नशे की सज़ा compleet

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007
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नशे की सज़ा compleet

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:23

नशे की सज़ा पार्ट-1

यह तब की बात है जब मैं अपने कॉलेज के एक आन्यूयल फंक्षन को अटेंड करके अपनी गाड़ी खुद ड्राइव करके घर वापस लौट रही थी.फंक्षन के बाद हुई पार्टी मे दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए कुछ शराब भी पी ली थी मैने और शायद उसी नशे का खुमार था कि मेरी कार की स्पीड 70-80 को पार कर गयी थी .इसका ख़याल मुझे तब आया जब एक पोलीस जीप ने हॉर्न देकर मेरी कार को रोका.

पोलीस जीप में से 25-30 साल का जवान पोलीस इनस्पेक्टर निकला और मेरी कार के साइड विंडो की तरफ आकर रौब से बोला- “नशे मे गाड़ी चला रही है.मालूम नही यहाँ मॅग्ज़िमम स्पीड लिमिट 40 की है और तुम 70 की स्पीड पर गाड़ी भगा रही हो !”

इनस्पेक्टर के रौबीली आवाज़ से में एकदम डर गयी और बोली- “ ग़लती हो गयी इनस्पेक्टर साहिब .आगे से ध्यान से गाड़ी चलवँगी.”

“कार से बाहर निकलो और अपना ड्राइविंग लाइसेन्स दिखाओ “ इनस्पेक्टर भी इस हाथ आए सुनहरे मौके को हाथ से नही जाने देना चाहता था.

में ड्राइविंग लाइसेन्स अपने पर्स मे खोजने लगी लेकिन मिला नही शायद में घर पर ही भूल आई थी.मेरी घबराहट और बढ़ गयी- “ सर, लगता है मेरा लाइसेन्स घर पर ही रह गया है “

“बाहर आ आजा .तेरी तलाशी लेनी पड़ेगी.” इनस्पेक्टर ने मुझे बाहर निकलने का हुक्म दिया.

मैं घबराती हुई कार से बाहर निकलकर खड़ी हो गयी.मेरे बदन पर स्किन टाइट वाइट टॉप और घुटनो से काफ़ी ऊँची ब्लॅक स्कर्ट थी, जिसमे मेरी फिगर ठीक से नज़र आ रही थी.इनस्पेक्टर ने जी भरकर मेरी खूबसूरत फिगर को देखा फिर कड़क आवाज़ मे बोला-“अपने हाथ उपर उठाओ और घूम जाओ”

शरम से मेरा चेहरा लाल हो चुक्का था लेकिन मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नही था.मैने वोही किया जो इनस्पेक्टर चाहता था.उसने तलाशी लेने के बहाने मेरे पूरे बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू कर दिए.



तलाशी लेने के बाद उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और मेरे चेहरे को बिल्कुल अपने नज़दीक कर लिया-,” मूह खोलो अपना”

मैने जैसे ही मूह खोला,वो बोला,”तुम्हारे मूह से शराब की स्मेल आ रही है.कहाँ से आ रही हो शराब पीकर ? “

मैं अब और भी घबरा गयी थी-“सर कॉलेज की पार्टी में थोड़ी सी पी ली थी.”

“शराब पीकर बिना ड्राइविंग लाइसेन्स के कार चलाने के जुर्म मे तुम्हे कम से कम दस साल की तो सज़ा होकर रहेगी” इनस्पेक्टर ने मेरी तरफ देखा और अपनी पॉकेट से हथकड़ी निकालकर मेरे हाथों को पीछे ले जाकर उन्हे बाँध दिया .अब में बिल्कुल हेल्पलेस हो गयी.

डर के मारे मई रोने गिड०गिदाने लगी लेकिन इनस्पेक्टर पर इसका कोई असर नही हुआ.वो बोला-अब बाकी की कार्यवाही थाने मे होगी.आओ और मेरी जीप मे बैठ जाओ.”

मेरे हॅंडकफ्ड हाथों को पकड़कर वो मुझे अपनी पोलीस जीप तक ले आया और गाड़ी की आगे अपने साथ बाली सीट पर बिठा दिया-मेरे हाथ पीछे से हॅंडकफ्ड होने की वजह से मुझे बैठने में काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी.मैने उसकी तरफ देखकर कहा-“सर, मेरे हाथ खोल दीजिए ना.मुझे बैठने मे बहुत तकलीफ़ हो रही है.” इसका सल्यूशन इनस्पेक्टर ने कर डाला-मेरी हथकड़ी खोलकर नही बल्कि अपनी चालाकी से.इनस्पेक्टर मुझसे बोला-“मेरी तरफ झुक कर मेरी जांघों पर अपना चेहरा टीका सकती हो.इससे तुम्हे कोई देख भी नही पाएगा और तुम्हे हॅंडकफ्ड होकर बैठना भी नही पड़ेगा”

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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:23



उसकी बात सुनकर मुझे लगा कि उसकी बात मानते जाने में ही शायद मेरी भलाई है-मैने उल्टे होकर लेटने की कोशिश करते हुए अपने चेहरे को उस की जांघों के उपर टिकाने का प्रयास किया-इनस्पेक्टर ने इस काम मे मेरी मदद की और मेरे चेहरे को अपनी दोनो जांघों के बीच मे इस तरह से अड्जस्ट कर दिया मानो उसके एरेक्ट कॉक पर चुंबन जड़ने के लिए मुझे लिटाया गया हो.जिस सिचुयेशन मे मैं उल्टी होकर लेटी हुई थी उसमे मेरी सीने की दोनो गोलाइयाँ उसकी बाई जाँघ पर चिपक गयी थी.बीच बीच में इनस्पेक्टर स्टियरिंग से अपना हाथ हटाकर कभी मेरी पीठ पर और कभी मेरे नितंबों पर हाथ फिरा देता.

गाड़ी चलने लगी तो मेरे होंठ उसकी जांघों और उसके खड़े उभार से रगड़ खाने लगे-वो मेरी मजबूरी का भरपूर मज़ा ले रहा था-“तुम इसी तरह को-ऑपरेट करती रहोगी तो मैं तुम्हारी सज़ा कुछ कम भी करवा सकता हूँ और अगर मेरे हुक्म की तामील नही की तो बाकी की सारी जिंदगी हो सकता है जैल मे ही गुजारनी पड़े.”

“बोलो क्या कहती हो? मेरी बात मंजूर है कि नही ?” इनस्पेक्टर ने मुझसे सवाल कर डाला.

“जी सर” मेरे मूह से आवाज़ निकली

“क्या जी सर.सॉफ साफ बोलो “ इनस्पेक्टर मुझसे मज़े ले रहा था.
“जी सर मैं आपके हर हुक्म की तामील करूँगी” मेरे मूह से निकला.

“नही.बोलो मैं आपकी सेक्स स्लेव बनने के लिए तय्यार हूँ.” इनस्पेक्टर के इरादे कुछ और ही मालूम होते थे.

“सर मैं आपकी सेक्स स्लेव बनने के लिए भी तय्यार हूँ अगर आप मेरी सज़ा पूरी तरह माफ़ करा दें.” मैं बोली.

एक रेडलाइट पर जीप रुक गयी तो मैने देखा की इनस्पेक्टर ने अपनी पॅंट की ज़िप खोलकर अपने खड़े कॉक को बाहर निकाल लिया और मेरे होंठों की तरफ करते हुए बोला-“इसे चूमो और फिर अपने मूह मे लेकर इसे चॅटो.जब तक मैं ना कहूँ तब तक यह तुम्हारे मूह के अंदर ही रहना चाहिए. यह तुम्हारा इम्तिहान है कि तुम मेरी सेक्स स्लेव बनने लायक हो भी की नही.”



शर्म और जलालत से मैं दोहरी हुई जा रही थी.इनस्पेक्टर के खड़े कॉक में से अजीब तरह की स्मेल आ रही थी लेकिन मेरे पास उसको चूमने के अलावा और दूसरा रास्ता नही था.इसके बाद मैने उसके कॉक को अपने मूह मे ले लिया.
“इस पर अपनी जीभ फिराओ “ इनस्पेक्टर को जैसे मुझे ह्युमिलियेट करने मे ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था.

इनस्पेक्टर के हुक्म की तामील करते हुए मैं उसके खड़े कॉक पर अपनी जीभ फिराने लगी.एक जगह सड़क पर शायद गढ्ढा था और उसकी वजह से गाड़ी काफ़ी ज़ोर से उछल गयी जिसकी वजह से उसका कॉक मेरे मूह मे काफ़ी अंदर तक चला गया और इनस्पेक्टर के मूह से भी आनंद भरी सिसकारी निकल गयी-यह तो तय था कि इनस्पेक्टर अपने हाथ आई चिड़िया को जमकर सेक्शप्लोइट कर रहा था.

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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:24


कुछ देर बाद जीप एक सुनसान सी जगह पर आकर रुक गयी. इनस्पेक्टर ने अचानक अपने खड़े कॉक में से एक ज़ोर की पिचकारी छोड़ी और मेरे मूह मे उसका वीर्य-रस भर गया.इससे पहले की मैं कोई भूल करती,इनस्पेक्टर ने मुझे फटाफट हिदायत दे डाली,” एक भी बूँद गिरनी नही चाहिए-सारा का सारा रस पी जाओ.” इनस्पेक्टर ने मुझे अपनी गोद से उठाया और अपनी पॅंट की ज़िप बंद करके जीप से उतर गया-“चलो बाहर आ जाओ.पोलीस स्टेशन आ गया है.”मैने उतरकर देखा तो वहाँ बोर्ड लगा हुआ था-“स्पेशल पोलीस पोस्ट-क्राइम ब्रांच.”

मैं उसके पीछे पीछे थाने मे आ गयी-“ सर यहाँ और कोई नही है.बाकी सब की छुट्टी हो गयी क्या ?”

“यह स्पेशल चेक पोस्ट बनाया गया है जहाँ सिर्फ़ मेरा ही राज है-किसी दूसरे आदमी की यहाँ कोई ज़रूरत ही नही है क्योंकि दूसरे थानो से भी कुछ खास किस्म के अपराधी यहाँ पर लाए जाते हैं ताकि मैं उनका अपने तरीके से इनटेरगेशन कर सकूँ.” इनस्पेक्टर की बातों से मेरी रही सही हिम्मत भी जाती रही.



अंदर पोलीस स्टेशन का नज़ारा भी देखने लायक था.पोलीस स्टेशन थाना कम, ड्रवोयिंग रूम ज़्यादा लग रहा था.एक टेबल 4 चेर के अलावा एक आरामदेह सोफा सेट भी वहाँ पड़ा हुआ था.एक अटॅच्ड वॉश रूम और एक एक्सट्रा रूम भी था जिसे शायद इनस्पेक्टर ने अपने आराम करने के लिए रखा हुआ था क्यूंकी वहाँ पर एक बेड भी पड़ा हुआ था. साइड मे ही एक कमरे में सलाखें लगी हुई थी जिसे जैल की तरह इस्तेमाल किया जाता होगा.यह सब मैने पहली बार देखा था और मैं बहुत ज़्यादा नर्वस हो रही थी.

“चलो इधर आकर खड़ी हो जाओ “ इनस्पेक्टर ने सोफे पर बैठते हुए कहा.

मैं इनस्पेक्टर (राज) के सामने आकर खड़ी हो गयी.उसका नाम मुझे टेबल पर रखी उसकी नेम प्लेट से मालूम पड़ा-जिस पर लिखा था राज शर्मा-इनस्पेक्टर-क्राइम ब्रांच.मेरे दोनो हाथ अभी भी पीछे की तरफ हॅंडकफ्ड ही थे.

मैने देखा कि वहाँ पर एक वीडियो कॅमरा लगा हुआ था जिससे लगातार रेकॉर्डिंग हो रही थी राज ने मेरी तरफ देखते हुए अपने खड़े हुए कॉक पर पॅंट के ऊपर से ही हाथ फिराया और बोला-,” इधर आओ मेरे नज़दीक”

मैं उसके बिल्कुल करीब जाकर खड़ी हो गयी.

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