उन्होने फिर से साबुन ले कर मेरी टाँगों पर, मेरी गंद पर लगाया. जब मैं उनकी तरफ घूमी तो तो उन्होने मेरे घुटने पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेरी चूत उनके मूह से सॅट गई. तुरंत ही मैने उनकी नशीली जीभ को मेरी मस्तानी चूत के अंदर महसूस किया. वो मेरी चूत मे अपनी जीभ डाल कर घुमाते गये और मैं गरम होती चली गई. पानी से गीली मेरी चूत अब मेरे खुद के चूत रस से भी गीली हो गई.
जब मुझ से नही रहा गया तो मैं नीचे बैठ गई और अपने पैरों से उनकी कमर पकड़ ली. इस तरह हम आमने सामने बैठे हुए थे. मैं उनके लंबे किए पैरों पर अपनी गंद टिका कर बैठ गई. उनका तना हुआ लॉडा मेरी चूत का दरवाजा खत खटाने लगा. उन्होने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के निशाने पर लगाया और एक ज़ोर का झटका मारा तो उनके लंड के आगे का हिस्सा मेरी चूत मे घुस गया. धक्के लगा कर उन्होने अपने पूरे लंड को मेरी चूत मे घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू हो गई. पानी के अंदर मैं चुद्वा रही थी और बाथ टब का पानी उनके लगाए धक्कों की वजह से ज़ोर ज़ोर से हिल कर बाथ टब से बाहर आने लगा. मैं एक बार फिर उनसे चुद्वाने का आनंद लेने लगी.
उनको फिर से शरारत सूझी और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाले ही, मुझे पकड़ कर बाथ टब मे खड़े हो गये. फिर वैसे ही मुझे उठाकर, अपना लंड मेरी चूत मे घुसाए, मुझे बेड रूम मे ले आए. वहाँ आ कर वो आराम कुर्सी पर बैठे. मैं उनके पैरों पर, उनकी गोद मे बैठी हुई जैसे उनको चोद्ने लगी. मेरी गंद और उनकी गंद दोनो एक साथ हिलने लगी और मैं जल्दी ही एक बार फिर से झाड़ गई. मगर मैं रुकी नही. मैं लगातार उनके उपर बैठी उनको चोदे जा रही थी और उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होता रहा.
बेड रूम मे आराम कुर्सी पर चुदाई का खेल हो रहा था. हम दोनो की रफ़्तार तूफ़ानी हो चुकी थी मैं तो दूसरी बार भी झाड़ चुकी थी और चाहती थी कि उनके लंड से भी जल्दी से पानी निकले. मैं और वो, दोनो उपर नीचे…… उपर नीचे हो रहे थे. जब मैने उनके बदन मे अकड़न महसूस की तो मैं समझ गई कि अब मेरी चूत मे एक बार फिर उनके लंड रस की बरसात होने वाली है.
और मुझे लगा जैसे वो अपने प्यार के पानी का खजाना मेरी चूत मे अपने लंड के रास्ते खाली कर रहे हैं.
सुबह सुबह इतनी चुदाई करने के बाद हम दोनो बुरी तरह थक चुके थे. उनका लॉडा जब मेरी चूत मे नरम होने लगा तो मैं उनके उपर से उतरी. मेरे पैर चुदाई के मज़े से काँप रहे थे. वो भी खड़े हुए और हमने बाथरूम जा कर अपने नंगे, चुदे हुए जिस्मों की सफाई शवर के नीचे की.
उन्होने बड़े प्यार से मुझे मेरी ब्रा और चड्डी पहनाई तो मुझे बहुत अच्छा लगा. हम दोनो कपड़े पहन कर, तय्यार हो कर, अपना बॅग उठा कर कार मे रखा और घूमने निकल गये. हमने बॅग इसलिए साथ मे लिया कि हमको वापस बंगले मे ना आना पड़े.
दोपहर तक वहाँ घूम कर, खाना खा कर हम अपने वापसी के सफ़र पर रवाना हुए क्यों कि हम वहाँ सिर्फ़ दो दिनो के लिए ही गये थे.
क्रमशः..................................................
Re: जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली-22
गतान्क से आगे.....................
मैं आंजेलीना से गोआ मे मिली तो वो मुझे बहुत खुश लगी. उसमे मुझे बताया कि उसका पति चुदाई मे बहुत होशियार है और काफ़ी मज़बूत भी है. वो उसे करीब करीब रोज़ ही चोद्ता है और चुदाई का पूरा मज़ा देता है. उसने मुझे बताया कि कैसे उसका पति उसको अलग अलग तरीकों से, काफ़ी देर तक चोद्ता है. मैं ये जान कर बहुत खुश हुई कि मेरी सब से प्यारी, सब से अच्छी सहेली भी मेरी तरह चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है और अपने पति से चुदाई मे पूरी तरह संतुष्ट है. मैं एक आम आदमी या आम औरत से ज़्यादा जानती हूँ कि जिंदगी मे चुदाई का क्या महत्व है.
अपने बचपन की सहेली के साथ ऐसी चुदाई की बातें करते करते मैं गरम होने लगी और मेरी चूत से रस निकलना शुरू हो गया. गरम तो वो भी हो रही थी और हम दोनो ही आपस मे लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी. मगर उस समय ये संभव नही था क्यों कि उस के घर मे सब लोग मौजूद थे और ये ठीक नही होता कि सब लोगों की मौजूदगी मे हम किसी कमरे मे जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर के लेज़्बीयन प्यार और चुदाई करते. मैने आंजेलीना को अपने घर आने का निमंत्रण दिया क्यों कि मेरे घर मे हमें अपना लेज़्बीयन चुदाई का खेल खेलने का पूरा मौका और एकांत मिल सकता था. उसने मुझ से कहा कि वो भी मुझे प्यार देना चाहती है और मुझ से प्यार लेना चाहती है. उसने मौका मिलने पर मेरे घर आ कर लेज़्बीयन चुदाई का वादा किया. वो मुझ से गले मिली, हम ने चुंबन किया और मैं उसकी चुचियाँ दबाना नही भूली थी. उसने भी मेरे पैरों के बीच हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को जैसे मसल दिया.
मैं अपनी साड़ी के नीचे, अपनी चूत रस से गीली चड्डी पहने, अपने घर की तरफ रवाना हुई जहाँ मेरे पति सिनिमा जाने के लिए मेरी राह देख रहे थे. आप की जानकारी के लिए बता दूं कि हम बहुत कम सिनिमा हॉल मे सिनिमा देखने जाते हैं. पर जब भी जातें हैं, पूरा पूरा मज़ा लेते हैं. सिनिमा का भी और आपस मे अपनी प्राइवेट सिनिमा का भी, जितना भी संभव हो.
हम समय पर सिनिमा हॉल पहुँच गये और अपनी कोने की सीट पर बैठ गये. सिनिमा हॉल मे ज़्यादा भीड़ नही थी. मैने अपने आप को ज़्यादा रोकने की कोशिश किया बिना उनके कंधे पर अपना सिर रख दिया और प्यार से उनके हाथ को पकड़ कर दबाया. उन्होने भी अपना हाथ मेरी गर्दन के पीछे से मेरे कंधे पर रखा तो उनकी हथेली मेरी चुचि तक पहुँच गयी. उन्होने मेरी चुचि और मेरी निप्पल को दबाया और मसला. मैं उनसे करीब करीब चिपक कर बैठी हुई थी और मैने अपना हाथ उनके पैरों के जोड़ पर ले जा कर उनके गरम, उठे हुए, कड़क लौडे को उनकी पंत के उपर से ही पकड़ लिया. मैने पाया कि हमेशा की तरह उनका चुदाई का औज़ार लॉडा अपना आकार बढ़ा कर बड़ा…..और बड़ा, कड़क…… और कड़क……, गरम ……. और गरम हो रहा है. वो मेरी चुचि से खेलते जा रहे थे और मैं पॅंट के उपर से उनके लौडे से खेलती रही. ये बहुत खास बात थी कि हम हम बे काबू नही हुए. उन्होने मेरी चुचि मेरे ब्लाउज से बाहर नही निकाली थी और मैने भी उनका लॉडा उनकी पॅंट से बाहर नही निकाला था. लंड और चुचि का खेल चलता रहा और हम ने अपने अपने हाथ पीछे खींच लिए जब हमने देखा कि इंटर्वल होने वाला है और हॉल की बत्तियाँ धीरे धीरे जलनी शुरू हो गई है.
इंटर्वल मे मैं बाथरूम गई और अपनी ब्रा उतार कर अपने पर्स मे रखी ताकि उनके हाथ का पूरा मज़ा अपनी चुचियों पर ले सकूँ और उनके हाथ को भी अपनी गोल गोल कड़क चुचियों का पूरा मज़ा दे सकूँ. मैं वापस अपनी सीट पर आई जहाँ मेरे पति मेरा इंतज़ार कर रहे थे और सिनिमा शुरू होने वाली थी.
गतान्क से आगे.....................
मैं आंजेलीना से गोआ मे मिली तो वो मुझे बहुत खुश लगी. उसमे मुझे बताया कि उसका पति चुदाई मे बहुत होशियार है और काफ़ी मज़बूत भी है. वो उसे करीब करीब रोज़ ही चोद्ता है और चुदाई का पूरा मज़ा देता है. उसने मुझे बताया कि कैसे उसका पति उसको अलग अलग तरीकों से, काफ़ी देर तक चोद्ता है. मैं ये जान कर बहुत खुश हुई कि मेरी सब से प्यारी, सब से अच्छी सहेली भी मेरी तरह चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है और अपने पति से चुदाई मे पूरी तरह संतुष्ट है. मैं एक आम आदमी या आम औरत से ज़्यादा जानती हूँ कि जिंदगी मे चुदाई का क्या महत्व है.
अपने बचपन की सहेली के साथ ऐसी चुदाई की बातें करते करते मैं गरम होने लगी और मेरी चूत से रस निकलना शुरू हो गया. गरम तो वो भी हो रही थी और हम दोनो ही आपस मे लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी. मगर उस समय ये संभव नही था क्यों कि उस के घर मे सब लोग मौजूद थे और ये ठीक नही होता कि सब लोगों की मौजूदगी मे हम किसी कमरे मे जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर के लेज़्बीयन प्यार और चुदाई करते. मैने आंजेलीना को अपने घर आने का निमंत्रण दिया क्यों कि मेरे घर मे हमें अपना लेज़्बीयन चुदाई का खेल खेलने का पूरा मौका और एकांत मिल सकता था. उसने मुझ से कहा कि वो भी मुझे प्यार देना चाहती है और मुझ से प्यार लेना चाहती है. उसने मौका मिलने पर मेरे घर आ कर लेज़्बीयन चुदाई का वादा किया. वो मुझ से गले मिली, हम ने चुंबन किया और मैं उसकी चुचियाँ दबाना नही भूली थी. उसने भी मेरे पैरों के बीच हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को जैसे मसल दिया.
मैं अपनी साड़ी के नीचे, अपनी चूत रस से गीली चड्डी पहने, अपने घर की तरफ रवाना हुई जहाँ मेरे पति सिनिमा जाने के लिए मेरी राह देख रहे थे. आप की जानकारी के लिए बता दूं कि हम बहुत कम सिनिमा हॉल मे सिनिमा देखने जाते हैं. पर जब भी जातें हैं, पूरा पूरा मज़ा लेते हैं. सिनिमा का भी और आपस मे अपनी प्राइवेट सिनिमा का भी, जितना भी संभव हो.
हम समय पर सिनिमा हॉल पहुँच गये और अपनी कोने की सीट पर बैठ गये. सिनिमा हॉल मे ज़्यादा भीड़ नही थी. मैने अपने आप को ज़्यादा रोकने की कोशिश किया बिना उनके कंधे पर अपना सिर रख दिया और प्यार से उनके हाथ को पकड़ कर दबाया. उन्होने भी अपना हाथ मेरी गर्दन के पीछे से मेरे कंधे पर रखा तो उनकी हथेली मेरी चुचि तक पहुँच गयी. उन्होने मेरी चुचि और मेरी निप्पल को दबाया और मसला. मैं उनसे करीब करीब चिपक कर बैठी हुई थी और मैने अपना हाथ उनके पैरों के जोड़ पर ले जा कर उनके गरम, उठे हुए, कड़क लौडे को उनकी पंत के उपर से ही पकड़ लिया. मैने पाया कि हमेशा की तरह उनका चुदाई का औज़ार लॉडा अपना आकार बढ़ा कर बड़ा…..और बड़ा, कड़क…… और कड़क……, गरम ……. और गरम हो रहा है. वो मेरी चुचि से खेलते जा रहे थे और मैं पॅंट के उपर से उनके लौडे से खेलती रही. ये बहुत खास बात थी कि हम हम बे काबू नही हुए. उन्होने मेरी चुचि मेरे ब्लाउज से बाहर नही निकाली थी और मैने भी उनका लॉडा उनकी पॅंट से बाहर नही निकाला था. लंड और चुचि का खेल चलता रहा और हम ने अपने अपने हाथ पीछे खींच लिए जब हमने देखा कि इंटर्वल होने वाला है और हॉल की बत्तियाँ धीरे धीरे जलनी शुरू हो गई है.
इंटर्वल मे मैं बाथरूम गई और अपनी ब्रा उतार कर अपने पर्स मे रखी ताकि उनके हाथ का पूरा मज़ा अपनी चुचियों पर ले सकूँ और उनके हाथ को भी अपनी गोल गोल कड़क चुचियों का पूरा मज़ा दे सकूँ. मैं वापस अपनी सीट पर आई जहाँ मेरे पति मेरा इंतज़ार कर रहे थे और सिनिमा शुरू होने वाली थी.