छोटी सी भूल compleet

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raj..
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छोटी सी भूल compleet

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 08:55

"छोटी सी भूल

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और लॉन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ कहानी कैसी हैं ये तो आपही बताएँगे दोस्तों जिंदगी मैं इंसान छोटी छोटी बहुत सी भूल करता लेकिन दोस्तों ये कोई नही जानता की कब कोई छोटी सी भूल जिंदगी को नरक बना दे ऐसा ही कुछ इस कहानी में मैं दिखाना चाह रहा हूँ अब आप इस कहानी का मजा लीजिये

मैने सोचा भी नही था कि मेरी एक छोटी सी भूल मेरी जिंदगी में एक तूफान ले आएगी. पिछले साल की बात है, 20 एप्रिल करीब 2 बजे मैं किचन में खाना बना रही थी. गर्मी बहुत थी ईशालिए मैं थोड़ी ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की पर आ गयी.

बाहर से ठंडी हवा का झोंका मुझे तरो ताज़ा कर गया. तभी मुझे ख्याल आया की संजय(मेरे पति) आने वाले है और मैं वापस गॅस की तरफ मूड गयी.

संजय से मेरी शादी 2003 में हुई थी और उन्होने मुझे दुनिया का हर सुख दिया था. संजय एक डॉक्टर है और उनका अपना एक क्लिनिक है. हमारा 5 साल का बेटा भी है जिसको हम चिंटू कह कर पुकारते है.

मैं फिर से ठंडी हवा लेने के लिए खिड़की की तरफ गई तो बाहर देख कर हैरान रह गई.

हमारी खिड़की के बिल्कुल सामने एक 18 या 19 साल का लड़का पेसाब कर रहा था. इश् से पहले कि मैं मूड पाती उस लड़के ने मुझे घूर कर देखा और मैं फॉरन वाहा से हट गई. मेरा दिल धक धक करने लगा, मैं थोड़ा डर गयी थी. पर क्योंकि मुझे लंच तैयार करना था इश्लीए मैं सब भूल कर अपने काम में लग गई, क्योकि संजय किसी भी वक्त खाना खाने आ सकते थे.

तभी डोर बेल बजी और मैने दरवाजा खोला तो पाया कि सामने संजय खड़े थे. उन्होने अंदर आ कर झट से मुझे बाहों मे भर लिया और कहा की आज शाम हम शादी में जेया रहे है. फिर हम तीनो ने खाना खाया. मैं खिड़की वाली बात बिल्कुल भूल चुकी थी.

संजय वापस क्लिनिक चले गये और मैं चिंटू को सुला कर नहाने चली गयी. शाम को हम शादी में गये और हमने खूब एंजाय किया. आते हुवे संजय ने कहा ऋतु तुम कल मेरे लिए लंच मत बनाना क्योकि मैं कल एक क्रूशियल सर्जरी करने वाला हूँ. मैने कहा ठीक है.

अगले दिन मैं रोज की तरह लंच बना रही थी. मैं ठंडी हवा लेने को खिड़की के पास गयी और अपने पसीने पोंछने लगी. तभी ना जाने कहा से एक लड़का आ गया और अपनी ज़िप खोल कर पेसाब करने लगा. मैं वाहा से फॉरन हट गई. मैने कुछ नही देखा.

तभी मुझे ख़याल आया कि अरे ये तो वही कल वाला लड़का है, इसने क्या यहा टाय्लेट बना लिया है. पर हमारे घर के पीछे थोड़ा शुन्सान था और पिछली तरफ कोई घर नही था, तभी शायद लोग यहा टाय्लेट करने लगे थे, पर मैने अब तक किसी और को नही देखा था .

हमारी किचन घर के पिछली तरफ होने की वजह से ये समस्या आन खड़ी हुई थी. खैर मैने सोचा की आगे से मैं ध्यान रखूँगी और कम से कम खिड़की की तरफ जाउन्गि.

अगले दिन संजय को लंच पर आना था इसलिए मैं कुछ ज़्यादा मेहनत कर रही थी. गर्मी से परेशान हो कर मैं खिड़की की तरफ गयी तो चैन मिला के बाहर कोई नही है और मैं ठंडी हवा का आनंद लेने लगी.

पर अचानक वही लड़का ना जाने कहा से आ गया और झट से अपनी ज़िप खोल कर अपना लिंग बाहर निकाल लिया. ये सब इतनी जल्दी हुवा के ना चाहते हुवे भी उसके लिंग पर मेरी नज़र चली गयी. मैं झट से वाहा से हट गयी और भाग कर अपने बेडरूम मे आ गयी.

मैने पहली बार संजय के अलावा किसी और का लिंग देखा था. उस लड़के के लिंग का साइज़ मेरी आँखो मे घूम रहा था. मैं हैरान थी कि इस लड़के का लिंग मेरे पति के लिंग से बड़ा क्यो लग रहा था.

मैने पसीने पोंछ कर पानी पिया ही था की अचानक प्रेशर कुक्कर की सीटी बज उठी और मैं होश मे आई कि संजय आने वाले है. मैं किचन मे वापस आकर अपने काम मे लग गयी. संजय 3 बजे आए और 4 बजे खाना खा कर चले गये. मैं चिंटू को सुला कर सोने के लिए बेडरूम मे लेट गयी.

पर मुझे नींद नही आई. मैं सोच रही थी कि आख़िर ये लड़का कौन है और अक्सर यही आकर क्यो पेसाब करता है, ये कोई इतेफ़ाक़ है या फिर वो ये जानबूझ कर, कर रहा है.

मैने फ़ैसला किया कि मैं रात को संजय से बात करूँगी. पर रात को मैं इस बारे में बात ना कर सकी क्योंकि संजय सेक्स के मूड मे थे और हम संभोग करके सो गये.

खैर अगले दिन मुझे चिंटू के स्कूल जाना था इसलिए मैं संजय के जाने के बाद कोई 11 बजे स्कूल के लिए निकली. स्कूल में चिंटू की मेडम ने बताया की चिंटू मेथ मे कमजोर है इसलिए इस पर ध्यान दीजिए. स्कूल के बाद मैं मार्केट गयी और कुछ खरीदारी की. 2 कब बज गये पता ही नही चला.

वापस आते हुवे मैने रिक्शा ले लिया और घर की तरफ चल दी. रिक्से वाले ने शॉर्ट कट के लिए हमारे घर के पीछे वाली गली से रिक्शा मोड़ लिया. मैने जो देखा वो देख कर मैं सहम गयी.

वही लड़का आज फिर हमारे घर के पीछे खड़ा था और हमारी किचन की खिड़की की तरफ देख रहा था. वह एक साइकल लिए था. मुझे रिक्से पर देखते ही वो साइकल खड़ी कर सीधा खड़ा हुवा और एक हाथ से अपनी पॅंट के उपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा. उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कुराहट थी, जिसे देख कर मेरा रोम-रोम काँप गया. वह मेरी तरफ एक टक देखता रहा. मैने अपनी नज़रे झुका ली और धीरे धीरे रिक्सा वाहा से आगे निकल गया. मैने घर पहुँच कर रिक्सा वाले को झट से पैसे दिए और सीधी घर के अंदर चली गयी.

मैं समझ चुकी थी कि ये लड़का ये सब जानबूझ कर ही कर रहा है. मैने घर मे घुसते ही 100 नंबर पर फ़ोन लगाया पर लाइन बिज़ी होने के कारण फोन नही मिला. मैने पानी पिया और सोचा कि आख़िर ये लड़का चाहता क्या है. मैने सोचा कि खिड़की से मेरा ये क्या बिगाड़ लेगा और मैं किचन की खिड़की में आ गयी.

वह खिड़की के सामने ही खड़ा था. दूर-दूर तक कोई नही था. इस से पहले की मैं कुछ बोल पाती उसने अपनी ज़िप खोली और अपने काले मोटे लिंग को हवा मे झूला दिया. मैं उसकी हिम्मत पर दंग रह गयी.

मैने ज़ोर से आवाज़ लगा कर कहा, हे यहा से दफ़ा हो जाओ, मैने पोलीस को फ़ोन कर दिया है, अगर तुम नही गये तो तुम्हारी खैर नही.

उसने झट से अपनी ज़िप बंद की और वाहा से चला गया.

मैने चैन की साँस ली. मैं खुस थी की ये बाला टल गई. पर मैं रोज 2 बजे के आस पास खिड़की से झाँक कर देखती कि कही वह फिर से तो नही आ गया.

पर ना जाने क्यों उसके लिंग की छवि मेरी आँखो में घूमती रही. एक मन कहता कि चलो अछा हुवा कि ये किस्सा यहीं ख़तम हो गया और एक मन कहता कि कास वो फिर यहा आकर पेसाब करे और मैं फिर से उसके लिंग को देखूं. मैने सोचा वो लड़का ही तो है 18 या 19 साल का, मैं 27 साल की हूँ, वो मेरा क्या बिगाड़ लेगा, अगर वो दोबारा यहा आता भी है तो मेरा क्या जाएगा.

मैं रोज खिड़की से देखती, पर कयि दीनो तक वाहा कोई नही दिखा.

एक दिन रोज की तरह मैने बाहर देखा तो वही लड़का खड़ा था. पहले मैं घबरा गई, पर फिर उसे दुबारा देख कर, ख़ुसी भी हुई.

वह चुप-चाप खड़ा हुवा खामोसी से मुझे घूरता रहा, मैं भी उसे देखती रही. ना जाने मुझे क्या हो गया था करीब 2 मिनूट तक हम अपनी- अपनी जगह खड़े हुवे एक दूसरे को देखते रहे. यही मेरी छोटी सी भूल थी, क्योंकि मैं जाने अंजाने उसे एक मोका दे रही थी. मुझे उस वक्त नही पता था कि मैं किस आग से खेल रही हूँ.

फिर वो अचानक खिड़की के और पास आ गया और बोला कि पोलीस तो नही बुलाओगी ?

मेरी गर्दन झट से ना के इशारे में हिल गई.

फिर वो बोला “ लंड देखोगी” अगर हां करोगी तो ही लंड बाहर निकालूँगा.

मैं अजीब सी कसंकश में पड़ गई, और कुछ भी बोल पाने की हालत में नही थी. उसने मेरी आँखो मे देखा और कहा, अरे शरमाती है तू तो, अपने पति का लंड नही देखती क्या.

ये कह कर वो धीरे से अपनी ज़िप खोलने लगा.

मैं शरम से लाल हो गयी, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा. मैं वाहा से हट जाना चाहती थी, पर पता नही मुझे क्या हुवा था कि मई वही खिड़की में ही खड़ी रही.

फिर मैने हिम्मत कर के कहा, मेरे पति आने वाले है, तुम यहा से चले जाओ.

वो बोला, अरे चुप कर मुझे सब पता है 3 बजे से पहले नही आएगा वो. चल अब बोल, मेरी चैन खुली है, लंड बाहर निकालु क्या.

मैं शरम से मरी जा रही थी. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि ये सब मेरे साथ हो रहा है. उसने अपना हाथ अपनी पॅंट में डाला और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.

मैं ना चाहते हुवे भी हैरानी से एक टकटकी लगा कर उसके लंबे काले लिंग को देखने लगी. मैने पहली बार इतने गोर से उसे देखा था, अब तक तो सिर्फ़ झलक ही देखी थी.

वो अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था. उसने पूछा कैसा लगा मेरा लोड्‍ा ?

मैं कुछ नही बोली, और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.

वो बोला, तुझे पता है तेरी फिगर कितनी मस्त है, मैने अक्सर तुझे शाम को मार्केट में तेरे पति के साथ देखा है.

मैं हैरानी से सब सुन रही थी.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 08:55

उसने आगे कहा, तू जब चलती है तो तेरी गांद क्या छलकती है, सच तुझे मटक मटक कर चलते देख कर, मेरा लंड खड़ा हो जाता है और मन करता है तेरी गांद को दोनो हाथो से पकड़ कर, लंड घुसा दूं और तेरी खूब गांद मारू.

मैं शरम से पानी पानी हो गयी, पहली बार किशी ने मेरे बारे मे ऐसी गंदी बात कही थी. मैं आख़िर क्यों ये बकवास सुन रही थी पता नही, पर मेरे शरीर मे एक अजीब सी हलचल हो रही थी ये सब सुन और देख कर.

वो आगे बोला तेरी चुचिया तो इस सहर मे सबसे बड़ी है, शायद ही किसी की इतनी रसीली चुचिया होंगी, प्लीज़ एक बार दिखा ना.

मैने उशे गर्दन हिला कर सॉफ मना कर दिया, कि मैं ऐसा कुछ नही करूँगी.

थोडा मायूस सा होकर वो बोला, एक बात बता, तेरे पति का भी इतना बड़ा है क्या ?

और मेरी गर्दन अपने आप ना के इशारे मे हिल गयी. तभी मुझे कुछ जलने की बदबू आई मुझे ख्याल आया ओह्ह मेरी सब्जी जल गयी और मैं जल्दी से गॅस की तरफ भागी, पर नुकसान हो चुका था. मैं गॅस बंद कर के वापस खिड़की पर आ गयी.

वो बोला क्या हुवा, मुझे जाने क्या सूझा मैने कहा, तुम यहा से चले जाओ और दुबारा यहा मत आना. यह कह कर मुझे अजीब सा सकुन मिला. मुझे अहसास हो रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है ग़लत है.

मैं फिर अपने काम मे लग गयी, क्योंकि 3 बजने वाले थे, और संजय किसी भी वक्त आ सकते थे, मैने अपना पूरा ध्यान खाना बनाने मे लगा दिया. मैने कोई 10 मिनूट बाद खिड़की से बाहर देखा तो वाहा कोई नही था. मैने मन ही मन चैन की साँस ली. पर उस लड़के का कहा एक एक बोल मेरे कानो में गूँज रहा था. मैने सोचा की क्या मैं सच मे इतनी सेक्सी हू कि ये लड़का मुझ पर फिदा हो गया है.

उस दिन संजय के जाने के बाद, मैने खुद को शीशे में गोर से देखा . मैने अपनी फिगर पर नज़र डोदायी. मैने घूम कर अपने नितंबो को भी देखा और पाया कि मैं वाकई मे सुंदर हू. पहली बार मैने खुद को ऐसे नज़रिए देखा था. पर अचानक मेरा अपने परिवार पर ध्यान गया और मुझे होश आया, कि मैं ये क्या कर रही हूँ और मैने कपड़े पहने और शो गयी.

अगले दिन मैने फ़ैसला किया कि मैं खिड़की से बाहर नही झानकुंगी. पर मन में बार-बार उस लड़के के ख्याल आ रहे थे. उसका कहा एक एक बोल मेरे मन मे मानो बस गया था.

उष्का लिंग तो मानो एक मूवी की तरह मेरे दिमाग़ में घूम रहा था. मैं कब 2 बजने का इंतेजार करने लगी पता ही नही चला.

मैने ठीक 2 बजे बाहर देखा पर बाहर कोई नही था. मैं बार-बार आ कर देखती रही पर कोई नही दिखा. 3 बज गये और मेरे पति घर आ गये. मैं खाना सर्व करने लगी. संजय ने खाना खाया और करीब 3:30 बजे वापस चले गये.

मैं बर्तन रखने किचन मे आई तो देखा कि वह बाहर खड़ा था. मैं झट से खिड़की पर आ गयी. वो भी जल्दी से खिड़की के पास आ गया.

उसने कहा, आज मेरी साइकल पंक्चर हो गयी थी, इश्लीए 2 बजे नही आ पाया. मैने कुछ नही कहा पर मेरे शरीर मे उसे देख कर अजीब सी हलचल हो रही थी.

वो बोला, पता है कल मैने एक लड़की की चूत मारी, बहुत मज़ा आया, पर उसकी मारते हुवे मुझे तेरा ही ख्याल आ रहा था, मा कसम क्या बॉडी है तेरी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं तेरी ही चूत मार रहा हूँ.

मैने शरम से अपनी नज़रे झुका ली. मैने सोचा आख़िर ये लड़का ऐसी गंदी बाते क्यो करता है पर ये सच था कि ये सब सुन कर मेरी योनि गीली हो गयी थी. पहली बार मैने ऐसी बाते सुनी थी.

उसने पूछा, तेरा नाम क्या है ?

ना जाने क्यो मैने कहा, ऋतु, ऋतु गुप्ता.

मैने पूछा, तुम्हारा क्या नाम है.

उसने जवाब दिया ‘बिल्लू’ और गिड़गिदाते हुवे बोला, प्लीज़ एक बार अपनी चुचि दिखा दो, मैं भी तो तुम्हे अपना लंड दिखाता हू.

पर मुझ में इतनी हिम्मत नही थी कि संजय के अलावा, किसी और को अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखा सकूँ और मैं खामोश खड़ी रही.

वो समझ गया की मैं उसे अपने उभार नही दिखाउन्गी.

वो बोला ठीक है, मैं लेट हो रहा हूँ, मुझे काम पर जाना है.

मैने पूछा काम पर, क्या तुम पढ़ते नही हो ?.

उसने कहा, नही मैं एलेक्ट्रिक शॉप पर एलेक्ट्रीशियन हूँ, कभी तुम्हारे यहा बिजली की समशया हो तो बताना.

ये कह कर वो चला गया और मैं भी अपने बेडरूम में आकर लेट गयी.

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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 08:56

शाम को संजय के आने के बाद मैं ब्यूटी पार्लर चली गयी. वाहा थोड़ा टाइम लग गया और 8 बज गये. मैं बाहर आकर रिक्शे का इंतेजार करने लगी. अचानक एक रिक्शा मेरे सामने आकर रुका. पर मैं रिक्शा वाले को देख कर सहम गयी.

वो बिल्लू था. मैने पूछा, तुमने झूट कहा था कि तुम एलेक्ट्रीशियन हो.

वो बोला, नही, वो सच था, मेरा वो काम थोड़ा मंदा है इसलिए कभी-कभी ये किराए का रिक्शा भी चला लेता हूँ.

मैने कुछ नही कहा और हैरानी से वाहा खड़ी रही.

वो बोला, चलो बैठ जाओ मैं तुम्हे घर पर उतार दूँगा.

मैं उसे अचानक देख कर सहम गयी थी इसलिए समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ.

फिर मैने सोचा घर तो जाना ही है, मैं लेट भी हो रही थी, और मैं डरते डरते उसके रिक्शे में बैठ ही गयी.

मैं रिक्शे मैं बैठ गयी और उसने रिक्शा चला दिया.

थोड़ी देर चलने के बाद वो बोला, मैने तुझे शाम को ब्यूटी पार्लर मे जाते हुवे देख लिया था.

मैने पूछा, तुम क्या, मेरा हर वक्त पीछा करते हो.

उसने जवाब दिया, अरे नही मैं यहीं रिक्शा स्टॅंड पर खड़ा था, शायद तुमने ध्यान नही दिया.

मैने कहा, ठीक है, रिक्शा ज़रा तेज चलाओ, में लेट हो रही हूँ.

वो बोला, आज मौसम कितना मस्त है ना.

मैने पूछा क्यों.

वो बोला, अरे उपर देखो बादल छाए हुवे है. तुझे भी ऐसा मौसम अच्छा लगता होगा ना.

मैं समझ गयी कि ये क्या सुन-ना चाहता है और मैं चुप रही और कुछ नही बोली.

थोड़ी देर बाद मैने कहा, मुझे घर जल्दी जाना है, प्लीज़ थोड़ा तेज-तेज चलाओ.

उसने जैसे कुछ नही सुना, और बोला, मेरा तो मन ऐसे मौसम मे तेरे जैसी मस्त आइटम की चूत मारने का करता है.

मैं ये सुन कर दंग रह गयी और कुछ नही बोली. मुझे ऐसा लग रहा था कि उसके रिक्शे में बैठ कर मेने जींदगी की सबसे बड़ी भूल कर ली है

उसने मुझे पीछे मूड कर देखा और मुझे आँख मारते हुवे बोला, क्या करू तू चीज़ ही ऐसी है.

मैने बिना कुछ कहे अपनी नज़रे झुका ली, और मैं कर भी क्या सकती थी.

मैने उसे फिर याद दिलाया , बिल्लू रिक्शा तेज चलाओ मुझे जल्दी घर जाना है.

पर वो धीरे-धीरे रिक्शा चलाता रहा, मानो उसने कुछ सुना ही ना हो.

वो बोला, एक शरत लगाती हो,

मैने ना जाने क्यो धीरे से पूछा, क्या,

वो बोला, आज कि रात, तेरा पति तेरी ज़रूर लेगा, ऐसे मौसम में कौन तेरी चूत नही मारेगा.

मैं कुछ भी बोलने की हालत में नही थी. मुझे लग रहा था कि ये लड़का कुछ ज़्यादा ही बोल रहा है और सारी शीमाए लाँघ रहा है. पर मैं कर भी क्या सकती थी, कही ना कही मेरी वजह से ही उसकी इतनी हिम्मत बढ़ी थी. मुझे शायद किचन की खिड़की बंद कर देनी चाहिए थी.

वो फिर पीछे मूड कर बोला, हे मुझपे तरस खा, आज मुझे भी दे, दे, देख ना इस मौसम में तेरे कारण मेरा लंड खड़ा हो गया है.

मैं कुछ नही बोली और चुपचाप उष्की बकवास सुनती रही. पर मेरे शरीर के रोम-रोम में एक अजीब शी हलचल हो रही थी.

वो फिर पीछे मुड़ा और बोला, बता चलती है क्या, मेरे साथ, मेरे घर मे कोई नही है.

मैने इस बार उसे सॉफ-सॉफ बोल दिया कि मुझे जल्दी घर जाना है, तुम रिक्शा तेज क्यों नही चलाते.

ये सुनते ही उसने रिक्शे की स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी देर वो चुप रहा. मैं भी खामोश बैठी रही.

अचानक वह फिर पीछे मुड़ा और मुझे घूर कर देखा, और धीरे से बोला, लगता है मेरी सारी मेहनत बेकार गई. मैने वो सुन लिया, पर कोई रिक्षन नही किया. मैं मन ही मन सोच रही थी कि, बेचारे की, क्या हालत हो रही है . पर इसमे, मेरी तो कोई, ग़लती नही थी. यही तो, मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ा था. मैने तो इसे, अपनी खिड़की पर, आने को, नही कहा था. उसे बड़े-बड़े ख्वाब देखने से पहले, एक बार, सोचना चाहिए था.

मैं किसी भी हालत मे अपनी शीमाए नही लाँघ सकती थी.आख़िर मेरा एक हंसता, खेलता परिवार था. मैं ये सब, सोच ही रही थी कि, रिक्शा अचानक रुक गया. मैने पूछा क्या हुवा. वो बोला रिक्शे की चैन उतर गयी है. और वो चैन चढ़ाने के लिए, रिक्शे से नीचे उतरा और रिक्शे के पीछे आ गया. चैन चढ़ा कर वो बोला, मैं थोड़ा पेसाब कर लेता हू, और सामने की झाड़ियो मे चला गया.

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