मस्त मेनका compleet

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rajaarkey
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मस्त मेनका compleet

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:48


मस्त मेनका पार्ट--1


आज राजपुरा गाओं के राजा यशवीर सिंग का महल दुल्हन की तरह सज़ा हुई है & क्यू ना सजता, आज राजा साहब का बेटा विश्वजीत शादी करने के बाद अपनी नयी-नवेली दुल्हन को लेकर आया था.राजा साहब के घर मे अरसे बाद खुशियों ने कदम रखा था वरना पिच्छले दो सालों मे तो उन्हे बस दुख ही देखने को मिले थे.

मेहमानों की भीड़ हवेली के बड़े से बाग मे दूल्हा-दुल्हन को बधाई दे रही थी & पार्टी का लुत्फ़ उठा रही थी.राजा साहब ने मेहमानों की खातिर मे कोई कसर नही छ्चोड़ी थी.

जब तक राजा साहब मेहमानों की खातिर करते हैं,आइए तब तक हम उनके बारे मे तफ़सील से जान लेते हैं.राजा साहब अपने पिता की एकलौती औलाद थे.उनके पिता पूरे राजपुरा के मलिक थे.उन्होने राजा साहब को विदेश मे तालीम दिलवाई पर हुमेशा से 1 बात उन्होने यशवीर सिंग के दिमाग़ मे डाली कि चाहे कुच्छ भी हो जाए रहना उन्हे राजपुरा मे अपनी जनता के बीच मे ही रहना होगा.पर फिर रजवाड़ों का चलन ख़तम हो गया तो बाप-बेटे ने बड़ी होशियारी से अपने को बिज़्नेस्मेन मे तब्दील कर लिया.जहा कई राजाओं की हालत आम आदमियो से भी बदतर हो गई वोही राजा साहब & उनके पिता ने अपनी पोज़िशन और भी मज़बूत कर ली.

गाओं मे गन्ने की खेती होती थी तो राजा साहब ने शुगर मिल लगा दी & गाओं वालों को उसमे रोज़गार दे दिया.उनकी ज़मीन पे बड़े जंगल थे तो 1 पेपर मिल भी स्टार्ट कर दी,वाहा भी गाओं वाले ही काम करते थे.खेतों मे तो वो पहले से ही लगे हुए थे.
इस तरह पिता की मौत के बाद राजा यशवीर राजपुरा के बेताज बादशाह बन गये.लोकल एमलए & एंपी भी उनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते थे.वक़्त के साथ-2 राजा साहब करीब 15 मिल्स के मलिक बन गये.

राजा साहब का विवाह 1 बड़ी ही धर्म परायण महिला सरिता देवी से हुआ.राजा साहब व्यभिचारी तो नही थे फिर भी आम मर्दों की तरह सेक्स मे काफ़ी दिलचस्पी रखते थे,पर पत्नी के लिए चुदाई बस वंश बढ़ने का ज़रिया था और कुच्छ नही.इसलिए राजा साहब अपने शौक शहर मे पूरे करते थे.पर उन्होने अपनी पत्नी को कभी इसकी भनक भी नही लगने दी ना ही उन शहरी रांडों से कोई बहुत गहरा संबंध बनाया.वो तो बस उनके कुच्छ शौक पूरे करती थी जो उनकी पत्नी नही करती थी.अगर रानी साहिबा राजा साहब की इच्छायें पूरी करती तो राजा साहब कभी किसी और औरत के पास नही जाते.राजा साहेब अपने गाओं के किसी औरत को भी गंदी दृष्टि से नही देखते थे.

पर इस अच्छे इंसान को पहला बड़ा झटका उपरवाले ने आज से 2 साल पहले दिया.राजा साहब का बड़ा बेटा यूधवीर 1 कार आक्सिडेंट मे मारा गया.लोग कहते हैं कि वो आक्सिडेंट नही बलकी मर्डर था-किसी ने यूधवीर की कार के साथ च्छेदखानी की थी.खैर इस बारे मे हम कहानी मे आयेज बात करेंगे.बेटे की मौत का सदमा रानी सरिता देवी सह नही पाई और उसका नाम ले-2 कर भगवान को प्यारी हो गयी.यह सब 1 साल के भीतर-2 घटनाए घट गई.उस समय विश्वजीत विदेश से पढ़ाई करके लौटा था & आते ही उसे पिता का सहारा बनना पड़ा.

ऐसा नही है कि राजपुरा मे राजा साहब का एकच्छात्रा राज्य है.जब्बार सिंग नाम का एक ठाकुर बहुत दिनों से उनसे उलझता आ रहा है.लोग तो कहते हैं केयूधवीर की मौत मे उसी का हाथ था.जब्बार राजा साहब के दबाव को ख़तम कर खुद राजपुरा का बेताज बादशाह बनाना चाहता है.पर राजा साहब ने अभी तक उसके मन की होने नही दी है.

चलिए अब वापस चलते हैं महल को.
अरे ये क्या!पार्टी तो ख़तम हो गयी...सारे मेहमान भी चले गये. नौकर-नौकरानी भी महल के कॉंपाउंड मे ही बने अपने कमरों मे चले गये हैं.रात के खाने के बाद महल के अंदर केवल राजा साहब & उनके परिवार एवं खास मेहमानों को ही रहने का हुक्म है.

पर मैं आपको महल के अंदर ले चलता हूँ,सीधे विश्वजीत के कमरे क्यूकी अब मेनका से मिलने का वक़्त आ गया है.

मेनका-विश्वजीत की दुल्हन, नाम के जैसे ही बला की खूबसूरत...गोरा रंग,खड़ी नाक बड़ी-2 काली आँखें, कद 5'5" ...मस्त फिगर की मल्लिका.बड़े लेकिन बिल्कुल टाइट चुचियों & गांद की मालकिन. मेनका 1 बहुत कॉन्फिडेंट लड़की है जो कि अपने मन की बात सॉफ-2 लेकिन शालीनता से कहने मे बिल्कुल नही हिचकति.

मेनका सुहाग सेज पे सजी-धजी बैठी अपने पति का इंतेज़ार कर रही है.ये लीजिए वो भी आ गया.

मेनका & विश्वजीत शादी के पहले कई बार 1 दूसरे से मिले थे सो अजनबी तो नही थे पर अभी इतने करीबी भी नही हुए थे.विश्वा ने 4-5 बार उसके गुलाबी रसीले होठों को चूमा था...उसके नशीले कसे बदन को अपनी बाहों मे भरा था पर इससे ज़्यादा मेनका कुच्छ करने नही देती थी...पर आज तो वो सोच कर आया था कि उसे पूरी तरह से अपनी बना के रहेगा.

विश्वा पलंग पे मेनका के पास आकर बैठ गया.

"शादी मुबारक हो,दुल्हन",कह के उसने मेनका का गाल चूम लिया.

"मुबारकबाद देने का ये कौन सा तरीका है?",मेनका बनावटी नाराज़गी से बोली.

"अरे,मेरी जान.ये तो शुरूआर् है,पूरी मुबारका बाद देने मे तो हम रात निकाल देंगे".कह के उसने मेनका को बाहों मे भर लिया & उसे बेतहाशा चूमने लगा..गालों पे माथे पे .उसकी लंबी सुरहिदार गर्दन पे.उसके होठों को चूमते हुए वो उनपर अपनी जीभ फिराने लगा & उसे उसके मुँह मे डालने की कोशिश करने लगा.

मेनका इतनी जल्दी इतने तेज़ हमले से चौंक & घबरा गई & अपने को उससे अलग करने की कोशिश करने लगी.

"क्या हुआ जान?अब कैसी शरम!चलो अब और मत तद्पाओ",विश्वा उसके होठों को आज़ाद लेकिन बाहो की गिर्सफ़्त और मज़बूत करते हुए बोला.

"इतनी जल्दी क्या है?"

"मैं अब और इंतेज़ार नही कर सकता,मेनका.प्लीज़..."कहके वो फिर अपनी पत्नी को चूमने लगा.
पर इस बार जुंगली की तरह नही बल्कि आराम से थोड़ा धीरे-2.

थोड़ी ही देर मे मेनका ने अपने होठ खोल दिए & विश्वा ने अपनी जीभ उसके मुँह मे दाखिल करा दी और उसे बिस्तर पे लिटा दिया..उसकी बाहें अभी भी मेनका को कसे हुए थी & उसकी जीभ मेनका की जीभ के साथ खेल रही थी.उसका सीना मेनका की चूचियो को दबा रहा था & दाईं टाँग उसकी टाँगों के उपर थी..

थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद वो अपने हाथ आगे ले आया और ब्लाउस के उपर से ही अपनी बीवी की चूचिया दबाने लगा ...फिर उसने अपने होत उसके क्लीवेज पर रख दिए...मेनका की साँसें भारी हो गयी..धीरे-2 वो भी गरम हो रही थी.

पर विश्वजीत बहुत बेसबरा था और उसने जल्दी से मेनका का ब्लाउस खोल दिया & फिर रेड ब्रा मे क़ैद उसकी चूचियों पर टूट पड़ा....मेनका की नही-2 का उसके उपर कोई असर नही था.

rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:49



मेनका के लिए ये सब बड़ा जल्दी था.वो 1 कॉनवेंट मे पढ़ी लड़की थी..सेक्स के बारे मे सब जानती थी पर कुच्छ शर्म & कुच्छ अपने खानदान की मर्यादा का ख़याल करते हुए उसने अबी तक किसी से चुडवाया नही था.विदेश मे कॉलेज मे कभी-कभार किसी लड़के के साथ किस्सिंग की थी बस.विश्वा को भी उसने शादी से पहेले किस्सिंग से आगे नही बढ़ने दिया था.

सो उसके हमले से वो थोड़ा अनसेटल्ड हो गयी.इसी का फायडा उठा कर विश्वजीत ने उसके सारी & पेटीकोआट को भी उसके खूबसूरत बदन से अलग कर दिया.अब वो केवल रेड ब्रा & पॅंटी मे थी.टांगे कस कर भीची हुई..हाथों से अपने सीने को ढकति हुई...शर्म से उसका चेहरा ओर गुलाबी हो गया था & आँखें बंद थी-मेनका सच मच भगवान इन्द्र के दरबार की अप्सरा मेनका जैसी लग रही थी.

विश्वा ने 1 नज़र भर कर उसे देखा और अपने कपड़े निकाल कर पूरा नंगा हो गया.उसका 4 1/2 इंच का लंड प्रिकम से गीला था.उसने उसी जल्दबाज़ी से मेनका के ब्रा को नोच फेका और उसका मुँह उसकी चूचियो से चिपक गया.वो उसके हल्के गुलाबी रंग के निपल्स को कभी चूस्ता तो कभी अपनी उंगलियों से मसलता.मेनका उसकी इन हरकतों से और गरम हो रही थी.फिर विश्वा उसकी चूचियो को छ्चोड़ उसके पेट को चूमता उसकी गहरी नाभि तक पहुचा.

जब उसने जीभ उसकी नाभि मे फिराई तो वो सीत्कार कर उठी,"आ....अहह.."

फिर वो और नीचे पहुचा,पॅंटी के उपर से उसकी चूत पर 1 किस ठोकी तो मेनका मारे शर्म के उठती हुई उसका सर पकड़ कर अपने से अलग करने लगी पर वो कहा मानने वाला था.उसने उसे फिर लिटाया & झटके के साथ उसकी पॅंटी खीच कर फेक दी.मेनका की चूत पे झाँत हार्ट शेप मे कटी हुई थी.ये उसकी सहेलियों के कहने पर उसने किया था.

"वाह!मेरी जान",विश्वा के मुँह से निकला,"वेरी ब्यूटिफुल पर प्लीज़ तुम इन बालों को सॉफ कर लेना.मुझे सॉफ बिना बालों की चूत पसंद है."

ये बात सुनकर मेनका की शर्म और बढ़ गयी.1 तो वो पहली बार किसी के सामने ऐसे नंगी हुई थी उपर से ऐसी बातें!

विश्वा ने 1 उंगली उसकी चूत मे डाल दी और दूसरे हाथ से उसके बूब्स मसल्ने लगा.मेनका पागल हो गयी.तभी वो उंगली हटा कर उसकी टाँगो के बीच आया और उसकी चूत मे जीभ फिराने लगा.अब तो मेनका बिल्कुल ही बेक़ाबू हो गयी.उसे अब बहुत मज़ा आ रहा था.वो चाहती थी की विश्वजीत ऐसे ही देर तक उसकी चूत चाटता रहे पर उसी वक़्त विश्वा ने अपना मुँह उसकी चूत से हटा लिया.

मेनका ने आँखें खोली तो देखा कि वो अपना लंड उसकी चूत पर रख रहा था.

वो मना करने के लिए नही बोलते हुए उसके पेट पर हाथ रखने लगी पर बेसब्र विश्वा ने 1 झटके मे उसकी कुँवारी नाज़ुक चूत मे अपना लंड आधा घुसेड दिया.यूँ तो मेनका की चूत गीली थी पर फिर भी पहल्ली चुदाई के दर्द से उसकी चीख निकल गयी,"उउउइईईईई........माअ.....अनन्न्न्न्न...न्न्न्न...ना...शियीयियी "

विश्वा उसके दर्द से बेपरवाह धक्के मारता रहा & थोड़ी देर मे उसके अंदर झाड़ गया.फिर वो उसके सीने पे गिर कर हाँफने लगा.

मेनका ने ऐसी सुहागरात की कल्पना नही की थी, उसने सोचा था कि विश्वा पहले उससे प्यारी-2 बातें करेगा.फिर जब वो थोड़ा कंफर्टबल हो जाए तब बड़े प्यार से उसके साथ चुदाई करेगा.पर विश्वा को तो पता नही किस बात की जल्दी थी.

"अरे...तुम्हारी खूबसूरती का रस पीने के चक्कर मे तो मैं ये भूल ही गया!",विश्वा अपने ज़मीन पर पड़े कुर्ते को उठा कर उसकी जेब से कुच्छ निकालते हुए बोला तो मेनका ने 1 चादर खीचकर अपने नंगे पन को ढँकते हुए उसकी तरफ देखा.

"ये लो.अपना वेड्डिंग गिफ्ट.",कहते हुए उसने 1 छ्होटा सा बॉक्स मेनका की तरफ बढ़ा दिया.

मेनका ने उसे खोला तो अंदर 1 बहुत खूबसूरत & कीमती डाइमंड ब्रेस्लेट था.ऐसा लगता था जैसे किसी ने मेनका से ही पसंद करवा के खरीदा हो.वो बहुत खुश हो गयी & अपना दर्द भूल गयी.उसे लगा कि अभी बेसब्री मे विश्वजीत ने ऐसा प्यार किया.

"वाउ!इट'स सो ब्यूटिफुल.आपको मेरी पसंद कैसे पता चली?",उसने ब्रेस्लेट अपने हाथ मे डालते हुए पूचछा.

"अरे भाई,मुझे तो तुमहरे गिफ्ट का ख़याल भी नही था",विश्वा ने उसकी बगल मे लेटते हुए जवाब दिया."वो तो मेरे कज़िन्स शादी के 1 दिन पहले मुझ से पुच्छने लगे कि मैने उनकी भाभी के लिए क्या गिफ्ट लिया तो मैने कह दिया कि कुच्छ नही.यार,मुझे लगा कि अब गिफ्ट क्या देना.पर पिताजी ने मेरी बात सुन ली.वो उसी वक़्त शहर गये ओर ये ला कर मुझे दिया.कहा कि बहू को अपनी तरफ से गिफ्ट करना.",इतना कह कर वो सोने लगा.

मेनका निराश हो गयी,उसने तो सोचा था कि उसका पति उसके लिए प्यार से तोहफा लाया है पर उसे तो तोहफे का ध्यान भी नही था.मेनका ने भी विश्वा के लिए गोल्ड चैन ली थी जो उसने सोते हुए विश्वा के गले मे डाल दी & खुद भी सो गयी.

उसी वक़्त महल के उसी उपरी मंज़िल जिसमे मेनका & विश्वा का कमरा था,के एक दूसरे हिस्से मे राजा यशवीर अपने पलंग पर लेट सोच रहे थे कि आज कितने दीनो बाद उनके महल मे फिर रौनक हुई."प्रभु,इसे बनाए रखना.",उन्होने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की.

अब उनका ध्यान अपने बेटे-बहू पर गया.इस वक़्त दोनो एक-दूसरे मे खोए होंगे.उन्हे अपनी सुहागरात याद आ गयी.सरिता देवी के आती धार्मिक होने के कारण उन्हे चुदाई के लिए तैइय्यार करने मे उन्हे काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.ज़बरदस्ती उन्हे पसंद नही थी,वरना जो 6'2" लंबा-चौड़ा इंसान आज 52 वर्ष की उम्र ने भी 45 से ज़्यादा का नही लगता था वो जवानी मे किसी औरत को काबू करने मे कितना वक़्त लेता!

अपनी सुहागरात याद करके उनके होठों पे मुस्कान आ गयी ओर अनायास ही वो अपने बेटे-अभू की सुहागरात के बारे मे सोचने लगे.उनका ध्यान मेनका की ओर गया.

"कितनी खूबसूरत है.विश्वा बहुत लकी है बस इस बात को वो खुद भी रीयलाइज़ कर ले.",फिर वो भी सो गये.

आइए चलते हैं हम अब राजपुरा के 1 दूसरे कोने मे.वाहा 1 बड़ी कोठी अंधेरे मे डूबी है.लेकिन उपरी मंज़िल के 1 कमरे से कुच्छ आवाज़ें आ रही हैं.देखते हैं कौन है वाहा.

उस कमरे के अंदर 1 काला ,भद्दा & थोड़ा मोटा आदमी नगा बिस्तर पर बैठा है.उसके सर के काफ़ी बाल उड़ गये हैं & चेहरे पर दाग भी है.मक्कारी और क्रूरता उसकी आँखो मे सॉफ झलकती है.यही है जब्बार जिसका बस 1 मक़सद है-राजा साहब की बर्बादी.

वो शराब पी रहा है & एक बला की सुंदर नंगी लड़की उसके लंड को अपनी चूचियों के बीच रगड़ रही है.वो लंड रगड़ते-2 बीच-2 मे झुक कर उसे अपने पतले गुलाबी होठों से चूस भी लेती है.दूर से देखने से लगता है जैसे कि एक राक्षस & 1 परी जिस्मों का खेल खेल रहे हैं.

अचानक जब्बार ने अपना ग्लास बगल की तिपाई पर रखा और उस खूबसूरत लड़की को उसके बालों से पकड़ कर खीचा & उसे बिस्तर पर पटक दिया.

"औ..छ्ह",वो कराही पर बिना किसी परवाह के जब्बार ने उसकी टांगे फैलाई & अपना मोटा लंड उसकी चूत मे पेल दिया.

"आ...आहह......हा...ईईईईईई......रा....आमम्म्ममम...",वो चिल्लाई.

rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:50



जब्बार ने बहुत बेरहमी से उसे चोदना शुरू कर दिया.उस लड़की के चेहरे पर दर्द & मज़े के मिले-जुले भाव थे.उसे भी इस जुंगलिपने मे मज़ा आ रहा था 7 वो नीचे से अपनी कमर हिल-2 कर जब्बार का पूरा साथ दे रही थी.थोड़ी ही देर मे उसने अपनी बाहें जब्बार की पीठ पर & सुडोल टाँगें उसकी कमर के गिर्द लपेट दी & चिल्लाने लगी,"हा.....आई....से....हीईीईई.....ज़ो...र्र.... से ...कर....ते...रहो!"

"आ..हह...एयेए...हह!"

जब्बार उसकी चूचियो को काटने & चूसने लगा & अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी.थोड़ी ही देर मे वो लड़कीजद गयी,"ऊऊऊओ.....एयेए....हह....!"

और साथ-साथ जब्बार भी.

उसकी चूत मे से लंड निकाल कर जब्बार बिस्तर से उतरा & तिपाई पे रखे ग्लास मे शराब डालने लगा.उस लड़की ने अपना बाया हाथ बढ़ा कर जब्बार के सिकुदे हुए लॅंड & बॉल्स को पकड़ किया & मसालने लगी,"ज़ालिम तो तू बहुत है पर आज कुच्छ ज़्यादा ही हैवानियत दिखा रहा था.वजह?"

ग्लास खाली करके जब्बार ने जवाब दिया,"मुझे उंगली कर रही है ना,मलिका."

" साली,ये ले.",कहते हुए उसने अपना अपने ही वीर्य & मलिका के रस भीगा लंड फिर से मालिका के मुँह मे घुसा दिया.अपने मोटे हाथों से उसे बालों से पकड़ कर उसका सिर उपर किया और उसके मुँह को ही चोदने लगा,"राजा के यहा खुशी मने & मैं यहा संत बना रहूं..हैं!"

जवाब मे मलिका ने हाथों से उसकी कमर को पकड़ा & अपनी दो उंगलियाँ जब्बार की गांद मे घुसा दी.वो चिहुका लेकिन उसने अपनी रखैल का मुँह चोदना नही छ्चोड़ा.

मलिका उसकी रखैल थी.उसके ही जैसी निर्दयी & ज़ालिम.भगवान जितनी खूबसूरती उसे बक्शी थी उतनी ही कम उसके दिल मे दया & प्यार भरा था.

इन ज़ालिमों को इनके जुंगलिपने पे छ्चोड़ हम आगे बढ़ते हैं आने वाली सुबह की ओर जब विषजीत अपनी दुल्हन को लेकर हनिमून के लिए स्विट्ज़र्लॅंड को जाने वाला है.

सुबह सूरज की रोशनी चेहरे पर पड़ने से मेनका की आँख खुली.विश्वजीत कमरे मे नहीं था & वो पलंग पर अकेली नंगी पड़ी थी.वो उठकर बाथरूम मे आ गयी.नौकरानियों ने कल ही उसका सारा समान उसकी ज़रूरत के हिसाब से उसको रूम मे अरेंज कर दिया था.

बाथरूम मे घुसते ही वो चौंक पड़ी-आदम कद शीशे मे अपने अक्स को देख कर..उसे लगा कि कोई और खड़ा है पर जब रीयलाइज़ किया कि ये तो उसी का अक्स है तो हंस पड़ी.वो शीशे मे अपने नंगे बदन को निहारने लगी.......अपना परियो जैसा खूबसूरत चेहरा,कमर तक लहराते घने,काले बाल...मांसल बाहें,लंबी सुरहिदार गर्दन...उसके 36 साइज़ के बूब्स बिना ब्रा के भी बिल्कुल टाइट और सीधे तने हुए थे..उसे खुद भी हैरत होती थी कि इतने बड़े साइज़ के होने के बावजूद उसकी चूचिया ऐसी कसी थी ज़रा भी नही झूलती थी...ब्रा की तो जैसे उन्हे ज़रूरत ही नही थी....उसने धीरे से उन्हे सहलाया और अपने हल्के गुलाबी रंग के निपल्स को हल्का सा मसला..अब उसके हाथ अपनी सपाट पेट पर गये जिसके बीच मे उसकी गोल,गहरी नाभि चमक रही थी .अब उसने अपना बदन घुमा कर अपनी मखमली पीठ का मुआयना किया,नीचे अपनी 26 इंच की कमर को देखा & फिर अपनी मस्त 34 साइज़ की गांद को निहारा जो की उसकी चूचियो की तरह ही बिल्कुल पुष्ट & कसी थी.उसकी मांसल ,भारी जांघे & उसके सुडोल टाँगें तो ऐसे चमक रही थी जैसे संगमरमर की बनी हो.

उसे अपनी सुंदरता पर थोड़ा गुरूर हो आया पर उसी वक़्त उसकी नज़र उसकी छातियो पर बने विश्वजीत के दांतो के निशान पर पड़ी & उसे कल की रात याद आ गयी & 1 परच्छाई सी उसके चेहरे पर से गुज़र गयी-उसकी छातियो को देख कर ऐसा लगता था जैसे चाँद पे दाग पड़ा हो...फ़र्क बस इतना था कि यहा 2-2 चाँद थे.

वो एक गहरी सांस भर के पानी भरे बाथ-टब मे बैठ गयी.उसके हाथ अपनी जांघों पर से होते हुए उसकी झांतों भरी चूत से टकराए & उसे रात को विश्वा की कही बात याद आ गयी.उसने हाथ बढ़ा कर बगल के शेल्फ से हेर-रिमूविंग क्रीम निकाली & अपनी झाँटें सॉफ करने लगी.

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बेटे-बहू को हनिमून के लिए विदा करके राजा यशवीर अपने ऑफीस पहुचे.उनकी 15 मिल्स तो राजपुरा के अंदर & आसपास के इलाक़े मे फैली थी पर राजपुरा के उत्तरी हिस्से मे 1 ओर उनकी 6 मिल्स का 1 बहुत बड़ा कॉंप्लेक्स था(उनका महल राजपुरा के पूर्वी बोर्डर्पे था).इसी के अंदर उन्होने मिल्स मे काम करने वाले उनके स्टाफ मेंबर्ज़ के लिए रेसिडेन्षियल कॉंप्लेक्स,हॉस्पिटल & स्टाफ के बच्चों के लिए स्कूल बनवाया था.साथ ही यहा उनके बिज़्नेस का सेंट्रल ऑफीस भी था जहा से राजा साहब अपने कारोबार को चलाते थे.

ऑफीस मे अपने चेंबर मे बैठते ही उनके राजकुल मिल्स ग्रूप के CMड सेशाद्री उनके पास सारी रिपोर्ट्स ले कर आ गये.सेशाद्री उनका बहुत वफ़ादार एंप्लायी था & राजा साहब उसके बिना बिज़्नेस चलाना तो सोच भी नही सकते थे.

"नमस्कार,सेशाद्री साहब.आइए बैठिए."

"कुंवर साहब & कुँवरनी साहिबा रवाना हो गये,राजा साहब?'

"जी हां,सेशाद्री जी.उपरवाले की कृपा & आप सबकी शुभकामनाओं से शादी ठीक तरह से निपट गयी."

"हम तो हुमेशा आपका शुभ ही चाहेंगे सर.",सेशाद्री नेउनकी तरफ लॅपटॉप घूमाते हुए कहा.

"वो जर्मन कंपनी जिसे हम अपनी शुगर मिल्स मे पार्ट्नर बनाना चाहते हैं,उनके साथ 4थ राउंड की मीटिंग कैसी रही?"

"बहुत बढ़िया सर.पेपर मिल्स के लिए 1 अमेरिकन कंपनी से भी बात की है.जैसा आप चाहते हैं हुमारी ग्रूप कॉस. मे फॉरिन पार्ट्नर्स लेकर हम अपने प्रॉडक्ट्स का एक्सपोर्ट तो आसान कर ही लेंगे,साथ-2 हुमारे ग्रूप मे भी कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा."

"हा,हम चाहते हैं कि हुमारा ग्रूप आगे भी 1 वेल-आय्ल्ड मशीन की तरह चले & आपके जैसे क्वालिफाइड लोग ही हुमेशा इसकी बागडोर संभाले रहे."

"पर राजा साहब,आपको डर नही लगता कि आपके परिवार का कंट्रोल ख़तम हो गया तो.."

"..अगर ऐसा होता है उसका मतलब है कि हुमारे परिवार मे किसी मे को. चलाने की काबिलियत नही है.ऐसे मे उन्हे पैसों से कॉमपेनसेट किया जाएगा ओर कंपनी. को सो कॉल्ड बाहर के लोग सुचारू रूप से चलाते रहेंगे.",राजा साहब ने उनकी बात बीच मे ही काटते हुए जवाब दिया.

"सेशाद्री साहब,क्या आप आउटसाइडर हैं.आपका हुमारा खून का रिश्ता नही है पर आपने तो हमसे भी ज़्यादा इस ग्रूप की सेवा की है."

"सर,प्लीज़ डॉन'ट एंबरस्स मी."

"सेशाद्री साहब,हम तो आपकी तारीफ करते रहेंगे,आप ही तारीफ पर फूलना सीख जाए!"

कह कर दोनो हंस पड़े.

"अच्छा,वो अमेरिकन कंपनी भरोसे की तो है?"

एस,सर.जबसे जब्बार वाला केस हुआ है मैं इस मामले मे डबल सावधान हो गया हूँ."

जब तक ये दोनो और बात करते है मैं आपको "जब्बार वाले केस" से रूबरू करवा दू.


क्रमशः..............................

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