Badla बदला compleet

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rajaarkey
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Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 13:26

गतान्क से आगे...
कार का दरवाज़ा खोल कामिनी हाथ मे 1 पॅकेट थामे वीरेन के बंगल के अहाते
मे उतरी.10 दिन हो गये थे सुरेन सहाय की मौत को & इस बीच उसने वीरेन से
केवल फोन पे ही बात की थी & उसे वो बहुत मायूस लगा था लेकिन अब वक़्त आ
गया था की उसे उसकी मायूसी से बाहर लाया जाए.सीढ़िया चढ़ उसने मैं
दरवाज़े के बाहर लगी डोरबेल बजाई.

"हां....मैं आपको बाद मे फोन करता हू.",कान पे मोबाइल लगाए वीरेन ने दरवाज़ा खोला.

"खाना खाया?",कामिनी अंदर दाखिल हुई तो वीरेन ने दरवाज़ा बंद कर दिया.

"नही."

"मुझे पता था.",कामिनी ने साथ लाया पॅकेट खाने की मेज़ पे रख के
खोला,"..चलो बैठो मैं खाना निकालती हू.".साथ बैठ के खाना खाते हुए कामिनी
ने महसूस किया कि वीरेन अभी भी थोड़ा उदास था.उसने तय कर लिया की आज की
रात ही वो उसकी इस मायूसी को ख़त्म कर के रहेगी.

"वीरेन,कब तक ऐसे मायूस बैठे रहोगे?",खाना ख़त्म होते ही वो सीधे मुद्दे पे आई.

"मैं मायूस नही हू.",वीरेन ने नज़रे फेर ली.

"अच्छा!तुम्हारे चेहरे से तो ऐसा नही लगता."

"मेरी शक्ल ही ऐसी है."

"नही.बिल्कुल नही है.मेरी बात टालो मत..",कामिनी ने उसका चेहरा अपनी ओर
घुमाया,"..वीरेन जो हुआ अचानक & बहुत बुरा हुआ लेकिन क्या तुम्हारे
भाइय्या अभी तुम्हे इस हाल मे देख के खुश हो रहे होंगे?",भाई के ज़िक्र
ने वीरेन की आँखो मे पानी ला दिया,"..इस गम को दिल से निकालो वीरेन वरना
ये तुम्हे भी खा जाएगा."

"तुम..तुम ऐसा क्यू नही करते?"

"कैसा?"

"पैंटिंग करो..अपने ध्यान इन बातो से हटाओ & रंगो की दुनिया मे खो
जाओ..हां..यही ठीक रहेगा!",कामिनी खड़ी हुई & उसका हाथ पकड़ के उसे भी
खड़ा किया,"चलो..!"

वीरेन के स्टूडियो मे दाखिल हो कामिनी ने उसे उसके ईज़ल के पास खड़ा कर
उसके ब्रश उसके हाथ मे थमाए,"ये लो."

कामिनी उसके पीछे 1 कुर्सी खींच के बैठ गयी.वीरेन थोड़ी देर तक तो ऐसे ही
खड़ा रहा फिर उसने ऐसे ही आडी-तिर्छि लकीरे खींचना शुरू किया.थोड़ी ही
देर मे 1 जंगल की तस्वीर बन गयी थी.कामिनी ने गौर किया कि वीरेन अपने काम
मे डूब रहा था.वो खड़ी हुई,"वेरी गुड.अब मैं चलती हू.तुम पैंटिंग
करो.",वो मूडी.

"तुम कहा चली.",वीरेन ने जाती हुई कामिनी की दाई कलाई थाम ली.

"तुम पैंटिंग करो ना,मैं यहा क्या करूँगी?"

"जो तुमने यहा पिच्छली बार किया था.",वीरेन ने उसे खींचा तो कामिनी उसके
सीने से आ टकराई.उसका दिल खुशी से भर उठा था,इतनी जल्दी वीरेन अपने
पुराने अंदाज़ मे लौटेगा उसे पता ही नही था.वीरेन ने उसे सर से पाँव तक
निहारा,जुड़े मे बँधे बालो से सज़ा उसका खूबसूरत चेहरा अपने प्रेमी की
निगाहो की तपिश से लाल हो रहा था & गुलाबी सारी मे लिपटा उसका बदन जैसे
उसकी नज़रो से घबर खुद मे ही सिमटना चाह रहा था.कामिनी का सारी का पल्लू
उसके दाए कंधे से होता हुआ पीठ पे से घूम के उसके बाए कंधे पे रखा हुआ था
& वो इस वक़्त बिल्कुल गुड़िया सी लग रही थी.

"ऐसा रूप..ऐसा..हुस्न..",उसकी बाहे थाम वीरेन ने उसे अपने ईज़ल के बगल मे
खड़ा किया & उसपे से पुराना काग़ज़ हटा 1 बहुत बड़ी सी स्केच बुक टीका
दी.हाथ मे चारकोल लिए वो कामिनी का स्केच बनाने लगा.शर्मोहाया की मूरत के
इस स्केच की मदद से कल इतमीनान से पैंटिंग बनाएगा.स्केच तैय्यार होते-2
कामिनी के रूप ने उसे बेचैन करना शुरू कर दिया था.

स्केच ख़त्म होते ही उसने उसे बाहो मे भर लिया & चूमने लगा,"ओह्ह..क्या
करते हो..आराम से करो ना..ऊव्व..",उसने उसके बाए कान पे काट लिया
था.कामिनी ने हाथ को कान पे रख उसकी ओर प्यार भरे गुस्से से देखा,"मैं जा
रही हू..तुम बड़ी बदतमीज़ी कर रहे हो आज!"

"जवाब मे वीरेन ने उसकी कमर पे अपनी बाहे कस उसे खुद से बिल्कुल चिपका
लिया & उसके कान पे चूम लिया,"लो अब तो तमीज़ से पेश आ रहा हू.",दोनो
प्रेमी 1 दूसरे के आगोश मे 1 दूसरे के प्यासे होंठो की प्यास बुझाने
लगे.वीरेन का लंड उसके शॉर्ट्स से निकलने को बेताब हो रहा था & कामिनी के
पेट मे चुभ रहा था.उसके हाथ अपनी प्रेमिका के बदन को सहला रहे थे.कामिनी
उसकी करीबी से मदहोश हो गयी थी,उसकी आँखे बंद हो गयी थी & उसकी उंगलिया
प्यार से वीरेन के बालो से खेल रही थी.वो उसके सर को अपने गले पे दबा रही
थी.

वीरेन जोश मे कुच्छ ज़्यादा आगे हो उसे चूमने लगा तो वो लड़खड़ाई & पीछे
के दीवान पे गिर पड़ी.वीरेन ने उसे फ़ौरन थामा & उसके साथ दीवान पे बिठा
उसे चूमने लगा.इस अफ़रा-तफ़री मे कामिनी के कंधो से उसका आँचल ढालक गया &
जो नज़ारा वीरेन ने देखा उसने उसके होश उड़ा दिए.

कामिनी ने स्ट्रेप्लेस्स ब्लाउस पहना था जोकि उसके सीने को च्छूपा रहा था
यानी की उसके कंधे & उसकी छातियो का हिस्सा पूरी तरह से नंगा
था,"वाउ..!",वीरेन के मुँह से बेसखता निकल गया.उसने अपने हाथ उसके मखमली
कंधो पे फिराए तो कामिनी की आग और भड़क उठी.वीरेन झुक के उसके कंधे चूमने
लगा.उसके होंठ कामिनी के चेहरे & होंठो से होते हुए उसकी सुरहिदार गर्दन
पे आते & फिर नीचे हो उसके कंधो & फिर उसकी छातियो से उपर के हिस्से पे
घूमने लगते.

कामिनी का दिल कर रहा था की वो अब बस उसके ब्लाउस को हटा उसकी चूचियो को
अपने मुँह मे भर ले लेकिन वीरेन ऐसा कुच्छ नही कर रहा था.वो जानती थी की
वो उसे तडपा-2 के पागल कर देगा & उसके बाद जब वो झदेगी तब जो खुशी उसे
मिलेगी उसका कोई मुकाबला नही होगा.कामिनी ने अपने अपिर उपर दीवान पे चढ़ा
लिया & उन्हे मोड़ के अपनी आएडियो को अपनी गंद के नीचे दबा के बैठ
गयी.सिरेन उसे बाहो मे भरे वैसे ही चूमे जा रहा था.

चूमते-2 वीरेन ने उसकी कलाइया पकड़ दोनो हाथ ऊपर हवा मे उठा दिए.ऐसा करने
से उसकी चूचिया जोकि जोश के मारे और बड़ी हो गयी थी,उसके ब्लाउस के उपर
से बाहर निकल खुली हवा मे सांस लेने को बेताब हो उठी मगर ब्लाउस के बंधन
ने उन्हे ऐसा नही करने दिया & उनका बस थोड़ा सा हिस्सा ही बाहर आ
पाया.वीरेन उसकी कलाईयो को अपने हाथो से हवा मे थामे उसकी जीभ से जीभ
लड़ा रहा था & कामिनी की चूत से उसका रस बहने लगा था.उसने सोचा की अब
वीरेन उसके कपड़े उतारना शुरू करेगा मगर वो चौंक पड़ी जब वीरेन उसे
छ्चोड़ बिस्तर से उठ गया.

"ऐसे ही रहना.हिलना मत.",वो स्केच बुक के अगले पन्ने पे जल्दी-2 हाथ
चलाने लगा.कामिनी के चेहरे पे च्छाई खुमारी मे थोड़ा सा खिज का भाव मिला
हुआ था & यही वीरेन को चाहिए था.हवा मे हाथ उठाए भरे शरीर वाली कामिनी
अभी खजुराहो की मूर्ति जैसी लग रही थी.वीरेन की निगाहे उसके ब्लाउस के
नीचे दिख रहे उसके सपाट पेट पे पड़ी तो उसका लंड और तन गया.उसकी नाभि उसे
उसकी चूत की याद दिला रही थी.

स्केत्च बना वो वापस अपनी प्रेमिका के पास आया तो उसने उसे नाराज़ हो परे
धकेल दिया & पीठ उसकी तरफ कर दीवान के उठे हिस्से पे हाथ & उनपे अपना
मुँह रख बैठ गयी,"..मैं तो बस 1 मूरत हू तुम्हारे लिए..जिसकी पैंटिंग
बनाते रहो!"

"मूरत तो तुम हो..",वीरेन के मज़बूत बाजुओ ने उसे अपनी ओर घुमा
लिया,"..अजंता की मूरत हो तुम.",उसकी गुदाज़ बाहो को पकड़ उसने उसका माथा
चूम लिया,"कहा था ना,तुम्हारा हर अंदाज़,हर पहलू मैं कॅन्वस पे उतारना
चाहता हू..कामिनी..तुम कितनी खूबसूरत..कितनी हसीन हो..ये तुम्हे क्या
पता..ये पैंटिंग मेरी सबसे बेहतरीन पेंटिंग्स होंगी लेकिन अगर तुम्हे नही
पसंद तो ठीक है मैं बस तुम्हारी इबादत करता हू,अपनी देवी की तस्वीर नही
बनाता हू.",वो झुक के उसके सीने पे चूमने लगा.वो अभी भी खड़ा था बस उसका
दाया घुटना सहारे के लिए दीवान पे था.ऐसे मे उसका लंड कामिनी के चेहरे के
पास ही था & वो उसे पकड़ने के लिए बेचैन हो उठी.

"उम्म..अब ज़्यादा बाते मत बनाओ.अच्छी तरह जानते हो की मैं तुम्हे कभी
मना नही करूँगी.",कामिनी नेआपना हाथ उसकी टी-शर्ट मे घुसा उसके बालो भरे
सीने पे मचलते हुए हाथ फिराए.वीरेन ने फ़ौरन अपनी शर्ट निकाल दी तो
कामिनी दीवान के उठे हिस्से से उपर उठाई & उसे अपनी ओर खींच लिया.उसकी
पीठ पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए उसके सीने पे वो अपने हाथो के निशान
छ्चोड़े जा रही थी.उसके निपल्स को अपने नखुनो से च्छेदते हुए जब उसने
अपने तपते होंठो से उसके सीने को चूमा तो वीरेन का लंड उसकी चूचियो से दब
गया.

अब कामिनी के बर्दाश्त की हद टूट गयी.उसने उसकी शॉर्ट्स को खींच कर नीचे
किया & अपना दाया हाथ उसकी पीठ पे लगाए हुए बाए मे लंड को थाम लिया.उसकी
झांतो मे उंगलिया फिराते हुए उसने उसके आंडो को दबाया तो वीरेन ने आँखे
बंद कर मज़े मे आह भरी.उसने कामिनी के चेहरे को ठुड्डी पकड़ उपर किया &
झुक के उसे चूम लिया.थोड़ी देर चूमने के बाद कामिनी ने अपने गुलाबी होंठ
उसके लंड के गिर्द लपेट दिए.

वीरेन ने उसके रेशमी बालो को जुड़े के बंधन से आज़ाद किया & कुच्छ लाटो
को पकड़ अपने लंड पे लपेट दिया.कामिनी मुस्कुराइ & अपने बालो से उसके लंड
को लपेट हिलाते हुए उसका लंड चूसने लगी.वीरेन प्यार से उसके सर & पीठ पे
हाथ फेर रहा था.कामिनी के मुलायम बॉल & जीभ उसके लंड को जन्नत की सैर करा
रहे थे.कामिनी ने सोचा की अब वो या तो उसके मुँह मे झाड़ जाएगा या फिर अब
फ़ौरन उसकी चुदाई मे लग जाएगा मगर उसे वीरेन के सब्र का अंदाज़ा नही
था.काफ़ी देर बाद वीरेन ने लंड मुँह से खींचा & झुक के उसके साथ दीवान पे
बैठ गया.

अपनी बाँहो मे भर वो उसे फिर से चूमने लगा.कामिनी की ज़ुबान पे उसके
प्रेकुं का स्वाद था.उसके हाथ कामिनी की कमर के बगल के मांसल हिस्से को
दबा रहे थे & कामिनी अब बेचैनी से अपनी जांघे रगड़ अपनी चूत को सांत्वना
दे रही थी.कामिनी के ब्लाउस मे हुक्स की जगह ज़िप थी & स्रर्र्र्ररर की
आवाज़ से वीरेन के हाथ ने 1 झटके मे ही उसे खोल दिया.ब्लाउस जिस्म से अलग
होते ही गुलाबी स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कामिनी के सीने के मस्त उभार उसकी
आँखो के सामने छलक उठे.

वो झुका & ब्रा के उपर से झलक रही उसकी आधी उपरी चूचियो को चूमने
लगा.अपने दाँत से उसने जब हल्के से उन्हे काटा तो कामिनी की चूत और कसमसा
उठी.वो उसकी कमर के मांसल हिस्से को सहलाते हुए बस उसके सीने पे वैसे ही
चूमे जा रहा था.जब कामिनी ने देखा की वो ब्रा खोलने का कोई जतन नही कर
रहा है तो उसने खुद ही अपने हाथ पीछे ले जाके ब्रा के हुक्स खोल अपनी
चूचियो को आज़ाद कर दिया.

वीरेन ने उसकी च्चालच्छालती चूचियो को हाथो मे पकड़ उसपे जैसे ही अपनी
जीभ फिराई कामिनी की चूत मे मानो कोई बाँध टूट पड़ा & उसकी चूत से रस की
धारा बह चली,"उउन्न्ह...उऊन्ह....!",कराहते हुए उसने वीरेन के सर को अपने
सीने पे भींच लिया & बेचैनी से कमर हिला,जंघे रगड़ते हुए झड़ने लगी.वीरेन
ने अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाल उसे थाम लिया & दाए से उसकी सारी उपर
उठाने लगा.सारी कमर तक उठा वो उसकी टाँगो & गोरी जाँघो को सहलाने लगा.अभी
कामिनी पूरी तरह से उबरी भी नही थी की वीरेन ने उसे दोबारा मस्त कर दिया.

उसके नर्म होंठ चूमते हुए वो उसकी जंगो के बीच हाथ घुसाए था.कामिनी ने भी
अपनी जंघे भींच उसके हाथ को क़ैद कर लिया था.वीरेन का बाया हाथ उसकी पीठ
पे घूम रहा था.वीरेन का हाथ अब उसकी पॅंटी तक जा पहुँचा था & उसकी
उंगलिया पॅंटी के किनारे से अंदर दाखिल हो रही थी.कामिनी ने कमर को थोड़ा
आगे उचका उंगलियो को चूत के अंदर आने का न्योता दिया जिसे उन्होने बड़ी
खुशी से कबूला.वीरेन की उंगलिया उसकी चूत के अंदर-बाहर होने लगी & उसकी
ज़ुबान उसके मुँह के.कामिनी अब जोश से पागल हो रही थी & अपनी कमर हिलाए
जा रही थी.उसकी चूत मे बहुत तनाव बन गया था & वीरेन के उंगलियो की
रफ़्तार तेज़ होते जा रही थी.

अचानक कामिनी ने किस तोड़ दी & अपने होंठ "ओ" की शक्ल मे गोल कर दिए.उसकी
आँखे बंद हो गयी थी & ऐसा लग रहा था मानो वो बेहोश हो गयी है जबकि
हक़ीक़त ये थी की वो दोबारे झाड़ रही थी.वीरेन ने उसे हौले से दीवान पे
लिटाया & उसकी सारी & पेटिकोट को खोलने लगा.कामिनी ने आँखे खोली,उसका
चेहरा देखने पे ऐसा लगता था मानो वो नशे मे डूबी थी.वो दीवान पे पड़ी
अपने प्रेमी के हाथो नंगी होती रही.जब वीरेन ने उसकी चूत से चिपकी उसकी
गीली पॅंटी खींची तो उसने अपनी कमर उठा उसकी मदद की.

उसे लिटा के वीरेन वापस अपने ईज़ल के पास आया & जल्दी-2 कामिनी का 1 और
स्केच बनाने लगा.कामिनी के जिस्म मे बहुत सुकून भरा था मगर अभी भी उसे
वीरेन के लंड इंतेज़ार था.उसने अपने प्रेमी को देखा जोकि उसकी खूबसूरती
कॅन्वस पे उतारने मे मगन था.उसकी नज़रे नीची हुई & उसने उसका तना लंड
देखा.उसके दिल मे 1 कसक सी उठी.

rajaarkey
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Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 13:27

रात बीती जा रही थी & उसके जिस्म का लुत्फ़ उठमने के बजाय ये आदमी बस
अपनी कूची चलाए जा रहे था!..बेवकूफ़ कही का!कामिनी दीवान से उठी,"..अरे
बस थोड़ी देर और वैसे ही लेटी रहो ना!",वीरेन ने उस से गुज़ारिश की मगर
कामिनी उसे अनसुना कर उसके पास आ खड़ी हो गयी.

उसने वीरेन के गले मे बाहे डाली & उसके होंठो पे अपने होंठ कस दिए.वीरेन
समझ गया की अब इस रात वो उसे और अपिंटिंग नही करने देगी.उसने भी अपनी
बाहे उसकी कमर मे डाल दी & उसकी गंद की भारी-2 फांको को मसलते हुए उसकी
किस का जवाब देने लगा.जैस-2 किस की गर्मजोशी बढ़ रही थी वैसे-2 कामिनी के
उपर च्छाई खुमारी मे भी इज़ाफ़ा हो रहा था.वो अपने बदन को बेचैनी से
वीरेन के जिस्म से रगड़ रही थी.वीरेन का लंड भी अब उसकी चूत से मिलने को
बेचैन हो गया था.अब वीरेन ने और देर करना ठीक नही समझा.

वो थोड़ा झुका & कामिनी की बाई जाँघ को उठा लिया.कामिनी समझ गयी की अब
उसका इंतेज़ार ख़त्म हुआ,उसने अपनी बाहे उसके कंधो पे टीका दी.वीरेन ने
वैसे ही झुके हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया,"ओह्ह्ह...!",कामिनी को
हल्का दर्द हुआ.

उसके आँखे बंद कर अपने होंठ भींच लिए.उसकी चूत अभी वीरेन के लूंबे & बेहद
मोटे लंड की आदि नही हुई थी.लंड पूरा समाते ही वीरेन ने उसकी जंघे पकड़
अपनी गोद मे उठा लिया & उसे ले दीवान पे बैठ गया.बैठते ही कामिनी ने उसे
चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ कभी उसकी कमर
से खेलते तो कभी गंद की फांको को दबाते.जब वो हाथ आगे ला उसके कड़े
निपल्स को मसल उसकी चूचिया दबाता तब उसके बदन मे जैसे बिजलिया दौड़ जाती.

वीरेन की गोद मे बैठी उस से चुद्ति कामिनी को उसका लंड सीधा अपनी कोख पे
चोट करता महसूस हो रहा था.जब भी ऐसा होता उसे बहुत मज़ा आता.काफ़ी देर तक
वीरेन वैसे ही बैठे उस से खेलता रहा.अब तक कामिनी कोई 3 बार झाड़ चुकी थी
& उसके बदन मे बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी मगर वीरेन था की झड़ने का नाम
ही नही ले रहा था.ऐसा थकाने वाला प्रेमी उसे पहली बार मिला था मगर इस
थकान मे जो मज़ा था उसका कोई मुक़ाबला नही था.

"..आअन्न...आअननह...!",कामिनी झाड़ के पीछे दीवान पे गिर गयी.अब वीरेन ने
पैंतरा बदला & अपने घुटने मोड़ उनपे बैठ उसने उसकी टाँगे थाम ली.कामिनी
को पता था की अब वो झदेगा मगर जब तक वो 1 बार और ना झाड़ जाए.वीरेन के
धक्के शुरू हो गये & कामिनी की आहे भी.उसने अपना मुँह बाई तरफ फेर लिया &
अपना बाया हाथ उस के अपने होंठो पे रख लिया.वीरेन पूरा लंड बाहर खींचता &
फिर अंदर जड़ तक घुसा देता.उसके हाथ कभी उसकी चूचिया मसलते तो कभी चूत के
दाने को.उसके नर्म पेट से उसका दाया हाथ घूमता हुआ उसके चेहरे पे पहुँचा
& उसकी उंगलिया उसके होंठो को सहलाने लगी.

कामिनी सिहर उठी & उसने उन उंगलियो को अपने मुँह मे ले लिया & चूसने
लगी.वीरेन का लंड उसकी चूत को फिर से पागल कर रहा था & वो 1 बार फिर से
अपने मस्ती के अंजाम की ओर बढ़ रही थी.वो वीरेन के धक्को का पूरा लुत्फ़
उठा रही थी की तभी वीरेन ने लंड बाहर निकाल लिया,".आहह..क्या करते
हो?",उसके चेहरे पे नाराज़गी सॉफ झलक रही थी,"..जल्दी डालो ना..!"

वीरेन बस मुस्कुरा रहा था,"..ओह्ह..वीरेन..क्यू तड़पाते हो?!!..जल्दी से
डालो..प्लेआसीए!!!",कामिनी रुआंसी हो गयी.वीरेन ने लंड को दाए हाथ मे
लिया & उसकी चूत पे थपथपाया,"..ऊव्व..".कामिनी मस्ती मे पागल हो कमर
उचकाने लगी,"..आँह..आँह...डालो ना..",वो लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी
मगर उसका हाथ पकड़ के वीरेन ने उसे रोक दिया & उसके दाने पे लंड से मारने
लगा,"..ऊव्व..ऊव्व...आनंह..आँह...!"

कामिनी की आहे कमरे मे क्या पूरे बंगल मे गूँज रही थी.उसकी मस्ती अब उसके
सर पे पूरा चढ़ गई थी & जैसे ही वीरेन ने देखा की वोंझड़ने वाली है उसने
लंड अंदर घुसेड दिया & अपनी प्रेमिका के उपर लेट गया.कामिनी ने उसे अपनी
बाहो & टाँगो मे कस लिया & नीचे से बेचैनी से कमर हिलाने
लगी,"ओह्ह..वीरेन..हा..हां...करते..रा..हो..का..रते...रा..हो...आअनह...आनह...!",1
दूसरे से गुत्था-गुत्था दोनो प्रेमी ! दूसरे को चूमते 1 दूसरे मे सामने
की कोशिश करते हुए झाड़ गये.कामिनी की चूत आज वीरेन के लंड पे कुच्छ
ज़्यादा ही कस गयी थी & उसकी भी आहे निकल पड़ी थी.उसके लंड से उसके गाढ़े
वीर्या की धार काई पॅलो तक कामिनी की चूत मे छूटती रही.

आज से ज़्यादा मज़ा कामिनी को चुदाई मे कभी नही आया था.उसके दिल मे अपने
प्रेमी के लिया बहुत सारा प्यार उमड़ आया था.उसने उसके सर को थाम उसे चूम
लिया.चाहती तो थी की वो उसे अपने दिल मे उमड़ रही सारी बाते उस से कह दे
मगर उसकी थकान ने उसे इस लायक नही छ्चोड़ा था.उसकी आँखे मूंद गयी & वो
गहरी नींद मे सो गयी.


प्रसून सो रहा था & उसके बगल मे उसकी मा लेटी थी जिसकी आँखो मे नींद का
नामोनिशान नही था.कर्वते बदलती देविका को हर रात की तरह इस रात भी आने
वाले कल की चिन्ताओ ने आ घेरा था..क्या वो सब कुच्छ बखूबी संभाल
पाएगी?..क्या उसका बेटा उसके जाने के बाद भी महफूज़ रहेगा?..

तभी प्रसून नींद मे जैसे कराहने लगा.देविका उठके उसे देखने लगी,प्रसून का
बदन जैसे झटके खा रहा था & उसके मुँह से उउन्न्ह..उऊन्ह की आवाज़े आ रही
थी..वो बहुत घबरा गयी & वो प्रसून को झकझोरने ही वाली थी की तभी उसके
होंठो पे मुस्कान फैल गयी-प्रसून के पाजामे पे 1 गीला सा धब्बा उभर रहा
था जोकि पल-2 गहरा रहा था.उसका बेटा नींद मे झाड़ रहा था.

प्रसून की नींद खुल गयी थी.ये देख देविका ने फ़ौरन आँखे बंद कर ली & सोने
का नाटक करने लगी.प्रसून हैरत से अपने पाजामे को देख रहा था,उसे बहुत
शर्म आ रही थी.वो उठा & झट से बाथरूम मे घुस गया.देविका भी उसके पीछे-2
दबे पाँव गयी.

बाथरूम के अंदर पाजामा उतारे खड़ा प्रसून अचरज से अपने लंड को देख रहा
था.कुच्छ रोज़ से ये अजीब बात हो रही थी जोकि प्रसून को 1 बहुत बड़ी
बीमारी की निशानी लग रही थी.पहेल तो उसने सोचा था की वो नींद मे पेशाब कर
देता है मगर ये पेशाब नही था,ये तो अजीब सा चिपचिपा सा थूक...नही..थूक बस
गीला होता था..ये तो गोंद की तरह..नही..इतना भी चिपचिपा नही था..क्या था
ये?

देविका ने बेटे का लंड देखा,काली झांतो से घिरा उसका लंड उसके पिता से
कही ज़्यादा बड़ा था.प्रसून लंड धो रहा था तो देविका वैसे ही दबे पाँव
वापस लौट गयी.1 बात तो तय थी की प्रसून की मर्दानगी मे कोई कमी नही थी.अब
बस उसे ये समझना था की इस मर्दानगी का इस्तेमाल कैसे & क्यू करते हैं?

परेशान हाल प्रसून ने अपना पाजामा बदला & आके मा के बगल मे सो गया.उसका
दिल था तो बहुत घबराया हुआ,उसकी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे किस
से बात करे.उस बेचारे को क्या खबर थी की उसकी मा को सब पता चल गया था &
वो कल ही उस से बात कर उसके मन के सभी शुबहे दूर करने वाली थी.

कोई और औरत होती तो अपने बेटे को नींद मे झाड़ते देख उस से कही ज़्यादा
शर्म मे डूब जाती & उस से बात करना तो दूर उस बात के बारे मे फिर कभी
सोचना भी नही पसंद करती मगर प्रसून कोई आम,समझदार लड़का तो था नही &
देविका तो कही से भी आम औरत नही थी.उस हौसलेमंद औरत ने ये फ़ैसला कर लिया
था की कारोबार के साथ-2 अपने बेटे की ज़िंदगी को भी सावरेंगी & इसके लिए
वो हर बात के लिए तैय्यार थी.

थोड़ी देर प्रसून फिर से नींद की गोद मे चला गया था मगर देविका भी भी
जागी हुई थी.तभी कमरे का दरवाज़ा खुला & शिवा अंदर दाखिल हुआ.देविका उसे
आते देख रही थी.वो आया & उसके बगल मे बैठ गया & उसका हाथ थाम लिया.देविका
ने भी अपने हाथ की उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसा दी.

"ठीक हो?",शिवा ने बड़े प्यार से अपनी प्रेमिका के सर पे हाथ फेरा.जवाब
मे देविका ने हा मे सर हिलाया.

"ज़रा भी परेशान मत होना,मैं हू ना.",शिवा धीमी आवाज़ मे बोल रहा था की
कही प्रसून जाग ना जाए.देविका को उसकी आँखो मे खुद के लिए प्यार & चिंता
नज़र आई.वो उसके हाथ थामे हुए उठी & दूसरे हाथ से उसके चेहरे को
सहलाया.दोनो प्रेमी 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे.1 दूसरे की आँखो मे
झाँकते हुए कब दोनो 1 दूसरे के गले से लग गये उन्हे पता भी नही चला.

"श,शिवा..!",देविका की आँखो से आँसुओ की धार बह चली.

"नही,देविका,नही..चुप हो जाओ.",शिवा उसके खूबसूरत चेहरे को हाथो मे भर
उसके आँसुओ को चूम रहा था लेकिन उसकी हमदर्दी ने शायद देविका के अंदर का
बाँध तोड़ दिया था & उसकी रुलाई तेज़ हो रही थी.शिवा ने उसे गोद मे उठाया
& जल्दी से उस कमरे से निकल गया,अगर प्रसून उठ जाता तो बड़ी परेशानी
होती.कमरे से निकल वो देविका के कमरे की ओर जाने लगा तो उसने उसे रोक
दिया,"नही,वाहा नही.",अब वो फुट-2 के रो रही थी मगर शिवा ने उसकी बात नही
मानी & उसे वही ले गया.

उसके बिस्तर पे उसे बिठा के वो खुद भी उसकी दाई तरफ बैठ गया & उसे बाँहो
मे भर चुप करने लगा,"कब तक इस कमरे से भगोगी?जानता हू,तुम्हे कैसा लगता
होगा मगर इस तरह से भागने से तो नही होगा..हूँ..",आँसुओ से भीगे उसके
चेहरे को उसने अपनी बाँह से उठाया,"..तुम्हे बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उठानी
है अभी & जानती हो अगर 1 बार भी कही कमज़ोर पड़ी तो फिर तुम्हारा दिल हर
बार तुम्हे पीछे खींचेगा..",देविका की रुलाई अब धीमी हो गयी थी.

"..& पीछे हटना बहुत आसान होगा.तुमको कोई परेशानी नही होगी मगर 1 दिन सब
कुच्छ तुम्हारे हाथ से निकल जाएगा & तुम पछ्तओगि.",उसकी बातो ने देविका
के उपर जादू सा असर किया..नही!ये सब वो खोने नही देगी..सब उसका है सिर्फ़
उसका!

"..इसलिए अब इस कमरे से भागना छ्चोड़ो.अगर प्रसून को साथ सुलाना है तो
उसे यहा बुलाओ मगर तुम यही सोयोगि.",शिवा उसकी आँसुओ से लाल आँखो मे झाँक
रहा था.वो झुका & उसने उसके गालो पे गिरे आसुओं को अपने लाबो से पोंच्छ
दिया.देविका को उस लम्हे उसपे बहुत प्यार आया.उसने उसे बाहो मे जाकड़
लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगी,"आइ लव यू,शिवा!..माइ
डार्लिंग!..माइ जान.. आइ लव यू!"

दोनो प्रेमी 1 दूसरे मे खोने लगे.थोड़ी ही देर मे दोनो बिस्तर पे नंगे 1
दूसरे से गुत्थमगुत्था थे.देविका को अब याद भी नही था की बस चंद दीनो
पहले इसी बिस्तर पे उसके उपर,उसकी चूत मे लंड डाले उसका पति मर गया
था.उसे बस इस लम्हे का होश था जिसमे वो बिस्तर पे पड़ी थी & उसका
हटता-कटता प्रेमी उसकी टाँगो के बीच लेटा उसकी चूत चाट रहा था.

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क्रमशः...................



rajaarkey
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Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 13:28

रात बीती जा रही थी & उसके जिस्म का लुत्फ़ उठमने के बजाय ये आदमी बस
अपनी कूची चलाए जा रहे था!..बेवकूफ़ कही का!कामिनी दीवान से उठी,"..अरे
बस थोड़ी देर और वैसे ही लेटी रहो ना!",वीरेन ने उस से गुज़ारिश की मगर
कामिनी उसे अनसुना कर उसके पास आ खड़ी हो गयी.

उसने वीरेन के गले मे बाहे डाली & उसके होंठो पे अपने होंठ कस दिए.वीरेन
समझ गया की अब इस रात वो उसे और अपिंटिंग नही करने देगी.उसने भी अपनी
बाहे उसकी कमर मे डाल दी & उसकी गंद की भारी-2 फांको को मसलते हुए उसकी
किस का जवाब देने लगा.जैस-2 किस की गर्मजोशी बढ़ रही थी वैसे-2 कामिनी के
उपर च्छाई खुमारी मे भी इज़ाफ़ा हो रहा था.वो अपने बदन को बेचैनी से
वीरेन के जिस्म से रगड़ रही थी.वीरेन का लंड भी अब उसकी चूत से मिलने को
बेचैन हो गया था.अब वीरेन ने और देर करना ठीक नही समझा.

वो थोड़ा झुका & कामिनी की बाई जाँघ को उठा लिया.कामिनी समझ गयी की अब
उसका इंतेज़ार ख़त्म हुआ,उसने अपनी बाहे उसके कंधो पे टीका दी.वीरेन ने
वैसे ही झुके हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया,"ओह्ह्ह...!",कामिनी को
हल्का दर्द हुआ.

उसके आँखे बंद कर अपने होंठ भींच लिए.उसकी चूत अभी वीरेन के लूंबे & बेहद
मोटे लंड की आदि नही हुई थी.लंड पूरा समाते ही वीरेन ने उसकी जंघे पकड़
अपनी गोद मे उठा लिया & उसे ले दीवान पे बैठ गया.बैठते ही कामिनी ने उसे
चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ कभी उसकी कमर
से खेलते तो कभी गंद की फांको को दबाते.जब वो हाथ आगे ला उसके कड़े
निपल्स को मसल उसकी चूचिया दबाता तब उसके बदन मे जैसे बिजलिया दौड़ जाती.

वीरेन की गोद मे बैठी उस से चुद्ति कामिनी को उसका लंड सीधा अपनी कोख पे
चोट करता महसूस हो रहा था.जब भी ऐसा होता उसे बहुत मज़ा आता.काफ़ी देर तक
वीरेन वैसे ही बैठे उस से खेलता रहा.अब तक कामिनी कोई 3 बार झाड़ चुकी थी
& उसके बदन मे बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी मगर वीरेन था की झड़ने का नाम
ही नही ले रहा था.ऐसा थकाने वाला प्रेमी उसे पहली बार मिला था मगर इस
थकान मे जो मज़ा था उसका कोई मुक़ाबला नही था.

"..आअन्न...आअननह...!",कामिनी झाड़ के पीछे दीवान पे गिर गयी.अब वीरेन ने
पैंतरा बदला & अपने घुटने मोड़ उनपे बैठ उसने उसकी टाँगे थाम ली.कामिनी
को पता था की अब वो झदेगा मगर जब तक वो 1 बार और ना झाड़ जाए.वीरेन के
धक्के शुरू हो गये & कामिनी की आहे भी.उसने अपना मुँह बाई तरफ फेर लिया &
अपना बाया हाथ उस के अपने होंठो पे रख लिया.वीरेन पूरा लंड बाहर खींचता &
फिर अंदर जड़ तक घुसा देता.उसके हाथ कभी उसकी चूचिया मसलते तो कभी चूत के
दाने को.उसके नर्म पेट से उसका दाया हाथ घूमता हुआ उसके चेहरे पे पहुँचा
& उसकी उंगलिया उसके होंठो को सहलाने लगी.

कामिनी सिहर उठी & उसने उन उंगलियो को अपने मुँह मे ले लिया & चूसने
लगी.वीरेन का लंड उसकी चूत को फिर से पागल कर रहा था & वो 1 बार फिर से
अपने मस्ती के अंजाम की ओर बढ़ रही थी.वो वीरेन के धक्को का पूरा लुत्फ़
उठा रही थी की तभी वीरेन ने लंड बाहर निकाल लिया,".आहह..क्या करते
हो?",उसके चेहरे पे नाराज़गी सॉफ झलक रही थी,"..जल्दी डालो ना..!"

वीरेन बस मुस्कुरा रहा था,"..ओह्ह..वीरेन..क्यू तड़पाते हो?!!..जल्दी से
डालो..प्लेआसीए!!!",कामिनी रुआंसी हो गयी.वीरेन ने लंड को दाए हाथ मे
लिया & उसकी चूत पे थपथपाया,"..ऊव्व..".कामिनी मस्ती मे पागल हो कमर
उचकाने लगी,"..आँह..आँह...डालो ना..",वो लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी
मगर उसका हाथ पकड़ के वीरेन ने उसे रोक दिया & उसके दाने पे लंड से मारने
लगा,"..ऊव्व..ऊव्व...आनंह..आँह...!"

कामिनी की आहे कमरे मे क्या पूरे बंगल मे गूँज रही थी.उसकी मस्ती अब उसके
सर पे पूरा चढ़ गई थी & जैसे ही वीरेन ने देखा की वोंझड़ने वाली है उसने
लंड अंदर घुसेड दिया & अपनी प्रेमिका के उपर लेट गया.कामिनी ने उसे अपनी
बाहो & टाँगो मे कस लिया & नीचे से बेचैनी से कमर हिलाने
लगी,"ओह्ह..वीरेन..हा..हां...करते..रा..हो..का..रते...रा..हो...आअनह...आनह...!",1
दूसरे से गुत्था-गुत्था दोनो प्रेमी ! दूसरे को चूमते 1 दूसरे मे सामने
की कोशिश करते हुए झाड़ गये.कामिनी की चूत आज वीरेन के लंड पे कुच्छ
ज़्यादा ही कस गयी थी & उसकी भी आहे निकल पड़ी थी.उसके लंड से उसके गाढ़े
वीर्या की धार काई पॅलो तक कामिनी की चूत मे छूटती रही.

आज से ज़्यादा मज़ा कामिनी को चुदाई मे कभी नही आया था.उसके दिल मे अपने
प्रेमी के लिया बहुत सारा प्यार उमड़ आया था.उसने उसके सर को थाम उसे चूम
लिया.चाहती तो थी की वो उसे अपने दिल मे उमड़ रही सारी बाते उस से कह दे
मगर उसकी थकान ने उसे इस लायक नही छ्चोड़ा था.उसकी आँखे मूंद गयी & वो
गहरी नींद मे सो गयी.


प्रसून सो रहा था & उसके बगल मे उसकी मा लेटी थी जिसकी आँखो मे नींद का
नामोनिशान नही था.कर्वते बदलती देविका को हर रात की तरह इस रात भी आने
वाले कल की चिन्ताओ ने आ घेरा था..क्या वो सब कुच्छ बखूबी संभाल
पाएगी?..क्या उसका बेटा उसके जाने के बाद भी महफूज़ रहेगा?..

तभी प्रसून नींद मे जैसे कराहने लगा.देविका उठके उसे देखने लगी,प्रसून का
बदन जैसे झटके खा रहा था & उसके मुँह से उउन्न्ह..उऊन्ह की आवाज़े आ रही
थी..वो बहुत घबरा गयी & वो प्रसून को झकझोरने ही वाली थी की तभी उसके
होंठो पे मुस्कान फैल गयी-प्रसून के पाजामे पे 1 गीला सा धब्बा उभर रहा
था जोकि पल-2 गहरा रहा था.उसका बेटा नींद मे झाड़ रहा था.

प्रसून की नींद खुल गयी थी.ये देख देविका ने फ़ौरन आँखे बंद कर ली & सोने
का नाटक करने लगी.प्रसून हैरत से अपने पाजामे को देख रहा था,उसे बहुत
शर्म आ रही थी.वो उठा & झट से बाथरूम मे घुस गया.देविका भी उसके पीछे-2
दबे पाँव गयी.

बाथरूम के अंदर पाजामा उतारे खड़ा प्रसून अचरज से अपने लंड को देख रहा
था.कुच्छ रोज़ से ये अजीब बात हो रही थी जोकि प्रसून को 1 बहुत बड़ी
बीमारी की निशानी लग रही थी.पहेल तो उसने सोचा था की वो नींद मे पेशाब कर
देता है मगर ये पेशाब नही था,ये तो अजीब सा चिपचिपा सा थूक...नही..थूक बस
गीला होता था..ये तो गोंद की तरह..नही..इतना भी चिपचिपा नही था..क्या था
ये?

देविका ने बेटे का लंड देखा,काली झांतो से घिरा उसका लंड उसके पिता से
कही ज़्यादा बड़ा था.प्रसून लंड धो रहा था तो देविका वैसे ही दबे पाँव
वापस लौट गयी.1 बात तो तय थी की प्रसून की मर्दानगी मे कोई कमी नही थी.अब
बस उसे ये समझना था की इस मर्दानगी का इस्तेमाल कैसे & क्यू करते हैं?

परेशान हाल प्रसून ने अपना पाजामा बदला & आके मा के बगल मे सो गया.उसका
दिल था तो बहुत घबराया हुआ,उसकी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे किस
से बात करे.उस बेचारे को क्या खबर थी की उसकी मा को सब पता चल गया था &
वो कल ही उस से बात कर उसके मन के सभी शुबहे दूर करने वाली थी.

कोई और औरत होती तो अपने बेटे को नींद मे झाड़ते देख उस से कही ज़्यादा
शर्म मे डूब जाती & उस से बात करना तो दूर उस बात के बारे मे फिर कभी
सोचना भी नही पसंद करती मगर प्रसून कोई आम,समझदार लड़का तो था नही &
देविका तो कही से भी आम औरत नही थी.उस हौसलेमंद औरत ने ये फ़ैसला कर लिया
था की कारोबार के साथ-2 अपने बेटे की ज़िंदगी को भी सावरेंगी & इसके लिए
वो हर बात के लिए तैय्यार थी.

थोड़ी देर प्रसून फिर से नींद की गोद मे चला गया था मगर देविका भी भी
जागी हुई थी.तभी कमरे का दरवाज़ा खुला & शिवा अंदर दाखिल हुआ.देविका उसे
आते देख रही थी.वो आया & उसके बगल मे बैठ गया & उसका हाथ थाम लिया.देविका
ने भी अपने हाथ की उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसा दी.

"ठीक हो?",शिवा ने बड़े प्यार से अपनी प्रेमिका के सर पे हाथ फेरा.जवाब
मे देविका ने हा मे सर हिलाया.

"ज़रा भी परेशान मत होना,मैं हू ना.",शिवा धीमी आवाज़ मे बोल रहा था की
कही प्रसून जाग ना जाए.देविका को उसकी आँखो मे खुद के लिए प्यार & चिंता
नज़र आई.वो उसके हाथ थामे हुए उठी & दूसरे हाथ से उसके चेहरे को
सहलाया.दोनो प्रेमी 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे.1 दूसरे की आँखो मे
झाँकते हुए कब दोनो 1 दूसरे के गले से लग गये उन्हे पता भी नही चला.

"श,शिवा..!",देविका की आँखो से आँसुओ की धार बह चली.

"नही,देविका,नही..चुप हो जाओ.",शिवा उसके खूबसूरत चेहरे को हाथो मे भर
उसके आँसुओ को चूम रहा था लेकिन उसकी हमदर्दी ने शायद देविका के अंदर का
बाँध तोड़ दिया था & उसकी रुलाई तेज़ हो रही थी.शिवा ने उसे गोद मे उठाया
& जल्दी से उस कमरे से निकल गया,अगर प्रसून उठ जाता तो बड़ी परेशानी
होती.कमरे से निकल वो देविका के कमरे की ओर जाने लगा तो उसने उसे रोक
दिया,"नही,वाहा नही.",अब वो फुट-2 के रो रही थी मगर शिवा ने उसकी बात नही
मानी & उसे वही ले गया.

उसके बिस्तर पे उसे बिठा के वो खुद भी उसकी दाई तरफ बैठ गया & उसे बाँहो
मे भर चुप करने लगा,"कब तक इस कमरे से भगोगी?जानता हू,तुम्हे कैसा लगता
होगा मगर इस तरह से भागने से तो नही होगा..हूँ..",आँसुओ से भीगे उसके
चेहरे को उसने अपनी बाँह से उठाया,"..तुम्हे बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उठानी
है अभी & जानती हो अगर 1 बार भी कही कमज़ोर पड़ी तो फिर तुम्हारा दिल हर
बार तुम्हे पीछे खींचेगा..",देविका की रुलाई अब धीमी हो गयी थी.

"..& पीछे हटना बहुत आसान होगा.तुमको कोई परेशानी नही होगी मगर 1 दिन सब
कुच्छ तुम्हारे हाथ से निकल जाएगा & तुम पछ्तओगि.",उसकी बातो ने देविका
के उपर जादू सा असर किया..नही!ये सब वो खोने नही देगी..सब उसका है सिर्फ़
उसका!

"..इसलिए अब इस कमरे से भागना छ्चोड़ो.अगर प्रसून को साथ सुलाना है तो
उसे यहा बुलाओ मगर तुम यही सोयोगि.",शिवा उसकी आँसुओ से लाल आँखो मे झाँक
रहा था.वो झुका & उसने उसके गालो पे गिरे आसुओं को अपने लाबो से पोंच्छ
दिया.देविका को उस लम्हे उसपे बहुत प्यार आया.उसने उसे बाहो मे जाकड़
लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगी,"आइ लव यू,शिवा!..माइ
डार्लिंग!..माइ जान.. आइ लव यू!"

दोनो प्रेमी 1 दूसरे मे खोने लगे.थोड़ी ही देर मे दोनो बिस्तर पे नंगे 1
दूसरे से गुत्थमगुत्था थे.देविका को अब याद भी नही था की बस चंद दीनो
पहले इसी बिस्तर पे उसके उपर,उसकी चूत मे लंड डाले उसका पति मर गया
था.उसे बस इस लम्हे का होश था जिसमे वो बिस्तर पे पड़ी थी & उसका
हटता-कटता प्रेमी उसकी टाँगो के बीच लेटा उसकी चूत चाट रहा था.

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क्रमशः...................



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