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किराए का पति compleet

Posted: 16 Oct 2014 08:10
by raj..
कामुक-कहानियाँ

किराए का पति--1

लेखक--राज अग्रवाल

"राज सोनिया मेडम अपनी ऑफीस मे तुम्हसे मिलना चाहेंगी," मेरी सेक्रेटरी ने मुझसे कहा.

ये एक ऐसा वाक़या था जो कोई भी वेर्मा इंटरनॅशनल मे सुनना पसंद नही करता था. इसका सीधा मतलब था कि आज से आपका वजूद एक इतिहास बनने वाला है. सोनिया वेर्मा का ये मानना था कि वो खुद अपने हर कर्मचारी को खराब खबर सुनाना पसंद करती थी बजाई अपने किसी अधिकारी से.

पिछले कई सालों से वेर्मा इंटरनॅशनल का धंधा धीमा पड़ता जा रहा था. खर्चों को कम करने के हिस्साब से वो अपने कर्मचारियों मे कटौती करते आ रहे थे. में समझ गया कि आज मेरा नंबर है, मुझे फिर इंटरव्यू की लाइन मे खड़ा होना पड़ेगा.

मेने सोनिया वेर्मा के प्राइवेट ऑफीस के दरवाज़े पर दस्तक दी.

"कम इन," मुझे सोनिया की आवाज़ सुनाई दी.

मेने दरवाज़े को धकेला और उसकी ऑफीस मे कदम रखा. सोनिया अपनी मेज़ से उठ कर मेरे पास आई और अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया. उसे देख हर बार की तरह फिर मेरे शरीर मे एक जुरजूरी सी फैल गयी. वही सुंदर चेहरा, गोरा बदन और फिगर क्या कहने ठीक किसी मॉडेल की तरह.

"हाई राज कैसे हो? अच्छा लगा तुमसे मिलकर, बैठो." उसने अपने मधुर स्वर मे कहा.

हाथ मिलाने के बाद वो अपनी मेज़ के पीछे की कुर्सी पर बैठ गयी और में उसके सामने की कुर्सी पर. मेरे बैठते ही उसने अपने सामने फोल्डर को खोला और कुछ पढ़ने लगी, फिर उसने मेरी तरफ देखा और फिर फाइल को पढ़ने लगी.

"राज तुम हमारी कंपनी मे कितने सालों से काम कर रहे हो?" उसने पूछा.

"लगभग 10 साल से, अपनी हाइ स्कूल के ठीक बाद ही मेने आपके पिताजी के साथ क़ाम करना शुरू कर दिया था." मेने जवाब दिया.

"बड़ी मुश्किल होई होगी तुम्हे, दिन भर ऑफीस मे काम करना फिर रात को कॉलेज मे पढ़ना." सोनिया ने कहा.

"इतना आसान तो नही था मिस. वेर्मा, पर आपके पिताजी ने मेरी काफ़ी मदद की इस विषय पर." मेने कहा.

"हां मुझे पता है. वो अपनी दिल की बात ज़ुबान पर नही ला पाए नही तो हमेशा उन्होने तुम्हे अपना बेटे की तरह माना था. पिताजी ने तुम्हे तुम्हारी पढ़ाई के लिए उधार भी दिया था जिसे उन्होने तुम्हारी ग्रॅजुयेशन का तोहफा कहकर माफ़ कर दिया था. ऐसा उन्होने क्यों किया राज?" सोनिया बोली.

"मुझे पता नही." मेने जवाब दिया.

"तुम्हे पता है राज और मुझे भी पता है. तुमने ऐसा क्यों किया राज? तुमने उस झमेले अपनी मे गर्दन क्यों फँसाई?" सोनिया ने कहा.

"आपके पिताजी बहोत ही अच्छे इंसान थे मिस सोनिया, और में नहीं चाहता कि कोई रंडी उनकी जिंदगी बर्बाद कर दे." मेने जवाब दिया.

"क्या तुम्हारी पढ़ाई के लिए पैसे देना फिर इनाम मे माफ़ कर देना उसकी कीमत थी?" सोनिया ने पूछा.

"नही मेडम ऐसा नही था. आपके पिताजी मुझे पहले ही उधार दे चुके थे और उसे मेरा ग्रॅजुयेशन प्रेज़ेंट कह माफ़ कर चुके थे. और ये वो एक कारण था जिसके लिए मेने सब कुछ किया. उन्हे मेरी मदद करने की ज़रूरत नही थी, उन्होने जो कुछ किया अपने दिल से किया, और कोई भी इंसान ये सब सहन नही कर सकता कि कोई पैसे की भूकि रंडी किसी ऐसे अच्छे इंसान के साथ ये सब करे." मेने कहा.

"तुम खुशनसीब हो कि उस समय डीयेने टेस्ट का चलन नही था, अगर होता तो तुम्हारी कहानी हवा गयी होती." सोनिया बोली.

"ऐसी बात भी नही थी, फिफ्टी फिफ्टी चान्स था मेरी कहानी हर हाल मे सच साबित हो जाती." मेने जवाब दिया.

"तुम और पिताजी ने मिलकर ये सब किया,"

"मुझे नही पता कि आपके पिताजी ने क्या किया, पर मेल रूम के आधे से ज़्यादा कर्मचारी ये कर सकते थे. उनमे से कोई भी उसके बच्चे का बाप हो सकता था." मेने कहा.

"फिर भी ऐसी क्या बात थी जो तुमने उसके खिलाफ गवाही दी. जब उसने कहा कि मेरे पिताजी ने उसे गर्भवती बनाया है, पर उसने तुम्हे बताया था कि वो बच्चा मेरे पिताजी का नही है, वो तो सिर्फ़ पैसों के लिए ऐसा कह रही है." सोनिया ने कहा.

"ईमानदारी और नमक हलाली और कुछ नही." मेने जवाब दिया.

"पर मेने सुना है तुम पुराने ख्यालातो के हो?" सोनिया ने कहा.

"जहाँ तक मेरा सवाल है ईमानदारी और नमक हलाली वक़्त के साथ नही बदलती मेडम." मेने जवाब दिया.

"क्या ऐसा हो सकता है कि जो ईमानदारी और नमक हलाली तुमने मेरे पिताजी के साथ दिखाई थी वो उनकी आगे की पीढ़ियों के साथ भी कायम रह सकती है." सोनिया ने प्रश्ना भरी नज़रों से मुझसे कहा.

"आपका कहने का मतलब क्या है, में कुछ समझा नही?" मेने पूछा.

Re: किराए का पति

Posted: 16 Oct 2014 08:12
by raj..
"इतना ही राज, क्या तुम वो ही ईमानदारी और नमक हलाली मेरे साथ निभा सकते हो?" सोनिया ने कहा.

"मिस वेर्मा में अभी भी आपकी बातों का मतलब नही समझा." मेने कहा.

"राज में काफ़ी मुसीबत मे हूँ और मुझे एक ऐसा इंसान चाहिए जो मुझे इस मुसीबत से बाहर निकाल सके." सोनिया थोड़े दुखी स्वर मे बोली.

"मिस वेर्मा मुझसे जो हो सकेगा में करूँगा." मेने कहा.

"हो भी सकता है और नही भी राज. सबसे पहले तो तुम ये समझ लो कि तुम्हे काफ़ी ज़िल्लत से गुज़रना होगा, ऐसा भी वक़्त आ सकता है कि तुम मुझसे नफ़रत करने लगो. आज रात का खाना में तुम्हारे साथ खाना चाहूँगी राज जहाँ हमारी बातों को कोई सुन नही सके, वरना दीवारों के भी कान होते है ये मेने सुना है. क्या में तुम्हे आज रात 7.00 बजे पिक कर लूँ?' सोनिया ने कहा.

"हां क्यों नही, में आपको मेरे घर का पता दे देता हूँ." मेने कहा.

"इसकी ज़रूरत नही है राज, मुझे पता है तुम कहाँ रहते हो."

शायद इन बातों के दौरान मेरे चेहरे पर अजीब भाव आ गये होंगे, "थोड़ा इंतेज़ार करो राज, आज की रात तुम्हे तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब मिल जाएगा."

थोड़ा सा इंतेज़ार करो, उसके लिए कहना आसान था पर मेरे लिए नही. उसे कैसे पता कि में कहाँ रहता हूँ. दीवारों के भी कान होते इस बात का क्या मतलब है, वो मुझसे क्या चाहती है इन्ही सब ख़यालों मे खोया में अपनी डेस्क पर बैठा था. में इन्ही ख़यालों मे खोया था और अपने काम पर भी ध्यान नही दे पाया.

मेरे दिमाग़ मे यही घूम रहा था कि आज की रात खाने पर वो मुझसे क्या कहेगी.

"राज में चाहती हूँ कि तुम मुझसे शादी कर लो." सोनिया ने कहा.

सोनिया की बात सुनकर मेरा शरीर पत्थर सा हो गया. मुझे उससे इस बात की उम्मीद नही थी. बड़ी मुश्किल से मेने अपने आपको संभाला और गहरी साँस लेने लगा.

"राज आज की रात में तुम्हे सब कुछ बता दूँगी और मुझे उम्मीद है कि जो भी बाते हम दोनो की बीच होगी उसे तुम राज़ ही रखोगे. जो में तुमसे कह रही हूँ तुम मानो या ना मानो ये तुम्हारी मर्ज़ी है, में तो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे पिताजी के संबंधो को देखते हुए तुमसे ये कह रही हूँ. क्या तुम्हे पता है कि उन्होने अपनी वसीयत मे लिख रखा है कि तुम हमेशा वेर्मा इंटरनॅशनल के लिए काम करोगे. इसका मतलब है कि कोई भी तुम्हे ना तो नौकरी छोड़ने के लिए कह सकता है और ना ही तुम्हे रिटाइर कर सकता है." सोनिया ने कहा.

"मुझे इस बात की जानकारी नही है." मेने कहा.

"तुम्हे जानने की ज़रूरत भी नही है, में तुम्हे ये बात सिर्फ़ इसलिए बता रही हूँ जो में तुमसे माँगने जा रही हूँ, अगर तुम उस बात से इनकार करते हो तो तुम्हे तुम्हारी नौकरी का कोई डर ना हो. क्या तुम ऐसा कर सकते हो राज?. क्या तुम मुझसे एक वादा कर सकते हो? आज की रात तुम चाहो जो फ़ैसला करो, पर जो बातें में तुम्हे बताने जा रही हूँ वो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे बीच रहेंगी." सोनिया ने कहा.

"ये बात आप पहले से जानती हैं मिस वेर्मा वरना में आज यहाँ आपके सामने ना बैठा होता." मेने कहा.

"हालातों को देखते हुए मुझे लगता है राज तुम मुझे सोनिया नाम से पुकारो तो ज़्यादा अच्छा रहेगा. हम पहुँच गये," सोनिया ने गाड़ी एक रेस्टोरेंट के सामने रोकी, "राज जैसे ही तुम्हारे गले के नीचे पहला पैग जाएगा तुमपर में एक बिजली सी गिराने वाली हूँ." सोनिया ने कहा.

क्रमशः…………………………………..

Re: किराए का पति

Posted: 16 Oct 2014 08:16
by raj..
कामुक-कहानियाँ

किराए का पति--2

गतान्क से आगे……………………………..

मेरे चेहरे पे आए भावों ने उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया, "में जानती हू आज सुबह से तुम्हारे दिमाग़ मे हज़ारों प्रश्न घूम रहे थे, पर में शर्त लगा सकती हूँ कि तुम्हे मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी."

"हां मेडम में सपने मे भी नही सोच सकता था कि आप मुझे ये कहेंगी." मेने कहा.

"राज मेने तुमसे कहा था कि मेरा नाम सोनिया है, तो कैसा लगा तुम्हे मेरा प्रस्ताव?" सोनिया मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली.

"अगर सच कहूँ तो मुझे डर सा लग रहा है, और मेरी समझ मे नही आ रहा है मिस..सोनिया…….."

"में तुम्हे सॉफ सॉफ बताती हूँ, आर्थिक कारनो से मुझे पति की सख़्त ज़रूरत है, और मेर अपनी मजबूरी है कि जिससे में प्यार करती हूँ वो मुझसे फिलहाल शादी नही कर सकता." सोनिया ने जवाब दिया.

"माफ़ करना मेडम, मेरी समझ मे अब भी आपकी बात नही आई." मेने कहा.

"में तुम्हे ये तो नही बता सकती कि में अपने प्रेमी से क्यों शादी नही कर सकती पर बाकी की सब बाते तुम्हे बताती हूँ. मेरे पिताजी ने अपनी वसीयत कुछ अजीब किस्म की लिखी है, ऐसा उन्होने क्यों किया ये वो ही जानते है. हां तो में कह रही थी कि पिताजी ने अपनी वसीयत मे लिखा है कि अगर तीस साल की उम्र तक अगर मेने शादी नही की तो सारी दौलत अलग धर्म संस्थाओं को दान मे दे दी जाएगी. सारी दौलत तीन हिस्सों मे बनती गयी है जिनके तीन ट्रस्टी है. ये दौलत मुझे मेरी शादी पर मुझे मिल जाएगी," अपनी सांसो को काबू करते हुए सोनिया ने कहा.

थोड़ी देर अपनी बातो को रोक वो पानी के ग्लास को टेबल से उठा पीने लगी. उसकी आँखों मे गहरी चिंता और परेशानी सॉफ नज़र आ रही थी. उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा.

"सात महीनो मे में तीस साल की हो जाउन्गि. जिससे में प्यार करती हूँ वो किसी कारण वश मुझसे शादी नही कर सकता और में अपनी दौलत को अपने हाथ से जाने नही दे सकती. अपनी दौलत बचाने के लिए मुझे एक पति की ज़रूरत है, पर पति भी कुछ खास किस्म का होना चाहिए." सोनिया ने कहा, "राज तुम ध्यान से सुन रहे हो ना मेने क्या कहा."

"हां मे सुन रहा हूँ, आप आगे कहें," राज ने कहा.

"तो मुझे एक खास पति चाहिए जो अच्छी तरह समझ ले कि वो सिर्फ़ नाम का ही मेरा पति होगा. जिस्मानी रिश्ता बहोत कम होगा और अगर होगा तो भी एक तरफ़ा होगा. वो ये भी अच्छी तरह समझ ले कि उसका प्रत्यक्ष रूप मे काफ़ी अपमान होगा. वैसे अपमान सिर्फ़ दिखावे का होगा जिससे वो पाँच साल बाद मुझसे तलाक़ ले सके. और इन पाँच सालों मे उसे मुझे मा बनाकर बाप भी बनना होगा. क्या तुम ये काम करने को तय्यार हो राज?" सोनिया ने कहा.

"अभी कुछ तय नही कर पाया हूँ, आप आगे बताएँ कि मुझे क्या मिलेगा ऐसा करके?" राज ने पूछा.

"ठीक है में तुम्हे बताती हूँ. तुम्हारे नाम से किसी बॅंक मे 50 लाख रुपये जमा करा दिए जाएँगे. पर पाँच सालों तक तुम उस रकम को नही पा सकते. तुम मेरे साथ रहोगे, और में तुम्हारे हर खर्चे का भुगतान करूँगी. तुम्हे घर, गाड़ी जो तुम चाहो, जिस क्लब की मेंबरशिप चाहो मिलेगी. जेब खर्च के लिए तुम्हे 20,000/- महीना मिला करेगा. इसके बदले मे तुम्हे ये वादा करना होगा कि तुम हमेशा मेरे साथ ईमानदार पति बन कर रहोगे. अब अच्छा लग रहा है सुनकर." सोनिया ने कहा.

"हां अच्छा तो लग रहा है, पर कुछ परेशानिया है."

"और वो क्या है?" सोनिया ने पूछा.

"तुमने कहा कि हम दोनो मे जिस्मानी रिश्ता कम से कम रहेगा और मुझे पत्निव्रता बन कर रहना होगा. अब इस उमर मे में चुदाई के बिना नही रह सकता." राज ने कहा.