पिंकी की ब्लू फिल्म compleet
Posted: 14 Dec 2014 10:19
पिंकी की ब्लू फिल्म
मेरा नाम पिंकी है. में सौथेर्न देल्ही में अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूँ. मेरी उम्र 19 साल है, गोरा बदन, काले लंबे बाल, 5"4 की हाइट और मेरी आँखों का रंग भूरा है. एक दिन में अपनी सहेलियों के साथ शूपिंग कर घर पहुँची. अपने कमरे में पहुँच मेने अपनी मेज़ की दाराज़ खोली तो पाया कि मेरी ब्लू रंग की पॅंटी वहाँ रखी हुई थी. मेने कभी अपनी पॅंटी वहाँ रखी हो ये मुझे याद नही आ रहा था. इतने में में कदमों की आवाज़ मेरे कमरे की और बढ़ते सुनी, मेरी समझ में नही आया की में क्या करूँ. में दौड़ कर अलमारी जा छुपी. देखती हूँ कि मेरा छोटा भाई अरुण जो 18 साल का है अपने दोस्त जे के साथ मेरे कमरे में दाखिल हुआ. "पिंकी " अरुण ने आवाज़ लगाई. में चुप चुप चाप अलमारी छुपी उनको देख रही थी. "अच्छा है वो घर पर नही है. जे में पहली और आखरी बार ये सब तुम्हारे लिए कर रहा हूँ. अगर उसे पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेगी" अरुण ने कहा. "शुक्रिया दोस्त, तुम्हे तो पता है तुम्हारी बेहन कितनी सुन्दर और सेक्सी है." जे ने कहा. अरुण मेरा ड्रॉयर खोला और वो ब्लू पॅंटी निकाल कर जे को पकड़ा दी. जे ने वो पॅंटी हाथ में लेकर उसे सूंघने लगा, "अरुण तुम्हारी बेहन की चूत की खुश्बू अभी भी इसमे से आ रही है." अरुण ज़मीन पर नज़रें गड़ाए खामोश खड़ा था. "यार ये धूलि हुई है अगर ना धूलि होती तो चूत के पानी की भी खुश्बू आ रही होती." जे ने पॅंटी को चूमते हुए कहा. "तुम पागल हो गये हो." अरुण हंसते हुए बोला. "कम ऑन अरुण, माना वो तुम्हारी बेहन है लेकिन तुम इस बात से इनकार नही कर सकते कि वो बहोत ही सेक्सी है." जे ने कहा. "में मानता हूँ वो बहोत ही सुन्दर और सेक्सी है, लेकिन मेने ये सब बातें अपने दिमाग़ से निकाल दी है. " अरुण ने जवाब दिया. "अगर वो मेरी बेहन होती तो…….." जे कहने लगा, "क्या तुम उसके नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ नही मारते हो?" अरुण कुछ बोला नही और खामोश खड़ा रहा. "शरमाओ मत यार, अगर में तुम्हारी जगह होता तो यही करता." जे ने कहा. "क्या तुम्हारी बेहन कोई बिना धूलि हुई पॅंटी यहाँ नही है" "ज़रूर यही कही होगी, में ढूनडता हूँ तब तक खिड़की पर निगाह रखो अगर पिंकी आती दिखे तो बताना." अरुण कमरे में मेरी पॅंटी ढूँडने लगा. अरुण और जे ये नही पता थी कि में घर आ चुकी थी और अलमारी में छिप कर उनकी हरकत देख रही थी. "वो रही मिल गयी." अरुण ने गंदे कपड़े के ढेरसे मेरी मेरी लाल पॅंटी की और इशारा करते हुए कहा. जे ने कपड़ों के ढेर में से मेरी लाल पॅंटी उठाई जो मेने दो दिन पहले पहनी थी. पहले वो कुछ देर उसे देखता रहा. फिर मेरी पॅंटी पे लगे धब्बे को अपनी नाक के पास ले जा सूंघने लगा, "एम्म्म क्या सेक्सी सुगंध है अरुण." कहकर वो पॅंटी को अपने गालों पे रगड़ने लगा. "मुझे अब भी उसकी चूत और गांद की महेक आ रही इसमे से." जे बोला. "तुम सही में पागल हो गये हो." अरुण बोला. "क्या तुम सूंघना छोड़ोगे?" जे ने पूछा. "किसी हालत में नही." अरुण शरमाते हुए बोला. "में जानता हूँ तुम इसे सूंघना चाहते हो. पर मुझसे कहते शर्मा रहे हो." जे बोला, "चलो यार इसमे शरमाना कैसा आख़िर हम दोस्त है." अरुण कुछ देर तक कुछ सोचता रहा, "तुम वादा करते हो कि इसके बारे में किसी से कुछ नही कहोगे." "पक्का वादा करता हूँ," जे ने कहा, "आओ अब और शरमाओ मत, सूँघो इसे कितनी मादक खुश्बू है." अरुण जे के नज़दीक पहुँचा और उसे हाथ से मेरी पॅंटी ले ली. थोड़ी देर उसे निहारने के बाद वो उसे अपनी नाक पे ले ज़ोर से सूंघने लगा जैसे कोई पर्फ्यूम की महेक निकल रही हो. मुझे ये देख के विश्वास नही हो रहा था कि मेरा भाई मेरी ही पॅंटी को इस तरह सूँघेगा. "सही में जे बहोत ही सेक्सी स्मेल है, मानना पड़ेगा." अरुण सिसकते हुए बोला, "मेरा लंड तो इसे सूंघते ही खड़ा हो गया है." "मेरा भी." जे अपने लंड को सहलाते हुए बोला, "क्या तुम अपना पानी इस पॅंटी में छोड़ना चाहोगे?" "क्या तुम सीरीयस हो?" अरुण ने पूछा. "हां" जे ने जवाब दिया. "मगर मुझे किसी के सामने मूठ मारना अछा नही लगता." अरुण ने कहा. "अरे यार में कोई पराया थोड़े ही हूँ. हम दोस्त है और दोस्ती में शरम कैसी." जे बोला. "ठीक है अगर तुम कहते हो तो!" जे ने अपनी पॅंट के बटन खोले और उसे नीचे कर ली. पॅंट नीचे ख़ासकते ही उसका खड़ा लॉडा उछल कर बाहर निकल पड़ा.
उसने एक पॅंटी को अपने लंड के चारों तरफ लपेट लिया और दूसरी को अपनी नाक पे लगा ली. फिर अरुण ने भी अपनी पॅंट उत्तर जे की तरह ही करने लगा. दोनो लड़के उत्तेजना में भरे हुए थे और अपने लंड को हिला रहे थे. दोनो को इस हालत में देखते हुए मेरी भी हालत खराब हो रही थी. मेने अपना हाथ अपनी पॅंट के अंदर डाल अपनी चूत पे रखा तो पाया की मेरी चूत गीली हो गयी थी और उससे पानी चू रहा था. अलमारी में खड़े हुए मुझे काफ़ी दिक्कत हो रही थी पर साथ ही अपने भाई और उसके दोस्त को मेरी पॅंटी में मूठ मारते में पूरी गरमा गयी थी. "मेरा आब छूटने वाला है." मेरे भाई ने कहा. मेने साफ देखा की मेरे भाई का शरीर थोडा आकड़ा और उसके लंड से सफेद वीर्या की पिचकारी निकल मेरी पॅंटी में गिर रही थी. वो तब तक अपना लंड हिलाता रहा जब तक कि उसका सारी पानी नही निकल गया. फिर उसने अपने लंड को अच्छी तरह मेरी पॅंटी से पोंचा और अपने हाथ भी पौच् लिए. थोड़ी देर में जे ने भी वैसा ही किया. "इससे पहले कि तुम्हारी बेहन आ जाए और हमे ये करता हुआ पकड़ ले, मुझे यहाँ से जाना चाहिए." जे अपनी पॅंट पहनते हुए बोला. दोनो लड़के मेरे कमरे से चले गये. में भी खिड़की से कूद कर घूमते हुए घर के मैं दरवाजे अंदर दाखिल हुई तो देखा अरुण डाइनिंग टेबल पे बैठा सॅंडविच खा रहा था. "हाई पिंकी." अरुण बोला. "हाई अरुण कैसे हो?" मेने जवाब दिया. "आज तुम्हे आने में काफ़ी लेट हो गयी?" "हां फ्रेंड्स लोग के साथ शॉपिंग में थोड़ी देर हो गयी." मेने जवाब दिया. में किचन मे गयी और अपने लिए कुछ खाने को निकालने लगी. मुझे पता था कि मेरा भाई मेरी ओर कितना आकर्षित है. जैसे ही मे थोडा झुकी मेने देखा की वो मेरी झँकति पॅंटी को ही देख रहा था. दूसरे दिन में सो कर लेट उठी. मुझे काम पर जाना नही था. अरुण कॉलेज जा चुक्का था और मम्मी पापा काम पे जा चुके थे. में अपनी बिस्तर पे पड़ी थी. अब भी मेरी आँखों के सामने कल दृश्या घूम रहा था. मेने अपने कपड़ों के ढेर की तरफ देखा और कल जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी. किस तरह मेरे भाई और उसके दोस्त ने मेरी पॅंटी में अपना वीर्या छोड़ा था. पता नही ये सब सोचते हुए मेरा हाथ कब मेरी चूत पे चला गया और मैं अपनी उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगी. में इतनी उत्तेजना में थी कि खुद ही ज़ोर से अपनी चूत को चोद रही थी, थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. में बिस्तर से खड़ी हो अपने पूरे कपड़े उतार दिए. अब में आईने के सामने नंगी खड़ी हो अपने बदन को निहार रही थी. मेरा पतला जिस्म, गुलाबी चूत सही में सुन्दर दिख रही थी. में घूम कर अपने चुतताड पर हाथ फिराने लगी. मेरे भाई और उसके दोस्त ने सही कहा था में सही में सेक्सी दिख रही थी. मेने अपने कपड़ो के पास पहुँची और अपनी लाल पॅंटी को उठा लिया. जे के विर्य के धब्बे उसपे साफ दिखाई दे रहे थे. में पॅंटी को अपने नाक पे लोग ज़ोर से सूंघने लगी. जे के वीर्या की महक मुझे गरमा रही थी. में अपनी जीब निकाल उसधब्बे को चाटने लगी. मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत से अँगारे निकल रहे हो. अरुण ने जो पॅंटी में अपना वीर्या छोड़ा था उसे भी उठा सूंघने और चाटने लगी. मेने सोच लिया था कि जिस तरह अरुण ने मेरे कमरे की तलाशी ली थी उसी तरह में भी उसके कमरे में जा कर देखोंगी. बहुत सालों के बाद में उसके कमरे में जा रही थी. मैने उसके बिस्तर के नीचे झाँक कर देखा तो पाया बहोत सी गंदी मॅगज़ीन्स पड़ी थी. फिर उसके कपड़ों को टटोलने लगी, उसके कपड़ों में मुझे उसकी शॉर्ट्स मिल गयी. मेरी पॅंटी की तरह उसपर भी धब्बो की निशान थे. में उसकी शॉर्ट्स को अपनी नाक पे ले जा सूंघने लगे. उसके वीर्या की खुश्बू आ रही थी. शायद ऐसी हरकत मेने अपनी जिंदगी में नही की थी. उसकी शॉर्ट्स को ज़ोर से सूंघते हुए में अपनी चूत में उंगली कर रही थी. उत्तेजना में मेरी साँसे उखड़ रही थी. थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मेरा नाम पिंकी है. में सौथेर्न देल्ही में अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूँ. मेरी उम्र 19 साल है, गोरा बदन, काले लंबे बाल, 5"4 की हाइट और मेरी आँखों का रंग भूरा है. एक दिन में अपनी सहेलियों के साथ शूपिंग कर घर पहुँची. अपने कमरे में पहुँच मेने अपनी मेज़ की दाराज़ खोली तो पाया कि मेरी ब्लू रंग की पॅंटी वहाँ रखी हुई थी. मेने कभी अपनी पॅंटी वहाँ रखी हो ये मुझे याद नही आ रहा था. इतने में में कदमों की आवाज़ मेरे कमरे की और बढ़ते सुनी, मेरी समझ में नही आया की में क्या करूँ. में दौड़ कर अलमारी जा छुपी. देखती हूँ कि मेरा छोटा भाई अरुण जो 18 साल का है अपने दोस्त जे के साथ मेरे कमरे में दाखिल हुआ. "पिंकी " अरुण ने आवाज़ लगाई. में चुप चुप चाप अलमारी छुपी उनको देख रही थी. "अच्छा है वो घर पर नही है. जे में पहली और आखरी बार ये सब तुम्हारे लिए कर रहा हूँ. अगर उसे पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेगी" अरुण ने कहा. "शुक्रिया दोस्त, तुम्हे तो पता है तुम्हारी बेहन कितनी सुन्दर और सेक्सी है." जे ने कहा. अरुण मेरा ड्रॉयर खोला और वो ब्लू पॅंटी निकाल कर जे को पकड़ा दी. जे ने वो पॅंटी हाथ में लेकर उसे सूंघने लगा, "अरुण तुम्हारी बेहन की चूत की खुश्बू अभी भी इसमे से आ रही है." अरुण ज़मीन पर नज़रें गड़ाए खामोश खड़ा था. "यार ये धूलि हुई है अगर ना धूलि होती तो चूत के पानी की भी खुश्बू आ रही होती." जे ने पॅंटी को चूमते हुए कहा. "तुम पागल हो गये हो." अरुण हंसते हुए बोला. "कम ऑन अरुण, माना वो तुम्हारी बेहन है लेकिन तुम इस बात से इनकार नही कर सकते कि वो बहोत ही सेक्सी है." जे ने कहा. "में मानता हूँ वो बहोत ही सुन्दर और सेक्सी है, लेकिन मेने ये सब बातें अपने दिमाग़ से निकाल दी है. " अरुण ने जवाब दिया. "अगर वो मेरी बेहन होती तो…….." जे कहने लगा, "क्या तुम उसके नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ नही मारते हो?" अरुण कुछ बोला नही और खामोश खड़ा रहा. "शरमाओ मत यार, अगर में तुम्हारी जगह होता तो यही करता." जे ने कहा. "क्या तुम्हारी बेहन कोई बिना धूलि हुई पॅंटी यहाँ नही है" "ज़रूर यही कही होगी, में ढूनडता हूँ तब तक खिड़की पर निगाह रखो अगर पिंकी आती दिखे तो बताना." अरुण कमरे में मेरी पॅंटी ढूँडने लगा. अरुण और जे ये नही पता थी कि में घर आ चुकी थी और अलमारी में छिप कर उनकी हरकत देख रही थी. "वो रही मिल गयी." अरुण ने गंदे कपड़े के ढेरसे मेरी मेरी लाल पॅंटी की और इशारा करते हुए कहा. जे ने कपड़ों के ढेर में से मेरी लाल पॅंटी उठाई जो मेने दो दिन पहले पहनी थी. पहले वो कुछ देर उसे देखता रहा. फिर मेरी पॅंटी पे लगे धब्बे को अपनी नाक के पास ले जा सूंघने लगा, "एम्म्म क्या सेक्सी सुगंध है अरुण." कहकर वो पॅंटी को अपने गालों पे रगड़ने लगा. "मुझे अब भी उसकी चूत और गांद की महेक आ रही इसमे से." जे बोला. "तुम सही में पागल हो गये हो." अरुण बोला. "क्या तुम सूंघना छोड़ोगे?" जे ने पूछा. "किसी हालत में नही." अरुण शरमाते हुए बोला. "में जानता हूँ तुम इसे सूंघना चाहते हो. पर मुझसे कहते शर्मा रहे हो." जे बोला, "चलो यार इसमे शरमाना कैसा आख़िर हम दोस्त है." अरुण कुछ देर तक कुछ सोचता रहा, "तुम वादा करते हो कि इसके बारे में किसी से कुछ नही कहोगे." "पक्का वादा करता हूँ," जे ने कहा, "आओ अब और शरमाओ मत, सूँघो इसे कितनी मादक खुश्बू है." अरुण जे के नज़दीक पहुँचा और उसे हाथ से मेरी पॅंटी ले ली. थोड़ी देर उसे निहारने के बाद वो उसे अपनी नाक पे ले ज़ोर से सूंघने लगा जैसे कोई पर्फ्यूम की महेक निकल रही हो. मुझे ये देख के विश्वास नही हो रहा था कि मेरा भाई मेरी ही पॅंटी को इस तरह सूँघेगा. "सही में जे बहोत ही सेक्सी स्मेल है, मानना पड़ेगा." अरुण सिसकते हुए बोला, "मेरा लंड तो इसे सूंघते ही खड़ा हो गया है." "मेरा भी." जे अपने लंड को सहलाते हुए बोला, "क्या तुम अपना पानी इस पॅंटी में छोड़ना चाहोगे?" "क्या तुम सीरीयस हो?" अरुण ने पूछा. "हां" जे ने जवाब दिया. "मगर मुझे किसी के सामने मूठ मारना अछा नही लगता." अरुण ने कहा. "अरे यार में कोई पराया थोड़े ही हूँ. हम दोस्त है और दोस्ती में शरम कैसी." जे बोला. "ठीक है अगर तुम कहते हो तो!" जे ने अपनी पॅंट के बटन खोले और उसे नीचे कर ली. पॅंट नीचे ख़ासकते ही उसका खड़ा लॉडा उछल कर बाहर निकल पड़ा.
उसने एक पॅंटी को अपने लंड के चारों तरफ लपेट लिया और दूसरी को अपनी नाक पे लगा ली. फिर अरुण ने भी अपनी पॅंट उत्तर जे की तरह ही करने लगा. दोनो लड़के उत्तेजना में भरे हुए थे और अपने लंड को हिला रहे थे. दोनो को इस हालत में देखते हुए मेरी भी हालत खराब हो रही थी. मेने अपना हाथ अपनी पॅंट के अंदर डाल अपनी चूत पे रखा तो पाया की मेरी चूत गीली हो गयी थी और उससे पानी चू रहा था. अलमारी में खड़े हुए मुझे काफ़ी दिक्कत हो रही थी पर साथ ही अपने भाई और उसके दोस्त को मेरी पॅंटी में मूठ मारते में पूरी गरमा गयी थी. "मेरा आब छूटने वाला है." मेरे भाई ने कहा. मेने साफ देखा की मेरे भाई का शरीर थोडा आकड़ा और उसके लंड से सफेद वीर्या की पिचकारी निकल मेरी पॅंटी में गिर रही थी. वो तब तक अपना लंड हिलाता रहा जब तक कि उसका सारी पानी नही निकल गया. फिर उसने अपने लंड को अच्छी तरह मेरी पॅंटी से पोंचा और अपने हाथ भी पौच् लिए. थोड़ी देर में जे ने भी वैसा ही किया. "इससे पहले कि तुम्हारी बेहन आ जाए और हमे ये करता हुआ पकड़ ले, मुझे यहाँ से जाना चाहिए." जे अपनी पॅंट पहनते हुए बोला. दोनो लड़के मेरे कमरे से चले गये. में भी खिड़की से कूद कर घूमते हुए घर के मैं दरवाजे अंदर दाखिल हुई तो देखा अरुण डाइनिंग टेबल पे बैठा सॅंडविच खा रहा था. "हाई पिंकी." अरुण बोला. "हाई अरुण कैसे हो?" मेने जवाब दिया. "आज तुम्हे आने में काफ़ी लेट हो गयी?" "हां फ्रेंड्स लोग के साथ शॉपिंग में थोड़ी देर हो गयी." मेने जवाब दिया. में किचन मे गयी और अपने लिए कुछ खाने को निकालने लगी. मुझे पता था कि मेरा भाई मेरी ओर कितना आकर्षित है. जैसे ही मे थोडा झुकी मेने देखा की वो मेरी झँकति पॅंटी को ही देख रहा था. दूसरे दिन में सो कर लेट उठी. मुझे काम पर जाना नही था. अरुण कॉलेज जा चुक्का था और मम्मी पापा काम पे जा चुके थे. में अपनी बिस्तर पे पड़ी थी. अब भी मेरी आँखों के सामने कल दृश्या घूम रहा था. मेने अपने कपड़ों के ढेर की तरफ देखा और कल जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी. किस तरह मेरे भाई और उसके दोस्त ने मेरी पॅंटी में अपना वीर्या छोड़ा था. पता नही ये सब सोचते हुए मेरा हाथ कब मेरी चूत पे चला गया और मैं अपनी उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगी. में इतनी उत्तेजना में थी कि खुद ही ज़ोर से अपनी चूत को चोद रही थी, थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. में बिस्तर से खड़ी हो अपने पूरे कपड़े उतार दिए. अब में आईने के सामने नंगी खड़ी हो अपने बदन को निहार रही थी. मेरा पतला जिस्म, गुलाबी चूत सही में सुन्दर दिख रही थी. में घूम कर अपने चुतताड पर हाथ फिराने लगी. मेरे भाई और उसके दोस्त ने सही कहा था में सही में सेक्सी दिख रही थी. मेने अपने कपड़ो के पास पहुँची और अपनी लाल पॅंटी को उठा लिया. जे के विर्य के धब्बे उसपे साफ दिखाई दे रहे थे. में पॅंटी को अपने नाक पे लोग ज़ोर से सूंघने लगी. जे के वीर्या की महक मुझे गरमा रही थी. में अपनी जीब निकाल उसधब्बे को चाटने लगी. मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत से अँगारे निकल रहे हो. अरुण ने जो पॅंटी में अपना वीर्या छोड़ा था उसे भी उठा सूंघने और चाटने लगी. मेने सोच लिया था कि जिस तरह अरुण ने मेरे कमरे की तलाशी ली थी उसी तरह में भी उसके कमरे में जा कर देखोंगी. बहुत सालों के बाद में उसके कमरे में जा रही थी. मैने उसके बिस्तर के नीचे झाँक कर देखा तो पाया बहोत सी गंदी मॅगज़ीन्स पड़ी थी. फिर उसके कपड़ों को टटोलने लगी, उसके कपड़ों में मुझे उसकी शॉर्ट्स मिल गयी. मेरी पॅंटी की तरह उसपर भी धब्बो की निशान थे. में उसकी शॉर्ट्स को अपनी नाक पे ले जा सूंघने लगे. उसके वीर्या की खुश्बू आ रही थी. शायद ऐसी हरकत मेने अपनी जिंदगी में नही की थी. उसकी शॉर्ट्स को ज़ोर से सूंघते हुए में अपनी चूत में उंगली कर रही थी. उत्तेजना में मेरी साँसे उखड़ रही थी. थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.