सुष्मिता भाभी compleet
Posted: 14 Dec 2014 16:48
सुष्मिता भाभी
दोस्तों पूरी कहानी लिखने से पहले मैं कुच्छ अपने बारे में आपको बता दूँ. मेरा नाम कमल है पर पूरा नाम मेरी टाइटल के साथ कमाल कांती है. मैं नेपाल सरकार में उँचे पोस्ट पर हूँ. मेरी पोस्टिंग नेपाल के सुंदर शहर पोखरा में है. मैं सरकारी काम से अक्सर काठमांडू जाता रहता हूँ. मेरे साथ मेरा परिवार भी है. मेरे परिवार में मेरी बीवी शालु और एक तीन साल की बच्ची है. मेरी उमर 35 साल की है जबकि मेरी बीवी शालु अभी 30 साल की है. मैं बहुत ही सेक्सी किस्म का व्यक्ति हूँ. मेरे खरे लंड की साइज़ लगभग 8" है और मैं किसी भी औरत को चुदाई में पस्त कर सकता हूँ. वैसे शादी से पहले और शादी से बाद मेरी जिंदगी में काई औरतें और काई लरकियाँ भी आई. इस मामले में मैं बहुत ही आज़ाद ख़यालात का हूँ. शादी सुदा होते हुए भी मुझे दूसरी औरतों या लरकियों में पूरी दिलचस्पी रहती है और उन्हें हम बिस्तर भी बनाने में मुझे कोई संकोच नहीं. मेरी बीवी शालु भी मेरी तरह बहुत सेक्सी है और प्रायः रोज ही वह मुझसे चुड़वाती है. मैं एक बार झरता हूँ तो उसकी तीन चार बार काम तृप्ति हो जाती है. स्त्री पुरुष संबंधों के मामले में शालु कुच्छ दकियानूषी ख़यालात की है जबकि मैं इस मामले में बहुत ही खुले दिमाग़ का हूँ. फिर भी हम पति पत्नी में बहुत कमाल है और जहाँ तक मैं समझता था; हम आपस में कुच्छ नहीं छिपाते. दोस्तों जब रिश्ते बहुत करीब के हों तो ऐसा विश्वास बन जाता है. पर जब मेरी पत्नी की ही ख़ास सहेली सुष्मिता भाभी मेरी जिंदगी में आई तो मेरे इस सोच को एक बरा झटका लगा. मेरी पत्नी की ख़ास सहेली यानी की सुष्मिता भाभी ने शालु की जिंदगी की कुच्छ ऐसी परतें खोली जिनसे मैं पूरा अंजान था और उसे सुन कर मैं दंग रह गया. मैं शालु को दकियानूषी ख़यालात का समझता था और यह भी मुग़ालता पाले हुवा था कि वह सिर्फ़ मेरे तक ही सीमित है. पर जब सुष्मिता ने अपनी सहेली की सेक्स लाइफ की परत दर परत खोली तो मैं मान गया की त्रिया चरित्रा को कोई नहीं समझ सकता. मुझे इस बात का बिल्कुल भी पचहतावा नहीं हुवा कि उसके गैर मर्दों से संबंध है क्योंकि मेरे गैर औरतों से रहे हैं और ऐसे नये संबंध बनाने की इच्च्छा भी रहती है, पर यह बात मुझे उसकी ही सहेली से पता चली. दोस्तों इस कहानी में पढ़िए की कैसे परत दर परत खुलती है.
हां तो दोस्तों हमारे परोस में ही एक नेपाली परिवार रहता था. विनय च्छेत्री, 40 साल का एक दुबला सा नेपाली और उसकी 36 साल की बीवी, शुषमिता. मुझे यहाँ आए हुए दो ही साल हुए पर विनय च्छेत्री यहीं का वासिन्दा है. उनके कोई औलाद नहीं पर मियाँ बीवी अपने आप में बहुत खुश हैं और दोनों ही बहुत मिलनसार हैं. विनय भी सरकारी नौकरी में है और महीने में 20 दिन तो वह काठमांडू में ही रहता है. हम जब उनके परोस में आए तो शालु का सुष्मिता से परिचय हुवा और सुष्मिता हमारी मुनिया से बहुत प्यार करने लग गयी जो उस समय साल भर की रही होगी. इसका शायद यही कारण हो की उसके कोई बच्चा नहीं था. धीरे धीरे शालु और सुष्मिता पक्की सहेलियाँ बन गयी. मैं उसे सुष्मिता भाभी कह के बुलाता था. वह अक्सर हमारे घर आती रहती थी और मैं उससे शालु की मौजूदगी में भी दो अर्थी मज़ाक कर लिया करता था. वह कभी बुरा नहीं मानी और हँसती रहती थी. सुष्मिता भाभी बिल्कुल गोरी चित्ती और भरे बदन की मस्त औरत थी. जैसे पाहारी जातियों में होता है एक दम गोल चेहरा, कद कुच्छ नाता, और जवान अंगों में पूरा उभार. मैं हमैइषा कल्पना किया करता था कि सुष्मिता भाभी को जम के चोदू और सुष्मिता मेरी भी मेरी बीवी जैसी दोस्त बन जाय और उन दोनों औरतों को एक साथ चोदू. . आख़िर मुझे मौका मिल ही गया. मेरे ऑफीस से खबर आई कि मुझे अगले ही दिन काठमांडू जाना है. मैं शाम को घर पाहूंचा. उस समय घर में सुष्मिता भाभी भी मौजूद थी. मैने उन दोनों के सामने ही यह बता दिया कि मुझे 3 - 4 दिनों के लिए काठमांडू जाना है और कल की नाइट बस से मैं काठमांडू जाउन्गा.
सुष्मिता भाभी थोरी देर में ही अपने घर चली गयी. आज की रात मैने शालु को जम के चोदा और उसने भी मस्त होके चुड़वाया, क्योंकि आने वाले तीन चार दिन हमें अलग रहना था.दूसरे दिन मैं ऑफीस से दोपहर में ही आगेया. घर पाहूंचने पर शालु बोली, तुम्हारे लिए एक बहुत ही बरी खुशख़बरी है बोलो क्या इनाम दोगे? अरे पहले यह तो बताओ कि वह खुशख़बरी क्या है? तो सुनो दिल थाम के. तुम्हारे साथ सुष्मिता भी काठमांडू जाना चाहती है. उसका हज़्बेंड वहाँ बीमार है और वह उसे देखने जाना चाहती है. और हां , तुम्हारे साथ ही वापस भी आएगी. मेरा मन तो बल्लियों उच्छलने लगा पर मैं अपनी खुशी को छिपाते हुए बोला, कि इसमें खुश खबरी वाली क्या बात है. हर रोज यहाँ से काई बसें काठमांडू जाती हैं और सब की सब फुल रहती है. लोग आते जाते रहते हैं. ठीक है तुम्हारी सहेली है और परोसी है तो उसे मैं वहाँ उसके हज़्बेंड के पास पाहूंचा दूँगा. तुम भी खुश, तुम्हारी सहेली भी खुश और उसका पति भी खुश जो वहाँ बैठा मुट्ठी मार रहा होगा. पर मुझे क्या मिलेगा. अब आके मुझे मत बोलना कि तुम्हें भी वहाँ जाके मूठ मारनी परी मैं तो बंदोबस्त करके तुम्हारे साथ भेज रही हूँ. शालु मुझ से सट्ती हुए हँसती हुई बोली. मेरा भी उसे कुच्छ करने का मूड हो ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बाजी. शालु ने दरवाजा खोला तो सुष्मिता भाभी थी. वह अंदर आई और मुझे देख बोली, क्यों कहीं में ग़लत टाइम पर तो नहीं आ गयी.
हमारी बस रात के ठीक 9 बजे खुली. 11 बजने तक बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी गयी और बस पहारी रास्ते पर हिचकोले खाती काठमांडू की तरफ बढ़ रही थी. सुष्मिता भाभी बिल्कुल मेरे बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी. जब बस को झटका लगता तो हम दोनों के शरीर आपस में रगर खा जाते. इसका नतीज़ा यह हुवा की मैं उत्तेजना से भर गया और मेरा लंड पंत में एकदम खरा हो गया था. फिर सुष्मिता भाभी को नींद आने लगी और कुच्छ देर बाद उसका सर नींद में मेरे कंधे पे टिक गया. उसकी बरी बरी चूचियाँ मेरी कोहनी से टकरा रही थी. मैने भी कोहनी का दबाव उसकी चूचियों पर बढ़ाना शुरू कर दिया. लेकिन वह वैसे ही बिना हीले डुले सोई रही, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ी. आख़िर वह मेरी बीवी की पक्की दोस्त थी. मैं घर में भी उसे कभी कभी साली साहिबा कह के छेड़ा करता था तो मैने उससे मज़ा लेने का सोच लिया. मैने अपने हाथ एक दूसरे से क्रॉस कर लिए और एक हाथ से उसके बूब को हल्के से पकर लिया. वह वैसे ही सोई रही. .. अब तो मेरी और हिम्मत बढ़ गयी और मैने उसकी चूची पर हाथ का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया और जब उसकी कोई हरकत नहीं देखी तो मैं उसकी चूची को दबाने लगा. बस में अंधेरा था और केवल बस के चलने की ही घर घर की आवाज़ आ रही थी. मेरा लंड पॅंट फार के बाहर आने के लिए मचल रहा था. बरी मुश्किल से उसे कस के दबा काबू में किए हुए था. सुष्मिता भाभी मेरे कंधे पर अपना सर रखे चुप चाप सोई हुई थी. मेरी हिम्मत बढ़ी और मैने हाथ उसकी ब्लाउस में सरका दिया और उसकी भारी चूची को कस के पकर लिया. फिर उसे जैसे ही कस के दबाया सुष्मिता बोल परी, "इतने ज़ोर से मत दबाइए बहुत दुख़्ता है". मैं तो यह सुनते ही खिल उठा और अपनी इस खुशी को अपने आप तक नहीं रख सका और मैने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. उसने भी एक हाथ मेरी पॅंट पर मेरे लंड पर रख दिया और उसे पॅंट पर से हल्के हल्के दबाने लगी. मैने नीचे झुक के उसकी सारी थोरी उँची उठा ली और हाथ भीतर डाल दिया. मेरा हाथ बालों से टकराया और मैं झूम उठा की भाभी भी मज़ा लेने की तैयारी करके ही आई है. जैसे ही मैने चूत में अंगुल डालनी चाही उसने सारी पर से मेरे हाथ को रोक दिया और बोली, " ऐसे नही कोई देख लेगा". तब उसने सीट के नीचे रखी अपनी बॅग खोली और उसमें से एक चदडार निकाल ली और उसे लपेट के ओढ़ ली. मैने फिर उसकी चूची पर हाथ रख दिया और उसे ब्लाउस पर से दबाने लगा तो वह फिर बोली, "ब्लाउस का हुक खोल कर ठीक से मलो, ज़्यादा मज़ा आएगा." मैने उसकी ब्लाउस के हुक खोल दिए, अंदर ब्रा भी नहीं थी. चूची फुदक के बाहर आ गयी. इस बीच उसने वह चदडार मेरे उपर भी लपेट दी. अब हम दोनों एक चदडार में लिपटे हुए थे और भीतर हम क्या हरकत कर रहे हैं, बाहर से उसका कुच्छ भी पता नहीं चल रहा था. उसने मेरी पॅंट की चैन खोल दी और जांघीए को एक और कर के लंड को आज़ाद कर लिया. फिर वह जैसे बहुत नींद में हो और सोना चाहती हो वैसे कुच्छ अंदाज़ में पाँव सीट से बाहर कर सो गयी. लेकिन वह कुच्छ ऐसे अंदाज़ में सोई की उसे मेरे लंड को मुख में लेने में कोई कठिनाई नहीं हुई. जिसे वह अगले आधे घंटे तक चूस्ती रही जब तक की मैं उसके मुख में नहीं झारा. मेरे रस को वह पूरा का पूरा गटक गयी. फिर मैने भी उसकी चूत में अंगुल करके उसकी आग ठंडी की और हम दोनों चादर में लिपटे ही सो गये.
भोर में चार बजे हमारी बस काठमांडू पहून्च गयी. मैने उससे पूचछा, "सुष्मिता भाभी किसी लॉड्ज मे चलते हैं, थोडा आराम करने के बाद अपने हज़्बेंड के पास चली जाना". वह मेरी बात कहते ही मान गयी. मैने एक अच्छे होटेल में डबल बेड कमरा लिया. कमरे में पाहूंचते ही वह बाथ रूम में भागी और जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुई मैं भी दरवाजे पर पहून्च गया और उसके साथ साथ बाथ रूम में घुस गया. वह हार्बारा के बोली, " क्या है मुझे पेशाब करना है बाहर जाओ". "नही डार्लिंग तुम मुतो मैं तुम्हे मुतते हुए देखना चाहता हूँ". बस की रात भर की यात्रा से वह पूरी मुतासी थी और फ़ौरन अपनी सारी पेटिकोट सहित अपनी कमर तक उँची की और मेरी तरफ अपनी फूली गोरी गांद कर के बैठ गयी और बहुत ही तेज़ी के साथ स्रर्र्र्र्र्ररर स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करके मूतने लगी. मैं एक दम गरम हो उठा और जैसे ही हम दोनों कमरे में आए मैने उसकी सारी उतार दी, फिर ब्लाउस खोला और उसका पेटिकोट भी खोल दिया. ब्रा और पॅंटी तो उसने पहले से ही नहीं पहन रखी थी अओर मेरे सपनों की रानी सुष्मिता भाभी अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. मैने जैसे ही उसकी चूची पकरी वह बोल परी, पहले अपना कपड़ा तो उतार दो" मैं भी फ़ौरन पूरा नंगा हो गया. मैने सुष्मिता भाभी को चित लेटा दिया और मैं उसके मुख के दोनों तरफ घुटने मोर बैठ उसकी चूत पर झुक गया. अब मेरा लंड उसके मुख के सामने था और मेरे चेहरे के ठीक सामने उसकी खुली चूत मुझे दावत दे रही थी. उसने मेरा लंड मुख में ले लिया और इधर मैं उसकी माल पुए सी चूत पूरी जीभ भीतर धुका चाटने लगा. हम दोनों ही काम वासना से पूरे व्याकुल थे. तभी वह बोली, पहले इसे भीतर डाल के मुझे चोदो. बस से ही तुमने मुझे पागल कर रखा है. मैं इतना सुनते ही उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चूत के गुलाबी छेद में अपना 8" का लंड एक ही झटके में पूरा पेल दिया. तभी वह बोली, "एक बैग इतने ज़ोर से पेलोगे तो मेरा चूत फॅट जाएगा, ज़रा प्यार से धीरे धीरे चोदो, मैं कोई भाग थोड़े ही रही हूँ". सुष्मिता भाभी मैं तुम्हे चोदने का सपना बहुत दीनो से देख रहा था लेकिन डरता था कि कहीं तुम नाराज़ ना हो जाओ. नहीं ऐसी बात नहीं है मैं तो खुद तुम से चोद्वाने को बहुत व्याकुल रहती हूँ. तुम्हारी बीवी ने बताया था कि तुम लगातार घंटो तक चूत मे लंड डाल कर हिलाते रहते हो. तुम्हारे एक बार झरने तक वो चार पाँच बार झार जाती है. मेरा पति तो चोदाइ के मामले मे बीमार है, चूत मे लॉडा डाला नहीं की झार गया. मैं तो तड़पति रह जाती हूँ. तुम्हारी बीवी बड़ी भाग्यशाली है के उसे तुम जैसा चोद्दकर पति मिला. आज मेरे चूत का प्यास पूरी तरह मिटा दो. घबराव नहीं आज तो मैं तुम्हारे चूत का वो हाल बनौँगा की तुम जिंदगी भर मुझे याद रखोगी. . है . बातें मत बनाओ. अब ज़रा ज़ोर ज़ोर से मेरे चूत को चोदो. है पेलो अपना लंड पूरे ज़ोर से. मैने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी. अब मेरा लंड एक पिस्टन की तरह उसकी चूत से अंदर बाहर हो रहा था. हां और ज़ोर्से. ऐसे ही धक्के मारो. मैं जा रहियीई हून्ण्ण्ण. है मेरे राजा आज मेरे चूत का गर्मी उतार दो. मैं बहुत दीनो से प्यासी हूँ. मैं जीतने ज़ोर से उसे चोद्ता वह उतनी ही तारप तारप के और माँग रही थी. हाँ और ज़ोर से चोदो. मेरा चूत फाड़ डालो. और चोदो, चोद्ते रहो, है ठेलो ना, और कस के पेलो अपना लंड, हाँ पूरा लंड डाल कर चोदो. है मैं गाईए. ओह ..... ओह.... और धीरे धीरे वह सुस्त पर गयी. पर मैं उसकी रस से भरी चूत में वैसे ही फ़च्छ फ़च्छ के लंड पेल रहा था. .. उसके रस से चूत बहुत चिकनी हो चुकी थी और मेरा लंड बार बार स्लिप हो रहा था. तब मैने अपना लंड उसकी गांद के छेद से टीका दिया. हाई गांद मे मत ठेलो. बहुत दुखेगा. है सुष्मिता भाभी प्लीज़ एक बार जी भर के अपनी गांद मार लेने दो. मैं ने बहुत कोसिस किया लेकिन मेरी बीवी मुझे अपनी गांद नहीं मारने देती. मुझे मालूम है. काया तुम लोग ऐसी बातें करती हो. हां हम लोग और भी बहुत कुच्छ करते है. अच्च्छा पहले गांद मारने दो फिर बातें करना. मेरा लंड और उसकी गांद दोनों चूत के रस से चिकनी थी और मुझे उसकी गांद में लंड पेलने में ज़्यादा परेशानी नहीं हुई. फिर जैसे मैने उसकी चूत मारी वैसे ही गांद भी मारी और लगभग 15 मिनिट बाद मैं उसकी गांद में झारा.
तुम को कैसे मालूम कि मैं अपने बीवी की गांद मारना चाहता हूँ और वो मुझे अपनी गांद नहीं मारने देती. एक दिन तुम कहीं बाहर गये थे, मेरा पति भी नहीं था. मुझे अकेले सोने मे डर लग रहा था इस लिए उस दिन मैं सोने के लिए तुम्हारे घर आगेई. रात मे शालु के हाथों का दबाव अपनी चूची पर पाकर मेरी नींद खुल गयी और बोली, अरे ये क्या कर रही हो? कुच्छ नहीं मैं सोच रही हूँ की मेरा पति तुम्हे चोदने का ख्वाब क्यों देखता है. जब भी वो मुझे चोद्ता है तो अक्सर तुम्हारी बातें करता रहता है. तो क्या देखा? अभी तो सिर्फ़ चूची च्छुवा है. अब तुम्हारा चूत देखूँगी. और उसने मेरा पेटिकोट खोलना शुरू कर दिया. सारी तो मैं पहले ही खोल कर सोई थी, और पॅंटी भी नहीं पहनी थी. फिर उसने मेरा ब्लाउस और ब्रा भी खोल दिया. अब शालु मेरी चूचियों को बारी बारी से चूसने और मसालने लगी. मेरा एक चूची उस के मुँह में था और एक चूची को अपने एक हाथ से मसलते जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके हाथ मेरे पेट और पेरू के रास्ते से फिसलते हुवे मेरे चूत की तरफ बढ़ रहे थे. थोड़ी ही देर में उस का हाथ मेरे चूत को मसालने लगा. मेरी फुददी ज़ोर ज़ोर से खुजलाने लगा. मैं अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से उसके हाथों पर र्गादने लगी. मैं ने अपना एक हाथ उसके चूची पर रख कर उसके चूची को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ को पेटीकोत के अप्पर से ही उसके चूत पर रख कर दबाने लगी. उस ने कहा, "अरे कापरे के उपर से क्या मज़ा आएगा जालिम मसलना है तो कापरे खोल कर मसालो". और मैने जल्दी जल्दी उसका ब्लाउस, ब्रा और पेटीकोआट खोल डाला. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे एक दूसरे की चूचियों और चूत से खेल रहे थे. वो अपनी उंगलियो से मेरी फुददी खोद रही थी और मैं अपनी उंगलियों से उसका चूत खोद रही थी. थोड़ी देर बाद वो मुझे चित सुलकर मेरे जाँघो के बीच बैठ गयी और झुक कर मेरे चूत को अपने जीभ से चाटने लगी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. आज से पहले किसी ने मेरी फुददी नहीं चॅटा था. फिर उसने मुझे अपना चूत चाटने को कहा. मुझे अच्च्छा तो नहीं लगा लेकिन उसके जीभ ने मेरे चूत को जो आनंद दिया था उसके बदले मैं उसका चूत चाटने लगी. . दोनो काफ़ी देर तक 69 पोज़िशन मे एक दूसरे के चूत चाटते रहे. फिर उसने दो लंबे बैगान लाकर एक मेरे हाथ मे थमाती हुई एक बैगान को मेरे चूत मे पेलने लगी. बैगान इतना मोटा था की चूत मे उसके घुसने का कल्पना मैं नहीं कर सकती थी. लेकिन मेरी फुददी उसके जीभ के चाटने से इतना उत्तेजित हो गयी थी के बड़ी आसानी से वो मेरे चूत मे चला गया. अपने हाथ के बैगान को मैं उसके चूत मे घुसेड़ने लगी. फिर हम दोनो काफ़ी देर तक एक दूसरे के चूत को बैगान से चोद्ते रहे. करीब एक घंटा की चुदायी के बाद हम अलग हुए और एक दूसरे के नंगी बाँहो में समाकर सो गये. सोने से पहले उसने तुम्हारे लंड और चुदायी के तरीके बड़े चटकारे के साथ सुनाई थी. उसी दिन से मैं तुम से चोद्वाने के लिए पागल रहने लगी थी. वैसे तो उसने मौका निकालकर तुम से मेरी फुददी चुदवा देने का वादा किया था. लेकिन जब भी मैं कहती थी तो बात टाल जाती थी. आज जाकर तुमसे चोद्वाने का मौका मिला. कैसा लगा तो मेरा चुदायी. भाहूत अच्च्छा. क्या एक बार फिर चोदोगे. क्यों नहीं. ऐसा कह कर हम लोगों की चुदाई एक बार फिर शुरू हो गयी. काठमांडू पाहूंचते ही मैं सुष्मिता भाभी की चूत और गांद में दो बार पानी झार चुका था. हमें होटेल के कमरे में आए हुए एक घंटा से अधिक हो चुका था. इन दो चुदायी के बाद मुझे गहरी नींद आने लगी क्योंकि में रात भर बस में भी नहीं सोया था. एक बार मैं सोया तो 9 बजे तक सोता ही रहा. जब 9 बजे उठा तो देखा कि सुष्मिता भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी मेक अप कर रही थी. उसने लाल रंग की बहुत ही आकर्षक सारी पहन रखी थी और उससे मॅचिंग हल्के लाल रंग का ब्लाउस जिससे उसकी ब्रा के पत्ते साफ दिख रहे थे.
दोस्तों पूरी कहानी लिखने से पहले मैं कुच्छ अपने बारे में आपको बता दूँ. मेरा नाम कमल है पर पूरा नाम मेरी टाइटल के साथ कमाल कांती है. मैं नेपाल सरकार में उँचे पोस्ट पर हूँ. मेरी पोस्टिंग नेपाल के सुंदर शहर पोखरा में है. मैं सरकारी काम से अक्सर काठमांडू जाता रहता हूँ. मेरे साथ मेरा परिवार भी है. मेरे परिवार में मेरी बीवी शालु और एक तीन साल की बच्ची है. मेरी उमर 35 साल की है जबकि मेरी बीवी शालु अभी 30 साल की है. मैं बहुत ही सेक्सी किस्म का व्यक्ति हूँ. मेरे खरे लंड की साइज़ लगभग 8" है और मैं किसी भी औरत को चुदाई में पस्त कर सकता हूँ. वैसे शादी से पहले और शादी से बाद मेरी जिंदगी में काई औरतें और काई लरकियाँ भी आई. इस मामले में मैं बहुत ही आज़ाद ख़यालात का हूँ. शादी सुदा होते हुए भी मुझे दूसरी औरतों या लरकियों में पूरी दिलचस्पी रहती है और उन्हें हम बिस्तर भी बनाने में मुझे कोई संकोच नहीं. मेरी बीवी शालु भी मेरी तरह बहुत सेक्सी है और प्रायः रोज ही वह मुझसे चुड़वाती है. मैं एक बार झरता हूँ तो उसकी तीन चार बार काम तृप्ति हो जाती है. स्त्री पुरुष संबंधों के मामले में शालु कुच्छ दकियानूषी ख़यालात की है जबकि मैं इस मामले में बहुत ही खुले दिमाग़ का हूँ. फिर भी हम पति पत्नी में बहुत कमाल है और जहाँ तक मैं समझता था; हम आपस में कुच्छ नहीं छिपाते. दोस्तों जब रिश्ते बहुत करीब के हों तो ऐसा विश्वास बन जाता है. पर जब मेरी पत्नी की ही ख़ास सहेली सुष्मिता भाभी मेरी जिंदगी में आई तो मेरे इस सोच को एक बरा झटका लगा. मेरी पत्नी की ख़ास सहेली यानी की सुष्मिता भाभी ने शालु की जिंदगी की कुच्छ ऐसी परतें खोली जिनसे मैं पूरा अंजान था और उसे सुन कर मैं दंग रह गया. मैं शालु को दकियानूषी ख़यालात का समझता था और यह भी मुग़ालता पाले हुवा था कि वह सिर्फ़ मेरे तक ही सीमित है. पर जब सुष्मिता ने अपनी सहेली की सेक्स लाइफ की परत दर परत खोली तो मैं मान गया की त्रिया चरित्रा को कोई नहीं समझ सकता. मुझे इस बात का बिल्कुल भी पचहतावा नहीं हुवा कि उसके गैर मर्दों से संबंध है क्योंकि मेरे गैर औरतों से रहे हैं और ऐसे नये संबंध बनाने की इच्च्छा भी रहती है, पर यह बात मुझे उसकी ही सहेली से पता चली. दोस्तों इस कहानी में पढ़िए की कैसे परत दर परत खुलती है.
हां तो दोस्तों हमारे परोस में ही एक नेपाली परिवार रहता था. विनय च्छेत्री, 40 साल का एक दुबला सा नेपाली और उसकी 36 साल की बीवी, शुषमिता. मुझे यहाँ आए हुए दो ही साल हुए पर विनय च्छेत्री यहीं का वासिन्दा है. उनके कोई औलाद नहीं पर मियाँ बीवी अपने आप में बहुत खुश हैं और दोनों ही बहुत मिलनसार हैं. विनय भी सरकारी नौकरी में है और महीने में 20 दिन तो वह काठमांडू में ही रहता है. हम जब उनके परोस में आए तो शालु का सुष्मिता से परिचय हुवा और सुष्मिता हमारी मुनिया से बहुत प्यार करने लग गयी जो उस समय साल भर की रही होगी. इसका शायद यही कारण हो की उसके कोई बच्चा नहीं था. धीरे धीरे शालु और सुष्मिता पक्की सहेलियाँ बन गयी. मैं उसे सुष्मिता भाभी कह के बुलाता था. वह अक्सर हमारे घर आती रहती थी और मैं उससे शालु की मौजूदगी में भी दो अर्थी मज़ाक कर लिया करता था. वह कभी बुरा नहीं मानी और हँसती रहती थी. सुष्मिता भाभी बिल्कुल गोरी चित्ती और भरे बदन की मस्त औरत थी. जैसे पाहारी जातियों में होता है एक दम गोल चेहरा, कद कुच्छ नाता, और जवान अंगों में पूरा उभार. मैं हमैइषा कल्पना किया करता था कि सुष्मिता भाभी को जम के चोदू और सुष्मिता मेरी भी मेरी बीवी जैसी दोस्त बन जाय और उन दोनों औरतों को एक साथ चोदू. . आख़िर मुझे मौका मिल ही गया. मेरे ऑफीस से खबर आई कि मुझे अगले ही दिन काठमांडू जाना है. मैं शाम को घर पाहूंचा. उस समय घर में सुष्मिता भाभी भी मौजूद थी. मैने उन दोनों के सामने ही यह बता दिया कि मुझे 3 - 4 दिनों के लिए काठमांडू जाना है और कल की नाइट बस से मैं काठमांडू जाउन्गा.
सुष्मिता भाभी थोरी देर में ही अपने घर चली गयी. आज की रात मैने शालु को जम के चोदा और उसने भी मस्त होके चुड़वाया, क्योंकि आने वाले तीन चार दिन हमें अलग रहना था.दूसरे दिन मैं ऑफीस से दोपहर में ही आगेया. घर पाहूंचने पर शालु बोली, तुम्हारे लिए एक बहुत ही बरी खुशख़बरी है बोलो क्या इनाम दोगे? अरे पहले यह तो बताओ कि वह खुशख़बरी क्या है? तो सुनो दिल थाम के. तुम्हारे साथ सुष्मिता भी काठमांडू जाना चाहती है. उसका हज़्बेंड वहाँ बीमार है और वह उसे देखने जाना चाहती है. और हां , तुम्हारे साथ ही वापस भी आएगी. मेरा मन तो बल्लियों उच्छलने लगा पर मैं अपनी खुशी को छिपाते हुए बोला, कि इसमें खुश खबरी वाली क्या बात है. हर रोज यहाँ से काई बसें काठमांडू जाती हैं और सब की सब फुल रहती है. लोग आते जाते रहते हैं. ठीक है तुम्हारी सहेली है और परोसी है तो उसे मैं वहाँ उसके हज़्बेंड के पास पाहूंचा दूँगा. तुम भी खुश, तुम्हारी सहेली भी खुश और उसका पति भी खुश जो वहाँ बैठा मुट्ठी मार रहा होगा. पर मुझे क्या मिलेगा. अब आके मुझे मत बोलना कि तुम्हें भी वहाँ जाके मूठ मारनी परी मैं तो बंदोबस्त करके तुम्हारे साथ भेज रही हूँ. शालु मुझ से सट्ती हुए हँसती हुई बोली. मेरा भी उसे कुच्छ करने का मूड हो ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बाजी. शालु ने दरवाजा खोला तो सुष्मिता भाभी थी. वह अंदर आई और मुझे देख बोली, क्यों कहीं में ग़लत टाइम पर तो नहीं आ गयी.
हमारी बस रात के ठीक 9 बजे खुली. 11 बजने तक बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी गयी और बस पहारी रास्ते पर हिचकोले खाती काठमांडू की तरफ बढ़ रही थी. सुष्मिता भाभी बिल्कुल मेरे बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी. जब बस को झटका लगता तो हम दोनों के शरीर आपस में रगर खा जाते. इसका नतीज़ा यह हुवा की मैं उत्तेजना से भर गया और मेरा लंड पंत में एकदम खरा हो गया था. फिर सुष्मिता भाभी को नींद आने लगी और कुच्छ देर बाद उसका सर नींद में मेरे कंधे पे टिक गया. उसकी बरी बरी चूचियाँ मेरी कोहनी से टकरा रही थी. मैने भी कोहनी का दबाव उसकी चूचियों पर बढ़ाना शुरू कर दिया. लेकिन वह वैसे ही बिना हीले डुले सोई रही, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ी. आख़िर वह मेरी बीवी की पक्की दोस्त थी. मैं घर में भी उसे कभी कभी साली साहिबा कह के छेड़ा करता था तो मैने उससे मज़ा लेने का सोच लिया. मैने अपने हाथ एक दूसरे से क्रॉस कर लिए और एक हाथ से उसके बूब को हल्के से पकर लिया. वह वैसे ही सोई रही. .. अब तो मेरी और हिम्मत बढ़ गयी और मैने उसकी चूची पर हाथ का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया और जब उसकी कोई हरकत नहीं देखी तो मैं उसकी चूची को दबाने लगा. बस में अंधेरा था और केवल बस के चलने की ही घर घर की आवाज़ आ रही थी. मेरा लंड पॅंट फार के बाहर आने के लिए मचल रहा था. बरी मुश्किल से उसे कस के दबा काबू में किए हुए था. सुष्मिता भाभी मेरे कंधे पर अपना सर रखे चुप चाप सोई हुई थी. मेरी हिम्मत बढ़ी और मैने हाथ उसकी ब्लाउस में सरका दिया और उसकी भारी चूची को कस के पकर लिया. फिर उसे जैसे ही कस के दबाया सुष्मिता बोल परी, "इतने ज़ोर से मत दबाइए बहुत दुख़्ता है". मैं तो यह सुनते ही खिल उठा और अपनी इस खुशी को अपने आप तक नहीं रख सका और मैने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. उसने भी एक हाथ मेरी पॅंट पर मेरे लंड पर रख दिया और उसे पॅंट पर से हल्के हल्के दबाने लगी. मैने नीचे झुक के उसकी सारी थोरी उँची उठा ली और हाथ भीतर डाल दिया. मेरा हाथ बालों से टकराया और मैं झूम उठा की भाभी भी मज़ा लेने की तैयारी करके ही आई है. जैसे ही मैने चूत में अंगुल डालनी चाही उसने सारी पर से मेरे हाथ को रोक दिया और बोली, " ऐसे नही कोई देख लेगा". तब उसने सीट के नीचे रखी अपनी बॅग खोली और उसमें से एक चदडार निकाल ली और उसे लपेट के ओढ़ ली. मैने फिर उसकी चूची पर हाथ रख दिया और उसे ब्लाउस पर से दबाने लगा तो वह फिर बोली, "ब्लाउस का हुक खोल कर ठीक से मलो, ज़्यादा मज़ा आएगा." मैने उसकी ब्लाउस के हुक खोल दिए, अंदर ब्रा भी नहीं थी. चूची फुदक के बाहर आ गयी. इस बीच उसने वह चदडार मेरे उपर भी लपेट दी. अब हम दोनों एक चदडार में लिपटे हुए थे और भीतर हम क्या हरकत कर रहे हैं, बाहर से उसका कुच्छ भी पता नहीं चल रहा था. उसने मेरी पॅंट की चैन खोल दी और जांघीए को एक और कर के लंड को आज़ाद कर लिया. फिर वह जैसे बहुत नींद में हो और सोना चाहती हो वैसे कुच्छ अंदाज़ में पाँव सीट से बाहर कर सो गयी. लेकिन वह कुच्छ ऐसे अंदाज़ में सोई की उसे मेरे लंड को मुख में लेने में कोई कठिनाई नहीं हुई. जिसे वह अगले आधे घंटे तक चूस्ती रही जब तक की मैं उसके मुख में नहीं झारा. मेरे रस को वह पूरा का पूरा गटक गयी. फिर मैने भी उसकी चूत में अंगुल करके उसकी आग ठंडी की और हम दोनों चादर में लिपटे ही सो गये.
भोर में चार बजे हमारी बस काठमांडू पहून्च गयी. मैने उससे पूचछा, "सुष्मिता भाभी किसी लॉड्ज मे चलते हैं, थोडा आराम करने के बाद अपने हज़्बेंड के पास चली जाना". वह मेरी बात कहते ही मान गयी. मैने एक अच्छे होटेल में डबल बेड कमरा लिया. कमरे में पाहूंचते ही वह बाथ रूम में भागी और जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुई मैं भी दरवाजे पर पहून्च गया और उसके साथ साथ बाथ रूम में घुस गया. वह हार्बारा के बोली, " क्या है मुझे पेशाब करना है बाहर जाओ". "नही डार्लिंग तुम मुतो मैं तुम्हे मुतते हुए देखना चाहता हूँ". बस की रात भर की यात्रा से वह पूरी मुतासी थी और फ़ौरन अपनी सारी पेटिकोट सहित अपनी कमर तक उँची की और मेरी तरफ अपनी फूली गोरी गांद कर के बैठ गयी और बहुत ही तेज़ी के साथ स्रर्र्र्र्र्ररर स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करके मूतने लगी. मैं एक दम गरम हो उठा और जैसे ही हम दोनों कमरे में आए मैने उसकी सारी उतार दी, फिर ब्लाउस खोला और उसका पेटिकोट भी खोल दिया. ब्रा और पॅंटी तो उसने पहले से ही नहीं पहन रखी थी अओर मेरे सपनों की रानी सुष्मिता भाभी अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. मैने जैसे ही उसकी चूची पकरी वह बोल परी, पहले अपना कपड़ा तो उतार दो" मैं भी फ़ौरन पूरा नंगा हो गया. मैने सुष्मिता भाभी को चित लेटा दिया और मैं उसके मुख के दोनों तरफ घुटने मोर बैठ उसकी चूत पर झुक गया. अब मेरा लंड उसके मुख के सामने था और मेरे चेहरे के ठीक सामने उसकी खुली चूत मुझे दावत दे रही थी. उसने मेरा लंड मुख में ले लिया और इधर मैं उसकी माल पुए सी चूत पूरी जीभ भीतर धुका चाटने लगा. हम दोनों ही काम वासना से पूरे व्याकुल थे. तभी वह बोली, पहले इसे भीतर डाल के मुझे चोदो. बस से ही तुमने मुझे पागल कर रखा है. मैं इतना सुनते ही उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चूत के गुलाबी छेद में अपना 8" का लंड एक ही झटके में पूरा पेल दिया. तभी वह बोली, "एक बैग इतने ज़ोर से पेलोगे तो मेरा चूत फॅट जाएगा, ज़रा प्यार से धीरे धीरे चोदो, मैं कोई भाग थोड़े ही रही हूँ". सुष्मिता भाभी मैं तुम्हे चोदने का सपना बहुत दीनो से देख रहा था लेकिन डरता था कि कहीं तुम नाराज़ ना हो जाओ. नहीं ऐसी बात नहीं है मैं तो खुद तुम से चोद्वाने को बहुत व्याकुल रहती हूँ. तुम्हारी बीवी ने बताया था कि तुम लगातार घंटो तक चूत मे लंड डाल कर हिलाते रहते हो. तुम्हारे एक बार झरने तक वो चार पाँच बार झार जाती है. मेरा पति तो चोदाइ के मामले मे बीमार है, चूत मे लॉडा डाला नहीं की झार गया. मैं तो तड़पति रह जाती हूँ. तुम्हारी बीवी बड़ी भाग्यशाली है के उसे तुम जैसा चोद्दकर पति मिला. आज मेरे चूत का प्यास पूरी तरह मिटा दो. घबराव नहीं आज तो मैं तुम्हारे चूत का वो हाल बनौँगा की तुम जिंदगी भर मुझे याद रखोगी. . है . बातें मत बनाओ. अब ज़रा ज़ोर ज़ोर से मेरे चूत को चोदो. है पेलो अपना लंड पूरे ज़ोर से. मैने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी. अब मेरा लंड एक पिस्टन की तरह उसकी चूत से अंदर बाहर हो रहा था. हां और ज़ोर्से. ऐसे ही धक्के मारो. मैं जा रहियीई हून्ण्ण्ण. है मेरे राजा आज मेरे चूत का गर्मी उतार दो. मैं बहुत दीनो से प्यासी हूँ. मैं जीतने ज़ोर से उसे चोद्ता वह उतनी ही तारप तारप के और माँग रही थी. हाँ और ज़ोर से चोदो. मेरा चूत फाड़ डालो. और चोदो, चोद्ते रहो, है ठेलो ना, और कस के पेलो अपना लंड, हाँ पूरा लंड डाल कर चोदो. है मैं गाईए. ओह ..... ओह.... और धीरे धीरे वह सुस्त पर गयी. पर मैं उसकी रस से भरी चूत में वैसे ही फ़च्छ फ़च्छ के लंड पेल रहा था. .. उसके रस से चूत बहुत चिकनी हो चुकी थी और मेरा लंड बार बार स्लिप हो रहा था. तब मैने अपना लंड उसकी गांद के छेद से टीका दिया. हाई गांद मे मत ठेलो. बहुत दुखेगा. है सुष्मिता भाभी प्लीज़ एक बार जी भर के अपनी गांद मार लेने दो. मैं ने बहुत कोसिस किया लेकिन मेरी बीवी मुझे अपनी गांद नहीं मारने देती. मुझे मालूम है. काया तुम लोग ऐसी बातें करती हो. हां हम लोग और भी बहुत कुच्छ करते है. अच्च्छा पहले गांद मारने दो फिर बातें करना. मेरा लंड और उसकी गांद दोनों चूत के रस से चिकनी थी और मुझे उसकी गांद में लंड पेलने में ज़्यादा परेशानी नहीं हुई. फिर जैसे मैने उसकी चूत मारी वैसे ही गांद भी मारी और लगभग 15 मिनिट बाद मैं उसकी गांद में झारा.
तुम को कैसे मालूम कि मैं अपने बीवी की गांद मारना चाहता हूँ और वो मुझे अपनी गांद नहीं मारने देती. एक दिन तुम कहीं बाहर गये थे, मेरा पति भी नहीं था. मुझे अकेले सोने मे डर लग रहा था इस लिए उस दिन मैं सोने के लिए तुम्हारे घर आगेई. रात मे शालु के हाथों का दबाव अपनी चूची पर पाकर मेरी नींद खुल गयी और बोली, अरे ये क्या कर रही हो? कुच्छ नहीं मैं सोच रही हूँ की मेरा पति तुम्हे चोदने का ख्वाब क्यों देखता है. जब भी वो मुझे चोद्ता है तो अक्सर तुम्हारी बातें करता रहता है. तो क्या देखा? अभी तो सिर्फ़ चूची च्छुवा है. अब तुम्हारा चूत देखूँगी. और उसने मेरा पेटिकोट खोलना शुरू कर दिया. सारी तो मैं पहले ही खोल कर सोई थी, और पॅंटी भी नहीं पहनी थी. फिर उसने मेरा ब्लाउस और ब्रा भी खोल दिया. अब शालु मेरी चूचियों को बारी बारी से चूसने और मसालने लगी. मेरा एक चूची उस के मुँह में था और एक चूची को अपने एक हाथ से मसलते जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके हाथ मेरे पेट और पेरू के रास्ते से फिसलते हुवे मेरे चूत की तरफ बढ़ रहे थे. थोड़ी ही देर में उस का हाथ मेरे चूत को मसालने लगा. मेरी फुददी ज़ोर ज़ोर से खुजलाने लगा. मैं अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से उसके हाथों पर र्गादने लगी. मैं ने अपना एक हाथ उसके चूची पर रख कर उसके चूची को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ को पेटीकोत के अप्पर से ही उसके चूत पर रख कर दबाने लगी. उस ने कहा, "अरे कापरे के उपर से क्या मज़ा आएगा जालिम मसलना है तो कापरे खोल कर मसालो". और मैने जल्दी जल्दी उसका ब्लाउस, ब्रा और पेटीकोआट खोल डाला. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे एक दूसरे की चूचियों और चूत से खेल रहे थे. वो अपनी उंगलियो से मेरी फुददी खोद रही थी और मैं अपनी उंगलियों से उसका चूत खोद रही थी. थोड़ी देर बाद वो मुझे चित सुलकर मेरे जाँघो के बीच बैठ गयी और झुक कर मेरे चूत को अपने जीभ से चाटने लगी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. आज से पहले किसी ने मेरी फुददी नहीं चॅटा था. फिर उसने मुझे अपना चूत चाटने को कहा. मुझे अच्च्छा तो नहीं लगा लेकिन उसके जीभ ने मेरे चूत को जो आनंद दिया था उसके बदले मैं उसका चूत चाटने लगी. . दोनो काफ़ी देर तक 69 पोज़िशन मे एक दूसरे के चूत चाटते रहे. फिर उसने दो लंबे बैगान लाकर एक मेरे हाथ मे थमाती हुई एक बैगान को मेरे चूत मे पेलने लगी. बैगान इतना मोटा था की चूत मे उसके घुसने का कल्पना मैं नहीं कर सकती थी. लेकिन मेरी फुददी उसके जीभ के चाटने से इतना उत्तेजित हो गयी थी के बड़ी आसानी से वो मेरे चूत मे चला गया. अपने हाथ के बैगान को मैं उसके चूत मे घुसेड़ने लगी. फिर हम दोनो काफ़ी देर तक एक दूसरे के चूत को बैगान से चोद्ते रहे. करीब एक घंटा की चुदायी के बाद हम अलग हुए और एक दूसरे के नंगी बाँहो में समाकर सो गये. सोने से पहले उसने तुम्हारे लंड और चुदायी के तरीके बड़े चटकारे के साथ सुनाई थी. उसी दिन से मैं तुम से चोद्वाने के लिए पागल रहने लगी थी. वैसे तो उसने मौका निकालकर तुम से मेरी फुददी चुदवा देने का वादा किया था. लेकिन जब भी मैं कहती थी तो बात टाल जाती थी. आज जाकर तुमसे चोद्वाने का मौका मिला. कैसा लगा तो मेरा चुदायी. भाहूत अच्च्छा. क्या एक बार फिर चोदोगे. क्यों नहीं. ऐसा कह कर हम लोगों की चुदाई एक बार फिर शुरू हो गयी. काठमांडू पाहूंचते ही मैं सुष्मिता भाभी की चूत और गांद में दो बार पानी झार चुका था. हमें होटेल के कमरे में आए हुए एक घंटा से अधिक हो चुका था. इन दो चुदायी के बाद मुझे गहरी नींद आने लगी क्योंकि में रात भर बस में भी नहीं सोया था. एक बार मैं सोया तो 9 बजे तक सोता ही रहा. जब 9 बजे उठा तो देखा कि सुष्मिता भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी मेक अप कर रही थी. उसने लाल रंग की बहुत ही आकर्षक सारी पहन रखी थी और उससे मॅचिंग हल्के लाल रंग का ब्लाउस जिससे उसकी ब्रा के पत्ते साफ दिख रहे थे.