मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग

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The Romantic
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मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 09:22

मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग

बात यूँ थी की हमारे मामा का घर हाज़ीपुर ज़िले में था.ज़िला सोनपुर

में हर साल ,माना हुआ मेला लगता है. हर साल की भाँति इस साल

भी मेला लगने वाला था. मामा का खत आया की दीदी और वीना बिटिया

को भेज दो. हम लोग मेला देखने जाएँगे. यह लोग भी हमारे साथ

मेला देख आएँगे. पेर पापा ने कहा कि तुम्हारी दीदी [यानी की मेरी मम्मी] का आना तो मुश्किल है पर वीना को तुम आकेर ले जाओ,उसकी मेला घूमने की

इच्छा भी है. तो फिर मामा आए और मुझे अपने साथ ले गये. दो

दिन हम मामा के घर रहे और फिर वहाँ से में यानी की वीना, मेरी

मामीजी , मामा और भाभी मीना[कज़िन'स वाइफ] आंड सेरवेंट रामू,

इत्यादि लोग मेले के लिए चल पड़े.

सनडे को हम सब मेला देखने निकल पड़े. हमारा प्रोग्राम 8 दिन का

था.. सोनपुर मेले में पहुँच कर देखा कि वहाँ रहने की जगह नही

मिल रही थी. बहुत अधिक भीड़ थी. मामा को याद आया कि उनके ही

गाओं के रहने वेल एक दोस्त ने यहाँ पर घर बना लिया है सो सोचा

की चलो उनके यहाँ चल कर देखा जाए. हम मामा के दोस्त यानी की

विश्वनथजी के यहाँ चले गये. उन्होने तुरंत हमारे रहने की

व्यवस्था अपने घर के उपर के एक कमरे में कर दी. इस समय

विश्वनथजी के अलावा घर पर कोई नही था. सब लोग गाओं में अपने

घर गये हुए थे. उन्होने अपना किचन भी खोल दिया,जिसमे खाने-

पीने के बर्तनो की सुविधा थी.

वहाँ पहुँच कर सब लोगों ने खाना बनाया और और विश्वनथजी को

भी बुला कर खिलाया. खाना खाने के बाद हम लोग आराम करने गये.

जब हम सब बैठे बातें कर रहे थे तो मैने देखा कि

विश्वनथजी की निगाहें बार-बार भाभी पर जा टिकती थी. और जब भी

भाभी की नज़र विश्वनथजी की नज़र से टकराती तो भाभी शर्मा

जाती थी और अपनी नज़रें नीची कर लेती थी. दोपहर करीब 2

बजे हम लोग मेला देखने निकले. जब हम लोग मेले में पहुँचे तो

देखा कि काफ़ी भीड़ थी और बहुत धक्का-मुक्की हो रही थी. मामा बोले

कि आपस में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलो वरना कोई इधर-उधर

हो गया तो बड़ी मुश्किल होगी. मैने भाभी का हाथ पकड़ा, मामा-मामी

और रामू साथ थे.

मेला देख रहे थे कि अचानक किसी ने पीछे से गांद में उंगली

कर दी. में एकदम बिदक पड़ी, कि उसी वक़्त सामने से क़िस्सी ने मेरी

चूची दबा दी. कुच्छ आगे बढ़ने पर कोई मेरी चूत में उंगली कर

निकल भागा. मेरा बदन सनसना रहा था. तभी कोई मेरी दोनो

चूचियाँ पकड़ कर कान में फुसफुसाया - 'हाई मेरी जान' कह कर

हू आगे बढ़ गया. हम कुच्छ आगे बड़े तो वोही आदमी फिर आक़र

मेरी थाइस में हाथ डाल मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से

दबा कर मसल दिया. मुझे लड़की होने की गुदगुदी का अहसास होने

लगा था. भीड़ मे वो मेरे पीछे-पीछे साथ-साथ चल

रहा था,और कभी-कभी मेरी गांद में उंगली घुसाने की कोशिश कर

रहा था, और मेरे छूतदों को तो उसने जैसे बाप का माल समझ कर

दबोच रखा था. अबकी धक्का-मुक्की में भाभी का हाथ छ्छूट गया

और भाभी आगे और में पीछे रह गयी. भीड़ काफ़ी थी और में

भाभी की तरफ गौर करके देखने लगी. वो पीछे वाला आदमी

भाभी की टाँगों में हाथ डाल कर भाभी की चूत सहला रहा था.

भाभी मज़े से चूत सहल्वाति आगे बढ़ रही थी. भीड़ में किसे

फ़ुर्सत थी कि नीचे देखे कि कौन क्या कर रहा है. मुझे लगा कि

भाभी भी मस्ती में आ रही है. क्योकि वो अपने पीछे वाले आदमी

से कुच्छ भी नही कह रही थी. जब में उनके बराबर में आई और

उनका हाथ पकड़ कर चलने लगी तो उनके मुह्न से हाई की सी आवाज़ निकल

कर मेरे कनों में गूँजी. में कोई बच्ची तो थी नही, सब

समझ रही थी. मेरा तन भी छेड़-छाड़ पाने से गुदगुदा रहा था.

तभी किसी ने मेरी गांद में उंगली कर दी. ज़रा कुच्छ आगे बढ़े तो

मेरी दोनो बगलों में हाथ डाल कर मेरी चूचियों को कस कर पकड़

कर अपनी तरफ खींच लिया. इस तरह मेरी चूचियों को पकड़ कर

खींचा कि देखने वाला समझे कि मुझे भीड़-भाड़ से बचाया है.

शाम का वक़्त हो रहा था और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. इतनी

देर में वो पीछे से एक रेला सा आया जिसमे मामा मामी और रामू

पीछे रह गये और हम लोग आगे बढ़ते चले गये. कुच्छ देर बाद

जब पीछे मूड कर देखा तो मामा मामी और रामू का कहीं पता ही

नही था. अब हम लोग घबरा गये कि मामा मामी कहाँ गये. हम लोग

उन्हे ढूँढ रहे थे कि वो लोग कहाँ रह गये और आपस में बात

कर रहे थे कि तभी दो आदमी जो काफ़ी देर से हमे घूर रहे थे और

हमारी बातें सुन रहे थे वो हमारे पास आए और बोले तुम दोनो

यहाँ खड़ी हो और तुम्हारे सास ससुर तुम्हें वहाँ खोज रहे हैं.

भाभी ने पूचछा , कहाँ है वो? तो उन्होने कहा कि चलो हमारे

साथ हम तुम्हे उनसे मिलवा देते है. {भाभी का थोड़ा घूँघट था.

उसी घूँघट के अंदाज़े पर उन्होने कहा था जो क़ि सच बैठा} हम

उन दोनो के आगे चलने लगे. साथ चलते-चलते उन्होने भी हमे छ्चोड़ा नही बल्कि भीड़ होने का फायेदा उठा कर कभी कोई मेरी गांद पेर हाथ फिरा देता तो कभी दूसरा भाभी की कमर सहलाते हुए हाथ ऊपेर तक ले जकेर उसकी चूचिओ को छू लेता था. एक दो बार जब उस दूसरे वाले आदमी ने भाभी की चूचियों को ज़ोर से भींच दिया तो ना चाहते हुए भी भाभी के मुँह से आह सी निकल गयी और फिर तुरंत ही संभलकेर मेरी तरफ देखते हुए बोली कि इस मेले में तौ जान की आफ़त हो गयी है , भीड़ इतनी ज़्यादह हो गयी है कि चलना भी मुश्किल हो गया है.

मुझे सब समझ में आ रहा था कि साली को मज़ा तो बहुत आरहा है पर मुझे दिखाने के लिए सती सावित्री बन रही है. पर अपने को क्या गम, में भी तो मज़े ले ही रही थी और यह बात शायद भाभी ने भी नोटीस कर ली थी तभी तो वो ज़रा ज़्यादा बेफिकर हो कर मज़े लूट रही थी. वो कहते है ना कि हमाम में सभी नंगे होते हैं. मैने भी नाटक से एक बड़ी ही बेबसी भरी मुस्कान भाभी तरफ उच्छाल दी.इस तरह हम कब मेला छ्चोड़ कर आगे निकल गये पता ही नही चला.

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Re: मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 09:23

काफ़ी आगे जाने के बाद भाभी

बोली ' वीना हम कहाँ आ गये, मेला तो काफ़ी पीछे रह गया. यह

सुनसान सी जगह आती जा रही है, तुम्हारे मामा मामी कहाँ है?'

तभी वो आदमी बोला कि वो लोग हमारे घर है, तुम्हारा नाम वीना

है ना, और वो तुम्हारे मामा मामी है, वो हमे कह रहे थे कि

वीना और वो कहाँ रह गये. हमने कहा कि तुम लोग घर पर बैठो

हम उन्हें ढूँढ कर लाते हैं. तुम हमको नही जानती हो पर हम

तुम्हे जानते हैं. यह बात करते हुए हम लोग और आगे बढ़ गये थे.

वहाँ पर एक कार खड़ी थी. वो लोग बोले कि चलो इसमे बैठ जाओ,

हम तुम्हे तुम्हारे मामा मामी के पास ले चलते हैं. हमने देखा कि

कार में दो आदमी और भी बैठे हुए थे[ और मुझे बाद में यह

बात याद आई कि वो दोनो आदमी वही थे जो भीड़ मे मेरी और

भाभी की गंद में उंगली कर रहे थे और हमारी चूचियाँ दबा

रहे थे}. जब हमने जाने से इनकार किया तो उन्होने कहा की घबराओ

नही देखो हम तुम्हे तुम्हारे मामा-मामी के पास ही ले चल रहे है और

देखो उन्होने ने ही हमे सब कुच्छ बता कर तुम्हारी खबर लेने के

लिए हमे भेजा है अब घबराओ मत और कार में बैठ जाओ तो जल्दी

से तुम्हारे मामा- मामी से तुम्हें मिला दे. कोई चारा ना देख हम लोग

गाड़ी में बैठ गये. उन लोगों ने गाड़ी में भाभी को आगे की सीट

पर दो आदमियों के बीच बैठाया और मुझे भी पीछे की सीट पर

बीच में बिठा कर वो दोनों मुशटंडे मेरी अगल-बगल में बैठ

गये. कार थोड़ी दूर चली कि उनमे से एक आदमी का हाथ मेरी चूची

को पकड़ कर दबाने लगा, और दूसरा मेरी चूची को ब्लाउस के ऊपेर

से ही चूमने लगा. मैने उन्हे हटाने की कोशिश करते हुए कहा ' हटो

यह क्या बदतमीज़ी है.' तो एक ने कहा 'यह बदतमीज़ी नही है मेरी

जान, तुम्हे तुम्हारे मामा से मिलाने ले जा रहे हैं तो पहले हमारे

मामाओ से मिलो फिर अपने मामा से. जब मैने आगे की तरफ देखा तो

पाया कि भाभी की ब्लाउस और ब्रा खुली है और एक आदमी भाभी की

दोनो चूचियाँ पकड़े है और दूसरा भाभी दोनो टाँगे फैला कर

सारी और पेटिकोट कमर तक उठा कर उनकी चूत में उंगली डाल कर

अंदर बहेर कर रहा है भाभी इन दोनो की पकड़ से निकलने की कोशिश

कर रही है पर निकल नही पा रही है. उनके लीडर ने कहा कि '

देखो मेरी जान, हम तुम्हे चोदने के लिए लाए हैं और चोदे बिना

छ्चोड़ेंगे नही,तुम दोनो राज़ी से चुदओगि तो तुम्हे भी मज़ा आएगा

और हमे भी, फिर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. अगर तुम

नखरा करोगी तो तुम्हे ज़बरदस्ती चोद के जान से मार कर कहीं डाल

देंगे. और मेरी भाभी से कहा कि' तुम तो चुदाई का मज़ा लेती ही

रही हो, इतना मज़ा किसी और चीज़ में नही है, इसलिए चुपचाप खुद

भी मज़ा करो और हमे भी करने दो.

इतना सुन कर और जान के भय से भाभी और मैं दोनो ही शांत पड़

गये. भाभी को शांत होते देख कर वो जो भाभी की टांग पकड़े

बैठा था वो भाभी की चूत चाटने लगा, और दूसरा कस-कस कर

भाभी की चूचियाँ मसल रहा था. भाभी सी-सी करने लगी.

भाभी को शांत होते देख मैं भी शांत हो गयी और चुपचाप उन्हे

मज़ा देने लग गयी[?] मेरी भी चूत और चूची दोनो पर ही एक साथ

आक्रमण हो रहा था. मैं भी सीस्या रही थी.तभी मुझे जोरों का

दर्द हुआ और मैने कहा ' हाई ये तुम क्या कर रहे हो?'

क्यों मज़ा नही आ रहा है क्या मेरी जान? ऐसा कहते हुए उसने मेरी

चूचियों की घूंड़ी[निपल} को छ्चोड़ मेरी पूरी चूची को भोंपु

की तरह दबाने लग गया. मैं एकदम से गन्गना कर हाथ पावं सिकोड

ली. दूसरा वाला अब मेरे नितंबो[बट्स} को सहलाते हुए मेरी गंद के

छेद पर उंगली फिरा रहा था.

'चीज़े तो बड़ी उम्दा है यार', टाँग पकड़ कर मौज करने वाले ने

कहा .

'एकदम प्योर् देहाती माल है' दूसरे ने कहा

मैं थोडा हिली तो दूसरा वाला मेरी चूचियों को कस कर दबाते हुए

मेरे मूह से हाथ हटा कर ज़बरदस्ती मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख

कर ज़ोर से चुंबन लिया कि मैं कसमसा उठी. फिर मेरे गालों को

मूह में भर कर इतनी ज़ोर से दन्तो से काटा कि मैं बूरी तरह से

छॅट्पाटा उठी. ऐसा लग रहा थी कि मेरी मस्त जवानी पा कर दोनो

बूरी तरहा से पागला गये थे. मैं बूरी तरह छॅट्पाटा रही थी

तभी दूसरे ने मेरी चूत में उंगली करते हुए कहा कि ' बड़ी

जालिम जवानी है, खूब मज़ा आएगा. कहो मेरी बुलबुल क्या नाम है

तुम्हारा?

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Re: मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 09:24

तभी दूसरे वाले ने कहा अर्रे बूढू इसका नाम वीना है. उन दोनो

में से एक मेरे नितंबों में उंगली करे बैठा था, और दूसरा मेरी

चूचियों और गालों का सत्यानाश कर रहा था और मैं डरी-सहमी

से हिरनी की भाँति उन दोनो की हरकतों को सहन कर रही थी. वैसे

झूठ नही बोलूँगी क्योंकि मज़ा तो मुझे भी आ रहा था पर उस वक़्त

डर भी ज़्यादा लग रहा था. मैं दोहरे दबाव में अधमरी थी. एक

तरफ़ शरारत की सनसनी और दूसरी तरफ इनके चंगुल में फँसने

का भय-.वो मस्त आँखो से मेरे चेहरे को निहार रहे थे और एक साथ

मेरी दोनो गदराई चूचियों को दबाते कहा चुपचाप हम लोगों को

मज़ा नही डोगी तो हम तुम दोनो को जान से मार देंगे.तेरी जवानी तो

मस्त है. बोल अपनी मर्ज़ी से मज़ा देगी कि नही?

कुच्छ भी हो मैं सयानी तो थी ही, उनकी इन रंगीन हरकतों का असर

तो मुझ पर भी हो रहा था.फिर मैने भाभी की तरफ देखा, . आगे

वाले दोनो आदमियों में से एक मेरी भाभी के गाल पर चूमी- बॅट्क

भर रहा था और जो ड्राइवर था वो उनकी चूत में उंगली कर रहा

था. उन दोनो ने मेरी भाभी की एक एक थाइ अपनी थाइस के नीचे दबा

रखी थी और साडी और पेटिकोट कमर तक उठाया हुआ था. और

भाभी दोनो हाथों में एक-एक लंड पकड़ के सहला रही थी. उन दोनो

के खड़े मोटे-मोटे लंडो को देख कर मैं डर गयी कि अब क्या होगा.

तभी उनमे से एक ने भाभी से पूचछा' कहो रानी मज़ा आ रहा है ना?

और मैने देखा कि भाभी मज़ा करते हुए नखरे के साथ बोली 'उन्ह हाँ'

तब उसने कहा ' पहले तो नखरा कर रही थी, पर अब तो मज़ा आ

रहा है ना, जैसा हम कहेंगे वैसा करोगी तौकसम भगवान की

पूरा मज़ा लेकर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. तुम्हारे घर किसी

को पता भी नही लगेगा कि तुम कहाँ से आ रही हो. और नखरा

करोगी तो वक़्त भी खराब होगा और तुम्हारी हालत भी और घर भी

नही पहून्च पाओगि. जो मज़ा राज़ी-खुशी में है वो ज़बरदस्ती

में नही.

भाभी - ठीक है हुमको जल्दी से कर के हमे घर भिजवा दो.

भाभी की ऐसी बात सुन कर मैं भी ढीली पड़ गयी. मैने भी कहा

कि हमे जल्दी से करो और छ्चोड़ दो.

इतने में ही कार एक सुनसान जगह पर पहुँच गयी और उन लोगों ने

हमे कार से उतारा और कार से एक बड़ा सा ब्लंकेट निकाल कर थोड़ी

समतल सी जगह पर बिच्छाया और मुझे और भाभी को उस पर लिटा

दिया. अब एक आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरी ब्लाउस और

फिर ब्रा और फिर बाकी के सभी कपड़े उतार कर मुझे पूरी तरह से

नंगा किया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैं गनगना गयी

क्योंकि जीवन में पहली बार किसी पुरुष का हाथ मेरी चूचियों पर

लगा था. मैं सीस्या रही थी. मेरी चूत में कीड़े चलने लगे थे.

मेरे साथ वाला आदमी भी जोश में भर गया था, और पागलों के समान

मेरे शरीर को चूम चाट रहा था.मेरी चूत भी मस्ती में भर

रही थी. वो काफ़ी देर तक मेरी चूत को निहार रहा था.. मेरी चूत

के ऊपेर भूरी-भूरी झांटेन उग आई थी. उसने मेरी पाव-रोटी जैसी

फूली हुई चूत पर हाथ फेरा तो मस्ती में भर उठा और झूक कर

मेरी चूत को चूमने लगा, और चूमते-चूमते मेरी चूत के टीट

{क्लाइटॉरिस} को चाटने लगा.अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था और

मैं ज़ोर से चीत्कार रही थी. मुझे ऐसी मस्ती आ रही थी कि मैं

कभी कल्पना भी नही की थी.

वो जितना ही अपनी जीभ{टंग} मेरी कुँवारी चूत पर चला रहा

था उतना ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चूत

में जीभ घुसेड कर वो उसे चक्कर घिन्नी की मानिंद घुमा रहा था,

और मैं भी अपने चूतड़ ऊपेर उचकाने लगी थी. मुझे बहुत मज़ा आ

रहा था. इस आनंद की मैने कभी सपने मैं भी नही कल्पना की

थी. एक अजीब तरह की गुदगुदी हो रही थी

फिर वो कपड़े खोल कर नंगा हो गया. उसका लंड भी खूब लंबा और

मोटा था लंड एकद्ूम टाइट होकेर साँप की भाँति फुंफ़कार रहा था.और

मरी चूत उसका लंड खाने को बेकरार हो उठी. फिर उसने मेरे छूतदों

को थोडा सा उठा कर अपने लंड को मेरी बिलबिलती चूत में कुच्छ इस

तरह से चांपा की मैं तड़प उठी, चीख उठी और चिल्ला

उठी 'हॅयियी मेरी चूत फटी, हाईईईईईई मैं मारीईई अहहााआ

हाए बहुत दर्द हो रहा है जालिम कुच्छ तो मेरी चूत का ख्याल

करो. अर्रे निकालो अपने इस जालिम लंड को मेरी चूत में से

हाऐईईइन मैं तो मरी आज' और मैं दर्द के मारे हाथ-पेर पटक

रही थी पर उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं उसकी पकड़ से छ्छूट

ना सकी. मेरी कुँवारी चूत को ककड़ी की तरह से चीरता हुआ उसका

लंड नश्तर की तरह चुभता गया. आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत

में घुस गया था. मैं पीड़ा से कराह रही थी तभी उसने इतनी ज़ोर

से ठप मारा कि मेरी चूत का दरवाज़ा ध्वस्त होकेर गिर गया और उसका

पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. मैं दर्द से बिलबिला रही थी

और चूत से खून निकल कर बह कर मेरी गांद तक पहुँच गया.

वो मेरे नंगे बदन पर लेट गया और मेरी एक चूची को मुँह मैं

लेकर चूसने लगा. मैं अपने छूतदो को ऊपेर उच्छलने लगी, तभी

वो मेरी चूचियों को छ्चोड़ दोनो हाथ ज़मीन पेर टेक कर लंड को

चूत से टोपा तक खींच कर इतनी ज़ोर से ठप मारा कि पूरा लंड जड़

तक हमारी चूत में समा गया और मेरा कलेज़ा थरथरा उठा.यह

प्रोसेस वो तब तक चलाता रहा जब तक मेरी चूत का स्प्रिंग ढीला

नही पड़ गया. मुझे बाहों में भर कर वो ज़ोर-ज़ोर से ठप लगा

रहा था. में दर्द के मारे ओफफ्फ़ उफफफफफफ्फ़ कर रही थी. कुच्छ देर

बाद मुझे भी जवानी का मज़ा आने लगा और मैं भी अपने चूतड़

उच्छाल-उच्छाल कर गपगाप लंड अंदर करवाने लगी. और कह रही

थी 'और ज़ोर से रज़्ज़ा और ज़ोर से पूरा पेलो , और डालो अपना लंड'

वो आदमी मेरी चूत पर घमसान धक्के मारे जा रहा था. वो जब

उठ कर मेरी चूत से अपना लंड बाहर खींचता था तो मैं अपने

चूतड़ उचका कर उसके लंड को पूरी तारह से अपनी चूत मैं लेने की

कोशिश करती.और जब उसका लंड मेरी बछेदानि से टकराता तो मुझे

लगता मानो मैं स्वर्ग मैं उड़ रही हूँ. अब वो आदमी ज़मीन से दोनो

हाथ उठा कर मेरी दोनो चूचियों को पकड़ कर हमे घापघाप पेल

रहा था. यह मेरे बर्दाश्त के बाहर था और मैं खुद ही अपना मुह्न

उठा कर उसके मुह्न के करीब किया कि उसने मेरे मुह्न से अपना मुह्न

भिड़ा कर अपनी जीभ मेरे मुह्न में डाल कर अंदर बाहर करने

लगा.इधेर जीभ अंदर बहेर हो रही और नीचे चूत मे लंड अंदर

बहेर हो रहा था . इस दोहरे मज़े के कारण में तुरंत ही स्खलित हो

गयी और लगभग उसी समय उसके लंड ने इतनी फोर्स से वीर्यापत किया

की मे उसकी छाती चिपक उठी. उसने भी पूर्ण ताक़त के साथ मुझे

अपनी छाति से चिपका लिया.

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