sex stories collection with neighbor (Padosan k saath...)
Re: sex stories collection with neighbor (Padosan k saath...
बस के सफ़र में पहला सेक्स सफ़र - Bus Ka Safar
नमस्ते दोस्तो ! मेरा नाम नयन है, अब मेरी उम्र ३१ साल है पर बात तब की है जब मैं अट्ठारह साल का था। मैं दसवी में पढ़ रहा था।
मेरे बाजू वाले घर में वीणा रहती थी। हमारा उनके यहाँ आना जाना तो था, थोड़ी मस्ती भी करता था पर गलत इरादे न उसके थे न मेरे थे।
मुझे मेरे मामा के घर जाना था। गाँव का नाम बताना यहाँ ठीक नहीं होगा लेकिन रात भर का सफ़र था, वीणा को भी गाँव जाना था, उनके बच्चे छुट्टियों में गाँव गए थे उनको वापस मुंबई लाना था। उनका गाँव मेर मामा से गांव से नजदीक था तो वो भी मेरे साथ आने को निकल पड़ी। अब उनको भी अकेले जाने से अच्छा था कि मेरे साथ जाये !
बस में भरी भीड़ थी छुट्टियाँ जो थी। हमें मुश्किल से पीछे वाली दो सीट मिली, सामान रखने की भी जगह नहीं थी। तो वीणा ने अपनी सूटकेस अपने पाँव के नीचे रख लिया। मैं खिड़की के साथ में बैठा था। बस निकल पड़ी अपने मुकाम की तरफ।
रात के १० बजे होंगे जब हम निकले। टिकट कटवाने के बाद बस की लाइट बंद हो गई और कब नींद आई पता ही नहीं चला।
नींद में ही मेरे हाथ साथ में बैठी वीणा को लगा और मेरी नींद खुल गई। वीणा की साड़ी कमर तक ऊपर आ गई थी। मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि सूटकेस रखने की जगह नहीं होने के कारण उन्होंने जो सूटकेस अपने पैरो के नीचे रखा था उस वजह से उनके पैर ऊपर हो गए थे और साड़ी फिसल के कमर तक आ गई थी। अब मेरी हालत देखने लायक थी। क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा था।
तो मैंने भी नींद में होने का नाटक किया और धीरे धीरे मैं उनको हाथ लगाने की कोशिश करने लगा। डर तो बहुत लग रहा था कि कहीं उनकी नींद न खुल जाए। लेकिन जो आग मेरे अन्दर भड़कने लगी थी वो मुझे शांत कहाँ बैठने दे रही थी, तो मैंने भी नींद का नाटक कर के अपना हाथ चलाना चालू रखा। अब मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी पैन्टी को छूने लगा था। मेरी नजर हमेशा यही देख रही थी कि कहीं वो नींद से न जग जाय।
बस में काफी अँधेरा था और मैं एक नई रोशनी ढूंढ रहा था। मेरा हाथ अब उनकी जांघों पे फिसल रहा था। इतने में उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पे रख दिया। मेरी तो डर के मारे जान ही निकल गई। मुझे लगा कि वो जग गई लेकिन वो तो गहरी नींद में थी। अब मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा।
लेकिन इस चक्कर में हम दोनों में जो दूरी थी वो और कम हो गई और इसको मैंने ऊपर वाले की मेहरबानी समझा। अब मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी और मेरा हाथ अब थोड़ी और सफाई से चलने लगा था लेकिन फिर भी सम्भाल के जांघों पे हाथ फेरने के बाद अब मैंने धीरे से उनकी पैन्टी में हाथ घुसाया। बाल तो एकदम साफ किये हुए थे। अब मैं उनकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा लेकिन एकदम संभल के।
थोड़ी ही देर में उनके बदन से अजीब सी खुशबू आने लगी थी और मेरी उंगली गीली हो गई थी, उनकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि वो सच में सोई है या उनकी नींद खुल गई है। लेकिन एक बात तो ध्यान में आ गई थी कि कोई भी औरत इतना सब करने के बाद भी सो नहीं सकती। अब मेरी हिम्मत तो बढ़ गई थी लेकिन मन में डर अब भी था .कही ओ सच में सोई हुई तो नहीं .लेकिन अब रुकना मेरे बस में नहीं था सो मिने भी सोचा जब उठ जायेगी तब देख लेंगे .वासना पे किसी का जोर नहीं चलता.
मैंने हिम्मत की और एक हाथ से उनकी चुत में उंगली करना चालू रखा,और दूसरा हाथ उनकी चूची की तरफ बढाया और धीरे से उन्हें मसलना चालू किया .मेरी जिंदगी का ये पहला अनुभव था और इतनी आसानी से मौका मिलेगा ये मैंने सोचा भी नहीं था .उनकी हलचल तो बढ़ गई थी लेकिन ओ आँखे खोलने को तैयार नहीं थी .शायद अब उनको पानी निकल ने को था .तो मैंने भी मेरी उंगली की रफ्तार बढाई.और उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चुत की फाको से दबा क रखा .शायद ओ शांत हो गई थी .लेकिन मेरा तो लंड एकदम ताना हुवा था .क्या करू समाज में नहीं आ रहा था .मैंने उनका हाथ उठाया और मेरी चैन खोल के लंड को बहार निकला और उनके हाथ में दे दिया .लेकिन ओ कुछ भी करने को तैयार नहीं थी .तो मैंने फिर से उनकी चूची को दबाना चालू किया.चुत में उंगली भी डालना चालू रखा .पर कुछ फायदा नहीं हुआ।
पूरी रात निकल गई जाने कितने बार ओ झड़ गई थी पर मेरे लंड से पानी नहीं निकला था .अब मेरे लंड में दर्द शुरू हो गया था .तो मैंने अपने हाथ से ही धीरे धीरे लंड हिलाना चालू किया ३-४ बार ही हिलाया था के मेरा भी पानी निकल गया.फिर नींद कब लग गई पता ही नहीं चला .सुबह ८ बजे गाड़ी हमारे गाव में पहुच गई .वीणा ने मुझे उठाया और हम बस से उतर गए ,यहाँ से हमारे रस्ते अलग होने थे.मुझे बड़ा दुःख हो रहा था .के जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव और ओ भी अधुरा ही रह गया .मैं देख रहा था क उनके चहरे पे कोई भावः नहीं था .मैंने रत को उन के साथ कुछ किया हो ऐसा कुछ भी नहीं जाता रही थी. जैसे कुछ हुवा ही नहीं .................मैं उदास था. के अब मुझे अपने मामा के यहाँ जाना था और ओ अपने बच्चो को ले के वापस मुंबई जायेगी।
लेकिन एक बात तय थी ओ सोई नहीं थी सोने का नाटक कर रही थी.और मुझे इस बात की ख़ुशी थी के आज भले ही मैं कुछ नहीं कर सका लेकिन मैं जब वापस मुंबई जाऊंगा तो शायद मेरा कम बन जाये .....और मैं जिंदगी का पहला सेक्स वीणा के साथ ही करूँगा।
नमस्ते दोस्तो ! मेरा नाम नयन है, अब मेरी उम्र ३१ साल है पर बात तब की है जब मैं अट्ठारह साल का था। मैं दसवी में पढ़ रहा था।
मेरे बाजू वाले घर में वीणा रहती थी। हमारा उनके यहाँ आना जाना तो था, थोड़ी मस्ती भी करता था पर गलत इरादे न उसके थे न मेरे थे।
मुझे मेरे मामा के घर जाना था। गाँव का नाम बताना यहाँ ठीक नहीं होगा लेकिन रात भर का सफ़र था, वीणा को भी गाँव जाना था, उनके बच्चे छुट्टियों में गाँव गए थे उनको वापस मुंबई लाना था। उनका गाँव मेर मामा से गांव से नजदीक था तो वो भी मेरे साथ आने को निकल पड़ी। अब उनको भी अकेले जाने से अच्छा था कि मेरे साथ जाये !
बस में भरी भीड़ थी छुट्टियाँ जो थी। हमें मुश्किल से पीछे वाली दो सीट मिली, सामान रखने की भी जगह नहीं थी। तो वीणा ने अपनी सूटकेस अपने पाँव के नीचे रख लिया। मैं खिड़की के साथ में बैठा था। बस निकल पड़ी अपने मुकाम की तरफ।
रात के १० बजे होंगे जब हम निकले। टिकट कटवाने के बाद बस की लाइट बंद हो गई और कब नींद आई पता ही नहीं चला।
नींद में ही मेरे हाथ साथ में बैठी वीणा को लगा और मेरी नींद खुल गई। वीणा की साड़ी कमर तक ऊपर आ गई थी। मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि सूटकेस रखने की जगह नहीं होने के कारण उन्होंने जो सूटकेस अपने पैरो के नीचे रखा था उस वजह से उनके पैर ऊपर हो गए थे और साड़ी फिसल के कमर तक आ गई थी। अब मेरी हालत देखने लायक थी। क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा था।
तो मैंने भी नींद में होने का नाटक किया और धीरे धीरे मैं उनको हाथ लगाने की कोशिश करने लगा। डर तो बहुत लग रहा था कि कहीं उनकी नींद न खुल जाए। लेकिन जो आग मेरे अन्दर भड़कने लगी थी वो मुझे शांत कहाँ बैठने दे रही थी, तो मैंने भी नींद का नाटक कर के अपना हाथ चलाना चालू रखा। अब मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी पैन्टी को छूने लगा था। मेरी नजर हमेशा यही देख रही थी कि कहीं वो नींद से न जग जाय।
बस में काफी अँधेरा था और मैं एक नई रोशनी ढूंढ रहा था। मेरा हाथ अब उनकी जांघों पे फिसल रहा था। इतने में उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पे रख दिया। मेरी तो डर के मारे जान ही निकल गई। मुझे लगा कि वो जग गई लेकिन वो तो गहरी नींद में थी। अब मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा।
लेकिन इस चक्कर में हम दोनों में जो दूरी थी वो और कम हो गई और इसको मैंने ऊपर वाले की मेहरबानी समझा। अब मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी और मेरा हाथ अब थोड़ी और सफाई से चलने लगा था लेकिन फिर भी सम्भाल के जांघों पे हाथ फेरने के बाद अब मैंने धीरे से उनकी पैन्टी में हाथ घुसाया। बाल तो एकदम साफ किये हुए थे। अब मैं उनकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा लेकिन एकदम संभल के।
थोड़ी ही देर में उनके बदन से अजीब सी खुशबू आने लगी थी और मेरी उंगली गीली हो गई थी, उनकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि वो सच में सोई है या उनकी नींद खुल गई है। लेकिन एक बात तो ध्यान में आ गई थी कि कोई भी औरत इतना सब करने के बाद भी सो नहीं सकती। अब मेरी हिम्मत तो बढ़ गई थी लेकिन मन में डर अब भी था .कही ओ सच में सोई हुई तो नहीं .लेकिन अब रुकना मेरे बस में नहीं था सो मिने भी सोचा जब उठ जायेगी तब देख लेंगे .वासना पे किसी का जोर नहीं चलता.
मैंने हिम्मत की और एक हाथ से उनकी चुत में उंगली करना चालू रखा,और दूसरा हाथ उनकी चूची की तरफ बढाया और धीरे से उन्हें मसलना चालू किया .मेरी जिंदगी का ये पहला अनुभव था और इतनी आसानी से मौका मिलेगा ये मैंने सोचा भी नहीं था .उनकी हलचल तो बढ़ गई थी लेकिन ओ आँखे खोलने को तैयार नहीं थी .शायद अब उनको पानी निकल ने को था .तो मैंने भी मेरी उंगली की रफ्तार बढाई.और उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चुत की फाको से दबा क रखा .शायद ओ शांत हो गई थी .लेकिन मेरा तो लंड एकदम ताना हुवा था .क्या करू समाज में नहीं आ रहा था .मैंने उनका हाथ उठाया और मेरी चैन खोल के लंड को बहार निकला और उनके हाथ में दे दिया .लेकिन ओ कुछ भी करने को तैयार नहीं थी .तो मैंने फिर से उनकी चूची को दबाना चालू किया.चुत में उंगली भी डालना चालू रखा .पर कुछ फायदा नहीं हुआ।
पूरी रात निकल गई जाने कितने बार ओ झड़ गई थी पर मेरे लंड से पानी नहीं निकला था .अब मेरे लंड में दर्द शुरू हो गया था .तो मैंने अपने हाथ से ही धीरे धीरे लंड हिलाना चालू किया ३-४ बार ही हिलाया था के मेरा भी पानी निकल गया.फिर नींद कब लग गई पता ही नहीं चला .सुबह ८ बजे गाड़ी हमारे गाव में पहुच गई .वीणा ने मुझे उठाया और हम बस से उतर गए ,यहाँ से हमारे रस्ते अलग होने थे.मुझे बड़ा दुःख हो रहा था .के जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव और ओ भी अधुरा ही रह गया .मैं देख रहा था क उनके चहरे पे कोई भावः नहीं था .मैंने रत को उन के साथ कुछ किया हो ऐसा कुछ भी नहीं जाता रही थी. जैसे कुछ हुवा ही नहीं .................मैं उदास था. के अब मुझे अपने मामा के यहाँ जाना था और ओ अपने बच्चो को ले के वापस मुंबई जायेगी।
लेकिन एक बात तय थी ओ सोई नहीं थी सोने का नाटक कर रही थी.और मुझे इस बात की ख़ुशी थी के आज भले ही मैं कुछ नहीं कर सका लेकिन मैं जब वापस मुंबई जाऊंगा तो शायद मेरा कम बन जाये .....और मैं जिंदगी का पहला सेक्स वीणा के साथ ही करूँगा।
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पड़ोसन को गर्भवती किया -Pados Wali Aunty Ko Garbhwati Kiya
मेरा नाम सुनील है, मेरी उम्र २२ साल है। मैं ६ फ़ुट २ इंच लम्बा सांवला लड़का हूँ। मेरे लण्ड का साइज़ ७ इंच है।
मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ. मैंने अपना पहला सेक्स अपनी पड़ोसन सोना आंटी के साथ किया था। यह उन दिनों की बात है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था। सोना आंटी बहुत सेक्सी थी। उनकी उस समय नई नई शादी हुई थी। उनका पति चालीस साल का था और वो केवल पच्चीस साल की ही थी। उनका गोल-मटोल बदन, उनके उभरे हुए वक्ष देख कर कोई भी अपना काबू खो दे !
मैंने मन ही मन उन्हें चोदने का सोचता था लेकिन शुरुआत कैसे की जाए यह मुझे समझ नहीं आ रहा था। उनका पति शाम की पारी में काम करके आधी रात को घर आता था और रात को सोना आंटी की चुदाई करता था।
एक बार उनका पति रात को एक बजे आया, मैं उस वक्त जगा हुआ था, अचानक आह आह की आवाज सुनाई दी। मैंने बाहर जाकर देखा तो उनके घर से आवाज आ रही थी। उस समय बहुत अँधेरा था और रात में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था तो मैंने हिम्मत करके उनकी खिड़की में झांकने की कोशिश की।
खिड़की में छेद थे और पर्दा लगा हुआ था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तो मैंने डंडी से खिड़की का पर्दा हटाया, अंदर जीरो-बल्ब की रोशनी थी। अन्दर का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। मैंने अन्दर देखा कि अंकल सोना आंटी के स्तन दबा रहे थे और वो आहऽ आहऽऽ की आवाज निकाल रही थी। कुछ देर के बाद अंकल सोना आंटी के ऊपर चढ़ गए और एक जोरदार धक्के के साथ अपना काला लिंग उनकी योनि में डाल दिया। अंकल दो-तीन धक्कों के बाद झड़ गये और आंटी के ऊपर सो गए। आंटी अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई थी, उनकी कामना उनकी चेहरे से मुझे साफ़ नजर आ रही थी। अंकल की ज्यादा उम्र होने के कारण आंटी संतुष्ट नहीं हो पाती थी।
तब उनकी शादी को एक साल बीत चुका था लेकिन आंटी को बच्चा नहीं हो रहा था। शायद अंकल की ज्यादा उम्र के कारण ऐसा हो रहा था। इस बात से आंटी हमेशा परेशान रहती थी। और उनकी परेशानी उनके चेहरे से साफ नजर आती थी।
एक दिन आंटी को बाजार जाना था, आंटी और मेरी खूब जमती थी। हम दोनों एक दूसरे से मजाक-मस्ती किया करते थे और नॉन-वेज़ चुटकले मारा करते थे। वो मुझसे केवल ३ साल ही बड़ी थी लेकिन अंकल की उम्र ज्यादा होने के कारण मुझे भी उन्हें आंटी कहना पड़ता था।
उस दिन मैं उनको मार्केट में शॉपिंग कराने ले गया। मार्केट में काफी भीड़ थी तो कई बार धक्के की वजह से मेरे हाथ उनके वक्ष से छू जाते थे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। मेरे साहस और बढ़ गया, मैंने जानबूझ कर उनकी गांड पर हाथ फ़िराया- वोह आह.... करके रह गई। लेकिन मुझे कुछ नहीं कहा। मैं आंटी के मन की इच्छा समझ चुका था। मार्केट से शॉपिंग करने के बाद वो घर पर आई, उन्होंने मुझे उनके साथ आने के लिए धन्यवाद कहा। अब उस पल के बाद तो मैं एक दम बेकाबू सा हो गया था।
मैंने एक दिन साहस करके उन्हें अपने दिल की बात बता दी। पहले तो उन्होंने इंकार किया लेकिन बाद में मान गई। उनके घर में टीवी नहीं था, वो अक्सर सीरियल देखने के लिए मेरे घर आया करती थी।
मेरे बीच वाले कमरे में टीवी था और वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। दोपहर का समय था, मेरी बहन अन्दर वाले कमरे में टीवी देख रही थी जहां टीवी रखा हुआ था और वो हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी उस समय घर में कोई नहीं था। मैंने दरवाजा बंद कर दिया जिससे घर में थोड़ा अँधेरा हो गया।
फिर मैं आंटी के पास गया और उन्हें चुम्बन देने के लिए कहा। पहले तो वो हिचकिचाई लेकिन मेरी जबरदस्ती के आगे उन्होंने हार मान ली और धीरे से एक चुम्बन दिया। हाय क्या जादू था उस चुम्मे में ! मैं तो एकदम बेकाबू हो गया।
दूसरे दिन मैं उनके घर पर गया, वो सोई हुई थी। जैसा कि मैंने आपको बताया कि उनका पति दिन भर कम करता था और रात को लेट ही आता था जिससे घर में दोपहर को वो अकेली ही होती थी। उनको सोता देख मैं उनके पास गया, मेरी आहट सुनकर वो जग गई। मैं झट से उनके ऊपर आ गया और उनके होटों पे अपने होंठ लगा दिए। उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरु किया। मैंने अब उनके स्तन दबाने शुरु किया- हाय, क्या गोल-गोल चूचे थे !
वो अब आह.. आह.......... की सिसकारियाँ भर रही थी। उन्होंने कहा- मैं दरवाजा बंद कर देती हूँ, फिर जो करना हैं वो करना !
उन्होंने दरवाजा बंद किया और मुझसे आकर लिपट गई। मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया। उन्होंने भी मुझे जोर से जकड़ लिया। मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और उन्हें चूमने लगा. मैं उनके पूरे बदन पर पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उनके बदन से एक एक करके कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब मैंने उनकी ब्रा को उनसे अलग किया तो उनके स्तन बाहर आ गए, उन्हें देखकर मैं और बेकाबू हो गया और उनके गोरे-गोरे चूचों को जोर जोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी को उतारा। उन्होंने काले रंग की पैंटी पहन रखी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से हाथ फेरा तो वो आह................. करके आवाज निकालने लगी। फिर मैंने उनकी पैंटी को उनसे जुदा किया। उसके बाद का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग हो गया। उनकी चूत एकदम गुलाबी थी और हल्के-हल्के बाल थे।
मैंने उनसे पूछा- आपके तो बाल ही नहीं आये हैं?
तो उन्होंने जवाब दिया- मैं हमेशा इन्हें साफ़ करती रहती हूँ।
फिर मैंने उनके पेट पर चूमना शुरु किया तो वो एकदम मदहोश हो कर सिसकारियाँ लेने लगी। वो एकदम से गर्म होती जा रही थी। फिर मैंने उनकी चूत पे हाथ फ़िराया तो वो और रोमांटिक मूड में आ गई और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। पूरा कमरा आह............ आह की आवाजों से गूँज रहा था। अब वो एकदम सुलग चुकी थी, उन्होंने मुझे कहा- सुनील अब नहीं बर्दाश्त होता, अब मेरी प्यास बुझा दो !
लेकिन मैं धीरे धीरे सब करना चाहता था इसलिए मैं उन्हें और गर्म कर रहा था। वो अब जोर जोर से सिसकारियाँ मार रही थी। अब मैं समझ चुका था कि वो अब चरम सीमा पर पहुँच चुकी है। तो मैंने अपनी पैंट उतार दी। अब मैं उनके सामने अंडरवीअर में था। उन्होंने मेरा अंडरवीयर सरकाया, जिससे मेरा ७ इंच लम्बा लण्ड बाहर आ गया। मेरा लण्ड ७ इंच लम्बा और चार इंच चौड़ा हो गया था।
मेरा लण्ड देख कर वो थोड़ी सहम गई। मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी ?
तो उन्होंने कहा- तुम्हारा लण्ड कितना मोटा और लम्बा है ! तुम्हारे अंकल का तो छोटा और पतला है।
फिर मैंने उनको सीधा बेड पर लिटा दिया और किस करने के लिए कहा। उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लिया और हिलाने लगी। मुझ बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी तो वो चिल्ला उठी- हाई......मर गई रे. !
मैं अब अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
उन्होंने कहा- अब बस सुनील ! अब बर्दाश्त नहीं होता ! अब मेरी प्यास बुझा दे !
तो मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया, लेकिन मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। फिर मैंने एक जोरदार झटका लगाया और पूर लण्ड अन्दर चला गया और वो चिल्ला उठी- हाई मर गई रे ! निकाल इसे जल्दी ! मेरी चूत फट गई रे ! कितना मोटा लण्ड है तेरा !
तो मैं कुछ देर के लिए रुक गया और फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उन्हें भी मजा आ रहा था, वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। तक़रीबन २५ मिनट की चुदाई के बाद मैं अब झड़ने वाला था। मैंने उन्हें बताया कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि बाहर मत गिराना ! सारा का सारा मेरे अन्दर ही गिरा दो ! मुझे गर्भवती बना दो ! मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बना दो !
मैंने वैसा ही किया, मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में गिरा दिया और उनके ऊपर सो गया।
हाय क्या चूत थी उनकी ! एकदम आग थी उनकी चूत में जिससे मैं जल्दी झड़ गया। उनकी चूत मेरे वीर्य के कारण पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनसे एक बार फिर सेक्स करने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे एक बार फिर गरम किया और मेरा लण्ड तन गया।
इस बार मैंने उन्हें कुतिया स्टाइल में झुकने के लिए कहा। वो झुक गई और मैंने अपना लण्ड पीछे से उनकी चूत में डाल दिया। चूत गीली होने की वजह से जल्दी से घुस गया। अब मैं अपने धक्कों की रफ़्तार तेज करने लगा और जोर जोर से उनको चोदने लगा।
वोह आः.........आह आह........करके चिल्ला रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं झड़ गया इस दरमियान वो तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर हम दोनों एक दूसरे में उलझ कर सो गए।
उस रात को हमने छः बार चुदाई की।
अब जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई की खेल खेला करते थे।
मेरी चुदाई से वो गर्भवती हो गई और ९ महीने बाद उन्हें लड़का हुआ।
अब भी हम चुदाई का खेल खेलते रहे और दो साल के बाद वो फिर गर्भवती हुई, इस बार उन्हें लड़की हुई।
इस तरह मैंने पड़ोस वाली आंटी को गर्भवती बनाया।
मेरा नाम सुनील है, मेरी उम्र २२ साल है। मैं ६ फ़ुट २ इंच लम्बा सांवला लड़का हूँ। मेरे लण्ड का साइज़ ७ इंच है।
मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ. मैंने अपना पहला सेक्स अपनी पड़ोसन सोना आंटी के साथ किया था। यह उन दिनों की बात है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था। सोना आंटी बहुत सेक्सी थी। उनकी उस समय नई नई शादी हुई थी। उनका पति चालीस साल का था और वो केवल पच्चीस साल की ही थी। उनका गोल-मटोल बदन, उनके उभरे हुए वक्ष देख कर कोई भी अपना काबू खो दे !
मैंने मन ही मन उन्हें चोदने का सोचता था लेकिन शुरुआत कैसे की जाए यह मुझे समझ नहीं आ रहा था। उनका पति शाम की पारी में काम करके आधी रात को घर आता था और रात को सोना आंटी की चुदाई करता था।
एक बार उनका पति रात को एक बजे आया, मैं उस वक्त जगा हुआ था, अचानक आह आह की आवाज सुनाई दी। मैंने बाहर जाकर देखा तो उनके घर से आवाज आ रही थी। उस समय बहुत अँधेरा था और रात में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था तो मैंने हिम्मत करके उनकी खिड़की में झांकने की कोशिश की।
खिड़की में छेद थे और पर्दा लगा हुआ था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तो मैंने डंडी से खिड़की का पर्दा हटाया, अंदर जीरो-बल्ब की रोशनी थी। अन्दर का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। मैंने अन्दर देखा कि अंकल सोना आंटी के स्तन दबा रहे थे और वो आहऽ आहऽऽ की आवाज निकाल रही थी। कुछ देर के बाद अंकल सोना आंटी के ऊपर चढ़ गए और एक जोरदार धक्के के साथ अपना काला लिंग उनकी योनि में डाल दिया। अंकल दो-तीन धक्कों के बाद झड़ गये और आंटी के ऊपर सो गए। आंटी अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई थी, उनकी कामना उनकी चेहरे से मुझे साफ़ नजर आ रही थी। अंकल की ज्यादा उम्र होने के कारण आंटी संतुष्ट नहीं हो पाती थी।
तब उनकी शादी को एक साल बीत चुका था लेकिन आंटी को बच्चा नहीं हो रहा था। शायद अंकल की ज्यादा उम्र के कारण ऐसा हो रहा था। इस बात से आंटी हमेशा परेशान रहती थी। और उनकी परेशानी उनके चेहरे से साफ नजर आती थी।
एक दिन आंटी को बाजार जाना था, आंटी और मेरी खूब जमती थी। हम दोनों एक दूसरे से मजाक-मस्ती किया करते थे और नॉन-वेज़ चुटकले मारा करते थे। वो मुझसे केवल ३ साल ही बड़ी थी लेकिन अंकल की उम्र ज्यादा होने के कारण मुझे भी उन्हें आंटी कहना पड़ता था।
उस दिन मैं उनको मार्केट में शॉपिंग कराने ले गया। मार्केट में काफी भीड़ थी तो कई बार धक्के की वजह से मेरे हाथ उनके वक्ष से छू जाते थे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। मेरे साहस और बढ़ गया, मैंने जानबूझ कर उनकी गांड पर हाथ फ़िराया- वोह आह.... करके रह गई। लेकिन मुझे कुछ नहीं कहा। मैं आंटी के मन की इच्छा समझ चुका था। मार्केट से शॉपिंग करने के बाद वो घर पर आई, उन्होंने मुझे उनके साथ आने के लिए धन्यवाद कहा। अब उस पल के बाद तो मैं एक दम बेकाबू सा हो गया था।
मैंने एक दिन साहस करके उन्हें अपने दिल की बात बता दी। पहले तो उन्होंने इंकार किया लेकिन बाद में मान गई। उनके घर में टीवी नहीं था, वो अक्सर सीरियल देखने के लिए मेरे घर आया करती थी।
मेरे बीच वाले कमरे में टीवी था और वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। दोपहर का समय था, मेरी बहन अन्दर वाले कमरे में टीवी देख रही थी जहां टीवी रखा हुआ था और वो हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी उस समय घर में कोई नहीं था। मैंने दरवाजा बंद कर दिया जिससे घर में थोड़ा अँधेरा हो गया।
फिर मैं आंटी के पास गया और उन्हें चुम्बन देने के लिए कहा। पहले तो वो हिचकिचाई लेकिन मेरी जबरदस्ती के आगे उन्होंने हार मान ली और धीरे से एक चुम्बन दिया। हाय क्या जादू था उस चुम्मे में ! मैं तो एकदम बेकाबू हो गया।
दूसरे दिन मैं उनके घर पर गया, वो सोई हुई थी। जैसा कि मैंने आपको बताया कि उनका पति दिन भर कम करता था और रात को लेट ही आता था जिससे घर में दोपहर को वो अकेली ही होती थी। उनको सोता देख मैं उनके पास गया, मेरी आहट सुनकर वो जग गई। मैं झट से उनके ऊपर आ गया और उनके होटों पे अपने होंठ लगा दिए। उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरु किया। मैंने अब उनके स्तन दबाने शुरु किया- हाय, क्या गोल-गोल चूचे थे !
वो अब आह.. आह.......... की सिसकारियाँ भर रही थी। उन्होंने कहा- मैं दरवाजा बंद कर देती हूँ, फिर जो करना हैं वो करना !
उन्होंने दरवाजा बंद किया और मुझसे आकर लिपट गई। मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया। उन्होंने भी मुझे जोर से जकड़ लिया। मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और उन्हें चूमने लगा. मैं उनके पूरे बदन पर पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उनके बदन से एक एक करके कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब मैंने उनकी ब्रा को उनसे अलग किया तो उनके स्तन बाहर आ गए, उन्हें देखकर मैं और बेकाबू हो गया और उनके गोरे-गोरे चूचों को जोर जोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी को उतारा। उन्होंने काले रंग की पैंटी पहन रखी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से हाथ फेरा तो वो आह................. करके आवाज निकालने लगी। फिर मैंने उनकी पैंटी को उनसे जुदा किया। उसके बाद का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग हो गया। उनकी चूत एकदम गुलाबी थी और हल्के-हल्के बाल थे।
मैंने उनसे पूछा- आपके तो बाल ही नहीं आये हैं?
तो उन्होंने जवाब दिया- मैं हमेशा इन्हें साफ़ करती रहती हूँ।
फिर मैंने उनके पेट पर चूमना शुरु किया तो वो एकदम मदहोश हो कर सिसकारियाँ लेने लगी। वो एकदम से गर्म होती जा रही थी। फिर मैंने उनकी चूत पे हाथ फ़िराया तो वो और रोमांटिक मूड में आ गई और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। पूरा कमरा आह............ आह की आवाजों से गूँज रहा था। अब वो एकदम सुलग चुकी थी, उन्होंने मुझे कहा- सुनील अब नहीं बर्दाश्त होता, अब मेरी प्यास बुझा दो !
लेकिन मैं धीरे धीरे सब करना चाहता था इसलिए मैं उन्हें और गर्म कर रहा था। वो अब जोर जोर से सिसकारियाँ मार रही थी। अब मैं समझ चुका था कि वो अब चरम सीमा पर पहुँच चुकी है। तो मैंने अपनी पैंट उतार दी। अब मैं उनके सामने अंडरवीअर में था। उन्होंने मेरा अंडरवीयर सरकाया, जिससे मेरा ७ इंच लम्बा लण्ड बाहर आ गया। मेरा लण्ड ७ इंच लम्बा और चार इंच चौड़ा हो गया था।
मेरा लण्ड देख कर वो थोड़ी सहम गई। मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी ?
तो उन्होंने कहा- तुम्हारा लण्ड कितना मोटा और लम्बा है ! तुम्हारे अंकल का तो छोटा और पतला है।
फिर मैंने उनको सीधा बेड पर लिटा दिया और किस करने के लिए कहा। उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लिया और हिलाने लगी। मुझ बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी तो वो चिल्ला उठी- हाई......मर गई रे. !
मैं अब अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
उन्होंने कहा- अब बस सुनील ! अब बर्दाश्त नहीं होता ! अब मेरी प्यास बुझा दे !
तो मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया, लेकिन मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। फिर मैंने एक जोरदार झटका लगाया और पूर लण्ड अन्दर चला गया और वो चिल्ला उठी- हाई मर गई रे ! निकाल इसे जल्दी ! मेरी चूत फट गई रे ! कितना मोटा लण्ड है तेरा !
तो मैं कुछ देर के लिए रुक गया और फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उन्हें भी मजा आ रहा था, वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। तक़रीबन २५ मिनट की चुदाई के बाद मैं अब झड़ने वाला था। मैंने उन्हें बताया कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि बाहर मत गिराना ! सारा का सारा मेरे अन्दर ही गिरा दो ! मुझे गर्भवती बना दो ! मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बना दो !
मैंने वैसा ही किया, मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में गिरा दिया और उनके ऊपर सो गया।
हाय क्या चूत थी उनकी ! एकदम आग थी उनकी चूत में जिससे मैं जल्दी झड़ गया। उनकी चूत मेरे वीर्य के कारण पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनसे एक बार फिर सेक्स करने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे एक बार फिर गरम किया और मेरा लण्ड तन गया।
इस बार मैंने उन्हें कुतिया स्टाइल में झुकने के लिए कहा। वो झुक गई और मैंने अपना लण्ड पीछे से उनकी चूत में डाल दिया। चूत गीली होने की वजह से जल्दी से घुस गया। अब मैं अपने धक्कों की रफ़्तार तेज करने लगा और जोर जोर से उनको चोदने लगा।
वोह आः.........आह आह........करके चिल्ला रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं झड़ गया इस दरमियान वो तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर हम दोनों एक दूसरे में उलझ कर सो गए।
उस रात को हमने छः बार चुदाई की।
अब जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई की खेल खेला करते थे।
मेरी चुदाई से वो गर्भवती हो गई और ९ महीने बाद उन्हें लड़का हुआ।
अब भी हम चुदाई का खेल खेलते रहे और दो साल के बाद वो फिर गर्भवती हुई, इस बार उन्हें लड़की हुई।
इस तरह मैंने पड़ोस वाली आंटी को गर्भवती बनाया।
Re: खेल खेल में चोदा - Khel Khel Me Choda
दोस्तों यह वो घटना है जिसने पहली बार मेरा परिचय एक लड़की के जिस्म से करवाया ! सच बताऊँ तो इससे पहले मैंने सिर्फ इसके बारे में सुना था पर देखा नहीं था! मन करता था कि कब मुझे असली चूत के दर्शन होगे! यही सोच सोच कर मैं सिर्फ मुठ मार कर अपनी प्यास बुझा लेता था! यह सिलसिला बहुत समय तक चला!
बात उस समय की है जब मैं पढ़ता था! एक दिन मैंने अपनी क्लास की एक लड़की की एक कॉपी में एक चित्र देखा जो किसी ने पेन्सिल से बनाया था! उस में एक लड़का मूत रहा था और एक लड़की नीचे बैठ कर उसको पी रही थी! मैं घबरा गया और मैंने जल्दी से वो कॉपी बंद कर दी, पर मेरा मन बार बार उसी चित्र पर जा रहा था और सोच रहा था कि काश मुझको भी ऐसा मौका मिलता! यही सोचते सोचते मैं घर आ गया! फिर खाना खा कर शाम को अपना होमवर्क करने लगा पर मेरा मन नहीं लग रहा था।
उस समय घर पर कोई नहीं था! तभी हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की जिसका नाम मोना था, वो हमारे घर आई। हम लोग हम-उम्र थे और साथ साथ खेलते थे! वो जब मेरे पास आई और मुझसे खालेने के लिए कहने लगी पर मैंने मना कर दिया!
उसने पूछा- क्या बात है?
मेरा मन कर रहा था कि यह बात मैं किसी को बताऊँ पर उससे मुझको शर्म भी आ रही थी और डर भी लग रहा था कि कहीं उसने किसी से मेरी शिकायत कर दी तो?
पर उसने बार बार मुझसे पूछा तो मैंने उसको अपनी कसम दे कर कहा- तुम यह बात किसी को नहीं बताओगी !
उसने कहा- ठीक है !
फिर मैंने उससे वो बताया कि मैंने आज क्या देखा तो वो शरमा गई! शर्म तो मुझको भी आ रही थी पर अब तो बात खुल चुकी थी, तो मैंने उसको कहा- यह बात किसी को मत बताना !
उसने कहा- ठीक है, पर मैं भी तुमको एक बात बताऊँ?
मैंने कहा- बताओ !
वो बोली- मैं और मेरा चचेरा भाई कई बार मम्मी पापा का खेल खेलते हैं!
मैंने पूछा- कैसे?
तो उसने बोला- हम लोग स्टोर में अकेले में अपने कपड़े उतार कर सेक्स करते हैं।
मैं एक दम चौंक गया और उसकी तरफ देखने लगा। वो बोलती रही और मैं सुनता रहा। फिर उसने मुझको देखा पर मुझे उसका देखना कुछ अलग लगा। वो आज मुझको कुछ अलग लगने लगी थी। कहीं आज मेरी इच्छा तो पूरी नहीं होने वाली थी !
मैंने सोचा कि जब हम लोगों में इतनी खुल कर बातें हो गयी हैं तो एक बार कोशिश करने में क्या है ! हो सकता है आज मुझको कुछ मिल जाए !
तो मैंने हिम्मत करके उसको कहा- मेरा भी बहुत मन करता है यह सब करने का ! और अगर तुम बुरा न मानो तो हम लोग यह मज़ा ले सकते है !
उसने तुंरत बोला- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
मैं समझ गया कि यह तैयार तो है पर डर रही है, मैंने तुंरत उसको अपनी बाहों में लिया और उसके होठों पर चूम कर कहा- मेरी जान, पता तो तब चले न जब कोई बताएगा ! और वैसे भी हम लोग अकेले में करेगे !
तो उसने कुछ नहीं कहा!
मैंने उसको पकड़ कर भी दो चार चुम्बन जड़ दिए तो उसने भी मुझको जवाब दिया! मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि जिस चीज़ को मैं बाहर देख रहा था वो तो मेरे पास ही थी! हम लोग बहुत देर तक एक दूसरे को चूमते रहे! उसको देख कर पता चल रहा था कि उसको इस बात अच्छा अनुभव है!
धीरे धीरे उसने मेरे सारे जिस्म को चूमना शुरु कर दिया तो मैं समझ गया कि वो गरम हो गई है! मेरा हाथ भी उसके टॉप में जा चुका था और मैं उसके छोटे छोटे स्तनों को सहला रहा था! मैं बता नहीं सकता कि उस वक़्त मुझको कैसा लग रहा था! पहली बार किसी लड़की के स्तन दबाने का मज़ा तो आप लोगों को पता ही होगा! फिर मैंने जल्दी से उसको टॉप उतार कर फेंक दिया! मेरे सामने रोज़ मेरे साथ खेलने वाली लड़की सिर्फ स्कर्ट और ब्रा में खड़ी थी और उसकी सफेद ब्रा में उसके छोटे वक्ष साफ़ दिख रहे थे! अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मैंने उसकी ब्रा अलग कर दी और उसके स्तन को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा! वो भी जोर जोर से आहें भरने लगी!
मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है?
तो वो बोली- जरा जल्दी जल्दी करो!
उसका हाथ मेरे लण्ड तक पहुँच गया! वो उसको सहलाने लगी और जल्दी से मुझको अलग करके नीचे बैठ गई और मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी! मेरी सालों की इच्छा पूरी हो रही थी! वो बहुत देर तक यही करती रही और मैं मज़े लेता रहा!
फिर मैंने उसका स्कर्ट और पैंटी उतार दी और उसकी चूत को अपने मुँह में ले के चूसने लगा! उसकी चूत पर थोड़े भूरे-भूरे बाल थे पर मुझको बहुत मज़ा रहा था! वो जोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी! नीचे मेरा लण्ड भी टाइट हो गया था, उसने कहा- अब इंतजार नहीं होता ! आज मुझको चौद डालो!
यह सुनकर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया!
यह मेरा पहला अनुभव था तो मुझको पता नहीं था कि लण्ड कहाँ डालते हैं! फिर भी कोशिश करके मैंने उसकी चूत के छेद पे अपना लण्ड लगा ही दिया और जोर लगाने लगा!
पर मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। तो उसने अपनी टाँगे फ़ैला ली और बोली- अब करो!
मुझको थोड़ा जोर लगाना पड़ा और दर्द भी हो रहा था पर थोड़ी सी कोशिश से मेरा लण्ड उसकी चूत में अंदर गया!
उसको भी दर्द हो रहा था तो मैंने कहा- मैं अपना लण्ड निकालूँ?
तो वो बोली- नहीं साले ! और अंदर डाल !
मैंने पूरा जोर लगाया और मेरा पूरा लण्ड अंदर चला गया ! फिर मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और अब हम दोनों को बहुत मज़ा आने लगा था!
दस पन्दरह मिनट में ही हम दोनों झड़ गए! फिर हम एक दूसरे से चिपके रहे! थोड़ी देर बाद हम लोगों को फिर जोश आया और हम लोगो ने एक और ट्रिप ली! फिर हम लोगों ने कपड़े पहने और एक दूसरे को चूमने लगे!
उस दिन के बाद हम लोगों को जब भी मौका मिलता, हम सेक्स के मज़े लेते! अब हम लोग साथ तो नहीं हैं।
तो यह थी मेरी कहानी !