नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
Posted: 25 Sep 2015 08:59
मैरा नाम शाकिर अली है. मेरी उमर 28 साल है और में लाहोर में रहता हूँ. जो वाक़िया आज आप को सुनाने जा रहा हूँ बिल्कुल सच्चा है और आज से 7 साल पहले पेश आया था. मेरे घर में माँ बाप के अलावा एक बहन और एक भाई हैं. मै सब से बड़ा हूँ. ये 2006 की बात है जब में 12 जमात में पढ़ता था. मै उन दिनों अपनी खाला जिन का नाम अम्बरीन है को बहुत पसंद करता था. खाला अम्बरीन मेरी अम्मी से दो साल छोटी थीं और उनकी उमर उस वक़्त क़रीबन 36 बरस थी. वो शादी शुदा थीं और उनके दो बेटे थे. उनका बड़ा बेटा राशिद तक़रीबन मेरा हम- उम्र ही था और हम दोनो अच्छे दोस्त थे. खाला अम्बरीन के शौहर नॉवज़ हूसेन की लाहोर की एक माशूर मार्केट में जूतों की दुकान थी.
खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं . तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग. उनके लंबे और घने बाल हल्के ब्राउन रंग के और आँखें भी हल्की ब्राउन थीं . उनका क़द दरमियाना था और बदन बड़ा गुन्दाज़ और सेहतमंद था. कंधे चौड़े और फारबा थे. मम्मे बहुत मोटे और गोल थे जिन का साइज़ 40/42 इंच से तो किसी तरह भी कम नही होगा और गांड़ गोल, चौड़ी, मोटी और गोश्त से भरपूर थी. गर्मियों के मौसम में जब खाला अम्बरीन पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा, सेहतमंद और गदराया हुआ बदन कपड़ों से झाँकता रहता था.
में गर्मियों में उनके घर बहुत ज़ियादा जाया करता था ताके उनके मोटे मम्मों और भारी भरकम चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ. खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का तकलूफ नही करती थीं इस लिये मुझे उनके मम्मे और गांड़ देखने का खूब मोक़ा मिलता था. कभी कभी उन्हे ब्रा के बगैर भी देखने का इतिफ़ाक़ हो जाता था. पतली क़मीज़ में उनके भारी मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे. काम काज करते वक़्त उनके मोटे ताज़े मम्मे अपनी तमाम तर गोलाइयों समैट मुझे साफ़ नज़र आते थे. उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होने ब्रा ना पहना होता तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हुए साफ़ दिखाई देते थे. ऐसे मोक़ों पर में आगे से और साइड से उनके मोम्मों का अच्छी तरह जाइज़ा लेटा रहता था. साइड से खाला अम्बरीन के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे. यों समझिये के मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे. मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बहुत मोटे और चौड़े थे. अक्सर जब वो नीचे झुक कर कुछ उठातीं तो उनकी क़मीज़ उनके चूतरों के बीच वाली दर्ज़ में फँस जाती और जब चलतीं तो दोनो गोल और जानदार चूतड़ अलहदा अलहदा हिलते नज़र आते. उस वक़्त मेरे जैसे कम-उमर और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िसम की सेहतमंद और शानदार गांड़ का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था.
खाला अम्बरीन के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.
मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं . बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं . मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.
में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं . उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं . जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया.
खाला अम्बरीन बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं . तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग. उनके लंबे और घने बाल हल्के ब्राउन रंग के और आँखें भी हल्की ब्राउन थीं . उनका क़द दरमियाना था और बदन बड़ा गुन्दाज़ और सेहतमंद था. कंधे चौड़े और फारबा थे. मम्मे बहुत मोटे और गोल थे जिन का साइज़ 40/42 इंच से तो किसी तरह भी कम नही होगा और गांड़ गोल, चौड़ी, मोटी और गोश्त से भरपूर थी. गर्मियों के मौसम में जब खाला अम्बरीन पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा, सेहतमंद और गदराया हुआ बदन कपड़ों से झाँकता रहता था.
में गर्मियों में उनके घर बहुत ज़ियादा जाया करता था ताके उनके मोटे मम्मों और भारी भरकम चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ. खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का तकलूफ नही करती थीं इस लिये मुझे उनके मम्मे और गांड़ देखने का खूब मोक़ा मिलता था. कभी कभी उन्हे ब्रा के बगैर भी देखने का इतिफ़ाक़ हो जाता था. पतली क़मीज़ में उनके भारी मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे. काम काज करते वक़्त उनके मोटे ताज़े मम्मे अपनी तमाम तर गोलाइयों समैट मुझे साफ़ नज़र आते थे. उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होने ब्रा ना पहना होता तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हुए साफ़ दिखाई देते थे. ऐसे मोक़ों पर में आगे से और साइड से उनके मोम्मों का अच्छी तरह जाइज़ा लेटा रहता था. साइड से खाला अम्बरीन के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे. यों समझिये के मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे. मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बहुत मोटे और चौड़े थे. अक्सर जब वो नीचे झुक कर कुछ उठातीं तो उनकी क़मीज़ उनके चूतरों के बीच वाली दर्ज़ में फँस जाती और जब चलतीं तो दोनो गोल और जानदार चूतड़ अलहदा अलहदा हिलते नज़र आते. उस वक़्त मेरे जैसे कम-उमर और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िसम की सेहतमंद और शानदार गांड़ का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था.
खाला अम्बरीन के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला अम्बरीन के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया. जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.
मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं . बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला अम्बरीन एक वैन में बैठ रही थीं . मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.
में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला अम्बरीन के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं . उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला अम्बरीन सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं . जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला अम्बरीन के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया.