किरण की कहानी compleet
किरण की कहानी compleet
हाई फ्रेंड्स मैं भी इक कहानी इस फोरम मे पोस्ट कर रहा हूँ दोस्तो मैं कोई राईटर नही हूँ मैं तो बस कॉपी पेस्ट कर रहा हूँ
कहानी अच्छी है या बुरी इसका क्रेडिट इस कहानी के लेखक को देना
किरण की कहानी
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
हेलो दोस्तो. एक नई कहानी लिखी है पढ़ के बताइए के कैसी लगी. कहानी कुछ ज़ियादा ही लंबी हो गई है पर आइ एम शुवर के आप को पसंद आएगी. मुझे मैल करना के कहानी कैसी लगी. थॅंक्स इन अड्वान्स.
मेरी एक नेट फ्रेंड है किरण. किरण एक शादी शुदा लड़की (औरत) है. लड़की इस लिए के अभी उसकी एज छोटी ही है और औरत इस लिए के उसकी शादी हो चुकी है और उसकी चुदाई भी हो चुकी है. किरण एक बोहोत ही अछी लड़की है यह मैं इस लिए जानता हू के मैं उस से चॅट करता रहता हू और मैं किरण से इंट्रोडक्षन करवाने के लिए अपनी एक और फ्रेंड ईशा जो कहने को तो शिकागो, अमेरिका मे रहती है पर सच तो यह है के ईशा मेरे दिल मे रहती है और मेरा दिल ईशा के नाम से ही धड़कता है मैं उसको अपनी जान से ज़ियादा प्यार करता हू और अपनी इशू जान का शुक्रिया अदा करना चाहता हू. ईशा मेरी जान थॅंक्स फॉर दा इंट्रोडक्षन. आइ लव यू बोथ.
किरण की शादी को लग भाग 7 – 8 महीने हुए हैं. इंडिया के ही एक बड़े मेट्रोपोलिटन सिटी मे रहती है. उस ने मुझे अपनी जीवन की बोहोत सारी घटनाएँ बताई है जो उसके साथ घटी है और वो चाहती है के मैं उसकी ज़िंदगी के बारे मे एक कहानी लिखू. उसने मेरी लिखी हुई कहानिया पढ़ी हैं और मेरी स्टोरी राइटिंग की स्किल से इंप्रेस हो के उसने मुझ से रिक्वेस्ट की है तो इसी लिए मैं लिख रहा हू. मेरी उस से चॅट होती रहती है और चॅट करते समय उसने अपने बारे मे सब कुछ बता दिया जिसको मैं ने नोट कर लिया और एक कहानी की तरह से लिख दिया. सब से पहले यह कहानी उसके पास फॉर्वर्ड की उसके अप्रूवल के लिए और फिर कुछ चेंजस अडिशन्स के साथ और उसकी इजाज़त से ही यह आप सब लोगो के लिए भेज रहा हू. होप के आप को भी पसंद आएगी. मुझे ज़रूर मैल करना के आप सब को यह कहानी कैसी लगी. आपको बता दू के यह कहानी हंड्रेड पर्सेंट सच है.
अब आगे की कहानी किरण की ज़ुबानी सुनिए :
मेरा नाम किरण है. मेरी एज 27 साल की है. गोरा चिटा रंग. 5’ 6” की नॉर्मल हाइट. चेहरा बदन 36 द – 32 – 36 का मेरा फिगर है. लोग और मेरी सहेलिया कहती है के मैं खूबसूरत हू. मेरी शादी को तकरीबन 8 महीने हुए हैं. पति के साथ
सुहाग रात और बाकी की सेक्स लाइफ कैसे गुज़र रही है वो तो मैं आप को बताउन्गि ही लैकिन मैं आपको उस से पहले के कुछ और घटनाए सुना ने जा रही हू.
मैं उस समय इंटर के 2न्ड एअर (+2 ) के एग्ज़ॅम दे रही थी. उमर होगी कोई 16 साल के लग भग. मेरे फाइनल एग्ज़ॅम से पहले प्रिपॅरेटरी एग्ज़ॅम होने वाले थे. जन्वरी का महीना था बे इंतेहा सर्दी पड़ रही थी. मैं दो दो रज़ाई ( ब्लंकेट टाइप ऑफ कवर विथ कॉटन स्टफ्ड इनसाइड ) ओढ़ के पढ़ रही थी.
उन्न दीनो मेरे एक कज़िन सुनील जिनकी एज होगी कोई 29 – 30 साल की. उन्हो ने अपने सिटी मे कोई नया नया बिज़्नेस स्टार्ट किया हुआ था तो वो कुछ खरीदारी के लिए यहा आए हुए थे और हमारे घर मे ही ठहरे थे. हमारा घर एक डबल स्टोरी घर है ऊपेर सिर्फ़ एक मेरा रूम और दूसरा स्टोर रूम है जिस्मै हमारे घर के स्पेर बेड्स, ब्लॅंकेट्स, बेडशीट्स वाघहैरा रखे रहते हैं. जब उनकी ज़रूरत होती है तो निकाले जाते है मौसम के हिसाब से. और एक दूसरा रूम जिस्मै मैं अकेली रहती हू और अपनी पढ़ाई किया करती हू. मेरा रूम बोहोत बड़ा भी नही और बिल्कुल छोटा भी नही बॅस मीडियम साइज़ का रूम थे जिस्मै मेरा एक बेड पड़ा हुआ था. वो डबल बेड भी नही और सिंगल बेड भी नही बलके डबल से थोडा छोटा और सिंगल से थोड़ा बड़ा बेड था. इतना बड़ा के कभी कभी मेरी फ्रेंड रात मे मेरे साथ पढ़ने के लिए आती और रात मे रुक जाती तो हम दोनो इतमीनान से सो सकते थे. और रूम मे एक पढ़ाई की टेबल और कुर्सी रखी है. एक मेरी कपबोर्ड और एक मीडियम साइज़ का अटॅच्ड बाथरूम है जिस्मै वॉशिंग मशीन भी रखी हुई थी. घर मे नीचे तीन कमरे थे. एक मम्मी और डॅडी का बड़ा सा बेडरूम, दूसरा एक बड़ा हॉल जैसा ड्रॉयिंग रूम जिसके एक कॉर्नर मे डाइनिंग टेबल भी पड़ी हुई थी यह ड्रॉयिंग कम डाइनिंग रूम था और एक स्पेर रूम किसी भी गेस्ट्स वाघहैरा के लिए था जिस्मै सुनील को ठहराया गया था.
हा तो मैं पढ़ाई मे बिज़ी थी. सर्दी जम्म के पड़ रही थी. मैं अपना लहाफ़ ओढ़े बेड पे बैठे पढ़ रही थी. बाइयालजी का सब्जेक्ट था और मैं एक ज़ुवालजी की बुक पढ़ रही थी. इत्तेफ़ाक़ से मैं रिप्रोडक्टिव सिस्टम ही पढ़ रही थी. जिस्मै मेल और फीमेल ऑर्गन्स की डीटेल्स के साथ ट्रॅन्सवर्स सेक्षन की फिगर बनी हुई थी. रात काफ़ी हो चुकी थी मैं अपने पढ़ाई को फाइनल टचस दे रही थी. कुछ फिगर्स देख के बनाए हुए थे नोट्स के लिए उस मैं ही कोलौरिंग कर रही थी और साथ मे लेबलिंग कर रही थी.
रात के शाएद 11 बजे होंगे पर सर्दी होने की वजह से सब जल्दी ही सो गये थे जिस से लगता था के पता न्ही कितनी रात बीत चुकी हो. घर मे मेरी मम्मी और डॅडी नीचे ही रहते थे और डिन्नर के बाद अपनी दवाइयाँ खा के अपने रूम मे जा के सो चुके थे. अचानक सुनील मेरे कमरे मे अंदर आ गये. मैं देख के हैरान रह गई और पूछा के क्या बात है तो उस ने बताया के नींद नही आ रही थी और तुम्हारे रूम की लाइट्स जलती देखी तो ऐसे ही चला आया के देखु तो सही के तुम सच मे अपनी पढ़ाई कर रही हो ( एक आँख बंद कर के ) या कुछ और.
मैं ने कहा के देख लो अपने कोर्स का ही पढ़ रही हू मेरे एग्ज़ॅम्स हैं मैं कोई खेल तमाशा नही कर रही हू. उस ने कहा के लाओ देखु तो सही के तुम क्या पढ़ रही हो और मेरे नोट्स और रेकॉर्ड बुक अपने हाथ मे ले के देखने लगा. सर्दी के मारे उसका भी बुरा हाल हो गया तो वो भी मेरे साथ ही लहाफ़ के अंदर घुस आया और मेरे बाज़ू मे बैठ गया.
रेकॉर्ड बुक के स्टार्टिंग मे तो माइक्रोस्कोप की फिगर थी और फिर सेल का डाइयग्रॅम था उसके बाद ऐसे हो छोटे मोटे डाइयग्रॅम्स फिर फाइनली उसने वो पेज खोल लिया जिस्मै मैं ने मेल और फीमेल के रिप्रोडक्टिव सिस्टम का डाइयग्रॅम बनाया हुआ था. मेरी तरफ मुस्कुरा के देखा और बोला के क्या यह भी तुम्हारे कोर्स मे है. मैं ने कहा हा तो उस ने कहा के अछा मुझे भी तो समझाओ के यह सिस्टम कैसे वर्क करता है. मैं शरम से पानी पानी हुई जा रही थी. मैं ने कहा मुझे नही पता तुम खुद भी तो साइन्स के स्टूडेंट थे अपने आप ही पढ़ लो और समझ लो. उस ने फिर से पूछा के तुम्है समझ मे नही आया क्या यह सिस्टम तो मैं ने कहा के नही तो उसने फिर पूछा के मैं समझा दू तो मेरे मूह से अंजाने मे “हूँ” निकल गया. उसने कहा थे ठीक है मैं समझाता हू और मेरी बुक और मेरी रेकॉर्ड बुक को खोल के पकड़ लिया.
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हम दोनो बाज़ू बाज़ू मे बैठे थे. मैं घुटने मोड़ के बैठी थी और वो पलटी (क्रॉस लेगेड) मार के बैठा था. अब उसने मुझे समझाना शुरू क्या के यह है फीमेल का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन इसे इंग्लीश मैं वेजाइना, पुसी या कंट कहते है और हिन्दी मे योनि या चूत कहते हैं. मैं शरम के मारे एक दम से लाल हो गई पर कुछ कहा नही. फिर उसने डीटेल बताना शुरू किया के यह है लेबिया मेजॉरा जिसे पुसी के लिप्स कहते है और यह उसके अंदर लेबिया मिनोरा यह डार्क पिंक कलर का या लाल कलर का होता है और यह उसके ऊपेर जो छोटा सा बटन जैसा बना हुआ है वो क्लाइटॉरिस या हिन्दी मे घुंडी या चूत का दाना भी कहते हैं और जब इसको धीरे धीरे से रगड़ा जाता है या मसाज किया जाता है तो यह जो चूत का सुराख नज़र आ रहा
है इस मे से पानी निकलना शुरू हो जाता है. या फिर अगर लड़की बोहोत ही एग्ज़ाइटेड हो जाती है तो ये निकलने वाले जुजिसे से चूत गीली हो जाती है जो के रिप्रोडक्षन के इनिशियल काम को आसान बना देती है. इतना सुनना था के मेरी चूत मे से समंदर जितना जूस निकलने लगा और चूत भर गई.
अब यह देखो दूसरी फिगर यह मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन है. इसे इंग्लीश मे पेनिस या कॉक कहते है और हिन्दी मे लंड या लौदा कहते हैं. यह नॉर्मल हालत मे ऐसे ही ढीला पड़ा रहता है जैसे के पहली पिक्चर मे है ( दो डाइयग्रॅम्स थे. एक मे नों एरेक्टेड पेनिस था दूसरे मे फुल्ली एरेक्टेड पेनिस था ) . और जब यह बोहोत एग्ज़ाइटेड हो जाता है तो यह दूसरी फिगर की तरह खड़ा हो जाता है. यह पेनिस के अंदर जो ब्लड वेसल्स है इन्न मे डॉरॅन खून (ब्लड सर्क्युलेशन) बढ़ जाता है और उसकी वजह से मसल्स अकड़ के लंड लंबा मोटा और सख़्त हो जाता है और मेरा हाथ पकड़ के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और कहा ऐसे .
अब मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी बदन मे इतनी गर्मी आ गई थी के मुझे लग रहा था मानो मेरा बदन किसी आग मे जल रहा हो. और यह देखो उसने मेरा हाथ लंड के नीचे किया और कहा इसके नीचे जो यह दो बॉल्स दिखाई दे रहे हैं इन्है इंग्लीश मे टेस्टिकल्स या स्क्रोटम और हिन्दी मे अंडे भी कहते हैं. यह आक्च्युयली स्पर्म प्रोड्यूसिंग फॅक्टरी है जहा स्पर्म बनते हैं. यह स्पर्म जब मेल के ऑर्गन से ट्रान्स्फर हो के फीमेल के ऑर्गन मे जाता है तो बचा पैदा होता है. मेरा मानो बुरा हाल हो गया था कुछ समझ मे नही आ रहा था के क्या कहु और सुनील था के बॅस एक प्रोफेसर की तरह से लेक्चर दिए जा रहा था. मैं अंजाने मे उसका तना हुआ लंड अपने हाथ मे पकड़े बैठी थी मुझे इतना होश भी नही था के मैं अपना हाथ उसके लंड पे से हटा लू.
जब मेल का यह एरेक्ट लंड फीमेल की चूत के अंदर जाता है और चुदाई करते करते जब एग्ज़ाइट्मेंट और मज़ा बढ़ जाता है तो अपना स्पर्म चूत के अंदर यह जो बचे दानी दिख रही है उसके मूह पे छोड़ देता है जिस से स्पर्म बचे दानी के खुले मूह के अंदर चला जाता है और बचा पैदा होता है. मुझे पता ही नही चला के उसका एक हाथ तो मेरी चूत पे है जिसका वो मसाज कर रहा है और मेरा हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और मैं अंजाने मे उसके मोटे लंड को दबा रही थी. यह पहला मोका था के मैं ने किसी के लंड को अपने हाथो मे पकड़ा हो. उसने फिर कहा के देखो कैसी गीली हो गई है तुम्हारी चूत ऐसे ही हो जाती है एग्ज़ाइट्मेंट के टाइम पे. तब मुझे एहसास हुआ के यह मैं क्या कर रही हू और एक दम से
अपना हाथ उसके लंड पे से खेच लिया लैकिन उसने अपने हाथ मेरी चूत पे से नही हटाया. मेरी नाइटी मे हाथ डाले हुए ही था और मेरी चूत का मसाज करता ही जा रहा था जिस से मेरी चूत बोहोत गीली हो चुकी थी,
सुनील हस्ने लगा और बोला के डरती कियों हो मैं तो तुम्है थियरी के साथ प्रॅक्टिकल भी बता रहा था ताके तुम अछी तरह से समझ सको. बॅस इतना कहा उसने और एलेक्ट्रिसिटी चली गई और बल्ब बुझ गया और कमरे मे अंधेरा छा गया. मैं तो बे तहाशा गरम और गीली हो चुकी थी साँसें तेज़ी से चल रही थी दिमाग़ और बदन मे सन सनाहट दौड़ रही थी ब्लड सर्क्युलेशन हंड्रेड टाइम्स बढ़ चुका था चेहरा लाल हो गया था गहरी गहरी सांस ले रही थी. उसने मुझे धीरे से पुश किया और मैं बेड पे सीधे लेट गई. वो मेरी साइड मे था उसका हाथ अभी भी चूत पे था मुझे इतना होश भी नही था के मैं उसका हाथ पकड़ के हटा दूं.
बॅस ऐसे ही चित्त लेटी रही और अंजाने मे मेरी टाँगे भी खुल गई थी और वो मेरी चूत का अछी तरह से मसाज कर रहा था. मुझे बोहोत ही मज़ा आ रहा था. अब उसने फिर मेरा हाथ पकड़ के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और मेरे हाथ को अपने हाथो से ऐसे दबाया जैसे मैं उसका लंड दबा रही हू. बहुत मोटा, सख़्त और गरम था उसका लंड. उसन्ने एलास्टिक वाला जॉगिंग पॅंट पहना था जिसको उसने अपने घुटनो तक खिसका दिया था और मेरे हाथ मे अपना लंड थमा दिया था और मैं हमेशा की तरह बिना पॅंटी और बिना ब्रस्सिएर के नाइटी पहनी थी मुझे क्या मालूम था के ऐसे होने वाला है. मैं तो रोज़ रात को सोने के टाइम पे अपनी पॅंटी और ब्रस्सिएर निकल के ही सोती थी.
है इस मे से पानी निकलना शुरू हो जाता है. या फिर अगर लड़की बोहोत ही एग्ज़ाइटेड हो जाती है तो ये निकलने वाले जुजिसे से चूत गीली हो जाती है जो के रिप्रोडक्षन के इनिशियल काम को आसान बना देती है. इतना सुनना था के मेरी चूत मे से समंदर जितना जूस निकलने लगा और चूत भर गई.
अब यह देखो दूसरी फिगर यह मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन है. इसे इंग्लीश मे पेनिस या कॉक कहते है और हिन्दी मे लंड या लौदा कहते हैं. यह नॉर्मल हालत मे ऐसे ही ढीला पड़ा रहता है जैसे के पहली पिक्चर मे है ( दो डाइयग्रॅम्स थे. एक मे नों एरेक्टेड पेनिस था दूसरे मे फुल्ली एरेक्टेड पेनिस था ) . और जब यह बोहोत एग्ज़ाइटेड हो जाता है तो यह दूसरी फिगर की तरह खड़ा हो जाता है. यह पेनिस के अंदर जो ब्लड वेसल्स है इन्न मे डॉरॅन खून (ब्लड सर्क्युलेशन) बढ़ जाता है और उसकी वजह से मसल्स अकड़ के लंड लंबा मोटा और सख़्त हो जाता है और मेरा हाथ पकड़ के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और कहा ऐसे .
अब मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी बदन मे इतनी गर्मी आ गई थी के मुझे लग रहा था मानो मेरा बदन किसी आग मे जल रहा हो. और यह देखो उसने मेरा हाथ लंड के नीचे किया और कहा इसके नीचे जो यह दो बॉल्स दिखाई दे रहे हैं इन्है इंग्लीश मे टेस्टिकल्स या स्क्रोटम और हिन्दी मे अंडे भी कहते हैं. यह आक्च्युयली स्पर्म प्रोड्यूसिंग फॅक्टरी है जहा स्पर्म बनते हैं. यह स्पर्म जब मेल के ऑर्गन से ट्रान्स्फर हो के फीमेल के ऑर्गन मे जाता है तो बचा पैदा होता है. मेरा मानो बुरा हाल हो गया था कुछ समझ मे नही आ रहा था के क्या कहु और सुनील था के बॅस एक प्रोफेसर की तरह से लेक्चर दिए जा रहा था. मैं अंजाने मे उसका तना हुआ लंड अपने हाथ मे पकड़े बैठी थी मुझे इतना होश भी नही था के मैं अपना हाथ उसके लंड पे से हटा लू.
जब मेल का यह एरेक्ट लंड फीमेल की चूत के अंदर जाता है और चुदाई करते करते जब एग्ज़ाइट्मेंट और मज़ा बढ़ जाता है तो अपना स्पर्म चूत के अंदर यह जो बचे दानी दिख रही है उसके मूह पे छोड़ देता है जिस से स्पर्म बचे दानी के खुले मूह के अंदर चला जाता है और बचा पैदा होता है. मुझे पता ही नही चला के उसका एक हाथ तो मेरी चूत पे है जिसका वो मसाज कर रहा है और मेरा हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और मैं अंजाने मे उसके मोटे लंड को दबा रही थी. यह पहला मोका था के मैं ने किसी के लंड को अपने हाथो मे पकड़ा हो. उसने फिर कहा के देखो कैसी गीली हो गई है तुम्हारी चूत ऐसे ही हो जाती है एग्ज़ाइट्मेंट के टाइम पे. तब मुझे एहसास हुआ के यह मैं क्या कर रही हू और एक दम से
अपना हाथ उसके लंड पे से खेच लिया लैकिन उसने अपने हाथ मेरी चूत पे से नही हटाया. मेरी नाइटी मे हाथ डाले हुए ही था और मेरी चूत का मसाज करता ही जा रहा था जिस से मेरी चूत बोहोत गीली हो चुकी थी,
सुनील हस्ने लगा और बोला के डरती कियों हो मैं तो तुम्है थियरी के साथ प्रॅक्टिकल भी बता रहा था ताके तुम अछी तरह से समझ सको. बॅस इतना कहा उसने और एलेक्ट्रिसिटी चली गई और बल्ब बुझ गया और कमरे मे अंधेरा छा गया. मैं तो बे तहाशा गरम और गीली हो चुकी थी साँसें तेज़ी से चल रही थी दिमाग़ और बदन मे सन सनाहट दौड़ रही थी ब्लड सर्क्युलेशन हंड्रेड टाइम्स बढ़ चुका था चेहरा लाल हो गया था गहरी गहरी सांस ले रही थी. उसने मुझे धीरे से पुश किया और मैं बेड पे सीधे लेट गई. वो मेरी साइड मे था उसका हाथ अभी भी चूत पे था मुझे इतना होश भी नही था के मैं उसका हाथ पकड़ के हटा दूं.
बॅस ऐसे ही चित्त लेटी रही और अंजाने मे मेरी टाँगे भी खुल गई थी और वो मेरी चूत का अछी तरह से मसाज कर रहा था. मुझे बोहोत ही मज़ा आ रहा था. अब उसने फिर मेरा हाथ पकड़ के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और मेरे हाथ को अपने हाथो से ऐसे दबाया जैसे मैं उसका लंड दबा रही हू. बहुत मोटा, सख़्त और गरम था उसका लंड. उसन्ने एलास्टिक वाला जॉगिंग पॅंट पहना था जिसको उसने अपने घुटनो तक खिसका दिया था और मेरे हाथ मे अपना लंड थमा दिया था और मैं हमेशा की तरह बिना पॅंटी और बिना ब्रस्सिएर के नाइटी पहनी थी मुझे क्या मालूम था के ऐसे होने वाला है. मैं तो रोज़ रात को सोने के टाइम पे अपनी पॅंटी और ब्रस्सिएर निकल के ही सोती थी.
Re: किरण की कहानी
उसका हाथ मेरे सर के नीचे था उसने दूसरे हाथ से मुझे अपनी तरफ करवट दिला दी अब हम दोनो एक दूसरे की तरफ मूह करके करवट से लेटे थे. उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरा मूह बे-इख्तेयार ऑटोमॅटिकली खुल गया और उसकी ज़बान मेरी मूह के अंदर घुस चुकी थी और मैं उसकी ज़बान को ऐसे एक्षपेरेट की तरह चूस रही थी जैसे मैं फ्रेंच किस्सिंग मैं कोई एक्सपर्ट हू हालाँके यह मेरी ज़िंदगी का पहला टंग सकिंग फ्रेंच किस था. मेरे बदन मे जैसे हल्के हल्के एलेक्ट्रिक शॉक्स जैसे लग रहे थे.
मैं सुनील के राइट साइड पे थी और वो मेरे लेफ्ट साइड पे. अब उस ने अपने पैरो को चलाते हुए अपनी जॉगिंग पॅंट भी निकाल दी और अपनी टी-शर्ट भी वो पूरे का पूरा नंगा हो गया था उसके सीने के बॉल मेरे नाइटी के ऊपेर से ही मेरे बूब्स पे लग रहे थे और मेरे निपल्स खड़े हो गये थे. सुनील ने मेरी
राइट लेग को उठा के अपने लेफ्ट थाइ पे रख लिया ऐसा करने से मेरी नाइटी थोड़ी सी ऊपेर उठ गई तो उसने मेरे थाइस पे हाथ फेरते फेरते नाइटी को ऊपेर उठाना शुरू किया और मेरे सहयोग से पूरी नाइटी निकाल दी. मैं एक दम से अपने होश ओ हवास खो चुकी थी और ऑटोमॅटिकली वो जैसे कर रहा था करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी.
हम दोनो एक दूसरे की तरफ करवट लिए लेटे थे और मेरी एक टांग उसके थाइ पे थी और अब उसने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्है मूह मे ले के चूसने लगा. बूब्स को मूह मे लेते ही मेरे बदन मे एलेक्ट्रिक करेंट दौड़ गया तो मैं ने उसका लंड छोड़ के उसका सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा दिया वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचिओ को चूस रहा था और उसका लंड जोश मे हिल रहा था. लंड का सूपड़ा मेरी चूत के लिप्स को टच कर रहा था. लंड के सुराख मे से प्री कम भी निकल रहा था. उसने मेरा हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पे रख दिया और मैं ऑटोमॅटिकली उसको दबाने लगी और वो मेरी चूत का मसाज करने लगा ऊपेर से नीचे कभी चूत के सुराख मे धीरे से उंगली डाल देता कभी चूत के लिप्स के अंदर ही ऊपेर से नीचे और कभी मेरी क्लाइटॉरिस को मसल देता तो मैं जोश मे पागल हो जाती. मेरी एक टंग उसकी थाइस पे रखे रहने की वजह से मेरी चूत थोड़ी सी खुल गई थी और लंड का सूपड़ा चूत से टच हो रहा था तो मैं ने उसके लंड को पकड़े पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया. मैं मस्ती से पागल हुई जा रही थी. मुझे लग रहा था जैसे मेरे अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बहेर आने को बेचैन है. इसी तरह से मैं उसके लंड को अपनी चूत मे रगड़ती रही और लंड मे से निकला हुआ प्री कम और मेरी चूत का बहता हुआ जूस मिल के चूत को और ज़ियादा स्लिपरी बना रहे थे और मेरे मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था अब मे चाह रही थी के यह लंड मेरी चूत के अंदर घुस जाए और मुझे चोद डाले.
मैं सुनील के राइट साइड पे थी और वो मेरे लेफ्ट साइड पे. अब उस ने अपने पैरो को चलाते हुए अपनी जॉगिंग पॅंट भी निकाल दी और अपनी टी-शर्ट भी वो पूरे का पूरा नंगा हो गया था उसके सीने के बॉल मेरे नाइटी के ऊपेर से ही मेरे बूब्स पे लग रहे थे और मेरे निपल्स खड़े हो गये थे. सुनील ने मेरी
राइट लेग को उठा के अपने लेफ्ट थाइ पे रख लिया ऐसा करने से मेरी नाइटी थोड़ी सी ऊपेर उठ गई तो उसने मेरे थाइस पे हाथ फेरते फेरते नाइटी को ऊपेर उठाना शुरू किया और मेरे सहयोग से पूरी नाइटी निकाल दी. मैं एक दम से अपने होश ओ हवास खो चुकी थी और ऑटोमॅटिकली वो जैसे कर रहा था करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी.
हम दोनो एक दूसरे की तरफ करवट लिए लेटे थे और मेरी एक टांग उसके थाइ पे थी और अब उसने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्है मूह मे ले के चूसने लगा. बूब्स को मूह मे लेते ही मेरे बदन मे एलेक्ट्रिक करेंट दौड़ गया तो मैं ने उसका लंड छोड़ के उसका सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा दिया वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचिओ को चूस रहा था और उसका लंड जोश मे हिल रहा था. लंड का सूपड़ा मेरी चूत के लिप्स को टच कर रहा था. लंड के सुराख मे से प्री कम भी निकल रहा था. उसने मेरा हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पे रख दिया और मैं ऑटोमॅटिकली उसको दबाने लगी और वो मेरी चूत का मसाज करने लगा ऊपेर से नीचे कभी चूत के सुराख मे धीरे से उंगली डाल देता कभी चूत के लिप्स के अंदर ही ऊपेर से नीचे और कभी मेरी क्लाइटॉरिस को मसल देता तो मैं जोश मे पागल हो जाती. मेरी एक टंग उसकी थाइस पे रखे रहने की वजह से मेरी चूत थोड़ी सी खुल गई थी और लंड का सूपड़ा चूत से टच हो रहा था तो मैं ने उसके लंड को पकड़े पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया. मैं मस्ती से पागल हुई जा रही थी. मुझे लग रहा था जैसे मेरे अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बहेर आने को बेचैन है. इसी तरह से मैं उसके लंड को अपनी चूत मे रगड़ती रही और लंड मे से निकला हुआ प्री कम और मेरी चूत का बहता हुआ जूस मिल के चूत को और ज़ियादा स्लिपरी बना रहे थे और मेरे मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था अब मे चाह रही थी के यह लंड मेरी चूत के अंदर घुस जाए और मुझे चोद डाले.