अनु की मस्ती मेरे साथ compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

अनु की मस्ती मेरे साथ compleet

Unread post by The Romantic » 22 Oct 2014 09:27

अनु की मस्ती मेरे साथ पार्ट--1
फ्रेंड्स ये कहानी मेरी नही है मैने इसे नेट से लिया है ये शायद राज शर्मा की कहानी है
कभी कभी जिंदगी मे ऐसा वाक़या आ जाता है का जीने का मतलब ही
बदल जाता है. मैं एक 45 साल का विधुर आदमी जो मुंबई जैसी जगह
मे रह कर भी प्रूफ रीडर जैसा निक्रिस्ट काम करता हो उसके जीवन
मे कोई चमत्कार की कल्पना करना भी व्यर्थ है. मगर होनी को कौन
टाल सकता हैï

मैं राघवेंद्रा दीक्षित 45 साल का मीडियम कद काठी का आदमी हूँ. शक्ल
सूरत वैसे कोई खास नही है. मैं दादर के एक पुरानी जर्जर
बिल्डिंग मे पहली मंज़िल पर रहता हूँ. जब मैं छ्होटा था तब से ही
इस मकान मे रहता आया हूँ. दो कमरे के इस मकान को आज की तारीख मे
और आज की सॅलरी मे अफोर्ड कर पाना मेरे बस का ही नही था. लेकिन
इस पर मेरे पुरखों का हक़ था और मैं बिना कोई किराया दिए उसमे किसी
मकान मलिक की तरह रहता हूँ. यहीं पर जब मेरे 25 बसंत गुज़रे
तो माता पिता ने एक सीधी साधी लड़की से मेरा विवाह कर दिया. 5 साल
तक हुमारी कोई संतान नही हुई. रजनी उदास रहने लगी थी. उसने हर
तरह के पूजा पाठ. हर तरह के डॉक्टर को दिखाया. आख़िर उसकी
उल्टियाँ शुरू हो गयी. वो बहुत खुश हुई. लेकिन ये खुशी मेरी
जिंदगी मे अंधेरा लेकर आई. कभी ना मिटने वाला अंधेरा. जब
बच्चा 8 महीने का था, एक दिन सीढ़ी उतरते समय रजनी का पैर
फिसला और बस सब ख़त्म. जच्चा बच्चा दोनो मुझे इस दुनिया मे
एकद्ूम अकेला छ्चोड़ कर चले गये.

बुजुर्ग माता पिता का साथ भी जल्दी छ्छूट गया. अब मैं उस मकान मे
अकेला ही रहता हूँ. उस दिन प्रेस से लौट ते हुए रात के साढ़े बारह
बज रहे थे. पता नही मन उस दिन क्यों इतना उचट रहा था.. शाम को
काफ़ी बरसात हो चुकी थी इसलिए लोगबाग अपने घरों मे घुसे बैठे
थे.

मेरा अकेले मे मन नही लग रहा था. रात के बारह बज रहे थे. मैं
घर जाने की जगह सी बीच पर टहलने लगा. सामने पार्क था. जिसमे
सुबह छह बजे से जोड़े आलिंगन मे बँधे दिखने शुरू हो जाते हैं.
लेकिन अब एक दम वीरान पड़ा था. मैं कुच्छ देर रेत पर बैठ कर
समुंद्र की तरंगों को अपने कानो मे क़ैद करने लगा. हल्की फुहार वापस
शुरू हो गयी. मैं उठ कर वापस घर की ओर लौटने लगा. पता नही
किस उद्देश्य से मैं पार्क के अंदर चला गया. पार्क की लाइट्स भी
खराब हो रही थी इसलिए अंधेरा था. अचानक मुझे किसी झाड़ी के
पीछे कोई हलचल दिखी. मैं मुस्कुरा दिया "होंगी लैला मजनू की कोई
जोड़ी. अंधेरे का लाभ उठा कर संभोग मे लिप्त होंगे." मैने अपने
हाथ मे पकड़े टॉर्च की ओर देखा फिर बिना कोई आवाज़ किए घूम कर
झाड़ियों की दूसरी तरफ गया. मुझे घास पर कोई मानव आकृति उकड़ू
अवस्था मे अपने को झाड़ी के पीछे छिपाये हुई दिखी.

"ओह्ह" अचानक उस से एके मुँह से आवाज़ निकली. मैं चौंक गया, वो कोई
लड़की थी. मैने उसकी तरफ टॉर्च करके उसे ऑन किया. जैसे ही रोशनी
हुई वो अपने आप मे सिमट गयी. सामने जो कुच्छ था उसे देख कर मेरा
मुँह खुला का खुला रह गया.

एक कोई 30 साल की महिला बिल्कुल नग्न हालत मे अपने बदन को सिकोड
कर अपनी नग्नता को मेरी आँखों से छिपाने का भरसक प्रयत्न कर
रही थी.

"कौन??? कौन है उधरï ??" मैने आवाज़ लगाई.

"छ्चोड़ दो मुझे छ्चोड़ दो." कह कर वो अपने चेहरे को छिपा कर रोने
लगी. उसका शरीर के कुच्छ हिस्से मे कीचड़ लगा था. वो इस दुनिया
के बाहर की कोई जीव लग रही थी. मैने उसे खींच कर उठाया.

"कौन है तू? क्या कर रही है अंधेरे मे? बुलाउ पोलीस को?" एक
साथ मेरे मुँह से कई सवाल निकल पड़े. जवाब मे वो मेरी छाती से
लग कर सुबकने लगी.

The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: अनु की मस्ती मेरे साथ

Unread post by The Romantic » 22 Oct 2014 09:28


"मर जाने दो मुझे. नही जीना मुझेï ." वो मचलती हुई बोल रही थी.

"अरे बताएगी भी कि क्या हुआ या ऐसे ही रोती रहेगीï " मैने उसके
चेहरे को उठाया.

"साले चार हरम्जादे थेï . साले कुत्ते कई दीनो से हमारे घर के
चारों ओर सूंघते फिर रहे थेï . आज मौका मिल गया सालों को. मुझे
अकेली देख कर फुसला कर यहा पार्क मे ले आए औरï और" कह कर वो
रोने लगी.

मैं समझ गया कि उसके साथ रेप हुआ है. और जिस तरह वो
बहुवचन का प्रयोग कर रही थी गॅंग-रेप की शिकार थी वो. पता
नही शादीशुदा थी या कोई कंवारी? इसके घरवाले शायद ढूँढते
फिर रहे होंगे? उसका गीला कीचड़ से साना नग्न बदन मेरी बाहों मे
था. मैं उसे बाहों मे लेकर सोच रहा था कि इस समय क्या करना उचित
होगा..

"तुम्हारा नाम क्या है?" मैने जानकारी वश उससे पूचछा.

"तुमसे मतलब साले छ्चोड़ मुझे मैं मर जाना चाहती हूँ."

मेरा दिमाग़ खराब हो गया. मैं ज़ोर से उस पर चीखा.

"अब एक बार भी अगर तूने मुझसे कोई बे सिर पैर की बात की तो
उठा कर फेंक दूँगा उन केटीली झाड़ियों मे. तब से मैं तुझे
समझाने की कोशिश कर रहा हूँ और तू है की सिर पर चढ़े जा
रही है. तूने मुझे समझ क्या रखा है? कान खोल कर सुनले अगर
मुझे तुझसे कोई फ़ायदा उठना होता तो मैं बातें करने मे अपना समय
बर्बाद नही करता. अपनी हालत देख. इस तरह की कोई नंगी लड़की किसी
और को ऐसे अंधेरे मे मिल जाए तो सबसे पहला काम ज़मीन पर पटक
कर तुझे चोदने का करता."

मेरी झिरक सुन कर उसका आवेग कुच्छ कम हुआ. लेकिन फिर भी वो मेरी
बाहों मे सूबक रही थी. उसने धीरे धीरे अपना सिर मेरे कंधे पर
रख दिया. और सुबकने लगी.

वो चार थे. मुझे अकेली सड़क से गुज़रता देख मेरा मुँह बंद
करके एक मारुति मे यहाँ सून सान देख कर ले आए "

"ठीक है ठीक है अब रोना धोना छ्चोड़. तेरे कपड़े कहाँ हैं?"

"यहीं कहीं फेंक दिया होगा." उसने इधर उधर तलाशने लगी. इतनी
देर बाद उसे याद आया कि वो किसी अजनबी की बाँहों मे बिल्कुल नंगी
खड़ी है. उसने फॉरन अपने बदन को सिकोड लिया और वहीं ज़मीन पर
अपने बदन को छिपाते हुए बैठ गयी. मैं टॉर्च की रोशनी मे
चारों ओर ढूँढने लगा. काफ़ी देर तक ढूँढने के बाद सिर्फ़ एक फटी
हुई ब्रा मिली. मैने उसके पास आकर उसे उस फटी हुई ब्रा को दिखा कर कहा

"बस यही मिला. और कुच्छ नही मिला.. शायद तेरे कपड़े भी वो साथ ले
गये."

"साले मादार चोद मुझे पूरे शहर मे नंगी करके घुमाना चाहता था.
साले कुत्ते."

" चल अब गलियाँ देना बंद कर. अब ये बता तुघर कैसे जाएगी?
यहाँ पड़ी रही तो बरसात मे भीग कर ठंड से मर जाएगी. नही तो
फिर किसी की नज़र पड़ गयी तुझ पर तो रात भर तो तुझसे अपनी
हवस मिटाएगा और सुबह किसी चाकले मे ले जाकर बेच आएगा."

" मुझे नही जाना घर ..मुझे घर नही जाना"

" क्यों?"

" वो साले घर पर ताक लगाए बैठे होंगे. मुझे वापस अकेली देख
कर वापस चढ़ पड़ेंगे मेरे ऊपर. साले कुत्ते" कह कर उसने नफ़रत
से थूक दिया.

The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: अनु की मस्ती मेरे साथ

Unread post by The Romantic » 22 Oct 2014 09:28


" अच्च्छा चल तू एक काम कर." मैने अपने शर्ट को उतार दिया. सफेद
रंग का शर्ट बरसात मे भीग कर पूरी तरह पार दर्सि हो गया था.
अंदर की बनियान भी उतार दी..

"ले इन्हे पहन ले. वैसे ये ज़्यादा कुच्छ छिपा नही पाएँगे लेकिन फिर
भी चलेगा."

उसने मेरे कपड़ों को मेरे हाथ से लेकर पहन लिया. मैं सिर्फ़ पॅंट
पहना हुआ था. उसे उतार कर देने की मेरी हिम्मत नही हुई.

"चल पोलीस स्टेशन." मैने उसे कहा "रपट भी लिखानी पड़ेगी

"नहीं" वो ज़ोर से चीखी "नहीं जाना मुझे कहीं. मैं नही जाउन्गि
पोलीस स्टेशन. साले रात भर मुझे चोदेन्गे और सुबह वहाँ से
भगा देंगे. किसी डाकू से ज़्यादा डर तो इन पोलीस वालों से लगता है."

"लेकिन रपट तो लिखाना ही पड़ेगा ना"

"क्यों? क्या होगा रपट लिखवा कर. लौटा देंगे वो मेरी लूटी हुई इज़्ज़त.
साले करेंगे तो कुच्छ नही. हां खोद खोद कर ज़रूर पूछेन्गे. क्या
किया था कैसे किया था. पहले चोदा था या पहले तेरी छातियो को
मसला था."

" अब तो ये बता कि तू जाएगी कहाँ." मैने पूचछा " देख मेरे घर
मे मैं अकेला ही रहता हूँ. पास ही घर है अगर तुझे कोई दिक्कत ना
हो तो रात वहाँ बिता ले सुबह होते ही अपने घर चली जाना."

कुच्छ देर तक वो चुप रही फिर उसने धीरे से कहा "ठीक है"

हम दोनो अर्ध नग्न अवस्था मे लोगों से छिपते छिपाते घर की ओर
बढ़े. रात के साढ़े बारह बज रहे थे और ऊपर से बारिश इसलिए
रास्ता पूरा सुनसान पड़ा था. उसने मेरे हाथ को पकड़ रखा था. किसी
लड़की के स्पर्श से मेरे बदन मे सिहरन सी हो रही थी. मैने चलते
चलते पूचछा

" क्या मैं अब तुम्हारा नाम जान सकता हूँ?"

अनुराधा नाम है मेरा."

" अनु तुम शादी शुदा हो या अभी कुँवारी ही हो?"

"शादी तो हुई थी लेकिन मेरा पति मुझे छोड़ कर साल भर हुए
पता नही कहाँ चला गया. मैं कुच्छ दूर एक खोली लेकर रहती हूँ.
पास ही ट्विंकल स्टार स्कूल मे पढ़ाती हूँ. उसी से मेरा गुज़रा चल
जाता है."

मैं चल ते हुए उसकी बातें सुनता जा रहा था. उसकी आवाज़ बहुत
मीठी थी लग रहा था बस वो बोलती जाए. चाहे कुच्छ भी बोले लेकिन
बोलती जाए. मैने अपने बाहों से उसको सहारा दे रखा था. उसकी चाल
मे लड़खड़ाहट थी जो की गॅंग रेप के कारण दुख़्ते बदन के कारण
थी. उसके बदन मे जगह जगह नोचे और काटे जाने के निशान हो रहे
थे. कुछ जगह से तो हल्का हल्का खून भी रिस रहा था. बड़ी ही
बेरहमी से कुचला दिया था बदमाशों ने इस फूल से बदन को.

" हमारे मोहल्ले मे टिल्लू दादा हफ़्ता वसूली का काम करता है. उसकी
नज़र बहुत दीनो से मेरे ऊपर थी. लेकिन मैं उसे किसी भी तरह का
मौका नही देती थी. आज क्या है स्कूल के एक टीचर का आक्सिडेंट हो
गया था. हम सब उसे देखने हॉस्पिटल चले गये थे. वापसी मे
बरसात शुरू हो जाने के कारण देर हो गयी. मैं लोकल ट्रेन से दादर
रेलवे स्टेशन पर उतर कर पैदल घर जा रही थी. सड़कों पर लोग
कम हो गये थे. मेरे घर के पास अंधेरे मे मुझे वो साला टिल्लू मिल
गया. उसने मेरे गले पर चाकू रख कर वॅन मे बिठा कर यहा ले आया."

Post Reply