मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
Posted: 25 Jul 2015 11:12
हम लोग गाँव के रहने वाले हैं। हमारा गाँव शहर से 44 की॰मी॰ दूर है। पास के ही एक शहर में भैया की शादी हो गयी। डोली भाभी बहुत ही अच्छी थी और खूबसूरत भी। भैया की उम्र 24 साल की थी। वो उम्र में भैया से एक साल छोटी थी। मैं डोली भाभी से उम्र में पाँच साल छोटा था। डोली भाभी शहर की पढ़ी-लिखी और फैशनेबल युवती थीं।
शादी के बाद भैया की नौकरी एक बड़ी कंपनी में लग गयी। वो पटना में ही रहने लगे। वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे। जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने डोली भाभी को भी पटना बुला लिया। मम्मी तो थी नहीं, केवल पापा ही थे। कुछ दिनों के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिये बुला लिया। मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रहकर पढ़ायी करने लगा।
भाभी पटना में रहकर बिल्कुल शहरी - माडर्न हो गयी थीं। वो खुद को कई किट्टी पाटिर्यों और दूसरे सामाजिक सम्मेलनों में खुद को व्यस्त रखती थीं।
मैंने बी॰ए॰ तक की पढ़ायी पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया। अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए एक साल ही गुजरा था की भैया का रोड एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया। उस समय मेरी उम्र 21 साल की हो चुकी थी। अब तक मैं एकदम हट्टा-कट्टा नौजवान हो गया था। मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्योंकी गाँव में कुश्ती भी लड़ता था। मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी। अब घर पर मेरे और डोली भाभी के अलावा कोई नहीं था। वो मुझसे बहुत प्यार करती थी। मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
डोली भाभी को भी एक कंपनी में सेक्रेटरी की नौकरी मिल गयी थी और साथ ही उनको ही घर का सारा कम करना पड़ता था इसलिये मैं भी उनके काम में हाथ बंटा देता था। वो मुझसे बार-बार शादी करने के लिये कहती थी। एक दिन डोली भाभी ने शादी के लिये मुझ पर ज्यादा दबाव डाला तो मैंने शादी के लिये हाँ कर दी। डोली भाभी की एक सहेली थीं जो की उनके मायके के शहर में ही रहती थी। उनकी एक छोटी बहन थी जिसका नाम मिन्नी था। डोली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलायी।
बात पक्की करने से पहले डोली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखाकर मुझसे पूछा- कैसी है?
मैं मिन्नी की फोटो देखकर दंग रह गया। मैं समझता था की गरीब लड़की है, ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी। मैंने हाँ कर दी। मिन्नी की उम्र अभी 18 साल की ही थी। खैर शादी पक्की हो गयी। मिन्नी के मम्मी पापा बहुत गरीब थे। एक महीने के बाद ही हमारी शादी एक मंदिर में हो गयी। शादी हो जाने के बाद दोपहर को डोली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी। डोली भाभी ने मिन्नी को नये अच्छे से कपड़े वगैरह में फिर तैयार किया और पास के एक ब्यूटी पालर्र में उसका श्रृंगार इत्यादि भी करवाया। घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आये। जिसने भी मिन्नी को देखा, उसकी बहुत तारीफ की। शाम तक सब लोग अपने-अपने घर चले गये। रात के 8:00 बज रहे थे।
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “आज मैं बहुत थक गयी हूँ। तुम जाकर होटल से खाना ले आओ…”
मैंने कहा- “ठीक है…” मैंने झोला उठाया और खाना लाने के लिये चल पड़ा। मेरा एक दोस्त था - विजय। उसका एक होटल था। मैं सीधा विजय के पास गया।
विजय बोला- “आज इधर कैसे?”
मैंने उससे सारी बात बता दी। वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया। हम दोनों कुछ देर तक गपशप करते रहे। हम दोनों ने एक-दो पैग भी पिये। मुझे चिंता नहीं थी क्योंकी डोली भाभी इस मामले में काफी खुले विचारों की थीं और खुद भी कई बार ड्रिंक करती थीं।
विजय ने मुझसे कहा- “तुझे मज़ा लेना हो तो मैं एक तरीका बताता हूँ…”
मैंने कहा- “बताओ…”
वो बोला- “तुम मिन्नी की चूत को कुछ दिन तक हाथ भी मत लगाना। तुम केवल उसकी गाण्ड मारना और अपने आपको काबू में रखना। कुछ दिन तक उसकी गाण्ड मारने के बाद तुम उसकी चुदाई करना…”
मैंने सोचा की विजय ठीक ही कह रहा है। मैंने उससे कहा- “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा…”
उसने मेरे लिये सबसे अच्छा खाना जो की उसके होटल में बनता था, पैक करवा दिया। मैं खाना लेकर घर वापस आ गया। हम तीनों ने खाना खाया। डोली भाभी ने मिन्नी को मेरे रूम में पहुँचा दिया। उसके बाद उन्होंने मुझे अपने रूम में बुलाया। मैंने देखा कि उनके पलंग के पास स्टूल पर एक शराब की बोतल खुली रखी थी और पास ही ग्लास में शराब भरी थी। मैंने पहले कभी भाभी के पास पूरी बोतल नहीं देखी थी। कभी अगर उन्हें पीने का मूड होता तो मुझसे कहकर पौव्वा या अद्धा ही मंगवाती थीं और वो भी हम दोनों शेयर करते थे क्योंकी हम दोनों को ही ज्यादा पीने की आदत नहीं थी।
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शादी के बाद भैया की नौकरी एक बड़ी कंपनी में लग गयी। वो पटना में ही रहने लगे। वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे। जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने डोली भाभी को भी पटना बुला लिया। मम्मी तो थी नहीं, केवल पापा ही थे। कुछ दिनों के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिये बुला लिया। मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रहकर पढ़ायी करने लगा।
भाभी पटना में रहकर बिल्कुल शहरी - माडर्न हो गयी थीं। वो खुद को कई किट्टी पाटिर्यों और दूसरे सामाजिक सम्मेलनों में खुद को व्यस्त रखती थीं।
मैंने बी॰ए॰ तक की पढ़ायी पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया। अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए एक साल ही गुजरा था की भैया का रोड एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया। उस समय मेरी उम्र 21 साल की हो चुकी थी। अब तक मैं एकदम हट्टा-कट्टा नौजवान हो गया था। मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्योंकी गाँव में कुश्ती भी लड़ता था। मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी। अब घर पर मेरे और डोली भाभी के अलावा कोई नहीं था। वो मुझसे बहुत प्यार करती थी। मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
डोली भाभी को भी एक कंपनी में सेक्रेटरी की नौकरी मिल गयी थी और साथ ही उनको ही घर का सारा कम करना पड़ता था इसलिये मैं भी उनके काम में हाथ बंटा देता था। वो मुझसे बार-बार शादी करने के लिये कहती थी। एक दिन डोली भाभी ने शादी के लिये मुझ पर ज्यादा दबाव डाला तो मैंने शादी के लिये हाँ कर दी। डोली भाभी की एक सहेली थीं जो की उनके मायके के शहर में ही रहती थी। उनकी एक छोटी बहन थी जिसका नाम मिन्नी था। डोली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलायी।
बात पक्की करने से पहले डोली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखाकर मुझसे पूछा- कैसी है?
मैं मिन्नी की फोटो देखकर दंग रह गया। मैं समझता था की गरीब लड़की है, ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी। मैंने हाँ कर दी। मिन्नी की उम्र अभी 18 साल की ही थी। खैर शादी पक्की हो गयी। मिन्नी के मम्मी पापा बहुत गरीब थे। एक महीने के बाद ही हमारी शादी एक मंदिर में हो गयी। शादी हो जाने के बाद दोपहर को डोली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी। डोली भाभी ने मिन्नी को नये अच्छे से कपड़े वगैरह में फिर तैयार किया और पास के एक ब्यूटी पालर्र में उसका श्रृंगार इत्यादि भी करवाया। घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आये। जिसने भी मिन्नी को देखा, उसकी बहुत तारीफ की। शाम तक सब लोग अपने-अपने घर चले गये। रात के 8:00 बज रहे थे।
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “आज मैं बहुत थक गयी हूँ। तुम जाकर होटल से खाना ले आओ…”
मैंने कहा- “ठीक है…” मैंने झोला उठाया और खाना लाने के लिये चल पड़ा। मेरा एक दोस्त था - विजय। उसका एक होटल था। मैं सीधा विजय के पास गया।
विजय बोला- “आज इधर कैसे?”
मैंने उससे सारी बात बता दी। वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया। हम दोनों कुछ देर तक गपशप करते रहे। हम दोनों ने एक-दो पैग भी पिये। मुझे चिंता नहीं थी क्योंकी डोली भाभी इस मामले में काफी खुले विचारों की थीं और खुद भी कई बार ड्रिंक करती थीं।
विजय ने मुझसे कहा- “तुझे मज़ा लेना हो तो मैं एक तरीका बताता हूँ…”
मैंने कहा- “बताओ…”
वो बोला- “तुम मिन्नी की चूत को कुछ दिन तक हाथ भी मत लगाना। तुम केवल उसकी गाण्ड मारना और अपने आपको काबू में रखना। कुछ दिन तक उसकी गाण्ड मारने के बाद तुम उसकी चुदाई करना…”
मैंने सोचा की विजय ठीक ही कह रहा है। मैंने उससे कहा- “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा…”
उसने मेरे लिये सबसे अच्छा खाना जो की उसके होटल में बनता था, पैक करवा दिया। मैं खाना लेकर घर वापस आ गया। हम तीनों ने खाना खाया। डोली भाभी ने मिन्नी को मेरे रूम में पहुँचा दिया। उसके बाद उन्होंने मुझे अपने रूम में बुलाया। मैंने देखा कि उनके पलंग के पास स्टूल पर एक शराब की बोतल खुली रखी थी और पास ही ग्लास में शराब भरी थी। मैंने पहले कभी भाभी के पास पूरी बोतल नहीं देखी थी। कभी अगर उन्हें पीने का मूड होता तो मुझसे कहकर पौव्वा या अद्धा ही मंगवाती थीं और वो भी हम दोनों शेयर करते थे क्योंकी हम दोनों को ही ज्यादा पीने की आदत नहीं थी।
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