कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet
Posted: 13 Dec 2014 09:28
कौन सच्चा कौन झूठा
प्यारा के डोर बेल बजाते ही इंदु(प्यारा की बीवी) ने दरवाजा खोला. आज प्यारा बहुत खुश था .उसके चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी. सीडियो से उतरते हुए दोनो बच्चे नीचे आए प्यारा का बड़ा बेटा दीपक और बेटी निशा .. इंदु: प्यारा क्या बात है आज ऑफीस से जल्दी आ गये.
प्यारा: इंदु मे तुम्हे एक खुश खबरी देना चाहता हू . ये बात सुनते ही इंदु और बच्चो का चेहरा खिल सा गया .
इंदु: अब बता भी दो.
प्यारा : हाहाहा तुम आज भी नही बदली वही बच्पना है तुम मे.
दीपक : डॅड बता दो ना निशा अपने डॅड के बगल मे जा कर बैठ गयी.
प्यारा: अच्छा चलो चलते है. इंदु ने हैरानी से देखा बच्चे भी सोच मे पड़ गये .
प्यारा: अरे तुम लोग अमेरिका चलने के तैयारी करो मुझे हेड ऑफीस से प्रामोशन मिला हे .और अब 3महीने बाद हमे वही चलना है. ये बात सुनते ही तीनो खुश हो गये ..प्यारा ने दीपक से पूछा बेटा तुम्हारे एग्ज़ॅम कब ख़तम है .
दीपक: डॅड नेक्स्ट मोन्थ से स्टार्ट हे और 25 दिन के अंदर-2 ख़तम हो जाएँगे .
निशा : अगर तेरे एग्ज़ॅम ख़तम ना हुए तो हम तुझे यही पे छ्चोड़ जाएँगे ये बात सुनते ही सब हस पड़े इसी कहानी से............ जैल के दरवाज़े पर ज़ोर से डंडे की आवाज़ "ठक ठक ठक" तेज़ी से आती आवाज़ ने दीपक को नींद से जगाया और उसका सपना टूट गया"नवाब साब उठिए आज आपकी कोर्ट मे डेट है" "शम्भोनाथ जैल के मामूली से हवलदार दिखने मे एक भयानक रूप वाले लंबी लंबी मूच्छे मूह मे पान और मूह से आती आवाज़ "पच पच " . दीपक ने अपनी आँखें खोली और कमरे के रोशनदान से आती धीमी रोशनी ने सामने बैठे दो लोगो के दर्शन दिए . दीपक इन दोनो को करीब 20 दिन से जानता था पहला एक 55 साल का बुढ्ढा इंसान और दूसरा दीपक की उमर का "बिरजू" 23 साल की उमर मे 4 खून की सज़ा काट रहा है बिरजू .. बिरजू: आज तेरे डेट है
दीपक: हा .(दीपक एक दम गुम सूम था कम बोलने वाला)
बिरजू: कौशिश करना यहा वापस मत आना .और बिरजू ने आँखें घूमाते इधर उधर देखा और दीपक के हाथ मे कुछ थमा दिया आँख मारी और अपना बिडी पीने मे लग गया . एक दो तीन ...क़ैदियो की गिनती जारी थी वॅन मे .हर रोज़ यही होता था जिन कदियो को कोर्ट ले जाना होता था उनकी गिनती होती थी ..... सिर को झुकाए दीपक वॅन मे बैठा अपने पुराने दीनो को याद कर रहा था कैसे कुछ ही दिनो पहले उसका परिवार कितना खुश था उसको वो दिन भी याद है जब उसकी बेहन निशा ने उसको ये कहते हुए छेड़ा था के राखी आने वाली है क्या इस बार भी मुझ से ही पैसे लेकर मुझे ही गिफ्ट दोगे . चुर्र्र्र्र्ररर वॅन हाइह्कोर्ट के गेट के बाहर रुकती है . दीपक की मा(इंदु) अपने बेटे को देखने के लिए तड़प रही थी . पर पोलीस वालो ने मिलने नही दिया . आज डेपक की दूसरी पेशी थी हाइह्कोर्ट मे अगर आज भी दीपक को ज़मानत नही मिली तो क्या होगा. इंदु गेट के किनारे खड़ी थी वकिलो के दलील सुन रही थी दोनो तरफ के दलील सुन ने के बाद फ़ैसले के लिए आधे घंटे का टाइम लिया गया. पर आज दीपक के दिमाग़ मे कुछ और चल रहा था उसने कुछ फ़ैसला कर लिया था अगर आज उसे ज़मानत नही मिली तो वो कुछ भी कर सकता हे . ऑर्डर ऑर्डर जज ने अपना हधोड़ा पटकते हुए बोला "मुजरिम दीपक के बैल अपील कॅन्सल की जाती है" इंदु की आँखों से आँसू बह चले वो अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी . दीपक ने हवलदार को बोला के उसे बाथरूम जाना हे . एक हवलदार उसके साथ मे चल दिया . हवलदार बाहर खड़ा था दीपक जैसे ही बाथरूम मे घुसा उसने अपने पाजामे के नाडे से बँधी चाबी को निकाला जो उसे बिरजू ने जैल मे निकलने से पहले दी थी . चाबी को दो चार घुमाने से दीपक ने हाथो की हतकड़ी खोल ली लेकिन हतकड़ी को उतारा नही वैसे ही हतकड़ी पहन के बाहर आ गया . वॅन के नज़दीक पहुचते ही उसने अपनी मा को दूर खड़ा देखा थोड़ा आगे बड़ा और अपने वॅन के साथी को धक्का मार के गिरा दिया जैसे दो हवलदार उसे उठा रहे थे दीपक ने मौका देख कर अपनी हतकड़ी उतारी जो पहले ही उसने खोल दी थी . और दीवार की तरफ भागा पोलीस वालो ने सिट्टी बजा दी और दीपक के पीछे भागने लगे पर दीपक आज किसी के हाथ नही आने वाला था दीवार के पास पहुचते ही एक छलाँग लगा कर चढ़ गया और दूसरी तरफ मैं रोड था .दीपक पागलो की तरहा भागे जा रहा था पोलीस वाले भी काफ़ी पीछे थे . एक सुनसान से गली मे जाकर दीपक एक अंधेरे कोने मे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा ..... अपने आप पर काबू रखते हुए दीपक अपने आप से बाते करने लगा. मैं नही रोउँगा अपने आँसुओ को अंगार बना दूँगा जिसने भी मेरे परिवार के साथ ये सब किया है उसे मार दूँगा. दीपक वो मनहूस दिन याद करने लगा .."उठ बे उठ जा " दीपक ने आँखें खोली सामने इनस्पेक्टर राणे खड़ा था .दीपक ने कमरे मे नज़र घुमा के देखा तो उसके पिता की लाश पड़ी थी थोड़ी दूर ही इंदु ऐसे बैठे थी मानो वो भी मर चुकी हो ,पर दीपक कुछ सोचता उससे पहले ही राणे ने एक ज़ोरदार चांटा दीपक के मूह पर मारा "अब आया होश या और दू" दीपक अभी तक नशे मे था उससे अभी तक पूरा कुछ नही पता चला था पोलीस दीपक को पोलीस स्टेशन ले आई थी .राणे ने अपने सीनियर हवलदार को इशारा करते हुए बुलाया ये "नाइफ" फोरेन्सिक जाँच के लिए भेज दो और इस नवाब जादे के उंगलियो के निशान लो पता तो करे जनाब नशे मे इतना गिर गये थे क्या. दीपक के सिर मे बहुत तेज़ दर्द था उसने चीखते हुए पानी माँगा राणे ने हवलदार को इशारा किया और एक ग्लास पानी दीपक को दिया . दीपक जैसे पहली बार पानी पी रहा हो ऐसा उस हवलदार को लगा एक ही सास मे सारा पानी दीपक के गले मे . दीपक की छाती मे जलन महसूस हुए थोड़ी मुँह से आवाज़ निकली "कहा हू मैं" मुझे कोई बताओ आँखों मे आँसू दीपक फिर बेहोश हो गया . राणे अपने ही आंदाज मे बैठा था हवलदार को इशारा किया नवाब जादे को ज़रा रेमांड रूम मे तो लाओ खातिरदारी तो करे "हवलदार हँसने लगा साहेब बड़े दिन से हाथ नही उठाए है आज कुछ खुजली मिटा ही लीजिए" पछ्ह्ह्ह.... पानी दीपक के मुँह पर मारा दीपक को कुछ होश आने लगा था .दीपक एक लकड़ी की कुर्सी पर बैठा था बार बार पानी और कुछ खाने के लिए माँग रहा था .
राणे : हां हां लाड़ साहेब को दो दो खून करने के बाद तो बहुत भूख लगी होगी हहा .
दीपक: कौन , क्या बात कर रहे हैं आप (दीपक अभी भी कुछ नशे मे था ) राणे: आछा जी साहेब को तो कुछ पता भी नही हवलदार ज़रा साहेब को पानी दो.... हवलदार ने दीपक को पानी दिया फिर उसने जल्दी -2 मे पानी पिया .
राणे: दीपक जी आप अपना जुर्म कबूलेंगे या हम आपकी सेवा करे .
दीपक: सर क्या जुर्म .मेने किया क्या है सर( रोते हुए बोला)
राणे: वाह ! हर मुजरिम यही डायलॉग बोलता है .साले हरामी दो दो खून किए है तूने .
दीपक: सर खून मेने (सकपका सा गया दीपक) .
राणे: अपने बाप का और बेहन का खून किया है तूने हमारे पास सारे सबूत है(गुस्से मे राणे आगे बढ़ा) दीपक: क्या ( दीपक की आँखों मे आँसू आ गये पर छलके नही)
राणे: जिस चाकू से तेरे बाप का खून हुआ उस पर तेरे उंगलियो के निशान थे. तेरे बेहन का गला घोंटा तूने उस पर भी तेरे उंगलियो के निशान मिले है तू ड्रग्स कब से ले रहा हे( गुस्से मे राणे ने पूछा)
दीपक: आँखों में आँसू आ गयेअपने पिता और बेहन की मौत के खबर सुनकर दीपक टूट सा गया . सकपकाते हुए रोने लगा पूरे रूम मे दीपक के रोने के चीखे थी ऐसे रो रहा था जैसे उसका सब कुछ लूट गया हो (और हुआ भी ऐसा ही था )
दीपक: सर मेरी मा कहा है रोते हुए दीपक ने पूछा.
राणे: तेरे साथ नही है मतलब सेफ है . अब मुझे सब कुछ बता सच-2 वरना पोलीस वाले का असली रूप दिखाता हू तुझे बोल .
दीपक : सर मे क्यू अपने डॅड को मारूँगा वो तो मुझे इतना प्यार करते थे .सर एक बार प्ल्ज़्ज़ मेरी मा से मेरे बात करा दीजिए राणा: ये बता के तू ड्रग्स कब से ले रहा था. दीपक: ड्रग्स बड़ी हैरत से दीपक ने राणे की तरफ देखा .
राणे: आबे ऐसा क्या देख रहा हे . ड्रग्स लेता है और मुझ से ऐसे पूछ रहा हे जैसे कभी ड्रग्स देखी भी ना हो.
दीपक: (रोते हुए) सर मे ड्रग्स नही लेता.
राणे: हरामी झूठ बोलता हे तेरे खून की जाँच करवाई है हमने और 1000एमजी ड्रग्स तेरे खून मे पाई गयी हे इतनी ड्रग्स ले कर अपने बाप बेहन का खून कर दिया और अब बोलता हे मेने कुछ नही किया .
दीपक : सर मे सच बोल रहा हू मेने कुछ नही किया दरवाजे पर दस्तक हुई
राणे:कौन है
प्यारा के डोर बेल बजाते ही इंदु(प्यारा की बीवी) ने दरवाजा खोला. आज प्यारा बहुत खुश था .उसके चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी. सीडियो से उतरते हुए दोनो बच्चे नीचे आए प्यारा का बड़ा बेटा दीपक और बेटी निशा .. इंदु: प्यारा क्या बात है आज ऑफीस से जल्दी आ गये.
प्यारा: इंदु मे तुम्हे एक खुश खबरी देना चाहता हू . ये बात सुनते ही इंदु और बच्चो का चेहरा खिल सा गया .
इंदु: अब बता भी दो.
प्यारा : हाहाहा तुम आज भी नही बदली वही बच्पना है तुम मे.
दीपक : डॅड बता दो ना निशा अपने डॅड के बगल मे जा कर बैठ गयी.
प्यारा: अच्छा चलो चलते है. इंदु ने हैरानी से देखा बच्चे भी सोच मे पड़ गये .
प्यारा: अरे तुम लोग अमेरिका चलने के तैयारी करो मुझे हेड ऑफीस से प्रामोशन मिला हे .और अब 3महीने बाद हमे वही चलना है. ये बात सुनते ही तीनो खुश हो गये ..प्यारा ने दीपक से पूछा बेटा तुम्हारे एग्ज़ॅम कब ख़तम है .
दीपक: डॅड नेक्स्ट मोन्थ से स्टार्ट हे और 25 दिन के अंदर-2 ख़तम हो जाएँगे .
निशा : अगर तेरे एग्ज़ॅम ख़तम ना हुए तो हम तुझे यही पे छ्चोड़ जाएँगे ये बात सुनते ही सब हस पड़े इसी कहानी से............ जैल के दरवाज़े पर ज़ोर से डंडे की आवाज़ "ठक ठक ठक" तेज़ी से आती आवाज़ ने दीपक को नींद से जगाया और उसका सपना टूट गया"नवाब साब उठिए आज आपकी कोर्ट मे डेट है" "शम्भोनाथ जैल के मामूली से हवलदार दिखने मे एक भयानक रूप वाले लंबी लंबी मूच्छे मूह मे पान और मूह से आती आवाज़ "पच पच " . दीपक ने अपनी आँखें खोली और कमरे के रोशनदान से आती धीमी रोशनी ने सामने बैठे दो लोगो के दर्शन दिए . दीपक इन दोनो को करीब 20 दिन से जानता था पहला एक 55 साल का बुढ्ढा इंसान और दूसरा दीपक की उमर का "बिरजू" 23 साल की उमर मे 4 खून की सज़ा काट रहा है बिरजू .. बिरजू: आज तेरे डेट है
दीपक: हा .(दीपक एक दम गुम सूम था कम बोलने वाला)
बिरजू: कौशिश करना यहा वापस मत आना .और बिरजू ने आँखें घूमाते इधर उधर देखा और दीपक के हाथ मे कुछ थमा दिया आँख मारी और अपना बिडी पीने मे लग गया . एक दो तीन ...क़ैदियो की गिनती जारी थी वॅन मे .हर रोज़ यही होता था जिन कदियो को कोर्ट ले जाना होता था उनकी गिनती होती थी ..... सिर को झुकाए दीपक वॅन मे बैठा अपने पुराने दीनो को याद कर रहा था कैसे कुछ ही दिनो पहले उसका परिवार कितना खुश था उसको वो दिन भी याद है जब उसकी बेहन निशा ने उसको ये कहते हुए छेड़ा था के राखी आने वाली है क्या इस बार भी मुझ से ही पैसे लेकर मुझे ही गिफ्ट दोगे . चुर्र्र्र्र्ररर वॅन हाइह्कोर्ट के गेट के बाहर रुकती है . दीपक की मा(इंदु) अपने बेटे को देखने के लिए तड़प रही थी . पर पोलीस वालो ने मिलने नही दिया . आज डेपक की दूसरी पेशी थी हाइह्कोर्ट मे अगर आज भी दीपक को ज़मानत नही मिली तो क्या होगा. इंदु गेट के किनारे खड़ी थी वकिलो के दलील सुन रही थी दोनो तरफ के दलील सुन ने के बाद फ़ैसले के लिए आधे घंटे का टाइम लिया गया. पर आज दीपक के दिमाग़ मे कुछ और चल रहा था उसने कुछ फ़ैसला कर लिया था अगर आज उसे ज़मानत नही मिली तो वो कुछ भी कर सकता हे . ऑर्डर ऑर्डर जज ने अपना हधोड़ा पटकते हुए बोला "मुजरिम दीपक के बैल अपील कॅन्सल की जाती है" इंदु की आँखों से आँसू बह चले वो अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी . दीपक ने हवलदार को बोला के उसे बाथरूम जाना हे . एक हवलदार उसके साथ मे चल दिया . हवलदार बाहर खड़ा था दीपक जैसे ही बाथरूम मे घुसा उसने अपने पाजामे के नाडे से बँधी चाबी को निकाला जो उसे बिरजू ने जैल मे निकलने से पहले दी थी . चाबी को दो चार घुमाने से दीपक ने हाथो की हतकड़ी खोल ली लेकिन हतकड़ी को उतारा नही वैसे ही हतकड़ी पहन के बाहर आ गया . वॅन के नज़दीक पहुचते ही उसने अपनी मा को दूर खड़ा देखा थोड़ा आगे बड़ा और अपने वॅन के साथी को धक्का मार के गिरा दिया जैसे दो हवलदार उसे उठा रहे थे दीपक ने मौका देख कर अपनी हतकड़ी उतारी जो पहले ही उसने खोल दी थी . और दीवार की तरफ भागा पोलीस वालो ने सिट्टी बजा दी और दीपक के पीछे भागने लगे पर दीपक आज किसी के हाथ नही आने वाला था दीवार के पास पहुचते ही एक छलाँग लगा कर चढ़ गया और दूसरी तरफ मैं रोड था .दीपक पागलो की तरहा भागे जा रहा था पोलीस वाले भी काफ़ी पीछे थे . एक सुनसान से गली मे जाकर दीपक एक अंधेरे कोने मे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा ..... अपने आप पर काबू रखते हुए दीपक अपने आप से बाते करने लगा. मैं नही रोउँगा अपने आँसुओ को अंगार बना दूँगा जिसने भी मेरे परिवार के साथ ये सब किया है उसे मार दूँगा. दीपक वो मनहूस दिन याद करने लगा .."उठ बे उठ जा " दीपक ने आँखें खोली सामने इनस्पेक्टर राणे खड़ा था .दीपक ने कमरे मे नज़र घुमा के देखा तो उसके पिता की लाश पड़ी थी थोड़ी दूर ही इंदु ऐसे बैठे थी मानो वो भी मर चुकी हो ,पर दीपक कुछ सोचता उससे पहले ही राणे ने एक ज़ोरदार चांटा दीपक के मूह पर मारा "अब आया होश या और दू" दीपक अभी तक नशे मे था उससे अभी तक पूरा कुछ नही पता चला था पोलीस दीपक को पोलीस स्टेशन ले आई थी .राणे ने अपने सीनियर हवलदार को इशारा करते हुए बुलाया ये "नाइफ" फोरेन्सिक जाँच के लिए भेज दो और इस नवाब जादे के उंगलियो के निशान लो पता तो करे जनाब नशे मे इतना गिर गये थे क्या. दीपक के सिर मे बहुत तेज़ दर्द था उसने चीखते हुए पानी माँगा राणे ने हवलदार को इशारा किया और एक ग्लास पानी दीपक को दिया . दीपक जैसे पहली बार पानी पी रहा हो ऐसा उस हवलदार को लगा एक ही सास मे सारा पानी दीपक के गले मे . दीपक की छाती मे जलन महसूस हुए थोड़ी मुँह से आवाज़ निकली "कहा हू मैं" मुझे कोई बताओ आँखों मे आँसू दीपक फिर बेहोश हो गया . राणे अपने ही आंदाज मे बैठा था हवलदार को इशारा किया नवाब जादे को ज़रा रेमांड रूम मे तो लाओ खातिरदारी तो करे "हवलदार हँसने लगा साहेब बड़े दिन से हाथ नही उठाए है आज कुछ खुजली मिटा ही लीजिए" पछ्ह्ह्ह.... पानी दीपक के मुँह पर मारा दीपक को कुछ होश आने लगा था .दीपक एक लकड़ी की कुर्सी पर बैठा था बार बार पानी और कुछ खाने के लिए माँग रहा था .
राणे : हां हां लाड़ साहेब को दो दो खून करने के बाद तो बहुत भूख लगी होगी हहा .
दीपक: कौन , क्या बात कर रहे हैं आप (दीपक अभी भी कुछ नशे मे था ) राणे: आछा जी साहेब को तो कुछ पता भी नही हवलदार ज़रा साहेब को पानी दो.... हवलदार ने दीपक को पानी दिया फिर उसने जल्दी -2 मे पानी पिया .
राणे: दीपक जी आप अपना जुर्म कबूलेंगे या हम आपकी सेवा करे .
दीपक: सर क्या जुर्म .मेने किया क्या है सर( रोते हुए बोला)
राणे: वाह ! हर मुजरिम यही डायलॉग बोलता है .साले हरामी दो दो खून किए है तूने .
दीपक: सर खून मेने (सकपका सा गया दीपक) .
राणे: अपने बाप का और बेहन का खून किया है तूने हमारे पास सारे सबूत है(गुस्से मे राणे आगे बढ़ा) दीपक: क्या ( दीपक की आँखों मे आँसू आ गये पर छलके नही)
राणे: जिस चाकू से तेरे बाप का खून हुआ उस पर तेरे उंगलियो के निशान थे. तेरे बेहन का गला घोंटा तूने उस पर भी तेरे उंगलियो के निशान मिले है तू ड्रग्स कब से ले रहा हे( गुस्से मे राणे ने पूछा)
दीपक: आँखों में आँसू आ गयेअपने पिता और बेहन की मौत के खबर सुनकर दीपक टूट सा गया . सकपकाते हुए रोने लगा पूरे रूम मे दीपक के रोने के चीखे थी ऐसे रो रहा था जैसे उसका सब कुछ लूट गया हो (और हुआ भी ऐसा ही था )
दीपक: सर मेरी मा कहा है रोते हुए दीपक ने पूछा.
राणे: तेरे साथ नही है मतलब सेफ है . अब मुझे सब कुछ बता सच-2 वरना पोलीस वाले का असली रूप दिखाता हू तुझे बोल .
दीपक : सर मे क्यू अपने डॅड को मारूँगा वो तो मुझे इतना प्यार करते थे .सर एक बार प्ल्ज़्ज़ मेरी मा से मेरे बात करा दीजिए राणा: ये बता के तू ड्रग्स कब से ले रहा था. दीपक: ड्रग्स बड़ी हैरत से दीपक ने राणे की तरफ देखा .
राणे: आबे ऐसा क्या देख रहा हे . ड्रग्स लेता है और मुझ से ऐसे पूछ रहा हे जैसे कभी ड्रग्स देखी भी ना हो.
दीपक: (रोते हुए) सर मे ड्रग्स नही लेता.
राणे: हरामी झूठ बोलता हे तेरे खून की जाँच करवाई है हमने और 1000एमजी ड्रग्स तेरे खून मे पाई गयी हे इतनी ड्रग्स ले कर अपने बाप बेहन का खून कर दिया और अब बोलता हे मेने कुछ नही किया .
दीपक : सर मे सच बोल रहा हू मेने कुछ नही किया दरवाजे पर दस्तक हुई
राणे:कौन है