दामिनी
मैं दामिनी हूँ..जी हाँ ऑफ कोर्स दामिनी नाम है तो ये बताने की ज़रूरत नहीं के मैं एक स्त्री ही हूँ..हाँ ये और बात है के अभी एक कमसिन लड़की हूँ...एक सेक्सी औरत हूँ ..या फिर जवानी की सीढ़ियों से उतरती एक अधेड़ औरत ... खैर जो भी हूँ ..अभी
मैं एक मालदार , जानदार और ईमानदार औरत हूँ..हा! हा! हाँ ईमानदार ..मेरा ईमान है मेरी चूत और मेरा धर्म है मेरी खूबसूरती ..इन दोनों का हम ने अपनी ज़िंदगी में बड़ी ईमानदारी से इस्तेमाल किया ..जी हाँ बड़ी ईमानदारी से..और ज़िंदगी के इस मुकाम पे आ पहुचि हूँ...तो मैं ईमानदार हूँ ना ?
आज मेरे पास बड़ा बॅंक बॅलेन्स है ..बंगला है ,लेटेस्ट मॉडेल्स की कार है ..नौकर हैं और हाँ याद आया एक पति भी है..... जिसकी ज़रूरत मुझे उसके लौडे के लिए नहीं ..बिल्कुल नहीं ..मेरी जिंदगी में मुझे लौडे की कभी कमी नहीं हुई ..बचपन से आज तक .... हाँ तो पति की ज़रूरत सिर्फ़ दिखावे के लिए है ....कितनी सहूलियत है ..एक छोटे से लंड का ठप्पा चूत में लगते ही और माथे पे सिंदूर की चुटकी लगते ही कितने सारे लौन्डो को अंदर लेने का लाइसेन्स मिल जाता है ..कोई उंगली नहीं उठा सकता ....मैं ठीक बोल रही हूँ ना ..?
आक्च्युयली बचपन से ही मेरे घर का माहौल कुछ ऐसा था के मेरी चूत में हलचल मची रहती थी .. लौडे की हमेशा प्यासी.....और इसी प्यास ..इसी चाह का बखूबी इस्तेमाल किया मैने ...और आज इस मुकाम पर हूँ.
तो चलें फिर मेरी कहानी की शुरुआत करें ..शुरू से ..याने जहाँ से मेरी ज़िंदगी शुरू होती है ...मेरे घर से ....
तो चलें मेरे घर की ओर...हाँ वो घर जहाँ से मेरी कहानी की शुरुआत हुई...जहाँ से आज की दामिनी की पैदाइश हुई...
मेरे पापा अभय माथुर , एक प्राइवेट फर्म में अच्छी ख़ासी मार्केटिंग की जॉब थी ...जिस समय की बात मैं कर रही हूँ ..उम्र थी उनकी 43 वर्ष ...हमेशा टूर पर रहते ..बहोत हॅंडसम ...रंग गेहुआ...5'10" हाइट और गठिला बदन..कॉलेज में बॅडमिंटन चॅंपियन ..अभी भी लड़कियाँ उन्हें घूरती .. जाहिर है मैं भी...
पर पापा को मेरी मम्मी ने ऐसा जाकड़ रखा था अपनी चूत में ,उनका लौडा कहीं और भटकता ही नहीं ...
नाम था मेरी मम्मी का कामिनी ...और थी भी कामिनी.. उन्होने अपने शरीर को अच्छी तरह संभाला था ...पूरे का पूरा 5'6" का लंबा क़द को उन्होने सही जागेह पे सही उभार से संवार रखा था ...रंग गोरा ..... सेक्स की गुलाबी खुश्बू उनके चारों ओर हमेशा छाई रहती ...पापा को मदमस्त रखने के लिए काफ़ी ...और सिर्फ़ पापा ही नहीं शायद मेरे भैया भी मदमस्त थे ....पर उन्हें अभी तक मदमस्त रहने से आगे की सीढ़ी चढ़ने की सफलता हासिल नहीं हुई थी ... बेचारे भैया ...
पापा ने मम्मी को फँसाया या मम्मी ने पापा को ..कहना ज़रा मुश्किल था ..पर दोनों एक दूसरे की जाल में फँसे ज़रूर और बुरी तरह ..पापा थे माथुर और मम्मी पंजाबी ... मम्मी के परिवार वाले राज़ी नही थे शादी के लिए ..पापा ने मम्मी को कर दिया पार ...एक दिन मम्मी जो कॉलेज के लिए घर से निकलीं ...फिर वापस घर नहीं गयीं ..सीधा पापा के साथ घर बसा लिया ... हाँ काफ़ी सालों बाद उनके पेरेंट्स ने उन्हें अपनाया .
ये किस्सा मम्मी बड़े फक्र से कभी कभी हमें सुनाती थीं ... खास कर तब जब क्लब से वापस आने पर एक दो पेग उनके गले के नीचे उतर चुका होता था ... और हम सब खाने के टेबल पर बातें करते ... और भैया उनकी तरफ नज़रें गढ़ाए उनकी ओर एक टक देखते रहते ...शायद मम्मी को भैया का इस तरह देखना अच्छा लगता ..और भैया की निगाहें और दो पेग मिल कर उन्हें अपनी जवानी के दिनों की ओर खींच लेता...
हाँ मेरे भैया बिल्कुल मेरे पापा के यंगर वर्षन ..पर क़द पापा से कुछ ज़्यादा ..उम्र 20 वर्ष ...रंग मम्मी का ..और गठिला बदन पापा का...वेरी डेड्ली कॉंबिनेशन ...पापा के बाद मेरी लिस्ट में उन्हीं का नंबर था ..हे ! हे! हे! ..... इंजिनियरिंग कॉलेज में आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे ...उन्हें घर के नक्शों से फुरसत मिलती तो सिर्फ़ मम्मी के नयन नक्श घूरते ..नाम था अभिजीत ..
और हाँ मैं थी उस समय सिर्फ़ 18 साल की ... जवानी की देहली पर पहला कदम था हमारा .. भैया पापा के यंगर वर्षन थे तो मैं थी मम्मी की फोटो कॉपी ...वोई रूप , वोई रंग वोई क़द और वोई खुश्बू ..फ़र्क सिर्फ़ इतना के इन सब खूबियों से मैं खुद ही मदमस्त रहती ..डूबी रहती एक अजीब नशे में ...और पापा को याद कर अपनी चूत उंगलियों से सहलाती मूठ मारती ..और बुरी तरह काँपती हुई झाड़ जाती और उनकी याद लिए मधुर सपने में खो जाती....
कॉलेज में लड़के मेरे आगे पीछे घूमते , पर मैं किसी को घास नहीं डालती ..मेरे उपर तो बस पापा का भूत सवार था ...जब तक मेरे भगवान को प्रसाद नहीं चढ़ता ..इस पर किसी और के हक़ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता...मैं ठीक बोल रही हूँ ना..??? ??
उस दिन सुबह जब मेरी आँखें खुली तो देखा मम्मी के चेहरे पे एक लंबी मुस्कान थी ...और वो अपना फ़ेवरेट गाना गुनगुनाते हुए किचन की ओर जा रहीं थीं सब के लिए चाइ बनाने..हमारे यहाँ खाना बनाने के लिए एक कुक थी ..पर सुबह की चाइ हमेशा मम्मी ही बनाती और सब को उठाते हुए बड़े प्यार से चाइ देती ...ये रोज का सिलसिला था ...हाँ पर इस सिलसिले में गुनगुनाना कभी कभी ही शामिल होता .... हे ! हे ! हे! आप समझ गये होंगे के उनके गुनगुनाने के पीछे क्या राज हो सकता है....जी हाँ आप ने सही समझा ....कल शाम को ही पापा अपने 10 दिनों के टूर से वापस आए थे और जाहिर है रात में मम्मी की बड़े प्यार और जोश के साथ चुदाई हुई थी ...जिसका असर था उनके होठों पे सुबह सुबह ये गाना . पापा मम्मी की चुदाई ,मामूली चुदाई नहीं होती उनके चोदने का ढंग इतना प्यार और अपनापन लिए होता ..के मम्मी का अंग अंग फडक उठता ..कांप उठता ..सिहर उठता ....और सुबह उसकी याद आते ही उनके होंठ गुनगुनाने लगते.
दामिनी compleet
Re: दामिनी
मैं चुदि तो नहीं थी अब तक..पर काफ़ी पॉर्न सी डी देख रखी थी , मेरे पापा की चुदाई और सी डी की चुदाई में बड़ा फ़र्क था ...तभी तो मैं अपनी पहली चुदाई उनसे करवाने का ख्वाब देखती ...
सब से पहले चाइ भैया को मिलती है , फिर हमें और सब को चाइ देने का बाद वो अपने बेड रूम में पापा को ज़ोर दार किस करते हुए जगाती और फिर दोनों साथ साथ चाइ पीते ... आप सोचते होंगे मुझे इतने डीटेल में इतनी बातें कैसे पता है ..तो बस मुझे पापा की हर बात से मतलब रहता ..मैं हमेशा जब भी मौका मिलता उनके रूम में झान्कति रहती और फिर मेरे और मम्मी के बीच दोस्ताना रिलेशन्षिप ज़्यादा था और माँ _बेटी का कम ....काफ़ी कुछ उन से भी मालूम कर लेती ...
तो सुबह सुबह गुनगुनाती गुनगुनाती वो मेरे रूम में आईं चाइ की ट्रे लिए ..मैं तो उठी ही थी पहले से , जैसे उन्होने मुझे चाइ दी मैं उनकी तरेफ देख मुस्कुराने लगी ..
" क्यूँ री दामिनी ...आज सुबह सुबह तेरे चेहरे पे मुस्कान ..?? क्या बात है ..??कोई बॉय फ्रेंड मिल गया शायद ..??"
"नहीं मम्मी मेरी किस्मेत कहाँ ...तुम्हारी तो बस लॉटरी निकली है ...पापा कल आ गये और आज सुबह तुम्हारे होठों पे ये गाना ..हे ! हे ! ..."
"चल बेशरम ...इस लिए तो कहती हूँ के कोई बॉय फ्रेंड जल्दी ढूँढ ले , कुछ तेरा भी इंतज़ाम हो जाए ..पर तू है के पता नहीं किस राजकुमार के लिए बैठी है ..??"
"नो मोम ...राज कुमार नहीं मैं तो एक राजा का वेट कर रही हूँ ..देखें कब तक उसे अपनी रानी से फुरसत मिलती है ...और इस राजकुमारी की तरफ भी देखे ..."
" आइ आम फेड अप दामिनी ..आख़िर ये राजा है कौन जिस के लिए तू अब तक मीरा बाई के भजन गाती रहती है.... पापा को बताऊं ..?? वो शायद कुछ मदद करें तेरी ..??"
मैं ने मन ही मन कहा "उनके अलावा और कोई मदद कर भी नहीं सकता ..." अब मैं उन्हें क्या बताऊं ...??
"नहीं मम्मी ..कभी नहीं ..मैं किसी की मदद लूँ ..?? क्या तुम ने पापा को पाने के लिए किसी की मदद ली थी ....??"
ये सुन ते ही मम्मी की आँखों में आँसू आ गये और उन्होने बड़े प्यार से मेरे सर पे हाथ फिराया और मुझे चाइ का प्याला थमाते हुए कहा "बड़ी हिम्मत है बेटी तुम मे...मेरी दुआएँ तेरे साथ हैं ..."
"हिम्मत क्यूँ ना होगी मोम ..आख़िर हूँ तो तुम्हारी ही बेटी ना ..ही ही ही .."
और फिर मम्मी चल दी अपने बेड रूम की ओर ... ऑफ कोर्स अपनी सेक्सी गान्ड मटकाते हुए ...ही ही ही ..!!
और मैं चाइ पी कर चल दी बाथरूम की ओर .
क्रमशः.…………….
Daamini--1
Main Damini hoon..jee han of course Damini naam hai to ye batane ki jaroorat nahin ke main ek stri hi hoon..han ye aur baat hai ke abhi ek kamasin ladki hoon...ek sexy aurat hoon ..ya phir jawani ki seedhiyon se utarti ek adhed aurat ... khair jo bhi hoon ..abhi
main ek maldar , jandar aur imaandar aurat hoon..ha! ha! han imaandar ..mera imaan hai meri choot aur mera dharm hai meri khoobsoorti ..in donon ka ham ne apni zindagi mein badi imaandari se istemaal kiya ..jee han badi imaandari se..aur zindagi ke is mukam pe aa pahuchi hoon...to main imaandar hoon na ?
Aaj mere pas bada bank balance hai ..bangla hai ,latest models ki car hai ..naukar hain aur han yaad aaya ek pati bhi hai..... jiski jaroorat mujhe uske louDe ke liye nahin ..bilkul nahin ..meri jindagi mein mujhe louDe ki kabhi kami nahin hui ..bachpan se aaj tak .... han to pati ki jaroorat sirf dikhaave ke liye hai ....kitni sahoooliyat hai ..ek chote se lund ka thappa choot mein lagte hi aur maathe pe sindoor ki chutki lagte hi kitne saare lounDo ko andar lene ka license mil jata hai ..koi ungli nahin utha sakta ....main theek bol rahi hoon na ..?
Actually bachpan se hi mere ghar ka mahaul kuch aisa tha ke meree choot mein halchal machi rehti thee .. louDe ki hamesha pyaasi.....aur isi pyaas ..isi chah ka bakhubi istemaal kiya maine ...aur aaj is mukam par hoon.
To chalein phir meri kahani ki shuruaat karein ..shuru se ..yane jahan se meri zindagi shuru hoti hai ...MERE GHAR SE ....
To chalein mere ghar ki or...han wo ghar jahan se meri kahani ki shuruaat hui...jahan se aaj ki Damini ki paidaaish hui...
Mere Papa Abhay Mathur , ek private firm mein achhi khasi marketing ki job thee ...jis samay ki baat main kar rahi hoon ..umra thee unki 43 varsh ...hamesha tour par rehte ..bahot handsome ...rang gehuan...5'10" height aur gaTHila badan..college mein Badminton Champion ..abhi bhi ladkiyan unhein ghoorati .. jahir hai main bhi...
Par Papa ko meri MAMMI ne aisa jakad rakha tha apni choot mein ,unka lauDa kahin aur bhatakta hi nahin ...
Nam tha meri MAMMI ka Kamini ...aur thee bhi kamini.. unhone apne sharir ko achhi tarah sambhala tha ...poore ka poora 5'6" ki lambi qad ko unhone sahi jageh pe sahi ubhar se sanwar rakha tha ...rang gora ..... sex ki gulabi khushbu unke charon or hamesha chaayi rehti ...Papa ko madmast rakhne ke liye kaphi ...aur sirf Papa hi nahin shayad mere bhaiyaa bhi madamast the ....par unhein abhi tak madmast rehne se aage ki seedhi chadhne ki safalta haseel nahin hui thee ... bechare Bhaiyaa ...
Papa ne MAMMI ko phansaya ya MAMMI ne Papa ko ..kehna jara mushkil tha ..par donon ek doosre ki jal mein phanse jaroor aur buri tarah ..Papa the Mathur aur MAMMI punjabi ... MAMMI ke pariwar wale razi nahi the shadi ke liye ..Papa ne MAMMI ko kar diya paar ...ek din MAMMI jo college ke liye ghar se niklin ...phir wapas ghar nahin gayin ..seedha Papa ke saath ghar basa liya ... han kaphi saalon baad unke parents ne unhein apnaya .
Ye kissa MAMMI bade fakra se kabhi kabhi hamein sunaati theen ... khas kar tab jab club se wapas aane par ek do peg unke gale ke neeche utar chuka hota tha ... aur hum sab khane ke table par batein karte ... aur Bhaiyaa unki taraf nazarein gadhaaye unki or ek tak dekhte rehte ...shayad MAMMI ko Bhaiyaa ka is tarah dekhna achha lagta ..aur Bhaiyaa ki nigahein aur do peg mil kar unhein apni jawani ke dinon ki or kheench leta...
Han mere Bhaiyaa bilkul mere Papa ke younger version ..par qad Papa se kuch jyada ..umra 20 varsh ...rang MAMMI ka ..aur gaTHila badan Papa ka...very deadly combination ...Papa ke baad meri list mein unhin ka number tha ..he ! he! he! ..... Engineering College mein Architecture ki paDhai kar rahe the ...unhein ghar ke nakshon se furasat milti to sirf MAMMI ke nayan naksh ghoorte ..nam tha Abhijit ..
Aur han main thee us samay sirf 18 saal ki ... jawani ki dehli par pehla kadam tha hamara .. Bhaiyaa Papa ke younger version the to main thee MAMMI ki photo copy ...woi roop , woi rang woi qad aur woi khushbu ..fark sirf itna ke in sab khoobiyon se main khud hi madmast rehti ..doobi rehti ek ajeeb nashe mein ...aur Papa ko yad kar apni choot ungliyon se sehlati mooth marti ..aur buri tarah kanpti hui jhad jati aur unki yad liye madhur sapne mein kho jati....
College mein ladke mere aage peeche ghoomte , par main kisi ko ghas nahin dalti ..mere upar to bas Papa ka bhoot sawar tha ...jab tak mere Bhagwan ko prasad nahin chadhta ..is par kisi aur ke haq hone ka sawal hi paida nahin hota...main theek bol rahee hoon na..??? ??
Us din subah jab meri ankhein khuli to dekha MAMMI ke chehre pe ek lambi muskan thee ...aur wo apna fevret gana gungunaate hue kitchen ki or ja raheen theen sab ke liye chai banane..hamare yahan khana banane ke liye ek cook thee ..par subah ki chai hamesha MAMMI hi banati aur sab ko uthate hue bade pyaar se chai deti ...ye roj ka silsila tha ...han par is silsile mein gungunana kabhi kabhi hi shamil hota .... he ! he ! he! aap samajh gaye honge ke unke gungunaane ke peeche kya raj ho sakta hai....jee han aap ne sahi samjha ....kal sham ko hi Papa apne 10 dinon ke tour se wapas aaye the aur jahir hai raat mein MAMMI ki bade pyaar aur josh ke saath chudaai hui thee ...jiska asar tha unke hothon pe subah subah ye gana . Papa MAMMI ki chudaai ,mamooli chudaai nahin hoti unke chodane ka dhang itna pyaar aur apnapan liye hota ..ke MAMMI ka ang ang phadak uthta ..kanp uthta ..sihar uthta ....aur subah uski yaad aate hi unke honth gungunane lagte.
Main chudi to nahin thee ab tak..par kaphi porn C D dekh rakhee thee , mere Papa ki chudaai aur C D ki chudaai mein bada phark tha ...tabhi to main apni pehli chudaai unse karwane ka khwab dekhti ...
Sab se pehle chai Bhaiyaa ko milti hai , phir hamein aur sab ko chai dene ka baad wo apne bed room mein Papa ko jor dar kiss karte hue jagati aur phir donon saath saath chai peete ... aap sochte honge mujhe itne detail mein itni batein kaise pata hai ..to bas mujhe Papa ki har baat se matalab rehta ..main hamesha jab bhi mauka milta unke room mein jhankti rehti aur phir mere aur MAMMI ke beech dostana relationship jyada tha aur Maan _Beti ka kam ....kaphi kuch un se bhi maloom kar leti ...
To subah subah gungunati gungunati wo mere room mein aayeen chai ki tray liye ..main to uthee he thee pehle se , jaise unhone mujhe chai dee main unki taref dekh muskurane lagi ..
" Kyoon re Daamini ...aaj subah subah tere chehre pe muskaan ..?? Kya baat hai ..??Koi B F mil gaya shayad ..??"
"nahin MAMMI meri kismet kahan ...tumhari to bas lottery nikli hai ...Papa kal aa gaye aur aaj subah tumhare hothon pe ye gana ..he ! he ! ..."
"chal besharam ...is liye to kehti hoon ke koi Boy Friend jaldi dhoondh le , kuch tera bhi intajaam ho jaye ..par tu hai ke pata nahin kis rajkumar ke liye baithi hai ..??"
"No Mom ...Raj kumar nahin main to ek Raja ka wait kar rahi hoon ..dekhein kab tak use apni rani se furasat milti hai ...aur is rajkumari ki taraf bhi dekhe ..."
" I am fed up Daamini ..aakhir ye raja hai kaun jis ke liye tu ab tak Meera bai ke bhajan gati rehti hai.... Papa ko bataoon ..?? Wo shayad kuch madad karein teri ..??"
Main ne man hi man kaha "Unke alawa aur koi madad kar bhi nahin sakta ..." ab main unhein kya bataoon ...??
"Nahin MAMMI ..kabhi nahin ..main kisi ki madad loon ..?? kya tum ne Papa ko paane ke liye kisi ki madad lee thee ....??"
Ye sun te hi MAMMI ki ankhon mein aansoo aa gaye aur unhone bade pyaar se mere sar pe hath phiraya aur mujhe chai ka pyala thamaate hue kaha "badi himmat hai beti tum me...meri duaaen tere saath hain ..."
"Himmat kyoon na hogi Mom ..aakhir hoon to tumhari hi beti na ..hi hi hi .."
Aur phir MAMMI chal dee apne bed room ki or ... of course apni sexy gaanD matkate hue ...hi hi hi ..!!
aur main chai pee kar chal di bathroom ki or .
kramashah.…………….
सब से पहले चाइ भैया को मिलती है , फिर हमें और सब को चाइ देने का बाद वो अपने बेड रूम में पापा को ज़ोर दार किस करते हुए जगाती और फिर दोनों साथ साथ चाइ पीते ... आप सोचते होंगे मुझे इतने डीटेल में इतनी बातें कैसे पता है ..तो बस मुझे पापा की हर बात से मतलब रहता ..मैं हमेशा जब भी मौका मिलता उनके रूम में झान्कति रहती और फिर मेरे और मम्मी के बीच दोस्ताना रिलेशन्षिप ज़्यादा था और माँ _बेटी का कम ....काफ़ी कुछ उन से भी मालूम कर लेती ...
तो सुबह सुबह गुनगुनाती गुनगुनाती वो मेरे रूम में आईं चाइ की ट्रे लिए ..मैं तो उठी ही थी पहले से , जैसे उन्होने मुझे चाइ दी मैं उनकी तरेफ देख मुस्कुराने लगी ..
" क्यूँ री दामिनी ...आज सुबह सुबह तेरे चेहरे पे मुस्कान ..?? क्या बात है ..??कोई बॉय फ्रेंड मिल गया शायद ..??"
"नहीं मम्मी मेरी किस्मेत कहाँ ...तुम्हारी तो बस लॉटरी निकली है ...पापा कल आ गये और आज सुबह तुम्हारे होठों पे ये गाना ..हे ! हे ! ..."
"चल बेशरम ...इस लिए तो कहती हूँ के कोई बॉय फ्रेंड जल्दी ढूँढ ले , कुछ तेरा भी इंतज़ाम हो जाए ..पर तू है के पता नहीं किस राजकुमार के लिए बैठी है ..??"
"नो मोम ...राज कुमार नहीं मैं तो एक राजा का वेट कर रही हूँ ..देखें कब तक उसे अपनी रानी से फुरसत मिलती है ...और इस राजकुमारी की तरफ भी देखे ..."
" आइ आम फेड अप दामिनी ..आख़िर ये राजा है कौन जिस के लिए तू अब तक मीरा बाई के भजन गाती रहती है.... पापा को बताऊं ..?? वो शायद कुछ मदद करें तेरी ..??"
मैं ने मन ही मन कहा "उनके अलावा और कोई मदद कर भी नहीं सकता ..." अब मैं उन्हें क्या बताऊं ...??
"नहीं मम्मी ..कभी नहीं ..मैं किसी की मदद लूँ ..?? क्या तुम ने पापा को पाने के लिए किसी की मदद ली थी ....??"
ये सुन ते ही मम्मी की आँखों में आँसू आ गये और उन्होने बड़े प्यार से मेरे सर पे हाथ फिराया और मुझे चाइ का प्याला थमाते हुए कहा "बड़ी हिम्मत है बेटी तुम मे...मेरी दुआएँ तेरे साथ हैं ..."
"हिम्मत क्यूँ ना होगी मोम ..आख़िर हूँ तो तुम्हारी ही बेटी ना ..ही ही ही .."
और फिर मम्मी चल दी अपने बेड रूम की ओर ... ऑफ कोर्स अपनी सेक्सी गान्ड मटकाते हुए ...ही ही ही ..!!
और मैं चाइ पी कर चल दी बाथरूम की ओर .
क्रमशः.…………….
Daamini--1
Main Damini hoon..jee han of course Damini naam hai to ye batane ki jaroorat nahin ke main ek stri hi hoon..han ye aur baat hai ke abhi ek kamasin ladki hoon...ek sexy aurat hoon ..ya phir jawani ki seedhiyon se utarti ek adhed aurat ... khair jo bhi hoon ..abhi
main ek maldar , jandar aur imaandar aurat hoon..ha! ha! han imaandar ..mera imaan hai meri choot aur mera dharm hai meri khoobsoorti ..in donon ka ham ne apni zindagi mein badi imaandari se istemaal kiya ..jee han badi imaandari se..aur zindagi ke is mukam pe aa pahuchi hoon...to main imaandar hoon na ?
Aaj mere pas bada bank balance hai ..bangla hai ,latest models ki car hai ..naukar hain aur han yaad aaya ek pati bhi hai..... jiski jaroorat mujhe uske louDe ke liye nahin ..bilkul nahin ..meri jindagi mein mujhe louDe ki kabhi kami nahin hui ..bachpan se aaj tak .... han to pati ki jaroorat sirf dikhaave ke liye hai ....kitni sahoooliyat hai ..ek chote se lund ka thappa choot mein lagte hi aur maathe pe sindoor ki chutki lagte hi kitne saare lounDo ko andar lene ka license mil jata hai ..koi ungli nahin utha sakta ....main theek bol rahi hoon na ..?
Actually bachpan se hi mere ghar ka mahaul kuch aisa tha ke meree choot mein halchal machi rehti thee .. louDe ki hamesha pyaasi.....aur isi pyaas ..isi chah ka bakhubi istemaal kiya maine ...aur aaj is mukam par hoon.
To chalein phir meri kahani ki shuruaat karein ..shuru se ..yane jahan se meri zindagi shuru hoti hai ...MERE GHAR SE ....
To chalein mere ghar ki or...han wo ghar jahan se meri kahani ki shuruaat hui...jahan se aaj ki Damini ki paidaaish hui...
Mere Papa Abhay Mathur , ek private firm mein achhi khasi marketing ki job thee ...jis samay ki baat main kar rahi hoon ..umra thee unki 43 varsh ...hamesha tour par rehte ..bahot handsome ...rang gehuan...5'10" height aur gaTHila badan..college mein Badminton Champion ..abhi bhi ladkiyan unhein ghoorati .. jahir hai main bhi...
Par Papa ko meri MAMMI ne aisa jakad rakha tha apni choot mein ,unka lauDa kahin aur bhatakta hi nahin ...
Nam tha meri MAMMI ka Kamini ...aur thee bhi kamini.. unhone apne sharir ko achhi tarah sambhala tha ...poore ka poora 5'6" ki lambi qad ko unhone sahi jageh pe sahi ubhar se sanwar rakha tha ...rang gora ..... sex ki gulabi khushbu unke charon or hamesha chaayi rehti ...Papa ko madmast rakhne ke liye kaphi ...aur sirf Papa hi nahin shayad mere bhaiyaa bhi madamast the ....par unhein abhi tak madmast rehne se aage ki seedhi chadhne ki safalta haseel nahin hui thee ... bechare Bhaiyaa ...
Papa ne MAMMI ko phansaya ya MAMMI ne Papa ko ..kehna jara mushkil tha ..par donon ek doosre ki jal mein phanse jaroor aur buri tarah ..Papa the Mathur aur MAMMI punjabi ... MAMMI ke pariwar wale razi nahi the shadi ke liye ..Papa ne MAMMI ko kar diya paar ...ek din MAMMI jo college ke liye ghar se niklin ...phir wapas ghar nahin gayin ..seedha Papa ke saath ghar basa liya ... han kaphi saalon baad unke parents ne unhein apnaya .
Ye kissa MAMMI bade fakra se kabhi kabhi hamein sunaati theen ... khas kar tab jab club se wapas aane par ek do peg unke gale ke neeche utar chuka hota tha ... aur hum sab khane ke table par batein karte ... aur Bhaiyaa unki taraf nazarein gadhaaye unki or ek tak dekhte rehte ...shayad MAMMI ko Bhaiyaa ka is tarah dekhna achha lagta ..aur Bhaiyaa ki nigahein aur do peg mil kar unhein apni jawani ke dinon ki or kheench leta...
Han mere Bhaiyaa bilkul mere Papa ke younger version ..par qad Papa se kuch jyada ..umra 20 varsh ...rang MAMMI ka ..aur gaTHila badan Papa ka...very deadly combination ...Papa ke baad meri list mein unhin ka number tha ..he ! he! he! ..... Engineering College mein Architecture ki paDhai kar rahe the ...unhein ghar ke nakshon se furasat milti to sirf MAMMI ke nayan naksh ghoorte ..nam tha Abhijit ..
Aur han main thee us samay sirf 18 saal ki ... jawani ki dehli par pehla kadam tha hamara .. Bhaiyaa Papa ke younger version the to main thee MAMMI ki photo copy ...woi roop , woi rang woi qad aur woi khushbu ..fark sirf itna ke in sab khoobiyon se main khud hi madmast rehti ..doobi rehti ek ajeeb nashe mein ...aur Papa ko yad kar apni choot ungliyon se sehlati mooth marti ..aur buri tarah kanpti hui jhad jati aur unki yad liye madhur sapne mein kho jati....
College mein ladke mere aage peeche ghoomte , par main kisi ko ghas nahin dalti ..mere upar to bas Papa ka bhoot sawar tha ...jab tak mere Bhagwan ko prasad nahin chadhta ..is par kisi aur ke haq hone ka sawal hi paida nahin hota...main theek bol rahee hoon na..??? ??
Us din subah jab meri ankhein khuli to dekha MAMMI ke chehre pe ek lambi muskan thee ...aur wo apna fevret gana gungunaate hue kitchen ki or ja raheen theen sab ke liye chai banane..hamare yahan khana banane ke liye ek cook thee ..par subah ki chai hamesha MAMMI hi banati aur sab ko uthate hue bade pyaar se chai deti ...ye roj ka silsila tha ...han par is silsile mein gungunana kabhi kabhi hi shamil hota .... he ! he ! he! aap samajh gaye honge ke unke gungunaane ke peeche kya raj ho sakta hai....jee han aap ne sahi samjha ....kal sham ko hi Papa apne 10 dinon ke tour se wapas aaye the aur jahir hai raat mein MAMMI ki bade pyaar aur josh ke saath chudaai hui thee ...jiska asar tha unke hothon pe subah subah ye gana . Papa MAMMI ki chudaai ,mamooli chudaai nahin hoti unke chodane ka dhang itna pyaar aur apnapan liye hota ..ke MAMMI ka ang ang phadak uthta ..kanp uthta ..sihar uthta ....aur subah uski yaad aate hi unke honth gungunane lagte.
Main chudi to nahin thee ab tak..par kaphi porn C D dekh rakhee thee , mere Papa ki chudaai aur C D ki chudaai mein bada phark tha ...tabhi to main apni pehli chudaai unse karwane ka khwab dekhti ...
Sab se pehle chai Bhaiyaa ko milti hai , phir hamein aur sab ko chai dene ka baad wo apne bed room mein Papa ko jor dar kiss karte hue jagati aur phir donon saath saath chai peete ... aap sochte honge mujhe itne detail mein itni batein kaise pata hai ..to bas mujhe Papa ki har baat se matalab rehta ..main hamesha jab bhi mauka milta unke room mein jhankti rehti aur phir mere aur MAMMI ke beech dostana relationship jyada tha aur Maan _Beti ka kam ....kaphi kuch un se bhi maloom kar leti ...
To subah subah gungunati gungunati wo mere room mein aayeen chai ki tray liye ..main to uthee he thee pehle se , jaise unhone mujhe chai dee main unki taref dekh muskurane lagi ..
" Kyoon re Daamini ...aaj subah subah tere chehre pe muskaan ..?? Kya baat hai ..??Koi B F mil gaya shayad ..??"
"nahin MAMMI meri kismet kahan ...tumhari to bas lottery nikli hai ...Papa kal aa gaye aur aaj subah tumhare hothon pe ye gana ..he ! he ! ..."
"chal besharam ...is liye to kehti hoon ke koi Boy Friend jaldi dhoondh le , kuch tera bhi intajaam ho jaye ..par tu hai ke pata nahin kis rajkumar ke liye baithi hai ..??"
"No Mom ...Raj kumar nahin main to ek Raja ka wait kar rahi hoon ..dekhein kab tak use apni rani se furasat milti hai ...aur is rajkumari ki taraf bhi dekhe ..."
" I am fed up Daamini ..aakhir ye raja hai kaun jis ke liye tu ab tak Meera bai ke bhajan gati rehti hai.... Papa ko bataoon ..?? Wo shayad kuch madad karein teri ..??"
Main ne man hi man kaha "Unke alawa aur koi madad kar bhi nahin sakta ..." ab main unhein kya bataoon ...??
"Nahin MAMMI ..kabhi nahin ..main kisi ki madad loon ..?? kya tum ne Papa ko paane ke liye kisi ki madad lee thee ....??"
Ye sun te hi MAMMI ki ankhon mein aansoo aa gaye aur unhone bade pyaar se mere sar pe hath phiraya aur mujhe chai ka pyala thamaate hue kaha "badi himmat hai beti tum me...meri duaaen tere saath hain ..."
"Himmat kyoon na hogi Mom ..aakhir hoon to tumhari hi beti na ..hi hi hi .."
Aur phir MAMMI chal dee apne bed room ki or ... of course apni sexy gaanD matkate hue ...hi hi hi ..!!
aur main chai pee kar chal di bathroom ki or .
kramashah.…………….
Re: दामिनी
दामिनी--2
गतान्क से आगे…………………..
उस दिन नाश्ते के टेबल पर जब हम इकट्ठे हुए ..लगता है मेरी और भैया , दोनों की सोच में काफ़ी समानता थी , वो मम्मी को पटाने की कोशिश में थे तो मैं पापा को , और पापा और मम्मी दोनों अपने बच्चो की हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...शायद उन्हें हमारी मंशाओं की भनक लग गयी थी..दोनो एक दूसरे की तरफ देख मुस्कुराए जा रहे थे ..
मैं पापा के बगल में बैठी और भैया मम्मी के बगल ..दोनों ज़रा भी मौका हाथ से नहीं गँवाते ..."पापा ये लो टोस्ट ...मैं मक्खन लगा दूं ??".... और फ़ौरन उनकी ओर झुकती हुई बटर का बोव्ल अपने हाथों से लेती ..अपनी गदराई चूचियों को उनके चेहरे से सटाति हुई ..अपने पर्फ्यूम से सने आर्म्पाइट उनके नाक से रगड्ते हुए ... पापा बस मेरी हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...
वोई हाल उधर भैया का था ...मेरी हरकतों को देखते मम्मी का हंसते हंसते बुरा हाल था ....हंसते हंसते उनके मुँह का खाना गले में अटक गया और वो बुरी तरह खांसने लगीं ..भैया फ़ौरन उठे और अपने हाथों से पानी का ग्लास उनके मुँह से लगाया और उन्हें धीरे धीरे पिलाते हुए उनकी पीठ सहलाने लगे ...फिर उन्होने ग्लास रख दिया और एक हाथ मम्मी के पेट पर रख उनकी पीठ सहलाए जा रहे थे ..उनके शॉर्ट्स (हाफ पैंट ) के अंदर का तंबू की उँचाई साफ नज़र आ रही थी ..
मैं भला कहाँ पीछे रहती ..इसी आपा धापी में मेरे हाथ से पानी से भरा ग्लास टेबल पर गिरा और पानी टेबल से होता हुआ पापा के पॅंट पर उन के क्रॉच पर गिर गया ..मैने बिना मौका गँवाए " अरे ये क्या आपका पॅंट गीला हो गया पापा ..लाइए मैं पोंछ देती हूँ " और वो बेचारे कुछ करते इस के पहले ही मैने टेबल से नॅपकिन उठाया और वहाँ बड़े हल्के हल्के पोंछने लगी ...वहाँ भी एक तंबू खड़ा था ... वहाँ का पानी तो मैने पोंछ दिया ..पर मेरी चूत का पानी कौन पोंछता ..जो बराबर मेरे हाथों से पापा के लंड को उनके पॅंट के उपर से सहलाने से निकलता जा रहा था ..और मेरी पैंटी गीली हो रही थी..
उस दिन ब्रेकफास्ट के टेबल पर दो चूत गीली हुई और दो तंबू तने थे ...
नाश्ता के बाद दो जोड़ी आँखें मिलीं ..मेरी और भैया की और पापा और मम्मी की..
भैया की आँखें मुझे कह रही थी "हाँ दामिनी ठीक जा रही है तू .." मेरी आँखों ने भी उन्हें शाबासी दी ...
मम्मी और पापा हैरत से एक दूसरे को देख रहे थे और शायद उनकी आँखें कह रही थीं
"बच्चे अब बच्चे नहीं रहे ..."
हम सब अपने अपने कमरे की ओर चल दिए ......
ओओओह ..पापा के लंड सहलाने से मेरी बुरी हालत थी ...चूत गीली हो कर पैंटी से टपक रही थी..मैं रूम में पहुँचते ही अपने पीसी की कुर्सी पर बैठ गयी ..पैंटी को घुटनो से नीचे कर लिया ..टाँगें फैला दी और अपनी चूत के होंठों को उंगलियों से अलग किया....आ मेरी गीली और गुलाबी चूत पर मेरी चूत का रस ऐसे लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ियो में ओस की बूँदें ...मैं खुद बा खुद अपनी चूत पर मर मिटि ...चमकीली चूत ..उन्हें चाट लेने का मन कर रहा था ...अगर पापा होते तो..??? ये सोचते ही मेरी चूत की पंखुड़ियाँ फड़कने लगीं ..मैं सिहर उठी ..पापा ..पापा ...ऊ पापा ...आइ लव यू ..पापा आइ लव यू ..मैं बोलती जाती और आँखें बंद किए चूत को अपनी उंगलियों से घिसती जाती ...उनके लौडे का कडपन जो अभी अभी मैने अपनी उंगलियों से नाश्ते के टेबल पर महसूस किया था , मुझे अभी भी फील हो रहा था ...ऐसा लग रहा था मैं अपनी चूत नहीं उनका लौडा घिस रही हूँ ..मैं मज़े में थी ..के अचानक किसी के हाथ का स्पर्श मेरे कंधों पर महसूस हुआ ..मैं आसमान से धरती पर गिर पड़ी ..चौंकते हुए पीछे देखा तो भैया मुस्कुराते हुए खड़े थे ... मैने राहत की सांस ली.....हाँ मेरे राहत की सांस से आप हैरान ना हों...हम दोनों के बीच सिर्फ़ चुदाई के अलावा सब कुछ चलता था .....हम दोनों की अंडरस्टॅंडिंग थी के जब तक मुझे पापा का लंड और उन्हें मम्मी की चूत नहीं मिल जाती हम दोनों चुदाई नहीं करेंगे ... और बाकी सब कुछ वाजिब था इस जंग में ...
हम दोनों का ये प्यारा रिश्ता बस एक झट्के में ही शुरू हो गया था ...आख़िर हम दोनों में अपने मम्मी - पापा के ही जींस थे ना ..सेक्स और प्यार से लबा लब .. जिसे भड़काने के लिए एक ही झटका काफ़ी होता है ...... एक दिन मैने उन्हें उनके रूम में उन्हें मम्मी का ध्यान लगाए आँखें बंद किए मूठ मारते देख लिया था ..और मैं उनके मोटे लंबे और पापा से भी तगडे लंड को देख अपने आप को रोक ना सकी ..उनके सामने चूपचाप घुटनो के बल बैठ कर उनके लौडे की टिप पर अपनी जीभ फिराने लगी बड़ी मस्ती से ....उन्होने शायद सोचा होगा मम्मी हैं ..मैं अपनी जीभ की टिप से उनके लौडे की टिप चाट ती रही ...उनके मूठ मारने की रफ़्तार और तेज़ हो गयी थी ..उन्हें ये होश नहीं था के मैं ही उनके साथ हूँ ..वो अपनी कल्पना में खोए लगातार आहें भरते अपने काम में मस्त थे और मम्मी उनकी कल्पना में उनका लंड चाट रहीं थीं ..नतीज़ा ये हुआ के जब वो झाडे तो उनके लंड से पिचकारी जो छूटी ...सामने दीवार तक पहुँच गयी और वो चिल्ला उठे ."ऊवू मोम ..ओह ..अयाया मोम ..आइ लव यू ..आइ लव यू ..." पर जब उनकी आँखें खुली तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी जब उन्होने मुझे मुस्कुराते हुए सामने खड़ा देखा ... और उनका सारा मज़ा किरकिरा हो गया ...
"भैया कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लिया होता ...खैर चलो कोई बात नहीं ...दोनों तरफ आग बराबर लगी है ..आप मम्मी के दीवाने और मैं पापा की दीवानी ..चलो आज से हम एक दूसरे को इस दीवानगी को हक़ीक़त बनाने में मदद करते हैं .." मैने अपना हाथ उन की ओर बढ़ाया ..
पहले तो उन्होने अपने पॅंट के बटन्स बंद किए....और मुझे खा जानेवाली नज़रों से देखने लगे ..फिर मुस्कुराते हुए कहा "तू बड़ी बदमाश है दामिनी ... " और उन्होने मेरे हाथ थाम लिए और कहा "एक से दो हमेशा भले होते हैं .."
फिर मैने जा कर दरवाज़ा बंद कर दिया और उन से कहा " मैने आपका मज़ा किरकिरा कर दिया ना भैया ..आइए मैं फिर से आपको मज़े देती हूँ ...पर एक शर्त है .."
"क्या ..??" भैया ने पूछा..
"हम दोनों कुछ भी कर सकते हैं पर चुदाई नहीं ... मेरी चूत पापा के लिए है ... आपका नंबर उनके बाद ..." मैने जवाब दिया.
उन्होने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बुरी तरह मुझे चूमने लगे ...होंठ चूसने लगे ...."मुझे मंज़ूर है मेरी प्यारी प्यारी बहना ..मैं समझ सकता हूँ तू पापा को किस हद तक प्यार करती है ..शायद मैं भी मम्मी को उतना ही चाहता हूँ दामिनी .."
और उस दिन के बाद से हम दोनों इस खेल में बराबर के हिस्सेदार थे ....
हाँ तो मैं नाश्ते का बाद पापा को याद कर चूत घिस रही थी और भैया मेरे पीछे खड़े थे ...उन्होने भी उसी अंदाज़ से कहा
"अरे कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर ले दामिनी ...ऐसी हालत में कोई भी आ सकता है .."
"तो आप ही बंद कर दो ना जल्दी ..." मैने अपनी भर्रायि आवाज़ में कहा ....मैं बिल्कुल झडने के करीब ही थी .....के भैया आ गये थे ...उन्होने समय की नज़ाकत भाँप ली ..और फ़ौरन दरवाज़े से बाहर झाँका कोई है तो नही ..और दरवाज़ा बंद कर मेरे पास आ गये ...मेरी आँखें अभी भी मदहोशी में बंद थीं....और मैं पापा ...ऊवू पापा की रात लगाए जा रही थी ...
भैया भी मम्मी को नाश्ते के टेबल पर हाथ लगाने के बाद मम्मी के लिए पागल हो रहे थे ..तभी तो वो आए थे मेरे पास ...
गतान्क से आगे…………………..
उस दिन नाश्ते के टेबल पर जब हम इकट्ठे हुए ..लगता है मेरी और भैया , दोनों की सोच में काफ़ी समानता थी , वो मम्मी को पटाने की कोशिश में थे तो मैं पापा को , और पापा और मम्मी दोनों अपने बच्चो की हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...शायद उन्हें हमारी मंशाओं की भनक लग गयी थी..दोनो एक दूसरे की तरफ देख मुस्कुराए जा रहे थे ..
मैं पापा के बगल में बैठी और भैया मम्मी के बगल ..दोनों ज़रा भी मौका हाथ से नहीं गँवाते ..."पापा ये लो टोस्ट ...मैं मक्खन लगा दूं ??".... और फ़ौरन उनकी ओर झुकती हुई बटर का बोव्ल अपने हाथों से लेती ..अपनी गदराई चूचियों को उनके चेहरे से सटाति हुई ..अपने पर्फ्यूम से सने आर्म्पाइट उनके नाक से रगड्ते हुए ... पापा बस मेरी हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...
वोई हाल उधर भैया का था ...मेरी हरकतों को देखते मम्मी का हंसते हंसते बुरा हाल था ....हंसते हंसते उनके मुँह का खाना गले में अटक गया और वो बुरी तरह खांसने लगीं ..भैया फ़ौरन उठे और अपने हाथों से पानी का ग्लास उनके मुँह से लगाया और उन्हें धीरे धीरे पिलाते हुए उनकी पीठ सहलाने लगे ...फिर उन्होने ग्लास रख दिया और एक हाथ मम्मी के पेट पर रख उनकी पीठ सहलाए जा रहे थे ..उनके शॉर्ट्स (हाफ पैंट ) के अंदर का तंबू की उँचाई साफ नज़र आ रही थी ..
मैं भला कहाँ पीछे रहती ..इसी आपा धापी में मेरे हाथ से पानी से भरा ग्लास टेबल पर गिरा और पानी टेबल से होता हुआ पापा के पॅंट पर उन के क्रॉच पर गिर गया ..मैने बिना मौका गँवाए " अरे ये क्या आपका पॅंट गीला हो गया पापा ..लाइए मैं पोंछ देती हूँ " और वो बेचारे कुछ करते इस के पहले ही मैने टेबल से नॅपकिन उठाया और वहाँ बड़े हल्के हल्के पोंछने लगी ...वहाँ भी एक तंबू खड़ा था ... वहाँ का पानी तो मैने पोंछ दिया ..पर मेरी चूत का पानी कौन पोंछता ..जो बराबर मेरे हाथों से पापा के लंड को उनके पॅंट के उपर से सहलाने से निकलता जा रहा था ..और मेरी पैंटी गीली हो रही थी..
उस दिन ब्रेकफास्ट के टेबल पर दो चूत गीली हुई और दो तंबू तने थे ...
नाश्ता के बाद दो जोड़ी आँखें मिलीं ..मेरी और भैया की और पापा और मम्मी की..
भैया की आँखें मुझे कह रही थी "हाँ दामिनी ठीक जा रही है तू .." मेरी आँखों ने भी उन्हें शाबासी दी ...
मम्मी और पापा हैरत से एक दूसरे को देख रहे थे और शायद उनकी आँखें कह रही थीं
"बच्चे अब बच्चे नहीं रहे ..."
हम सब अपने अपने कमरे की ओर चल दिए ......
ओओओह ..पापा के लंड सहलाने से मेरी बुरी हालत थी ...चूत गीली हो कर पैंटी से टपक रही थी..मैं रूम में पहुँचते ही अपने पीसी की कुर्सी पर बैठ गयी ..पैंटी को घुटनो से नीचे कर लिया ..टाँगें फैला दी और अपनी चूत के होंठों को उंगलियों से अलग किया....आ मेरी गीली और गुलाबी चूत पर मेरी चूत का रस ऐसे लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ियो में ओस की बूँदें ...मैं खुद बा खुद अपनी चूत पर मर मिटि ...चमकीली चूत ..उन्हें चाट लेने का मन कर रहा था ...अगर पापा होते तो..??? ये सोचते ही मेरी चूत की पंखुड़ियाँ फड़कने लगीं ..मैं सिहर उठी ..पापा ..पापा ...ऊ पापा ...आइ लव यू ..पापा आइ लव यू ..मैं बोलती जाती और आँखें बंद किए चूत को अपनी उंगलियों से घिसती जाती ...उनके लौडे का कडपन जो अभी अभी मैने अपनी उंगलियों से नाश्ते के टेबल पर महसूस किया था , मुझे अभी भी फील हो रहा था ...ऐसा लग रहा था मैं अपनी चूत नहीं उनका लौडा घिस रही हूँ ..मैं मज़े में थी ..के अचानक किसी के हाथ का स्पर्श मेरे कंधों पर महसूस हुआ ..मैं आसमान से धरती पर गिर पड़ी ..चौंकते हुए पीछे देखा तो भैया मुस्कुराते हुए खड़े थे ... मैने राहत की सांस ली.....हाँ मेरे राहत की सांस से आप हैरान ना हों...हम दोनों के बीच सिर्फ़ चुदाई के अलावा सब कुछ चलता था .....हम दोनों की अंडरस्टॅंडिंग थी के जब तक मुझे पापा का लंड और उन्हें मम्मी की चूत नहीं मिल जाती हम दोनों चुदाई नहीं करेंगे ... और बाकी सब कुछ वाजिब था इस जंग में ...
हम दोनों का ये प्यारा रिश्ता बस एक झट्के में ही शुरू हो गया था ...आख़िर हम दोनों में अपने मम्मी - पापा के ही जींस थे ना ..सेक्स और प्यार से लबा लब .. जिसे भड़काने के लिए एक ही झटका काफ़ी होता है ...... एक दिन मैने उन्हें उनके रूम में उन्हें मम्मी का ध्यान लगाए आँखें बंद किए मूठ मारते देख लिया था ..और मैं उनके मोटे लंबे और पापा से भी तगडे लंड को देख अपने आप को रोक ना सकी ..उनके सामने चूपचाप घुटनो के बल बैठ कर उनके लौडे की टिप पर अपनी जीभ फिराने लगी बड़ी मस्ती से ....उन्होने शायद सोचा होगा मम्मी हैं ..मैं अपनी जीभ की टिप से उनके लौडे की टिप चाट ती रही ...उनके मूठ मारने की रफ़्तार और तेज़ हो गयी थी ..उन्हें ये होश नहीं था के मैं ही उनके साथ हूँ ..वो अपनी कल्पना में खोए लगातार आहें भरते अपने काम में मस्त थे और मम्मी उनकी कल्पना में उनका लंड चाट रहीं थीं ..नतीज़ा ये हुआ के जब वो झाडे तो उनके लंड से पिचकारी जो छूटी ...सामने दीवार तक पहुँच गयी और वो चिल्ला उठे ."ऊवू मोम ..ओह ..अयाया मोम ..आइ लव यू ..आइ लव यू ..." पर जब उनकी आँखें खुली तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी जब उन्होने मुझे मुस्कुराते हुए सामने खड़ा देखा ... और उनका सारा मज़ा किरकिरा हो गया ...
"भैया कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लिया होता ...खैर चलो कोई बात नहीं ...दोनों तरफ आग बराबर लगी है ..आप मम्मी के दीवाने और मैं पापा की दीवानी ..चलो आज से हम एक दूसरे को इस दीवानगी को हक़ीक़त बनाने में मदद करते हैं .." मैने अपना हाथ उन की ओर बढ़ाया ..
पहले तो उन्होने अपने पॅंट के बटन्स बंद किए....और मुझे खा जानेवाली नज़रों से देखने लगे ..फिर मुस्कुराते हुए कहा "तू बड़ी बदमाश है दामिनी ... " और उन्होने मेरे हाथ थाम लिए और कहा "एक से दो हमेशा भले होते हैं .."
फिर मैने जा कर दरवाज़ा बंद कर दिया और उन से कहा " मैने आपका मज़ा किरकिरा कर दिया ना भैया ..आइए मैं फिर से आपको मज़े देती हूँ ...पर एक शर्त है .."
"क्या ..??" भैया ने पूछा..
"हम दोनों कुछ भी कर सकते हैं पर चुदाई नहीं ... मेरी चूत पापा के लिए है ... आपका नंबर उनके बाद ..." मैने जवाब दिया.
उन्होने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बुरी तरह मुझे चूमने लगे ...होंठ चूसने लगे ...."मुझे मंज़ूर है मेरी प्यारी प्यारी बहना ..मैं समझ सकता हूँ तू पापा को किस हद तक प्यार करती है ..शायद मैं भी मम्मी को उतना ही चाहता हूँ दामिनी .."
और उस दिन के बाद से हम दोनों इस खेल में बराबर के हिस्सेदार थे ....
हाँ तो मैं नाश्ते का बाद पापा को याद कर चूत घिस रही थी और भैया मेरे पीछे खड़े थे ...उन्होने भी उसी अंदाज़ से कहा
"अरे कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर ले दामिनी ...ऐसी हालत में कोई भी आ सकता है .."
"तो आप ही बंद कर दो ना जल्दी ..." मैने अपनी भर्रायि आवाज़ में कहा ....मैं बिल्कुल झडने के करीब ही थी .....के भैया आ गये थे ...उन्होने समय की नज़ाकत भाँप ली ..और फ़ौरन दरवाज़े से बाहर झाँका कोई है तो नही ..और दरवाज़ा बंद कर मेरे पास आ गये ...मेरी आँखें अभी भी मदहोशी में बंद थीं....और मैं पापा ...ऊवू पापा की रात लगाए जा रही थी ...
भैया भी मम्मी को नाश्ते के टेबल पर हाथ लगाने के बाद मम्मी के लिए पागल हो रहे थे ..तभी तो वो आए थे मेरे पास ...