डॉक्टर साहिब : एक रसीली असली कथा - chudai ki kahani

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
Fuck_Me
Platinum Member
Posts: 1107
Joined: 15 Aug 2015 09:05

डॉक्टर साहिब : एक रसीली असली कथा - chudai ki kahani

Unread post by Fuck_Me » 30 Nov 2015 09:18

hindi sex story, desi chudai ki kahani, indian sex story
म्ब्ब्स की डिग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में हो गयी.
गाँव के बहार मेरा बंगलो था.
राजन बड़ा सुखा सा मरियल सा लड़का था. मुझे तो उसके मर्द होने पर भी शक था. और ये बात सच निकली करीब करीब. उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन थाकुरें मेरे घर पर आई. उसने मुझे कहा की उसे बड़ी चिंता हो रही है की बहु को कुछ बच्चा वगेरह नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूछा की क्या प्रॉब्लम हो सकता है. लड़का बहु उसे कुछ बताते नहीं हैं और उसे शक है की बहु कहीं बाँझ तो नहीं.
मैंने उसे धधास दिया और कहा की वो लड़का -बहु को मेरे पास भेज दे तो मैं देख लूँगा की क्या प्रॉब्लम है. उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखूँ, घर की इज्जत का मामला है. फिर एक रात करीब शाम को वे दोनों आए. रज्जन और उसकी बहु. देखते ही लगता था की बेचारी गोरी के साथ बड़ा अन्याय हुआ है. कहाँ वो लम्बी, लचीली एकदम गोरी लड़की. भरे पुरे बदन की बाला की खूबसोरत लड़की और कहाँ वो राजन, कला कलूटा मरियल सा. मुझे राजन की किस्मत पर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज करवाने मेरे क्लीनिक पर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गए. राजन बड़ा नरम दिल इंसान था. अपनी बाला की खूबसूरत बीवी को जरा सा भी दुःख देना उसे मंजूर न था.
उसने दबी जुबान से स्वीकार किया एक दिन की अभी तक वो अपनी बीवी को छोड़ नहीं पाया है. मैं समझ गया की क्यों बछा नहीं हो रहा है. जब गोरी अभी तक वर्जिन ही है तो, सहसा मेरे मन मैं एक ख्याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पुरी करने का एक हसीं मौका दिखा. गोरी का कौमार्य लुटने का. दरअसल जब जब राजन गोरी के सुंदर नंगे जिस्म को देखता था अपने ऊपर काबू नहीं रख पता था और इस’से पहले की गोरी सेक्स के लिए तैयार हो राजन उसपर टूट पड़ता था.
नतीजा ये की लुंड घुसाने की कोशिश करता था तो गोरी दर्द से चिल्लाने लगती थी और गोरी को ये सब बड़ा तकलीफ वाला मालूम होता था. उसे चिल्लाते देख बेचारा राजन सब्र कर लेता था फिर. दुसरे राजन इतना कुरूप सा था की उसे देख कर गोरी बुझ सी जाती थी. साडी समयसा जानने के बाद मैंने अपना जाल बिछाया. मैंने एक दिन थाकुरें और राजन को बुलाया. उन्हें बताया की खराबी उनके बेटे मैं नहीं बल्कि बहु मैं है. और उसका इलाज करना होगा. छोटा सा ऑपरेशन. बस बहु ठीक हो जायेगी. बुधिया तो खुस हो गई पर बेटे ने बाद मैं पूछा,
डॉक्टर साहब. आख़िर क्या ऑपरेशन करना होगा?
हाँ राजन तुम्हें बताना जरूरी है. नहीं तो बाद मैं तुम कुछ और सम’झोगे.
हाँ हाँ बोलिए न डॉक्टर साहब. देखो राजन. तुम्हारी बीवी का गुप्तांग थोड़ा सा खोलना होगा ऑपरेशन करके. तभी तुम उस’से सम्भोग कर पऊगे और वो मान बन सकेगी. क्या? पर क्या ये ऑपरेशन आप करेंगे. मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगा लेटना पड़ेगा? हाँ ये मजबूरी तो है.
गोरी को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था.क्लीनिक बंद करके मैंने उस’से कहा की वो अन्दर मेरे घर मैं आ जाए. देखो गोरी मैं जनता हूँ की जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ वो मुझे तुम्हारे पति की अनुपस्थिति मैं शायद नहीं करनी चाहिए, पर तुम्हारे केस को समझाने के लिए और इलाज के लिए मेरा जन’न जरूरी है और अकेले मैं मुझे लगता है की तुम सच सच बताओगी. मैं जो पूछूं उसका ठीक ठीक जवाब देना. तुम्हारे पति ने मुझे सब बताया है. और उसने ये भी बताया है की क्यों तुम दोनों का बचा नहीं हो रहा. क्या बताया उनहोंने डॉक्टर साहब? राजन कहता है की तुम मान बन्ने के काबिल ही नहीं हो. वो तो डॉक्टर साहब वो मुझसे भी कहते हैं! और जब मैं नहीं मानती तो उन्होंने मुझे मारा भी है एक दो बार. तो तुम्हें क्या लगता है की तुम मान बन सकती हो?
हाँ डॉक्टर साहब. मेरे मैं कोई कमी नहीं. मैं बन सकती हूँ. तो क्या राजन मैं कुछ खराबी है? हाँ डॉक्टर साहब. क्या? साहब वो. वो. उनसे होता नहीं. क्या नहीं होता राजन से. वो साहब. वो. हाँ. हाँ. बोलो गोरी. देखो मुझसे कुछ छुपाओ मत. मैं डॉक्टर हूँ और डॉक्टर से कुछ छुपाना नहीं चाहिए. डॉक्टर साहब. मुझे शर्म आती है. कहते हुए. आप पराये मर्द हैं न. मैं उठा. कमरे का दरवाजा बंद करके खिड़की मैं भी चिटकनी लगा के मैंने कहा, लो अब मेरे आलावा कोई सुन भी नहीं सकता. और मुझसे तो शर्मो मत. हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्हें नंगा भी करना पड़े. तुम्हारी सास और पति से भी मैंने कह दिया है और उन्होंने कहा है की मैं कुछ भी करून पर उनके खंडन को बछा दे दूँ. इसलिए मुझसे मत शर्मो. डॉक्टर साहब वो मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते.
क्या? मैंने अनजान बन’ते हुए कहा. मुझे गोरी से बात कर’ने में बड़ा मजा आ रहा था. मैं उस अल्हर गाँव की युवती को कुछ भी कर’ने से पह’ले पूरा खोल लेना चाह’ता था. वो. वो मेरे साथ. मेरी योनी मैं. दल नहीं पाते. ऊह्हू. यूँ कहो न की वो मेरे साथ सम्भोग नहीं कर पाते. हाँ. राजन कह रहा था. की तुम्हारी योनी बहुत संकरी है. तो क्या आजतक उसने खाभी भी तुम्हारी योनी मैं नहीं घुसाया? नहीं डॉक्टर साहब. नजर झुकाए ही वो बोली. तो क्या तुम अभी तक कुंवारी ही हो. तुम्हारी शादी को तो साल ब्भर से ज्यादा हो चुका है. हाँ साहब. वो कर ही नहीं सकते. मैं तो तड़प’टी ही रह जाती हूँ. यह कह’ते कह’ते गोरी रूवांसी हो उठी. पर वो तो कहता है की तुम सह नहीं पति हो. और चीखने लगती हो. चिलाने लगती हो. साहब वो तो हर लड़की पहली बार. पर मरद को चाहिए की वो एक न सुने और अपना काम करता रहे. पर ये तो कर ही नहीं सकते इनके उसमें ताक़त ही नहीं हैं इतनी. सूखे से तो हैं. पर वो तो कहता है की तुमको सम्भोग की आच्छा ही नहीं होती. झूट बोलते हैं साहब. किस लड़की की आच्छा नहीं होती की कोई बलिष्ठ मरद आए और उसे लूट ले पर उन्हें देख कर मेरी साडी आच्छा ख़तम हो जाती है. पर गोरी मैंने तो उसका. कम अंग देखा है. ठीक ही है. वो सम्भोग कर तो सकता है. कहीं तुम्हारी योनी मैं ही तो कुछ समस्या नहीं.
डॉक्टर से शर्मोगी तो इलाज कैसे होगा? वो लेट गई. मैंने उसे सारी उतरने मैं मदद की. एक खूबसोरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लौसे और पेतिको़त मैं था. लेता हुआ वो भी मेरे बिस्तर पर. मेरे लुंड मैं हलचल होने लगी. मैंने उसका पेतिको़त थोड़ा ऊपर को सरकाया और अपना एक हाथ उंदर डाला. वो उंदर नंगी थी. एक ऊँगली से उसकी छुट को सहलाया. वो सिसकी. और आपनी झांघाओं से मेरे हाथ पर हल्का सा दबाव डाला. उसकी छूट के होंट बड़े टाइट थे. मैंने दरार पर ऊँगली घुमाने के बाद अचानक ऊँगली उंदर घुसा दी. वो उछली. हलकी सी. एक सिसकारी उसके होंठों से निकली. थोडी मुश्किल के बाद ऊँगली तो घुसी. फिर मैंने ऊँगली थोडी उंदर भहर की. वो भी साल भर से तड़प रही थी. मेरी इस हरकत ने उसे थोड़ा गर्मी दे दी. इसी बीच एक ऊँगली से उसे छोड़ते हुए मैंने बाकि उँगलियाँ उसकी छुट से गांड के छेड़ तक के रस्ते पर फिरनी सुरु कर दी थी.
कैसा महसूस हो रहा है. अच्छा लग रहा है? हाँ डॉक्टर साहब. तुम्हारा पति ऐसा करता था. तुम्हारी योनी मैं इस तरह अंगुल दाल’ता था? णाआअह्ह्हीइन्न्न. डोक्क्त्तूऊओर्र्र स्स्सहाब्ब्ब. गोरी अब छटपटाने लगी थी. उसकी आँखें लाल हो उठी थी. अगर तुम्हारे साथ सम्भोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्हें अच्छा लगेगा? हान्न्न्न. वे तो कुछ जान’ते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पर ही मध् रहे हैं. अगली बार जब अपने पति के पास जन तो यहाँ. योनी पर एक भी बल नहीं रखना. तुम्हारे पति को बहुत अच्छा लगेगा. और वो जरूर तुम पर चढेगा. अच्छा डॉक्टर साहब. जाओ उधर बाथरूम मैं सब काट कर आओ. वह राजोर रखा है. जानती हो न. कैसे करना है. सम्भोग कर’ने से पह’ले इसे सजा कर एपी’ने पति के साम’ने कर’न चाहिए. मैंने गोरी की छूट को खोद’ते हुए उस’की आंखों में आँखें दाल कहा. हाँ. डॉक्टर साहब. लेकिन उन्होंने तो कभी भी मुझे बाल साफ कर’ने के लिए नहीं कहा. गोरी ने धीरे से कहा. वो गई और थोडी देर मैं वापस मेरे बेडरूम मैं आ गई. हो गया. तो तुम्हें राजोर इस्तेमाल करना आता है. कहीं उस नाजुक जगह को काट तो नहीं बैठी हो? मैंने पुछा. जी जी कर दिया. शादी से पहले मैंने कई बार राजोर पह’ले भी इस्तेमाल किया है.
अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ. वो आई और लेट गई. फिच्ली बार से इस बार प्रतिरोध कम था. मैंने उसके पेतिको़त का नाडा पकड़ा और खींचना सुरु किया. पेतिको़त खुल गया. उसकी कमर मुश्किल से १८-१९ इंच रही होगी. और हिप्स साइज़ करीब. ३७ इनचेस. झांघाओं पर खूब मांसलता थी. गोलाई और मादकता. विशाल पुट्ठे. इस सुंदर कामुक दृश्य ने मेरा स्वागत किया. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. डॉक्टर साहब. ये क्या कर रहे हैं. एपी तो मुझे नंगी कर रहे हैं?
अरे देख तो लूँ तुमने बल ठीक से साफ़ किए भी की नहीं. और बल काटने के बाद वहां पर एक क्रीम भी लगनी है. अब इस’से पहले वो कुछ बोलती. मैंने उसका पेतिको़त घुटनों से नीचे तक खींच लिया था. अति सुंदर. बाला की कामुक. तुम बहुत खूबसोरत हो गोरी. मैंने थोड़ा सहस के साथ कह डाला. उसकी तारीफ़ ने उसके हाथों के जोर को थोड़ा कम कर दिया. और उसका फायदा उठाते हुए मैंने पुरा पेतिको़त खींच डाला और दूर कुर्सी पर फ़ेंक दिया. यकीन मानिये एइसा लगा की अभी उसपर चढ़ जाऊं. वो पतला सपाट पेट. छोटी सी कमर पर वो विशाल नितम्ब. वो टाइट वीनस माउंट. सिर्फ़ एक ब्लौसे पीस मैं रह गया था उसका बदन. भरपूर नजरों से देखा मैंने उसका बदन. उसने शर्म के मरे अपनी आंखों पर हाथ रख लिया और तुंरत पेट के बल हो गई ताकि मैं उस’की छूट न देख सकूं. शायद छुट दिखाने मैं शर्मा रही थी. जरा पलटो गोरी. शर्म नहीं कर’ते. फिर तुम आईटी’नी सुंदर हो की तुम्हें तो एपी’ने इस मस्त बदन पर गर्व होना चाहिए. नहीं डॉक्टर साहब. पराये मर्द के साम’ने में मुझे बहुत शर्म आ रही है. पलटो न गोरी. कहकर मैंने उसके पुट्ठों पर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलता. दो कुऊब्सुरत झांघाओं के बीच मैं वो कुंवारी छुट चमक उठी. गोरे गोरे. दोनों छूट की पंखुडियां फड़क सी रही थी. शायद उन्होंने भांप लिया था की किसी मस्त से लुंड को उनकी खूसबू लग गई है. उसकी छुट पर थोडी सी लाली भी छाई थी.
इधर मेरे लुंड मैं भूचाल सा आ रहा था. और मेरे अंडरवियर के लिए मेरे लुंड को कंट्रोल मैं रखना मुश्किल सा हो रहा था. फिर भी मेरे टाइट अंडरवियर ने मेरे लुंड को छिपा रखा था. आब मैंने उसकी छुट पर उंगलिया फिरे और पुछा. गोरी क्या राजन. तुमें यहाँ पर मेरा मतलब तुम्हारी योनी पर चूमता है? नहीं साहब. यहाँ छी यहाँ कैसे चूमेंगे? तुम्हारे इन पुट्ठों पर. मैंने उसके बुमस पर हाथ रख कर पूछा. नहीं डॉक्टर साहब आप कैसी बातें कर रहे हैं. अब उसकी आवाज़ मैं एक नशा एक मादकता सी आ गई थी. चुदने के लिए तैयार एक गरम युवती की सी. वो कहाँ कहाँ चूमता है तुम्हें? जी. यहाँ पर. उसने आपने चूची की तरफ़. इशारा किया. जो इस गरम होते माहौल की खुसबू से साइज़ मैं काफी बड़े हो गए थे और लगता था की जल्दी उनको बहार नहीं निकला तो ब्लौसे फट जाएगा. उसने कोई ब्रा भी नहीं पहनी थी.
मैं बिस्तर पर चढ़ गया मैंने दोनों हथेलियाँ उसके दोनों मुम्मों पर राखी और उन्हें कामुक अंदाज मैं मसलना सुरु किया. वो तड़पने लगी. दोक्टोर्र्र्र. स्साह्ह्हाब. क्या कर रहें है आप. यह कैसा इलाज आप कर रहे हैं? कैसा लग रहा है गोरी? मुझे अच्छी तरह से देख’न होगा की राजन ठीक कहता है या नहीं. वह कहता है तुम हाथ लगाते ही ऐसे चीख’ने लग जाती हो. बहुत आछा लग रहा है साहब. पर आप से यह सब कर’वाना क्या अच्छी बात है? और दाबून? मैंने गोरी की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी मस्त चूचियां दबानी जारी राखी. हाँ. एपी’का इनको हलके हलके दबाना बहुत अच्छा लग रहा है. राजन भी ऐसे ही मसलता है. तेरे इन खूबसोरत स्तनों को. नहीं साहब आपके हाथों मैं मर्दानी पकड़ है. मैंने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया. बूब्स के भर से अचानक उसका ब्लौसे फट गया. और वो कसे कसे दूध बहार को उचल कर आ गए. वह क्या खूबसूरत कामुक आपसरा बैठी थी मेरे सामने एकदम नग्न. ३६-१८-३७ एकदम दूध की तरह गोरी. बाला की कमसिन. मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था.
आब मैंने बलात उसके मुख को पकड़ उसके हूनथो को चुसना सुरु कर दिया. इस’से पहले वो कुछ समझ पति उसके होंठ मेरे होंठो को जकड मैं थे. मेरे एक हाथ ने उसके पुरे बदन को मेरे शरीर से चिपटा लिया था. और दुसरे हाथ ने जबरदस्ती. उसकी झांघाओं के बीच से जगह बना कर उसके गुप्तांग मैं ऊँगली दाल दी थी. उसके क्लिटोरिस पर मैंने जबरदस्त मसाज़ की. उसके पुत्ते उठाने लगे थे. वो मतवाली हो उठी थी. मैंने हूनथो को चूमा. कभी राजन ने इस तरह किया तेरे साथ. सच कहना गोरी? नहीं डॉक्टर साहब. वह तो सीधे ऊपर चढ़ जाते हैं और थोड़ी देर हिल’के सुस्त पड़ जाते हैं. यही तो मुझे देख’न है गोरी. राजन कह रहा था तुम चिल्लाने लग जाती हो? बहुत अच्छा. पर अब. जाँच पड़ताल ख़तम हो गई क्या डॉक्टर साहब? आप और क्या क्या करेंगे मेरे साथ?
.......................................

A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

User avatar
Fuck_Me
Platinum Member
Posts: 1107
Joined: 15 Aug 2015 09:05

Re: डॉक्टर साहिब : एक रसीली असली कथा - chudai ki kahani

Unread post by Fuck_Me » 30 Nov 2015 09:19

आब मैं वही करूंगा जो एक जवान शक्तिशाली मरद को, एक सुंदर कामुक खूबसोरत बदन वाली जवान युवती, जो बिस्तर पर नंगी पड़ी हो, के साथ करना चाहिए. तेरा बदन वैसे भी एक साल से तड़प रहा है. तेरा कौमार्य टूटने के लिए बेताब है. और आज ये मरदाना काम. मेरा काम अंग करेगा रात भर इस बिस्तर पर. मेरी ऊँगली जो अभी भी उसकी छूट मैं थी. ने अचानक एक जलजला सा महसूस किया. ये उसका योनी रस था. जो योनी को सम्भोग के लिए तैयार होने मैं मदद करता है. मेरी ऊँगली पुरी भीग गई थी और रस छूट के बहार बहकर झांघाऊँ को भी भिगो रहा था. मेरी बात सुनकर उसके बदन मैं एक तड़प सी हुई चूतर ऊपर को उठे और उसके मुहँ से एक सिसकी भरी चीख निकल पड़ी. बाद मैं थोड़ा संयत होकर गोरी बोली. डॉक्टर साहब. पर इससे मैं रुसवा हो जाओंगी. मेरा मर्द मुझे घर से निकल देगा यदि उसे पता चला की मैं आप के साथ सोई थी. आप मुझे जाने दीजिये. मुझे माफ़ कीजिए.
तू मुझे मरद समझती है. तो मुझ पर भरोसा रख. मैं आज तुझे भरपूर जवानी का सुख ही नहीं दूँगा. बल्कि तुझे हर मुसीबत से बचूंगा. तेरा मरद तुझे और भी खुशी खुशी रखेगा. वो कैसे डॉक्टर साहब?
क्योंकि आज के बाद जब वो तुझ पर चढेगा वो तेरे साथ सम्भोग कर सकेगा. जो काम वो आजतक नहीं कर पाया तुम दोनों की शादी के बाद आब कर सकेगा. और तब तू उसके बच्चे की मान भी बन जायेगी. पर कैसे डॉक्टर साहब. कैसे होगा ये चमत्कार. साहब? गोरी. प्यारी. मैंने उसकी फटी चोली अलग करते हुए और उसके बूब्स को मसलना सुरु करते हुई कहा. तेरी योनी का द्वार बंद है. उसे आज मैं आपने प्रचंड भीषण लुंड से खोल दूँगा ताकि तेरा पति फिर आपना लुंड उसमें घुसा सके और आपना वीर्य उसमें दाल सके जिससे तू मान बन सकेगी. मेरे मसलने से उसके बूब्स बड़े बड़े होने लगे थे और कठोर भी. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़. क्या लगती थी वो आपनी पुरी नग्नता मैं. उन सॉलिड बूब्स पर वो गोल छोटी चुचिया भी बहुत बेचें कर रही थी मुझे. उसका पुरा बदन आब बुरी तरह तड़प रहा था. नशीले बदन पर पसीने की हलकी छोटी बूंदें भी उभर आई थी. मेरा लुंड बहुत ही तूफानी हो रहा था और आब उसके आजाद होने का वक्त आ गया था.
डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है. मेरी इज्जत से मत खेलिए न. जाने दीजिये. मेरा बदन. ऊऊऊईईईमाअ. मुझ पर यकीन करो गोरी. ये एक मरद का वडा है तुझसे. मैं सब देख लूँगा. तेरा बदन तड़प रहा है गोरी. एक मरद के लिए. तेरी छूट का बहता पानी. तेरे कसते हुई बूब्स साफ़ कह रहे हैं की आब तुझे सम्भोग चाहिए. साहब. हाँ. गोरी मेरी रानी. बोल. मैं मान बनूंगी न. हाँ. मेरा मरद मुझे आपने साथ रख लेगा न. मुझे मरेगा तो नहीं न. हाँ. गोरी. तू बिल्कुल चिंता न कर.. तो साहब फिर आपनी फीस ले लो आज रात. मेरी जवानी आपकी है. ओह. मेरी गोरी. आ. जा. और हम दोनों फिर लिपट गए. मेरा लुंड विशाल हो उठा. डॉक्टर साहब बहुत प्यासी हूँ. आज तक किसी मर्द ने नहीं सींचा मुझे. मेरे तन बदन की आग बुझा दो साहब..
तो फिर आ मेरी झांघाऊँ पर रख दे अपने चुत्तर और लिप्त जा मेरे बदन से. थोडी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज के बटनों से खेल रहे थे. कमीज उतारी. फिर मेरी पन्त. गोरी की नजर मेरे बदन को घुर रही थी. मेरा अंडरवियर इससे पहले फट जाता मैंने उसे उतर डाला. और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ. मेरे लुंड ने आपनी पुरी खूब्सोरती से अपने शिकार को पुरा तानकर उठाकर सलाम किया. आपने पुरी १२” लम्बाई और बड़े टमाटर जितने लाल हेड के साथ. गोरी बड़े जोर से चीखी. और बिस्तर से उठकर नंगी ही दरवाजे की तरफ़ भागी. क्या हुआ गोरी? मैं घबरा गया. मैं ताना हुआ लुंड लेकर उसकी तरफ़ दौड़ा. नही मुझे कुछ भी नहीं कर’वाना. णहीईए मुझ… मुझे जा…. जाने दो.गोरी फिर चीखी. क्या हुआ गोरी? लेकिन मैं उसकी तरफ़ बढता ही रहा. साहब आपका ये लू. लूंनद. ये लुंड तो बहुत बड़ा और मोटा है. ब्बाप्प्र्रीए बाप. यह तो गधे के जैसा है. नहीं यह तो मुझे चीर देगा. आओ गोरी. घबराऊ मत. असली मोटे और मजबूत लुंड ही योनी को चीर पाते हैं. गौर से देखो इसे छूकर देखो. इस’से प्यार करो और फिर देखो ये तुम्हें कित’न पागल कर देगा. डॉक्टर साहब. है तो बड़ा ही प्यारा. और बेहद सुंदर मुस्तांद सा. मेरा तो देखते ही इसे चूमने का मन कर रहा है. ऊउफ्फ्फ्फ़. कितना बड़ा है. पर साहब ये मेरी छूट मैं कैसे घुस पायेगा इतना मोटा. मैं तो मर जाऊंगी. राजन का लुंड तो इसके सामने बहुत छोटा है जब वो ही नहीं जाता तो. ये कैसे.
यही तो मरद की सम्भोग कला कौशूल होता है मेरी रानी. छूट खोलना और उसे ढंग से चोदना. हर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी छूट जैसी. कुंवारी. करारी. तू डर मत सुरु मैं थोड़ा सह लेना बस फिर देखना तू चुद्वाते चुद्वाते थक जायेगी पर तेरा मन नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लुंड से खेलो मेरी रानी. कह कर मैंने उसे उठा लिया बाँहों मैं. और बिस्तर पर लिटा दिया. उसकी छूट ही नहीं बल्कि घुटनों तक झांघा भी भीग चुकी थी. बूब्स एकदम सॉलिड और बड़े बड़े हो गए थे. साँस के साथ ऊपर नीचे. साँस जोर जोर से चल रही थी.
मैं बिस्तर पर चढा और उसके पेट पर बैठ गया. उन्नत उठे बूब्स के बीच मैं मैंने आपने लंबे खड़े लुंड तो बिठा दिया और दोनों बूब्स हथेली से दबा दिए. मेरा लुंड बूब्स के बीच मैं फँस गया. उँगलियों से बूब्स के निप्प्ले रगड़ते हुए मैं बूब्स को मसलने लगा और लुंड से उसके संकरे क्लेवागे को फुक्क करने लगा. उप स्ट्रोक मैं लुंड का लाल हेड नंगा होकर उसके लिप्स से तौच करता और डाउन स्ट्रोक मैं वल्ली की चुदाई. उतेजना मैं आकर गोरी ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे की मेरे लुंड का हेड उसमें जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. की आवाज़ करने लगी.
मैंने और जोर लगाया ऊपर को तो लगभग आगे से २ -३ इंच लुंड उसके मुंह मैं घुस गया. थोडी देर की कशमकश के बाद मोशन सेट हो गया. और मैं जैसे स्वर्ग मैं था. लुंड ने स्पीड पकड़ ली थी. गोरी के मुंह भी हेड को मस्त चूस रहा था. और शाफ्ट उंदर तक जा कर उसके गले तक हित कर रही थी. बूओब्स बड़े विशाल हो गए थे. आब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और गोरी के बूब्स पर बैठ गया. और मैंने जितना पोस्सिब्ले था लुंड उसके मुंह मैं घुसा दिया. मेरी झांघाओं के बीच कसा उसका पुरा बदन जैसे बिना पानी की मछली की तरह तड़प रहा था.
थोडी देर के बाद मैंने लुंड को निकला और आब गोरी ने मेरे दोनों एग्गस बराबर तेस्तिक्लेस को चाटना सुरु किया. बीच मई वो पुरे एक फुट लंबे लुंड पर आपनी जीभ फिरती तो कभी सुपदे को चाट लेती. थोडी देर के बाद मैंने ६९ की पोसिशन ले ली तो उसे मेरे कम अंगो और आस पास के एरिया की पुरी एक्सेस मिल गई अब वो मेरे चुत्तर भी चाटने लगी. मैंने भी गांड का छेड़ उसके मुंह पर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे चुत्तर को हाथों मैं लिया और मेरी गांड के छेड़ पर जीभ से छठा. इस बीच मैंने भी उसकी छूट को आपनी जीभ से छठा और चोदा. पर वाकई उसकी छूट बड़ी कासी थी जीभ तक भी नहीं घुस प् रही थी उस मैं. एक बार तो मुझे भी लगा की कहीं वो मर न जाई मेरा लुंड घुस्वते समाया. फिर मैंने उसे पलता कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चुत्तर भी चुसे और चाते. आब गोरी बड़े जोर जोर से सिसकारी भर रही थी और बीच बीच मैं चिल्ला भी उठती थी. वो मेरे लुंड को दोनों हाथों से पकडे हुए थी और आब काफी जोर जोर से चिल्लाने लगी थी. डॉक्टर साहब. छोड़ दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे ऊपर. घुसा दो डॉक्टर साहब. दया करो मेरे ऊपर. नहीं तो मैं मर जाऊंगी. चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे उंदर दाल दो. देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है. गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब आपने हथोडे से. वह क्या मरदाना मस्त लुंड है डॉक्टर साहब आपका. कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जय और अपने कपडे खोलकर आपके बिस्तर पर लेट जय. आओ साहब आ जाओ घुसा दो. ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़.
मेरा लुंड भी आब कामुकता की साडी हदें पर कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच मैं बैठा और उसकी टांगों को हवा मैं व् शपे की तरह पुरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी छूट पर अपने लौडे को रखा और आहिस्ता से पर जरा कास कर दबाया. छूट इतनी लुब्रिकातेद थी की लुंड का हेड तो घुस ही गया. आह. मर्ग्गई. !! मैं मर गई. दोक्टूर्र्र स्साह्ह्ह्हाआब्ब्ब. घबराऊ नहीं मेरी जान. और मैंने लुंड को हाथ से पकड़ थोड़ा और घुसाया. वो मुझे ढाका देने लगी वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मरे. तब मैंने उसे जबरदस्ती नीचे पटककर. उसपर लेट गया. अपनी छत्ती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लुंड को एक जबरदस्त शोट मारा. वो इतनी जोर से चीखी जैसे किसी ने मर ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कास कर जकड भी लिया था. मेरे लुंड का करीब ७ इंच उंदर घुसा हुआ था. और शायद उसकी कौमार्य की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी पत्नी बाकि थी. थोडी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली.
डॉक्टर साहब मुझे छोड़ दो. मैं नहीं सह पूंगी आपका लुंड. मैंने उसके हून्थों पर अपने हूनथ रखे और एक जबरदस्त किस दिया जिसमें उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गए थे. उसकी लम्बी बहूँ ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांगें भी मेरी टांगों से लिपट रही थी. जैसे ठीक से चुदने के लिए पोसिशन ले रही हो. थोडी देर मैं जब मुझे लगा की वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैंने लुंड को थोड़ा सा बहार निकलते हुए एक भरपूर शोट मारा. लुंड का ये प्रहार इतना शक्तिशाली था की वो पस्त हो गई. एक और चीख के साथ. एक हलकी सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्य आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दुसरे मरद से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उस’की छूट से रस धार बह निक’ली और बुरी तरह हांफ रही थी.
अब गोरी की छूट पूरी लासिली थी और मैं अभी तक नहीं झारा था. मैंने जोर दार धक्कों के साथ उसे छोड़’न शुरू किया. उस’की टाइट छूट की दीवारों से रगड़ खाके मेरा लुंड छीला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बुरी तरह छोड़’ता रहा. फिर मैंने लुंड उस’की छूट से खींच लिया और लुंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया जैसे सोडा वाटर की बोत्त्ले खोली हो. फिर मैंने उसे डोगग्य स्टाइल में कर दिया और पीछे से लुंड उस’की छूट में दाल उसे छोड़’ने लगा. अब गोरी भी मस्ती में आ गयी और मुझे जोर से छोड़’ने के लिए उक’साने लगी. छोड़ो मुझे. डॉक्टर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉक्टर साहब. छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. पहाड़ दो मुझे. और जोर से छोड़ दो मुझे. मैं दासी हूँ आपकी. आपकी सेवा करूंगी. रोज रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी. आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी. और जब जब आपका लुंड चाहेगा तब तब चुदवाने के लिए आपके बिस्तर पर लेट जाऊंगी. पर मुझे खूब छोड़ो साहब. और जोर से और तेजी से छोड़ो साहब. उस रात मैंने गोरी को दो बार चोदा. दूसरे दिन दोपहर में थाकुरें क्लीनिक में अ गयी. मैंने उसे बताया की चेक उप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा और कल आप’की बहु आप’के घर चली जायेगी. थाकुरें संतुस्ट होकर वापस हवेली चली गयी.
आज रात गोरी ख़ुद उतावली थी की कब रात हो. उसे भी पता था की कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मजा लूटने का. उसने आज जैसे मैंने चाहा वैसे कर’ने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों खूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैंने गोरी को तरह तरह से कई पोस में चोदा. साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रह’न है और क्या कर’न है सब सम’झा दिया. दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया. मैंने उसे समझा दिया की गोरी का ऑपरेशन हो गया है.तो डॉक्टर साहब गोरी अब माँ बनेगी न? हाँ पर तुम जल्द बाजी मत कर’न. अभी एक महीने तो गोरी से दूर ही रह’न. और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेक उप के लिए भेज’ते रह’न. यह बहुत साव’धानी का काम है. राजन ने कुछ असमंजस से हाँ भरी. फिर वह गोरी को ले गया. गोरी मेरे प्लान के अनुसार बीच बीच में क्लीनिक में आती रही. मैं उसे शाम के वक्त बुलाता जब गाँव के मरीज नहीं होते. रात ८ – ९ बजे तक उसे रख उसकी खूब चुदाई कर’ता. गोरी भी खूब मस्ती के साथ मुझ से चुद’टी.
दो महीने बाद गोरी के गर्भ ठहर गया. मैंने गोरी को समझा दिया की वह राजन से अब चुदवाये. उसकी छूट को तो मेरे १०” के लुंड ने पहले ही भोस’दा बना दिया था जहाँ अब राजन का लुंड आराम से चला जाता. राजन भी बहुत खुश था की डॉक्टर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को छोड़ पा रहा है. गोरी पह’ले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी. थाकुरें को जब पता चला की गोरी के पान’व् भरी हो गए हैं तो उस’ने क्लीनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया. में तो खुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मीद में एपी’न क्लीनिक चला रहा हूँ.
.......................................

A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

Post Reply