जीजा साली का प्यार--1
भरी जवानी मे औरत के बिना जीवन गुजारना और ऊपर से एक बच्चे की परवरिश की ज़िम्मेदारी सचमुच बड़ा ही मुश्किल था. लेकिन छ्होटी साली कामिनी ने नवजात बच्चे को अपने छाती से लगा कर घर को काफ़ी कुच्छ संभाल लिया.
अपनी दीदी के गुजरने के बाद कामिनी अपनी मा के कहने पर कुच्छ दिनो के लिए मेरे पास रहने के लिए आ गयी थी. कामिनी तो वैसे ही खूबसूरत थी, बदन मे जवानी के लक्षण उभरने से और भी सुंदर लगने लगी थी.
औरत के बिना मेरा जीवन बिल्कुल सूना सूना सा हो चुका था. लेकिन सेक्स की आग मेरे शरीर और मन मे दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी. राते गुजारना मुश्किल हो गया था. कभी कभी अपनी साली कामिनी के कमसिन गोलाईयो को देख कर मेरा मन ललचाने लगता था. जैसा नाम वैसा ही उसका कमसिन जिस्म. कामिनी जो काम की अग्नि को बढ़ा दे.
मगर वह मेरी सग़ी साली थी यही सोच कर अपने मन पर काबू कर लेता था. फिर भी कभी कभी मन बेकाबू हो जाता और जी चाहता कि कामिनी को नंगी करके अपनी बाहो मे भर लू. उसके छ्होटी छ्होटी कसी हुए चूचीयो को मूह मे भर कर देर तक चूसता रहू और फिर उसे बिस्तर पर लेटा कर उसकी नन्ही सी चूत मे अपना मोटा लॅंड घुसा कर खूब चोदू.”
एक दिन मैं अपने ऑफीस के एक दोस्त के साथ एक इंग्लीश फिल्म देखने गया. फिल्म बहूत ज़्यादा सेक्सी थी. नग्न और संभोग के द्रश्यो की भरमार थी. फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था सेक्स का बुखार मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा था. घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले सीन्स को बार बार सोच रहा था और जब भी उन्हे सोचता, कामिनी का चेहरा मेरे सामने आ जाता मैं बेकाबू होने लगा था. मैने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो, अपनी साली को चोदूगा ज़रूर.
घर पहुचने पर कामिनी ने दरवाजा खोला. मेरी नज़र सबसे पहले उसके भोले भाले मासूम चेहरे पर गयी फिर टी-शर्ट के नीचे धकी हुई उसकी नन्ही चूचियो पर और फिर उसके टाँगो के बीच चड्धी मे छुपी हुए छ्होटी सी मक्खन जैसी मुलायम बुर पे..
मुझे अपनी और अजीब नज़रो से देखते हुए कामिनी ने पूच्छा, “क्या बात है जीजू, ऐसे क्यो देख रहे है?"
मैने कहा, "कुच्छ नही . कामिनी..बस ऐसे ही...... तबीयत कुच्छ खराब हो गई."
कामिनी बोली. "आपने कोई दवा ली या नही?अभी नही."
मैने जबाब दिया और फिर अपने कमरे मे जा कर लूँगी पहन कर बिस्तर पर लेट गया.
थोड़ी देर बाद कामिनी आई और बोली, "कुच्छ चाहिए जीजू
मंन मे आया कि कह दू."“साली मुझे चोद्ने के लिए तुम्हारी चूत चाहिए." पर मैं ऐसा कह नही सकता था.
मैने कहा ". कामिनी मेरी टाँगो मे बहुत दर्द है. थोड़ा तेल ला कर मालिश कर दो.."
"ठीक है जीजू," कह कर कामिनी चली गयी और फिर थोड़ी देर मे एक कटोरी मे तेल लेकर वापस आ गयी. वो बिस्तर पर बैठ गयी और मेरे दाहिने टाँग से लूँगी घुटने तक उठा कर मालिश करने लगी.
अपनी 18 साल की साली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर मेरा लॅंड तुरंत ही कठोर होकर खड़ा हो गया.
थोड़ी देर बाद मैने कहा, ". कामिनी ज़्यादा दर्द तो जाँघो मे है. थोड़ा घुटने के उपर भी तेल मालिश कर दे."
"जी जीजू" कह कर कामिनी ने लूँगी को जाँघो पर से हटाना चाहा. तभी जानबूझ कर मैने अपना बाया पैर उपर उठाया जिससे मेरा फुनफूनाया हुआ खड़ा लॅंड लूँगी के बाहर हो गया.
मेरे लॅंड पर नज़र पड़ते ही कामिनी सकपका गयी. कुच्छ देर तक वह मेरे लॅंड को कनखियो से देखती रही. फिर उसे लूँगी से ढकने की कोशिश करने लगी.
लेकिन लूँगी मेरे टाँगो से दबी हुई थी इसलिए वो उसे धक नही पाई.
मैने मौका देख कर पूछा, "क्या हुआ कामिनी?”
“जी जीजू. आपका अंग दिख रहा है." कामिनी ने सकुचाते हुए कहा
“आंग, कौन सा अंग?" मैने अंजान बन कर पूच्छा.
Jija sali ka pyaar जीजा साली का प्यार compleet
Re: Jija sali ka pyaar जीजा साली का प्यार
जब कामिनी ने कोई जवाब नही दिया तो मैने अंदाज से अपने लॅंड पर हाथ रखते हुए कहा, "अरी! ये कैसे बाहर निकल गया?"
फिर मैने कहा, "साली जब तुमने देख ही लिया तो क्या शरमाना, थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो."
मेरी बात सुन कर कामिनी घबरा गयी और शरमाते हुए बोली, "जीजू, कैसी बात करते है, जल्दी से ढाकिये इसे."
"देखो कामिनी ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुच्छ सेवा होनी चाहिए ना.तुम्हारी दीदी जब थी तो इसकी खूब सेवा करती थी, रोज इसकी मालिश करती थी. उसके चले जाने के बाद बेचारा बिल्कुल अनाथ हो गया है. तुम इसके दर्द को नही समझोगी तो कौन समझेगा?" मैने इतनी बात बड़े ही मासूमियता से कह डाली.
“लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हू. मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,”
ठीक है कामिनी, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नही समझ सकती और पाप - पुन्य की बात करती हो तो जाने दो." मैने उदासी भरे स्वर मे कहा.
मैं आपको दुखी नही देख सकती जीजू. आप जो कहेंगे, मैं कारूगी."
मुझे उदास होते देख कर कामिनी भावुक हो गयी थी.. उसने अपने हाथो मे तेल चिपॉड कर मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया. अपने लंड पर कामिनी के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर, वासना की आग मे जलते हुए मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी दौड़ गयी.
मैने कामिनी की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया.
“बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो. बहुत आराम मिल रहा है." मैने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा.
थोड़ी ही देर मे मेरा पूरा जिस्म वासना की आग मे जलने लगा. मेरा मन बेकाबू हो गया. मैने कामिनी की बाह पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया. उसकी दोनो चूचिया मेरी छाती से चिपक गयी. मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियो मे लेकर उसके होंठो को चूमने लगा.
फिर मैने कहा, "साली जब तुमने देख ही लिया तो क्या शरमाना, थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो."
मेरी बात सुन कर कामिनी घबरा गयी और शरमाते हुए बोली, "जीजू, कैसी बात करते है, जल्दी से ढाकिये इसे."
"देखो कामिनी ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुच्छ सेवा होनी चाहिए ना.तुम्हारी दीदी जब थी तो इसकी खूब सेवा करती थी, रोज इसकी मालिश करती थी. उसके चले जाने के बाद बेचारा बिल्कुल अनाथ हो गया है. तुम इसके दर्द को नही समझोगी तो कौन समझेगा?" मैने इतनी बात बड़े ही मासूमियता से कह डाली.
“लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हू. मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,”
ठीक है कामिनी, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नही समझ सकती और पाप - पुन्य की बात करती हो तो जाने दो." मैने उदासी भरे स्वर मे कहा.
मैं आपको दुखी नही देख सकती जीजू. आप जो कहेंगे, मैं कारूगी."
मुझे उदास होते देख कर कामिनी भावुक हो गयी थी.. उसने अपने हाथो मे तेल चिपॉड कर मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया. अपने लंड पर कामिनी के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर, वासना की आग मे जलते हुए मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी दौड़ गयी.
मैने कामिनी की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया.
“बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो. बहुत आराम मिल रहा है." मैने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा.
थोड़ी ही देर मे मेरा पूरा जिस्म वासना की आग मे जलने लगा. मेरा मन बेकाबू हो गया. मैने कामिनी की बाह पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया. उसकी दोनो चूचिया मेरी छाती से चिपक गयी. मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियो मे लेकर उसके होंठो को चूमने लगा.
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कामिनी को मेरा यह प्यार शायद समझ मे नही आया.वो कसमसा कर मुझसे अलग होते हुए बोली. "जीजू ये आप क्या कर रहे है?”
कामिनी आज मुझे मत रोको. आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो.”
“लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?" कामिनी ने आश्चर्या से पूछा.
“साली तो आधी घर वाली होती है और जब तुमने घर सम्हाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो. मैं औरो की बात नही जानता, पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हू. तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हू. प्लीज़ आज मुझे मत रोको कामिनी." मैने अनुरोध भरे स्वर मे कहा.
“मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है” , कामिनी ने कहा.
"पाप-पुन्य सब बेकार की बाते हैं साली. जिस काम से दोनो को सुख मिले और किसी का नुकसान ना हो वो पाप कैसे हो सकता है? "
“लेकिन जीजू, मैं तो अभी बहुत छ्होटी हू." कामिनी ने अपना डर जताया.
“यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा", मैने उसे भरोसा दिलाया.
कामिनी कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैने पूछा, "बोलो साली, क्या कहती हो?”
ठीक है जीजू, आप जो चाहे कीजिए. मैं सिर्फ़ आपकी खुशी चाहती हू."
मेरी साली का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था. कामिनी की स्वीकरति मिलते ही मैने उसके नाज़ुक बदन को अपनी बाहो मे भींच लीया और उसके पतले पतले गुलाबी होंठो को चूसने लगा.
मैं अपने एक हाथ को उसकी टी-शर्ट के अंदर डाल कर उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियो को हल्के हल्के सहलाने लगा. फिर उसके निप्पल को चुटकी मे लेकर मसलने लगा.
थोड़ी ही देर मे कामिनी को भी मज़ा आने लगा और वो शी....शी. .ई.. करने लगी.
मज़ा आ रहा है जीजू.... आ... और कीजीए बहुत अच्छा लग रहा है.
अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया. हल्के विरोध के बावजूद मैने कामिनी की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मूह मे लेकर चूसने लगा. दूसरी चूची को मैं हाथो मे लेकर धीरे धीरे दबा रहा था.
कामिनी को अब पूरा मज़ा आने लगा था.
क्रमशः.....................
कामिनी आज मुझे मत रोको. आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो.”
“लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?" कामिनी ने आश्चर्या से पूछा.
“साली तो आधी घर वाली होती है और जब तुमने घर सम्हाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो. मैं औरो की बात नही जानता, पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हू. तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हू. प्लीज़ आज मुझे मत रोको कामिनी." मैने अनुरोध भरे स्वर मे कहा.
“मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है” , कामिनी ने कहा.
"पाप-पुन्य सब बेकार की बाते हैं साली. जिस काम से दोनो को सुख मिले और किसी का नुकसान ना हो वो पाप कैसे हो सकता है? "
“लेकिन जीजू, मैं तो अभी बहुत छ्होटी हू." कामिनी ने अपना डर जताया.
“यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा", मैने उसे भरोसा दिलाया.
कामिनी कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैने पूछा, "बोलो साली, क्या कहती हो?”
ठीक है जीजू, आप जो चाहे कीजिए. मैं सिर्फ़ आपकी खुशी चाहती हू."
मेरी साली का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था. कामिनी की स्वीकरति मिलते ही मैने उसके नाज़ुक बदन को अपनी बाहो मे भींच लीया और उसके पतले पतले गुलाबी होंठो को चूसने लगा.
मैं अपने एक हाथ को उसकी टी-शर्ट के अंदर डाल कर उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियो को हल्के हल्के सहलाने लगा. फिर उसके निप्पल को चुटकी मे लेकर मसलने लगा.
थोड़ी ही देर मे कामिनी को भी मज़ा आने लगा और वो शी....शी. .ई.. करने लगी.
मज़ा आ रहा है जीजू.... आ... और कीजीए बहुत अच्छा लग रहा है.
अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया. हल्के विरोध के बावजूद मैने कामिनी की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मूह मे लेकर चूसने लगा. दूसरी चूची को मैं हाथो मे लेकर धीरे धीरे दबा रहा था.
कामिनी को अब पूरा मज़ा आने लगा था.
क्रमशः.....................