बाप बेटी की कहानी - पापा की हेल्पिंग बेटी compleet
Posted: 30 Dec 2014 10:21
पापा की हेल्पिंग बेटी--1
हेलो दोस्तो आपका दोस्त राज शर्मा एक ओर नई कहानी लेकेर आपके सामने हाजिर है .
कहानी सुनाने से पहले मैं थोरा सा बॅकग्राउंड आप सब को बता दून.ये कहानी बाप ओर बेटी की चुदाई
की कहानी है . अब आप कहानी को उस लड़की की ज़ुबानी ही सुने तो ज़्यादा अच्छा ओर ज़्यादा मज़ा आएगा
मेरी मदर की 3 साल पहले ट्रॅफिक एक्सीडेंट मैं डेत हो गई थी. उस वक़्त मैं कोई 12 साल की थी और अपने पापा की अकेली बेटी थी. हम लोग काफ़ी साल पहले हयदेराबाद से रावलपिंडी शिफ्ट हो गये थे. यहाँ पिंडी मैं सिवाइ हमारे एक दो फॅमिली फ्रेंड्स के और कोई रिश्तेदार ना था. बस हम तीनो अकेले रहते थे. मम्मी की डेत के बाद हम सिर्फ़ 2 रह गये थे.
घर के एक कमरे मैं जोकि बाहर कमर्षियल स्ट्रीट की तरफ खुलता था, पापा ने बोहट अछा जनरल स्ट्रोरे खोला हुआ था जिस से हमारी बहुत अछी इनकम होती थी. मम्मी के जाने के बाद मुझे भी तन्हाई महसूस नही होती थी. सुबा मैं स्कूल चली जाती. काम वाली सुबा घर की सफाई वगेरा कर के खाना तय्यार कर के चली जाती. स्कूल से वापसी पेर हम दोनो बाप बेटी साथ खाना खाते. मम्मी की कमी बहुत महसूस होती थी. इसी तरह एक साल गुज़र गया. और मुझे यह कभी भी एहसास ना हुआ के अगर मुहज़े मम्मी की कमी महसूस होती है तो पापा का क्या हाल होता होगा. मैं जवानी की हदों को छू रही थी. मेरी छातियाँ अछी ख़ासी निकल आई थी. अक्सर मेरी चूत मैं भी मीठी मीठी खारिश होती थी. मगर ना मैं इन सब चीज़ों का मतलब जान सकी और ना ये महसूस कर सकी कि पापा मम्मी के बाद सेक्स को कितना मिस करते होंगे.
फिर एक रात वो हुआ जिसने हम दोनो बाप बेटी की ज़िंदगी बदल दी.
जुलाइ की रात थी. बहुत शेडेड गर्मी के बाद बहुत तेज़ बेरिश हो रही थी. बादल बहुत ज़ोर ज़ोर से गरज रहे थे. मैं अपने कमरे मैं सहमी हुई सोने की कोशिश कर रही थी, मगर डर के मारे नींद नही आ रही थी. अचानक जो एक दफ़ा बदल बहुत ज़ोर से गर्जे तो मेरी चीख निकल गई और मैं बेड से उठ कर पापा के बेडरूम की तरफ भागी.
जल्दी से मैने पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खोला और पापा के बेड के बिल्कुल सामने जा खरी हुई. सूब कुछ इतना जल्दी मैं हुआ के मैं बेडरूम का दरवाज़ा खोलते हुआी यह भी ना देख सकी के मेरे पियारे पापा उस वक़्त अपने बेड पेर बिल्कुल नंगे हो कर अपने तने हुए सख़्त लंड को अपनी मुथि मैं पकरे, मुथि को लंड पेर ऊपर नीचे कर रहे थे. मैं ने ज़िंदगी मैं पहली बार लंड को इतना बरा (बिग) देखा था. पापा को भी मोक़ा ना मिल सका के वो अपने जिस्म पेर शीट डाल लेते. उनका मुँह खुला का खुला रह गया.
मेरे भी मुँह से सिवाए इसके और कुछ ना निकल सका "सॉरी पापा, मैं डर गई थी, इस लिये जिलदी मैं डोर पेर नॉक नही कर सकी".
पापा ने इतनी देर मैं अपने ऊपेर शीट डाल ली और घबरा कर उठ कर बेड पेर बैठ गाए, और बोले: "सॉरी बेटा के तुम ने मुझे इस"तरह देख लिया
आ जाओ और यहाँ मेरे पास बैठ जाओ. जब बारिश रुक जाए तो चली जाना अपने बेडरूम मैं".
"मगर पापा ..... आप डिस्टर्ब होंगे. आप कुत्छ कर रहे थे अभी?"
लेकिन पापा ने जवाब देने की बजाए मुझे हाथ पकड़ कर अपने साथ बेड पर बिठा लिया.
"पापा आप ने कुत्छ नही पहना ... मुझे शरम आती है." यह कहते हुए मुझे खुद अपने बारे मैं एहसास हुआ के मैं ने भी गर्मी की वजह से सिर्फ़ एक थी सी, सी-थ्रू क़िसम की टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. ब्रा भी नही पहनी थी, इस लिये मेरा जिस्म भी बिल्कुल रिवील हो रहा था. टी-शर्ट भागते हुए ऊपेर हो गई ही, जिस की वजह से मेरा पेट और मेरे टिट्स साफ नज़र आ रहे थे.
एक तरफ पापा को मैं नंगा अपना लंड पकड़े देख चुकी थी, और अब वो शीट डाले बैठे थे के पीछे से उनकी कमर नीचे तक नंगी थी. और दूसरी तरफ मैं भी सेमी-नेकेड उनके ब्राबार बैठी हुई थी. मेरी साँस फूल रही थी.
मुझे उस रात पापा के बराबर बैठ कर पहली दफ़ा एहसास हुआ के मेरा जिस्म बहुत सेक्सी है. मेरे बूब्स मेरी 13 साल की एज के मुक़ाबले मैं ज़ियादा बिग और राउंड हैं और सामने को निकले हुए हैं. मेरे हिप्स बहुत राउंड, हार्ड और बल्जिंग हैं. मेरा जिस्म भरा भरा लगता है.
अचानक बारिश का शोर और ज़ियादा हो गया और साथ ही बदल एक बार फिर बहुत ज़ोर से गर्जे के मैं डर के मारे एक दम पापा से लिपट गई. इस तरह लिपटने से पापा की शीट हट गई, और पापा फिर से नंगे हो गाए. मैं कोई 10 सेकेंड यूँही लिपटी रही, टब मुझे पता चला के मैं अपने पापा के नंगे जिसम से लिपटी हुई हूँ.
मैं ने घबरा कर पापा से अलग हो ने की कोशिश की तो पापा ने मेरी कमर मैं अपना हाथ डाल कर मुझे मज़बूती से अपने नंगे जिसम के साथ जाकड़ लिया.
"जानू ऐसे ही बैठी रहो"
मैं कुत्छ ना जवाब दे सकी. मैं पापा के लेफ्ट साइड से लिपटी हुई थी. मेरा सर पापा के सीने पर था. शीट हट जाने की वजह से पापा का खरा हुआ लंड मेरे फेस से एक फीट के फ़ासले पर था. पापा ने एक बार फिर अपने लंड को राइट हॅंड की मुथि मे जाकड़ लिया और हाथ को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपेर नीचे करने लगे.
"पापा यह आप किया कर रहें हैं?"
"आज तुम्हारी मम्मी की बोहत याद आ रही हे" पापा ने जवाब दिया.
"छी पापा, जुब मम्मी की याद आती हे तो आप ऐसे करते हैं?"
"बेटा, वो तुम्हारी मा थी, लेकिन मेरी बीवी थी, और मियाँ बीवी का रिश्ता और तरह का होता हे".
"मैं समझी नही पापा!"
"बेटी क्या तुम्हे नही पता मियाँ बीवी का क्या जिन्सी रिश्ता होता हे?" पापा ने पूछा
"नही पापा, आप बताएँ"
"अब मैं कैसे तुम्हें बताऊं के मियाँ बीवी मैं सेक्स का रिश्ता होता. और इसी रिश्ते की वजह से तुम पैदा हुईं और आज तुम मेरे साथ इस तरह बैठी हो"
"वो कैसे पापा?" मेरी समझ मैं अब भी नहीं आ रहा था.
"शादी के बाद मियाँ अपनी बीवी के साथ सेक्स करता हे, यानी अपनी बीवी तो इस लंड से उसकी चूत को चोद्ता है. चोदते हुए जुब लंड से मनी चूत मैं निकलती है तो फिर 9 मंथ बाद बच्चा पैदा होता हे".
लंड और चूत का नाम तो मैं ने कहीं सुन रखा था, मगर "चोद्ता" मैं ने पहली बार सुना था.
"पापा यह "चोदता" क्या होता हे?"
पापा की साँस आहिस्ता आहिस्ता फूल रही थी. शिवरिंग सी आवाज़ मैं वो बोले.
"अब इस से आगे मैं जो तुम्हे बताऊँगा तो उसके लिये तुम्हे भी मेरी तरह कपड़े उतार कर नंगी होना परे गा. क्या तुम तय्यार हो."
मैं पापा की बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई और उनकी ग्रिफ्त से निकालने की कोशिश करने लगी.
लेकिन पापा ने ज़बरदस्ती मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी और हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगा होगाए.
हेलो दोस्तो आपका दोस्त राज शर्मा एक ओर नई कहानी लेकेर आपके सामने हाजिर है .
कहानी सुनाने से पहले मैं थोरा सा बॅकग्राउंड आप सब को बता दून.ये कहानी बाप ओर बेटी की चुदाई
की कहानी है . अब आप कहानी को उस लड़की की ज़ुबानी ही सुने तो ज़्यादा अच्छा ओर ज़्यादा मज़ा आएगा
मेरी मदर की 3 साल पहले ट्रॅफिक एक्सीडेंट मैं डेत हो गई थी. उस वक़्त मैं कोई 12 साल की थी और अपने पापा की अकेली बेटी थी. हम लोग काफ़ी साल पहले हयदेराबाद से रावलपिंडी शिफ्ट हो गये थे. यहाँ पिंडी मैं सिवाइ हमारे एक दो फॅमिली फ्रेंड्स के और कोई रिश्तेदार ना था. बस हम तीनो अकेले रहते थे. मम्मी की डेत के बाद हम सिर्फ़ 2 रह गये थे.
घर के एक कमरे मैं जोकि बाहर कमर्षियल स्ट्रीट की तरफ खुलता था, पापा ने बोहट अछा जनरल स्ट्रोरे खोला हुआ था जिस से हमारी बहुत अछी इनकम होती थी. मम्मी के जाने के बाद मुझे भी तन्हाई महसूस नही होती थी. सुबा मैं स्कूल चली जाती. काम वाली सुबा घर की सफाई वगेरा कर के खाना तय्यार कर के चली जाती. स्कूल से वापसी पेर हम दोनो बाप बेटी साथ खाना खाते. मम्मी की कमी बहुत महसूस होती थी. इसी तरह एक साल गुज़र गया. और मुझे यह कभी भी एहसास ना हुआ के अगर मुहज़े मम्मी की कमी महसूस होती है तो पापा का क्या हाल होता होगा. मैं जवानी की हदों को छू रही थी. मेरी छातियाँ अछी ख़ासी निकल आई थी. अक्सर मेरी चूत मैं भी मीठी मीठी खारिश होती थी. मगर ना मैं इन सब चीज़ों का मतलब जान सकी और ना ये महसूस कर सकी कि पापा मम्मी के बाद सेक्स को कितना मिस करते होंगे.
फिर एक रात वो हुआ जिसने हम दोनो बाप बेटी की ज़िंदगी बदल दी.
जुलाइ की रात थी. बहुत शेडेड गर्मी के बाद बहुत तेज़ बेरिश हो रही थी. बादल बहुत ज़ोर ज़ोर से गरज रहे थे. मैं अपने कमरे मैं सहमी हुई सोने की कोशिश कर रही थी, मगर डर के मारे नींद नही आ रही थी. अचानक जो एक दफ़ा बदल बहुत ज़ोर से गर्जे तो मेरी चीख निकल गई और मैं बेड से उठ कर पापा के बेडरूम की तरफ भागी.
जल्दी से मैने पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खोला और पापा के बेड के बिल्कुल सामने जा खरी हुई. सूब कुछ इतना जल्दी मैं हुआ के मैं बेडरूम का दरवाज़ा खोलते हुआी यह भी ना देख सकी के मेरे पियारे पापा उस वक़्त अपने बेड पेर बिल्कुल नंगे हो कर अपने तने हुए सख़्त लंड को अपनी मुथि मैं पकरे, मुथि को लंड पेर ऊपर नीचे कर रहे थे. मैं ने ज़िंदगी मैं पहली बार लंड को इतना बरा (बिग) देखा था. पापा को भी मोक़ा ना मिल सका के वो अपने जिस्म पेर शीट डाल लेते. उनका मुँह खुला का खुला रह गया.
मेरे भी मुँह से सिवाए इसके और कुछ ना निकल सका "सॉरी पापा, मैं डर गई थी, इस लिये जिलदी मैं डोर पेर नॉक नही कर सकी".
पापा ने इतनी देर मैं अपने ऊपेर शीट डाल ली और घबरा कर उठ कर बेड पेर बैठ गाए, और बोले: "सॉरी बेटा के तुम ने मुझे इस"तरह देख लिया
आ जाओ और यहाँ मेरे पास बैठ जाओ. जब बारिश रुक जाए तो चली जाना अपने बेडरूम मैं".
"मगर पापा ..... आप डिस्टर्ब होंगे. आप कुत्छ कर रहे थे अभी?"
लेकिन पापा ने जवाब देने की बजाए मुझे हाथ पकड़ कर अपने साथ बेड पर बिठा लिया.
"पापा आप ने कुत्छ नही पहना ... मुझे शरम आती है." यह कहते हुए मुझे खुद अपने बारे मैं एहसास हुआ के मैं ने भी गर्मी की वजह से सिर्फ़ एक थी सी, सी-थ्रू क़िसम की टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. ब्रा भी नही पहनी थी, इस लिये मेरा जिस्म भी बिल्कुल रिवील हो रहा था. टी-शर्ट भागते हुए ऊपेर हो गई ही, जिस की वजह से मेरा पेट और मेरे टिट्स साफ नज़र आ रहे थे.
एक तरफ पापा को मैं नंगा अपना लंड पकड़े देख चुकी थी, और अब वो शीट डाले बैठे थे के पीछे से उनकी कमर नीचे तक नंगी थी. और दूसरी तरफ मैं भी सेमी-नेकेड उनके ब्राबार बैठी हुई थी. मेरी साँस फूल रही थी.
मुझे उस रात पापा के बराबर बैठ कर पहली दफ़ा एहसास हुआ के मेरा जिस्म बहुत सेक्सी है. मेरे बूब्स मेरी 13 साल की एज के मुक़ाबले मैं ज़ियादा बिग और राउंड हैं और सामने को निकले हुए हैं. मेरे हिप्स बहुत राउंड, हार्ड और बल्जिंग हैं. मेरा जिस्म भरा भरा लगता है.
अचानक बारिश का शोर और ज़ियादा हो गया और साथ ही बदल एक बार फिर बहुत ज़ोर से गर्जे के मैं डर के मारे एक दम पापा से लिपट गई. इस तरह लिपटने से पापा की शीट हट गई, और पापा फिर से नंगे हो गाए. मैं कोई 10 सेकेंड यूँही लिपटी रही, टब मुझे पता चला के मैं अपने पापा के नंगे जिसम से लिपटी हुई हूँ.
मैं ने घबरा कर पापा से अलग हो ने की कोशिश की तो पापा ने मेरी कमर मैं अपना हाथ डाल कर मुझे मज़बूती से अपने नंगे जिसम के साथ जाकड़ लिया.
"जानू ऐसे ही बैठी रहो"
मैं कुत्छ ना जवाब दे सकी. मैं पापा के लेफ्ट साइड से लिपटी हुई थी. मेरा सर पापा के सीने पर था. शीट हट जाने की वजह से पापा का खरा हुआ लंड मेरे फेस से एक फीट के फ़ासले पर था. पापा ने एक बार फिर अपने लंड को राइट हॅंड की मुथि मे जाकड़ लिया और हाथ को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपेर नीचे करने लगे.
"पापा यह आप किया कर रहें हैं?"
"आज तुम्हारी मम्मी की बोहत याद आ रही हे" पापा ने जवाब दिया.
"छी पापा, जुब मम्मी की याद आती हे तो आप ऐसे करते हैं?"
"बेटा, वो तुम्हारी मा थी, लेकिन मेरी बीवी थी, और मियाँ बीवी का रिश्ता और तरह का होता हे".
"मैं समझी नही पापा!"
"बेटी क्या तुम्हे नही पता मियाँ बीवी का क्या जिन्सी रिश्ता होता हे?" पापा ने पूछा
"नही पापा, आप बताएँ"
"अब मैं कैसे तुम्हें बताऊं के मियाँ बीवी मैं सेक्स का रिश्ता होता. और इसी रिश्ते की वजह से तुम पैदा हुईं और आज तुम मेरे साथ इस तरह बैठी हो"
"वो कैसे पापा?" मेरी समझ मैं अब भी नहीं आ रहा था.
"शादी के बाद मियाँ अपनी बीवी के साथ सेक्स करता हे, यानी अपनी बीवी तो इस लंड से उसकी चूत को चोद्ता है. चोदते हुए जुब लंड से मनी चूत मैं निकलती है तो फिर 9 मंथ बाद बच्चा पैदा होता हे".
लंड और चूत का नाम तो मैं ने कहीं सुन रखा था, मगर "चोद्ता" मैं ने पहली बार सुना था.
"पापा यह "चोदता" क्या होता हे?"
पापा की साँस आहिस्ता आहिस्ता फूल रही थी. शिवरिंग सी आवाज़ मैं वो बोले.
"अब इस से आगे मैं जो तुम्हे बताऊँगा तो उसके लिये तुम्हे भी मेरी तरह कपड़े उतार कर नंगी होना परे गा. क्या तुम तय्यार हो."
मैं पापा की बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई और उनकी ग्रिफ्त से निकालने की कोशिश करने लगी.
लेकिन पापा ने ज़बरदस्ती मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी और हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगा होगाए.