hindi sex story long- जेठानी का लंड
Posted: 18 Jun 2016 13:01
मुम्बई के बडे शहर मेँ दीप्ति अपने पति गोपाल और एकमात्र 19 साल का बेटा अजय के साथ रहती थी । बडा खुशहाल परिवार था उसका । गोपाल का छोटा भाई कुमार अपनी पत्नी के साथ बाहर रहता था । एक दिन शोभा और कुमार अपने बडे भाई गोपाल और दीप्ति के घर पर आये हुये थे । उस वक्त सब लोग एक हत्या की कहानी पर आधारित जो इस फिल्म देख रहे थे । आम मसाला फिल्म की तरह इस फिल्म में भी कुछ कामुक दृश्य थें । एक आवेशपूर्ण और गहन प्यार दृश्य आते ही अजय कमरें को छोड़ कर जा चुका था । गोपाल और दीप्ति दृश्य के आते ही और लड़के के कमरा छोड़ने के कारण जम से गये थे ।
घर के ऊपर और सब सोने के कमरें थे और और शाम को जब से ये लोग आये थे, कोई भी ऊपर नहीं गया था । नौकर सामान लेकर आया था और गोपाल, कुमार शराब के पैग बना रहे थे । महिलायें भी इस वक्त उनके साथ बैठ कर पी रही थी । हालांकि परिवार को पूरी तरह से माता पिता की रूढ़िवादी चौकस निगाहों के अधीन रखा गया था । बड़ों के आसपास होने पर महिलायें सिंदूर, मंगलसूत्र और साड़ी परंपरागत तरीके से पहनती थी । कुमार के बड़े भाई होने के नाते, शोभा के लिए, गोपाल भी बङे थे और वह अपने सिर को उनकी उपस्थिति में ढक कर रखती थी । लेकिन चूंकि, दोनों कुमार और गोपाल बड़े शहरों में और बड़ी कंपनियों में काम करने वाले है, सो उनके अपने घरों में जीवन शैली जो बड़े पैमाने पर उदार है । शोभा और दीप्ति दोनो हो बङे शहरों से थी अतः उनके विचार काफी उन्मुक्त थे । लेकिन ये सब के चलते एक बहुत बडा राज छुपा हुआ था उस घर मेँ जो सिर्फ गोपाल और शोभा को ही मालुम था । दोनों महिलायें हमेशा नये फैशन के कपङे पहन कर ही यात्रा करती थी, खासकर जब घर के माता पिता साथ नहीं होते थे । हालांकि, दोनों की उम्र में दस साल का अंतर है, दीप्ति अपनी वरिष्ठता का उपयोग करते हुए घर में नये फैशन की सहमति बनाती थी । इस प्रकार, बिना आस्तीन के ब्लाउज, पुश ब्रा, खुली पीठ के ब्लाउज और मेकअप का उपयोग होता था ।
हालांकि, यह स्वतंत्रता केवल छुट्टीयां व्यतीत करते समय के लिये ही दी गई है । सामान्य दिनचर्या में ऐसी चीजों के लिये कोई जगह नहीं थी । वे अक्सर सेक्स जीवन की बातें आपस में बाटती थीं और यहाँ से भी दोनों में काफी समानतायें थीं । दोनों ही पुरुष बहुत प्रयोगवादी नहीं थें और सेक्स एक दिनचर्या ही था । लेकिन अगली पीढ़ी का अजय बहुत अलग था । वह एक और अधिक उदार माहौल में, भारत के बड़े शहरों में बङा हुआ था । लड़का बड़ा हो गया था और बहुत जल्द ही अब एक पुरुष होने वाला था । ये बात भी शोभा ने इस बार नोट की थी । फिल्म में प्रेम दृश्य आने पर वह कमरा छोड़कर गया था इसी से स्पष्ट था उसें काफी कुछ मालूम था । बचपन में गर्मीयों की छुट्टी अजय शोभा के यहां ही बिताता था । एक छोटे लड़के के रूप में शोभा उसको स्नान भी कराती थी । कई बार कुमार की कामोद्दीपक उपन्यास गायब हो जाते थे वह खोजने पर वह उनको अजय के कमरे में पाती थी । इस बारे में सोच कर ही वह कभी कभी उत्तेजित हो जाती थी पर अजय के एक सामान्य स्वस्थ लड़का होने के कारण वह इस बारे में चुप रही । अजय के कमरा छोडने के फौरन बाद, गोपाल और कुमार भी थकने का बहाना बना कर जा रहे थे ।
शोभा को कोई संदेह ना था कि ये क्या हो सकता है । दीप्ति से उसकी नजरें एक बार मिली थी । पर दीप्ति अपनी चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट भरी और सीढ़ियों पर चल दी । शराब का नशा होने के बाद भी फिल्म का असर शोभा पर काफी अच्छा रहा था । फिल्म के उस प्रेम दृश्य में आदमी उस औरत को जानवरों की तरह चौपाया बना कर चोद रहा था । अपने कॉलेज के दिनों में शोभा ने इस सब के बारें में के बारे में अश्लील साहित्य में पढ़ा था और कुछ अश्लील फिल्मों में देखा भी था लेकिन अपने पति के साथ कभी इस का अनुभव नहीं किया । इस विषय की चर्चा अपने पति से करना उसके लिये बहुत सहज नहीं था । उनके लिए सेक्स शरीर की एक जरूरी गतिविधि थी । शोभा ने अपने आप को चारों ओर से उसके पल्लू से लपेट लिया । इन मादक द्रुश्य के प्रभाव से उसे एक कंपकंपी महसूस हो रही थी । इस वक्त वह सोच रही थी कि कुमार अब कहां हैं? शोभा को नींद आ रही थी और उसने ऊपर जाकर सोने का निर्णय लिया ।
घर के ऊपर और सब सोने के कमरें थे और और शाम को जब से ये लोग आये थे, कोई भी ऊपर नहीं गया था । नौकर सामान लेकर आया था और गोपाल, कुमार शराब के पैग बना रहे थे । महिलायें भी इस वक्त उनके साथ बैठ कर पी रही थी । हालांकि परिवार को पूरी तरह से माता पिता की रूढ़िवादी चौकस निगाहों के अधीन रखा गया था । बड़ों के आसपास होने पर महिलायें सिंदूर, मंगलसूत्र और साड़ी परंपरागत तरीके से पहनती थी । कुमार के बड़े भाई होने के नाते, शोभा के लिए, गोपाल भी बङे थे और वह अपने सिर को उनकी उपस्थिति में ढक कर रखती थी । लेकिन चूंकि, दोनों कुमार और गोपाल बड़े शहरों में और बड़ी कंपनियों में काम करने वाले है, सो उनके अपने घरों में जीवन शैली जो बड़े पैमाने पर उदार है । शोभा और दीप्ति दोनो हो बङे शहरों से थी अतः उनके विचार काफी उन्मुक्त थे । लेकिन ये सब के चलते एक बहुत बडा राज छुपा हुआ था उस घर मेँ जो सिर्फ गोपाल और शोभा को ही मालुम था । दोनों महिलायें हमेशा नये फैशन के कपङे पहन कर ही यात्रा करती थी, खासकर जब घर के माता पिता साथ नहीं होते थे । हालांकि, दोनों की उम्र में दस साल का अंतर है, दीप्ति अपनी वरिष्ठता का उपयोग करते हुए घर में नये फैशन की सहमति बनाती थी । इस प्रकार, बिना आस्तीन के ब्लाउज, पुश ब्रा, खुली पीठ के ब्लाउज और मेकअप का उपयोग होता था ।
हालांकि, यह स्वतंत्रता केवल छुट्टीयां व्यतीत करते समय के लिये ही दी गई है । सामान्य दिनचर्या में ऐसी चीजों के लिये कोई जगह नहीं थी । वे अक्सर सेक्स जीवन की बातें आपस में बाटती थीं और यहाँ से भी दोनों में काफी समानतायें थीं । दोनों ही पुरुष बहुत प्रयोगवादी नहीं थें और सेक्स एक दिनचर्या ही था । लेकिन अगली पीढ़ी का अजय बहुत अलग था । वह एक और अधिक उदार माहौल में, भारत के बड़े शहरों में बङा हुआ था । लड़का बड़ा हो गया था और बहुत जल्द ही अब एक पुरुष होने वाला था । ये बात भी शोभा ने इस बार नोट की थी । फिल्म में प्रेम दृश्य आने पर वह कमरा छोड़कर गया था इसी से स्पष्ट था उसें काफी कुछ मालूम था । बचपन में गर्मीयों की छुट्टी अजय शोभा के यहां ही बिताता था । एक छोटे लड़के के रूप में शोभा उसको स्नान भी कराती थी । कई बार कुमार की कामोद्दीपक उपन्यास गायब हो जाते थे वह खोजने पर वह उनको अजय के कमरे में पाती थी । इस बारे में सोच कर ही वह कभी कभी उत्तेजित हो जाती थी पर अजय के एक सामान्य स्वस्थ लड़का होने के कारण वह इस बारे में चुप रही । अजय के कमरा छोडने के फौरन बाद, गोपाल और कुमार भी थकने का बहाना बना कर जा रहे थे ।
शोभा को कोई संदेह ना था कि ये क्या हो सकता है । दीप्ति से उसकी नजरें एक बार मिली थी । पर दीप्ति अपनी चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट भरी और सीढ़ियों पर चल दी । शराब का नशा होने के बाद भी फिल्म का असर शोभा पर काफी अच्छा रहा था । फिल्म के उस प्रेम दृश्य में आदमी उस औरत को जानवरों की तरह चौपाया बना कर चोद रहा था । अपने कॉलेज के दिनों में शोभा ने इस सब के बारें में के बारे में अश्लील साहित्य में पढ़ा था और कुछ अश्लील फिल्मों में देखा भी था लेकिन अपने पति के साथ कभी इस का अनुभव नहीं किया । इस विषय की चर्चा अपने पति से करना उसके लिये बहुत सहज नहीं था । उनके लिए सेक्स शरीर की एक जरूरी गतिविधि थी । शोभा ने अपने आप को चारों ओर से उसके पल्लू से लपेट लिया । इन मादक द्रुश्य के प्रभाव से उसे एक कंपकंपी महसूस हो रही थी । इस वक्त वह सोच रही थी कि कुमार अब कहां हैं? शोभा को नींद आ रही थी और उसने ऊपर जाकर सोने का निर्णय लिया ।