Raddi wala -रद्दी वाला
Posted: 16 Dec 2014 17:45
रद्दी वाला पार्ट--1
हेलो दोस्तो मैं यानी आपक दोस्त राज शर्मा एक ऑर कहानी रद्दी वाला लेकर हाजिर हूँ . दोस्तो यह कहानी है साक्शेणा परिवार की.इस परिवार के मुखिया, सुदर्शन साक्शेणा, 45 वर्ष के आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक है.आज से 20 साल पहले उनका विवाह ज्वाला से हुवा था. ज्वाला जैसा नाम वैसी ही थी. वह काम की शाक्षात दहक्ती ज्वाला थी.विवाह के समय ज्वाला 20 वर्ष की थी. विवाह के 4 साल बाद उसने एक लड़की को जन्म दिया.आज वह लड़'की, रंजना 16 साल की है और अपनी मा की तरह ही आग का एक शोला बन चुकी है. ज्वाला देवी नहा रही हैं और रंजना सोफे पर बैठी पढ़ रही है और सुदर्शन जी अप'ने ऑफीस जा चुके हैं. तभी वातावरण की शान्ती भंग हुई. कॉपी, किताब, अख़बार वाली रद्दी!! ये आवाज़ जैसे ही ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो उसने बाथरूम से ही चिल्ला कर अपनी 16 वर्षीय जवान लड़की,रंजना से कहा,"बेटी रंजना!ज़रा रद्दी वाले को रोक, मैं नहा कर आती हू." "अच्छा मम्मी!"रंजना जवाब दे कर भागती हुई बाहर के दरवाजे पर आ कर चिलाई. "अरे भाई रद्दी वाले! अख़बार की रद्दी क्या भाव लोगे? "जी बीबी जी! ढाई रुपये किलो." कबाड़ी लड़'के बिरजू ने अपनी साइकल कोठी के कॉंपाउंड मे ला कर खड़ी कर दी. "ढाई तो कम है,सही लगाओ." रंजना उससे भाव करती हुई बोली."आप जो कहेंगी, लगा दूँगा." बिरजू होंठो पर जीभ फिरा कर और मुस्कुरा कर बोला. इस दो अरथी डाइलॉग को सुन कर तथा बिरजू के बात करने के लहजे को देख कर रंजना शरम से पानी पानी हो उठी, और नज़रे झुका कर बोली, "तुम ज़रा रूको, मम्मी आती है अभी." बिरजू को बाहर ही खड़ा कर रंजना अंदर आ गयी और अपने कमरे मैं जा कर ज़ोर से बोली, "मम्मी मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है, मैं तैयार होती हूँ, रद्दी वाला बाहर खड़ा है." "बेटा! अभी ठहर तू, मैं नहा कर आती ही हूँ."ज्वाला देवी ने फिर चिल्ला कर कहा था. अपने कमरे मैं बैठी रंजना सोच रही थी कि कितना बदमाश है ये रद्दी वाला, "लगाने" की बात कितनी बेशर्मी से कर रहा था पाजी! वैसे "लगाने" का अर्थ रंजना अच्छी तरह जानती थी, क्योंकि एक दिन उसने अपने डॅडी को मम्मी से बेडरूम मैं ये कह'ते सुना था, "ज्वाला टाँग उठाओ, मैं अब लगाउन्गा." और रंजना ने यह अजीब डाइलॉग सुन कर उत्सुकता से मम्मी के बेडरूम मैं झाँक कर जो कुछ उस दिन अंदर देखा था,उसी दिन से "लगाने" का अर्थ बहुत ही अच्छी तरह उसकी समझ मैं आ गया था. काई बार उस'के मन मैं भी "लगवाने" की इच्च्छा पैदा हुई थी मगर बेचारी मुक़द्दर की मारी खूबसूरत चूत की मालकिन रंजना को "लगाने वाला" अभी तक कोई नहीं मिल पाया था.जल्दी से नहा धो कर ज्वाला देवी सिर्फ़ गाउन पहन कर बाहर आई,उसके बाल इस समय खुले हुए थे,नहाने के कारण गोरा रंग और भी ज़्यादा दमक उठा था.यू लग रहा था मानो काली घटाओं मैं से चाँद निकल आया है.एक ही बच्चा पैदा करने की वजा से 40 वर्ष की उम्र मैं भी ज्वाला देवी 25 साल की जवान लौंडिया को भी मात कर सकती थी.बाहर आते ही वो बिरजू से बोली,"हाँ भाई! ठीक- ठीक बता, क्या भाव लेगा?" "में साहब! 3 रुपये लगा दूँगा, इस'से ऊपर मैं तो क्या कोई भी नहीं लेगा." बिरजू गंभीरता से बोला. "अच्छा! तू बरामदे मैं बैठ मैं लाती हूँ" ज्वाला देवी अंदर आ गयी, और रंजना से बोली, "रंजना बेटा! ज़रा थोड़े थोड़े अख़बार ला कर बरामदे मैं रख."अच्छा मम्मी लाती हूँ" रंजना ने कहा. रंजना ने अख़बार ला कर बरामदे मैं रखने शुरू कर दिए थे,और ज्वाला देवी बाहर बिरजू के सामने उकड़ू बैठ कर बोली,"चल भाई तौल"बिरजू ने अपना तरज़ू निकाला और एक एक किलो के बट्टे से उसने रद्दी तौलनी शुरू करदी.एकाएक तौलते तौलते उसकी निगाह उकड़ू बैठी ज्वाला देवी की धूलि धुलाइचूत पर पड़ी तो उसके हाथ काँप उठे. ज्वाला देवी के यूँ उकड़ू बैठने से टाँगे तो सारी धक रही थी मगर अपने खुले फाटक से वो बिल्कुल ही अन्भिग्य थी.उसे क्या पता था कि उसकी शानदार चूत के दर्शन ये रद्दी वाला तबीयत से कर रहा था. उसका दिमाग़ तो बस तरज़ू की दांडी वा पलड़ो पर ही लगा हुआ था. अचानक वो बोली, "भाई सही तौल" "लो मेम साहब" बिरजू हड़बड़ा कर बोला. और अब आलम ये था कि एक-एक किलो मैं तीन तीन पाव तौल रहा था बिरजू. उस'के चेहरे पर पसीना छलक आया था, हाथ और भी ज़्यादा कॅंप कँपाते जा रहे थे,तथा आँखे फैलती जा रही थी उसकी.उसकी 18 वर्षीय जवानी चूत देख कर धधक उठी थी. मगर ज्वाला देवी अभी तक नहीं समझ पा रही थी कि बिरजू रद्दी कम और चूत ज़्यादा तौल रहा है.और जैसे ही बिरजू के बराबर रंजना आ कर खड़ी हुई और उसे यू काँपते तरज़ू पर कम और सामने ज़्यादा नज़रे गढ़ाए हुए देखा तो उसकी नज़रें भी अपनी मम्मी की खुली चूत पर जा ठहरी. ये दृश्या देख कर रंजना का बुरा हाल हो गया, वो खाँसते हुए बोली,"मम्मी..आप उठिए,मैं तुल्वाति हूँ." "तू चुप कर! मैं ठीक तुलवा रही हूँ." "मम्मी! समझो ना,ऑफ! आप उठिए तो सही." और इस बार रंजना ने ज़िद्द कर'के ज्वाला देवी के कंधे पर चिकोटी काट कर कहा तोवो कुछ-कुछ चौंकी.रंजना कि इस हरकत पर ज्वाला देवी ने सरसरी नज़र से बिरजू को देखा और फिर झुक कर जो उसने अपने नीचे को देखा तो वो हड़बड़ा कर रह गयी.फ़ौरन खड़ी हो कर गुस्से और शरम मे हकलाते हुए वो बोली, "देखो भाई! ज़रा जल्दी तौलो." इस समय ज्वाला देवी की हालत देखने लायक थी, उसके होंठ थरथरा रहे थे,कनपटिया गुलाबी हो उठी थी तथा टाँगों मैं एक कंपकपि सी उठी उसे लग रही थी.बिरजू से नज़र मिलाना उसे अब दुश्वार जान पड़ रहा था.शरम से पानी-पानी हो गयी थी वो.बेचारे बिरजू की हालत भी खराब हुई जा रही थी,उसका लंड हाफ पॅंट मैं खड़ा हो कर उच्छाले मार रहा था, जिसे कनखियों से बार-बार ज्वाला देवी देखे जा रही थी.सारी रद्दी फटाफट तुलवा कर वो रंजना की तरफ देख कर बोली,"तू अंदर जा,यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है?"मुँह मैं उंगली दबा कर रंजना तो अंदर चली गयी और बिरजू हिसाब लगा कर ज्वाला देवी को पैसे देने लगा.हिसाब मे 10 रुपये फालतू वह घबराहट मे दे गया था.और जैसे ही वो लंड जांघों से दबाता हुआ रद्दी की पोटली बाँधने लगा कि ज्वाला देवी उस'से बोली, "क्यों भाई कुछ खाली बॉटल पड़ी हैं,ले लोगे क्या?""अभी तो मेरी साइकल पर जगह नही है मेम साहब,कल ले जाउन्गा." बिरजू हकलाता हुआ बोला. तो सुन, कल 11 बजे के बाद ही आना.जी आ जाउन्गा.वो मुस्कुरा कर बोला था इस बार.रद्दी की पोटली को साइकल के कॅरियर पर रख कर बिरजू वाहा से चलता बना मगर उसकी आँखों के सामने अभी तक ज्वाला देवी का खुला फाटक यानी की शानदार चूत घूम रही थी. बिरजू के जाते ही ज्वाला देवी रुपये ले कर अंदर आ गयी. ज्वाला देवी जैसे ही रंजना के कमरे मैं पहुँची तो बेटी की बात सुन कर वो और ज़्यादा झेंप उठी थी.रंजना ने आँखे फाड़ कर उस'से कहा, "मम्मी! आपकी पेशाब वाली जगह वो रद्दी वाला बड़ी बेशर्मी से देखे जा रहा था.""चल छोड़! हमारा क्या ले गया वो, तू अपना काम कर, गंदी गंदी बातें नही सोचा करते,जा कॉलेज जा तू." थोड़ी देर बाद रंजना कॉलेज चली गयी और ज्वाला देवी अपनी चूची को मसल्ति हुई फोन की तरफ बढ़ी.अपने पति सुदर्शन साक्शेणा का नंबर डाइयल कर वो दूसरी तरफ से आने वाली आवाज़ का इंतेज़ार करने लगी. अगले पल फोन पर एक आवाज़ उभरी - "यस सुदर्शन हियर" "देखिए!आप फ़ौरन चले आइए, बहुत ज़रूरी काम है मुझे" "अरे ज्वाला ! तुम्हे ये अचानक मुझसे क्या काम आन पड़ा अभी तो आ कर बैठा हू,ऑफीस मे बहुत काम पड़े हैं, आख़िर माजरा क्या है?" "जी. बस आपसे बातें करने को बहुत मन कर आया है, रहा नहीं जा रहा, प्लीज़ आ जाओ ना.""सॉरी ज्वाला ! मैं शाम को ही आ पाउन्गा, जितनी बातें करनी हो शाम को कर लेना, ओ.के." अपने पति के व्यवहार से वह तिलमिला कर रह गयी. एक कमसिन नौजवान लौन्डे के साम'ने अनभीग्यता में ही सही; आप'नी चूत प्रदर्शन से वह बेहद कमतूर हो उठी थी.चूत की ज्वाला मैं वो झुलसी जा रही थी इस समय. वह रसोई घर मैं जा कर एक बड़ा सा बैंगन उठा कर उसे निहारने लगी थी.उसके बाद सीधे बेडरूम मैं आ कर वह बिस्तर पर लेट गयी, गाउन ऊपर उठा कर उसने टाँगों को चौड़ाया और चूत के मुँह पर बैंगन रख कर ज़ोर से उसे दबाया."हाई अफ मर गयी आहह आह ऊहह" आधा बैंगन वो चूत मैं घुसा चुकी थी.मस्ती मे अपने निचले होंठ को चबाते हुए उसने ज़ोर ज़ोर से बैंगन द्वारा अपनी चूत चोदनी शुरू कर ही डाली. 5 मिनट. तक लगातार तेज़ी से वो उसे अपनी चूत मैं पेलती रही,झाड़ते वक़्त वो अनाप शनाप बकने लगी थी. "आहह. मज़ा आ गया हाय रद्दी वाले तू ही चोद जाता तो तेरा क्या बिगड़ जाता उफ़ आह ले आअह क्या लंड था तेरा तुझे कल दूँगी आ साले पति देव मत चोद मुझे आह मैं खुद काम चला लूँगी आहह" ज्वाला देवी इस समय चूत से पानी छ्चोड़ती जा रही थी, अच्छी तरह झाड़ कर उसने बैंगन फेंक दिया और चूत पोंच्छ कर गाउन नीचे कर लिया. मन ही मन वो बुदबुदा उठी थी, "साले पातिदेव,गैरों को चोदने का वक़्त है तेरे पास, मगर मेरे को चोदने के लिए तेरे पास वक़्त नहीं है, शादी के बाद एक लड़की पैदा करने के अलावा तूने किया ही क्या है, तेरी जगह अगर कोई और होता तो अब तक मुझे 6 बच्चो की मा बना चुका होता, मगर तू तो हफ्ते मे दो बार मुझे मुश्किल से चोदता है और ऊपर से गर्भ निरोधक गोली भी खिला देता है, खैर कोई बात नहीं, अब अपनी चूत की खुराक का इंतज़ाम मुझे ही करना पड़ेगा." ज्वाला देवी ने फ़ैसला कर लिया कि वो इस गथीले शरीर वाले रद्दी वाले के लंड से जीभर कर अपनी चूत मरवाएगी. उसने सोचा जब साला चूत के दर्शन कर ही गया है तो फिर चूत मराने मैं ऐतराज़ ही क्या? उधर ऑफीस मैं सुदर्शन जी बैठे हुए अपनी खूबसूरत जवान स्टेनो मिस प्रतिभा के ख़यालो मे डूबे हुए थे.ज्वाला के फोन से वे समझ गये थे कि साली अधेड़ बीवी की चूत में खुज़'ली चल पर्डी होगी.यह सोच ही उनका लंड खड़ा कर देने के लिए काफ़ी थी.
उन्होने घंटी बजा कर चपरासी को बुलाया और बोले,"देखो भजन! जल्दी से प्रतिभा को फाइल ले कर भेजो." "जी बहुत अच्छा साहब!" भजन तेज़ी से पलटा और मिस प्रतिभा के पास आ कर बोला, "बड़े साहब ने फाइल ले कर आपको बुलाया है." मिस प्रतिभा फुर्ती से एक फाइल उठा कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट ठीक ठाक कर तेज़ चाल से उस कमरे मैं जा घुसी जिस के बाहर लिखा था "बिना आग्या अंदर आना मना है" कमरे मैं सुदर्शन जी बैठे हुए थे. प्रतिभा 22 साल की मस्त लड़की उनके पूराने स्टाफ्फ शरमाजी की लड़की थी. शर्मा जी की उमर हो गयी और वे रिटाइर हो गये.रिटाइयर्मेंट के वक़्त शर्मा जी ने सुदर्शानजी से विनती की कि वे उनकी लड़की को अपने यहाँ सर्विस पे रख लें. प्रतिभा को देख'ते ही सुदर्शानजी ने फ़ौरन हा कर दी.प्रतिभा बड़ी मनचली लड़की थी.वो सुदर्शानजी की प्रारंभिक छेड़ छाड़ का हंस कर साथ देने लगी. और फिर नतीजा यह हुआ कि वह उनकी एक रखैल बन कर रह गयी."आओ मिस प्रतिभा! थोड़ा दरवाजा लॉक कर आओ,हरी उप." प्रतिभा को देखते ही उचक कर वो बोले.दरवाजा लॉक कर प्रतिभा जैसे ही सामने वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो सुदर्शन जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर उसमें हाथ डाल अपना फंफनाता हुआ खूँटे की तरह तना हुआ लंड निकाल कर बोले, "ओह्ह नो प्रतिभा! जल्दी से अपनी पॅंटी उतार कर हमारी गोद मे बैठ कर इसे अपनी चूत मैं ले लो." "सर! आज सुबह सुबह! चक्कर क्या है डियर?" खड़ी हो कर अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा पॅंटी टाँगों से बाहर निकालते हुए प्रतिभा बोली."बस डार्लिंग मूड कर आया!, हरी उप! ओह." सुदर्शन जी भारी गांद वाली बेहद खूबसूरत प्रतिभा की चूत मे लंड डालने को बेताब हुए जा रहे थे."लो आती हूँ माइ लव" प्रतिभा उनके पास आई और उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर कुर्सी पर बैठे सुदर्शन जी की गोद मे कुछ आदी हो कर इस अंदाज़ मैं बैठना शुरू किया कि खरा लंड उसकी चूत के मु'ह पर आ लगा था."अब ज़ोर से बैठो,लंड ठीक जगह लगा है"सुदर्शन जी ने प्रतिभा को आग्या दी. वो उनकी आग्या मान कर इतनी ज़ोर से चूत को दबाते हुए लंड पर बैठने लगी कि सारा लंड उसकी चूत मैं उतरता हुआ फिट हो चुका था. पूरा लंड चूत मैं घुस्वा कर बड़ी इतमीनान से गोद मैं बैठ अपनी गांद को हिलाती हुई दोनो बाँहें सुदर्शन जी के गले मैं डाल कर वो बोली,"आह. बड़ा अच्छा लग रहा है सर ऑफ ओह मुझे भींच लो ज़ोरर से." फिर क्या था,दोनो तने हुए मम्मो को उसके खुले गले के अंदर हाथ डाल कर उन्होने पकड़ लिया और सफाचट खुसबुदार बगलों को चूमते हुए उस'के होंठो से अपने होंठ रगड़ते हुए वो बोले, "डार्लिंग!! तुम्हारी चूत मुझे इतनी अच्छी लगती है कि मैं अपनी बीवी की चूत को भी भूल चुका हूँ, आह. अब . ज़ोर. ज़ोर..उच्छलो डार्लिंग. "सर चूत तो हर औरत के पास एक जैसी ही होती है, बस चुदवाने के अंदाज़ अलग अलग होते हैं, मेरे अंदाज़ आपको पसंद आ गये हैं,क्यों?" "हां हां अब उच्छलो जल्दी से"और फिर गोद मे बैठी प्रतिभा ने जो सिसक सिसक कर लंड अपनी चूत मैं पिलवाना शुरू किया तो सुदर्शन जी मज़े मैं दोहरे हो उठे, उन्होने कुर्सी पर अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर चोदना शुरू कर दिया था. प्रतिभा ज़ोर से उनकी गर्दन मे बाँहें डाले हिला हिला कर झूले पर बैठी झोंटे ले रही थी. हर झोंटे मैं उसकी चूत पूरा पूरा लंड निगल रही थी. सुदर्शन जी ने उसका सारा मुँह चूस चूस कर गीला कर डाला था. अचानक वो बहुत ज़ोर ज़ोर से लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेती हुई बोल उठी थी,"अफ आहा बड़ा मज़ा आ रहा है अया मैं गयी सुदर्शन जी मौके की नज़ाकत को ताड़ गये और प्रतिभा की पीछे से कोली भर कर कुर्सी से उठ खड़े हुए और तेज़ तेज़ शॉट मारते हुए बोले,"लो मेरी जान और आह लो मैं भिझड़ने वाला हूँ ऑफ आ लो जान मज़ा आअ गया.और प्रतिभा की चूत से निकलते हुए रज से उनका वीर्या जा टकराया.प्रतिभा पीछे को गंद पटकती हुई दोनो हाथों से अपने कूल्हे भींचती हुई झाड़ रही थी. अच्छी तरह झाड़ कर सुदर्शन जी ने उसकी चूत से लंड निकाल कर कहा, "जल्दी से पेशाब कर पॅंटी पहन लो, स्टाफ के लोग ऐतराज़ कर रहे होंगे, ज़्यादा देर यहाँ तुम्हारा रहना ठीक नहीं है. सुदर्शन जी के कॅबिन मे बने पेशाब घर मे प्रतिभा ने मूत कर अपनी चूत रुमाल से खूब पोंची और कच्च्ची पहन कर बोली, "आपकी दराज मे मेरी लिपस्टिक और पाउडर पड़ा है,ज़रा दे दीजिए प्ल्ज़,सुदर्शन जी ने निकाल कर प्रतिभा को दिया. इस'के बाद प्रतिभा तो सामने लगे शीशे मैं अपना मेकप ठीक करने लगी, और सुदर्शन जी पेशाब घर मैं मूत'ने के लिए उठ खड़े हुए. कुच्छ देर मैं ही प्रतिभा पहले की तरह ताज़ी हो उठी थी,तथा सुदर्शन भी मूत कर लंड पॅंट के अंदर कर ज़िप बंद कर चुके थे.चुदाई इतनी सावधानी से की गयी थी कि ना प्रतिभा की स्कर्ट पर कोई धब्बा पड़ा था और ना सुदर्शन की पॅंट कहीं से खराब हुई. अलर्ट हो कर सुदर्शन जी अपनी कुर्सी पर आ बैठे और प्रतिभा फाइल उठा, दरवाजा खोल उनके कॅबिन से बाहर निकल आई. उसके चेहरे को देख कर स्टाफ का कोई भी आदमी नहीं ताड़ सका कि साली अभी अभी चुदवा कर आ रही है.बड़ी भोली भाली और स्मार्ट वो इस समय दिखाई पड़ रही थी.उधर बिरजू ने आज अपना दिन खराब कर डाला था.घर आ कर वो सीधा बाथरूम मे घुस गया और दो बार ज्वाला देवी की चूत का नाम ले कर मुट्ठी मारी.मुट्ठी मारने के बाद भी वो उस चूत की छवि अपने जेहन से उतारने मैं असमर्थ रहा था.उसे तो असली खाल वाली जवान चूत मारने की इच्च्छा ने आ घेरा था. मगर उस'के चारो तरफ कोई चूत वाली ऐसी नहीं थी जिसे चोद कर वो अपने लंड की आग बुझा सकता. शाम को जब सुदर्शन जी ऑफीस से लौट आए. तो ज्वाला देवी चेहरा फुलाए हुए थी उसे यू गुस्से मैं भरे देख कर वो बोले,"लगता है रानी जी आज कुच्छ नाराज़ है हमसे" "जाइए!मैं आपसे आज हरगिज़ नही बोलूँगी."ज्वाला देवी ने मुँह फूला कर कहा,और काम मे जुट गयी.
रात को सुदर्शन जी डबल बिस्तर पर लेते हुए थे. इस समय भी उन्हे अपनी पत्नी नहीं बल्कि प्रतिभा की चूत की याद सता रही थी.सारे काम निबटा कर ज्वाला देवी ने रंजना के कमरे मैं झाँक कर देखा और उसे गहरी नींद मैं सोए देख कर वो कुच्छ आश्वस्त हो कर सीधी पति के बराबर मे जा लेटी.एक दो बार आँखे मुन्दे पड़े पति को उसने कनखियों से झाँक कर देखा.और अपनी सारी उतार कर एक तरफ रख कर वो चुदने को मचल उठी. दिन भर की भादस वो रात भर मैं निकालने को उतावली हुई जा रही थी. कमरे मैं हल्की रौशनी नाइट लॅंप की थी.सुदर्शन जी की लूँगी की तरफ ज्वाला देवी ने आहिस्ता से हाथ बढ़ा ही दिया और कछे रहित लंड को हाथ मैं पकड़ कर सहलाने लगी.चौंक कर सुदर्शन जी उठ बैठे.यूँ पत्नी की हरकत पर झल्ला कर उन्होने कहा, "ज्वाला अभी मूड नही है,छोड़ो. इसे..""आज आपका मूड मैं ठीक करके ही रहूंगी,मेरी इच्छा का आपको ज़रा भी ख़याल नहीं है लापरवाह कहीं के." ज्वाला देवी सुदर्शन को ज़ोर से दबा कर अपने बदन को और भी आगे कर बोली थी.
हेलो दोस्तो मैं यानी आपक दोस्त राज शर्मा एक ऑर कहानी रद्दी वाला लेकर हाजिर हूँ . दोस्तो यह कहानी है साक्शेणा परिवार की.इस परिवार के मुखिया, सुदर्शन साक्शेणा, 45 वर्ष के आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक है.आज से 20 साल पहले उनका विवाह ज्वाला से हुवा था. ज्वाला जैसा नाम वैसी ही थी. वह काम की शाक्षात दहक्ती ज्वाला थी.विवाह के समय ज्वाला 20 वर्ष की थी. विवाह के 4 साल बाद उसने एक लड़की को जन्म दिया.आज वह लड़'की, रंजना 16 साल की है और अपनी मा की तरह ही आग का एक शोला बन चुकी है. ज्वाला देवी नहा रही हैं और रंजना सोफे पर बैठी पढ़ रही है और सुदर्शन जी अप'ने ऑफीस जा चुके हैं. तभी वातावरण की शान्ती भंग हुई. कॉपी, किताब, अख़बार वाली रद्दी!! ये आवाज़ जैसे ही ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो उसने बाथरूम से ही चिल्ला कर अपनी 16 वर्षीय जवान लड़की,रंजना से कहा,"बेटी रंजना!ज़रा रद्दी वाले को रोक, मैं नहा कर आती हू." "अच्छा मम्मी!"रंजना जवाब दे कर भागती हुई बाहर के दरवाजे पर आ कर चिलाई. "अरे भाई रद्दी वाले! अख़बार की रद्दी क्या भाव लोगे? "जी बीबी जी! ढाई रुपये किलो." कबाड़ी लड़'के बिरजू ने अपनी साइकल कोठी के कॉंपाउंड मे ला कर खड़ी कर दी. "ढाई तो कम है,सही लगाओ." रंजना उससे भाव करती हुई बोली."आप जो कहेंगी, लगा दूँगा." बिरजू होंठो पर जीभ फिरा कर और मुस्कुरा कर बोला. इस दो अरथी डाइलॉग को सुन कर तथा बिरजू के बात करने के लहजे को देख कर रंजना शरम से पानी पानी हो उठी, और नज़रे झुका कर बोली, "तुम ज़रा रूको, मम्मी आती है अभी." बिरजू को बाहर ही खड़ा कर रंजना अंदर आ गयी और अपने कमरे मैं जा कर ज़ोर से बोली, "मम्मी मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है, मैं तैयार होती हूँ, रद्दी वाला बाहर खड़ा है." "बेटा! अभी ठहर तू, मैं नहा कर आती ही हूँ."ज्वाला देवी ने फिर चिल्ला कर कहा था. अपने कमरे मैं बैठी रंजना सोच रही थी कि कितना बदमाश है ये रद्दी वाला, "लगाने" की बात कितनी बेशर्मी से कर रहा था पाजी! वैसे "लगाने" का अर्थ रंजना अच्छी तरह जानती थी, क्योंकि एक दिन उसने अपने डॅडी को मम्मी से बेडरूम मैं ये कह'ते सुना था, "ज्वाला टाँग उठाओ, मैं अब लगाउन्गा." और रंजना ने यह अजीब डाइलॉग सुन कर उत्सुकता से मम्मी के बेडरूम मैं झाँक कर जो कुछ उस दिन अंदर देखा था,उसी दिन से "लगाने" का अर्थ बहुत ही अच्छी तरह उसकी समझ मैं आ गया था. काई बार उस'के मन मैं भी "लगवाने" की इच्च्छा पैदा हुई थी मगर बेचारी मुक़द्दर की मारी खूबसूरत चूत की मालकिन रंजना को "लगाने वाला" अभी तक कोई नहीं मिल पाया था.जल्दी से नहा धो कर ज्वाला देवी सिर्फ़ गाउन पहन कर बाहर आई,उसके बाल इस समय खुले हुए थे,नहाने के कारण गोरा रंग और भी ज़्यादा दमक उठा था.यू लग रहा था मानो काली घटाओं मैं से चाँद निकल आया है.एक ही बच्चा पैदा करने की वजा से 40 वर्ष की उम्र मैं भी ज्वाला देवी 25 साल की जवान लौंडिया को भी मात कर सकती थी.बाहर आते ही वो बिरजू से बोली,"हाँ भाई! ठीक- ठीक बता, क्या भाव लेगा?" "में साहब! 3 रुपये लगा दूँगा, इस'से ऊपर मैं तो क्या कोई भी नहीं लेगा." बिरजू गंभीरता से बोला. "अच्छा! तू बरामदे मैं बैठ मैं लाती हूँ" ज्वाला देवी अंदर आ गयी, और रंजना से बोली, "रंजना बेटा! ज़रा थोड़े थोड़े अख़बार ला कर बरामदे मैं रख."अच्छा मम्मी लाती हूँ" रंजना ने कहा. रंजना ने अख़बार ला कर बरामदे मैं रखने शुरू कर दिए थे,और ज्वाला देवी बाहर बिरजू के सामने उकड़ू बैठ कर बोली,"चल भाई तौल"बिरजू ने अपना तरज़ू निकाला और एक एक किलो के बट्टे से उसने रद्दी तौलनी शुरू करदी.एकाएक तौलते तौलते उसकी निगाह उकड़ू बैठी ज्वाला देवी की धूलि धुलाइचूत पर पड़ी तो उसके हाथ काँप उठे. ज्वाला देवी के यूँ उकड़ू बैठने से टाँगे तो सारी धक रही थी मगर अपने खुले फाटक से वो बिल्कुल ही अन्भिग्य थी.उसे क्या पता था कि उसकी शानदार चूत के दर्शन ये रद्दी वाला तबीयत से कर रहा था. उसका दिमाग़ तो बस तरज़ू की दांडी वा पलड़ो पर ही लगा हुआ था. अचानक वो बोली, "भाई सही तौल" "लो मेम साहब" बिरजू हड़बड़ा कर बोला. और अब आलम ये था कि एक-एक किलो मैं तीन तीन पाव तौल रहा था बिरजू. उस'के चेहरे पर पसीना छलक आया था, हाथ और भी ज़्यादा कॅंप कँपाते जा रहे थे,तथा आँखे फैलती जा रही थी उसकी.उसकी 18 वर्षीय जवानी चूत देख कर धधक उठी थी. मगर ज्वाला देवी अभी तक नहीं समझ पा रही थी कि बिरजू रद्दी कम और चूत ज़्यादा तौल रहा है.और जैसे ही बिरजू के बराबर रंजना आ कर खड़ी हुई और उसे यू काँपते तरज़ू पर कम और सामने ज़्यादा नज़रे गढ़ाए हुए देखा तो उसकी नज़रें भी अपनी मम्मी की खुली चूत पर जा ठहरी. ये दृश्या देख कर रंजना का बुरा हाल हो गया, वो खाँसते हुए बोली,"मम्मी..आप उठिए,मैं तुल्वाति हूँ." "तू चुप कर! मैं ठीक तुलवा रही हूँ." "मम्मी! समझो ना,ऑफ! आप उठिए तो सही." और इस बार रंजना ने ज़िद्द कर'के ज्वाला देवी के कंधे पर चिकोटी काट कर कहा तोवो कुछ-कुछ चौंकी.रंजना कि इस हरकत पर ज्वाला देवी ने सरसरी नज़र से बिरजू को देखा और फिर झुक कर जो उसने अपने नीचे को देखा तो वो हड़बड़ा कर रह गयी.फ़ौरन खड़ी हो कर गुस्से और शरम मे हकलाते हुए वो बोली, "देखो भाई! ज़रा जल्दी तौलो." इस समय ज्वाला देवी की हालत देखने लायक थी, उसके होंठ थरथरा रहे थे,कनपटिया गुलाबी हो उठी थी तथा टाँगों मैं एक कंपकपि सी उठी उसे लग रही थी.बिरजू से नज़र मिलाना उसे अब दुश्वार जान पड़ रहा था.शरम से पानी-पानी हो गयी थी वो.बेचारे बिरजू की हालत भी खराब हुई जा रही थी,उसका लंड हाफ पॅंट मैं खड़ा हो कर उच्छाले मार रहा था, जिसे कनखियों से बार-बार ज्वाला देवी देखे जा रही थी.सारी रद्दी फटाफट तुलवा कर वो रंजना की तरफ देख कर बोली,"तू अंदर जा,यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है?"मुँह मैं उंगली दबा कर रंजना तो अंदर चली गयी और बिरजू हिसाब लगा कर ज्वाला देवी को पैसे देने लगा.हिसाब मे 10 रुपये फालतू वह घबराहट मे दे गया था.और जैसे ही वो लंड जांघों से दबाता हुआ रद्दी की पोटली बाँधने लगा कि ज्वाला देवी उस'से बोली, "क्यों भाई कुछ खाली बॉटल पड़ी हैं,ले लोगे क्या?""अभी तो मेरी साइकल पर जगह नही है मेम साहब,कल ले जाउन्गा." बिरजू हकलाता हुआ बोला. तो सुन, कल 11 बजे के बाद ही आना.जी आ जाउन्गा.वो मुस्कुरा कर बोला था इस बार.रद्दी की पोटली को साइकल के कॅरियर पर रख कर बिरजू वाहा से चलता बना मगर उसकी आँखों के सामने अभी तक ज्वाला देवी का खुला फाटक यानी की शानदार चूत घूम रही थी. बिरजू के जाते ही ज्वाला देवी रुपये ले कर अंदर आ गयी. ज्वाला देवी जैसे ही रंजना के कमरे मैं पहुँची तो बेटी की बात सुन कर वो और ज़्यादा झेंप उठी थी.रंजना ने आँखे फाड़ कर उस'से कहा, "मम्मी! आपकी पेशाब वाली जगह वो रद्दी वाला बड़ी बेशर्मी से देखे जा रहा था.""चल छोड़! हमारा क्या ले गया वो, तू अपना काम कर, गंदी गंदी बातें नही सोचा करते,जा कॉलेज जा तू." थोड़ी देर बाद रंजना कॉलेज चली गयी और ज्वाला देवी अपनी चूची को मसल्ति हुई फोन की तरफ बढ़ी.अपने पति सुदर्शन साक्शेणा का नंबर डाइयल कर वो दूसरी तरफ से आने वाली आवाज़ का इंतेज़ार करने लगी. अगले पल फोन पर एक आवाज़ उभरी - "यस सुदर्शन हियर" "देखिए!आप फ़ौरन चले आइए, बहुत ज़रूरी काम है मुझे" "अरे ज्वाला ! तुम्हे ये अचानक मुझसे क्या काम आन पड़ा अभी तो आ कर बैठा हू,ऑफीस मे बहुत काम पड़े हैं, आख़िर माजरा क्या है?" "जी. बस आपसे बातें करने को बहुत मन कर आया है, रहा नहीं जा रहा, प्लीज़ आ जाओ ना.""सॉरी ज्वाला ! मैं शाम को ही आ पाउन्गा, जितनी बातें करनी हो शाम को कर लेना, ओ.के." अपने पति के व्यवहार से वह तिलमिला कर रह गयी. एक कमसिन नौजवान लौन्डे के साम'ने अनभीग्यता में ही सही; आप'नी चूत प्रदर्शन से वह बेहद कमतूर हो उठी थी.चूत की ज्वाला मैं वो झुलसी जा रही थी इस समय. वह रसोई घर मैं जा कर एक बड़ा सा बैंगन उठा कर उसे निहारने लगी थी.उसके बाद सीधे बेडरूम मैं आ कर वह बिस्तर पर लेट गयी, गाउन ऊपर उठा कर उसने टाँगों को चौड़ाया और चूत के मुँह पर बैंगन रख कर ज़ोर से उसे दबाया."हाई अफ मर गयी आहह आह ऊहह" आधा बैंगन वो चूत मैं घुसा चुकी थी.मस्ती मे अपने निचले होंठ को चबाते हुए उसने ज़ोर ज़ोर से बैंगन द्वारा अपनी चूत चोदनी शुरू कर ही डाली. 5 मिनट. तक लगातार तेज़ी से वो उसे अपनी चूत मैं पेलती रही,झाड़ते वक़्त वो अनाप शनाप बकने लगी थी. "आहह. मज़ा आ गया हाय रद्दी वाले तू ही चोद जाता तो तेरा क्या बिगड़ जाता उफ़ आह ले आअह क्या लंड था तेरा तुझे कल दूँगी आ साले पति देव मत चोद मुझे आह मैं खुद काम चला लूँगी आहह" ज्वाला देवी इस समय चूत से पानी छ्चोड़ती जा रही थी, अच्छी तरह झाड़ कर उसने बैंगन फेंक दिया और चूत पोंच्छ कर गाउन नीचे कर लिया. मन ही मन वो बुदबुदा उठी थी, "साले पातिदेव,गैरों को चोदने का वक़्त है तेरे पास, मगर मेरे को चोदने के लिए तेरे पास वक़्त नहीं है, शादी के बाद एक लड़की पैदा करने के अलावा तूने किया ही क्या है, तेरी जगह अगर कोई और होता तो अब तक मुझे 6 बच्चो की मा बना चुका होता, मगर तू तो हफ्ते मे दो बार मुझे मुश्किल से चोदता है और ऊपर से गर्भ निरोधक गोली भी खिला देता है, खैर कोई बात नहीं, अब अपनी चूत की खुराक का इंतज़ाम मुझे ही करना पड़ेगा." ज्वाला देवी ने फ़ैसला कर लिया कि वो इस गथीले शरीर वाले रद्दी वाले के लंड से जीभर कर अपनी चूत मरवाएगी. उसने सोचा जब साला चूत के दर्शन कर ही गया है तो फिर चूत मराने मैं ऐतराज़ ही क्या? उधर ऑफीस मैं सुदर्शन जी बैठे हुए अपनी खूबसूरत जवान स्टेनो मिस प्रतिभा के ख़यालो मे डूबे हुए थे.ज्वाला के फोन से वे समझ गये थे कि साली अधेड़ बीवी की चूत में खुज़'ली चल पर्डी होगी.यह सोच ही उनका लंड खड़ा कर देने के लिए काफ़ी थी.
उन्होने घंटी बजा कर चपरासी को बुलाया और बोले,"देखो भजन! जल्दी से प्रतिभा को फाइल ले कर भेजो." "जी बहुत अच्छा साहब!" भजन तेज़ी से पलटा और मिस प्रतिभा के पास आ कर बोला, "बड़े साहब ने फाइल ले कर आपको बुलाया है." मिस प्रतिभा फुर्ती से एक फाइल उठा कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट ठीक ठाक कर तेज़ चाल से उस कमरे मैं जा घुसी जिस के बाहर लिखा था "बिना आग्या अंदर आना मना है" कमरे मैं सुदर्शन जी बैठे हुए थे. प्रतिभा 22 साल की मस्त लड़की उनके पूराने स्टाफ्फ शरमाजी की लड़की थी. शर्मा जी की उमर हो गयी और वे रिटाइर हो गये.रिटाइयर्मेंट के वक़्त शर्मा जी ने सुदर्शानजी से विनती की कि वे उनकी लड़की को अपने यहाँ सर्विस पे रख लें. प्रतिभा को देख'ते ही सुदर्शानजी ने फ़ौरन हा कर दी.प्रतिभा बड़ी मनचली लड़की थी.वो सुदर्शानजी की प्रारंभिक छेड़ छाड़ का हंस कर साथ देने लगी. और फिर नतीजा यह हुआ कि वह उनकी एक रखैल बन कर रह गयी."आओ मिस प्रतिभा! थोड़ा दरवाजा लॉक कर आओ,हरी उप." प्रतिभा को देखते ही उचक कर वो बोले.दरवाजा लॉक कर प्रतिभा जैसे ही सामने वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो सुदर्शन जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर उसमें हाथ डाल अपना फंफनाता हुआ खूँटे की तरह तना हुआ लंड निकाल कर बोले, "ओह्ह नो प्रतिभा! जल्दी से अपनी पॅंटी उतार कर हमारी गोद मे बैठ कर इसे अपनी चूत मैं ले लो." "सर! आज सुबह सुबह! चक्कर क्या है डियर?" खड़ी हो कर अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा पॅंटी टाँगों से बाहर निकालते हुए प्रतिभा बोली."बस डार्लिंग मूड कर आया!, हरी उप! ओह." सुदर्शन जी भारी गांद वाली बेहद खूबसूरत प्रतिभा की चूत मे लंड डालने को बेताब हुए जा रहे थे."लो आती हूँ माइ लव" प्रतिभा उनके पास आई और उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर कुर्सी पर बैठे सुदर्शन जी की गोद मे कुछ आदी हो कर इस अंदाज़ मैं बैठना शुरू किया कि खरा लंड उसकी चूत के मु'ह पर आ लगा था."अब ज़ोर से बैठो,लंड ठीक जगह लगा है"सुदर्शन जी ने प्रतिभा को आग्या दी. वो उनकी आग्या मान कर इतनी ज़ोर से चूत को दबाते हुए लंड पर बैठने लगी कि सारा लंड उसकी चूत मैं उतरता हुआ फिट हो चुका था. पूरा लंड चूत मैं घुस्वा कर बड़ी इतमीनान से गोद मैं बैठ अपनी गांद को हिलाती हुई दोनो बाँहें सुदर्शन जी के गले मैं डाल कर वो बोली,"आह. बड़ा अच्छा लग रहा है सर ऑफ ओह मुझे भींच लो ज़ोरर से." फिर क्या था,दोनो तने हुए मम्मो को उसके खुले गले के अंदर हाथ डाल कर उन्होने पकड़ लिया और सफाचट खुसबुदार बगलों को चूमते हुए उस'के होंठो से अपने होंठ रगड़ते हुए वो बोले, "डार्लिंग!! तुम्हारी चूत मुझे इतनी अच्छी लगती है कि मैं अपनी बीवी की चूत को भी भूल चुका हूँ, आह. अब . ज़ोर. ज़ोर..उच्छलो डार्लिंग. "सर चूत तो हर औरत के पास एक जैसी ही होती है, बस चुदवाने के अंदाज़ अलग अलग होते हैं, मेरे अंदाज़ आपको पसंद आ गये हैं,क्यों?" "हां हां अब उच्छलो जल्दी से"और फिर गोद मे बैठी प्रतिभा ने जो सिसक सिसक कर लंड अपनी चूत मैं पिलवाना शुरू किया तो सुदर्शन जी मज़े मैं दोहरे हो उठे, उन्होने कुर्सी पर अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर चोदना शुरू कर दिया था. प्रतिभा ज़ोर से उनकी गर्दन मे बाँहें डाले हिला हिला कर झूले पर बैठी झोंटे ले रही थी. हर झोंटे मैं उसकी चूत पूरा पूरा लंड निगल रही थी. सुदर्शन जी ने उसका सारा मुँह चूस चूस कर गीला कर डाला था. अचानक वो बहुत ज़ोर ज़ोर से लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेती हुई बोल उठी थी,"अफ आहा बड़ा मज़ा आ रहा है अया मैं गयी सुदर्शन जी मौके की नज़ाकत को ताड़ गये और प्रतिभा की पीछे से कोली भर कर कुर्सी से उठ खड़े हुए और तेज़ तेज़ शॉट मारते हुए बोले,"लो मेरी जान और आह लो मैं भिझड़ने वाला हूँ ऑफ आ लो जान मज़ा आअ गया.और प्रतिभा की चूत से निकलते हुए रज से उनका वीर्या जा टकराया.प्रतिभा पीछे को गंद पटकती हुई दोनो हाथों से अपने कूल्हे भींचती हुई झाड़ रही थी. अच्छी तरह झाड़ कर सुदर्शन जी ने उसकी चूत से लंड निकाल कर कहा, "जल्दी से पेशाब कर पॅंटी पहन लो, स्टाफ के लोग ऐतराज़ कर रहे होंगे, ज़्यादा देर यहाँ तुम्हारा रहना ठीक नहीं है. सुदर्शन जी के कॅबिन मे बने पेशाब घर मे प्रतिभा ने मूत कर अपनी चूत रुमाल से खूब पोंची और कच्च्ची पहन कर बोली, "आपकी दराज मे मेरी लिपस्टिक और पाउडर पड़ा है,ज़रा दे दीजिए प्ल्ज़,सुदर्शन जी ने निकाल कर प्रतिभा को दिया. इस'के बाद प्रतिभा तो सामने लगे शीशे मैं अपना मेकप ठीक करने लगी, और सुदर्शन जी पेशाब घर मैं मूत'ने के लिए उठ खड़े हुए. कुच्छ देर मैं ही प्रतिभा पहले की तरह ताज़ी हो उठी थी,तथा सुदर्शन भी मूत कर लंड पॅंट के अंदर कर ज़िप बंद कर चुके थे.चुदाई इतनी सावधानी से की गयी थी कि ना प्रतिभा की स्कर्ट पर कोई धब्बा पड़ा था और ना सुदर्शन की पॅंट कहीं से खराब हुई. अलर्ट हो कर सुदर्शन जी अपनी कुर्सी पर आ बैठे और प्रतिभा फाइल उठा, दरवाजा खोल उनके कॅबिन से बाहर निकल आई. उसके चेहरे को देख कर स्टाफ का कोई भी आदमी नहीं ताड़ सका कि साली अभी अभी चुदवा कर आ रही है.बड़ी भोली भाली और स्मार्ट वो इस समय दिखाई पड़ रही थी.उधर बिरजू ने आज अपना दिन खराब कर डाला था.घर आ कर वो सीधा बाथरूम मे घुस गया और दो बार ज्वाला देवी की चूत का नाम ले कर मुट्ठी मारी.मुट्ठी मारने के बाद भी वो उस चूत की छवि अपने जेहन से उतारने मैं असमर्थ रहा था.उसे तो असली खाल वाली जवान चूत मारने की इच्च्छा ने आ घेरा था. मगर उस'के चारो तरफ कोई चूत वाली ऐसी नहीं थी जिसे चोद कर वो अपने लंड की आग बुझा सकता. शाम को जब सुदर्शन जी ऑफीस से लौट आए. तो ज्वाला देवी चेहरा फुलाए हुए थी उसे यू गुस्से मैं भरे देख कर वो बोले,"लगता है रानी जी आज कुच्छ नाराज़ है हमसे" "जाइए!मैं आपसे आज हरगिज़ नही बोलूँगी."ज्वाला देवी ने मुँह फूला कर कहा,और काम मे जुट गयी.
रात को सुदर्शन जी डबल बिस्तर पर लेते हुए थे. इस समय भी उन्हे अपनी पत्नी नहीं बल्कि प्रतिभा की चूत की याद सता रही थी.सारे काम निबटा कर ज्वाला देवी ने रंजना के कमरे मैं झाँक कर देखा और उसे गहरी नींद मैं सोए देख कर वो कुच्छ आश्वस्त हो कर सीधी पति के बराबर मे जा लेटी.एक दो बार आँखे मुन्दे पड़े पति को उसने कनखियों से झाँक कर देखा.और अपनी सारी उतार कर एक तरफ रख कर वो चुदने को मचल उठी. दिन भर की भादस वो रात भर मैं निकालने को उतावली हुई जा रही थी. कमरे मैं हल्की रौशनी नाइट लॅंप की थी.सुदर्शन जी की लूँगी की तरफ ज्वाला देवी ने आहिस्ता से हाथ बढ़ा ही दिया और कछे रहित लंड को हाथ मैं पकड़ कर सहलाने लगी.चौंक कर सुदर्शन जी उठ बैठे.यूँ पत्नी की हरकत पर झल्ला कर उन्होने कहा, "ज्वाला अभी मूड नही है,छोड़ो. इसे..""आज आपका मूड मैं ठीक करके ही रहूंगी,मेरी इच्छा का आपको ज़रा भी ख़याल नहीं है लापरवाह कहीं के." ज्वाला देवी सुदर्शन को ज़ोर से दबा कर अपने बदन को और भी आगे कर बोली थी.