देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory
Posted: 01 Oct 2015 09:05
आज मैं अपने आफ़िस से कुछ जल्दी ही घर चला गया, वहाँ भी बिजली गुल थी। मेरी कालोनी गोमती नगर में तेज हवाओं के साथ बारिश होने के कारण बिजली फेल हो गई थी। लगभग सभी लोग अपने-2 घरों से बाहर निकल कर एक दूसरे से बातें कर रहे थे, उमस और गर्मी बहुत ज्यादा थी। सभी के बच्चे सड़क पर धमाचौकड़ी मचा रहे थे। हमारे घर वाले भी बाहर खड़े हो कर पड़ोसियों से बातें कर रहे थे। मैं भी अपनी बाइक घर के बाहर ही खड़ी करके ठीक बगल वाली मस्त भाभी जी से बतियाने लगा जोकि हाल ही में दिल्ली से लखनऊ आई थीं और हमारे परिवार से अच्छी जान पहचान हो गई थी।
मैंने ही सुरेश को अपने ठीक बगल वाले मकान किराये पर दिलवा दिया था। उनके परिवार में सिर्फ तीन सदस्य थे, सुरेश माथुर उम्र लगभग 40-45 साल, 5’8″ कद, सांवला रंग और साधारण बदन, उनकी पत्नी राधा और सुरेश की बहन किरण।
इस वक्त राधा भाभी साड़ी ब्लाउज में गजब की सुन्दर लग रही थी, वो लगभग 28-30 वर्ष की थी उनका गोरा रंग, लम्बा कद लगभग 5’5″, तीखे नयन-नक्श, उनकी बड़ी-2 चूचियाँ जो कि गहरे गले के ब्लाउज से बाहर आने के लिए बेकरार थी। अधिक गर्मी की वजह से शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी। उनकी तनाकृति तकरीबन 36-30-36 होगी, कुल मिला कर मॉडल लगती थी।
और 20-22 वर्ष की सुरेश की बहन किरण जोकि एम बी ए में एड्मीशन लेने के लिये तैयारी कर रही थी। इन तीन लोगों का सुरेश का परिवार था। सुरेश और राधा दोनों एक प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर इन्जीनियर के पद पर दिल्ली में काम करते थे। मई 2010 में सुरेश और राधा का ट्रान्सफर लखनऊ हो गया और ये सभी लोग मेरे अच्छे पड़ोसी बन गए।
मैं, राधा भाभी से आम बातचीत कर ही रहा था कि इतने में किरण भी वहाँ आ गई। किरण भी अपनी भाभी की तरह बला की खूबसूरत लग रही थी। उसको देखते ही किसी का भी मन डोल जाए।
उसका कद थोड़ा कम जरूर था 5’2″, लेकिन जबरदस्त माल थी, चम्पई गोरा रंग, उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की घुन्डी बगैर ब्रा के टीशर्ट से साफ दिख रही थी। उसकी झील सी आँखों का तो जवाब ही नहीं था, तीखे नयन-नक्श, कुल मिला कर उसके बदन में कहीं से भी कोई भी कमी नजर नहीं आती थी।
मैंने किरण से ऐसे ही पूछा- तुम्हारी एम बी ए की तैयारी कैसी चल रही है?
तो उसने कहा- कोई खास नहीं ! जो मुझे समझ में आता है, उसे ही पढ़ लेती हूँ।
मैं अपनी सलाह देने और मदद करने की आदत से मजबूर, उसको सलाह देने लगा, मैंने कहा- तुम टाइम्स कोचिंग ज्वाइन कर लो, यहीं पत्रकार पुरम के पास में ही है, आने जाने में दिक्कत भी नहीं होगी, वहाँ पर मेरे ही बैच का लड़का फैकल्टी है, उसको मैं बोल दूंगा तो वो तुम्हारी मदद कर देगा।
इस पर राधा भाभी बोली- आप कल ही इसका एड्मीशन करा दीजिए, दिन भर नेट पर सर्फिंग किया करती है, मुझे इसको गाइड करने का समय नहीं मिलता है। समय खराब करने से कोई फायदा नहीं, मैं सुरेश से बात कर लूंगी।
मैंने राधा भाभी से कहा- कल मैं किरण को सुबह आफिस जाते समय ले लूंगा और इसका एड्मीशन करा दूंगा।
किरण बोली- हाँ ! यही ठीक है !
मैंने कहा- गर्मी बहुत है !
इतने में बहुत तेज बारिश होने लगी, बाहर खड़े सब लोग अपने अपने घर भाग गए। एक घंटे की बारिश के बाद मौसम बड़ा सुहाना हो गया। करीब 11 बजे खाना खाकर मैं अपने बेडरूम में गया, कमरे की लाइट ऑन की, फिर बरामदे में पहुँच कर मैंने वहाँ की बत्ती जैसे ही जलाई कि बल्ब फ्यूज़ हो गया, लिहाजा बरामदा और पूरी छत अंधेरे की आगोश में ही रहा।
मेरा बेडरूम दूसरी मंजिल पर है, उसके सामने बरामदा फिर खुली छत और बरामदे में सुरेश के बेडरूम की शीशेदार खिड़की खुलती है। सुरेश के बेडरूम की खिड़की बन्द थी लेकिन पर्दा हटा था मैंने ऐसे ही कौतूहल-वश उसके कमरे में नज़र दौड़ाई। वहाँ कोई नहीं था, सिर्फ ए सी चल रहा था और नाइट बल्ब जल रहा था। कमरे की हर चीज मुझे साफ साफ नज़र आ रही थी।
इतने में दरवाजे का पर्दा हटा और राधा भाभी ने कमरे में प्रवेश किया और फिर ट्यूब लाइट जलाई।
मैं थोड़ा पीछे अंधेरे में आ गया ताकि वो देख न सकें। उसके बाद वो सीधे कपड़ों की अलमारी के पास गई और उसका दरवाज़ा खोल कर गुलाबी रंग की नाइटी निकाली और उसको बिस्तर पर रख दिया। फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। फिर मुड़ कर बगल में लगे शीशे में अपने आप को कई कोणों से निहारने लगी और धीरे से मुस्कराई और फिर अपना ब्लाउज़ भी उतार दिया। ब्रा उन्होंने शाम से ही नहीं पहन रखी थी इसलिये चूचियाँ एकदम आजाद हो कर सामने आ गई।
मैंने ही सुरेश को अपने ठीक बगल वाले मकान किराये पर दिलवा दिया था। उनके परिवार में सिर्फ तीन सदस्य थे, सुरेश माथुर उम्र लगभग 40-45 साल, 5’8″ कद, सांवला रंग और साधारण बदन, उनकी पत्नी राधा और सुरेश की बहन किरण।
इस वक्त राधा भाभी साड़ी ब्लाउज में गजब की सुन्दर लग रही थी, वो लगभग 28-30 वर्ष की थी उनका गोरा रंग, लम्बा कद लगभग 5’5″, तीखे नयन-नक्श, उनकी बड़ी-2 चूचियाँ जो कि गहरे गले के ब्लाउज से बाहर आने के लिए बेकरार थी। अधिक गर्मी की वजह से शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी। उनकी तनाकृति तकरीबन 36-30-36 होगी, कुल मिला कर मॉडल लगती थी।
और 20-22 वर्ष की सुरेश की बहन किरण जोकि एम बी ए में एड्मीशन लेने के लिये तैयारी कर रही थी। इन तीन लोगों का सुरेश का परिवार था। सुरेश और राधा दोनों एक प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर इन्जीनियर के पद पर दिल्ली में काम करते थे। मई 2010 में सुरेश और राधा का ट्रान्सफर लखनऊ हो गया और ये सभी लोग मेरे अच्छे पड़ोसी बन गए।
मैं, राधा भाभी से आम बातचीत कर ही रहा था कि इतने में किरण भी वहाँ आ गई। किरण भी अपनी भाभी की तरह बला की खूबसूरत लग रही थी। उसको देखते ही किसी का भी मन डोल जाए।
उसका कद थोड़ा कम जरूर था 5’2″, लेकिन जबरदस्त माल थी, चम्पई गोरा रंग, उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की घुन्डी बगैर ब्रा के टीशर्ट से साफ दिख रही थी। उसकी झील सी आँखों का तो जवाब ही नहीं था, तीखे नयन-नक्श, कुल मिला कर उसके बदन में कहीं से भी कोई भी कमी नजर नहीं आती थी।
मैंने किरण से ऐसे ही पूछा- तुम्हारी एम बी ए की तैयारी कैसी चल रही है?
तो उसने कहा- कोई खास नहीं ! जो मुझे समझ में आता है, उसे ही पढ़ लेती हूँ।
मैं अपनी सलाह देने और मदद करने की आदत से मजबूर, उसको सलाह देने लगा, मैंने कहा- तुम टाइम्स कोचिंग ज्वाइन कर लो, यहीं पत्रकार पुरम के पास में ही है, आने जाने में दिक्कत भी नहीं होगी, वहाँ पर मेरे ही बैच का लड़का फैकल्टी है, उसको मैं बोल दूंगा तो वो तुम्हारी मदद कर देगा।
इस पर राधा भाभी बोली- आप कल ही इसका एड्मीशन करा दीजिए, दिन भर नेट पर सर्फिंग किया करती है, मुझे इसको गाइड करने का समय नहीं मिलता है। समय खराब करने से कोई फायदा नहीं, मैं सुरेश से बात कर लूंगी।
मैंने राधा भाभी से कहा- कल मैं किरण को सुबह आफिस जाते समय ले लूंगा और इसका एड्मीशन करा दूंगा।
किरण बोली- हाँ ! यही ठीक है !
मैंने कहा- गर्मी बहुत है !
इतने में बहुत तेज बारिश होने लगी, बाहर खड़े सब लोग अपने अपने घर भाग गए। एक घंटे की बारिश के बाद मौसम बड़ा सुहाना हो गया। करीब 11 बजे खाना खाकर मैं अपने बेडरूम में गया, कमरे की लाइट ऑन की, फिर बरामदे में पहुँच कर मैंने वहाँ की बत्ती जैसे ही जलाई कि बल्ब फ्यूज़ हो गया, लिहाजा बरामदा और पूरी छत अंधेरे की आगोश में ही रहा।
मेरा बेडरूम दूसरी मंजिल पर है, उसके सामने बरामदा फिर खुली छत और बरामदे में सुरेश के बेडरूम की शीशेदार खिड़की खुलती है। सुरेश के बेडरूम की खिड़की बन्द थी लेकिन पर्दा हटा था मैंने ऐसे ही कौतूहल-वश उसके कमरे में नज़र दौड़ाई। वहाँ कोई नहीं था, सिर्फ ए सी चल रहा था और नाइट बल्ब जल रहा था। कमरे की हर चीज मुझे साफ साफ नज़र आ रही थी।
इतने में दरवाजे का पर्दा हटा और राधा भाभी ने कमरे में प्रवेश किया और फिर ट्यूब लाइट जलाई।
मैं थोड़ा पीछे अंधेरे में आ गया ताकि वो देख न सकें। उसके बाद वो सीधे कपड़ों की अलमारी के पास गई और उसका दरवाज़ा खोल कर गुलाबी रंग की नाइटी निकाली और उसको बिस्तर पर रख दिया। फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। फिर मुड़ कर बगल में लगे शीशे में अपने आप को कई कोणों से निहारने लगी और धीरे से मुस्कराई और फिर अपना ब्लाउज़ भी उतार दिया। ब्रा उन्होंने शाम से ही नहीं पहन रखी थी इसलिये चूचियाँ एकदम आजाद हो कर सामने आ गई।