नीता चौधरी का लंड - hindi sex story - -
Posted: 19 Oct 2015 14:51
मेरा नाम राजपाल है, मैं पटना से हुं और दिल्ली में काम करता हुं । आपको अपनी असली कहानी सुनाना चाहता हुं जो एक हकीकत है ।
ये घटना दरअसल दो साल पहले की है । मैं एक बार ऑफिस के काम से ईलाहाबाद ट्रेन से जा रहा था । खराब मौसम के कारण ट्रेन दो घंटे लेट थी। तो मेरा बर्थ साइड लोवर था । और मेरे ऊपर वाली बर्थ एक औरत ने ली थी । दे घंटे बाद ट्रेन चल पडी । दिन में उस औरत के साथ मेरा बर्थ में बैठ के बात करते-करते चल रहा था । मैंने उनके बारे में पूछा तो बोली व एक विधवा है और 8 साल पहले उसकी पति का स्वर्गवास हुआ था । व अपनी मायके आयी थी अभी घर जा रही है । उनकी पति सरकारी जॉब में थे और अब उन्हें उनकी जगह नौकरी मिल गयी है । उनके दो बच्चे हैँ, एक बेटा और एक बेटी, बेटा 16 साल का और बेटी 12 साल की, दोनों स्कूल जाते है ।
उनको देखके लगा उनकी एज 43/44 होगी, सीधी सादी सभ्य महिला । उनकी शरीर बहुत सेक्सी लग रही थी । ब्लाउज में से झांकती उनकी मोटी-मोटी चुचियां बहुत मस्त लग रही थी । बार-बार उनकी चुचियोँ की झलक देखके मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था । पुरे रास्ते दोनों एक ही बर्थ में बैठ के बात करते-करते टाइम पास कर रहे थे । उन्होंने अपना नाम नीता चौधरी बताया तो मैँने भी उन्हेँ अपना नाम बता दिया । उन्होँने अपना फ़ोन नंबर मुझे दिया और मैंने भी अपना नंबर उनको
दिया ।
ईलाहाबाद पहुंच कर व बोली-
“मैं आप को फ़ोन करूंगी तो आप बात कर लेना । मेरा घर स्टेशन से लोकल ही दो स्टेशन बाद में ही है । आप आजाना एक दिन ।” बोलके व ईलाहाबाद में दुसरी लोकल ट्रेन में बैठ गयी । दो दिन बाद उनका फ़ोन आया और मुझे उनके घर आने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थी । मैं भी घर में फ्री था तो मैं जाने के लिए हां कर दिया और नेक्स्ट डे शाम को चल दिया । उनके घर करीब 6 बजे पंहुचा और देखा की घर में कोई नहीँ तो मैंने पूछा-
“आप के बच्चे दिखाई नहीँ दे रहे, कहां हैँ ?”
तो व बोली-
“आज सुबह मेरे पति का भतीजा आया था, व बच्चोँ को अपने घर घुमाने ले गया ।”
बात करते करते 7 बज गए । मैं सोफे पर बैठा था व एकदम से मेरे पास आयी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे उठने को कहा, मैं उठ गया तो उन्होंने एक रूम की तरफ इशारा करके बोली-
“आप वहां रूम में बैठो, में अभी आती हुं ।”
मैं उस रूम की तरफ बढ़ने लगा और तभी उन्होंने ने पहले रूम की लाइट ऑफ कर दी । मैं जिस रूम में पहुंचा व बेडरूम था, व भी 5 मिनट के बाद आ गयी । बेड पर दिवार से पीठ टिका कर आराम से बैठ गयी । मैं भी उसके साथ पैर फेलाकर बैठ गया ।
अब व मेरी तरफ देखके बोली-
“आप मुझे अच्छे लगे हैँ, मैं बहुत परेशान हुं । न जाने आप क्या सोचेंगे मेरे बारे मेँ जानकर, मुझे अकेलापन बर्दास्त नहीं हो रहा है । इसलिए मैँने आप को आने के लिए रिक्वेस्ट करके बच्चोँ को भेज दिया ।”
फिर मैँने उनका हाथ आपने हाथ में लेकर उसे चूमा तो उसकी आंख बंद हो गयी, सांसेँ तेज चलने लगी । मैँने बोला-
“नीताजी, आप एक विधवा हो, पर ईससे मुझे कोई ऐतराज नहीँ !”
“पर आपको मेरी असलियत के बारे मेँ मालुम……..।”
“क्या बके जा रहीँ हैँ आप! भला मुझे और क्या मतलब आपके बारे मेँ जानकर ।” मैँने उनकी मुंह से बात छिनते हुए बोला ।
फिर मैँने उन्हेँ गौर से देखा, उनका बदन इतना सेक्सी था की में बता नहीं सकता । चुचियां बड़े थे और पेट की चमड़ी मुड़ी हुई थी, जिसे देखकर मैँने उनकी बुर की गहराई का अंदाज लगा लिया । मांस से भरी हुयी जांघें साडी में से दिख रही थी । व सफ़ेद ब्लाउज पहनी हुई थी, उसमेँ से दूध का आकार साफ़ दिख रहा था । मैं हाथ चुमते हुए आगे बढ़ा और उनकी गर्दन से होते हुए उनकी होंठो पर आपने होंठ रख दिए । व सिहर उठी और अपनी आंख खोल कर मुझे देखा और झट से मुझसे लिपट गयी । व लम्बी-लम्बी सांसेँ ले रही थी ।
उन्होँने मुझे इतनी ताकत के साथ अपनी बांहों में लिया कि एक समय मेरी भी सांसेँ रुकने लगी । करीब 10 मिनट तक हम दोनों एक दुसरे के होंठ चूस रहे थे । फिर मैँने अपने होंठ उनके होंठो से अलग किये तो व जोर से हांफने लगी, मैँने अपने होंठ उनके गालोँ से रगड़ते हुए उनकी गर्दन पर उनकी कान पर चूमना शुरु कर दिया । व मचल उठी, फिर मैँने एक हाथ से उनके दूध को सहलाना शुरु किया तो उन्होँने एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर मेरा सर अपने सीने की तरफ खिंच लिया और बिस्तर पर लेट गयी । मैँने ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी दोनों दूध पर आपने होंठ फिराना चालू किया और एक हाथ से उनकी साडी पकड़ कर जांघो तक ऊपर कर दी ।
ये घटना दरअसल दो साल पहले की है । मैं एक बार ऑफिस के काम से ईलाहाबाद ट्रेन से जा रहा था । खराब मौसम के कारण ट्रेन दो घंटे लेट थी। तो मेरा बर्थ साइड लोवर था । और मेरे ऊपर वाली बर्थ एक औरत ने ली थी । दे घंटे बाद ट्रेन चल पडी । दिन में उस औरत के साथ मेरा बर्थ में बैठ के बात करते-करते चल रहा था । मैंने उनके बारे में पूछा तो बोली व एक विधवा है और 8 साल पहले उसकी पति का स्वर्गवास हुआ था । व अपनी मायके आयी थी अभी घर जा रही है । उनकी पति सरकारी जॉब में थे और अब उन्हें उनकी जगह नौकरी मिल गयी है । उनके दो बच्चे हैँ, एक बेटा और एक बेटी, बेटा 16 साल का और बेटी 12 साल की, दोनों स्कूल जाते है ।
उनको देखके लगा उनकी एज 43/44 होगी, सीधी सादी सभ्य महिला । उनकी शरीर बहुत सेक्सी लग रही थी । ब्लाउज में से झांकती उनकी मोटी-मोटी चुचियां बहुत मस्त लग रही थी । बार-बार उनकी चुचियोँ की झलक देखके मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था । पुरे रास्ते दोनों एक ही बर्थ में बैठ के बात करते-करते टाइम पास कर रहे थे । उन्होंने अपना नाम नीता चौधरी बताया तो मैँने भी उन्हेँ अपना नाम बता दिया । उन्होँने अपना फ़ोन नंबर मुझे दिया और मैंने भी अपना नंबर उनको
दिया ।
ईलाहाबाद पहुंच कर व बोली-
“मैं आप को फ़ोन करूंगी तो आप बात कर लेना । मेरा घर स्टेशन से लोकल ही दो स्टेशन बाद में ही है । आप आजाना एक दिन ।” बोलके व ईलाहाबाद में दुसरी लोकल ट्रेन में बैठ गयी । दो दिन बाद उनका फ़ोन आया और मुझे उनके घर आने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थी । मैं भी घर में फ्री था तो मैं जाने के लिए हां कर दिया और नेक्स्ट डे शाम को चल दिया । उनके घर करीब 6 बजे पंहुचा और देखा की घर में कोई नहीँ तो मैंने पूछा-
“आप के बच्चे दिखाई नहीँ दे रहे, कहां हैँ ?”
तो व बोली-
“आज सुबह मेरे पति का भतीजा आया था, व बच्चोँ को अपने घर घुमाने ले गया ।”
बात करते करते 7 बज गए । मैं सोफे पर बैठा था व एकदम से मेरे पास आयी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे उठने को कहा, मैं उठ गया तो उन्होंने एक रूम की तरफ इशारा करके बोली-
“आप वहां रूम में बैठो, में अभी आती हुं ।”
मैं उस रूम की तरफ बढ़ने लगा और तभी उन्होंने ने पहले रूम की लाइट ऑफ कर दी । मैं जिस रूम में पहुंचा व बेडरूम था, व भी 5 मिनट के बाद आ गयी । बेड पर दिवार से पीठ टिका कर आराम से बैठ गयी । मैं भी उसके साथ पैर फेलाकर बैठ गया ।
अब व मेरी तरफ देखके बोली-
“आप मुझे अच्छे लगे हैँ, मैं बहुत परेशान हुं । न जाने आप क्या सोचेंगे मेरे बारे मेँ जानकर, मुझे अकेलापन बर्दास्त नहीं हो रहा है । इसलिए मैँने आप को आने के लिए रिक्वेस्ट करके बच्चोँ को भेज दिया ।”
फिर मैँने उनका हाथ आपने हाथ में लेकर उसे चूमा तो उसकी आंख बंद हो गयी, सांसेँ तेज चलने लगी । मैँने बोला-
“नीताजी, आप एक विधवा हो, पर ईससे मुझे कोई ऐतराज नहीँ !”
“पर आपको मेरी असलियत के बारे मेँ मालुम……..।”
“क्या बके जा रहीँ हैँ आप! भला मुझे और क्या मतलब आपके बारे मेँ जानकर ।” मैँने उनकी मुंह से बात छिनते हुए बोला ।
फिर मैँने उन्हेँ गौर से देखा, उनका बदन इतना सेक्सी था की में बता नहीं सकता । चुचियां बड़े थे और पेट की चमड़ी मुड़ी हुई थी, जिसे देखकर मैँने उनकी बुर की गहराई का अंदाज लगा लिया । मांस से भरी हुयी जांघें साडी में से दिख रही थी । व सफ़ेद ब्लाउज पहनी हुई थी, उसमेँ से दूध का आकार साफ़ दिख रहा था । मैं हाथ चुमते हुए आगे बढ़ा और उनकी गर्दन से होते हुए उनकी होंठो पर आपने होंठ रख दिए । व सिहर उठी और अपनी आंख खोल कर मुझे देखा और झट से मुझसे लिपट गयी । व लम्बी-लम्बी सांसेँ ले रही थी ।
उन्होँने मुझे इतनी ताकत के साथ अपनी बांहों में लिया कि एक समय मेरी भी सांसेँ रुकने लगी । करीब 10 मिनट तक हम दोनों एक दुसरे के होंठ चूस रहे थे । फिर मैँने अपने होंठ उनके होंठो से अलग किये तो व जोर से हांफने लगी, मैँने अपने होंठ उनके गालोँ से रगड़ते हुए उनकी गर्दन पर उनकी कान पर चूमना शुरु कर दिया । व मचल उठी, फिर मैँने एक हाथ से उनके दूध को सहलाना शुरु किया तो उन्होँने एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर मेरा सर अपने सीने की तरफ खिंच लिया और बिस्तर पर लेट गयी । मैँने ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी दोनों दूध पर आपने होंठ फिराना चालू किया और एक हाथ से उनकी साडी पकड़ कर जांघो तक ऊपर कर दी ।