चाचा चाची की चुदाई compleet
Posted: 13 Dec 2014 20:23
चाचा चाची की चुदाई
सूरज के मा- बाप गाओं में रहते थे. पढ़ाई के लिए वो शहर में अपने चाचा – चाची के पास रहता था. उसकी उमरा 9 साल थी और उसकी चाची 28 साल की थी और चाचा 33 के. सूरज को उसकी चाची ही नंगा कर के नहलाती थी. नहलते समय वो रोज़ उसकी नून्न्ी पेर साबुन लगा कर उसको सॉफ करती थी. कई बार सूरज की नून्न्ी तन जाती तो चाची उसको थप्पड़ मार कर कहती अभी तेरी खड़े होने की उमर नही नून्न्ी. सूरज 13 साल का हो गया. चाची 32 की और चाचा 37 के. दुर्भाग्या से दोनो के अभी भी कोई बचा नहीं था इसलिए सूरज को वी बड़े लाड़ प्यार से रखते थे.
सूरज को इस उम्र में भी चाची ही नहलाती थी. वो बड़ा शरमाता था,’ चाचिजी में खुद नहा लूँगा में अब बड़ा हो गया हूँ.’ चाची कहती,’ अच्छा तू बड़ा हो गया, चल बातरूम में तुझे चेक करती हूँ,’ और वी उसके कापरे खोल देती. सूरज की चाची का रंग कला था लेकिन वी थी सनडर. कोई 5फ्ट 4 इंच हाइट थी. कोई 38 इंच के बूब्स थे जिन पेर काले बड़े निपल्स थे. उनकी कमर थोड़ी भारी थी कोई 30 इंच की. गांद विशाल थी कूम से मम 42 इंच. सूरज के सामने चूँकि चाची खुद भी नहा लेती थी इसलिए उसने उनको काई बार नंगा देखा हुआ था.
सूरज के लंड और आँड के आसपास छ्होटे छ्होटे बाल लग आए थे और उसकी नून्न्ी अब मोटी होने लगी थी. उसके अंडकोष भी भारी हो कर लटकने लगे थे. एक दिन जैसे ही चाची ने उसकी नून्न्ी को साबुन लगा कर सॉफ करना शुरू किया वो खड़ी हो गयी. चाची साबुन लगा कर उसको हिलाती रही. सूरज को बड़ी शरम आ रही थी. मगर चाची नही रुकी. कोई दुस मिनिट ऐसे ही हिलने के बाद सूरज की लुल्ली थोड़ी शांत हुई,’ अब तू बड़ा हो गया है सूरज अब तेरी लुल्ली लंड बन गयी है,’ चाची ने उसको कहा और चली गयी.
सूरज चाचा और चाची एक ही कमरे में सोते थे. कभी चाची चाचा के साथ पलंग पर उप्पेर सोती और कभी उसके साथ नीचे. उस रात चाची सूरज के पास आ कर सो गयी, उन्होने सिर्फ़ नाइटी पहनी थी अंडर कुछ भी नही था. सूरज ने सिर्फ़ लूँगी पहनी थी. चाचा चाची ने उसे अभी तक अंडरवेर खरीद कर नही दिया था. रात में चाची हमेशा की तरह सूरज को चपता कर सो रही थी तभी सूरज की लूँगी उप्पेर उठी उसका लंड फिर से तन गया था. चाची ने तुरंत उसके लंड को लूँगी उप्पेर कर के हाथ में लिया और बोली,’ दर्द तो नहीं हो रहा बेटा,’ वी बोली. सूरज बोला नही चाची. मगर चाची ने फिर से उसका सूखा लंड उप्पेर नीचे करना शुरू कर दिया था. शुरज़ को अच्छा भी लग रहा था मगर उसको डर था की कहीं चाचजी देख ना ले.
सूरज के साथ अब नयी दिक्कत होने लगी थी. रात में वो नींद में ही चाची अपनी मम्मी अपनी टीचर अपनी पड़ोसन, कामवाली वगेरह को चोद देता, सुबह उठता तो उसकी लूँगी गीली मिलती. अब उसके लंड से गीला गढ़ा सफेद द्रव्य निकलता था. दुर्भाग्या से उसके कपड़े भी चाची ही धोती थी. एक दिन उसके चाचा उसके लिए दो नयी लूँगी और दो अंडरवेर ले कर आए. चाचा चाची ने उसे उनके सामने ही पहनने को कहा,’ बेटे हुमसे क्या शरमाना, पहन कर दिखाओ ताकि पता चले की साइज़ सही है या नही,’ उसके चाचजी बोले.’ सूरज को चाचा के सामने ही चाची ने चड्डी पहनाई मारे डार्क ए फिर उसका लंड फूलने लगा था. “ अब रोज़ चढ़ि पहनना बेटा तुम बड़े हो गये हो,’ चाचिजी बोली. सूरज बाथरूम में जाकर वापस आ रहा था की उसके कान में चाचा- चाची की बातें पड़ी,’ अब तो इसका वीरया भी बनने लगा है अब देरी किस बात की है?’ चाचजी चाचिजी को कह रहे थे.” हा अब तो रोज़ सुबह इसका लंड खरा होता है और ये सपने में किसी को चोद्ता है और इसकी लूँगी में ही इसका वीरया डिसचार्ज हो जाता है,’ चाचिजी ने चाचजी को कहा.’ अब देर किस बात की है सुषमा( चाचिजी का नाम) , अब इस को चोद ही दो,’ चाचजी ने कहा.’ हा एक दो दिन में ही इसका लंड ले लूँगी,’ चाचिजी बोली. “ हो सकता है तुम्हारे सामने शरमाये दो- तीन दिन के लिए तुम बाहर चले जाओ तब तक में इसको चुदाई सीखा दूँगी,’ चाचिजी ने चाचजी को कहा.’ ठीक है में कल ही बड़े भैसाहब के पास दो दिन के लिए गाओं चला जाता हू,’ चाचजी ने जवाब दिया. सूरज को थोड़ा बहुत तो समझ आ रहा था मगर ज़्यादा कुछ नही.
अगले दिन सुबह चाचजी गाओं चले गये. नौ बजते ही चाचिजी ने सूरज को बाथरूम में आवाज़ दी. चाचिजी खुद टोलिया लपेटे हुए थी. “ आ बेटा तुझे नहला दे फिर हम खूब भी नहा लेंगे,’ चाचिजी बोली. “ चाचिजी अब हम बड़े हो गये हाइन ह्यूम शरम आती है हम खुद नहा लेंगे,’ सूरज बोला.’’ बेटा, तू मेरे लिए तो हमेशा ही छ्होटा रहेगा अब चाचिजी से क्या शरम आ जा,’ ये कह कर चाचिजी ने सूरज की लूँगी उतार दी और उसकी चड्डी पाओ के नीचे खिसका दी. चाचिजी ने खुद का तोलिया भी हटा दिया, चाची भतीजा दोनो बाथरूम में नंगे थे. सूरज ने देखा चाची के पाओ के बीच में बालों का एक गुच्छा था. काक में भी बॉल थे. सूरज के लिंग के आसपास भी बाल लब घने होने लगे थे.
सूरज के मा- बाप गाओं में रहते थे. पढ़ाई के लिए वो शहर में अपने चाचा – चाची के पास रहता था. उसकी उमरा 9 साल थी और उसकी चाची 28 साल की थी और चाचा 33 के. सूरज को उसकी चाची ही नंगा कर के नहलाती थी. नहलते समय वो रोज़ उसकी नून्न्ी पेर साबुन लगा कर उसको सॉफ करती थी. कई बार सूरज की नून्न्ी तन जाती तो चाची उसको थप्पड़ मार कर कहती अभी तेरी खड़े होने की उमर नही नून्न्ी. सूरज 13 साल का हो गया. चाची 32 की और चाचा 37 के. दुर्भाग्या से दोनो के अभी भी कोई बचा नहीं था इसलिए सूरज को वी बड़े लाड़ प्यार से रखते थे.
सूरज को इस उम्र में भी चाची ही नहलाती थी. वो बड़ा शरमाता था,’ चाचिजी में खुद नहा लूँगा में अब बड़ा हो गया हूँ.’ चाची कहती,’ अच्छा तू बड़ा हो गया, चल बातरूम में तुझे चेक करती हूँ,’ और वी उसके कापरे खोल देती. सूरज की चाची का रंग कला था लेकिन वी थी सनडर. कोई 5फ्ट 4 इंच हाइट थी. कोई 38 इंच के बूब्स थे जिन पेर काले बड़े निपल्स थे. उनकी कमर थोड़ी भारी थी कोई 30 इंच की. गांद विशाल थी कूम से मम 42 इंच. सूरज के सामने चूँकि चाची खुद भी नहा लेती थी इसलिए उसने उनको काई बार नंगा देखा हुआ था.
सूरज के लंड और आँड के आसपास छ्होटे छ्होटे बाल लग आए थे और उसकी नून्न्ी अब मोटी होने लगी थी. उसके अंडकोष भी भारी हो कर लटकने लगे थे. एक दिन जैसे ही चाची ने उसकी नून्न्ी को साबुन लगा कर सॉफ करना शुरू किया वो खड़ी हो गयी. चाची साबुन लगा कर उसको हिलाती रही. सूरज को बड़ी शरम आ रही थी. मगर चाची नही रुकी. कोई दुस मिनिट ऐसे ही हिलने के बाद सूरज की लुल्ली थोड़ी शांत हुई,’ अब तू बड़ा हो गया है सूरज अब तेरी लुल्ली लंड बन गयी है,’ चाची ने उसको कहा और चली गयी.
सूरज चाचा और चाची एक ही कमरे में सोते थे. कभी चाची चाचा के साथ पलंग पर उप्पेर सोती और कभी उसके साथ नीचे. उस रात चाची सूरज के पास आ कर सो गयी, उन्होने सिर्फ़ नाइटी पहनी थी अंडर कुछ भी नही था. सूरज ने सिर्फ़ लूँगी पहनी थी. चाचा चाची ने उसे अभी तक अंडरवेर खरीद कर नही दिया था. रात में चाची हमेशा की तरह सूरज को चपता कर सो रही थी तभी सूरज की लूँगी उप्पेर उठी उसका लंड फिर से तन गया था. चाची ने तुरंत उसके लंड को लूँगी उप्पेर कर के हाथ में लिया और बोली,’ दर्द तो नहीं हो रहा बेटा,’ वी बोली. सूरज बोला नही चाची. मगर चाची ने फिर से उसका सूखा लंड उप्पेर नीचे करना शुरू कर दिया था. शुरज़ को अच्छा भी लग रहा था मगर उसको डर था की कहीं चाचजी देख ना ले.
सूरज के साथ अब नयी दिक्कत होने लगी थी. रात में वो नींद में ही चाची अपनी मम्मी अपनी टीचर अपनी पड़ोसन, कामवाली वगेरह को चोद देता, सुबह उठता तो उसकी लूँगी गीली मिलती. अब उसके लंड से गीला गढ़ा सफेद द्रव्य निकलता था. दुर्भाग्या से उसके कपड़े भी चाची ही धोती थी. एक दिन उसके चाचा उसके लिए दो नयी लूँगी और दो अंडरवेर ले कर आए. चाचा चाची ने उसे उनके सामने ही पहनने को कहा,’ बेटे हुमसे क्या शरमाना, पहन कर दिखाओ ताकि पता चले की साइज़ सही है या नही,’ उसके चाचजी बोले.’ सूरज को चाचा के सामने ही चाची ने चड्डी पहनाई मारे डार्क ए फिर उसका लंड फूलने लगा था. “ अब रोज़ चढ़ि पहनना बेटा तुम बड़े हो गये हो,’ चाचिजी बोली. सूरज बाथरूम में जाकर वापस आ रहा था की उसके कान में चाचा- चाची की बातें पड़ी,’ अब तो इसका वीरया भी बनने लगा है अब देरी किस बात की है?’ चाचजी चाचिजी को कह रहे थे.” हा अब तो रोज़ सुबह इसका लंड खरा होता है और ये सपने में किसी को चोद्ता है और इसकी लूँगी में ही इसका वीरया डिसचार्ज हो जाता है,’ चाचिजी ने चाचजी को कहा.’ अब देर किस बात की है सुषमा( चाचिजी का नाम) , अब इस को चोद ही दो,’ चाचजी ने कहा.’ हा एक दो दिन में ही इसका लंड ले लूँगी,’ चाचिजी बोली. “ हो सकता है तुम्हारे सामने शरमाये दो- तीन दिन के लिए तुम बाहर चले जाओ तब तक में इसको चुदाई सीखा दूँगी,’ चाचिजी ने चाचजी को कहा.’ ठीक है में कल ही बड़े भैसाहब के पास दो दिन के लिए गाओं चला जाता हू,’ चाचजी ने जवाब दिया. सूरज को थोड़ा बहुत तो समझ आ रहा था मगर ज़्यादा कुछ नही.
अगले दिन सुबह चाचजी गाओं चले गये. नौ बजते ही चाचिजी ने सूरज को बाथरूम में आवाज़ दी. चाचिजी खुद टोलिया लपेटे हुए थी. “ आ बेटा तुझे नहला दे फिर हम खूब भी नहा लेंगे,’ चाचिजी बोली. “ चाचिजी अब हम बड़े हो गये हाइन ह्यूम शरम आती है हम खुद नहा लेंगे,’ सूरज बोला.’’ बेटा, तू मेरे लिए तो हमेशा ही छ्होटा रहेगा अब चाचिजी से क्या शरम आ जा,’ ये कह कर चाचिजी ने सूरज की लूँगी उतार दी और उसकी चड्डी पाओ के नीचे खिसका दी. चाचिजी ने खुद का तोलिया भी हटा दिया, चाची भतीजा दोनो बाथरूम में नंगे थे. सूरज ने देखा चाची के पाओ के बीच में बालों का एक गुच्छा था. काक में भी बॉल थे. सूरज के लिंग के आसपास भी बाल लब घने होने लगे थे.