Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet

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raj..
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Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:02

Raj-Sharma-stories

रूम सर्विस --1

हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी रूम सर्विस लेकर आपके लिए हाजिर हूँ
आशा करता हूँ मेरी आपको मेरी पहली कहानियों की तरह ये कहानी भी पसंद आएगी ये कहानी एक लड़की के संघर्ष की कहानी है उसने कितनी कठिनाइयो का सामना किया अपना करिअर बनाने मैं
ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.

कुमुद -“कम इन”.
ऋतु – “गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया.”
कुमुद -“हेलो ऋतु.. प्लीज़ हॅव ए सीट”.
ऋतु – “थॅंक यू मेडम”
कुमुद -“ऋतु आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीस बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”.

ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी.. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी.

ऋतु – “थॅंक यू मेम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में.”

कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया.-“ऋतु… यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. ”.

प्रेस्टीज होटेल फाइव स्टार होटलों मैं नंबर वन था वैसे भी ये होटल प्राइम लोकेशन पर था एरपोर्ट भी नज़दीक ही था. ऋतु बहुत खुश थी आज कुमुद मेडम ने उसके काम से खुश होकर उसे पर्मानेन्त जॉब दे दिया था उसने जल्दी अपोंटमेंट लेटर साइन कर दिया
कुमुद -“ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मे ऑफ युवरसेल्फ. आइ एम श्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन”. शी विंक्ड.

ऋतु थोड़ी हैरान हुई की कुमुद ने आँख क्यू मारी लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा.


कुमुद -“क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी”.

ऋतु – “नही मेम ऐसी बात नही हैं… सॅलरी देख के थोड़ा का मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ आंड मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए.”

कुमुद -“ऋतु .. प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु”.

ऋतु – “मेम … आपसे क्या छुपाना. इससे पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ओन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड मी टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. आइ वाज़ ऑल्सो गिवन दा स्टार परफॉर्मर अवॉर्ड आंड मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. ”


“इतनी इनकम थी वहाँ की मैने फिर भी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिड्ज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इनस्टालमेंट पर. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे. मारुति ज़ेन”.

“रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बाइयर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी”


ऋतु वाज़ आक्च्युयली इन ए बिग फाइनान्षियल क्राइसिस. रियल एस्टेट के बूम पीरियड में उसकी इनकम इतनी ज़्यादा थी की वो कुछ भौचक्की सी रह गयी थी. पंजाब के एक छोटे से शहर पठानकोट में पली बड़ी हुई ऋतु ने बीए इंग्लीश ऑनर्स करने के बाद दिल्ली आने की सोची, नौकरी के लिए. उसके मा बाप उसके उस डिसिशन से बहुत खुश तो नही थे लेकिन बेटी की ज़िद के आगे झुक गये. उसके करियर के लिए उन्होने नाते रिश्तेदारो की बात भी नही सुनी. सबने मना किया था की बेटी को अकेले शहर में ना भेजो.

दिल्ली में ऋतु की एक फ्रेंड पूजा रहती थी. उसने भी सेम कॉलेज से एनलिश ऑनर्स किया था और ऋतु की सीनियर थी. वो एक साल पहले कॉलेज ख़तम करके दिल्ली गयी थी जॉब के लिए और बह दिल्ली में किसी प्राइमरी स्कूल में टीचर थी. ऋतु ने उससे पहले से ही बात की थी. पूजा ने ऋतु को आश्वासन दिया की वो दिल्ली में उसके लिए कुछ ना कुछ इन्तेजाम ज़रूर कर देगी. ऋतु उसी के भरोसे पठानकोट चल दी. उस बात को आज लगभग 1 साल हो चुक्का हैं लेकिन ऋतु को आज भी याद हैं की उसके पापा उसके लिए ट्रेन का टिकेट लाए थे. उसके पापा की पठानकोट में कपड़े की दुकान थी.

पठानकोट स्टेशन पे ऋतु की मा का रो रो के बुरा हाल था. उसके पापा की शकल भी रुवासि हो गयी थी. ट्रेन जब छूटी तो ऋतु की आँखों से भी आँसू झलक पड़े. लेकिन उन्ही आँखों में सपने भी थे. एक सुनहरे भविष्या के. अपने पैरो पो खड़े होने के सपने. अपने पापा मम्मी के लिए अपने कमाए हुए पैसो से गिफ्ट्स लेने के.

पूजा ने ऋतु से वादा किया था की वो उसे स्टेशन पे लेने आ जाएगी. पूजा ने अपने ही पीजी अकॉमडेशन में उसके रहने का इन्तेज़ांम किया था. ट्रेन न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन पे आके रुकी. सभी पॅसेंजर निकलने के लिए हड़बड़ी करने लगे. ऋतु ने भी अपनी बेग निकाली सीट के नीचे से और दरवाज़े की तरफ बढ़ी. जल्दबाज़ी में उसकी बेग एक छोटे बच्चे के लग गयी और वो चिल्ला पड़ा. उसके साथ खड़े उसके पापा ने उस बच्चे को गोद में उठा लिया. ऋतु ने बच्चे और उसके पापा से सॉरी बोला. बच्चे के पापा ने हॅस्कर कहा “कोई बात नही… ज़रूर यह शैतान आपके रास्ते में आ गया होगा. इसको बहुत जल्दी हैं अपनी मम्मी से मिलने की ”

ऋतु प्लॅटफॉर्म पर खड़ी थी और एग्ज़िट की तरफ चलने लगी. समान के नाम पर उसके पास बस एक बेग था जो की कई बसंत देख चूक्का था. कपड़ो के नाम पर 4 सूट, 2 स्वेटर और एक सारी थी उसमे. इसके अलावा कुछ और पर्सनल समान (आप लोग समझ ही गये होंगे), अकॅडेमिक सर्टिफिकेट्स, और अपने मम्मी पापा के साथ खिचवाई हुई एक फोटो थी.

उसके हॅंडबॅग में लगभग 5000/- रुपये थे और पूजा का अड्रेस और फोन नंबर. हॅंडबॅग में मेक उप के नाम पर सिर्फ़ एक काजल की पेन्सिल थी. ऋतु की आँखें बहुत की सुंदर थी और काजल लगा के तो उनकी सुंदरता और भी बढ़ जाती थी. रंग गोरा और त्वचा एकद्ूम मुलायम. कभी ज़िंदगी में मसकरा, फाउंडेशन, कन्सीलर एट्सेटरा का उसे नही किया था… उसे तो यह पता भी नही था की यह होते क्या हैं. हद से हद कभी नैल्पोलिश और लिपस्टिक लगा लेती थी. वो भी जब कोई ख़ास अकेशन हो.

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:03



गेट नंबर 1 से बाहर आने पर ऋतु की नज़रें पूजा को ढूँडने लगी. लेकिन यह कोई छोटा मोटा स्टेशन थोड़े ही हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हैं. बहुत भीड़ थी और उस भीड़ में सब किस्म के लोग मौजूद होते हैं. ऋतु ने आस पास फोन खोजने की कोशिश की लेकिन सिक्के वाले फोन पे पहले से ही बहुत लोग खड़े थे. मोबाइल उसके पास था नही. पूजा से बात करे तो कैसे .

इतने में ऋतु को एक आवाज़ सुनाई दी

“हेलो मेडम कहाँ जाना हैं….ऑटो चाहिए”

“नही चाहिए भैया”

“अर्रे जाना कहाँ हैं … बताओ तो”

“बोला ना भैया नही चाहिए”

“खा थोड़े ही जाएँगे आपको मेडम”

ऋतु वहाँ से आगे बढ़ गयी. हू ऑटो वाला पीछे पीछे आ गया परेशान करने के लिए.

“अर्रे सुनो तो मेडम… मीटर में जितना बनेगा उतना दे देना… अब आपसे क्या एक्सट्रा लेंगे.”

ऋतु को समझ नही आ रहा था की इस बंदे से पीछा कैसे छुड़ाए. तभी एक ज़ोरदार आवाज़ आई.

“क्यू परेशान कर रहे हो लेडीज़ को. पोलीस को बुलाउ. वो देंगे तुझे मीटर से पैसे.”

ऑटो वाला चुप चाप वापस चला गया. ऋतु ने पीछे मूड के देखा तो वही आदमी था जिसके बच्चे को ऋतु की बेग ग़लती से लग गयी थी. वो ऋतु को देख के मुस्कुराया. ऋतु भी मुस्कुराइ और थॅंक यू बोला.

“आप इस शहर में नयी लगती हैं. कहाँ जाना हैं आपको”

“जी हां मैं नयी आई हूँ यहाँ. मैं अपनी फ्रेंड का इंतेज़ार कर रही हूँ. वो आने वाली हैं मुझे लेने. लगता हैं किसी वजह से लेट हो गयी हैं.”

“आप उससे फोन पे बात क्यू नही कर लेती.”

“जी वो फोन बूथ पे लाइन बहुत लगी हैं. ”

“कोई बात नही मैं आपकी बात करवा देता हूँ मोबाइल से.”

ऋतु ने वो पर्ची उसके हाथ में दी जिसमे पूजा का नाम, पता और फोन नंबर था. उन्होने डाइयल किया और फोन में आवाज़ आई.

दा पर्सन यू आर ट्राइयिंग टू रीच ईज़ अनवेलबल अट दा मोमेंट. प्लीज़ ट्राइ लेटर.

“यह पूजा जी का फोन तो लग नही रहा. लगता हैं नेटवर्क का कोई प्राब्लम होगा.”

“कोई बात नही मैं वेट कर लूँगी उसका.”

“देखिए आपको ऐसे वेट नही करना चाहिए. मेरा नाम राज शर्मा हैं. मेरी वाइफ अभी कार लेकर मुझे और मेरे बच्चे को पिक करने आ रही हैं. आप चाहें तो मैं आपको इस पते पे छोड़ सकता हूँ. यह यहाँ से पास ही में हैं और हमारे घर जाने के रास्ते में पड़ेगा.”

“नही नही आपको खाँ-म-खा तकलीफ़ होगी. मैं मॅनेज कर लूँगी”

“इसमे तकलीफ़ कैसी.”

तभी एक आवाज़ आई. “राज…….राज”

दोनो ने देखा की 30-32 साल की एक खूबसूरत महिला, शिफ्फॉन की सारी ओढ़े, आँखों में काला चश्मा लगाए, उनकी तरफ बढ़ी आ रही हैं.

“यह हैं मेरी वाइफ शीतल… और आपका नाम क्या हैं”

“जी मेरा नाम ऋतु हैं.”

“तो आइए ऋतु जी हम आपको छोड़ देते हैं आपके बताए पते पे”

“आप प्लीज़ एक बार और फोन ट्राइ कर सकते हैं… हो सकता हैं वो आस पास ही हो.”

राज ने फोन लगाया और इस बार घंटी बाजी.

राज “हेलो .. ईज़ दट पूजा.”

पूजा “हेलो जी हां.. आप कौन??”

राज “लीजिए अपनी फ्रेंड से बात कीजिए.”

ऋतु “हेलो पूजा … कहाँ हैं तू… मैं काब्से तेरा वेट कर रही हूँ स्टेशन पे. कहाँ रह गयी.”

पूजा “हाई ऋतु… मैं काब्से तेरे फोन का इंतेज़ार कर रही थी. सॉरी यार मेरा आज सुबह बाथरूम में एक आक्सिडेंट हो गया हैं, मेरी टाँग में स्प्रेन आ गया हैं… मैं तुझे पिक करने नही आ पाउन्गा यार”

यह सुनकर ऋतु का चेहरा उतार गया.

ऋतु “ठीक हैं मैं ही देखती हूँ कुछ”

राज समझ गया और उसने फिर से कहा की वो छोड़ देगा ऋतु को.
ऋतु को वो कपल भले लोग लगे और वो उनके साथ जाने को राज़ी हो गयी.

राज गाड़ी ड्राइव कर रहा था. शीतल आगे उसके साथ बैठी थी और उनका 7 साल का बेटा आर्यन पीछे ऋतु के साथ बैठा था. रास्ते में बातों बातों में पता चला की राज एक कंपनी में मेनेज़र हैं और शीतल हाउसवाइफ हैं. उनकी लव मॅरेज हुई थी करीब 9 साल पहले. राज एक बड़ी कंपनी में काम करता हैं और अच्छी पोज़िशन पे हैं.

ऋतु ने भी उस फॅमिली को अपने बारे में बताया. बातें करते करते वो अपनी डेस्टिनेशन पे पहुच गये . गाड़ी सीधा “स्वाती वर्किंग वूमेन’स हॉस्टिल” के आगे आके रुकी.

पूजा कॉलेज में ऋतु की सीनियर थी. दोनो पठानकोट में आस पास के मोहल्ले में रहती थी और अक्सर एक साथ पैदल कॉलेज जाया करती थी. पूजा से ऋतु को इंपॉर्टेंट नोट्स और बुक्स मिल जाया करती थी. दोनो में अच्छी मित्रता थी.

देखने सुनने में पूजा ठीक ठाक सी थी… ऋतु की सुंदरता के सामने उसका कोई मुक़ाबला नही था. आधा कॉलेज ऋतु का दीवाना था. पूजा अक्सर ऋतु को आवारा दिलफेंक आशिक़ो से बचकर रहने को कहती थी. वो कहती थी की जवानी एक पूंजी हैं जिसे सात तालो में छुपा कर रखना चाहिए. उन तालों की चाबी हैं शादी और उस पूंजी को अपने पति पर लुटाना चाहिए.

पूजा अकॅडेमिक्स में बहुत अच्छी थी और यूनिवर्सिटी टॉपर. उसने दिल्ली आके टीचर ट्रैनिंग का कोर्स किया और एक स्कूल में इंग्लीश की टीचर बन गयी. दिल्ली आने पर भी ऋतु और पूजा में कॉंटॅक्ट था. ऋतु अक्सर पूजा से गाइडेन्स लेती थी. जब ऋतु ने पूजा को बताया की वो भी शहर जाकर पैसे कमाना चाहती हैं और अपने पैरों पे खड़ा होना चाहती हैं तो पूजा ने उसका हौसला बढ़ाया और आश्वासन दिया की वो उसके रहने का इंतजाम अपने ही हॉस्टिल में कर देगी.

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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:04



गाड़ी से उतरकर ऋतु सीधा रिसेप्षन पे गयी और पूछने लगी “जी मेरा नाम ऋतु हैं और मुझे पूजा जैन से मिलना हैं.”

“पूजा इस इन रूम नो 317. आप उसके साथ रूम शेर करने वाली हैं. पूजा ने मुझे आपके बारे में बताया था”

“थॅंक योउ”

“आप उपर चले जाइए. थर्ड फ्लोर पे लेफ्ट साइड में हैं रूम. फ्रेश हो जाइए .. मेस में नाश्ता लग चुक्का हैं. बाकी फॉरमॅलिटीस हम बाद में कर लेंगे”

ऋतु थर्ड फ्लोर तक अपना समान लेके गयी और रूम नो 317 ढूँडने लगी. मिल गया रूम. उसने दरवाज़े पे खटखटाया और अंदर से एक लड़की की आवाज़ आई “कम इन!!”

यह पूजा की आवाज़ थी. ऋतु झट से अंदर गयी और पूजा को बेड पे लेता हुआ पाया. वो कूदकर उसके गले लग गयी. पूजा भी बहुत खुश आ रही थी. उसकी पिछली रूमेट दीप्ति के जाने के बाद उसने हॉस्टिल इंचार्ज से बात करके ऋतु के लिए रूम बुक करवा लिया था.

ऋतु फ्रेश होकर पूजा के साथ नाश्ता करके रूम में वापस आई और दोनो ने ढेर सारी बातें करी.

ऋतु ने पूजा जो रेलवे स्टेशन पे हुए हादसे के बारे में बताया और राज शर्मा के बारे में भी.

पूजा ने ऋतु को सावधान किया “अरी पगली.. यह कोई तेरा पठानकोट थोड़े ही हैं. यहाँ ऐसे किसी पे भरोसा ना किया कर… तूने सुना नही हैं - देल्ही ईज़ दा रेप कॅपिटल ऑफ दा कंट्री. यहाँ के मर्दो को बस लड़की दिखनी चाहिए … सबकी लार टपकने लगती हैं.. एक नंबर के कामीने होते हैं यह… यह किसी को नही छोड़ते.. किसी को नही”

यह कहते हुए पूजा की आँखें डब डबा गयी… ऋतु ने इसका कारण पूछा तो वो हँसकर टाल गयी

पूजा “तू तक गयी होगी. चल थोड़ा आराम कर ले.”

ऋतु “ओके”.

पूजा “कल से तू जॉब सर्च करना शुरू कर… लेकिन आज सिर्फ़ आराम कर”


अगले दिन से ऋतु की अब सर्च चालू हो गयी. उसके पास सिर्फ़ एक बीए इंग्लीश और उसकी डिग्री थी. और कोई डिप्लोमा या क्वालिफिकेशन नही थी. लेकिन उसे यह खबर नही था की उसकी सबसे बड़ी डिग्री तो उसकी मादक जवानी थी
उसके सीने का उफान देख के अच्छे अच्छे लुंडो के टटटे शॉर्ट हो गये थे. कम से कम 36 इंच की चौड़ाई जो की चाहकर भी छुपती नही थी. उसपर पतली कमर 26 इंच. उसपे नितंभ का क्या कहना. पूरा बदन जैसे किसे साँचे में ढाल के उपरवाले ने तबीयत से बनाया हो.

उसकी मम्मी ने उसके लिए ढीले ढाले सूट सिलवाए थे और उसको तंग कपड़े पहनने से मना करती थी. लेकिन ऐसा योवन छुपाए ना छुपता… गुड पर मखी की तरह लड़के उसके चारो ओर मॅडराते थे… घर से कॉलेज के रास्ते में अक्सर कई नौजवान अपनी बाइक या कार में बैठकर उसके आने का इंतेज़ार करते थे.

उसकी आँखें मानो आँखें नही 1000 वॉट के दो बल्ब हो जिनसे की पूरा कमरा चमक उठे. उसके होंठ रसीले और भरे हुए थे. लंबे घने और सिल्की बाल. और सबसे कातिलाना थी उसकी स्माइल. उसकी स्माइल पे तो कॉलेज स्टूडेंट्स क्या प्रोफेस्सर्स भी मरते थे.

ऋतु ने अगले दिन से ही जॉब सर्च चालू कर दी.. अख़बार, एंप्लाय्मेंट न्यूज़, इंटरनेट सब तरफ से उसने जॉब की खोज की. उसका पहले इंटरव्यू लेटर आया एक इम्पोर्ट एक्सपोर्ट फर्म से. ऋतु को अगले ही दिन बुलाया गया था.

ऋतु वाइट कलर की सलवार कमीज़ पहन के गयी. मिनिमम ज्यूयलरी और फ्लॅट सनडल्स. बिल्कुल सीधी साधी वेश भूषा में बहुत ही सुंदर लग रही थी. उसके बाल भी एक चोटी में गुथे हुए थे.

इंटरव्यू के लिए केयी लड़कियाँ आई हुई थी. एक से एक बन ठन कर. ऋतु का इंटरव्यू कंपनी के मालिक ने लेना था. ऋतु जब अंदर गयी तो वो बंदा सिगरेट पी रहा था. ऋतु को धुवें की वजह से खाँसी आ गयी. उसने तुरंत ही सिगरेट बुझा दी और सॉरी बोला. ऋतु ने सीट ली और अपनी फाइल आगे बढ़ा दी. मालिक ने फाइल को खोला लेकिन उसकी नज़रे फाइल पे कम और ऋतु पे ज़्यादा था. उसने ऋतु से उसकी होब्बीज पूछी .

“जी मेरी हॉबीज हैं कुकिंग एंड म्यूज़िक.”

“अच्छा आपको म्यूज़िक का शौक़ हैं… मुझे भी हैं. तो चलो एक गाना सूनाओ डियर. ” यह कहता हुआ वो अपनी सीट से उठा और ऋतु की चियार के पास ही टेबल पे आके बैठ गया.

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