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कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का compleet

Posted: 10 Oct 2014 11:19
by raj..
चेतावनी ...........दोस्तो ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है



"बेटा, सिमर की याद आ रही है, वो भी रहती थी तो बड़ा मज़ा आता था चुदाई में" माँ ने चूतड. उछालते हुए कहा.

मैं माँ पर चढ कर चोद रहा था. माँ की चूची मुँह से निकाल कर मैंने कहा "अम्मा, तू क्यों परेशान हो रही है, दीदी मस्त चुदवा रही होगी जीजाजी से"

"अरे शादी को तीन महने हो गये घर नहीं आई, पास के शहर में घर है फिर भी फ़ोन तक नहीं करती, मैं करती हूँ तो दो मिनिट बात करके रख देती है. आह & हॅ & बेटे, मस्त चोद रहा है तू, ज़रा गहरा पेल अब, मेरी बच्चेदानी तक, हाँ & ऐसे ही मेरे लाल" माँ कराहते हुए बोली.

मैं झड़ने को आ गया था पर माँ को झडाने के पहले झडता तो वो नाराज़ हो जाती. उसकी आदत ही थी घंटों चुदाने की. और ख़ास कर गहरा चुदवाने की, जिससे लंड उसकी बच्चेदानी पर चोट करे! मैं और कस कर धक्के लगाने लगा. "ले मेरी प्यारी अम्मा, ऐसे लगाऊ? कि और ज़ोर से? और ज़ोर से चुदवाना हो तो घोड़ी बन जा और. पीछे से चोद देता हू"

"अरे ऐसे ही ठीक है, अब अच्छा चोद रहा है तू, कल तो चोदा था तूने पीछे से और फिर गांद मार ली थी, मैं मना कर रही थी फिर भी, ज़बरदस्ती! अब तक दुख रही है" माँ मुझे बाँहों में भींच कर और ज़ोर से कमर हिलाते हुए बोली. "हाँ तो मैं सिमर के बारे में ..."

मुझे तैश आ गया. सिमर दीदी के बारे में मैं अभी नहीं सुनना चाहता था. अपने मुँह से मैंने माँ का मुँह बंद किया और चूसते हुए ऐसे चोदा कि दो मिनिट में झड. कर मचलने लगी. यहाँ उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ाये, जैसा वह झडते समय करती थी, वहाँ मैं भी आखरी का धक्का लगाकर झड. गया. फिर उसके उपर पड़ा पड़ा आराम करने लगा.

सुस्ताने के बाद उठ कर बोला "अब बोलो अम्मा, क्या बात है? चोदते समय दीदी की याद ना दिलाया कर. झड्ने को आ जाता हू, ख़ास कर जब याद आता है कि कैसे वो तेरी चूत चूसती थी और मैं उसकी गांद मारता था"

"हाँ, मेरी बच्ची को गांद मरवाने का बहुत शौक है. याद है कैसे तू उसकी गांद में लंड डाल कर सोफे पर बैठ कर नीचे से उसकी मारता था और मैं सामने बैठ कर उसकी बुर चाटती थी. हाय बेटे, ना जाने वो दिन कब आएगा जब मेरी बेटी फिर मैके आएगी अपनी अम्मा और छोटे भाई की प्यास बुझाने. तू जाकर क्यों नहीं देख आता बात क्या है? जा तू ले ही आ एक हफ्ते को" अम्मा टाँगें फैलाकर अपनी चूत तौलिए से पोंछते हुए बोली.

"ठीक है अम्मा, कल चला जाता हू. बिन बताए जाऊन्गा, पता तो चले कि माजरा क्या है" माँ की चूचि दबाते हुए मैं बोला.

मेरी अम्मा चालीस साल की है. घर में बस मैं, माँ और मेरी बड़ी बहन सिमर हैं. मेरी उमर सोलहा साल की है. दीदी मुझसे पाँच साल बड़ी है. अम्मा और दीदी का लेस्बियन इश्क चलता है ये मुझे दो साल पहले मालूम हुआ. उसके पहले से मैं दोनों को अलग अलग चोदता था. बल्कि वी मुझे चोदती थीं ये कहना बेहतर होगा. उसके बाद हम साथ चोदने लगे. यह अलग कहानी है, बाद में कभी बताऊन्गा.

दीदी की शादी तीन माह पहले हुई. हमें छोड़. कर जाने को वो तैयार नहीं थी. पर हमने मनाया, ऐसा अच्छा घर फिर नहीं मिलेगा. अच्छा धनवान परिवार, घर में सिर्फ़ जीजाजी याने दीपक, उनके बड़े भाई रजत और सास. दीपक था भी हैम्डसम नौजवान. और शादी तो करनी ही थी, सब रिश्तेदार बार बार पूछते थे, उन्हें क्या जवाब दें! अम्मा ने भी समझाया की पास ही ससुराल है, हर महने आ जाया कर चोदने को.

दीदी ने आख़िर मान लिया पर बोली कि वो तो हर महने आएगी, अगर माँ और छोटे भैया से नहीं चुदाया तो पागल हो जाएगी, हमारे बिना वहाँ रह नहीं सकती थी. इसीलिए जब तीन महने दीदी नहीं आई तो माँ का माथा ठनका कि उसकी प्यारी बच्ची सकुशल है या नहीं.

दूसरे दिन मैं दोपहर को निकला. जाने के पहले माँ की गांद मारने का मूड था. वो तैयार नहीं हो रही थी. मुझसे सैकडों बार मरा चुकी है फिर भी हर बार नखरा करती है. कहती है कि दुखता है. सब झूठ है, उसकी अब इतनी मुलायामा हो गयी है की लंड आराम से जाता है, तेल बिना लगाए भी. पर नखरे में उसे मज़ा आता है. गांद मराने में भी उसे आनंद आता है पर कभी मेरे सामने स्वीकार नहीं करती. दीदी ने मुझे अकेले में बताया था. इसलिए अब मैं उसकी किरकिरा की परवाह नहीं करता.

जाने की पूरी तैयारी करके कपड़े पहनने के बाद मैंने माँ की मारी. सोचा - कम से कम आज का तो सामान हो जाए, फिर तो मुठ्ठ ही मारना है दो तीन दिन. दीदी के ससुराल में तो भीगी बिल्ली जैसे रहना पड़ेगा. बेडरूम से माँ को आवाज़ दी "माँ मैं चला"

माँ आई तो उसे पकड़कर मैंने दीवाल से सटा कर उसकी साड़ी उठाई और लंड ज़िप से निकाला और उसके गोरे चूतडो के बीच गाढ. दिया. फिर कस के दस मिनिट उसे दीवाल पर दबा कर हचक हचक कर उसकी मारी.

वो भी नखरा करके "हाय बेटे, मत मार, बहुत दुखता है, मारना ही है तो धीरे मार मेरे बच्चे" कहती रही. पर मेरे झड्ने के बाद पलट कर साड़ी उठाकर बोली "जाने से पहले चूस दे मेरे लाल, अब दो दिन उपवास है मेरा"

माँ भी क्या चुदैल है, दो मिनिट पहले दर्द से बिलख रही थी, पर चूत ऐसे बहा रही थी जैसे नई नवेली दुल्हन हो. शायद जानबूझ कर दर्द का बहाना करती है, जानती है कि इससे मैं और मचल जाता हू और ज़ोर से गांद मारता हू.

माँ की बुर का पानी चाट कर मैंने मुँह पोंच्छा और फिर कपड़े ठीक करके निकल पड़ा. माँ को वादा किया कि फ़ोन करुँगा और हो सके तो सिमर दीदी को साथ ले आऊन्गा.

दीदी के घर पहुँचा तो शाम हो गयी थी. दीदी की सास शन्नो जी ने दरवाजा खोला. मेरा स्वागत करते हुए बोलीं. "आओ अमित बेटे, आख़िर याद आ गयी दीदी की. मैं सोच ही रही थी कि कैसे अब तक कोई सिमर बिटिया के घर से देखने नहीं आया. वैसे तुम्हारी दीदी बहुत खुश है. मैंने कई बार कहा फ़ोन कर ले पर अनसुना कर देती है"

मैंने उनके पाँव छुए, एकदम गोरे पाँव थे उनके. "मांजी, आपके यहाँ दीदी खुश नहीं होगी तो कहाँ होगी. मैं तो बस इस तरफ आ रहा था इसलिए मिलने चला आया"

मांजी ने मुझे चाय पिलाई. बातें करने लगी. माँ के बारे में पूछा कि सकुशल हैं ना. मैंने कहा कि दीदी नहीं दिख रही है, बाहर गयी होगी शायद तो शन्नो जी बोलीं कि दीदी अभी आ जाएगी, उपर सो रही है. रजत आफ़िस से अभी आया नहीं है. आगे मुझे बोलीं कि आए हो तो अब दो दिन रहो. मैंने हाँ कर दी.

मैं उन्हें गौर से देख रहा था. शन्नो जी माँ से सात आठ साल बड़ी थीं, सैंतालीस अडतालीस के आसपास की होंगी. गोरी चिकनी थीं, खाया पिया भारी भरकम मांसल बदन था, यहा मोटापा भी उन्हें एकदमा जच रहा था. पर साड़ी और घूँघट में और कुछ दिख नहीं रहा था. चेहरा हसमुख और सुंदर था. जब से मैं माँ को चोदने लगा हू, उसकी उमर की हर औरत को ऐसे ही देखता हू. सोचने लगा कि दीदी की सास भी माल हैं, इतनी उमर में भी पूरा जोबन सजाए हुए हैं. पर चांस मिलना कठिन ही है, कुछ करना भी ठीक नहीं है, आख़िर दीदी की ससुराल है, लेने के देने ना पड. जाएँ.

क्रमशः………………..

कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का

Posted: 10 Oct 2014 20:51
by raj..
गतान्क से आगे……………

थोडि देर से दीदी के जेठ, जीजाजी के बड़े भाई रजत नीचे आए अठ्ठाईस उनतीस के आसपास उमर होगी अच्छा कसा हुआ शरीर था उन्होंने शादी नहीं की थी, खुद का बिज़ीनेस करते थे अभी थोड़ा पसीना पसीना थे, हांफ रहे थे मुझसे हाथ मिलाया और बोले कि उपर वर्ज़िश कर रहा था शाम को ही समय मिलता है, एक्सरसाइज़ करने का शन्नो जी उनकी ओर देखकर मुस्करा रही थीं

कुछ देर बाद दीदी नीचे आई मैं देखता रह गया क्या सुंदर लग रही थी थोड़ी मोटी हो गयी थी, नहीं तो हमारी दीदी एकदम छरहरी है, माँ जैसी बस मम्मे मोटे हैं, माँ से थोड़े बड़े मेरी तो अच्छी पहचान के हैं उसके मम्मे, कितनी बार चूसा और दबाया है उनको

दीदी भी थकी लग रही थी लगता नहीं था कि सो कर आई है, पर एकदम खुश थी मैंने सोचा कि घर का पूरा काम करना पड़ता होगा अब क्या करें, ससुराल में सब औरतें करती हैं पर खुश तो है, कम से कम कोई तकलीफ़ नहीं देता यहाँ सॉफ है मैंने शिकायत की कि इतनी भी क्या रम गयी ससुराल में कि भाई और माँ को भूल गयी थोड़ी देर की नोक झोक और हँसी मज़ाक के बाद शन्नो जी ने कहा "सिमर बेटी, अमित को उपर ले जा, वो पास वाला कमरा दे दे"

मैं सामान उठा कर दीदी के साथ उपर गया आलीशान घर था चार पाँच बड़े बड़े कमरे थे दीदी ने मेरा कमरा दिखाया और जाने लगी तो मैंने हाथ पकडकर बिठा लिया "क्या दीदी, बैठो, ज़रा हाल चाल सुनाओ" उसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था लगता था सिमर दीदी की अभी मार लूँ, उसका अधिकतर वजन जो बढ़ा था वहाँ छाती पर और कूल्हो पर बढ़ा था इसलिए उसकी गान्ड साड़ी में भी मतवाली लग रही थी

दीदी बैठ गयी बातें करने लगी मैंने उलाहना दिया कि घर क्यों नहीं आई, कम से कम फ़ोन तो किया होता तो बोली "अरे अमित, यहाँ इतनी उलझी हू कि घर आने का समय ही नहीं मिला पर चिंता ना कर, बहुत खुश हू"

मेरा लंड खड़ा हो गया था, पैंट में तम्बू बना रहा था दीदी को दिखाकर धीरे से बोला "देख दीदी क्या हालत है तुझे देख कर माँ की भी बुर पसीज जाती है तुझे याद करके तेरी चुदाई कैसे चल रही है?"

वह आँख मार कर इशारे से बोली बहुत मस्त मैंने हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि दबा दी "दीदी मेरे साथ चलो हफ्ते के लिए, नहीं तो यहाँ कुछ चांस दो, तुम्हारी बुर का स्वाद याद आता है तो मुँह में पानी भर आता है"

वो हँसकर बात टालकर बाहर चली गयी "देखूँगी, अभी जाने दो, नीचे मांजी इंतजार कर रही होंगी, खाना बनाना है"

रात को खाना खाते समय सब गप्पें मार रहे थे जीजाजी भी आ गये थे अच्छे हैम्डसम पचीस साल के नौजवान हैं, काफ़ी छरहरा नाज़ुक किस्मा का बदन है, लगता नहीं कि रजत, उनके बड़े भाई होंगे, उनका शरीर तो एकदमा कसा हुआ गठा हुआ है

सब गप्पें मारते हुए एक दूसरे की ओर देखकर बीच बीच में मुस्करा रहे थे ख़ास कर शन्नो जी तो एकदम प्रसन्न लग रही थीं मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था माना कि उनकी बहू का भाई आया है पर इसमें इतना खुश होने की क्या बात है! मेरे चेहरे के भाव देखकर वे बोलीं "बेटे, आज सब खुश हैं क्योंकि तेरी दीदी इतनी खुश है, आख़िर उसका छोटा भाई आया है मैके से" दीदी को देखा तो वह आँखें नीचे करके शरारत से मुस्करा रही थी

रात को दस बजे ही सब सोने चले गये मैं भी अपने कमरे में आ गया जिस तरह से जीजाजी दीदी को देख रहे थे, ज़रूर चुदाई के लिए आतुर थे मेरा खड़ा था माँ की याद आ रही थी यहा भी कल्पना कर रहा था कि जीजाजी कैसे दीदी पर चढे होंगे सिर्फ़ चोदते हैं कि गान्ड भी मारते हैं?

तरह तरह की कल्पना करते हुए मैं बीस पचीस मिनिट लंड से खेला और मज़ा लिया, फिर सहन ना होने पर मुठ्ठ मारने वाला था तभी पास के दीदी के कमरे से हँसने खिलखिलाने की आवाज़ आई तो मन ना माना चुपचाप बाहर आ गया दीदी के कमरे के अंदर बत्ती जल रही थी मैं झुक कर कीहोल से देखने लगा धक्के से दरवाजा ज़रा सा खुल गया, दीदी ने अंदर से ठीक से बंद भी नहीं किया था इसीलिए आवाज़ बाहर आ रही थी मैं अंधेरे में खड़ा होकर अंदर देखने लगा जो देखा तो हक्का बक्का हो गया

अंदर जीजाजी और उनके भाई रजत दीदी पर एक साथ चढे थे रजत दीदी को चोद रहे थे उनका लंड सपासप दीदी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था जीजाजी दीदी की चुचियाँ मसलते हुए उसे चूम रहे थे और गुदगुदी कर रहे थे दीदी हँस रही थी, बीच में जीजाजी ज़ोर से उसकी चूम्ची मसल देते तो दीदी सीत्कार उठती "अरे कैसे बेदर्दी हो जी, जेठजी देखो मुझे कैसे प्यार से चोद रहे हैं, तुम भी ज़रा प्यार से नहीं दबा सकते मेरी चुची?"

जीजाजी बोले "ठहर हरामन, अभी मज़ा ले रही है, अब थोड़ी देर में जब रजत गान्ड मारेगा तो रो पडेगी साली, भैया आज इसकी गान्ड फाड़ ही देना"

रजत बोले "सिमर रानी, बोल, निकाल लूँ लौडा और डाल दूँ गान्ड में?"

दीदी बोली "अरे नहीं मेरे भडवे जेठजी, पूरा चोद कर निकालना साले, नहीं तो कल से चोदने नहीं दूँगी और आप क्या मेरी गान्ड फाडोगे, आप को तो पूरा मैं गान्ड में घुसेड लूँ, किसी को नज़र नहीं आओगे और तुम मेरे चोदू राजा, क्या सूखे सूखे चूचि दबा रहे हो, ज़रा लंड चुसवाओ तो मज़ा आए!"

जीजाजीने लंड दीदी के मुँह में पेल दिया और उसका सिर पकडकर मुँह में ही चोदने लगे उधर जेठजी ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी जीजाजी की झांतें शेव की हुई थीं, एकदम बच्चे जैसा चिकना पेट था जेठजी की अच्छी घनी थीं, मेरी तरह

मेरा बुरा हाल था लंड ऐसा फनफना रहा था कि लगता था कि मुठ्ठ मार लूँ उन तीन नंगे बदनों की चुदाई देखकर मन आपे से बाहर हो रहा था दो जवान हैम्डसम मर्द और मेरी चुदैल खूबसूरत बहन और क्या गाली गलौज कर रहे थे! उनकी बातों का मज़ा ही और था माँ और मैं चोदते समय कभी गाली नहीं देते थे!

अब दीदी मस्ती में मछली जैसी छटपटा रही थी रजत ने अचानक लंड चूत से बाहर खींच लिया "छोटे, तेरी ये चुदैल रंडी आज बहुत कीकिया रही है, शायद भाई के आने से खुश है चल साली का कचूमर बना दें आज, मैं गान्ड मारता हु, तू चोद, देखना कैसे मस्ती उतरती है इस भोसडीवाली की, कल भाई के सामने लंगड़ा लंगड़ा कर चलेगी तो समझ में आएगा"

जीजाजी ने लंड दीदी के मुँह से निकाला और उसकी चूत में पेल दिया दीदी झल्ला उठी "साले मादरचोद, चूसने भी नहीं दिया, ओ जेठ जी, आप ही लंड चुसवा लो कि अब भी मेरी गान्ड में घुसाना चाहते हो माल की तलाश में? और भोसडीवाली होगी तेरी अम्मा, मेरी तो जवान टाइट चूत है!"

जीजाजी पलट कर नीचे हो गये और दीदी को उपर कर लिया दीदी की चूत में उनका लंड घुसा हुआ था दीदी की भारी भरकम गान्ड भी अब मुझे सॉफ दिखी पहले जैसी ही गोरी थी पर और मोटी हो गयी थी रजत ने तुरंत लंड अंदर डाल दिया, एक धक्के में आधा गाढ दिया "अरे मार डाला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रे , फाड़ दोगे क्या साले हरामी? तेल भी नहीं लगाया" दीदी ने गाली दी

बिना उसकी बात की परवाहा किए रजत ने लंड पूरा अंदर पेल दिया, फिर दीदी के उपर चढ कर उसकी गान्ड मारने लगे "भैया, इसकी चुचियाँ पकड़ कर गान्ड मारो, साली के मम्मे मसल दो, पिलपिले कर दो, बहुत नाटक करती है ये आजकल" जीजाजी ने कहा और रजत ने दीदी की चुचियाँ ऐसे मसालीं कि वो चीख उठी "अरे मर गयी हाईईइ रे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , ये दोनों मादरचोद की औलाद आज मुझे मार डालेंगे, कोई बचाओ मर गैिईईईईईईईईईईईईईईईईई रीईईईई"

जीजाजी ने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और फिर दोनों भाई उछल उछल कर मेरी बहन को आगे पीछे से चोदने लगे उसके शरीर को वो ऐसे मसल रहे थे जैसे कोई खेल की गुडिया हो पलंग पर लोट पोट होते हुए वे दीदी को चोद रहे थे कभी जीजाजी उपर होते कभी जेठजी

दीदी की दबी दबी चीखें सुनकर मुझे बीच में लगा कि बेचारी दीदी की सच में हालत खराब है, बचाया जाए क्या अंदर जा कर, पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्या चुद रही थी दीदी, किसी रंडी जैसी आगे पीछे से! एक बार जब जीजाजी का मुँह दीदी के मुँह से हटा तो वह मस्ती में चिल्लाने लगी "चोदो सालो, गान्डुओ चोद डालो, मेरी गान्ड का भूरता बना दो, माँ कसम क्या मज़ा आ रहा है"

क्रमशः………………

कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का

Posted: 10 Oct 2014 20:53
by raj..
गतान्क से आगे……………

याने मेरी दीदी भी उतनी ही चुदैल थी जितने ये दोनों चोदू! मैं जोश में ना जाने क्या करता, मुठ्ठ तो ज़रूर मार लेता पर पीछे से किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया चौंक कर मैंने मुड कर देखा तो मांजी थीं अंधेरे में ना जाने मेरे पीछे कब आकर खडी हो गयी थीं मैं सकते में आ गया समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहू, क्या सफाई दूँ, पर उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया और हाथ पकडकर एक कमरे में ले गयीं दरवाजा बंद किया वो उन्हीं का बेडरूम था

"तो अमित बेटा, पसंद आया मेरे बेटों का खेल?" उन्होंने पूछा वे एक गाउन पहने थीं गाउन में से उनकी मोटी मोटी लटकती चूचियो का आकार दिख रहा था पेट भी कुछ निकला हुआ था आख़िर इस उमर में औरतों का होता ही है, माँ का भी थोड़ा बहुत है हाँ माँ का बाकी बदन वैसे काफ़ी छरहरा है, शन्नो जी की तुलना में तो वह बच्ची लगेगी

मेरा कस कर खड़ा था कुछ कुछ समझ में आ रहा था दीदी के घर ना आने का राज़ शन्नो जी ने मेरा हाथ पकडकर पलंग पर बिठा दिया, आगे बोलीं "अरे शामा को तू जब आया था तो असल में रजत तेरी दीदी को चोद रहा था क्या छिनाल लड़की है, दिन रात चुदवाती है फिर भी मन नहीं भरता उसका सुबह दीपक चोद कर जाता है, दिन में उसका बड़ा भाई रजत चोदता है, रात को दोनों से चुदवाती है तब सो पाती है, वैसे मायके में भी वो खुश थी, मुझे बता रही थी कि उसके माँ और भाई उसे कितना प्यार करते हैं"

मैं थोड़ा शरमा गया कि घर की बात यहाँ पता चल गयी! "अरे शरमाता क्यों है, तू भी तो अच्छा ख़ासा चोदू है, सोलह साल का है फिर भी माहिर है, तेरी दीदी तो तेरी बहुत तारीफ़ करती है"

मैं चुप रहा शन्नो जी ने अपना गाउन उतार दिया "अब तू मेहमान है, तेरी खातिर करना मेरा फ़र्ज़ है तेरी दीदी तो वहाँ व्यस्त है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा वैसे पता नहीं मैं तुझे अच्छी लगती हू या नहीं, तेरी माँ तो अच्छी खूबसूरत है, फिगर भी मस्त है, मैं उनके सामने क्या हू"

शन्नो जी अब नंगी मेरे सामने खडी थीं पुरी सेठानि थीं, एकदम गोरा पके पपीते जैसा गोल मटोल बदन, पके पिलपिले पपीते सी बड़ी बड़ी लटकी चुचियाँ, मुलायम तोंद, नीचे शेव की हुई गोरी पाव रोटी जैसी बुर और झाड के तने जैसे मोटे पैर जब मुडी तो उनकी पहाड सी गोरी गान्ड देखकर मुँह में पानी आ गया कुछ कुछ समझ में भी आ गया वहाँ दीदी के साथ जो हो रहा था, वहाँ शन्नो जी की सहमति से ही हो रहा था

"आप तो बहुत खूबसूरत हैं अम्माजी, अब मैं क्या कहू!" मैंने जवाब दिया शन्नो जी ने आकर मेरे कपड़े उतार दिए "तो चलो शुरू हो जाओ, छप्पन भोग तेरे सामने हैं, जो भोग लगाना हो लगा लो"

मेरा लंड देख कर उनका चेहरा खिल उठा "अरे अमित बेटे, क्या लंड है तेरा? सिमर बेटी ने बताया था पर विश्वास नहीं होता था, कितना लंबा है? दस इंच?"

"नहीं मांजी, आठ इंच है पर काफ़ी मोटा है, आप को देख कर और खड़ा हो गया है इसलिए आपको दस इंच का लगता है" मैंने जवाब दिया वैसे मेरा लंड है एकदम जानदार, तभी तो माँ और दीदी मेरी दीवानी हैं दीदी की चुदाई के समय देखा था, जीजाजी का बहुत प्यारा लंड था पर मुझसे दो इंच छोटा था जेठजी का अच्छा ख़ासा था, मुझसे बस ज़रा सा छोटा

"अब आजा मेरे बेटे, तंग मत कर मैं तो चूसून्गि पहले, इतना मस्त लंड है तो मलाई भी गाढी होगी" कहकर मांजी ने मुझे पलंग पर लिटा दिया फिर मेरा लंड चूसने लगीं लगता है बहुत तजुर्बा था, एक बार में पूरा निगल लिया

मुझे मज़ा आ गया पर अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था "मांजी, ज़रा ऐसे घूमिएे, मैं भी तो आपकी बुर का मज़ा लूँ"

बिना लंड मुँह से निकाले शन्नो जी घूम कर उलटी मेरे उपर लेट गयीं उनका भारीभरकम अस्सी किलो का वजन मेरे उपर था पर मुझे फूल जैसा लग रहा था मैंने उनकी टाँगें अलग कीं और उंगली से वो गोरी चिकनी बुर खोली फिर उसमें मुँह डाल दिया बुर से सफेद चिपचिपा पानी बह रहा था मैं उसपर ताव मारने लगा

माँ की बुर का पानी अब थोडा पतला हो गया है, कम भी आता है, दीदी का बड़ा गाढा है और खूब निकलता है पर शन्नो जी का इस उमर में भी शहद था और जम के बह रहा था जाने क्या खाती हैं जो इस उमर में भी ऐसी रसीली चूत है- मैं सोचने लगा लंड चूसते हुए मांजी ने मेरी कमर को बाँहों में जकड लिया था और मेरे चूतड प्यार से सहला रही थी बीच बीच में उनकी उंगली मेरे गान्ड के छेद को रगडने लगती थी

दो बार शन्नो जी झडी और मुझे ढेर सा शहद चखाया मैंने झड कर उन्हें पाव कटोरी मलाई पिला दी, हिसाब बराबर हो गया

उठकर शन्नो ज़ीने मुझे गोद में ले लिया एक मोटी चुची मेरे मुँह में दे दी मुझे चुसाते हुए बोलीं "बड़ा प्यारा है तू बेटे, मलाई तो जानदार है ही, बुर भी अच्छी चूसता है अब हफ्ते भर यहीं रह मज़ा करेंगे"

मैंने चुची मुँह से निकाल कर कहा "मांजी, आप इतनी गरम हैं, कैसे आपका काम चलता है? मैं तो आज ही आया हू, जब मैं नहीं था तो आप क्या करती थीं?"

"अरे सब जान जाएगा, रुक तो सही यहाँ रहेगा तो बहुत सीखेगा और मज़ा भी लेगा ये बता, माँ को तू कब से चोदता है? पहले दीदी को चोदा या माँ को?"

मैंने सब बता दिया कि दीदी ने मुझे पहले चोदना शुरू किया, बचपन में हम एक कमरे में सोते थे इसलिए चुदाई शुरू करने में कोई तकलीफ़ नहीं हुई जब दीदी को पता चला कि मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया है, तब से वह मुझसे चुदवाने लगी उसके पहले भी वह मुझसे चूत चुसवाती थी और अपनी चुचियाँ मसलवाती थी पहले पहले तो उसने ज़बरदस्ती की थी, बड़ी बहन का हक जता कर बाद में किशोरावस्था शुरू होने पर मुझे भी मज़ा आने लगा जब मेरा लंड खड़ा होने लगा तो उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा था

ना जाने माँ को कैसे पता चला गया कि मेरा लंड खड़ा होने लगा है तब उसने तुरंत मुझे अपने पास सुलाना शुरू कर दिया और पहली ही रात मुझसे चुदवा लिया बाद में पता चला कि दीदी ने उसे बताया था कि उसका बेटा जवान हो गया है दीदी और माँ का चक्कर बहुत पहले से ही था, जब मैं छोटा था तब दोपहर को और रात को मेरे सोने के बाद दोनों लिपट जाती थीं

जब एक दिन मुझे पता चल गया तो दोनों मिल कर मुझसे सेवा कराने लगीं हम साथ साथ माँ के कमरे में सोने लगे सेक्स की ये भूख हमारे खून में ही है ऐसा माँ ने बाद में मुझे बताया था

मेरी कहानी सुन कर शन्नो जी बोलीं "अरे ये ही हाल हमारे यहाँ है, चलो अच्छा हुआ हमारे खानदान मिल गये मैं तो मना रही थी कि किसी ऐसे ही चुदैल खानदान की चुदैल बहू मुझे मिले"

फिर मेरा कान पकडकर बोलीं "तो मादरचोद कैसा लगा मेरी बुर का रस, मज़ा आया? अरे साले, ऐसे आँखें फाड़ कर क्या देखता है हरामी?"

उनकी गाली सुनी तो पहले मैं सुन्न हो गया फिर उनको हँसते देखा तो तसल्ली हुई मज़ा भी आया वी बोलीं "अरे चोदते समय खुल कर गाली गलौज करना चाहिए, मज़ा आता है तेरी दीदी कैसे अपने पति और जेठ को गाली दे रही थी, सुना नहीं?" मेरे लंड को पकडकर बोलीं "देख, इसे तो मज़ा आया, फिर खड़ा हो गया है"

मैं भी इस मीठी नोक झोंक में शामिल हो गया "और क्या, आप जैसी चुदैल औरत का ये पका पका रूप दिखेगा तो साला लंड उठेगा ही, मेरे जैसे जवान लौंदों पर डोरे डालती हैं आप छिनाल कहीं की, अब ये बताइए कि आप को चोदू या गान्ड मारूं, माँ की चूत की कसम, आप की फाड़ दूँगा आज रंडी मांजी"

"बहुत अच्छे आमित, बस ऐसे ही बोला कर और गान्ड तो मैं नहीं मराऊन्गि, फडवानी है क्या! पर आ जा मेरी चूत में आ जा, हाय तेरे जैसे हसीन छोकरे को तो मैं पूरा अंदर घुसेड लूँ" और पलंग पर चूत खोल कर पाँव फैला कर लेट गयीं मैं चढ गया और लंड पेल दिया पुक्क से पूरा अंदर समा गया जैसे चूत नहीं, कुआँ हो "साली चूत है या भोसडा?" मैंने कहा "और इतनी चिकनी, बच्ची जैसी! आप शेव करती हो ना रोज?"

"हाँ बेटे, चिकनी चूत ज़्यादा अच्छे से चुसती है, मैं तो चूत चुसवाने की शौकीन हू, अब बातें ना कर और चोद साले मादरचोद मुझे, देखू कुछ दम है या ऐसे ही बोलता है? देखू तेरी माँ बहन ने कितना सिखाया है तुझे, भोसडीवाले!" और मुझे पकडकर वे चूतड उछालने लगीं

मैं शुरू हो गया उनके भोसडे में लंड आराम से सटक रहा था दो मिनिट बाद अम्माजीने चूत सिकोड ली और मुझे लगा जैसे किसी कुँवारी चूत को चोद रहा हू मेरे चेहरे को देख वे हँसने लगीं "अरे तूने देखे नहीं है मेरी चूत के कारनामे, चल चल अपना काम कर हरामी की औलाद, तेरी दीदी की सास को खुश कर"

क्रमशः………………