Page 1 of 10

होली में फट गई चोली.....................

Posted: 17 Sep 2015 11:22
by Fuck_Me
मुझे त्योहारों में बहुत मज़ा आता है, खास तौर से होली में.

पर कुछ चीजे त्योहारों में गडबड है. जैसे मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़के छोटी बहने.
कह रही थी कि मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊँ. वैसे मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा जी के साथ होली खेलने में थी. परन्तु मेरे ससुराल के लोग कह रहे थे कि बहु की पहली होली ससुराल में ही होनी चाहिये.

मैं बड़ी दुविधा में थी. पर त्योहारों में गडबड से कई बार परेशानियां सुलझ भी जाती है. और ऐसा हुआ भी, इस बार होली २ दिन पड़ी. (दरअसल हिन्दुओं के सारे त्यौहार हिन्दी महीनों (जैसे- चैत्र, वैशाख….आदि) से मनाए जाते है और हिन्दी महीने तारीख से नही बल्कि तिथियों से चलते है. कई बार एक ही दिन और एक ही तारीख को दो तिथि मिल जाती है या एक ही तिथि दो दिनों तक रहती है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ.)

मेरी ससुराल में 14 मार्च को और

मायके में 15 को होली मनाई जानी थी.

मेरे मायके में जबर्दस्त होली होती है और वो भी दो दिन. तय हुआ कि मेरे घर से कोई आ के मुझे होली वाले दिन ले जाए और ‘ये’ होली के अगले दिन सुबह पहुँच जायेंगे. मेरे मायके में तो मेरी दो छोटी बहनों नमिता और श्वेता के सिवाय कोई था नहीं. मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया कि मेरा ममेरा भाई, विक्रम, जो 11वी में पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा.

“विक्रम की चुन्नी” मेरी ननद सपना ने छेड़ा.

वैसे बात उसकी सही थी. वह बहुत कोमल, खूब गोरा, लड़कियों की तरह शर्मीला, बस यु समझ लीजिए कि जब से वो class 8 में पहुँचा, लड़के उसके पीछे पड़े रहते थे. यूं कहिये कि ‘नमकीन’ और highschool में उसकी टाइटिल थी, “है शुक्र कि तू है लड़का”, पर मैंने भी सपना को जवाब दिया, “अरे आएगा तो खोल के देख लेना, क्या है अंदर हिम्मत हो तो…”

“हाँ, पता चल जायेगा कि नुन्नी है या लंड(penis)” मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.

“अरे भाभी उसका तो मुंगफली जैसा होगा, उससे क्या होगा हमारा..???” मेरी बड़ी ननद ने चिढ़ाया.

“अरे मूंगफली है या केला..??? ये तो पकड़ोगी तो पता चलेगा. पर मुझे अच्छी तरह मालूम है कि तुम लोगों ने मुझे ले जाने के लिये उसे बुलाने की शर्त इसीलिये रखी है कि तुम लोग उससे मज़ा लेना चाहती हो.” हँसते हुए मैं बोली.

“भाभी उससे मज़ा तो लोग लेना चाहते है, पर हम या कोई और ये तो होली में ही पता चलेगा. आपको अब तक तो पता चल ही गया होगा कि यहाँ के लोग पिछवाड़े के कितने शौक़ीन होते है..???” मेरी बड़ी ननद रानू जो शादी-शुदा थी, खूब मुह-फट्ट थी और खुल के मजाक करती थी.

बात उसकी सही थी.

मैं Flash-Back में चली गई…………………..

सुहागरात के 4-5 दिन के अंदर ही, मेरे पिछवाड़े की शुरुआत तो उन्होंने दो दिन के अंदर ही कर दी थी.
मुझे अब तक याद है, उस दिन मैंने सलवार-सूट पहन रखा था, जो थोड़ा Tight था और मेरे मम्मे(boobs) और नितम्ब खूब उभर के दिख रहे थे. रानू ने मेरे चूतडों पे चिकौटी काटते चिढ़ाया, “भाभी लगता है आपके पिछवाड़े में काफी खुजली मच रही है….? आज आपकी गाण्ड बचने वाली नहीं है, अगर आपको इन कपड़ो में भैया ने देख लिया तो…”
“अरे तो डरती हूँ क्या तुम्हारे भैया से..??? जब से आई हूँ लगातार तो चालू रहते है, बाकि और कुछ तो अब बचा नहीं…… ये भी कब तक बचेगी..???” चूतडों को मटका के मैंने जवाब दिया.

Re: होली में फट गई चोली.....................

Posted: 17 Sep 2015 11:22
by Fuck_Me
और तब तक ‘वो’ भी आ गए. उन्होंने एक हाथ से खूब कस के मेरे चूतडों को दबोच लिया और उनकी एक उंगली मेरे कसी सलवार में गाण्ड के Crack में घुस गई. उनसे बचने के लिये मैं रजाई में घुस गई अपनी सास के बगल में…..
‘वह’ भी रजाई में मेरी बगल में घुस के बैठ गए और अपना एक हाथ मेरे कंधे पे रख दिया. ‘उनकी’ बगल में मेरी जेठानी और छोटी ननद बैठी थी.
छेड़-छाड़ सिर्फ कोई ‘उनकी’ जागीर तो थी नहीं..??? सासू के बगल में मैं थोड़ा safe भी महसूस कर रही थी और रजाई के अंदर हाथ भी थोड़ा bold हो जाता है. मैंने पजामे के ऊपर हाथ रखा तो उनका खुटा पूरी तरह खड़ा था. मैंने शरारत से उसे हल्के से दबा दिया और उनकी ओर मुस्कुरा के देखा.
बेचारे…. चाह के भी….. अब मैंने और Bold हो के हाथ उनके पजामे में डाल के सुपाड़े को खोल दिया. पूरी तरह फूला और गरम था. उसे सहलाते-सहलाते मैंने अपने लंबे नाख़ून से उनके pi hole को छेड़ दिया. जोश में आके उन्होंने मेरे कबूतर(Boobs) कस के दबा दिए.
उनके चेहरे से उत्तेजना साफ़ झलक रही थी. वह उठ के बगल के कमरे में चले गए जो मेरी छोटी ननद का Study Room था. बड़ी मुश्किल से मेरी ननद और जेठानी ने अपनी मुस्कान दबायी.
“जाइये-जाइये भाभी, अभी आपका बुलावा आ रहा होगा.” शैतानी से मेरी छोटी ननद बोली.

Re: होली में फट गई चोली.....................

Posted: 17 Sep 2015 11:23
by Fuck_Me
हम दोनों का दिन-दहाड़े का ये काम तो सुहागरात के अगले दिन से ही चालू हो गया था. पहली बार तो मेरी जेठानी जबरदस्ती मुझे कमरे में दिन में कर आई और उसके बाद से तो मेरी ननदें और यहाँ तक की सासु जी भी……. सच्ची, बड़ा ही खुला मामला था मेरी ससुराल में……
एक बार तो मुझसे ज़रा सी देर हो गई तो मेरी सासु बोली, “बहु, जाओ ना… बेचारा इंतज़ार कर रहा होगा…”
“ज़रा पानी ले आना…” तुरन्त ही ‘उनकी’ आवाज सुनाई दी.
“जाओ, प्यासे की प्यास बुझाओ…” मेरी जेठानी ने छेड़ा.
कमरे में पँहुचते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया. उनको छेड़ते हुए, दरवाजा बंद करते समय, मैंने उनको दिखा के सलवार से छलकते अपने भारी चूतडों को मटका दिया. फिर क्या था.? वो भी कहाँ कम पड़ने वाले थे.? पीछे आके उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस-कस के मेरे मम्मे दबाने लगे. मेरे कमसिन कबूतर छटपटाने लगे. ‘उनका’ पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी मेरी गाण्ड के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, सलवार फाड़ के घुस जायेगा.
मैंने चारों ओर नज़र दौडाई. कमरे में कुर्सी-मेज़ के अलावा कुछ भी नहीं था.
मैं अपने घुटनों के बल पे बैठ गई और उनके पजामे का नाडा खोल दिया. फन-फ़ना कर उनका लंड बहार आ गया. सुपाडा अभी भी खुला था, पहाड़ी आलू की तरह बड़ा और लाल. मैंने पहले तो उसे चूमा और फिर बिना हाथ लगाये अपने गुलाबी होठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मैं Lolypop की तरह उसे चूस रही थी और मेरी जीभ उनके Pi Hole को छेड़ रही थी.