मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Posted: 22 Sep 2015 11:15
मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story – 1
‘रीता बेटा उठो जल्दी देखो बाहर कितना उजाला हो चुका है और तुम हो की सो रही हो‚
मैं बेड के उपर ही कसमसाती हुई बोली ‘उम्म्म आंटी सोने दो ना‚
आंटी-मेरी प्यारी बची स्कूल नही जाना क्या देख 7 बाज गये है‚
मैं बेड के उपर उल्टी लेती थी और बेड के उपर ही घूम कर सीधी हो गई और बोली.
रीता-आंटी 7 ही तो बज़े है अभी तो एक घंटा बाकी है स्कूल जाने में.
आंटी प्यार से मेरे सिर पे हाथ फेराती हुई बोली.
आंटी-अरे तो क्या ऐसे ही उठ कर चली जयोगी स्कूल. चल जल्दी से उठ कर मूह धो ले और चाय रख कर जा रही हूँ पे लेना.
आंटी ने मेरा माता चूमा और रूम से बाहर निकल गई.
आंटी द्वारा इतने प्यार से उठाए जाने के कारण मेरा चेहरा मुस्कुराहट से खिल उठा. मैं कसमसाती हुई उठी और दोनो हाथ उपर करते हुए अंगड़ाई ली.
भले ही रीता सो कर उठी थी मगर इस हालत में भी बहुत खूबसूरात लग रही थी. आंटी की तरह तराशा हुया उसका गोरा बदन और हर अंग की अपनी एक अलग ही ख़ासियत. देखने वाला यही कहता था की ‘खुदा ने ज़रूर इसे फ़ुर्सत में बनाया होगा‚
अगर खुदा ने रीता को इतना हुस्न दिया था तो रीता ने भी उसे बहुत संभाल कर रखा हुया था. उसने बहुत अच्छे तरीके से अपने आप को मेंटाइन किया था. उसका बदन ना तो ज़्यादा भारी था और नही ज़्यादा हल्का बस जो अंग यहाँ से भारी होना चाहिए था वहाँ से भारी था और यहाँ से हल्का होना चाहिए था वहाँ से हल्का था. बस यही बात थी जो हर कोई उसको देखते ही दीवाना हो जाता था. लेकिन रीता इस सभ से अंजान थी अभी तो जवानी ने उसकी लाइफ में पहला कदम ही रखा था. और जैसे ही उसकी जवानी की महक भावरो के पास पौंची तो भावरे भी अपने सुभाव मुताबिक़ उसके इर्द-गिर्द मंडराने शुरू हो गये थे मगर रीता इस सभ से अंजान अपनी मस्ती में ही जी रही थी.
वो 18 साल की कची काली थी जो की खिलने के लिए त्यार थी. वो नझडीक के गूव्ट. स्कूल में स्टडी कर रही थी.
‘रीता बेटा उठो जल्दी देखो बाहर कितना उजाला हो चुका है और तुम हो की सो रही हो‚
मैं बेड के उपर ही कसमसाती हुई बोली ‘उम्म्म आंटी सोने दो ना‚
आंटी-मेरी प्यारी बची स्कूल नही जाना क्या देख 7 बाज गये है‚
मैं बेड के उपर उल्टी लेती थी और बेड के उपर ही घूम कर सीधी हो गई और बोली.
रीता-आंटी 7 ही तो बज़े है अभी तो एक घंटा बाकी है स्कूल जाने में.
आंटी प्यार से मेरे सिर पे हाथ फेराती हुई बोली.
आंटी-अरे तो क्या ऐसे ही उठ कर चली जयोगी स्कूल. चल जल्दी से उठ कर मूह धो ले और चाय रख कर जा रही हूँ पे लेना.
आंटी ने मेरा माता चूमा और रूम से बाहर निकल गई.
आंटी द्वारा इतने प्यार से उठाए जाने के कारण मेरा चेहरा मुस्कुराहट से खिल उठा. मैं कसमसाती हुई उठी और दोनो हाथ उपर करते हुए अंगड़ाई ली.
भले ही रीता सो कर उठी थी मगर इस हालत में भी बहुत खूबसूरात लग रही थी. आंटी की तरह तराशा हुया उसका गोरा बदन और हर अंग की अपनी एक अलग ही ख़ासियत. देखने वाला यही कहता था की ‘खुदा ने ज़रूर इसे फ़ुर्सत में बनाया होगा‚
अगर खुदा ने रीता को इतना हुस्न दिया था तो रीता ने भी उसे बहुत संभाल कर रखा हुया था. उसने बहुत अच्छे तरीके से अपने आप को मेंटाइन किया था. उसका बदन ना तो ज़्यादा भारी था और नही ज़्यादा हल्का बस जो अंग यहाँ से भारी होना चाहिए था वहाँ से भारी था और यहाँ से हल्का होना चाहिए था वहाँ से हल्का था. बस यही बात थी जो हर कोई उसको देखते ही दीवाना हो जाता था. लेकिन रीता इस सभ से अंजान थी अभी तो जवानी ने उसकी लाइफ में पहला कदम ही रखा था. और जैसे ही उसकी जवानी की महक भावरो के पास पौंची तो भावरे भी अपने सुभाव मुताबिक़ उसके इर्द-गिर्द मंडराने शुरू हो गये थे मगर रीता इस सभ से अंजान अपनी मस्ती में ही जी रही थी.
वो 18 साल की कची काली थी जो की खिलने के लिए त्यार थी. वो नझडीक के गूव्ट. स्कूल में स्टडी कर रही थी.