स्वामी जी का कमाल

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The Romantic
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स्वामी जी का कमाल

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 22:09

स्वामी जी का कमाल

सुभद्रा ( सुबू ) एक 25 साल की बहुत ही सुंदर गड्राई (साइट्ली फाटटीश

)शरीर की औरत है****का पति रामजी देल्ही में होल्सेल का काम करता है.सुबू

पढ़ी लिखी औरत है . लेकिन उसकी आँखों में एक उदासी सी भरी रहती है. एक

ऐसी उदासी जो अधूरी काम वासना की निशानी है. लगता है रामजी उसकी प्यास

नही बुझा पाता.घर में सुबू की छोटी बेहन भी रहती है . उसका रिश्ता रामजी

के छोटे भाई ( मनोज )से पक्का हो चुका है. रश्मि ( सुबू की छोटी बेहन )

कॉलेज में पढ़ती है.सुबू की देवरानी (रीता)भी इसी घर में रहती है मगर आज

कल ग्वालियर में हॉस्टिल में रह कर पढ़ रही है. रामजी के मा बाप गाँव में

रहते हैं.ये तो है परिवार का इंट्रोडक्षन. सुबू की उदासी का कोई अंत नज़र

नहीं आता . चुदाई का मन करता है मगर क्या करे. दिल तो उसका चाहता है की

कहीं से कोई मर्द आए और उसकी प्यास बुझा दे. लगता है सुबू की प्रार्थना

पूरी होने को है. उसकी चूत की प्यास बुझने वाली है. एक दिन एक स्वामी जी-

लगभग 35 साल के गेरूए कपड़े पहने, छोटे छोटे बॉल और छोटी दाढ़ी , गोरा

देहकता रंग, 6 फुट का हॅटा कॅटा जिस्म- सुबू के घर आए, और भिक्षा माँगने

लगे. सुबू बाहर आई और स्वामी जी को प्रणाम कर के जैसे ही नज़र उपर उठाई,

की हैरान रह गयी. स्वामी जी की पर्सनॅलिटी नें उसे मस्त कर दिया. बरबस ही

सोचने लगी – इतना सुंदर शरीर !! ना जाने लंड कैसा होगा. मन ही मन में

उनके लंड की कल्पना करने लगी. उसे अपनी चूत स्वामी जी के लंड से भरी हुई

लगी. बरबस ही उसकी नज़र स्वामी जी के लंड की तरफ उठ गयी. स्वामी जी भाँप

गये की सुंदरी लंड की प्यासी है और इसका मर्द इसे सॅटिस्फाइ नही कर पाता.

वो बोले: स्वामी जी–` देवी कैसी हो, सब कुशल तो है ?` सुबू– `हां स्वामी

जी ठीक ही है.` स्वामी जी — `नहीं देवी ठीक नही, मुझे बताओ, में तुम्हारी

समस्या दूर करने की कोशिश करूँगा.` सुबू –` नहीं स्वामी जी कुछ नही.`

कहने को तो सुबू ने कह दिया मगर मन में सोच रही थी के काश कुछ ऐसा हो जाए

की स्वामी जी आज उसकी चोद चोद कर मन की मुराद पूरी कर दें. स्वामी जी भी

समझ गये की ये औरत लंड की प्यासी है मगर दिल की इच्छा बताने में शर्मा

रही है . सोचने लगे उन्हें ही पहल करनी पड़ेगी. बोले ` देवी घर में कोई

नही ? सेठ जी दिखाई नही दे रहे.` सुबू — `स्वामी जी वो तो दुकान पर गये

हैं रात को ही आएगे. उनहें अपने काम से समय नही मिलता.` स्वामी जी —

`अच्छा ये बात है, ये तो ग़लत है, ` शरारत से बोले,` घर में इतनी सुंदर

पत्नी और उनके पास घर के लिए समय नही ? तुम कहो तो में कोई साधन करूँ की

सेठ जी तुम्हारे आगे पीछे घूमने लगें.` सुबू –` उससे क्या होगा स्वामी

जी` यह कहते हुए सुबू नें आँखे दूसरी तरफ कर ली. स्वामी जी समझ गये की

माजरा सिर्फ़ चुदाई का ही नही है बलके लंड का भी है. सेठ का लंड भी इसकी

चूत में समाता नही है. अब स्वामी जी मूड मे आ गये. बोले: ` देवी अशांत

दिखती हो कहो तो तुम्हारी शान्ती के लिए प्रयास करूँ ? क्या अंदर नही

बुलाओगी ? ` अब सुबू को महसूस हुआ कि लंड के ध्यान में वो अभी तक दरवाज़े

पर ही खड़े हैं.बोली `हां हां स्वामी जी आईए ` अंदर आ कर स्वामी जी ने

इधर उधर नज़र घुमाई और पूछा ` घर में कोई नही है ………स्वामी जी ने इधर उधर

देखा और पूछा ` घर में कोई नहीं है क्या?` सुबू नें कहा, ` काम वालियाँ

सुबह शाम आती हैं और मेरी बेहन जो कॉलेज में पढ़ती है कॉलेज के बाद अपनी

फ्रेंड के साथ चली जाती है. वहाँ से होम वर्क कर के 6 6.30 बजे आती है.`

स्वामी जी समझ गये की मामला सॉफ है और चुदाई हो सकती है.बोले ,` तो फिर

हम तुम्हारी समस्या के समाधान के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं.` सुबू –`

जैसा आप ठीक जाने` स्वामी जी –`तो ठीक है, में तुम्हें बता दूँ की में

तुम्हें सम्मोहित करूँगा और तुम्हारी समस्या का हल ढूँढने की कोशिश

करूँगा. सम्मोहित का अर्थ जानती हो ना? तुम्हे पूरा समर्पण करना होगा, और

में तुमसे कुछ पूछूँगा और तुम्हें उसके सच्चे जवाब देने होंगे` सुबू —

`ठीक है स्वामी जी, अगर इस से मेरी समस्या का हल होता है तो मुझे कोई

ऐतराज़ नही है` स्वामी जी — `तो चलो शुरू करते है` ये कहा कर स्वामी जी

ने सुबू को आँखे बंद करने को कहा और कुछ बुदबुदाने लगे`.अचानक वो बोले,`

देवी तुम्हारी समस्या मेरी समझ में आ गयी है. तुम अब आँखें बंद कर लो.

सोचो की तुम शून्य ( ज़ीरो) हो तुम्हारा जो भी अस्तित्वा है वो मुझ से

है. तुम मुझ में हो. हम दोनो एक हैं. क्या तुम मुझे सुन रही ही ?` सुबू `

हां स्वामी जी` स्वामी जी –` क्या तुम समझ रही हो में क्या कह रहा हूँ.`

सुबू — `हां स्वामी जी ` स्वामी जी –` ठीक है, अब अपना ध्यान अपनी समस्या

पर लगाओ.` इतना सुनते ही सुबू के सामने स्वामी जी का शरीर और लंड घूम

गया.` स्वामी जी –`क्या तुम अपनी समस्या को समझ सकती हो?` सबु — `हां

स्वामी जी.` स्वामी जी –` क्या ये तुम्हारे पति से संबंधित है?` –`हां

स्वामी जी` –`क्या ये सेक्स से संबधित है?` –………. ….. –`बोलो देवी` (देवी

मीन'स विमन) –………. ….. –`बोलो देवी` –………. ….. –`अगर तुम बोलॉगी नहीं तो

समस्या का हल नहीं होगा` –………. …. –`बोलो देवी बोलो.` – `हां स्वामी जी.`

–`क्या सेक्स नहीं करते` –………. …. –अब स्वामी जी ने ट्रंप कार्ड खेलने का

फ़ैसला कर लिया-`क्या चुदाई नहीं करते?` –………. … –`बोलो देवी क्या वो

तुम्हें चोद्ते नहीं?` –`हूंम्म्ममम. ….` –` यानी चोद्ते तो हैं`

–हूंम्म्मममम. …` –` –`सॅटिस्फाइ नहीं कर सकते?` –`हूंम्म्ममम. ..`

स्वामी जी समझ गये की लोहार की चोट करने का वक़्त आ गया है. बोले ` ठीक

है देवी. स्वामीजी समझ गये की मामला फिट करने का वक़्त आ गया है. वो

बोले,`देवी चुदवाने की इच्छा रखती हो?` सुबू –`ह्म्‍म्म्मम..` स्वामी जी

–`ठीक है अपना हाथ बढ़ाओ.`सम्मोहित सुबू नें अपने हाथ बढ़ा दिए. स्वामी

जी नें अपने हाथ मे उसके हाथ पकड़े और मसल्ने लगे.सुबू मस्ती में आने

लगी. उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चलने लगीसुबूने स्वामी जी का हाथ पकड़

लिया.थोड़ी देर के बाद स्वामी जी समझ गये की औरत मस्ती में है. उन्होंने

सुबू के हाथ में अपना फफनता लंड पकड़ा दिया. सुबू ने स्वामी का 8″ का 3″

गोलाई का लंड हाथ में कस लिया जैसे कहीं भाग ना जाए.सुबू की साँसे ज़ोर

ज़ोर से चलने लगी. स्वामी जी सुबू हाथ पकड़ कर खड़े हो गये, और पूछा, "

क्यों देवी अच्छा लग रहा है?` सुबू केवल हुंकार भर कर रह गयी. स्वामी जी

बोले,` देवी अंदर लोगि ?` सुबू –`जैसा आप ठीक समझे." स्वामी जी समझ गये

की अब लंड चूत में डाल देना चाहिए. स्वामी जी नें सुबू को बेड पर लिटा

दिया, और उसकी सारी उतार दी. सुबू की चूत बिल्कुल नवेली लग रही थी. चूत

के पल्लों को देख कर ऐसा लगता था की कभी चुदाई हुई ही नहीं. धीरे धीरे

स्वामीजी ने सुबू का ब्लाउस और ब्रा भी निकाल दी. सुबू आँखें बंद कर के

केवल कसमसाती रही. अब वो इंतज़ार में थी की कब स्वामी जी का बेलन उसकी

चूत में जाता है. वो डर भी रही थी की कहीं चूत का कचरा ही ना हो जाए.

स्वामी जी ने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए. सुबू भी पूरा साथ दे रही

थी.स्वामी जी सुबू की चूचियाँ दबाने लगे. कुछ ही देर में स्वामीजी नें

सुबू की चूचियाँ चूसनी शुरू कर दी. सुबू की चूत पानी छोड़ने लगी. स्वामी

जी ने एक हाथ से चूत को सहलाना शुरू कर दिया. सुबू की बुरी हालत थी. अब

रहा नहीं जा रहा था. उसने सोचा अब सम्मोहन की आक्टिंग बंद कर देनी चाहिए

और खुल कर चुदाई का मज़ा लेना चाहिए. सुबू नें आँखें खोली और स्वामी जी

से कहा,` अब डाल भी दीजिए ना` स्वामी जी नें सर उठाया और मुस्कुराए. वो

भी तो आक्टिंग ही कर रहे थे. `हां देवी…….. ..`

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Re: स्वामी जी का कमाल

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 22:15

सुबू बीच में ही रोक कर

बोली,` अब बस भी करिए स्वामी जी, मुझे सुबू बुलाए , पर में आप का लंड एक

बार फिर चूसना चाहती हूँ. ` स्वामी जी –` हां लो`. कह कर स्वामी जी ने

लंड उसके मुँह में डाल दिया. सुबू ऐसे लग रह था की सुबू पूरा लंड खा लेना

चाहती थी. स्वामी जी नें भे ऐसी चुसाइ नहीं करवाई थी. सुबू अपनी जीभ लंड

के सूर्ख पर रगड़ रही थी जिस-से स्वामी जी पागल हो रहे थे . स्वामी जी का

लंड अब 9″ का हो चला था स्वामी जी कोलगा अगर अब चूत में ना डाला गया तो

फॅट जाएगा. उन्हों-ने धीरे से लंड सुबू के मुँह में से निकाला और उसे

लिटा दिया. उसकी गांद के नीचे फ्सी तकिया रख दिया.सोबू की चूत एक तकिये

से ही उपर आ गयी. सुबू की चूत उपरी चूत थी.दूसरी तरहा की चूत नीचे की चूत

होती है . ऐसी चूत के नीचे बड़े तकिये रखने पड़ते हैं. नीचे की चूत को

पीछे से चोदने का ज़्यादा मज़ा आता है. खैर स्वामी जी नें सुबू की टाँगें

उठाई और लंड चूत के उपर रखा. सुबू मस्त हो चुकी थी ,बोली` स्वामी जी इतना

मोटा लंड है , मेरी चूत फॅट तो नहीं जाएगी?` ऐसा लग रहा था जैसे उसकी

आवाज़ बड़ी दूर से आ रही है. स्वामी जी बोले,` चिंता ना करो रानी, अगर

हमारे चोदने से चूत फॅट गयी तो बात ही क्या . चूत फटी है अनाड़ी के चोदने

से जो सबर से नहीं चोद्ते.` सुबू — `तो फिर डाल दो ना, अब और नहीं रहा

जाता . ना जाने कितनी बार ऐसे लंड का सपना देखा है, आज सामने मेरी चूत

में जाने के लिए तैयार है. अब डाल ही दो स्वामी.` यह सुन कर स्वामी जी

नें धीरे से एक धक्का लगाया और लंड का टोपा चूत में घुसेड दिया. सुबू की

चूत स्वामी जी की उम्मीद से ज़्यादा मस्त और टाइट थी. स्वामी जी भी लंबी

लंबी साँसें लेने लगे. थोड़ा और लंड अंदर डाल दिया . अब सुबू को दर्द

हुआ-"आईए, मर गयी रे….स्वामी जी धीरे चोदो दर्द हो रहा है.` मगर स्वामी

जी जानते थे की ये दरद अब मज़े में बदलने वाला है. उन्हों-ने थोड़ा लंड

और डाल दिया.. ` आआआ…… …मर गयी रे स्वामी जी मर जाऊंगी.` स्वामी जी नें

एक धक्का और लगाया और पूरा लंड चूत के अंदर कर दिया सुबू पूरे ज़ोर से

चिल्लाई, ` स्वाअमीइजीई बस मर जाऊंगी , फाड़ डी मेरी, बस करो स्वामीजी.`…

……… स्वामी जी सुबू के चीखने से समझ गये कि, चूत सच में ही कुँवारी है.

उन्हों-ने धक्के लगाने बंद कर दिए और सुबू की ओर देखने लगे. स्वामी जी

लंबी रेस के घोड़े थे, एक ही बार चुदाई कर के माल को हाथ से खोना नहीं

चाहते थे . सुबू दरद से उभर्चूकी थी. मज़ा लेने का मन होने लगा था.

स्वामी जी के धक्के रुकने पर आँखें खोल कर स्वामीजी की तरफ देखा, और

प्यासी आवाज़ में कहा, ` स्वामी जी चोदो ना, धीरे धीरे, बड़ा अच्छा लगता

है, आपका लंड तो मुझे आपकी गुलाम बना देगा. स्वामी जी प्लीज़ चोदो मुझे ,

अब नहीं चीखूँगी. फाड़ दो मेरी चूत, पर चुदाई करो, हाए स्वामी जी आप मुझे

पहले क्यों नहीं मिले, रामजी तो ख़ास्सी है . आप का लंड तो मस्त है चोदो

स्वामी जी चोदो. हमेशा चोद्ते रहना . धक्के लगाओ स्वामी जी , है आप का

लंड है कितना बड़ा है , कितना मोटा है , ऐसा लग रहा है मेरी पूरी चूत आप

के लंड से भर गयी है, आप पहले क्यूँ नहीं आए, स्वामी जी किस बात की

इंतेज़ार कर रहे हो, चोदो, मुझे स्वामी जी प्लीज़…… …` और सुबू बड़बड़ाती

जा रही थी. स्वामी जी खेले खाए थे . जानते थे की ये औरत प्यासी है लेकिन

चूत कुँवारी है. मोटा लंबा लंड नही झेल पाएगी इस लिए धीरे धीरे कर रहे

थे. वो जानते थे की जैसे ही लंड चूत में सेट हो जाएगा, सब कुछ ठीक हो

जाएगा. और वो वक़्त आने वाला था. सुबू लंड ले चुकी थी . उसका दरद कम हो

गया था . अब उसे धक्के चाहिए थे, मस्त और लंबे धक्के. स्वामी जी ने धीरे

धीरे आगे पीछे करना शुरू किए . हर धक्के के साथ सुबू मस्त हो रहे थे.`

हाई स्वामी जी….., क्या ये है चुदाई…., रामजी तो साला नमर्द है……है. ..

और ज़ोर से स्वामीजी …. और थोड़ा …मज़ा आ रहा है…….ऊऊहह. ..क्याआ. ..बात

है ……स्वामीजी आप महान हो….कसम से…..आप महानहो…. ..आह…आह बड़ा अच्छा लग

रहा है. हां हां और अंदर…. आह आह…….स्वामी …स्वामी आह….. खुद भी घुस जाओ

मेरी फुदी में …..आह फाड़ दो स्वामी …ओह स्वामी….ओह और ज़ोर से ….कसम से

…मुझे छोड़ना मत…. आह में तुम्हारी गुलामी करूँगी आह स्वामी

स्वामी….स्वामी आह आह….` स्वामी जी समझ गये की सुबू झड़ने को है.

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Re: स्वामी जी का कमाल

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 22:16

उन्हों-ने धक्के तेज़ कर दिए, बिल्कुल ऐसे जैसा कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर

100 की स्पीड से धक्के लगाता है. स्वामी जी अपनी पूरी मर्दानगी सुबू के

अंडर उडेल देना चाहते थे. उनके धक्कों की रफ़्तार बढ़ती गयी और सुबू के

सिसकारियाँ बढ़ती गयी.`आआह्ह. … मारो मेरी चूत तुम साले स्वामी कहाँ थे….

तुम अब तक….कहाँ थे…. आह….ऊऊहह. … चोदो… फाड़ डालो.. हाआन्न… ईईईई… …

आआआ.आ अगया गयी में हाए स्वामी ये क्या हो रहा है……आह. …आह

स्वायायायामियीयियैयियीयियी. …..स्वायायीययाया मी……एयाया. .

..हबाअस्सस्स. आअहह…. ` चीखने के साथ सुबू ने अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से

उपर नीचे करने शुरू कर दिए मानो स्वामीजी का रत्ती भर भी लंड बाहर ना

छोड़ना चाहती हो. स्वामी जी को भी मज़ा आ गया . उन्हों-ने धक्कों की

रफ़्तार तेज़ कर दी. अब वो भी बुदबुदाने लगे,` हाई मेरी जान तेरी चूत तो

स्वर्ग का मज़ा दे रही है . साली बड़ा मस्त चुदवाति है तुझे अब कभी नही

छोड़ूँगा. हर हफ्ते तेरी चूत को चोदने आऊंगा.` दोनो ही बोल रहे थे . दोनो

मस्ती में थे , और अचानक लावा फट गया. स्वामीजी के गले से आवाज़ निकली….

आआआहह. …एयाया. …गया… तेरी चूऊऊत में रे एयाया…. गया.` उधर सुबू चिल्ला

रही थी,` आअहह… मर गयी में स्वामी साले मादर्चोद अब तक कहाँ था भोसड़ी

वाले. में तुझ से चुदने के लिए ही तो थी…..आह. ….आह आहह आआआआआ.. …बस

बस….स्वामी बस….बस स्वामी आआहह…बस स्वामी आह स्वामी सवं सवमी.` स्वामी जी

ने पूरा मज़ा ले कर और दे कर अपना लंड बाहर निकाल लिया. कम से कम 50 म्ल

वीरया तो निकला ही होगा. सुबू की चूत से बाहर भी वीर्या निकल रहा था.

स्वामी जी का पूरा लंड भी क्रीम से साना पड़ा था. सुबू तो वीर्य सने लंड

को देख कर मस्त हो गयी. वो चाट कर उसे सॉफ करने लगी. चाट-ते चाट- ते उसे

चूसने लगी. स्वामी जी ने उसका सिर पकड़ कर लंड पर दबा दिया. उनका लंड

खड़ा होने लगा था. सुबू ने फील किया की स्वामी जी फिर से मस्त होने लगे

हैं. उसने और ज़ोर से चुसाइ शुरू कर दी. स्वामी जी का लंड फिर तन गया.

सुबू को अप्नी चूत में खुजली महसूस हुई और वो चूत को खुजलाने लगी. स्वामी

जी बोले` सुबू यह काम तुम्हारा नही मुझे खुजलाने दो.` स्वामी जी की नियत

जान कर सुबू बोली,` अभी तो चोद कर हटे हो स्वामी जी अब क्या फाड़ ही

डालोगे.`स्वामी जी ने शरारत से कहा ,` फटनी होती तो फॅट गयी होती, अब तो

मस्त चोदने का टाइम है. सुबू अब में तुझे पीछे से चोदुन्गा. पीछे से

चुदाई का ज़्यादा मज़ा आता है. सही में चुदाई का असली और नॅचुरल तरीका तो

पीछे से ही चूत मारने क़ा है स्वामी जी नें सुबू को घुमा कर उसकी पीठ

अपन्नी तरफ कर ली सुबूकी नंगी बाहों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूचियाँ

पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया. सुबू मस्त थी. पूरा स्मर्पण करते हुए

उसने अपना सर पीछे झुकाया और स्वामी जी की तरफ देखा. स्वामी जी उसकी

सेक्सी गुलाबी आँखों को देख कर मस्त हो गये. उन्होंने झुक कर सुबू के

होंठ अपने होंठो में ले लिए और चूसने लगे. सुबू ने अपने होंठ खोल दिए.

स्वामी जी नें अपनी जीभ सुबू के मुँह मे डाल दी और घूमने लगे. दोनो की

मस्ती बढ़ गयी. अब औ रहा नहीं जा रहा था . स्वामी जी नें सुबू को बेड के

कॉर्नर पर घुटनों और कुहनियों के बल लिटा दिया. सुबू के कंधों को नीचे

झुका दिया और गांद उपेर उठा दी. सुबू की चूत टाँगों के बीच से दिखाई देने

लगी. नज़ारा सेक्सी था. सुबू अभी अभी चुद कर हटी थी. स्वामीजी का वीर्य

चूत केआस पास लगा हुआ था . मोटे लंड के कारण चूत की फाँकें कुछ फैल गयी

थी और एक गुलाबी लाइन सी दिखाई दे रही थी. सुबू अपने चूतड़ ऊपेर नीचे

करने लगी. स्वामीजी समझ गये कि वो लंड लेना चाहती है. स्वामीजी नें लंड

सुबू की चूत पर रखा और एक ही बार में धीरे से अंडर घुसेड दिया.सुबू के

मुँह से एक सिसकारी निकली, दर्द की नहीं ,मस्ती और मज़े की.स्वामी जी नें

लंड को अंडर बाहर करना शुरू कर दिया.पीछे से चुदाई में लंड पूरा अंडर जा

रहा था सुबू सोच रही थी स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे की पीछे सेचुदाई का

मज़ा ही अलग है . सच ही था. सुबू चुदाई के साथ सोच रही थी की कैसे

स्वामीजी को कहा जाए की जल्दी जल्दी आ कर चुदाई किया करें. सुबू अपनी

बेहन रश्मि- जो उसकी देवरानी बन-ने वाली थी, को भी स्वामीजी से चुदाई का

मज़ा दिलवाना चाहती थी. वो जानती थी की उसका देवर मनोज भी रामजी की तरहा

ख़ास्सी है और रश्मि को नहीं चोद पाएगा. अचानक सुबू का ध्यान टूटा.

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