कलयुग की द्रौपदी
Posted: 16 Oct 2014 08:46
कलयुग की द्रौपदी
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक ओर नई और हॉट लोन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए लेकर हाजिर हूँ
जिसे पढ़कर आपके लंड उबाल खा जाएँगे और चूते रस से भीग जाएँगी तो दोस्तो कहानी का पहला सीन कुछ इस तरह से शुरू होता है दिल संभाल कर कहानी पढ़ना शुरू कीजिए और मुझे भी बताना मत भूलिएगा की कहानी आपको कैसी लगी
उसके जाँघ खून से लथपथ थे. आँखें बाहर की तरफ उबाल रही थी. जिस्म पर कपड़े का एक रेशा नहीं था. बूर (चूत) से खून रीस रहा था जो अब रुकने लगा था और उसकी सासें भी रुकने लगी थी. बदन ने एक आखरी झटका लिया और ठंडा पड़ गया.
17-18 साल से उपर की नहीं थी वो. नींबू समान चूचियाँ, मांसल जांघें, पतली कमर, सावला रंग, लंबे बॉल, होठ रसभरे, कुल मिलकर चुदाई का पूरा जुगाड़. इसी सोच से रंगा और जग्गा के बदन में हवस की आग जल उठती थी और लंड बेकाबू हो जाता था.
आज के शिकार ने को-ऑपरेट नहीं किया वरना शायद कल का दिन देख लेती.
इनका लंड भी सिर्फ़ कमसिन लड़कियों को ही देख कर खड़ा होता था. 18-20 साल. उससे उपर पर तो ये नज़र भी नहीं डालते थे.
जाने कितने कतल, लूट-पाट, बलात्कार किए थे उन्होने. रामपुर, जो फुलवारी शरीफ से 60 किलोमीटर दूर एक गाओं था, यहाँ के बेताज बादशाह थे वो. लोकल पोलिसेवालों से अच्छी साठ गाँठ थी इसलिए अपने गाओं को छोड़के दूसरे गाओं में वारदातें करते थे.
अब तक करीब 40-50 लड़कियों को अपने हवस का शिकार बना चुके होंगे. जिसमे से 15-20 लड़कियों को तो इन्होने अपनी घरवाली बनाकर कई बच्चे भी जनवाये. 20 साल की होने के बाद उन्हे कोठे पे बेच देते.
गाओं से 20 किलोमीटर दूर जंगलों में उनका मकान था. सांड़ जैसे बुलेट पे जब निकलते तो सब सड़क खाली कर देते.
45 की उमर के आस-पास होंगे वो और कद करीब 6’5”, वजन होगा यही कोई 120-140 किलोग्राम.
घनी मुछे, चौड़ा पहेलवानी डील-डौल, लंड करीब 10” लंबा और 2.5” मोटा.
इनकी एक ख़ासियत ये थी की जो लड़की थोड़े समझाने पर अपनी मर्ज़ी से अपनी आबरू लुटाने पर तैयार हो जाए उसे ये बड़े मज़े से चोद्ते थे और अपने घर पर बीवी बना के रखते थे. वरना, बाकियों का वही हाल होता जो 18 साल की कमला का हुआ था जिसे ये लोग फुलवारी के गोवेर्मेंट हाइ स्कूल की गेट से उठा लाए थे.
दोस्तो अब चलते हैं अपनी कहानी की मैं किरदार के पास जिसको आगे चल कर कलयुग की द्रौपदी बना दिया गया
रानी 11थ क्लास की स्टूडेंट थी जो फुलवारी के जिलहा हाइ स्कूल में पढ़ती थी.
18 साल की उस अनचुई जवानी में इतना रस था जो किसी भी भंवरे को प्यासा कर दे.
छोटे तोतापरी आम के आकर की उसकी चूचियों पर वो भूरा सा बड़ा अंगूर उसकी छाती की शोभा बढ़ाते थे. गांद के छेद तक लंबे बॉल और भरे भरे नितंब. उसके होठ मोटे थे और आँखें बड़ी-बड़ी. सावले से थोडा मंद रंग और भारी जांघें. 18 साल की उमर में भी 25 साला बदन. चेहरे की मासूमियत ही उसे बस 14-15 का एहसास देता था. 40 किलोग्राम वजन की वो कमसिन जवानी अपना रस छल्काने को पूरी तरह तैयार थी.
सेक्स का कोई ज्ञान ना था उसे पर अपने शराबी रिक्कशे ड्राइवर बाप को रोज रात में मा के साथ बिस्तर पे खट-पट करते सुना था.
अभी तक उसकी मा ने उसे ब्रा नही पहनने दी थी जिसकी वजह से उसकी घुंडीयां उसके शर्ट या फ्रॉक पे से काफ़ी ज़ाहिर होती थी. चूत पे एक बॉल तक ना था ना किसी ने कभी उसके जवान बदन को कभी टच तक किया था.
ग़रीब घर की वो लड़की सुबह घर का काम करती जब उसकी मा दूसरों के घर काम करती. मा के आने के बाद वो दिन में सरकारी स्कूल जाती.
उन्ही दीनो की बात है जब एक दिन रानी की स्कूल की छुट्टी हुई. करीब दोपहर के 4 बज रहे होंगे और तेज बारिश की वजह से बाहर बहुत कम रोशनी थी. बारिश भी इतनी तेज की हाथ को हाथ नही सूझ रहा था.
करीब आधा घंटा वेट करने पर भी जब बारिश कम ना हुई तो उसने निकलने का फ़ैसला किया. आधे घंटे का पैदल सफ़र था उसके घर तक का. जूते गीले ना हो जाए इसलिए उसने उतार कर प्लास्टिक के थैले में डाल लिया. बस्ता कंधे पर लटकाए तेज बारिश में भीगते हुए वो निकल पड़ी. उसके वाइट कलर का टी-शर्ट भीगने की वजह से बदन पे चिपक गया था और उसके उभारों को दिखाने लगा.
वाइट फ्रॉक भी कमर और जांघों पे चिपक गयी थी. रंगा-जग्गा स्कूल के आगे के टर्न पे अपनी बुलेट पे भीगते बैठे थे. 2 हफ्ते से उनके लंड ने पानी नहीं छ्चोड़ा था इसलिए आज उनका पार्टी का दिन था. जब रानी उनके बाजू से गुजर रही थी तो रंगा ने लपक कर उशे पीछे से दबोच लिया और स्टार्ट बुलेट पर जग्गा के पीछे बैठ गया. उसकी हथेली रानी के मूह पर थी और उसका बदन उन दोनो के बीच में. रानी के जूते इस अचानक हुए हमले में वही गिर गया और इतनी जल्दी में उसे कुछ समझ तक ना आया.
जब दिमाग़ सोचने की हालत में हुआ तो पाया की वो करीब 4-5 किलोमीटर आगे गाओं के बाहर निकल गये थे.
रंगा ने उसका बस्ता निकाल के सड़क के किनारे नाल्ले मैं फेक दिया और रानी के मूह पर से हाथ हटा दिया. तेज बारिश की वजह से सड़क सुनसान था और वैसे भी वो अब हाइवे पे शहर के बाहर आ गये थे. डेढ़ घंटे का सफ़र था उनके घर तक का.
रानी मूह पर से हाथ हट ते ही रोते हुए मचलने लगी की उसे छ्चोड़ दो, कहाँ ले जा रहे हैं हमको, हमारे घर जाना है इत्यादि. रंगा ने अपनी लूंबू रामपुरी निकाल के उसके गर्दन पे रखा और कहा – तू कहीं नही जा रही गुड़िया, हमारे साथ स्वर्ग में चलो. कामदेव का प्यार देंगे और तुमको परी बना देंगे.
रानी कुछ समझ ना पाई और सुबुक्ते हुए कहने लगी – मा मारेगी अगर लेट हुए तो, बाबूजी तो बेल्ट से मारेंगे. आज खाना भी नही मिलेगा अगर घर पहूचके काम नही किए तो.
रंगा प्यार भरे स्वर में बोला – का गुड़िया, मा और बाबूजी प्यार नही करते का तुमको.
रानी बोली – नहीं, बहुत मारते हैं कहे है कि हम लड़का नही हैं इसलिए. बाबूजी मा के मारते हैं और मा हमारे उपर गुस्सा निकालती है.
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक ओर नई और हॉट लोन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए लेकर हाजिर हूँ
जिसे पढ़कर आपके लंड उबाल खा जाएँगे और चूते रस से भीग जाएँगी तो दोस्तो कहानी का पहला सीन कुछ इस तरह से शुरू होता है दिल संभाल कर कहानी पढ़ना शुरू कीजिए और मुझे भी बताना मत भूलिएगा की कहानी आपको कैसी लगी
उसके जाँघ खून से लथपथ थे. आँखें बाहर की तरफ उबाल रही थी. जिस्म पर कपड़े का एक रेशा नहीं था. बूर (चूत) से खून रीस रहा था जो अब रुकने लगा था और उसकी सासें भी रुकने लगी थी. बदन ने एक आखरी झटका लिया और ठंडा पड़ गया.
17-18 साल से उपर की नहीं थी वो. नींबू समान चूचियाँ, मांसल जांघें, पतली कमर, सावला रंग, लंबे बॉल, होठ रसभरे, कुल मिलकर चुदाई का पूरा जुगाड़. इसी सोच से रंगा और जग्गा के बदन में हवस की आग जल उठती थी और लंड बेकाबू हो जाता था.
आज के शिकार ने को-ऑपरेट नहीं किया वरना शायद कल का दिन देख लेती.
इनका लंड भी सिर्फ़ कमसिन लड़कियों को ही देख कर खड़ा होता था. 18-20 साल. उससे उपर पर तो ये नज़र भी नहीं डालते थे.
जाने कितने कतल, लूट-पाट, बलात्कार किए थे उन्होने. रामपुर, जो फुलवारी शरीफ से 60 किलोमीटर दूर एक गाओं था, यहाँ के बेताज बादशाह थे वो. लोकल पोलिसेवालों से अच्छी साठ गाँठ थी इसलिए अपने गाओं को छोड़के दूसरे गाओं में वारदातें करते थे.
अब तक करीब 40-50 लड़कियों को अपने हवस का शिकार बना चुके होंगे. जिसमे से 15-20 लड़कियों को तो इन्होने अपनी घरवाली बनाकर कई बच्चे भी जनवाये. 20 साल की होने के बाद उन्हे कोठे पे बेच देते.
गाओं से 20 किलोमीटर दूर जंगलों में उनका मकान था. सांड़ जैसे बुलेट पे जब निकलते तो सब सड़क खाली कर देते.
45 की उमर के आस-पास होंगे वो और कद करीब 6’5”, वजन होगा यही कोई 120-140 किलोग्राम.
घनी मुछे, चौड़ा पहेलवानी डील-डौल, लंड करीब 10” लंबा और 2.5” मोटा.
इनकी एक ख़ासियत ये थी की जो लड़की थोड़े समझाने पर अपनी मर्ज़ी से अपनी आबरू लुटाने पर तैयार हो जाए उसे ये बड़े मज़े से चोद्ते थे और अपने घर पर बीवी बना के रखते थे. वरना, बाकियों का वही हाल होता जो 18 साल की कमला का हुआ था जिसे ये लोग फुलवारी के गोवेर्मेंट हाइ स्कूल की गेट से उठा लाए थे.
दोस्तो अब चलते हैं अपनी कहानी की मैं किरदार के पास जिसको आगे चल कर कलयुग की द्रौपदी बना दिया गया
रानी 11थ क्लास की स्टूडेंट थी जो फुलवारी के जिलहा हाइ स्कूल में पढ़ती थी.
18 साल की उस अनचुई जवानी में इतना रस था जो किसी भी भंवरे को प्यासा कर दे.
छोटे तोतापरी आम के आकर की उसकी चूचियों पर वो भूरा सा बड़ा अंगूर उसकी छाती की शोभा बढ़ाते थे. गांद के छेद तक लंबे बॉल और भरे भरे नितंब. उसके होठ मोटे थे और आँखें बड़ी-बड़ी. सावले से थोडा मंद रंग और भारी जांघें. 18 साल की उमर में भी 25 साला बदन. चेहरे की मासूमियत ही उसे बस 14-15 का एहसास देता था. 40 किलोग्राम वजन की वो कमसिन जवानी अपना रस छल्काने को पूरी तरह तैयार थी.
सेक्स का कोई ज्ञान ना था उसे पर अपने शराबी रिक्कशे ड्राइवर बाप को रोज रात में मा के साथ बिस्तर पे खट-पट करते सुना था.
अभी तक उसकी मा ने उसे ब्रा नही पहनने दी थी जिसकी वजह से उसकी घुंडीयां उसके शर्ट या फ्रॉक पे से काफ़ी ज़ाहिर होती थी. चूत पे एक बॉल तक ना था ना किसी ने कभी उसके जवान बदन को कभी टच तक किया था.
ग़रीब घर की वो लड़की सुबह घर का काम करती जब उसकी मा दूसरों के घर काम करती. मा के आने के बाद वो दिन में सरकारी स्कूल जाती.
उन्ही दीनो की बात है जब एक दिन रानी की स्कूल की छुट्टी हुई. करीब दोपहर के 4 बज रहे होंगे और तेज बारिश की वजह से बाहर बहुत कम रोशनी थी. बारिश भी इतनी तेज की हाथ को हाथ नही सूझ रहा था.
करीब आधा घंटा वेट करने पर भी जब बारिश कम ना हुई तो उसने निकलने का फ़ैसला किया. आधे घंटे का पैदल सफ़र था उसके घर तक का. जूते गीले ना हो जाए इसलिए उसने उतार कर प्लास्टिक के थैले में डाल लिया. बस्ता कंधे पर लटकाए तेज बारिश में भीगते हुए वो निकल पड़ी. उसके वाइट कलर का टी-शर्ट भीगने की वजह से बदन पे चिपक गया था और उसके उभारों को दिखाने लगा.
वाइट फ्रॉक भी कमर और जांघों पे चिपक गयी थी. रंगा-जग्गा स्कूल के आगे के टर्न पे अपनी बुलेट पे भीगते बैठे थे. 2 हफ्ते से उनके लंड ने पानी नहीं छ्चोड़ा था इसलिए आज उनका पार्टी का दिन था. जब रानी उनके बाजू से गुजर रही थी तो रंगा ने लपक कर उशे पीछे से दबोच लिया और स्टार्ट बुलेट पर जग्गा के पीछे बैठ गया. उसकी हथेली रानी के मूह पर थी और उसका बदन उन दोनो के बीच में. रानी के जूते इस अचानक हुए हमले में वही गिर गया और इतनी जल्दी में उसे कुछ समझ तक ना आया.
जब दिमाग़ सोचने की हालत में हुआ तो पाया की वो करीब 4-5 किलोमीटर आगे गाओं के बाहर निकल गये थे.
रंगा ने उसका बस्ता निकाल के सड़क के किनारे नाल्ले मैं फेक दिया और रानी के मूह पर से हाथ हटा दिया. तेज बारिश की वजह से सड़क सुनसान था और वैसे भी वो अब हाइवे पे शहर के बाहर आ गये थे. डेढ़ घंटे का सफ़र था उनके घर तक का.
रानी मूह पर से हाथ हट ते ही रोते हुए मचलने लगी की उसे छ्चोड़ दो, कहाँ ले जा रहे हैं हमको, हमारे घर जाना है इत्यादि. रंगा ने अपनी लूंबू रामपुरी निकाल के उसके गर्दन पे रखा और कहा – तू कहीं नही जा रही गुड़िया, हमारे साथ स्वर्ग में चलो. कामदेव का प्यार देंगे और तुमको परी बना देंगे.
रानी कुछ समझ ना पाई और सुबुक्ते हुए कहने लगी – मा मारेगी अगर लेट हुए तो, बाबूजी तो बेल्ट से मारेंगे. आज खाना भी नही मिलेगा अगर घर पहूचके काम नही किए तो.
रंगा प्यार भरे स्वर में बोला – का गुड़िया, मा और बाबूजी प्यार नही करते का तुमको.
रानी बोली – नहीं, बहुत मारते हैं कहे है कि हम लड़का नही हैं इसलिए. बाबूजी मा के मारते हैं और मा हमारे उपर गुस्सा निकालती है.