meri akeli - train mai chudai ki kahani
Posted: 01 Dec 2015 09:40
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ये बात लगभग १ साल पहले की है. हमारे रिश्तेदारी में किसी की डेथ हो गई थी.मेरे पति अपने काम धंधों में व्यस्त थे इसलिए मुझे ही वहां जाना पड़ा. ट्रेन का सफरथा और मुझे अकेले ही जाना था इसलिए मेरे पति ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे लिएरिज़र्वेशन करवा दिया था.
रात को दस बजे की ट्रेन थी. मुझे मेरे पति स्टेशन तक छोड़ने के लिए आए और मुझेमेरे कूपे में बिठा कर टिकेट चेकर से मिलने चले गए. मेरा कूपा केवल दो सीटों वालाथा. अभी तक दूसरी सीट पर कोई भी पेसेंजेर नहीं आया था. मैंने अपने सामान सेट कियाऔर अपने पति की इंतज़ार करने लगी.
थोडी ही देर में मेरे पति वापस आ गए. उनके साथ ब्लैक कोट में एक आदमी भी आयाथा. वो टिकेट चेकर था. उसके उम्र करीब छब्बीस साल की थी, रंग गोरा और करीब पौने छहफीट लंबा हेंडसम नवयुवक लग रहा था. मेरे पति ने उससे मेरा परिचय करवाया. वो आदमीकेवल देखने में ही हेंडसम नहीं था बल्कि बातचीत करने में भी शरीफ लग रहा था.
उसने मुझसे कहा ” चिंता मत कीजिये मैडम मैं इसी कोच में हूँ कोई भी परेशानी होतो मुझे बता दीजियेगा मैं हाज़िर हो जाऊंगा. आपके साथ वाली बर्थ खाली है अगर कोईपेसेंजर आया भी तो कोई महिला ही आएगी इसलिए आप निश्चिंत हो कर सो सकती हैं.”
उसकी बातों से मुझे और मेरे साथ साथ मेरे पति को भी तसल्ली हो गई. ट्रेन चलनेवाली थे इसलिए मेरे पति ट्रेन से नीचे उतर गए. उसी समय ट्रेन चल दी. मैंने अपने पतिको खिड़की में से बाय किया और फिर अपने सीट पर आराम से बैठ गई.
दोस्तों मुझे आज अपने पति से दूर जाने में बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. इसकाकारण ये था कि मेरी माहवारी ख़तम हुए अभी एक ही दिन बीता था और जैसा कि आप सब लोगजानते हैं ऐसे दिनों में चूत की प्यास कितनी बढ़ जाती है. मैं अपने पति से जी भर करचुदवाना चाहती थी लेकिन अचानक मुझे बाहर जाना पड़ रहा था. इसी कारण से मैं मन ही मनदुखी थी.
तभी कूपे में वो हेंडसम टीटी आ गया. उसने कहा “मैडम आप गेट बंद कर लीजिये मैंकुछ देर में आता हूँ तब आपका टिकेट चेक कर लूँगा.”
उसके जाने के बाद मैंने सोचा की चलो कपड़े बदल लेती हूँ. क्योंकि रात भर का सफरथा और मुझे साड़ी में नींद नहीं आती. ये सोच कर मैंने गाउन निकालने के लिए अपनासूटकेस खोला तो सर पकड़ लिया. क्योंकि मैं जल्दबाजी में गाउन के ऊपर वाला नेट का पीसतो ले आई थी लेकिन अन्दर पहनने वाला हिस्सा घर पर ही रह गया था. जो हिस्सा मैं लाईथी वो पूरा जालीदार था जिसमें से सब कुछ दीखता था.
करीब दो मिनट बैठने के बाद मेरी अन्तर्वासना ने मुझे एक नया निर्णय लेने के लिएविवश कर दिया. मैंने सोचा कि क्यों आज इस हेंडसम नौजवान से चुदाई का मज़ा लिया जाए.ये बात दिमाग में आते ही मैंने वो जालीदार कवर निकाल लिया और ज़ल्दी से अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट निकाल दिए.
अब मेरे बदन पर रेड कलर की पेंटी और ब्रा थी. उसके ऊपर मैंने सफ़ेद रंग काजालीदार गाउन पहन लिया. वैसे उसको पहनने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसमे से सबकुछ साफ़ नज़र आ रहा था और उससे ज्यादा मज़ेदार बात ये थी कि अन्दर पहनी हुई ब्रा औरपेंटी भी जालीदार थी. इसलिए बाहर से ही मेरे चूचुक तक नज़र आ रहे थे. ख़ुद को आईनेमें देखकर मैं ख़ुद ही गरम हो गई.
सारी तैयारी करने के बाद मैं अपनी सीट पर लेट गई और मैगज़ीन पढ़ते हुए टीटी काइंतजार करने लगी. मुझे इंतज़ार करते करते पाँच मिनट बीत गए तो मैंने सोचा कि क्यूँ नपहले खाना खाकर फ्री हो लूँ ये सोच कर मैंने अपना खाना निकाल लिया जो मैं घर से साथलाई थी.
खाना शुरू करते हुए मैंने सोचा कि खाने के बीच मैं टीटी टिकेट चेक करने आ गया तो बीच में उठ कर टिकेट निकालना पड़ेगा ये सोच कर मैंने अपने पर्स में रखा टिकेट निकाल लिया.
टिकेट हाथ में आते ही मेरी आँखों के सामने उस टीटी का जवान बदन घूम गया और मेरे अन्दर की सेक्सी औरत ने अपना काम करना शुरू कर दिया. मैंने पहले ही जालीदार कपड़े पहने थे जिसमे से मेरा पूरा बदन दिखाई पड़ रहा था और फिर मैंने अपना टिकेट भी अपने बड़े बड़े बूब्स के अन्दर ब्रा के बीच मैं डाल लिया. अब वोह टिकेट दूर से ही मेरे लेफ्ट ब्रेस्ट के निप्पल के पास दिखाई दे रहा था.
पूरी तैयारी के बाद मैं खाना खाने लगी. तभी मेरे कूपे का गेट खुला और टीटी अन्दर आ गया. अन्दर आते ही मुझे पारदर्शी कपडों में देखकर बेचारे को पसीना आ गया. वह बिल्कुल सकपका गया और इधर उधर देखने लगा. मैंने उसका होंसला बढ़ाने के लिए उसकी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा और कहा “आईये टीटी साहब बैठिये, खाना लेंगे आप ?” मेरी बात सुनते ही वह बोला “न.न. नहीं मैडम आप लीजिये मैं तो बस आपका टिकेट टिक करने आया था. कोई बात नहीं मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा आप आराम से खा लीजिये.
ये बात लगभग १ साल पहले की है. हमारे रिश्तेदारी में किसी की डेथ हो गई थी.मेरे पति अपने काम धंधों में व्यस्त थे इसलिए मुझे ही वहां जाना पड़ा. ट्रेन का सफरथा और मुझे अकेले ही जाना था इसलिए मेरे पति ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे लिएरिज़र्वेशन करवा दिया था.
रात को दस बजे की ट्रेन थी. मुझे मेरे पति स्टेशन तक छोड़ने के लिए आए और मुझेमेरे कूपे में बिठा कर टिकेट चेकर से मिलने चले गए. मेरा कूपा केवल दो सीटों वालाथा. अभी तक दूसरी सीट पर कोई भी पेसेंजेर नहीं आया था. मैंने अपने सामान सेट कियाऔर अपने पति की इंतज़ार करने लगी.
थोडी ही देर में मेरे पति वापस आ गए. उनके साथ ब्लैक कोट में एक आदमी भी आयाथा. वो टिकेट चेकर था. उसके उम्र करीब छब्बीस साल की थी, रंग गोरा और करीब पौने छहफीट लंबा हेंडसम नवयुवक लग रहा था. मेरे पति ने उससे मेरा परिचय करवाया. वो आदमीकेवल देखने में ही हेंडसम नहीं था बल्कि बातचीत करने में भी शरीफ लग रहा था.
उसने मुझसे कहा ” चिंता मत कीजिये मैडम मैं इसी कोच में हूँ कोई भी परेशानी होतो मुझे बता दीजियेगा मैं हाज़िर हो जाऊंगा. आपके साथ वाली बर्थ खाली है अगर कोईपेसेंजर आया भी तो कोई महिला ही आएगी इसलिए आप निश्चिंत हो कर सो सकती हैं.”
उसकी बातों से मुझे और मेरे साथ साथ मेरे पति को भी तसल्ली हो गई. ट्रेन चलनेवाली थे इसलिए मेरे पति ट्रेन से नीचे उतर गए. उसी समय ट्रेन चल दी. मैंने अपने पतिको खिड़की में से बाय किया और फिर अपने सीट पर आराम से बैठ गई.
दोस्तों मुझे आज अपने पति से दूर जाने में बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. इसकाकारण ये था कि मेरी माहवारी ख़तम हुए अभी एक ही दिन बीता था और जैसा कि आप सब लोगजानते हैं ऐसे दिनों में चूत की प्यास कितनी बढ़ जाती है. मैं अपने पति से जी भर करचुदवाना चाहती थी लेकिन अचानक मुझे बाहर जाना पड़ रहा था. इसी कारण से मैं मन ही मनदुखी थी.
तभी कूपे में वो हेंडसम टीटी आ गया. उसने कहा “मैडम आप गेट बंद कर लीजिये मैंकुछ देर में आता हूँ तब आपका टिकेट चेक कर लूँगा.”
उसके जाने के बाद मैंने सोचा की चलो कपड़े बदल लेती हूँ. क्योंकि रात भर का सफरथा और मुझे साड़ी में नींद नहीं आती. ये सोच कर मैंने गाउन निकालने के लिए अपनासूटकेस खोला तो सर पकड़ लिया. क्योंकि मैं जल्दबाजी में गाउन के ऊपर वाला नेट का पीसतो ले आई थी लेकिन अन्दर पहनने वाला हिस्सा घर पर ही रह गया था. जो हिस्सा मैं लाईथी वो पूरा जालीदार था जिसमें से सब कुछ दीखता था.
करीब दो मिनट बैठने के बाद मेरी अन्तर्वासना ने मुझे एक नया निर्णय लेने के लिएविवश कर दिया. मैंने सोचा कि क्यों आज इस हेंडसम नौजवान से चुदाई का मज़ा लिया जाए.ये बात दिमाग में आते ही मैंने वो जालीदार कवर निकाल लिया और ज़ल्दी से अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट निकाल दिए.
अब मेरे बदन पर रेड कलर की पेंटी और ब्रा थी. उसके ऊपर मैंने सफ़ेद रंग काजालीदार गाउन पहन लिया. वैसे उसको पहनने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसमे से सबकुछ साफ़ नज़र आ रहा था और उससे ज्यादा मज़ेदार बात ये थी कि अन्दर पहनी हुई ब्रा औरपेंटी भी जालीदार थी. इसलिए बाहर से ही मेरे चूचुक तक नज़र आ रहे थे. ख़ुद को आईनेमें देखकर मैं ख़ुद ही गरम हो गई.
सारी तैयारी करने के बाद मैं अपनी सीट पर लेट गई और मैगज़ीन पढ़ते हुए टीटी काइंतजार करने लगी. मुझे इंतज़ार करते करते पाँच मिनट बीत गए तो मैंने सोचा कि क्यूँ नपहले खाना खाकर फ्री हो लूँ ये सोच कर मैंने अपना खाना निकाल लिया जो मैं घर से साथलाई थी.
खाना शुरू करते हुए मैंने सोचा कि खाने के बीच मैं टीटी टिकेट चेक करने आ गया तो बीच में उठ कर टिकेट निकालना पड़ेगा ये सोच कर मैंने अपने पर्स में रखा टिकेट निकाल लिया.
टिकेट हाथ में आते ही मेरी आँखों के सामने उस टीटी का जवान बदन घूम गया और मेरे अन्दर की सेक्सी औरत ने अपना काम करना शुरू कर दिया. मैंने पहले ही जालीदार कपड़े पहने थे जिसमे से मेरा पूरा बदन दिखाई पड़ रहा था और फिर मैंने अपना टिकेट भी अपने बड़े बड़े बूब्स के अन्दर ब्रा के बीच मैं डाल लिया. अब वोह टिकेट दूर से ही मेरे लेफ्ट ब्रेस्ट के निप्पल के पास दिखाई दे रहा था.
पूरी तैयारी के बाद मैं खाना खाने लगी. तभी मेरे कूपे का गेट खुला और टीटी अन्दर आ गया. अन्दर आते ही मुझे पारदर्शी कपडों में देखकर बेचारे को पसीना आ गया. वह बिल्कुल सकपका गया और इधर उधर देखने लगा. मैंने उसका होंसला बढ़ाने के लिए उसकी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा और कहा “आईये टीटी साहब बैठिये, खाना लेंगे आप ?” मेरी बात सुनते ही वह बोला “न.न. नहीं मैडम आप लीजिये मैं तो बस आपका टिकेट टिक करने आया था. कोई बात नहीं मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा आप आराम से खा लीजिये.