चुदाइ का दूसरा रूप--1
मैं अपने पति के पास देल्ही आ गई थी गोआ मे 15 दिन रहने के बाद. गोआ मे
रहते हुए मैने अंजू के साथ लेज़्बीयन सेक्स का खेल खेला था. मेरे बहुत से
चाहने वालों ने अपनी मैल मे लिखा है कि चुदाई मे असंतुष्ट औरत को चोद कर
संतुष्ट करना एक समाज सेवा है. मैं तो हमेशा ही चुदाई और चुदाई को प्यार
करने वालों को प्यार करती हूँ.
मैं और मेरे पति अभी अभी साउत आफ्रिका मे फुटबॉल का वर्ल्ड कप देख कर
लौटें हैं. हमारा साउत आफ्रिका का दौरा और मॅच के टिकेट्स मेरे पति को
उनकी ऑफीस की तरफ से हमारी शादी का तोहफा था.
अपने साउत आफ्रिका मे होने के दौरान मैं अपने चाहने वालों को ये नहीं बता
पाई कि वहाँ जाने से पहले क्या क्या हुआ था. अब मैने सोचा है कि आप को
सिलसिलेवार सब बताऊ.
तो....... बात वहाँ से शुरू करती हूँ जहाँ पर हम मेरी पिच्छली कहानी मे थे.
मैं 10 दिन गोआ मे बिताने के बाद अपने पति के पास वापस देल्ही आ गई थी.
गोआ मे मेरा ज़्यादातर समय मेरे ससुराल मे ही बीता था. वहाँ मुझे अंजू के
साथ ज़्यादा चुदाई का मौका नहीं मिला था पर उस दौरान हमने मिलकर और दो
बार लेज़्बीयन चुदाई की थी जब हमको मौका मिला था. अंजू बहुत खुश थी, ये
मैने उसके चेहरे पर सॉफ सॉफ देखा. मुझे अंजू के बारे मे सोच कर बहुत दुख
होता है. वो जवान है, बहुत खूबसूरत है पर उसका पति उसको चोद कर संतुष्ट
नहीं कर पाता. खैर....... ये तो किस्मत की बात है.
गोआ से वापस आने के बाद, एक शाम को मैं मेरे पति का इंतज़ार कर रही थी
क्यों की हमको उनके एक दोस्त की शादी की सालगिरह की पार्टी मे जाना था.
मैं जान बूझ कर तय्यार नहीं हुई थी क्यों की मैं जानती थी कि मेरे पति
तय्यार होने के लिए, शायद मेरे साथ ही शाम का स्नान करना पसंद करेंगे.
ज़्यादातर हम साथ साथ ही नहाते हैं. मैं सिर्फ़ एक गाउन पहने हुए थी
जिसके अंदर मैने कुछ भी नही पहना था. मैं जानती हूँ कि मेरे पति मुझे ऐसे
देखना पसंद करतें है. मैं बताना चाहती हूँ कि हम दोनो ही घर मे चाहे जैसे
रह सकते हैं क्यों की यहाँ हमारे साथ कोई तीसरा नहीं रहता है, सिर्फ़ मैं
और मेरे पति. खिड़कियों पर पर्दे और गहरे रंग के शीशे होने की वजह से हम
घर मे जैसे चाहे रह सकतें हैं, जो चाहे कर सकतें है. बाहर से किसी का भी
हमको देख पाना संभव नहीं है. हम एक 9 मंज़िल की इमारत की तीसरी मंज़िल पर
रहतें हैं.
चुदाइ का दूसरा रूप compleet
Re: चुदाइ का दूसरा रूप
मेरे पति अपने पास की चाबी से दरवाजा खोल कर घर मे आए तो मुझे तुरंत ही
पता चल गया क्यों कि मैं बाहरी कमरे मे ही बैठ कर टी.वी. देख रही थी.
उनकी तेज आँखों ने तुरंत ही भाँप लिया कि मैं उनके साथ नहाने को तय्यार
हूँ. वो मुस्कराए तो जवाब मे मैं भी मुस्करा पड़ी. वो मेरे नज़दीक आए और
मुझे अपनी बाहों मे भर लिया, जो कि वो हमेशा ही घर आते ही करतें हैं.
मैने भी उनको बाहों मे भरा और हमने एक दूसरे के रसीले होंठ चूस्ते हुए
चुंबन किया.
वो बोले - तय्यार हो नहाने के लिए ?
मैने कहा - हां जान. मैं तय्यार हूँ.
उन्होने जवाब दिया - ठीक है. एक ग्लास पानी मिलेगा पीने के लिए ?
मैं रसोई से उनके लिए पानी का ग्लास ले कर आई तो मैने देखा की उन्होने
अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और सिर्फ़ चड्डी पहने सोफा पर बैठे हैं. जब
मैने उनको पानी का ग्लास दिया तो उन्होने अपने एक हाथ से पानी का ग्लास
पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया.
उन्होने पानी पिया और फिर से मेरे होठों को चूमा. मैं उनके चुंबन का आनंद
लेती हुई उनके बालों मे हाथ फिरा रही थी. प्यार और चुदाई की आग हमारे बीच
भड़कनी शुरू हो चुकी थी.
यहाँ मैं आप को फिर से बता दू कि मैं पिच्छले 15 सालों से चुदवा रही हूँ
जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी तब से. अब मेरी शादी को 7 महीने हो चुके हैं.
शादी के पहले मैं साप्ताह मे 4 या 5 बार चुदवाती थी और अब शादी होने के
बाद चुदवाने की गिनती बढ़ कर दिन मे कम से कम दो बार हो गई है. सबसे
ज़्यादा खुशी की बात तो ये है कि हमेशा ही, जब भी अकेले होते हैं, एक
दूसरे को छुते हैं, चुंबन करतें हैं, मैने पाया है कि चुदाई की गर्मी वही
पुरानी गर्मी जैसी है. मैं बहुत किस्मत वाली हूँ कि मुझे मेरे जैसा ही
चुदाई का साथी मिला है.
हमारा चुंबन ख़तम होने के बाद उन्होने मुझे किसी गुड़िया की तरह अपने
हाथों मे उठाया और मुझे बाथरूम मे ले आए. उस समय 6.30 हुए थे और हमारे
पास पार्टी मे जाने के पहले काफ़ी समय था. उन्होने फव्वारा चालू किया और
हम दोनो भीगने लगे. मैने अपना गीला गाउन उतार कर अपने सेक्सी बदन को
कपड़े से आज़ाद किया. गर्मी का मौसम और फव्वारे का ठंडा ठंडा पानी. लेकिन
वो ठंडा पानी भी हमारी चुदाई की गर्मी को कम नही कर रहा था, बल्कि और
बढ़ा रहा था. मैने उनकी चड्डी भी उतार दी और देखा की उनका खड़ा हुआ लंबा
लॉडा मुझे सलाम कर रहा था. मैने देखा की उनके लंड के आस पास कुछ बॉल उग
आए हैं. मेरी चूत तो बिल्कुल सॉफ, बिना बालों के, चिकनी थी क्यों की मैने
तो दो दिन पहले ही अपनी चूत के बॉल सॉफ किए थे. मैने उनके खड़े हुए,
सख़्त, लंबे और मोटे लंड लो अपने हाथ मे पकड़ा. उनके लंड के नीचे लटकी
गोलियों की थैली पर से होता हुआ पानी नीचे गिर रहा था.
मेरे पति को पता है कि मुझे चूत या लंड पर बाल पसंद नही है, खास कर के
मुख मैथून करते वक़्त. वो तुरंत समझ गये कि मेरी आँखों ने क्या देखा है.
उन्होने तुरंत नीचे के बाल सॉफ करने वाला सामान बाथरूम की छ्होटी आलमारी
से निकाला. मैं फव्वारे के नीचे बैठी उनको देख रही थी जबकि वो फव्वारे के
बरसते पानी से बाहर चले गये. उन्होने अपने खड़े लंड के आस पास, जहाँ जहाँ
बाल थे, और लंड के नीचे लटकी गोलियों की थैली पर भी थोड़ी शेविंग क्रीम
लगाई. हमेशा की तरह मैने उनको अपनी झाँटें सॉफ करने मे मदद की क्यों की
मुझे ये काम पसंद है. जब वो रेज़र से अपने बाल सॉफ कर रहे थे तो मैने
उनका लंड पकड़ रखा था और मैने उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली को भी
इधर उधर कर के वहाँ से बॉल सॉफ करने मे उनकी मदद की. जल्दी ही उनका सुंदर
लंड बिना बालों के, चिकना हो कर मेरी आँखों के सामने था. अब वो भी
फव्वारे के नीचे आ गये थे और उनके लॉड के आस पास लगी साबुन पानी मे बह गई
और उनका लंड चमक उठा. मैने बिना कोई समय बर्बाद किए तुरंत ही नीचे बैठे
बैठे उनका प्यारा सा, खड़ा हुआ, सख़्त, लंबा और मोटा लंड चूसने के लिए
अपने मूह मे ले लिया. वो खड़े थे और उनके हाथ मेरे सिर के बालों मे प्यार
से घूमने लगे जबकि मैं बाथरूम के फर्श पर बैठ कर उनके लंड को चूस रही थी.
आप को मेरे पति की मर्दानगी मालूम ही है की उनके लंड से पानी निकालने मे
काफ़ी वक़्त लगता है और ज़्यादातर उनकी एक चुदाई मे मेरी दो चुदाई हो
जाती है. उनकी ये मर्दानगी हम दोनो के लिए बड़े गर्व की बात है. अब मुझे
उनको अपने हाथ और मूह से ही इतना गरम करना था और इतना आगे ले जाना था की
चोद्ते वक़्त उनके लंड से मेरे खुद के झड़ने के साथ ही पानी निकले.
फव्वारे से बरसता पानी हम को और भी सेक्सी बना रहा था. उन के लंड का मूह
मेरे मूह मे था और निचला हिस्सा मेरे हाथ मे था. मेरी जीभ उनके लंड के
मूह, सूपदे पर घूम रही थी जो उनको पूरा मज़ा दे रही थी. वो हमेशा कहतें
हैं कि मैं बहुत अच्छा लंड चुस्ती और चाट ती हूँ. मैं खुद जानती हूँ की
मैं कितनी क़ाबलियत के साथ लंड चुस्ती हूँ. मैं उनका लंड अपनी हथेली मे
पकड़ कर आगे पीछे करते हुए उनके लंड का सूपड़ा चूस रही थी. उनका लंड
चूस्ते और मूठ मारते हुए मुझे ये अंदाज़ा हो गया था कि मैं उनको आधी दूर
ले आई हूँ और अब हम अपना पसदीदा चुदाई का खेल शुरू कर सकतें हैं. मेरी
चूत तो उनका लंड चूस्ते चूस्ते ही काफ़ी गीली हो चुकी थी और उनका लंड
लेने को तय्यार थी.
पता चल गया क्यों कि मैं बाहरी कमरे मे ही बैठ कर टी.वी. देख रही थी.
उनकी तेज आँखों ने तुरंत ही भाँप लिया कि मैं उनके साथ नहाने को तय्यार
हूँ. वो मुस्कराए तो जवाब मे मैं भी मुस्करा पड़ी. वो मेरे नज़दीक आए और
मुझे अपनी बाहों मे भर लिया, जो कि वो हमेशा ही घर आते ही करतें हैं.
मैने भी उनको बाहों मे भरा और हमने एक दूसरे के रसीले होंठ चूस्ते हुए
चुंबन किया.
वो बोले - तय्यार हो नहाने के लिए ?
मैने कहा - हां जान. मैं तय्यार हूँ.
उन्होने जवाब दिया - ठीक है. एक ग्लास पानी मिलेगा पीने के लिए ?
मैं रसोई से उनके लिए पानी का ग्लास ले कर आई तो मैने देखा की उन्होने
अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और सिर्फ़ चड्डी पहने सोफा पर बैठे हैं. जब
मैने उनको पानी का ग्लास दिया तो उन्होने अपने एक हाथ से पानी का ग्लास
पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया.
उन्होने पानी पिया और फिर से मेरे होठों को चूमा. मैं उनके चुंबन का आनंद
लेती हुई उनके बालों मे हाथ फिरा रही थी. प्यार और चुदाई की आग हमारे बीच
भड़कनी शुरू हो चुकी थी.
यहाँ मैं आप को फिर से बता दू कि मैं पिच्छले 15 सालों से चुदवा रही हूँ
जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी तब से. अब मेरी शादी को 7 महीने हो चुके हैं.
शादी के पहले मैं साप्ताह मे 4 या 5 बार चुदवाती थी और अब शादी होने के
बाद चुदवाने की गिनती बढ़ कर दिन मे कम से कम दो बार हो गई है. सबसे
ज़्यादा खुशी की बात तो ये है कि हमेशा ही, जब भी अकेले होते हैं, एक
दूसरे को छुते हैं, चुंबन करतें हैं, मैने पाया है कि चुदाई की गर्मी वही
पुरानी गर्मी जैसी है. मैं बहुत किस्मत वाली हूँ कि मुझे मेरे जैसा ही
चुदाई का साथी मिला है.
हमारा चुंबन ख़तम होने के बाद उन्होने मुझे किसी गुड़िया की तरह अपने
हाथों मे उठाया और मुझे बाथरूम मे ले आए. उस समय 6.30 हुए थे और हमारे
पास पार्टी मे जाने के पहले काफ़ी समय था. उन्होने फव्वारा चालू किया और
हम दोनो भीगने लगे. मैने अपना गीला गाउन उतार कर अपने सेक्सी बदन को
कपड़े से आज़ाद किया. गर्मी का मौसम और फव्वारे का ठंडा ठंडा पानी. लेकिन
वो ठंडा पानी भी हमारी चुदाई की गर्मी को कम नही कर रहा था, बल्कि और
बढ़ा रहा था. मैने उनकी चड्डी भी उतार दी और देखा की उनका खड़ा हुआ लंबा
लॉडा मुझे सलाम कर रहा था. मैने देखा की उनके लंड के आस पास कुछ बॉल उग
आए हैं. मेरी चूत तो बिल्कुल सॉफ, बिना बालों के, चिकनी थी क्यों की मैने
तो दो दिन पहले ही अपनी चूत के बॉल सॉफ किए थे. मैने उनके खड़े हुए,
सख़्त, लंबे और मोटे लंड लो अपने हाथ मे पकड़ा. उनके लंड के नीचे लटकी
गोलियों की थैली पर से होता हुआ पानी नीचे गिर रहा था.
मेरे पति को पता है कि मुझे चूत या लंड पर बाल पसंद नही है, खास कर के
मुख मैथून करते वक़्त. वो तुरंत समझ गये कि मेरी आँखों ने क्या देखा है.
उन्होने तुरंत नीचे के बाल सॉफ करने वाला सामान बाथरूम की छ्होटी आलमारी
से निकाला. मैं फव्वारे के नीचे बैठी उनको देख रही थी जबकि वो फव्वारे के
बरसते पानी से बाहर चले गये. उन्होने अपने खड़े लंड के आस पास, जहाँ जहाँ
बाल थे, और लंड के नीचे लटकी गोलियों की थैली पर भी थोड़ी शेविंग क्रीम
लगाई. हमेशा की तरह मैने उनको अपनी झाँटें सॉफ करने मे मदद की क्यों की
मुझे ये काम पसंद है. जब वो रेज़र से अपने बाल सॉफ कर रहे थे तो मैने
उनका लंड पकड़ रखा था और मैने उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली को भी
इधर उधर कर के वहाँ से बॉल सॉफ करने मे उनकी मदद की. जल्दी ही उनका सुंदर
लंड बिना बालों के, चिकना हो कर मेरी आँखों के सामने था. अब वो भी
फव्वारे के नीचे आ गये थे और उनके लॉड के आस पास लगी साबुन पानी मे बह गई
और उनका लंड चमक उठा. मैने बिना कोई समय बर्बाद किए तुरंत ही नीचे बैठे
बैठे उनका प्यारा सा, खड़ा हुआ, सख़्त, लंबा और मोटा लंड चूसने के लिए
अपने मूह मे ले लिया. वो खड़े थे और उनके हाथ मेरे सिर के बालों मे प्यार
से घूमने लगे जबकि मैं बाथरूम के फर्श पर बैठ कर उनके लंड को चूस रही थी.
आप को मेरे पति की मर्दानगी मालूम ही है की उनके लंड से पानी निकालने मे
काफ़ी वक़्त लगता है और ज़्यादातर उनकी एक चुदाई मे मेरी दो चुदाई हो
जाती है. उनकी ये मर्दानगी हम दोनो के लिए बड़े गर्व की बात है. अब मुझे
उनको अपने हाथ और मूह से ही इतना गरम करना था और इतना आगे ले जाना था की
चोद्ते वक़्त उनके लंड से मेरे खुद के झड़ने के साथ ही पानी निकले.
फव्वारे से बरसता पानी हम को और भी सेक्सी बना रहा था. उन के लंड का मूह
मेरे मूह मे था और निचला हिस्सा मेरे हाथ मे था. मेरी जीभ उनके लंड के
मूह, सूपदे पर घूम रही थी जो उनको पूरा मज़ा दे रही थी. वो हमेशा कहतें
हैं कि मैं बहुत अच्छा लंड चुस्ती और चाट ती हूँ. मैं खुद जानती हूँ की
मैं कितनी क़ाबलियत के साथ लंड चुस्ती हूँ. मैं उनका लंड अपनी हथेली मे
पकड़ कर आगे पीछे करते हुए उनके लंड का सूपड़ा चूस रही थी. उनका लंड
चूस्ते और मूठ मारते हुए मुझे ये अंदाज़ा हो गया था कि मैं उनको आधी दूर
ले आई हूँ और अब हम अपना पसदीदा चुदाई का खेल शुरू कर सकतें हैं. मेरी
चूत तो उनका लंड चूस्ते चूस्ते ही काफ़ी गीली हो चुकी थी और उनका लंड
लेने को तय्यार थी.
Re: चुदाइ का दूसरा रूप
हम दोनो पानी बरसाते फव्वारे के नीचे आमने सामने खड़े थे. मेरी चुचियों
और मेरी निपल्स पर से होता हुआ फव्वारे का पानी बह रहा था. उन्होने मेरी
गीली चुचियों को, गीली निपल्स को बहुत ही प्यार से चूसा.
हम दोनो को ही हमेशा अलग अलग पोज़िशन मे चुदाई करना पसंद है. उन्होने
अपने हाथ मेरे पीछे करते हुए मुझे मेरी नंगी गंद पकड़ कर उठा लिया. मैं
जैसे उनकी हथेलियों पर अपनी गंद टीका कर बैठी थी. मैं चुदवाने के लिए
तय्यार थी और मेरी चूत भी उनके लंड का स्वागत करने को तय्यार थी. क्यों
कि मैं उनके दोनो हाथ पर अपनी गंद रख कर बैठी थी और वो खड़े थे, मैने
अपना हाथ नीचे करके, उनके इंतज़ार करते हुए गरम लॉड को पकड़ कर अपनी चूत
के दरवाजे पर लगाया और उन्होने मेरी गंद ज़रा दबाई तो उनका फंफनता हुआ
लंड मेरी चूत मे घुसने लगा. चुदाई की इस पोज़िशन मे मेरे लिए ज़्यादा कुछ
करने को नही था सिवाय चुदवाने के. वो मेरी गंद पकड़े हुए थे और मुझे उपर
नीचे, उपर नीचे कर रहे थे. मेरे हाथ उनकी गर्दन पर लिपटे हुए थे. हमेशा
की तरह उनका लंबा लंड मेरी चूत की गहराइयों मे मज़ा देने वाले स्थान को
खत खता रहा था. वो मेरी गंद पकड़ कर मुझे चोद रहे थे और मैं अपनी गंद
उनके हाथ मे रख कर मज़े से चुदवा रही थी. फव्वारे के बरसते पानी के नीचे
जो जवान नंगे जिस्म जल रहे थे और अपनी चुदाई की गर्मी को कम करने की
कोशिश कर रहे थे. बहते पानी मे भी चुदाई की फ़चा फॅक .. फ़चा फॅक........
फाका फक...... फाका फक हो रही थी. एक बार फिर मुझे लगा कि मैं उनसे कहीं
पहले ही झाड़ जाओंगी. मैं अपने पूरे अनुभव और क़ाबलियत के साथ इस तरह
चुदवा रही थी कि उनको भरपूर मज़ा मुझको चोदने मे आए. अब उनकी चोदने की
रफ़्तार बढ़ गई थी और उनका लंड तेज़ी से और जल्दी जल्दी मेरी गीली चूत मे
अंदर बाहर हो रहा था. हमारी आँखें चुदाई के आनंद के मारे बंद हुई जा रही
थी. चुदाई का पूरा दारोमदार उन पर था और वो मेरी नंगी गंद पकड़ कर धक्के
लगा रहे थे. मैं जोरदार चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी. उनके लॅंड के,
मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मेरी चुचियाँ उच्छल रही थी. वो मुझे किसी
गुड़िया की तरह अपने हाथों मे उठाए बाथरूम मे बरसते पानी के नीचे चोद रहे
थे. मुझे उनके तेज होते धक्कों, उनके लंड के मेरी चूत मे आते जाते और
अधिक सख़्त होने से ये पता चल चुका था कि जल्दी ही उनका लंड मेरी चूत मे
अपना लंड रस बरसाने वाला है. मैं तो पहले से ही अपने झड़ने के काफ़ी करीब
थी. अचानक ही उनकी चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी हो गई और मैं उनके हाथों मे
किसी खिलोने की तरह हवा मे उच्छल रही थी. मेरी हवा मे उच्छलती चुचिया कई
बार मेरी खुद की ठुड्डी से टकराई. मैं तो बस पहुँचने ही वाली थी और मेरा
नंगा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा. उनका लॉडा भी हर धक्के के साथ सख़्त,
और सख़्त होता जा रहा था.
मैं खुद को रोक नही सकी और करीब करीब चिल्लाई - ओह डियर........ मैं तो गई जानू.
वो बोले - रूको जूली........... मैं भी आया.
हम दोनो प्यार और चुदाई के मज़े और उत्तेजना मे बड़बड़ाने लगे.
" लव यू डियर........ ओह डार्लिंग........... जानू......... जान.....
आआहह .... ऊऊहह ...... हाआअन्न्ननणणन्."
और मेरी निपल्स पर से होता हुआ फव्वारे का पानी बह रहा था. उन्होने मेरी
गीली चुचियों को, गीली निपल्स को बहुत ही प्यार से चूसा.
हम दोनो को ही हमेशा अलग अलग पोज़िशन मे चुदाई करना पसंद है. उन्होने
अपने हाथ मेरे पीछे करते हुए मुझे मेरी नंगी गंद पकड़ कर उठा लिया. मैं
जैसे उनकी हथेलियों पर अपनी गंद टीका कर बैठी थी. मैं चुदवाने के लिए
तय्यार थी और मेरी चूत भी उनके लंड का स्वागत करने को तय्यार थी. क्यों
कि मैं उनके दोनो हाथ पर अपनी गंद रख कर बैठी थी और वो खड़े थे, मैने
अपना हाथ नीचे करके, उनके इंतज़ार करते हुए गरम लॉड को पकड़ कर अपनी चूत
के दरवाजे पर लगाया और उन्होने मेरी गंद ज़रा दबाई तो उनका फंफनता हुआ
लंड मेरी चूत मे घुसने लगा. चुदाई की इस पोज़िशन मे मेरे लिए ज़्यादा कुछ
करने को नही था सिवाय चुदवाने के. वो मेरी गंद पकड़े हुए थे और मुझे उपर
नीचे, उपर नीचे कर रहे थे. मेरे हाथ उनकी गर्दन पर लिपटे हुए थे. हमेशा
की तरह उनका लंबा लंड मेरी चूत की गहराइयों मे मज़ा देने वाले स्थान को
खत खता रहा था. वो मेरी गंद पकड़ कर मुझे चोद रहे थे और मैं अपनी गंद
उनके हाथ मे रख कर मज़े से चुदवा रही थी. फव्वारे के बरसते पानी के नीचे
जो जवान नंगे जिस्म जल रहे थे और अपनी चुदाई की गर्मी को कम करने की
कोशिश कर रहे थे. बहते पानी मे भी चुदाई की फ़चा फॅक .. फ़चा फॅक........
फाका फक...... फाका फक हो रही थी. एक बार फिर मुझे लगा कि मैं उनसे कहीं
पहले ही झाड़ जाओंगी. मैं अपने पूरे अनुभव और क़ाबलियत के साथ इस तरह
चुदवा रही थी कि उनको भरपूर मज़ा मुझको चोदने मे आए. अब उनकी चोदने की
रफ़्तार बढ़ गई थी और उनका लंड तेज़ी से और जल्दी जल्दी मेरी गीली चूत मे
अंदर बाहर हो रहा था. हमारी आँखें चुदाई के आनंद के मारे बंद हुई जा रही
थी. चुदाई का पूरा दारोमदार उन पर था और वो मेरी नंगी गंद पकड़ कर धक्के
लगा रहे थे. मैं जोरदार चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी. उनके लॅंड के,
मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मेरी चुचियाँ उच्छल रही थी. वो मुझे किसी
गुड़िया की तरह अपने हाथों मे उठाए बाथरूम मे बरसते पानी के नीचे चोद रहे
थे. मुझे उनके तेज होते धक्कों, उनके लंड के मेरी चूत मे आते जाते और
अधिक सख़्त होने से ये पता चल चुका था कि जल्दी ही उनका लंड मेरी चूत मे
अपना लंड रस बरसाने वाला है. मैं तो पहले से ही अपने झड़ने के काफ़ी करीब
थी. अचानक ही उनकी चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी हो गई और मैं उनके हाथों मे
किसी खिलोने की तरह हवा मे उच्छल रही थी. मेरी हवा मे उच्छलती चुचिया कई
बार मेरी खुद की ठुड्डी से टकराई. मैं तो बस पहुँचने ही वाली थी और मेरा
नंगा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा. उनका लॉडा भी हर धक्के के साथ सख़्त,
और सख़्त होता जा रहा था.
मैं खुद को रोक नही सकी और करीब करीब चिल्लाई - ओह डियर........ मैं तो गई जानू.
वो बोले - रूको जूली........... मैं भी आया.
हम दोनो प्यार और चुदाई के मज़े और उत्तेजना मे बड़बड़ाने लगे.
" लव यू डियर........ ओह डार्लिंग........... जानू......... जान.....
आआहह .... ऊऊहह ...... हाआअन्न्ननणणन्."