सुलगते जिस्म hindi sex fuck erotic long story

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Fuck_Me
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सुलगते जिस्म hindi sex fuck erotic long story

Unread post by Fuck_Me » 19 Aug 2015 11:11

सुलगते जिस्म-1
लेखिका : नेहा वर्मा
झांसी एक एतिहासिक नगर है, वहां के रहने वाले लोग भी बहुत अच्छे हैं ... दूसरों की सहायता तहे दिल से करते है। मेरे पति के साथ मैं झांसी आई थी।
मेरे पति की नौकरी झांसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर बी एच ई एल में थी, हम भोपाल से स्थानान्तरित होकर झांसी आये तो सबसे पहले हमने वहां किराये का मकान ढूंढा और जल्दी ही हमें कॉलोनी में मकान मिल भी गया। मकान मालिक ने अपने लड़के सुनील को हमारी सहायता के लिये लगा दिया था।
पहले दिन तो खाना वगैरह का इन्तजाम तो उसने ही कर दिया था। बड़ा ही हंसमुख था वो।
यह बात अलग है कि उसका इरादा आरम्भ से ही बहुत नेक था। एक जवान लड़की सामने हो तो उन्हें अपना मतलब पहले दिखने लगता था। मैं उसकी नजरें तो समझ चुकी थी पर वो ही तो एक हमारा मदद करने वाला था, उसे मैं छोड़ती कैसे भला।
एक-दो दिन में उसने हमारी घर की सेटिंग करवा दी थी और शायद वो भी अपने आप की सेटिंग मुझसे कर रहा था। उसे देख कर मुझे बड़ा ही रोमांच सा हो रहा था।
ललितपुर से सामान भी शिफ़्ट करना था। नई जगह थी सो मेरे पति ने सुनील को दो तीन दिन रात को घर पर सोने के लिये कह दिया था। उसकी तो जैसे बांछें खिल गई ...
उसे मेरे समीप रहने का मौका मिल गया था। शाम को सुनील उन्हें अपनी मोटर बाईक पर बस स्टेण्ड छोड़ आया था। शाम ढल चुकी थी। जब वो लौट कर आया तो साथ में झांसी के सैयर गेट के मशहूर नॉन-वेज कवाब और बिरयानी भी ले आया था। सुनील का व्यवहार बहुत ही अच्छा था।
नये मकान में मैं घर पर अकेली थी और सुनील की नजरें मुझे आसक्ति से भरी हुई बदली हुई लग रही थी। मुझे भी अपने अकेले होने का रोमांच होने लगा था कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाये, जिसकी वजह से मेरा दिल भी धड़क रहा था।
जब दो भरी जवानियां अकेली हों और वो प्यासी भी हों तो मूड अपने आप बनने लगता है। मेरे दिल में भी बेईमानी भरने लगी थी, दिल में चोर था, सो मैं उससे आंखें नहीं मिला पा रही थी। उसकी तरफ़ से तो सारी तरकीबें आजमाई जा रही थी, बस मेरे फ़िसलने की देर थी।
पर मैंने मन को कठोर कर रखा था कि मैं नहीं फ़िसलूंगी। उसका लण्ड भी जाने क्या सोच सोच कर खड़ा हो रहा था जिसे मैं उसके पतले झीने पजामें में से उभार लिये हुये देख सकती थी। उसका प्यारा सा लण्ड बार बार मेरा मन विचलित किये दे रहा था। मेरा मन डोलने लगा था, मैंने अपनी रात के सोने वाली ड्रेस यानि ढीला सा गुलाबी पजामा और उस पर एक ढीला ऊंचा सा टॉप ... अन्दर मैंने जानबूझ कर कोई पेण्टी या ब्रा नहीं पहनी थी। मतलब मात्र उसे मेरे स्तनों को हिला हिला कर रिझाना था, ताकि वो खुद ही बेसब्री में पहल करे। यूँ तो मेरा दिल यह सब करने को नहीं मान रहा था पर जवान जिस्म एक जवान लड़के को देख कर पिघल ही जाता है, फिर जब दोनों अकेले हों तो, और किसी का डर ना हो तो मन में यह आ ही जाता है कि मौके का फ़ायदा उठा लो ... जाने ऐसा मौका फिर मिले ना मिले। आग और पेट्रोल को पास पास रख दो और यह उम्मीद करो कि कुछ ना हो।
सुनील भी मेरे पास पास ही मण्डरा रहा था। कभी तो मेरे चूतड़ों पर हाथ छुला देता था या फिर मेरे हाथों को किसी ना किसी बहाने छू लेता था। मेरे दिल में भी इन सब बातों से आग सी सुलगने लगी थी। वासना की शुरूआत होने लगी थी।
खाना भी ठीक से नहीं खाया गया। वो तो बस मेरे टॉप में से मेरे स्तनों को बार बार देखने की कोशिश कर रहा था। अब मुझे भी लग रहा था कि नीचे गले का टॉप क्यूँ पहना, पर दूसरी ओर लग रहा था कि इस टॉप को उतार फ़ेंक दूँ और अपनी नंगी चूचियाँ उसके हाथों में थमा दूँ।
रह रह कर मेरे बदन में एक वासना भरी सिरहन दौड़ जाती थी।
रात को वो मेरे कमरे में बातें करने के बहाने आ गया था, पर उसके चेहरे के नक्शे को मुझे समझने में जरा भी मुश्किल नहीं आई। वासना उसके चेहरे पर चढ़ी हुई थी। मैं बार बार नजरें चुरा कर उसके मोहक लण्ड के उभार को निहार लेती थी। बातों बातों में वो मुझे लपेटने लगा, और मैं उसकी बातों में फ़िसलने लगी।
मेरे झुकने के कारण मेरे मेरे टॉप में से स्तन भी बाहर छलके पड़ रहे थे। उसकी नजरें मेरे स्तन का जैसे नाप ले रही हो। मेरा दिल अब काबू में नहीं लग रहा था। बदन में झुरझुरी सी उठ रही थी।
"भाभी, लड़कों को लड़कियाँ इतनी अच्छी क्यूँ लगती हैं? चाहे वो शादीशुदा ही क्यूँ ना हो?"
"विपरीत सेक्स के कारण ... लड़का और लड़की प्रकृति की ओर से भी एक दूसरे के लिये पूरक माने जाते हैं।" मैंने उसे उसी के तरीके से समझाया, ताकि वो मुझे ही अपना पूरक माने।
"भाभी, फिर भी लड़कियों के हाथ, पांव और जिस्म में बड़ा ही आकर्षण होता है, जैसे ये आपके ये पांव ... " सुनील ने अपना हाथ मेरे चिकने पांव पर फ़ेरते हुए कहा।
मेरा मन लरज उठा, जैसे किसी ने करण्ट लगा दिया हो। मेरी योनि में जैसे एक अजीब कुलबुलाहट सी हुई।
"अरे छू मत ... मुझे कुछ होता है ... !" मैंने अपने हाथ से उसका हाथ हटा दिया।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे बड़ा भला सा लगा। उसके हाथ ने मेरे कोमल हाथों को हल्के से इशारा देते हुये दबा दिया।
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Re: सुलगते जिस्म hindi sex fuck erotic long story

Unread post by Fuck_Me » 19 Aug 2015 11:11

"आपके ये हाथ कितने चिकने हैं ... ! "
' तू क्या कर रहा है सुनील ... कोई देख लेगा तो बड़ी बदनामी हो जायेगी ... "
अन्दर ही अन्दर मैं पिघलने सी लगी ... मैंने कोई विरोध नहीं किया।
"भाभी हम तुम तो अकेले हैं ना ... कौन देखेगा ... बस आप इतनी सुन्दर है तो, बदन इतना चिकना हो तो ... बस एक बार हाथ से छूने दो प्लीज ... !" उसका हाथ मेरे कंधे तक आ गया।
"नहीं कर ना ... हाय रे ... उनको पता चलेगा, मैं तो मर ही जाऊंगी ... !" मैंने अपने जवाब को लगभग हां में बदलते हुये कहा, जिसे कोई भी समझ जाता। यानि कुछ भी करो पर पता नहीं चलना चाहिये।
"भाभी, भाई साहब तो ललित पुर चले गये हैं ... कैसे पता चलेगा !" वो अब मेरे और पास आ गया था उसकी सांसे तेज हो उठी थी। मेरा दिल भी धाड़ धाड़ करके धड़कने लगा था।
"देख, बस हाथ ही लगाना ... " उसे मन्जूरी देते हुये कहा ... मन में तो मैं अब चाह रही थी कि बस मुझे छोड़ना मत ... बस चोद चोद कर मुझे निहाल कर देना।
"भाभी किसी लड़की को मैं पहली बार हाथ लगा रहा हूँ ... कुछ गलती से हो जाये तो बुरा मत मानना !"
"हाय तू ये क्या कह रहा है ... हाय रे ! मैं मर गई ... सुनील गुदगुदी हो रही है ...! " मुझे उसके हाथ लगाते ही झटका सा लगा, पर मर्द का हाथ था ... मेरी चूंचियां कड़ी होने लगी ... निपल कठोर हो गये ... उसका हाथ मेरी चिकनी पीठ को सहला रहा था। उसने मेरा ढीला टॉप नीचे से उठा दिया था। उसका हाथ मेरी पीठ पर फ़िसलते हुये मेरी चूंचियों को छूने लगा था। धीरे धीरे मुझे लगने लगा कि वो मेरी चूंचियाँ मसल डाले। वो अपना हाथ तो चूंचियों पर लगाता और झटका चूत पर पड़ता था, वो गीली होने लगी थी। जो पहले चुद चुकी हो उसे तो सीधे चुदने की ही लगती है ना ... इतना करना तो खुलने के लिये बहुत होता है ... बस यही हाल मेरा हो रहा था। उसके हाथ अब मेरी चूचियों को सहलाने में लगे थे। अब मेरा मन जल्दी से चुद जाने को कर रहा था।
"सुनील, एक बात कहूँ ... " मैंने झिझकते हुये कहा, मेरे मन उसका लण्ड पकड़ने का कर रहा था।
"जरूर कहो ... बस ये सब करने के लिये मना मत करना ... "
"नहीं, इसमें तो मुझे भी मजा आ रहा है ... पर आपका वो ... मुझे भा रहा है ... क्या उसे छू लूँ ... " कह कर मैंने अपना चेहरा नीचे कर लिया। वो पहले तो समझा नहीं ...
पर जब मैंने हाथ बढ़ा कर धीरे से लण्ड पकड़ लिया तो उसके मुख से आनन्द के मारे सिसकी निकल पड़ी। पर हाय रे ... लण्ड तो गजब का लम्बा था। सात इन्च तो होगा ही ... और मोटा ... हां, उनसे ज्यादा मोटा था। उसे हाथ लगाते ही, उसकी मोटाई और लम्बाई का अहसास होने लगा। मेरा दिल धड़क उठा। मेरे मन में आया कि इतना मोटा लण्ड मेरी चूत या गाण्ड में समा जायेगा क्या ? फिर भी मेरा दिल मचल उठा उसे अपनी चूत में उसे लेने के लिये।
मैंने उसका लण्ड दबाकर ज्योंही मुठ मारी, सुनील तड़प उठा। मुझे अपने पति का लण्ड याद आ गया, सुनील का लण्ड मेरे पति के लण्ड से मोटा और लंबा था। पर वो चोदते बहुत प्यार से थे ... अपना माल समझ कर ... ।
अब उसने मेरी टॉप को ऊपर से खींच कर उतार दिया। पंखे की ठण्डी हवा से मेरा जिस्म सिहर उठा। मेरे कड़े निपल उसकी अंगुलियो में भिंच गये और वो उसे दबा दबा कर घुमाने लगा। मेरी चूत में उत्तेजना भरती जा रही थी। तभी मुझे ख्याल आया कि दरवाजा खुला है।
"हटो तो ... दरवाजा खुला है ... !" मैं लपक कर गई और दरवाजा बंद कर दिया।
"अरे कौन आयेगा ... !" और उठ कर मुझे पीछे से कमर पकड़ कर भींच लिया। इसी के बीच में मुझे अहसास हुआ कि उसका लम्बा लण्ड मेरी चूतड़ों की दरारों के बीच जोर लगा रहा था, जैसे गाण्ड में घुसना चाह रहा हो। मुझे उसके अपने चूतड़ों के बीच लण्ड की मोटाई का अनुभव होने लगा था।
"अरे ये क्या कर रहे हो ... बात तो बस छूने की थी ... !" मैंने आनन्द लेते हुये कहा ... उसके ऐसा करने से मेरे पति जब मेरी गाण्ड मारते थे, उसके आनन्द की याद ताजा हो गई थी। तभी सुनील ने मेरा पजामा नीचे जांघो तक खींच दिया और खुद का भी पाजामा नीचे खींच कर लण्ड बाहर निकाल लिया।
"हाये रे ... सुनील ... बस हटो ... ये मत करना ... !" अपने नंगे होने से मुझे बेहद आनन्द आया। किसी दूसरे मर्द के सामने नंगा होने का मजा बहुत ही प्यारा होता है।
"भाभी, प्लीज अब मत रोको मुझे ... मुझसे नहीं रहा जा रहा है !" और वो अपना लण्ड मेरी चूतड़ों की चिकनी दरारों के बीचों बीच समाने लगा। चूतड़ों के पट के बीच लण्ड चीरता हुआ गाण्ड के छेद से जा टकराया।
"हाय रे, सुनील, तुम तो मेरी इज़्ज़त लूट लोगे ...! " मैंने हाथ बढ़ा कर उसके चूतड़ों को थाम कर अपनी गाण्ड की ओर दबा लिया। मुझे गाण्ड के छेद में गुदगुदी सी होने लगी ... । गाण्ड के चुदने की याद से ही मेरा बदन आग होने लगा।
"इज्जत लूटने में मजा है ... हाय रे भाभी ... वो किसी ओर में कहां ?"
"आह्ह्ह्ह , घुस गया रे अन्दर ... उईईईईईई ... मेरी इज्जत लूट ली रे ... !" लण्ड गाण्ड में घुस चला था।
"नहीं मेरी इज्जत लुटी है ... भाभी ... मुझे आपने लूट लिया ... मेरा लण्ड भी ले लिया !" लण्ड का नाम सुनते ही मुझे बहुत अच्छा लगा।
"सुनील ... लूट ले रे ... मुझे पूरा ही लूट ले ... लुटने में मजा आ रहा है !" उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुस चुका था, वो अपना थूक लगाता जा रहा था और गाण्ड में लण्ड अन्दर घुसेड़ता जा रहा था। मुझे तो जैसे सारा जहां मिल गया था।
अभी गाण्ड चुद रही है तो फिर चूत भी चुदेगी, मेरे शरीर को मसल मसल मस्त कर देगा ... मेरा सारा पानी निकाल देगा ... हाय रे तीन दिनों तक चुदा चुदाकर मुझे तो स्वर्ग ही मिल जायेगा। मुझमें जोश भरता गया। मैं बेसुध हो कर गाण्ड मरवाने लगी ... मेरी चूत में आग लगी हुई थी। मेरी चूचियां मसल मसल कर बेहाल हो गई थी, उसके कठोर हाथों ने उसे लाल कर दिया था। उसके लण्ड ने गति पकड़ ली थी। मेरी गाण्ड तबियत से चुदी जा रही थी। मैंने भी अपने चूतड़ हिला हिला कर उसे चोदने में सहायता की। मेरी चूतड़ों के गोल गोल चिकनी गोलाईयों से उसके लण्ड के नीचे पेड़ू टकरा रहे थे ... जो मुझे और उत्तेजित कर रहे थे। उसे मेरी तंग गांड चोदने में बड़ा आनन्द आ रहा था पर मेरी तंग गाण्ड ने उसको जल्दी ही चरम सीमा पर पहुंचा दिया और उसका माल छूट गया।
पर मेरी चूत चुदने की राह में पानी छोड़ रही थी। वो मेरी चूतड़ों पर अपना वीर्य मारने लगा और उसे पूरी गीला कर दिया। उसका लण्ड अब सिकुड़ कर छोटा हो गया था। वो पास में पड़ी कुर्सी पर हांफ़ता हुआ सा बैठ गया। मैंने जल्दी से अपना पजामा ऊपर किया और टॉप पहन लिया। थोड़ी ही देर मैंने दूध गरम करके उसे पिला दिया। नई जवानी थी ... कुछ ही देर में वो फिर से तरोताज़ा था।
मेरी चूत को अब उसका लंबा और मोटा लौड़ा चाहिये था। उसके लिये मुझे अधिक इन्तज़ार नहीं करना पड़ा।
वह सब अगले भाग में !
आपकी नेहा
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Re: सुलगते जिस्म hindi sex fuck erotic long story

Unread post by Fuck_Me » 19 Aug 2015 11:12

सुलगते जिस्म-2
लेखिका : नेहा वर्मा
सुलगते जिस्म-1
नई जवानी थी ... कुछ ही देर में वो फिर से तरोताज़ा था।
मेरी चूत को अब उसका लंबा और मोटा लौड़ा चाहिये था। उसके लिये मुझे अधिक इन्तज़ार नहीं करना पड़ा।
मैंने उसे अपनी चूंचियाँ दर्शा कर प्यार से फिर उकसाया। उसका नंगा बदन मुझे बार बार चुभ रहा था ... मेरी चूत उसका लण्ड देख कर बार बार फ़ड़फ़ड़ा रही थी। पर मन की बात कैसे कह दूँ ... स्त्री सुलभ लज्जा के कारण बस मैं उसके लण्ड को बड़ी तरसती हुई नजरों से देख रही थी।
"भाभी आपने तो कपड़े पहन लिये ... ये क्या ... मुझे देखो ... मेरा तो लण्ड ... " मैंने शरम के मारे उसके मुख पर अंगुली रख दी, पर वो तो मेरी अंगुली ही चूसने लगा।
"आह्ह्ह सुनील, ऐसा मत बोल ... तूने तो मेरी पिछाड़ी को आज मस्त कर दिया ... अब और क्या मुझे पूरी नंगी करेगा ... "
"देखो अगर नहीं हुई तो ,मैं जबरदस्ती नंगी कर दूंगा ... तुम्हें एक बार तो दबा के चोदना तो है ही !" मेरा मन एक बार फिर से उसके हाथों नंगा होने को और चुदने को मचल उठा।
"देखो बात तो बस छूने तक ही थी ना ... ये और कुछ करोगे तो मैं मारूंगी ... हांऽऽऽऽऽ !"
मुझे पता था कि अब वो मुझ पर लपकेगा। ऐसा ही हुआ ... उसने मुझे हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और एक झटके में मेरा टॉप उतार दिया। मेरा पतला और झीना सा पजामा उतारने में भी उसे कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि मैं स्वयं भी तो चुदना चाह रही थी ... वो भी पूरी नंगी हो कर, मस्ती से शरीर को उसके हवाले करके ... अब हम दोनों कुछ ही पलों में पूरे नंगे थे। मेरा दिल फिर से लण्ड के चूत में घुसने के अहसास से धड़क उठा ... उसने मुझे अपनी बाहों में कस कर ऊपर उठा लिया, और अब ... ... मैंने भी शरम छोड़ दी ... अपनी दोनों टांगे उसकी कमर से लपेट ली। उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर फिर से छूने लगा। उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया। मैंने उसे झटके से पलट कर नीचे कर दिया और उस चढ़ बैठी और अपनी चूंचियाँ उसके मुख में ठूंस दी।
"मेरे सुनील ... मेरा दूध पी ले ... जरा जोर से चूस कर पीना ... !" मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ लिया और चूंचियां उसके मुँह में दबाने लगी। उसका मुख खुल गया और मेरे कठोर निपलों को वो चूसने लगा।
मेरा हाल बुरा होता जा रहा था। चूत बेहाल हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी। पानी की बूंदें चूत से रिसने लग गई थी। लण्ड को निगलने के लिये चूत बिलकुल तैयार थी।
उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ भींच लिये। मेरी चूत के आस पास उसका लण्ड तड़पने लगा। मैं थोड़ा सा नीचे सरक गई ... और लण्ड को चूत के द्वार पर अड़ा लिया। अब देर किस बात की बात की ... उसके लण्ड ने एक ऊपर की ओर उछाल मारी और मेरी चूत ने उसके लण्ड को लीलते हुये, नीचे लण्ड पर दबा दिया ... फ़च की आवाज के साथ भीतर तक रास्ता बनाता हुआ जड़ तक बैठ गया।
मैंने अपनी चूंचियाँ उसके मुख से निकाली और अपने होंठ से उसके होंठ दबा लिए।
"आह्ह्ह्ह् ... ठोक दिया ना ... ईह्ह्ह्ह्ह ... साला अन्दर मुझे गुदगुदा रहा है !" मुझे चूत में उसके लण्ड का मीठा मीठा अहसास होने लगा था।
"मुझे भी भाभी ... आपका जिस्म कितना मस्त है चोदने लायक ...! " उसके मुँह से चोदना शब्द बड़ा प्यारा लगा। मुझे लगा कि सुनील मुझसे इसी भाषा में मुझसे बोले ...
पति के सामने ये सब नहीं कह सकते थे ना। सो मैंने भी जानकर ऐसी भाषा प्रयोग की।
"तेरा लण्ड भी सॉलिड है ... मेरी गाण्ड भी कितनी प्यारी मारी थी ... सुनील !"
मैं उसके लण्ड पर अपनी चूत मारने लगी। लण्ड बहुत ही प्यारी रग़ड़ मार रहा था। मुझे चूत घर्षण करते चुदाने में आनन्द आ रहा था। कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद मुझे जाने क्या लगा कि मैं उस के ऊपर सीधी बैठ गई और धच से उसके लण्ड पर चूत मारी और खुद ही चीख पड़ी ... भूल गई थी कि उसका लण्ड मेरे पति से पूरे एक इन्च अधिक लंबा था। वो तो मेरी बच्चेदानी से जोर से टकरा गया था। पर दर्द के साथ बहुत ही जोर का आनन्द भी आया।
" सुनील ... उईईईईई चुद गई, तेरे लण्ड का तो बहुत मजा आ रहा है ... तू भी नीचे से मार ना ... चोद दे राजा ... मेरी चूत को फ़ाड़ दे ... !"
"भाभी ... मेरा लण्ड भी तो चुद गया ... आह्ह आपकी प्यारी चूत ... मादरचोद इस चूत को चोद डालूँ ... "
"तेरी मां की चूत ... भेन चोद ... तू मुझे आज चोद चोद कर निहाल कर दे ... !" मैं गालियां बोल बोल कर अपनी मन की भड़ास निकाल रही थी। मेरे दिल को ऐसा करने से बहुत सुकून आ रहा था। मैंने कुछ रुक कर फिर से ऊपर से चूत को फिर से जोर से मारी ... एक नया और सुहाना मजा ... लम्बे लण्ड का ... फिर तो ऊपर से धचा धच लण्ड के ऊपर अपने आप को पटकते चली गई ।
" आप गालियाँ देती हुई बहुत प्यारी लग रही हैं ... आजा अब मैं तेरी मां चोद देता हूँ ... भोसड़ी की ... रण्डी ... कुतिया ... फ़ुड़वा दे अपनी भोसड़ी को ... दे चूत ... चुदवा ले मस्त हो कर ... !"
"मेरे प्यारे हरामी ... मादरचोद ... मेरी भोसड़ी चोद दे ... बस अब मुझे नीचे दबा ले और साली चूत की चटनी बना दे ...! " कहते हुये हम दोनों ने पलटी मार ली और वो मेरे ऊपर सवार हो गया। उसकी कमर, मैंने सोचा भी नहीं था, ऐसी जोर जोर से चलने लगी, कि मुझे आनन्द आ गया। मैं तबियत से चुदने लगी।
“हाय मेरे चन्दा, चोद दे मुझे ... राजा ... मेरी फ़ुद्दी को मसल डाल ... तेरा लौड़ा ... तेरी मां की ... चूत फ़ाड़ दे मेरी ... !” मैं अनाप शनाप गालियाँ देकर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी।
“आह, मेरी रानी ... तेरी चूत का चोद्दा मारूँ ... भोसड़ी की मदरचोद ... चुदा ले जी भर के ... मेरी कुतिया ... छिनाल ... साली रण्डी ... आह्ह्ह्हऽऽ !” उसकी प्यारी सी मीठी गालियाँ जैसे मेरे कानो में शहद घोल रही थी, मेरे शरीर में तरावट आने लगी, सारा जिस्म मीठे जहर से भर गया। लग रहा था मैं कभी ना झड़ूँ ... बस जिन्दगी भर चुदाती ही रहूँ ... ये मजा पति की चुदाई से अलग था ... कुछ जवानी का अल्हड़पन ... थोड़ा सा जंगलीपना ... मीठी मीठी गालियोँ की मीठी चुभन ... मैंने भी आज जी खोल कर सारी गन्दी से गन्दी गालियाँ मन से निकाली ... और एक जबरदस्त सुकुन महसूस किया ... ।
पर ये आनन्द कब तक बरकरार रहता ...! मेरी चूत और जिस्म जिस तरह से रगड़े और मसले जा रहे थे ... उसका असर चूत पर ही तो हो रहा था। मेरा जिस्म ऐंठने लगा और आनन्द को मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकी ... मेरी चूत जोर से झड़ने लगी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी ... तभी सुनील ने मेरे ऊपर अपने आपको बिछा लिया और लण्ड को चूत में भीतर तक दबा लिया। उसके कड़कते लण्ड ने मेरी बच्चादानी को रगड़ मारा ... और चूत में उसका वीर्य छूट पड़ा। वो अपने लण्ड को बार बार वीर्य निकालने के लिये दबाने लगा। वीर्य से मेरी चूत लबालब भर चुकी थी। वो निढाल हो कर एक तरफ़ लुढ़क पड़ा। मैंने भी मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली थी। सारा सुख और आनन्द अपने में समेट लेना चाहती थी।
रात के बारह बजने को थे ... मैंने अपनी एक टांग सुनील की कमर में डाल दी और जाने कब मेरी आंख लग गई। हम दोनों नंगे ही लिपटे हुये सो गये।
मेरी आंख सुबह ही खुली। उजाला हो चुका था। सुनील सो रहा था। मैंने उसके लण्ड को और उसके आण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। वह नींद में सीधा लेट गया।
उसके लण्ड में तनाव आने लगा था। उसकी नींद भी उचटती जा रही थी। अब उसका लण्ड पूरा खड़ा हो गया था ... मैं धीरे से उठ कर दोनों पांव इधर उधर करके उसके लण्ड के पास सरक आई। मैंने अपनी चूत के दोनों पटो को खोला और उसके लाल सुपाड़े पर रख दिया। मेरी गुलाबी चूत और उसका गुलाबी सुपाड़ा, लगता था कि दोनों एक दूजे के लिये ही बने हैं। मैंने सुपाड़ा अपनी चूत में डाल कर थोड़ा सा दबाव डाल कर उसे भीतर समा लिया। फिर सुनील पर झुकते हुये उस पर लेट गई। चूत को और दबा कर लण्ड को भीतर तक समेट लिया। सुनील जाग उठा था।
उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे चिपका लिया। मैं उसे चूमने लगी। उसकी कमर अब हौले हौले नीचे से चलने लगी और अपनी कमर भी ऊपर से चूतड़ दबा दबा कर मैं चलाने लगी। मैं फिर से चुदने लगी ... एक दूसरे में समाये हुये फिर से आनन्द में भर उठे ... मैंने झुक कर उसकी गर्दन के पास अपना चेहरा छुपा लिया और अपनी जुल्फ़ों को उसके चेहरे पर बिछा दिया, और आंखे बंद करके चुदाई का मधुर आनन्द लेने लगी ... । हम दोनों नंगे जिस्म की रगड़ का मद भरा अनोखा आनन्द लेने लगे ...
पाठको से भी मेरा निवेदन है कि उन्हें भी जब चुदाई का ऐसा सुनहरा मद भरा मौका मिले तो उसका लुफ़्त नजाकत से पूरा पूरा उठाईये ... क्योंकि ऐसे सुनहरे मौके जिन्दगी में कम ही आते हैं ... शादी-शुदा को दूसरों से चुदाने का कोई हक नहीं है ऐस ना सोचें ! ... यह तो बस दो पल का मधुर आनन्द है ... किसी को पता भी नहीं चल पायेगा ... ये छोटे छोटे पल ही आपकी जिन्दगी की खुशी हैं ... ये आपको भविष्य में भी सोच सोच कर गुदगुदाती रहेंगी ...
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